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23.9.09

शहद की देसी मक्खी आजकल कपास के फूलों पर नहीं आती !!!

जिला जींद के ज्यादातर किसानों की तरह निडाना निवासी पंडित चन्द्र पाल ने भी अपने खेत में एक एकड़ बी.टी.कपास लगा रखी है। इस कपास की फसल में देसी शहद की मक्खियों ने अपना छत्ता बना कर डेरा जमा रखा है। एक महिना पहले जब पंडित जी ने इस छाते को देखा तो खुशी के मारे उछल पड़ा था। उछले भी क्यों ! चन्द्र पाल ने एक लंबे अरसे के बाद देसी शहद की मक्खियों का छत्ता देखा था, वो भी ख़ुद के खेत में। इस जानकारी को घरवालों पड़ोसियों से बांटने के लिए, वह अपने आप को रोक नहीं पाया था। चाह ऎसी ही चीज होती है। इसी चक्कर में, पंडित जी ने रोज खेत में जाकर इस छत्ते को संभालना शुरू कर दिया। कुछ दिन के बाद उसका ध्यान इस बात की तरफ गया कि ये मक्खियाँ इस खेत में कपास के फूलों पर नहीं बैठ रही। मज़ाक होने के डर से उन्होंने हिच्चकते--हिच्चकते अपनी इस बा को गावं के भू.पु.सरपंच रत्तन सिंह से साझा किया. दोनों ने मिलकर इस बात को लगाता ती दिन तक जांचा परखा मन की मन में लिए, रत्तन सिंह ने इस वस्तुस्थिति को अपना खेत अपनी पाठशाला के बाहरवें सत्र में किसानों के सामने रखा। तुंरत इस पाठशाला के 23 किसान डा.सुरेन्द्र दलाल कपास के इस खेत में पहुंचे। आधा घंटा खेत में माथा मारने के बावजूद किसी को भी कपास के फूलों पर एक भी मक्खी नजर नहीं आई। यह तथ्य सभी को हैरान कर देने वाला था। बी.टी.टोक्सिंज, कीटों की मिड-गट की पी.एच.,व कीटों में इस जहर का स्वागती-स्थल आदि के परिपेक्ष में इस तथ्य पर पाठशाला में खूब बहस भी हुई। पर कोई निचोड़ ना निकल सका।


हाँ! डा.सुरेन्द्र दलाल ने उपस्थित किसानों को इतनी जानकारी जरुर दे दी की उसने स्वयं अपनी आँखों से पिछले वीरवार को ललित खेडा से भैरों खेडा जाते हुए सड़क के किनारे एक झाड़ी पर इन देसी शहद की मक्खियों को देखा है। देसी झाड़ के छोटे--छोटे फूलों पर इन मक्खियों को अपने भोजन शहद के लिए लटोपिन हुए देखने वालों में भैरों खेडा का सुरेन्द्र, निडाना का कप्तान पटवारी रोहताश भी शामिल थे।
इस तथ्य को हम विश्लेषण हेतु इंटरनेट के मध्यम से जनता के दरबार में प्रस्तुत कर रहे हैं।

22.9.09

फिरौती मांगने व धमकी देने का आरोपी गिरफ्तार

जींद (हरयाणा):- रेलवे पुलिस ने बरसोला रेलवे स्टेशन पर चार माह पूर्व सहायक स्टेशन मास्टर से मारपीट करने, फिरौती मांगने तथा जान से मारने की धमकी देने के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से अदालत ने उसे जेल भेजने के आदेश दिए हैं।
बरसोला रेलवे स्टेशन पर कार्यरत सहायक स्टेशन मास्टर लाल सिंह ने रेलवे पुलिस को दी शिकायत में बताया कि २९ मई २००९ को वह स्टेशन पर तैनात था। उसी समय गांव बरसोला निवासी बिजेंद्र अपने एक अन्य साथी के साथ शराब पीकर स्टेशन पर आया। जब उसने दोनों को स्टेशन से जाने के लिए कहा तो दोनों उसके साथ मारपीट करने लगे। इस दौरान उन्होंने पिस्तौल दिखाकर उसे जान से मारने की धमकी भी दी। रेलवे पुलिस ने लाल सिंह की शिकायत पर बिजेंद्र तथा एक अन्य युवक के खिलाफ मामला दर्ज कर छानबीन शुरूं कर दी थी। सोमवार रात को पुलिस ने आरोपी गांव जुलानी निवासी प्रवीण को गिरफ्तार कर लिया।

नोट दोगुने करने का झांसा देकर युवक से पचास हजार ठगे

जींद(हरयाणा) : गांव गांगोली में चमत्कार से नोट दोगुने करने का झांसा देकर एक युवक से पचास हजार रुपये ठगने का मामला प्रकाश में आया है। पिल्लूखेड़ा थाना पुलिस ने पीडि़त युवक की शिकायत पर जादूई ति का दावा करने वाले व्यति तथा एक अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी तथा जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज किया है।
गांव काबड़ी (पानीपत) निवासी संदीप कुञ्मार ने पिल्लूखेड़ा थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया कि गांव के ही रोहताश का गांव गांगोली निवासी धर्मबीर के पास आना जाना था। रोहताश ने उसे बताया कि धर्मबीर में देवीय शタति है। वह अपनी देवीय शタति के आधार पर किसी की भी किस्मत को चमका सकता है। रोहताश के साथ वह धर्मबीर से मिलने गांव गांगोली आ गया। धर्मबीर ने उसे आश्वासन दिया कि वह अपनी देवीय शタति से उसकी आर्थिक दशा को सुधारकर सुविधा संपन्न बना देगा।
इसी झांसे में आकर नौ सितंबर को पचास हजार रुपये लेकर वह रोहताश के साथ धर्मबीर के पास गांव गांगोली पहुंचा। धर्मबीर ने काले लिफाफे में पचास हजार रुपये की राशि रखकर कुछ मंत्रोच्चारण किया। कुछ समय के पश्चात उसे काले रंग का लिफाफा थमा कर घर पहुंचकर दो दिन बाद खोलने को कहा। धर्मबीर ने उसे बताया कि उसकी राशि दोगुनी हो जाएगी। जब उसने बताये समयानुसार लिफाफा खोला तो उसमें कागजों के सिवाए कुछ नहीं था। जब उसने धर्मबीर तथा रोहताश से पैसे वापस मांगे तो उन्होंने लौटाने से मना कर दिया और साथ ही जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने धर्मबीर तथा रोहताश के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर छानबीन शुरूं कर दी है।

Twitter पर हिंदी को प्रमोट करने का सुनहरा अवसर

ट्विटर  माइक्रो ब्लोगिंग की दुनिया का मशहूर नाम है.और यह साईट हिंदी में भी पोस्ट स्वीकार करती है.यही नहीं इस साईट की सदस्यता ग्रहण करने के बाद पेज की सीधे हाथ वाली साइड बार में आपको ट्रेंडिंग टोपिक की सूची दिखाई देगी इसमें #Hindi भी चल रहा है.अगर न भी दिखे तो  #Hindi  लिख कर जो भी पोस्ट डालेंगे वो आपके होम पेज के अलावा इस टोपिक के पेज पर भी दिखेगा.मैं काफी समय से इस साईट पर हूँ 
http://twitter.com/vipingoel
हिंदी मैं ट्विट करिए और इस भाषा को  अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाइये.

21.9.09

आटो चालकों को चढ़ा नया शौक

जींद:- आजकल आटो चालकों को नया शौक चढ़ा है। यह शौक है अपनी गाड़ी में सीडी स्क्रीन लगाने का ताकि यह गाड़ी चलाते समय फिल्म व गानों का आनंद ले सकें। यह चालक गाड़ी चलाते समय सीडी स्क्रीन पर फिल्म व गाने चलाते है, जिससे दुर्घटना होने का खतरा हमेशा बना रहता है, लेकिन अब तक किसी अधिकारी ने चालकों के इस शौक पर कदम उठाने का बीड़ा नहीं उठाया है। आटो चालकों की मनमानी के चलते कई बार सड़क हादसे हो चुके है। इन हादसों के बाद प्रशासन कुछ कदम तो उठा लेते है, लेकिन कुछ दिनों बाद वही ढाक के तीन पात वाली कहावत पर चलते हुए अपने आदेशों को भूल जाते हैं। जींद शहर में पांच हजार से अधिक आटो है। ये आटो चालक अपनी मनमानी करते है। इनमें से ज्यादातर आटो चालकों के पास तो लाइसेंस भी नहीं है और न ही इनके कागजात पूरे है। ये चालक इतनी तेजी से वाहन चलाते है अंदर बैठे यात्री गाड़ी को पकड़कर बैठते है ताकि वह गिर न जाए। प्रशासन भी इन पर लगाम लगाने के लिए सिर्फ खानापूर्ति कर साल में एकाध बार पकड़ता जरूर है, लेकिन चालान भुगतकर फिर ये यमदूत सड़कों पर उतर आते है। पिछले कुछ माह में हुए हादसे भी इस बात का गवाह है कि चालकों की अनदेखी के कारण ही यह हादसे घटित होते है। आटो चालकों के शौक भी अलग-अलग है। एक तो बिना टेप-रिकार्डर इनकी गाड़ी आगे नहीं बढ़ती है। अब दिन-प्रतिदिन एक और नया शौक चढ़ गया है, जोकि इनमें यात्रा करने वालों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इन चालकों ने अपनी गाड़ियों में अब सीडी स्क्रीन लगानी शुरू कर दी है ताकि वह फिल्म देख सके। आटो चालक अपनी गाड़ियों को वीडियो कोच बनाने का मन बना चुके है, लेकिन इस तरफ न तो प्रशासन और न ही किसी बडे़ अधिकारी का ध्यान गया है। यदि यह स्क्रीन ऐसे ही लगती रही तो दुर्घटनाएं बढ़ने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा। जींद शहर में कई दर्जन ऐसे आटो देखे जा सकते है।

जिला जींद में ज्वार, बाजरा व कपास की फसल में धातुई हरे रंग का कीट

आज कल जिला जींद में कपास, बाजरा व ज्वार की फसलों में चमकीले हरे रंग का कीट नजर आ रहा है। आकार व बुनावट में यह भुंड गोबर वाले (गबरैला) भुंड से मिलताजुलता है। बाजरे की सिरट्टियों पर तो यह भुंड किसानों को दूर से दिखाई दे जाता है। बाजरे की सिरट्टियों पर इस के दर्शन होने पर आमतौर पर तीन काम होते हैं। एक -कीटनाशकों पर होने वाले खर्चे के रूप में किसानो की गोज पर डाका; दो -कीटनाशकों की बिक्री से डीलरों के यहाँ मुनाफे के रूप में लक्ष्मी का आगमन व तीन -कीटनाशकों के अवशेषों के रूप में लोगों की सेहत पर डाका। काश! किसानों को इस कीट की पहचान होती व इसकी भक्षण-क्षमता, भोजन-विविधता व प्रजनन्ता का ज्ञान होता? यह सबसे जरुरी काम किया- अनुपगढ के भूपेश व सुरेश नै, ईगराह के मनबीर, धर्मबीर व नरेंद्र नै, रूपगढ के राजेश व कुलदीप नै व निडाना के रत्तन, जिले, कप्तान, चन्द्र पाल व रणबीर नै। इन किसानों ने बताया की इस भुंड के मुखांग कुतर कर चबाने वाले होते हैं। इन किसानों ने आगे यह भी बताया की यह भुंड कपास, बाजरा व ज्वार के फूलों से पराग-कण खाकर गुजरा करता है। इन किसानों ने इस भुंड को ज्वार के बंद फुल खोल कर पराग-कण खाते अपनी आंखों से देखा है। इस लिए इस भुंड के शाकारी होने के बावजूद, इसका फसलों में लंबा-चौडा नुकशान नहीं होता। इन किसानों का साफ़ कहना है की इस भुंड का इन फसलों में इतना भी नुकशान नही होता जितना की हम इसके नियंत्रण के लिए कीटनाशकों पर खर्च देते हैं।

20.9.09

अवैध वाहनो से सरकार को करोड़ों का नुकसान

जींद:-जिले में चल रहे अवैध वाहनों पर रोक न लगने से जहां सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है, वहीं पर इस मामले में प्रशासन पर भी सवालिया निशान लगाया जा रहा है। उधर अवैध वाहनों के कारण जिले में दुर्घटनाओं में भी आए दिन बढ़ोतरी हो रही है। इन वाहनों के चालकों की लापरवाही के चलते पिछले दो महीनों में शहर में एक दर्जन से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। याद रहे जिले में अवैध वाहनों का आवागमन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इनकी रोकथाम के लिए लोगों ने कई बार जिला प्रशासन को सचेत भी किया, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन अवैध वाहनों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा। वर्ष 2003 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मनजीत अहलावत ने अवैध वाहनों की रोकथाम के लिए जिले में कड़े कदम उठाए थे, लेकिन उन द्वारा उठाए गए कदम कुछ दिन ही चल पाए। अब फिर जिले में अवैध वाहनों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। शहर के कई लोगों का मानना है कि प्रशासन अवैध वाहनों को रोकने में ढुलमुल रवैया अपना रहा है। शहर के ईश्वर, कर्ण सिंह, ओमप्रकाश, रामदिया, प्रताप, रतन सिंह, प्रेम, प्रवीण, अशोक, सतवीर, विजय, सतीश, रामकिशन, शमशेर, रामकुमार, राजेंद्र, देशराज आदि ने कहा कि जब तक प्रशासन अवैध वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक इन पर रोक नहीं लग पाएगी। उन्होंने बताया कि अवैध वाहनों के मालिकों को कुछ ऐसे लोगों का संरक्षण हासिल है, जिसके चलते उन लोगों के हौसले बुलंद है। सबसे ज्यादा अवैध वाहनों का आवागमन जींद-जुलाना, जींद-सफीदों, जींद-असंध मार्ग के साथ-साथ जींद-उचाना मार्ग पर लगा रहता है। अवैध वाहनों के आवागमन के चलते सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये का चूना भी लग रहा है।