4:33 pm
Sumit Pratap Singh
प्यारे कबाड़ी चाचू
सादर धूर्तस्ते
तुमने हम सब के लिए इतना कुछ किया है की उन कार्यों का सम्मान करते हुए तुम्हें यह पत्र लिख रहे हैं. हमें याद है कि जब हम बचपन और जवानी के पलों को जी रहे थे तब तुम हमारे जीवन में पधारे थे. जब घर का छोटा-मोटा कबाड़ा तुम्हें बेचने के लिए हम आते थे तो तुम अपनी मधुर मुस्कान, जो वास्तव में बहुत कुटिल थी, से हमारा स्वागत करते थे..आगे पढ़ें
1:48 pm
मेरी आवाज सुनो
आज की महाभारत...!!
( स्रोत---मुंबई हैंग आउट )
प्रबल प्रताप सिंह
9:58 am
Sumit Pratap Singh
प्यारे प्रधानमंत्री जी
सादर अनभिग्यस्ते
आपको यह पत्र पढ़ने का कष्ट उठाना पड़ रहा है इसके लिए क्षमा चाहते हैं. किन्तु क्या करें हमारी विवशता थी सो आपको यह पत्र लिखना पड़ा. वैसे तो हमें खेती के कार्यों से ही समय नहीं मिलता जो किसी को पत्र लिखें परन्तु यह भी अंत्यंत आवश्यक था कि आपकी आँखों पर पड़े पर्दे को इस पत्र द्वारा हटाने का प्रयास किया जाये. प्रधानमंत्री जी हालांकि अपना देश भारत एक कृषि प्रधान देश है किन्तु फिर भी इस देश में हम किसानों की स्थिति दिन-प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है...आगे पढ़ें
9:05 am
अबयज़ ख़ान
जून का तीसरा इतवार... दुनियाभर केबच्चों के लिए फादर्स डे.. लेकिन इसी जून की पहली तारीख मेरे पप्पा को मुझसे छीनकर ले गई। एकपल को ऐसा लगा जैसे सबकुछ ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। ऐसा लगा जैसे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई हो। शायद मेरे घर को किसी की नज़र लग गई.. हमेशा मुस्कुराने वाले मेरे पप्पा बड़े चुपके से हमें छोड़कर चलते बने। ग़म तो यह कि हमसे कुछ कहा भी नहीं। मेरे प्यारे पप्पा जब मेरे सिर सेहरा सजाने का ख्वाब देख रहे थे, तभी मौत आई और ज़िंदगी को धोखा देकर पप्पा को मुझसे छीनकर ले गई। पप्पा की गोद में सोने वाले अब पप्पा से मीलों दूर थे। पप्पा अब भी खुश थे.. लेकिन अब उनकी आंखे नम थीं.. क्योंकि बच्चे अब सचमुच बड़े हो गए थे... और उनसे बहुत दूर भी हो गए थे। और मेरे प्यारे पप्पा फिर से अकले हो गए।
http://abyazk.blogspot.com/2011/06/blog-post.html
9:59 am
Sumit Pratap Singh
प्यारे भारतीय किसान
सादर क़र्ज़स्ते!
कल तुम्हारा किसान साथी छज्जू राम पेड़ पर फ़ासी लगा कर क्या मरा पूरे सूबे में ही मानो फ़ासी झूलने की बीमारी छूत की भांति फ़ैल गई. प्रशासन भी सकते में आ गया और आला अधिकारियों में भी हडकंप सा मच गया तो मन किया कि एक पत्र लिखकर तुम्हारे दुखों पर मरहम लगाने का कुछ प्रयास कर लूं. हम सभी का दिल बहुत दुखता है जब तुम्हारे किसान बंधु एक झटके में ही अपनी जान दे देते हैं. अब तुम जो अपनी दुःख भरी कहानी सुनाओगे उसे मै...आगे पढ़ें...
1:40 pm
Gauri
चिंतन मेरे मन का: मैं राहुल बाबा: "अगर राहुल जी से आज सच बोलने को कहा जाये और वे आंखे बंद करके सच कहने का फैसला करें तो कुछ इस तरह सच सामने आएगा - एक चिंतन कांग्रेसियों का..."
2:09 pm
Sumit Pratap Singh
आदरणीय जाति प्रथा
सादर बाँटस्ते
आज की परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए आपको यह पत्र लिख रहा हूँ. ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में विराट द्वारा आपकी उत्पति की गयी थी. जिसमें कहा गया था की ब्राम्हण परम-पुरुष के मुख से, क्षत्रिय उनकी भुजाओं से, वैश्य उनकी जंघाओं से तथा शूद्र उनके पैरों उत्पन्न हुए थे तथा इन सभी के कार्य भी क्रमश शिक्षा देना, युद्ध करना, खेती करना तथा चौथे वर्ण का कार्य तीनों वर्णों की सेवा करना था. सही मायने में देखा जाए तो आर्यों ने ऋग्वेदिक काल में सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्यों का वैज्ञानिक आधार पर...आगे पढ़ें