9:59 am
Sumit Pratap Singh
प्यारे भारतीय किसानसादर क़र्ज़स्ते!कल तुम्हारा किसान साथी छज्जू राम पेड़ पर फ़ासी लगा कर क्या मरा पूरे सूबे में ही मानो फ़ासी झूलने की बीमारी छूत की भांति फ़ैल गई. प्रशासन भी सकते में आ गया और आला अधिकारियों में भी हडकंप सा मच गया तो मन किया कि एक पत्र लिखकर तुम्हारे दुखों पर मरहम लगाने का कुछ प्रयास कर लूं. हम सभी का दिल बहुत दुखता है जब तुम्हारे किसान बंधु एक झटके में ही अपनी जान दे देते हैं. अब तुम जो अपनी दुःख भरी कहानी सुनाओगे उसे मै...आगे पढ़ें......
1:40 pm
Gauri
चिंतन मेरे मन का: मैं राहुल बाबा: "अगर राहुल जी से आज सच बोलने को कहा जाये और वे आंखे बंद करके सच कहने का फैसला करें तो कुछ इस तरह सच सामने आएगा - एक चिंतन कांग्रेसियों का....
2:09 pm
Sumit Pratap Singh
आदरणीय जाति प्रथा सादर बाँटस्तेआज की परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए आपको यह पत्र लिख रहा हूँ. ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में विराट द्वारा आपकी उत्पति की गयी थी. जिसमें कहा गया था की ब्राम्हण परम-पुरुष के मुख से, क्षत्रिय उनकी भुजाओं से, वैश्य उनकी जंघाओं से तथा शूद्र उनके पैरों उत्पन्न हुए थे तथा इन सभी के कार्य भी क्रमश शिक्षा देना, युद्ध करना, खेती करना तथा चौथे वर्ण का कार्य तीनों वर्णों की सेवा करना था. सही मायने में देखा जाए तो आर्यों ने ऋग्वेदिक काल में सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्यों का वैज्ञानिक...
3:03 pm
मेरी आवाज सुनो
बड़ा पत्रकार बनना है...!?
मुचकुंदीलाल को आज पूरे शहर में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों को कवर करने का निर्देश मिला है. मीटिंग ख़त्म होते ही रोजमर्रा की तरह मुचकुंदीलाल ऑफिस के पीछे पप्पू पानवाले की दुकान पर हिक१ भर धुंए के कुंए में डूब रहा है. फिर फील में जाएगा. उसके सिगरेट पीने के पीछे...
8:48 pm
Mahavir Mittal
मेरे मित्र श्री सतीश मंगला ने मुझे एक कविता भेजी है। मुझे वह कविता काफी पंसद आई। यह कविता मै आपके समक्ष रख रहा हुं। शायद आपको भी पसंद आए। कृप्या गौर फरमाएं..........आज भी नही हूँ भुला ...........................वो दोस्तो के साथ की हुई मस्ती ............वो छोटी सी गलियों वाली अपनी प्यारी सी बस्ती .................वो किसी को सताना वो किसी को मानना .....................वो किसी के इन्तेजार मे जब निगाहें थी तरसतीजब भी बैठ के सोचता हूँ वो पुरानी बातें ,वो बीते हुए लम्हे, वो गुजरी राते ..........न जाने कहाँ आ फंसा हूँ ये कैसा है समंदरहै उस पार...
5:07 pm
Sumit Pratap Singh
मासूम ने देखा कि बस में बहुत देर से एक महिला अपने बच्चे को गोद में लिए खड़ी थी तथा कठिनाई अनुभव कर रही थी .उसने दया कर उसे अपनी सीट दे दी. अगले स्टैंड पर दूसरी सीट भी खाली हो गई व मासूम उस महिला के बगल में ही बैठ गया. महिला मासूम द्वारा सीट देने के लिए उसके प्रति आभारी थी. बातों का सिलसिला शुरू हो गया. उस महिला के नैन -नक्श आकर्षित करने वाले थे. मासूम उसके रूप के आकर्षण में आगे पढ़े...