15.9.11
13.9.11
यादों के झरोखों में झांकिए एक बार हीं सही
भारतीय जन नाट्य संघ की उत्तर प्रदेश इकाई और लोकसंघर्ष पत्रिका के तत्वावधान में दिनांक ११.०९.२०११ को लखनऊ के कैसरबाग स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में सहारा इंडिया परिवार के अधिशासी निदेशक श्री डी. के. श्रीवास्तव के कर कमलों द्वारा मेरी सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास “ का लोकार्पण हुआ । इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक श्री मुद्रा राक्षस, दैनिक जनसंदेश टाइम्स के मुख्य संपादक डा. सुभाष राय, वरिष्ठ साहित्यकार श्री विरेन्द्र यादव, श्री शकील सिद्दीकी, रंगकर्मी राकेश जी,पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री महेश चन्द्र द्विवेदी, साहित्यकार डा. गिरिराज शरण अग्रवाल आदि उपस्थित थे ।
प्रस्तुत है समारोह की कुछ झलकियाँ :
ब्लॉगर हेमंत,रणधीर सिंह सुमन और पुष्पेन्द्र कुमार सिंह
लोकार्पण से पूर्व अतिथि गृह में वार्ता करते हुए नाट्यकर्मी राकेश जी,
साहित्यकार सुरेन्द्र विक्रम और वरिष्ठ आलोचक विरेन्द्र यादव
सभागार में स्थान ग्रहण करते प्रतिभागीगण
श्री राकेश जी स्मृति चिन्ह से सम्मानित
साहित्यकार सुरेन्द्र विक्रम और वरिष्ठ आलोचक विरेन्द्र यादव
सभागार में स्थान ग्रहण करते प्रतिभागीगण
श्री राकेश जी स्मृति चिन्ह से सम्मानित
श्री मुद्रा राक्षस जी स्मृति चिन्ह से सम्मानित
श्री डी. के. श्रीवास्तव जी स्मृति चिन्ह से सम्मानित
विचार व्यक्त करते हुए श्री डी. के. श्रीवास्तव जी
विचार व्यक्त करते हुए डा. सुभाष राय
डा.अरविन्द मिश्र,हेमंत आदि
सभागार में उपस्थित मीडिया और शहर के गणमान्य व्यक्ति
सभागार में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
संचालन करते हुए डा. विनय दास
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए रवीन्द्र प्रभात
7.9.11
विचारों की मजलिसें...!!
( जनलोकपाल के लिए समाजसेवी अन्ना हजारे ने ' आज़ादी की दूसरी लड़ाई ' के नाम से जनांदोलन छेड़ दिया. व्यवस्था के भ्रष्टाचार से त्रस्त आम आदमी को एक उम्मीद की किरण नज़र आई और पूरे देश से अपार समर्थन मिला. पर, कुछ लोगों की नज़र में यह आन्दोलन लोकतंत्र विरोधी और संसदीय मर्यादा को ठेस पहुँचाने वाला था. कुल मिलाकर इस आन्दोलन ने दो तस्वीर पेश की. पहली यह कि सियासत ने हमें इस कदर विभाजित कर दिया है कि हम सामूहिक रूप से किसी जनसमस्या पर एकजुट होकर आवाज़ भी बुलंद नहीं कर सकते हैं. दूसरी यह कि एक चींटी यदि यह ठान ले तो बड़े से बड़े हाथी को घुटने टेकने पर मजबूर कर देती है )
विचारों की मजलिसें लगी हैं
कुछ '' मुचकुंदियों '' की भीड़
रामलीला मैदान में
सड़ी व्यवस्था सुधारने को
राजा बन बैठे अपने सेवक को
उसका कर्तव्य याद दिलाने को
अनशन पर बैठी है .
कुछ '' मुचकुंदियों '' की भीड़
सड़कों पर वन्दे मातरम, इन्कलाब जिंदाबाद
के नारे लगा रही है.
विचारों की मजलिस में सब
माथापच्ची कर रहे हैं...
कालिया कमल पर
पंजीरी पंजे पर
सरौता साइकिल पर
लुटिया लालटेन पर
हरिया हाथी पर
हल्दिया हंसिया-हथौड़ा पर
घुँघरू घडी पर
पखिया पट्टी पर
बैठकर सब अपनी-अपनी
आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं.
उधर,
जनता के ठेकेदार
संसद में बैठकर
संविधान की दुहाई दे रहे हैं
संसद की गरिमा के खिलाफ
आन्दोलन को हवा दे रहे हैं.
सत्ता का सरदार मौन है!!!
सब दिख रहा है
स्क्रीन पर
जनता के हित में कौन है.
और
कुछ '' मुचकुंदियों '' की भीड़
इस आन्दोलन को
अमेरिका फंडेड बता रहे हैं.
उन्हें दर सता रहा है
कि सालों से सियासत की रोटी
जिस चूल्हे पक रही थी
उस चूल्हे से ये कैसी
चिंगारी भड़क उठी?
जो शोषित चूल्हों
की आवाज़ बुलंद कर रहा है.
सत्ता के सरदार ने
अपने सिपहसालारों को
उस आवाज़ को दबाने का
फरमान जारी कर दिया है.
दूसरी तरफ
एक चूहा छोड़ दिया है.
जिसे सन सैंतालिस के पहले
अंग्रेजों ने छोड़ा था
और
सन सैंतालिस के बाद
काले अंग्रेजों ने सियासत को
चमकाने के लिए छोड़ दिया है.
एक चिंगारी
धीरे-धीरे शोला में तब्दील हो चुकी है.
सियासत उसके खिलाफ गोलबंद हो चुकी है.
आज़ादी की दूसरी लड़ाई को
विफल करने के लिए
सियासत
सियासी चश्मे बाँट रही है.
आह!
हमारे दिल
कितने दलों में बंट गए हैं.
जिसे हमने अपनी
सुरक्षा और विकास के लिए
कुर्सी पर बिठाया
वही सेवक
हमें बांटकर
अपनी तिजोरियां भर रहा है.
अफ़सोस!
कि हम उससे पूछ भी नहीं सकते
कि बताओ, हमारे हिस्से की रोटी
तुमने किसको खिलाई??
चौसठ साल हो गए
भारत पहले मोड़ पर
ठिठका है
और
इंडिया दौड़ रहा है.
इसका जवाब तो
अब देना ही पडेगा.
दल चाहे जितने खड़े कर लो
अब तुम और दिल न बाँट पाओगे.
ये गाँठ बांध लो
कल भी सेवक थे
आज भी सेवक हो
कल भी सेवक कहलाओगे.
फ़र्ज़ से जब भी भटकोगे
कर्म से जब भी मुंह मोड़ोगे
एक चिंगारी भड़केगी
शोला बन रामलीला मैदान में दहकेगी
और
तुम्हारी सत्ता को जलाकर राख कर देगी.
क्योंकि जनक्रांति रोज-रोज नहीं हुआ करती है.
जब सत्ता के सरौते
जनता के हितों और अधिकारों पर
हद से ज्यादा चलने लगते हैं
तो जन-ज्वार उठता है
और
सत्ता के मद को मटियामेट कर देता है.
जय हिंद...!
प्रबल प्रताप सिंह
6.9.11
भीख मांगने को मजबूर हो गए हैं पैंशनधारक
सफीदों (हरियाणा) : जिन लोगों का गुजारा सरकार से प्राप्त होने वाली पैंशन से हो रहा था अब वे पैंशनधारक सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर हो गए है। इन भीख मांगने वाले लोगों में गरीब, बेसहारा, अपंग व विधवाएं हैं। सफीदों क्षेत्र में पिछले ब् महीने से पैंशन का वितरण नहीं हुआ है। जिसकी वजह से क्षेत्र के दर्जनों बेसहारा वृद्ध एवं विधवाएं दवाईयों तक के पैसों तक के लिए मोहताज हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि सफीदों क्षेत्र में दर्जनों ऐसे गरीब, बेसहारा, अपंग व विधवाएं हैं जिनका गुजरबसर केवल पैंशन के सहारे पर ही है। चाहे घर का राशन लाने की बात हो या दवाईयां लाने की बात हो सब कुछ पैंशन पर ही निर्धारित है। ऐसे में अगर उन लोगों को पैंशन समय पर ना मिले तो उन लोगों का जीवन यापन ही मुश्किल हो जाता है। ऐसे लोग पैंशन आने की इंतजार में उधार लेकर भी कई महीने गुजार चुके हैं। उधार के पैसे ना लौटा पाने के कारण अब इन लोगों को कोई भी दुकानदार उधार भी नहीं दे रहा है। उधार भी नहीं मिल पाने के कारण अब इन लोगों ने भीख मांगने का रास्ता अखतियार कर लिया है। राह चलते किसी भी व्यक्ति से पैसे मांगने तक की नौबत आ गई है। ये लोग अपनेअपने वार्डों से संबंधित पार्षदों, पक्ष व विपक्ष के नेताओं व नगरपालिका के चक्कर लगा चुके हैं लेकिन कहीं से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आखिरकार उन्हें भूखे मरने की नौबत आ गई है। सैंकड़ों पैंशनधारक अपने पहचान पत्र बनवाने के लिए धक्के खाते फिर रहे हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार द्वारा निर्देश जारी किए गए थे कि फ्क् अगस्त तक सभी पैंशन धारकों के पहचान पत्र बन जाने चाहिए तथा जिन पैंशन धारकों के पहचान पत्र होंगे केवल उन्ही को ही पैंशन प्राप्त होगी लेकिन अभी तक भी पैंशन धारकों के पहचान पत्र नहीं बन पाए हैं। इस मामले में पैंशन ठेकेदार व समाज कल्याण विभाग के अधिकारी अलगअलग भाष बोल रहे हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी जींद ने इस बात की पुष्टि की है कि पहचान पत्र बनवाने की सरकार द्वारा निर्धारित तिथि फ्क् अगस्त थी लेकिन पैंशन ठेकेदार धर्मबीर का कहना है कि पहचान पत्र बनाने के लिए फोटोग्राफी का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा। पैंशन के इस काम में कोई भी पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। इस मामले में सब अलगअलग ही बोल रहे हैं। सरकार ने यहां तक के निर्देश दिए है कि पैंशनरों को पैंशन याज सहित दी जानी चाहिए। इस संदर्भ में क्षेत्र के पैंशन पीड़ित लोगों से बात की गई तो उन में से मेवा सिंह (लाचार व अपंग), महेंद्र कौर (विधवा व अंधी), सुभाष (बीमार), धन्नो देवी (विधवा), उर्मिला (विधवा), भरपाई देवी (विधवा), कस्तूरी देवी, खजानी देवी (विधवा) व कृष्णा (विधवा) सहित अन्य पैंशनरों का कहना है कि यहां तो मूलधन का ही झगड़ा पड़ा हुआ है, बयाज तो बहुत दूर की बात है। पैंशन ही एकमात्र उनका एक सहारा है। पैंशन के बिना उनका गुजरबसर करना मुश्किल हो गया है। सरकार पहले पैंशन देने की फिक्र करव्ं उसके बाद याज की फिक्र करे। उन्हें पैंशन समय पर न मिलने से न सिर्फ उनकी दिनचर्या प्रभावित हुई अपितू उनकी बिमारी का ईलाज भी अब ठीक से नही हो रहा है। इस मामले को सफीदों के पूर्व पालिका प्रधान एवं जिला कष्ट निवारण समिति के सदस्य राकेश जैन ने गभीरता से लेते हुए पीड़ितों का दर्द समाज कल्याण अधिकारी तक पहुंचाया। उन्होंने इस बारव् में समाज कल्याण अधिकारी से बातचीत की तो उनका कहना है कि पैंशन ठेकेदार उनकी बात नहीं सुनता है। यहां तक कि ठेकेदार उनका फोन भी नहीं उठाता है। राकेश जैन का कहना है कि सरकार ने पैंशन में पारदर्शिता लाने के लिए बैंको के माध्यम से इसका वितरण करना सुनिश्चित किया था लेकिन पैंशन बांटने वाले ठेकेदार व समाज कल्याण विभाग के अधिकारी इस योजना को सिरव् नहीं चढ़ने देना चाहते हैं। यह सरकार को बदनाम करने की बहुत बड़ी साजिश है। सरकार को चाहिए कि वे इस मामले को सख्ती से ले।
5.9.11
हाथी के दांत (लघु कथा)
3.9.11
1.9.11
ईद को मनाया जाता है सदभावना दिवस के रूप में
हरियाणा के सफीदों हलके के गाव छापर में ईद को सदभावना दिवस के रूप में मनाया जाता है ! यहाँ पर खास बात्त यह है की आमंत्रण देने वाला मुस्लिम होता है लेकिन आमंत्रित सभी हिन्दू भाई होते है ! यहा पर हर साल राजपूत बिरादरी से सम्बंधित अकबर खान ईद की खुशियों को अपने दोस्तों के साथ मिलकर धूमधाम के साथ मनाते है! उनके ये सभी हिन्दू दोस्त रमजान शुरु होते ही ईद के दिन गिनते रहते है! ईद के दिन गिने भी क्यों नहीं क्योकि अकबर जी घर बनने वालें लजीज पकवानों की महक किसी को भी नहीं रोक पाती! अकबर खान के घर पर सभी आपस में गले मिलकर ईद की बधाई देते है तथा सभी लोग एक स्थान पर बैठकर लजीज पकवानों का मजा लेते है ! उसके बाद गीत संगीत का प्रोग्राम होता है! इस गीत संगीत के प्रोग्राम में धार्मिक और देस भक्ति के गीत कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाते है! कुछ लोगो के अनुरोध पर फ़िल्मी व् गजल भी प्रस्तुत होती है! अकबर खान राणा का कहना है कि इस संसार मे कोई छोटा या बड़ा नहीं है! सभी बन्दे भगवान् के बनाये हुए है! कोई भी धर्म बुरा नहीं है! सभी धर्म आपसी सदभाव व् भाईचारे की सीख देते है! उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के लोगो को किसी के बहकावे में आए बिना आपसी सदभाव के साथ रहना चाहिए! यह नहीं हँ की अकबर खान सिर्फ ईद ही मनाते है बल्कि वे दीपावली को भी धूमधाम से मनाते है! अकबर का कहना है कि श्री राम हमारें पूर्वज है! दीपावली के दिन श्री राम वनवास भोगकर वापिस अयोध्या वापिस आये थे! जितनी ख़ुशी उस दिन हुई थी उतनी ही ख़ुशी आज भी होती है!