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14.6.09

चाँद और फिजा फिर साथ, फिर अलग, फिर...

दोस्तों उस समय जो अन्तिम पंक्ति हमने लिखी थी, वह वाकई सार्थक हो चुकी है कि इस अजीब कहानी का कल क्या होगा? आज जैसा कि आप सब जानते हैं वें फिर से अलग हो चुके हैं। हालाँकि यहाँ हम किसी धर्म विशेष को अपनाने या त्यागने की बात कतई नही कर रहे और ना ही इससे हमें कोई सरोकार है। बस सवाल ये है कि क्या ऐसे ड्रामेबाज़ लोगों को राजनीति में जगह मिलनी चाहिए? क्या राय है आपकी???
फ्लैश बैक:- हरियाणा के पूर्व डिप्टी सी एम चन्द्रमोहन बिश्नोई उनकी माशूका अनुराधा बाली के प्या के किस्से सभी बखूबी जानते हैं दोनों ने इस्लाम कुबूल करने के बाद अपने नाम बदल लिए चंद्रमोहन जहाँ चाँद मोम्मद बन गए, वहीँ अनुराधा बाली फिज़ा मोहम्मद हो गईं कहा जाता है कि दूसरी शादी करने के लिए इन्होने अपना धर्म परिवर्तित किया यानि हिंदू से मुसलमान हो गए चाँद पहले से शादीशुदा है तो फिजा तलाक़शुदा है
दोनों की शादी हो गई और यह शादी इतनी मकबूल हुई कि दोनों की इस स्टोरी पर फ़िल्म तक बनने की तैयारी होने लगी परन्तु अचानक एक दिन पता नही क्यों चाँद, फिजा को सोती छोड़कर फुर्र हो गए फिजा ने चाँद पर अनेक आरोप जड़ दिए दोनों के बीच खटास इतनी बढ़ी कि आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला आम हो गया और दूरियां बढ़ती चली गईं यहाँ तक कि नौबत तलाक तक पहुँच गई
परन्तु आज इस स्टोरी में अचानक नया ट्विस्ट गया फिजा ने एक प्रेस कोंफ्रेंस बुलाई जहाँ चाँद मोहम्मद को देख मीडिया के लोग भी हैरान हो गए फिजा ने कहा कि मुझे मनाने के लिए पहले तो चाँद ने फोन किए और कुछ लोगों को भी भेजा था, उसके बाद आज सुबह बजे से स्वयं मेरे घर पर बैठे हैं
जब चाँद से फिजा के घर आने की वजह पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि मुझे बहकाया गया था यानि मै बहकावे में गया था और अब मै फिजा से माफी मांगने आया हूँ चाँद ने यह भी कहा कि उन्होंने फिजा को तलाक़ नही दिया था हालाँकि फिजा ने चाँद पर लगाए इलज़ामात को वापिस लेने बारे स्पष्ट नही किया सिर्फ़ कहा कि इस बारे सोचूंगी
आज तक की कहानी जो कल के अख़बारों में छपेगी, हमने आपको बता दी। इस अजीब कहानी का कल क्या होगा? खुदा जाने


10.6.09

यही सत्य है न इसे भूल जाना

 

 

कैसे बताएं कितनी सुहानी
होती है ये जीवन की कहानी ।।      
कोमल मनोहर परियो  की रानी
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ।।

ये छोटा सा तन जब होता मात्र एक अंश है……..
बस माता ही उसका करती पोषण है
बनता है बढ़ता , आकार धरता …….
दुनिया से पहले माता से जुड़ता ।।
माता ही धड़कन माता ही बोली ……
उसी के संग करता है कितनी ठिठोली
लेता  जन्म है , इस लोह्खंड सी दुनिया में रखता कदम है
बिना जाने समझे , की दुनिया की फितरत बड़ी वेरहम है  ।।

रोते बिलकते चले आते हो  तुम…..
जैसे किसी ने तुम पर ढाया   सितम है ।।
फिर नन्ही-नन्ही आँखों से संसार देखा ……
कुछ मस्ती भी की ……और ढेर  सारा रोया । 

नन्हे - नन्हे कदमो से नाप ली ये दुनिया ……
कहलाई सब की दुलारी सी गुडिया ।।
अपनी तोतली बोली से हर लिया सब का मन…..
घर बन गया खुशियो का उपवन …. ।।
कैसा मनोहर , ठुमकता, मटकता , किलकारी भरता……
होता है बचपन सब से अनोखा  ।।

कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........

कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
कितना कष्टकारी होता है वो दिन
जब माँ के बिना तडपता है ये दिल।।
उसे छोड़ कर स्कूल जाना
और नई दुनिया में अपनी हस्ती जमाना ।।
कॉपी-कितवो से खुद को बचना
और फिर नए दोस्तों में एक दुनिया बसाना।।
गुरु की कृपा से जीवन के अनमोल ज्ञान को पाना
कभी  डांट कर , कभी दुलार कर हमको पढ़ना।। 

बहुत याद आता है उनका चश्मा पुराना
हाथो में छड़ी  , और मन में करूणा छुपना ।।
वो यारो  संग मस्ती , हमेशा साथ खाना  
वो मिलना मिलना , वो हसना हसाना  ।।

कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........

कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............

जीवन की इतनी अवस्थायें पार  कर के ….
जवानी की खूबसूरत दहलीज पर आना ।।
मन में उमंगें ...... लवो पर तराने ……
कितने ही किस्से............ नए और पुराने ।।
फिर मोड़ आता है ऐसा सुहाना।
जब मन हो जाता है किसी का दीवाना ।।
उसी के सपने , उसी की बातें , उसी की यादें
हमेशा उसे याद रखना और खुद को भी भूल जाना ।।
उसी की तस्वीर मन में सजाना ……….

और उसे पाने को कुछ भी कर गुज़र जाना ।।

फिर भरी आंख लेकर ससुराल जाना 
नये सारे रिश्ते नये सारे नाते  निभाना ।।
उन सब से अपना तालमेल बिठाना 
घर,परिवार , नाते , रिश्तो का एक दम से बदल जाना  ।।
जिम्मेदारी उठाना , वो घर का चलाना 

घड़ी भर को भी फुरसत न पाना ।। 
माँ , भाभी , मामी , बुआ , चाची और बहु जैसे ….
उपनाम पाना और खुद का ही नाम कहीं धुधला पड़ जाना  ।।  

कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........

कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............

फिर आ जाता  है जीवन का अंतिम ठिकाना 
जिसे आज तक किसीने न चाहा ।।
अकेला बुढ़ापा , जिसे कभी छोड कर न जाना। 
ये ऐसा शाखा है जो अंत तक है रिश्ता निभाता।।
बाँकी सभी को है पीछे छूट जाना 
यही वो अवस्था जिसने सब कुछ नश्वर बनाया ।।
छणभंगुर है सब कुछ हमको सिखाया 
एक हिलती सी कुर्सी , एक हिलती सी लाठी  ।।
एक अकेला सा कमरा , जहाँ नही कोई अपना। 
झूकी सी कमर और चहरे पर झुरियो की कहानी।। 
पल पल सिसकना , फिर भी मुस्करना।

बुझते दियो में सपने सजाना।।

कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........

कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............

फिर आ जाता है आपनो का बुलावा  
और पीछे छूट जाता है सारा जमाना ।।
पल भर में ही सब नश्वर हो जाता 
न रिश्ता, न नाता , न जवानी , न बुढ़ापा।। 
बस! उस शून्य से आकर उसी में समा जाना 
रोता रहता है पीछे संसार सारा।। 
पर तेरा तो तेरे शून्य में ही ठिकाना 
उसी से बना फिर उसी में मिल जाना।। 
इस रंगमंच को छोड कर उस ईश्वर में समा जाना। 
पञ्च तत्वो की इस देह का मिट्टी में मिल जाना  ।।
और आत्मा -परमात्मा का मिलना मिलाना
जिस के थे अंश उसी में मिल जाना ।।
बस उसी अंश का चक्कर चलते है जाना 

यही सत्य है न इसे भूल जाना

कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........

कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी ............ .

8.6.09

नेटप्रेस एक साँझा मंच है.

प्रिय पाठको, जीवन में अनायास ही कभी ऐसा समय आ जाता है, जब हम अपने आपको बेहद व्यस्त पाते हैं। आजकल मै ऐसे ही दौर से गुज़र रहा हूँ। इसलिए नेटप्रेस को अपेक्षित समय नहीं दे पा रहा हूँ।
परन्तु दोस्तों, नेटप्रेस तो मेरा, आपका बल्कि कहना चाहिए कि हम सबका एक साँझा मंच है। बतौर पाठक तो आप इससे जुड़ ही चुके हैं। निवेदन है कि लेखक के रूप में भी जुड़िये।
आप चाहें तो अपने क्षेत्र की घटनाएं चित्रों सहित यहाँ छाप सकते हैं। मतलब आप एक रिपोर्टर के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
आप अपने विचारों को अच्छी सी शब्दावली देकर नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं। कहने का अर्थ है कि न्यूज़, व्यूज़ और मनोरंजन से सम्बन्धित कुछ भी, परन्तु अच्छे स्तर की सामग्री का यहाँ सदैव स्वागत है। जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूती तस्वीरें शीर्षक के साथ भेज सकते हैं।
तो कृपया मोबाइल नम्बर सहित अपना संक्षिप्त ब्यौरा
akbar.khan.rana@gmail.com पर शीघ्र भेज दीजिये। ताकि आपको आमन्त्रण भेजा जा सके। धन्यवाद!

3.6.09

भारत सब कुछ कर सकता है.

स्वाइन फ्लू की गंभीरता को देखते हुये भारत सरकार ने इसके लिये वैक्सीन विकसित करने का फैसला लिया है। दिल्ली में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इस खतरनाक बीमारी की वैक्सीन विकसित करने के लिये जरूरी ढांचा तैयार करने को मंजूरी दे दी गई। बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिज़ीज, सीरम इन्स्टीट्यूट, विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ दवा निर्माता कंपनियों के अधिकारी शामिल थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के शोध विभाग के सचिव वीएन कटोच ने बताया कि सरकार ने स्वाइन फ्लू से निपटने के लिये एक तात्कालिक और एक दीर्घकालीन योजना बनाई है। दीर्घकालीन योजना में इसका टीका विकसित करना और चुने हुये जनसमूह के टीकाकरण करने की योजना है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के अटलॉन्टा स्थित सेंटर फ़ॉर डिज़ीज कंट्रोल (सीडीसी) से एचवन-एनवन वॉइरस का नमूना मंगाया जाएगा ताकि शोध कार्य को आगे बढ़ाया जा सके। जल्दी ही शोध कार्य के लिये टीम का चयन पूरा कर लिया जायेगा जिसमें दवा निर्माता कंपनियां भी शामिल होंगी। यद्यपि भारत में स्वाइन फ्लू के एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई हैलेकिन दुनिया के कई देशों में इस बीमारी के बेहद तेजी से फैलने से सरकार हरकत में आ गई है।
अगर देखा जाए तो भारत क्या नही कर सकता? आवश्यकता है तो सिर्फ़ दृढ़ संकल्प की। भारत सब कुछ कर सकता है।

29.5.09

आज कल शहर में

आज कल शहर में, सन्नाटे बहुत गहरे हुए जाते हैं

कोई रोको हमे कि हम, अब प्यार में दीवाने हुए जाते है ।।

तेरे ख्याल बस अब मेरे, जीने के सहारे हुए जाते है

वरना आज कल तो खुद ही हम, खुद से बेगाने हुए जाते है ।।

ज़िन्दगी ले चली है, हमे जाने किस मोड़ पर।

अब तो रास्ते ही मेरे, ठिकाने हुए जाते है ।।

मोहब्बत का करम है, जो मुझे ये किस्मत बक्शी

अब तो बातो- में जाने ,कितने फसाने हुए जाते हैं॥

चंद लम्हो में मिली है, जो दौलत हम को

इतने नशे में है, कि मयखाने हुए जाते हैं॥

मेरी बातों को हसी में लेना, मैं सच कहती हूँ

कि अब हर खुशी के आप ही, बहाने हुए जाते हैं ।।

रुकी-रुकी सी नदी थी, ये ज़िन्दगी मेरी

अब तो रुकना-ठहरना लगता है, अफ़साने हुए जाते हैं॥

27.5.09

स्वराज्य और लोकतन्त्र को बचाने की कीमत !

हमारे मित्र श्री अमित श्रीवास्तव ने फेस बुक पर यह पोस्ट लिखी, मुझे लगा आपके साथ भी शेयर करुँ. तो लीजिये पढिये:
सुकरात लोगों से एक के बाद एक प्रश्न पूछता था और उनसे जवाब पाने की कोशिश करता था। फिर हँसता हुआ कहता था, ‘‘सज्जनों, जूता सिलवाना हो तो तुम मोची के पास जाते हो, मकान बनवाना हो तो मिस्त्री की मदद लेते हो। फर्नीचर बनवाना हो तो बढ़ई को काम सौंपते हो। बीमार पड़ने पर डॉक्टरों की सलाह लेते हो। किसी झमेले में फँस जाते हो तब वकीलों के पास दौड़ते हो। क्यों ? ये सब लोग अपने-अपने क्षेत्र के जानकार हैं इसीलिए न ? फिर बताओ, राजकाज तुम ‘किसी के भी’ हाथ में कैसे सौंप देते हो ? क्या राजकाज चलाने के लिए जानकारों की जरूरत नहीं होती ? ऐरे-गैरों से काम चल सकता है ?’’
स्वराज्य में हमने लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं में ‘किसी को भी’ भेज दिया, ‘किसी को भी’ मन्त्री बना दिया। हमने उनका अनुभव वगैरह कुछ नहीं देखा। देखी सिर्फ उनकी जाति या उनका धर्म। नतीजा-मौजूदा सरकार से पहले की सरकार अच्छी थी, उससे अच्छी उससे पहले की थी, यह कहते-कहते अन्त में सबसे अच्छी अँग्रेजों की थी, इस नतीजे पर आ पहुँचते हैं।
लोकतन्त्र को बचाना हो तो किसी-न-किसी को समाज में सुकरात की भूमिका निभानी ही होगी। लोगों से प्रश्न पूछ-पूछकर उन्हें सजग करने का काम करना होगा। हो सकता है, लोगों को वह असहनीय मालूम हो और लोग उसे जहर पिलाने के लिए उद्यत हो जाएँ।
लेकिन यह कीमत हमें स्वराज्य और लोकतन्त्र को बचाने के लिए चुकानी ही होगी।

---- 'पतझर में टूटी पत्तियाँ' द्वारा रवीन्द्र केलेकर, (पुस्तक का अंश )

26.5.09

धर्म के नाम पर दंगा.

ऑस्ट्रिया के वियना में धार्मिक संप्रदाय डेरा सच्च खंड के गुरुद्वारे में एक सभा के दौरान रविवार को हमले किये गये। हमलों में संत निरंजन दास और रामानंद सहित 30 लोग घायल हो गये थे. बाद में संत रामानंद की मौत हो गयी. संत रामानंद जालंधर- पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बल्लां गांव के गुरुद्वारे के प्रमुख थे. वह भारत से वहां गये थे.
० संत रामानंद की मौत के बाद पंजाब के अनेक क्षेत्रों में हिंसा भड़क उठी।
० जालंधर, लुधियाना और फ़गवाड़ा में जबरदस्त हिंसा।
० कर्फ्यू लगा।
० संवेदनशील क्षेत्रों में सेना तैनात।
० प्रदर्शनकारियों द्वारा ट्रेनों पर पथराव आगजनी
० प्रशासन ने जालंधर आने-जाने वाली ट्रेनों को स्थगित किया
० पुलिस फायरिंग से मौतें
० लाठीचार्ज में कई लोगों को चोटें।
० पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल।
० प्रदर्शनकारियों द्वारा एक पेट्रोल पंप में तोड़फ़ोड़।
० कारों, स्कूटरों, मोटरसाइकलों और अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया
० दिल्ली-लाहौर बस को लुधियाना में रोककर पुलिस की कड़ी सुरक्षा में रखा गया।
० अमृतसर, फिरोजपुर पटियाला से भी अप्रिय घटनाओं की सूचनाएं।
० स्थिति तनावपूर्ण।
इन
दंगों के कारण कईं बार इस समाज का ऐसा स्थान रिक्त हो जाता है, जिसकी भरपाई कभी नही हो पाती। किसी का वो खो जाता है, जो उसे कभी नही मिलता। समाज की वो धरोहरें निश्तो नाबूद कर दी जाती हैं, जो कभी नही बन पाती। क्योंकि उसका पुरातन ही उसकी शान है। क्या यह काम कट्टर धार्मिक लोगों का है? कदापि नहीं। क्योंकि कट्टरता से अपने धर्म पर चलने वाला व्यक्ति ऐसा घिनोना कृत्य कर ही नहीं सकता। कोई भी धर्म बेकसूरों को मारने की इजाज़त नही देता। ऐसे काम तो वो लोग करते हैं, जिनका मकसद धर्म के नाम पर दंगा करना होता है