5.9.11
हाथी के दांत (लघु कथा)
3.9.11
1.9.11
ईद को मनाया जाता है सदभावना दिवस के रूप में
हरियाणा के सफीदों हलके के गाव छापर में ईद को सदभावना दिवस के रूप में मनाया जाता है ! यहाँ पर खास बात्त यह है की आमंत्रण देने वाला मुस्लिम होता है लेकिन आमंत्रित सभी हिन्दू भाई होते है ! यहा पर हर साल राजपूत बिरादरी से सम्बंधित अकबर खान ईद की खुशियों को अपने दोस्तों के साथ मिलकर धूमधाम के साथ मनाते है! उनके ये सभी हिन्दू दोस्त रमजान शुरु होते ही ईद के दिन गिनते रहते है! ईद के दिन गिने भी क्यों नहीं क्योकि अकबर जी घर बनने वालें लजीज पकवानों की महक किसी को भी नहीं रोक पाती! अकबर खान के घर पर सभी आपस में गले मिलकर ईद की बधाई देते है तथा सभी लोग एक स्थान पर बैठकर लजीज पकवानों का मजा लेते है ! उसके बाद गीत संगीत का प्रोग्राम होता है! इस गीत संगीत के प्रोग्राम में धार्मिक और देस भक्ति के गीत कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाते है! कुछ लोगो के अनुरोध पर फ़िल्मी व् गजल भी प्रस्तुत होती है! अकबर खान राणा का कहना है कि इस संसार मे कोई छोटा या बड़ा नहीं है! सभी बन्दे भगवान् के बनाये हुए है! कोई भी धर्म बुरा नहीं है! सभी धर्म आपसी सदभाव व् भाईचारे की सीख देते है! उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के लोगो को किसी के बहकावे में आए बिना आपसी सदभाव के साथ रहना चाहिए! यह नहीं हँ की अकबर खान सिर्फ ईद ही मनाते है बल्कि वे दीपावली को भी धूमधाम से मनाते है! अकबर का कहना है कि श्री राम हमारें पूर्वज है! दीपावली के दिन श्री राम वनवास भोगकर वापिस अयोध्या वापिस आये थे! जितनी ख़ुशी उस दिन हुई थी उतनी ही ख़ुशी आज भी होती है!
31.8.11
30.8.11
एक पत्र अन्ना के नाम
प्यारे अन्ना हजारे जी
सादर अनशनस्ते
23.8.11
22.8.11
जन-गण के अन्ना...!
अन्ना के पवित्र व प्रभावी जनआन्दोलन को नायाब फ़िल्मी गीतों के
श्रद्धा सुमन...
( गीत -एक )
आ जाओ कि अन्ना के साथ मिल के दुआ मांगे.
भ्रस्टाचार मुक्त जहां चाहें, चाहत में वफ़ा मांगे.
जनलोकपाल बनने में अब देर न हो मालिक.
भ्रष्टाचारियों के ये रेले न हो मालिक.
एक तू ही अन्ना जिस पर भरोसा
एक तू ही अन्ना जिसका सहारा
भ्रष्टों के जहां में नहीं कोई हमारा
हे अन्ना लगा छन्ना
जन -गण तेरे साथ रे...
अन्ना से न देखा जाए
भ्रष्टाचारियों का जहां
उजड़े हुए भारत में तड़प रहे कई अन्ना
नन्हीं जिस्मों के टुकड़ों
लिए ६४ सालों से खड़ी है भारत माँ
भ्रष्टों की भीड़ में
गरीब बच पाए कहाँ
नादाँ हैं हम तो मालिक
क्यों दी ग़ुरबत की सज़ा
क्या है सफेदपोशों के दिल में
भ्रष्टता का ज़हर भरा
इन्हें फिर से याद दिला दे
अन्ना सबक आज़ादी का
बन जाए जनलोकपाल
जल जाए भ्रष्टों की दुनिया.
हे अन्ना लगा छन्ना
जन -गण तेरे साथ रे...
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( गीत-दो )
अन्ना की तमन्ना है कि जनलोकपाल बन जाए
चाहे भ्रष्टों की जान जाए चाहे संसद थम जाए.
ओ ए लो रा रा रू...
अन्ना तो पहले ही देश का हो चुका
देशवासियों के दर्द में खो चुका
भ्रष्टों की आँखों में शूल बन चुका
अन्ना रख दे जो हाथ
फिर भ्रष्टाचार दब जाए.
चाहे...
रिश्वत तो देते हैं लेते हैं भ्रष्ट हर बार
हुआ क्या गरीबों का भर लिया घर-बार
भ्रष्टों को तोड़ दे
पूरे देश को जोड़ दे
अपनी जगह से कैसे अन्ना हिल जाये
चाहे...
भूला ना अन्ना को भ्रष्टाचार
हो सके तो तू जनलोकपाल बना...
न लडूं मैं तो अन्ना नहीं मेरा नाम
नेताओं की कोरी बातों से
अनशन कैसे टल जाए...
चाहे...
वन्दे मातरम...!!
प्रबल प्रताप सिंह