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15.5.11

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 ख्वाब एक हकीकत














ख्वाब है या कुछ और
ख्वाब ही सा लगता है.
बहरहाल, कुछ भी हो बड़ा हसीन है,
ख्वाब ही तो वो शहर है
जहां हम अपनी मर्जी के मालिक होते हैं.
ख्वाब और  हकीकत में एक 
अदना सा फासला है,
हकीकत मैं और ख्वाब आईना.
ख्वाब क्या है 
कुछ अधूरी ख्वाहिशें.
कुछ दिल में दफ़न अरमान
 कुछ आने वाले कल की तस्वीरें,
यही तो ख्वाब है!

ख्वाब देखो!
सच हो जाते हैं अक्सर ख्वाब.
आओ देखें मिलकर हम सब ख्वाब....!

हकीकत में तब्दील करने को...!!

 (लेखिका) डॉ. अमरीन फातिमा

8.5.11

एक लड़की मुझको भाती है

कॉलेज़ में एक लड़का था
सबने ही उसको हड़का था
कविता एक ही कहता था
उसको ही कहता रहता था
एक लड़की मुझको भाती है

एक लड़की मुझको भाती है...


जब भी मौका मिलता तो
झट से आगे बढता था आगे पढ़ें..

6.5.11

किसी से कहना नहीं (लघु कथा)

माँ उदास हो आँगन में बैठी थी की तभी पड़ोस की आंटी आ धमकी. माँ को उदास बैठे देख उन्होंने पूछ लिया, "क्या बात हैं आज इतनी उदास क्यों हो".माँ ने बात टालते हुए कहा ,"कुछ ख़ास नहीं आज यूं ही थोडा मूड ठीक नहीं है ".आंटी जी माँ के पास बैठी और बोली ,"तुम कभी भी यूं ही उदास नहीं होती कुछ न कुछ बात तो है. मुझे नही बताओगी.आगे पढ़ें...

5.5.11

....चलो आखिर मारा तो गया ओसामा





10 मार्च 1957 को रियाध सउदी अरब में एक धनी परिवार में जन्मे ओसामा बिन लादेन

अल कायदा नामक आतंकी संगठन का प्रमुख था।

जो संगठन 9 सितंबर 2001 को अमरीका के न्यूयार्क शहर के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के साथ विश्व के कई देशों में आतंक फैलाने का दोषी था। उस अलक़ाएदा संगठन के मुखिया ओसामा बिन

लादिन को पाकिस्तान के एबटाबाद में रविवार रात CIA ने मार गिराया गया। मध्य पूर्वी मामलों के विश्लेषक हाज़िर तैमूरियन के अनुसार ओसामा बिन लादेन को ट्रेनिंग CIA ने ही दी थी।

वो जहाँ रहता था वो एक ऐसी इमारत थी जीसकी दीवार 12 से 18 फ़ीट की थी, जो इस इलाक़े में बनने वाली इमारतों से कई गुना ज़्यादा थी।. इस इमारत में न कोई टेलिफ़ोन कनेक्शन था और न ही इंन्टरनेट कनेकशन। यहीं छिपकर बैठा था दुनिया को अपने आतंक से हिलाकर रख देने वाला आतंकी। जिसने कंई बेगुनाहों को कत्ल कर दिया। क्या उसका यही मज़हब था????

सऊदी अरब में एक यमन परिवार में पैदा हुए ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान पर सोवियत हमले के ख़िलाफ़ लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए 1979 में सऊदी अरब छोड़ दिया. अफगानी जेहाद को जहाँ एक ओर अमरीकी डॉलरों की ताक़त हासिल थी तो दूसरी ओर सऊदी अरब और पाकिस्तान की सरकारों का समर्थन भी था।.

सबसे आश्चर्च की बात गुफाओं में रहने-छिपनेवाला लादेन अमेरिका को एक पॉश कॉलोनी में मिला!!!!!

वह भी पाकिस्तानी मिलिट्री अकादमी से सिर्फ 800 मीटर की दूरी पर!!!!

जहाँ परदेशी एक परिन्दा भी अपनी उडान नहिं भर सकता उसी ज़मीन पर एक ख़ोफ़नाक आतंकी दुनिया की नज़र से छिपकर कैसे रह सकता था भला?

या पाकिस्तान की नज़रे इनायत तो नहिं थी उस पर!!!!!

चलो ख़ेर आख़िर मारा तो गया जो इस्लाम/इंसानियत के नाम पर एक धब्बा था ।

नादान जवानों को मज़हब के नाम पर या जिहाद के नाम पर जान की बाज़ी लगाने भेजकर खुद एशो-आराम की ज़िन्दगी बसर करता था।

या कहो कि इस्लाम से /इंसानियत से ख़िलवाड कर रहा था।

जो अपने वतन (साउदी अरब) को वफ़ादार नहिं था वो भला अपने मज़हब को वफ़ादार कैसे हो सकता था?

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29.4.11

अमीर-गरीब (लघु कथा)

शिष्य को चुपचाप बैठे देख गुरु ने उससे पूछा

गुरु : पुत्र कहाँ खोये हुए हो ?
शिष्य : गुरुदेव सामने खड़े रेहड़ीवाले को देख मन में कुछ विचार उमड़ रहे हैं.
गुरु : कैसे विचार पुत्र ?
शिष्य : यही कि रेहड़ीवाला गरीब है और अपना गुजारा परांठे की रेहड़ी लगाकर चलाता है.

गुरु : तो इसमें खास बात क्या हुई पुत्र ?
शिष्य : गुरु देव रेहड़ीवाला गरीब है फिर भी आगे पढ़ें...

25.4.11


 












इक उमर गुज़र गई बहारों के ख्वाब में
इक उमर गुज़र जाएगी एक पैग शराब में.

निगाहों की रौशनी मद्धम  हो गई है

जिगर  जूझ रहा ज़िंदगी के जवाब में.

ढूंढता है जवानी का जोश नादां

मुर्दों के कबाब में.

जमाले-ज़िंदगी को ज़ाहिल बना

ढूंढता है मन जमाल हुस्नो-शवाब में.

कैसे करूं यकीं उसका "प्रताप" मैं

कुछ भी नज़र न आये तुम सा जनाब में.


प्रबल प्रताप सिंह 

24.4.11

एक पत्र पोस्टमैन चचा के नाम

प्यारे पोस्टमैन चचा

सादर डाकस्ते!

इतने दिन बीत गये किन्तु तो आप आये ही कोई पत्र . वो भी क्या दिन थे जब आपसे नियमित भेंट होती रहती थी. खाकी वस्त्र धारण किये हुए साइकल पर सवार हो पत्रों का झोला टाँगे आप अचानक ही प्रकट हो जाते थे और दे जाते थे खट्टी-मीठी खबरों से भरा एक पत्र. आप मात्र सादा पत्र ही नहीं बल्कि साक्षात्कार पत्र नौकरी के नियुक्ति पत्र के रूप में हमारा भाग्य भी संग ले आते थे और कभी- मनी ऑर्डर द्वारा हमारी जेब भी भर जाते थे. हम सब आपकी उत्सुकता से प्रतीक्षा में आगे पढ़ें...