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22.4.11

पाँच पी (P)

पाँच पी (P)
विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत आज एक बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है शायद 60 सालों के शासन काल में आपका समय अब तक के सबसे बड़े घोटाले में फंसा है मनमोहन सरकार चारों और से घिरी है ऐसे में अन्ना हजारे सारे देश को ब्रह्स्त्ताचार से मुक्त करने की पहल कर चुके हैं और यह चिंगारी बहुत दूर तक जाने वाली है जिस तरह देश के युवा आगे आये हैं इससे ऐसा लगता है समय की बयार ईमानदारी की और बह रही है और यह विशालकाय लोकतान्त्रिक देश के लिए अच्छी बात है आज इस समय में पाँच चीजें हैं जिन पर में चर्चा करना चाहूँगा वो हैं पाँच पी (P) पहला पी (Progress) "प्रोग्रेस" दूसरा पी (Public) "पब्लिक" तीसरा पी (Politician) "राजनेतिक लोग" चोथा पी (Police) "पुलिस" आखिरी और पांचवां पी (Press) "प्रेस" इसमें से तीन पी - Politician's, Police & Press जो चौथे पी के लिए कार्य करते हैं अब थोडा सा सोचने की बात है ये तीनो अपने फायदे के लिए न सोच कर जनता के लिए व् पूरी ईमानदारी से कार्य करें तो में सम्हजता हूँ क़ि पांचवां पी अपने आप हमारे सामने होगा I
इसमें ईमानदारी तीनो की ही तो जरुरी है साथ ही साथ आम पब्लिक की भी ईमानदारी होनी बहुत जरुरी है I आज हर व्यक्ति स्वार्थी हो गया है सिर्फ अपना ही अपना सोचता है पडोसी जाय भाड़ में I जब तक ऐसा रहेगा कुछ भी अच्हा नहीं होने वाला I इसलिये हम चारों साथी (P) गीता पर हाथ रख कर कसम खाते हैं, में जो भी करूंगा ईमानदारी के साथ करूंगा I और देश की तरक्की में भागीदार हूँगा I

"पीयूष दादरी वाला"

भारतीय रेल :- सुरक्षा सें परें"

"भारतीय रेल :- सुरक्षा सें परें"
मेरा कोई लिखने का मुंड नहीं था, में एक कार्टूनिस्ट हूँ व् मेकेनिकल इंजिनियर हूँ और विश्व प्रसिद्ध कंपनी में कार्यरत हूँ लेकिन आजकल के हालात को देखते हुय मन क़ि अगन है वो पीड़ा बनकर कागजों पर उतरनी शुरु हो चुकी है I नितीश कुमार जी क़ि पहल पर भारतीय रेल पटरी पर आनी शुरू हुई थी तभी चुनाव हुय I सत्ता में आये लालू यादव को रेलवे का मंत्री बनाया गया I सारा श्रेय लालू जी ले गये लेकिन किस्मत में कुछ और लिखा था अगले चुनाव में नितीश जी बिहार के मुख्यमंत्री बन गये I बेचारा लालू जी खड़ा देखता रह गया किस्मत कहाँ किसको कब क्या दे और क्या ले ले, कुछ पता नहीं I मुख्यमंत्री ने ऐसी डबल दुलत्ती मरी बिहार क़ि जनता आज नितीश क़ि जय-जय कार कर रही है I वेसे में आपको यह बताता चलूँ व्यक्ति के नाम में भी बहुत कुछ है जेसे (एश्वर्या राय, अमर्त्य सेन, ज्योतिसुर्य, सिकंधर,) ध्यान से देखो कुछ समानता है और तीनो क़ि किस्मत एक साथ खुली, दूसरा उदाहरण (बिल गेट्स, बिन लादेन, बिल किल्न्तन) आप समझ गये होंगे, तीसरा उदाहरण (नरेन्द्र मोदी, नितीश कुमार) सो अब आपको सझ्माने क़ि जरूरत नहीं है I सत्ता बदली ममता बहन जी फिर रेल क़ि पटरी पर खडी हो गयी रेल मंत्रालय ही चाहिय I आप देख रहे हैं फिर वही पुरानी वाली रेल पटरियों पर चल रही है I जब से रेल मंत्री बनी हैं रेल दुर्घत्नायाने बढ गई हैं I अभी फ़िलहाल में अरुणिमा के साथ जो हुआ वह पुरे देश के लिए शर्मनाक है I अरुणिमा के सपने टूट ; गये भारत का एक होनहार खिलाडी शयद अब बैशाखी का सहरा लेकर चले I यहां एक बात एक बात और यद् दिलाना चाहता हूँ भारत के दो किरकेटरों ने एक - एक लाख रुपये दिए वाकई बहुत अच्छी बात हैं उनके मन में कंहीं न कंहीं कुछ रहा होगा (लोगों दुआरा क्रिकेट विश्व कप जितने पर इनामो क़ि बोछारो का विरोध करना) यहाँ एक बात लिखना बहुत जरुरी है हर डिब्बे में लिखा होता है "यात्री अपने सामान क़ि सुरछा खुद करें" अब रेलवे को प्लेटफार्म पर लिखना होगा I
"यात्री अपनी सुरछा खुद करें"

17.4.11

उपस्थिति (लघु कथा)

ठाकुर इज्ज़त सिंह अपने इलाके के माने हुए रईस ज़मींदार थे और इस बात का उन्हें घमंड भी था. इसलिए यूं ही कहीं जाने के लिए वह अपनी शानदार हवेली से नहीं निकलते थे.जब भी किसी रिश्तेदार के यहाँ कोई शादी अथवा अन्य कोई कार्यक्रम होता था तो अपने नौकर को अपने जूते देकर रिश्तेदार के यहाँ दावत खाने को भेज देते थे. नौकर उनके रिश्तेदारों से ठाकुर साब के जूतों को ही उनकी उपस्थिति मान लेने का आग्रह करता था.आगे पढ़ें...

16.4.11

गलती (लघु कथा )

कुछ लड़कियाँ एक लड़के को पीटने में लगी हुई थी तभी हवलदार बच्चू सिंह वहां पहुंचा और कड़क आवाज़ में उनसे पूछा, "अरे तुम सब क्यों पीट रही हो इसे?" "हवलदार साब मैं यहाँ से गुजर रही थी तो इसने पीछे से मेरी पीठ पर कंकड़ मारा और अश्लील गाना गया।" उसी भीड़ में से एक लड़की बोली. आगे पढ़ें

25.3.11

ब्लोगिंग में टीका टिप्पणी की दुनिया भी अजीब हे

दोस्तों यह ब्लोगिंग की दुनिया भी अजीब हे ब्लोगिंग की इस दुनिया में कभी ख़ुशी कभी गम तो कभी दोस्ती कभी दुश्मनी का माहोल गरम हे ब्लॉग की दुनिया में कई अच्छे अच्छे ऐसे लेखक हे जो स्थापित नहीं हो सके हें बहतरीन से बहतरीन लेखन बिना टिप्पणी का अनटच पढ़ा रहता हे जबकि एक सामान्य से भी  कम घर गृहस्ती का न समझ में आने वाला लेखन दर्जनों टिप्पणिया ले जाता हे . 
ब्लोगिंग की दुनिया यह पक्षपात या रोग हे जिसे अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग भी कहा जा सकता हे मेरे एक दोस्त जो हाल ही के नये ब्लोगर हें उन्होंने बहतर से बहतर लेखन पर भी टिप्पणिया नहीं आने का राज़ जब मुझसे पूंछा तो में निरुत्तर था इन ब्लोगर जनाब की खुद की कम्पुटर की दूकान हे साइबर केफे हे सो इन्होने सभी ब्लोगर्स जो रोज़ अपने लेखन पर दर्जनों टिप्पणियाँ प्राप्त करते हें प्रिंट आउट निकलवाकर कई साहित्यकारों पत्रकारों से जंचवाया  सभी ने जो लेखन दर्जनों टिप्पणी प्राप्त कर चुके थे उन्हें स्तरहीन ,व्यक्तिगत और मनमाना लेखन माना लेकिन जो लेखन एक भी टिप्पणी प्राप्त नहीं कर सका था उसको बहतरीन लेखन बताया यह ब्लोगर जनाब मेरे पास सभी की राय और सेकड़ों प्रिंट आउट लेकर आये में खुद सकते में था में समझ नहीं पा रहा था के इन नये जनाब ब्लोगर भाई को बेहतरीन लेखन के बाद भी टिप्पणियाँ क्यों नहीं मिल पा रही हे में सोचता रहा ब्लोगिंग की दुनिया में फेले जिस रोग से में भी पीड़ित हूँ में भी गिव एंड टेक के एडजस्टमेंट का बीमार हूँ और मेरी जिन पोस्टों को अख़बार की दुनिया ने सराहा हे पाठकों ने सराहा हे उन्हें भी प्रारम्भ में ब्लोगिंग की दुनिया में किसी ने देखना भी मुनासिब नहीं समझा खेर में तो लिखने के जूनून में व्यस्त हूँ में पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहता लेकिन मुझे इन नये काबिल पत्रकार ब्लोगर को तो जवाब देना था उनका  सवाल में एक बार फिर दोहरा दूँ आखिर बहतर लिखने वाला अगर पूल में शामिल नहीं हे तो उसे वाह और टिप्पणिया क्यूँ नहीं मिलती और जो स्तरहीन निजी लेखन हे उन पर भी पूल होने के बाद दर्जनों टिप्पणियाँ केसे मिल जाती हे तो जनाब इस सवाल का जवाब देने के लियें मेने एक तकनीक अपनाई और वोह नीचे अंकित हे. 
जनाब  हमारे कोटा में एक गुमानपुरा इलाका हे यहाँ एक मिठाई की और इसी नाम से नमकीन की मशहूर दूकान हे इस दूकान पर ब्रांड नेम बिकता हे दूकान के नाम से ही मिटाई बेशकीमती होती हे और लोग लाइन में लग कर इस दूकान से महंगी मिठाई खरीद कर ले जाते हें में इन ब्लोगर भाई को पहले इस दूकान पर मिठाई खिलाने ले गया वहन की दो तीन मिठाइयाँ टेस्ट की और भाव ताव किया एक कागज़ पर हर मिठाई का नाम और कीमत लिखी , फिर में इन जनाब को इंदिरा मार्केट ब्रिज्राज्पुरा एक दूकान नुमा कारखाने पर ले गया उनकी मिठाई की भी दूकान हे और मकबरा थाने के सामने एक ठेला भी लगता हे लेकिन सारी मिठाई इसी कारखाने में कारीगर बनाते हें मेने और इन जनाब ब्लोगर भाई ने इस दूकान पर वही महंगी दुकान वाली मिठाइयों के भाव पूंछे टेस्ट किया मिठाई वही थी लेकिन कीमत आधी थी जो मिठाई यहाँ दो सो से तीन सो रूपये किलो की थी वोह मिठाई इस गुमानपुरा की दूकान पर ६०० से एक हजार रूपये किलो थी मेने इन जनाब को बताया देखो मिठाई वही हे ब्रांड का फर्क हे जो मिठाई कम कीमत में भी कोई नहीं पूंछ रहा वही मिठाई महगी दुकान पर लोग लाइन लग कर ले रहे हें हम बाते कर ही रहे थे के इतनी देर में एक जनाब आये और वोह इस कारखाने का बना सारा माल एक टेम्पो में भर कर यहाँ से इसी सस्ते दामों में अपनी महंगी दूकान पर ले गये यानी इस कारखाने में जो मिठाई बन रही थी वही मिठाई कम कीमत देकर अपने ब्रांड से अपने डिब्बे में महंगे दामों में बेचीं जा रही थी मेरी इस तरकीब से नये ब्लोगर भाई को तुरंत बात समझ में आ गयी के ब्लोगर की दुनिया में भी अच्छा और बेहतर लेखन नहीं केवल और केवल ब्रांड ही चलता हे पूल बनता हे ग्रुप बनता हे और एक दुसरे को उठाने एक दुसरे को गिराने का सिलसिला चलता हे लेकिन मेने उनसे कहा के में आपकी बात से सहमत नहीं हूँ यहाँ कुछ बुरे हें तो बहुत सरे लोग इतने अच्छे हें जिनकी मदद से आप जर्रे से आफताब बन सकते हो और मेने उन्हें कुछ मेरे अनुभव मेरे अपने गुरु ब्लोगर भाईयों के किस्से मदद के कारनामे सुनाये तो यह जनाब थोड़े संतुष्ट हुए अब हो सकता हे के यह जनाब भी मेरे गुरु ब्लोगरों से सम्पर्क करे अगर ऐसा हुआ तो मुझे यकीन हे के मेरे गुरु ब्लोगर इन जनाब की मदद कर मेरे भरोसे को और मजबूत बनायेंगे और एक ऐसा वातावरण तय्यार करेंगे जिससे कोई अच्छा लिखें वाला छोटा ब्लोगर खुद को उपेक्षित और अकेला न समझे तभी इस ब्लोगिंग के कुछ दाग हट सकेंगे ............................. . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

22.3.11

त्योहार एक, मानाने के ढंग अनेक...!

होली मुबारक...!! 
होली के अवसर पर अमर उजाला कॉम्पैक्ट में विभिन्न कनपुरिया समाजों की होली...पढ़ें...और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं से हमें अभिसिंचित करें...!!













प्रबल प्रताप सिंह
 

18.3.11

होली के खुशनुमा रंगों में डूबेगी ब्लोगिंग की दुनिया

होली के रंगा रंग कार्यक्रम की शुरुआत कल यहाँ हुई एक छोटे से कुए में बुरा ना मानो होली हे के नारे के साथ यह कार्यक्रम शुरू हुआ इस कार्यक्रम के पूर्व अंधे कुए को जब देखा तो किसी ने जले हटाने की बात कही कुए में थोड़ा बहुत कीचड़ था इसलियें साफ करना मुनासिब नहीं समझा उसी में गुलाल मिला दिया और खाने का इन्तिज़ाम भी वहीं कर दिया . 
खाने की शुरुआत में सबसे पहले भाई उड़नतश्तरी ब्लोगर का इन्तिज़ार था खेर वोह आये उन्होंने अपनी उड़ने वाली तश्तरी ली और ब्लॉग ४ वार्ता के लियें भाई ललित जी शर्मा के पास चले गये लाली जी शर्मा तो ठहरे घुमक्कड़ भाई वोह इधर उधर घूम रहे थे के कुंवर जी ने उन्हें घेर लिया बस भाई ललित जी साइड में हो गये और वकील दिनेश राय जी द्विवेदी की अदालत की बात करने लगे ब्लोगरों का होली कुआ था इसलियें इस कुए को तीसरे खम्बे की खड़े रहने की जरूरत थी सो इस तीसरे खम्बे पर यह कुआ खड़ा रहा . हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की बात चली तो सब इधर उधर बगलें झाँक रहे थे के बहन शालिनी कोशिक एडवोकेट दोध कर आयीं और ब्लोगिंग के महिला अत्याचारों को खत्म करवा कर उनकी हुकूमत कायम करने के लियें श्रीमती वन्दना गुप्ता और रश्मि प्रभा से गुपचुप बातें करने लगीं इस बीच ब्लोगर होली मिलन का खाना कम पढ़ गया था बस में अख्तर खान अकेला बावर्ची बन कर खाना बनाने लगा इसी बीच पी एस पावला जी ने एक सुझाव दिया के बाई जहां इतना कर रहे हो वहां कुछ साल गिराहें और शादी की साल गिरहें हें उन्हें भी निपटा डालो पावला जी हाकम हे स्टील के आदमी हे सो उनकी बात टाल कर हम मुसीबत में नहीं पढना चाहते थे इसीलियें चुपचाप बर्थ डे केक बनाने में लग गये . 
अतुल श्रीवास्तव जी खाना खत्म हो जाने के कारण मुकेश जी सिन्हा के साथ प्रेषण घूम रहे थे कुए के लियें सीडिया मंगा रहे थे लेकिन ब्लोगिंग की होली का कुआ था यहाँ आदमी आता तो अपनी मर्जी से हें लेकिन जाता भाई ब्लोगरों की मर्जी से हे सो वोह नाकाम नज़र आ रहे थे इसी बीच के पी सक्सेना साहब ने तीसरी आँख दिखाई तो एक कोने में एक प्लेट में समोसा दिखा वोह आगे बढ़ते के मदन गोपाल गर्ग ने प्लेट झपट ली इस घटना  को देख कर भाई हरीश भट्ट आशुतोष और अनामिका को देख कर दायें बिखेर रहे थे ,मुकेश सिन्हा हकीम युनुस खान से ब्लोगर्स की टिप्पणियों से पेट में दर्द ना हो इसकी दवा लिखवाना चाह रहे थे के अचानक अंधे कुए में रौशनी जगमगा गयी हमने देखा के आखिर यह किसका जमाल हे तो देखा तो भाई हाकिम साहब के सामने एक डोक्टर की रौशनी का जमाल थे किसी ने कहा के यह चमक अनवर जमाल की हे सब बा अदब बा मुलायेज़ा हो गये और सलीम भाई और अनवर भाई साथ बेठ कर ब्लोगिंग पर चर्चा करने लगे ब्लोगिं का भविष्य देखने के लियें पामिस्ट भी वहां मोजूद थे और डॉक्टर अशोक जी पामिस्ट डोक्टर राजेंदर तेला जी का हाथ निरंतर देख रहे थे यह नजारा देख कर में सोच रहा था के यह हिंदी ब्लॉग फोरम इंटर नेशनल बन गया हे . 
      होली की इस हुडदंग में एक बार फिर गरम पूरी बन कर आई भगदड़ मची और फिर पूरी खत्म अली सोहराब ने सोहराब जी ने सुचना के अधिकार के तहत हसन साहब के साथ ब्लोगिंग खाने पीने का हिसाब किताब मांग लिया , बस खुशदीप जी ने कहा केसा हिसाब जो भी था हमारा अपना था इसलियें इसका हिसाब महक ,पूजा और फिरदोस से पूंछो ,अतुल कनक जी थे वोह जब अपनी कविता कह रहे थे तो डोक्टर रुप्चंदर शाश्त्री जी इस मामले को गम्भीरता से देख रहे थे सुनने का तो सवाल इसलियें नहीं था के खाने में जो मिर्चियाँ तरहीं उसका धुंआ कानों और ना जाने कहाँ कहाँ से निकल रहा था . 
इसी बीच अस्त व्यस्त ब्लोगिंग की इस पार्टी को सजाने संवारने का काम भाई शाह नवाज़ करने लगे और लोग इनसे डरने लगे इनके हाथ में केंची थी दुसरे हाथ में खुद का दामन था सब इनके इस हाल को देख कर अंधे कुए में बनाये गये दुसरे हाल में घुस गये वहां तारेक्श्वर गिरी बादाम की गिरी अकेले खा रहे थे और दूसरी तरफ संजय सेन सागर में नहा रहे थे जाकिर अली रजनीश के ध्यान में मगन थे तो उपदेश सक्सेना जी ब्लोगिंग के हालत पर उद्प्देश सुना रहे थे .हरीश जी इन सब को देख कर भूख से कुलबुला रहे थे इसलियें वोह तुरंत अपना लेब्तोब खोल कर खाना बाचने लगे .उनकी इस हालत पर आज समाज ने कहा यही हे आज का समाज झना लोग एकत्रित हें और ब्लोगिंग हो रही हे . 
डोक्टर निरुपमा वर्मा ने दिलबाग विर्क से कहा के हम तो आपको देख कर ब्लोगरों की बरता न मानो इस होली में बाग़ बाग़ हो गये इस बात चीत को सलीम खान सुन रहे थे और लखनऊ ब्लोगर एसोसिएशन को गुपचुप खाना खिला रहे थे एक जीशान जेडी थे जिन्हें अफसाना तनवीर ब्लोगिंग के होली के इन हालातों पर अफसाना सुना रही थीं .मीनाक्षी पन्त ,सुरेश भट्ट मिल कर अपने अपने पांतों के बारे इमं सोच कर सुरेश भट जी के साथ तंदूर की भट्टी जला रहे थे जिसे फूंक से भाई ललित जी शर्मा बुझा रहे थे ,मार्कंड दावे , नील प्रदीप आपस में कोई बात कर रहे थे के बीच में साधना वेध ने वेध बन कर एक ब्लोगिंग दवा लिख डाली जिसे लेने दी पी मिश्रा और मनोज और अनुरण लेने जाने की कोशिशों का ताना बाना बुन रहे थे के जसवंत धरु ने उन्हें रास्ते में ही धर लिया निरुपमा वर्मा जी ने जब वोह देखा तो उन्होंने भूखे पेट अन्ताक्षरी शुरू की और प्रतिभा ने इस प्रतिभा पर उन्हें इरफ़ान से एक रोटी छीन कर देने की कोशिश की तो के एस कन्हय्या नाराज़ हो गये एक दुसरे की शिकायत हुई सब झूंठ बोल रहे थे तो इंजिनियर ने सत्यम शिवम का संदेश दिया मिथलेश दुबे ने कवि सुधीर गुप्ता पन्त से कविता कहने को कहा तो उन्होंने लिखी लिखाई कविता ब्लॉग पर दे डाली . गजेंदर सिंह जी अपने गज को लेकर ब्लोगर होली मिलन समारोह स्थल के कुए में थे लेकिन अरविन्द शुक्ल ने स्वराज करुण की बात की तो बहन शिखा कोशिक ने हस्तक्षेप किया और डॉक्टर अजमल खान ने भूखे पेट भजन करने के लिए सभी ब्लोगरों को गोलियां खिलायीं ,गगन शर्मा ने गगन की तरफ रंग बिरंगे इंद्र धनुष की तरफ देखा तो एक महर दिख रही थी ,जनोक्ति ने लोक्संघर्ष की बात की तो एल के गांधी जी हंसने लगे बस फिर क्या थी सभी के चेहरों पर से हंसी गायब गुस्सा दिखने लगा सब अपने अपने गुट बनाने लगे एक दुसरे को टिप्पणियों का दुःख दर्द सुनाने लगे पहले तो भाई डंडा लखनवी ने डंडा दिखाया लेकिन मास्टर जी का डंडा छोटा था इसलियें पाठ काम नहीं आया और इसी बीच एक मासूम सा आदमी एस एम मासूम सभी के बीच एक देवता बन कर अमन का पैगाम लाया इस पैगाम को देख कर दुसरे भाई जिन्होंने हिन्दुस्तान का दर्द देखा था सहा था वोह प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ के साथ हो लिए और सभी को साथ जोड़ने के लियें आल इण्डिया ब्लोगर एसोसिएशन का खुशनुमा पैगाम दिया सभी ने महिला वर्ष होने से महिलाओं को आदरणीय होने का पैगाम दिया बस फिर किया था सबकी खबर ले सबकी खबर दे के नारे के साथ एक खुबसुरत ब्लॉग ब्लॉग की खबरें सबके सामने था सभी ब्लोगर इतिहास देख रहे थे और सोच रहे थे हमारी नादानी ही थी जो ब्लोग्वानी बंद हुई हमारी कमजोरी थी जो चिट्ठाजगत पाबन्द हुआ अब हमारी वाणी हे जो सिर्फ और सिर्फ हमारी वाणी हे यह ना तेरी हे ना मेरी हे यह तो बस ब्लोगर्स की अपनी हमारी हे , एक दम ब्लोगिंग के इस अंधे कुए में एक नई रौशनी दिखी और खाना बन कर आ गया डोक्टर अनवर जमाल थे के हाथ में खाना लिए भाई दिनेश द्विवेदी जी को परोसे  जा रहे थे और भाई दिनेश द्विवेदी जी थे के उनसे एक एक लड्डू लिए बढ़े आराम से मुस्कुराते हुए खाए जा रहे थे थोड़ी देर में खाने का दोर खत्म हुआ मिलने मिलाने और गुलाल रंग लगाने का दोर शुरू हुआ तो सभी ने पानी बर्बाद ना हो इसलियें केवल तिलक लगाकर तिलक होली मनाई और जब सभी भाइयों ने पीछे मूढ़ कर देखा तो एक सपना जो सुबह देखा था सच होते हुए देखा भाई शाहनवाज़ और दिनेश द्विवेदी जी अनवर जमाल से गले मिल मिल कर आपसी गिले शिकवे अपने आंसुओं में बहा रहे थे ब्लोगिंग की इस दुनिया का इस काल्पनिक होली मिलन समारोह का यह हाल देख कर मेरा मन करा यह हाल तो सभी ब्लोगर भाइयों को सुनाया जाए सभी को पढाया जाए वेसे तो बुरा ना मानो होली हे और फिर अगर कोई बुरा मानता हे तो माने क्योंकि फिर भी तो बुरा ना मानों तो होली हे बस ऐसी खुशनुमा होली का सपना पूरा हो एकता अखंडता धर्मनिरपेक्षता वक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रा सुरक्षा मान सम्मान लिंग जाती धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हमारे देश के संविधान की भावना के नारे के साथ मेरी ब्लोगिंग की दुनिया बने यही होलिका से मेरी दुआ हे मेरी दुआ हे ,.......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
होली के खुशनुमा रंगों में डूबेगी ब्लोगिंग की दुनिया