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12.2.11

साहित्यकार शम्शेर बहादुर सिंह को कोटा के साहिय्कारों ने याद किया

Saturday, February 12, 2011

देश के प्रख्यात साहित्यकार शमशेर बहादुर सिंह को आज यहाँ भारतेंदु समिति कोटा में उनकी स्म्रति में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित कर याद किया , भारतेंदु समिति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम को कोटा की विकल्प साहित्यिक संस्था और राजस्थान हिंदी साहित्य एकेडमी उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में शुरू किया गया ।
तीसरा खम्भा और अनवरत के संस्थापक ब्लोगर किंग भाई दिनेश राय द्विवेदी भारत होटल से महमानों को कार्यक्रम स्थल पर लेकर पहुंचे और कार्यक्रम की शुरुआत की गयी भाई अम्बिका दत्त जी ने कार्यक्रम का अस्न्चालं शुरू किया महमानों को मंच पर बेठा कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी दीप के स्थान पर मशाल दीप प्रजलित किया गया और कार्यक्रम के शुभारम्भ के पहले भाई शरद तेलंग की मधुर आवाज़ में कोटा के ठाडा राही के गीत को सुना कर माहोल को जमाया गया शरद जी की मधुर आवाज़ ने सच वातावरण खुबसुरत और संगीतमय बना दिया ।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में जनाब महेंद्र नेह ने दर्द भरे अंदाज़ में बताया के इस कार्यक्रम की प्रस्तावना स्वर्गीय शिवराम जी ने बनाई थी लेकिन आज जब कार्यक्रम हो रहा हे तो वोह खुद हमें छोड़ कर चले गये , इसी दोरान शांति भारद्वाज राकेश ,डोक्टर कन्हय्या लाल ,अकील शादाब गीतकार कमलाकर, सईद महवी , कवि गोविन्द सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त किया गया ।
कार्यक्रम में जस्टिस शिव कुमार के नहीं आ पाने से रामकुमार कृषक जी से कार्यक्रम की अध्यक्षता करवाई गयी जबकि कवि साहित्यकार नन्द भारद्वाज को मुख्य अतिथि बनाया गया सुरेश सलिल विशिष्ट अतिथि थे कार्यक्रम में साहित्य एकेडमी से डोक्टर प्रमोद भट को आना था लेकिन वोह नहीं आये और प्रतिनिधि विष्णु पालीवाल को भेज दिया सभी वक्ताओं ने कवि साहित्यकार शमशेर की कविता रचना प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया वक्ताओं ने शमशेर को सरल और जटिल रचनाकार कवि बताया किसी ने उन्हें मार्क्सवादी कहा तो किसी ने उन्हें साहित्यकार के साथ साथ कलाकार चित्रकार शिल्पकार भी कहा ।
शमशेर बहादुर सिंह का जन्म १३ जनवरी १९११ को एक जात परिवार में देहरादून में जन्म हुआ शमशेर ने इलाहाबाद से बी ऐ किया उनकी पत्नी का कम समय में ही मिर्त्यु हो गयी वोह फिर दिल्ली आ गये उन्होंने लगभग एक वर्ष तक दिल्ली में धित्र्कारिता सीखी १९३७ में वोह हरिवंश राय बच्चन की प्रेरणा से वापस इलाहबाद चले गये वोह कलेक्ट्रेट में रीडर के पद पर कार्यरत रहे फिर बनारस में कहानी के सम्पादक हो गये इसी दोरान शमशेर कम्युनिस्ट की और बढ़ गये ,इनका नया साहित्य का निराला अंक बहुत चर्चित रहा ,फिर समशेर माया मैगज़ीन में सहायक सम्पादक हो गये १९५४ में इन्होने माया छोड़ दी इन्होने मनोहर कहानिया सहित कई दूसरी मेग्ज़िनों का भी सम्पादन किया इन्होने एक पुस्तक प्रकाशित की और फिर मध्य प्रदेश से तुलसी पुरस्कार के लियें चयन हुआ दिली में हिंदी उर्दू शब्दकोश में सहयोगी रहे १९७८ में शमशेर ने सोवियत संघ की यात्रा की कई संस्थाओं के अध्यक्ष रहने और शाहिटी में गदध पदध की सेवा करने के बाद जब इनका लेखन इनके विचार बुलंदियों पर थे तब १२ माय १९९३ को इनका निधन हो गया इनका साहित्यिक योगदान आज भी अविस्मरनीय हे और इसीलियें इनकी प्रतिभा को जन जन तक पहुँचने के लियें विकल्प ने कोटा में दो दिवसीय कार्यक्रम रखा हे । कार्यक्रम में भारतेंदु समिति अध्यक्ष राजेश बिरला, मदन मदिर ,बार कोंसिल के सदस्य महेश जी गुप्ता, शरद तेलंग ,अर्चना सक्सेना,दृष्टिकोण के सम्पादक चटर्जी ,एडवोकेट विपिन बाफना, प्रशांत तहलियानी ,डोक्टर मनु शर्मा सहित दर्जनों साहित्यकार और पत्रकार उपस्थित थे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वक्त करता जो वफा .... .. .

Saturday, February 12, 2011

दोस्तों एक गीत हे ;वक्त करता जो वफा तो आप हमारे होते ,, वक्त से हम और आप कोन जाने कब बदले वक्त का मिजाज़ , कहते हें वक्त सिकन्दर होता हे , वक्त हमेशां एक जेसा नहीं रहता , कोन जाने कब किस का वक्त बदल जाये , कहते हें जिसने वक्त की ना की कद्र उसकी वक्त ने नहीं की कद्र इन सब कहावतों के बीच देश वक्त के भंवर में फंसा हे और वक्त का य्हना हर हिन्दुस्तानी मजाक उढ़ा रहा हे ।
दोस्तों आज कोटा भारतेंदु समिति में एक कार्यक्रम शमशेर जी की स्मरति में १-३० बजे दिन में शुरू होना था मुझे भाई दिनेश जी द्विवेदी ब्लोगर किंग ने कहा आप को भी आना हे में इस कार्यक्रम में वक्त के हिसाब से १-२५ बजे जा पहुंचा घर के कई कामकाज शिड्यूल में थे लेकिन सब स्थगित कर दिए और वक्त से थोडा पहले भरतेंदु समिति पहुंचा वहां केवल अम्बिका दत्त जी थे और माइक वाला माइक लगा रहा था मेने घड़ी देखी इस हाल को देख कर में समझा शायद कार्यक्रम पहले ही हो चुका हे और सब लोग जा चुके हे माइक खोला जा रहा हे लेकिन पूछने पर पता चला के माइक खोला नहीं लगाया जा रहा हे टाइम निकला दो बज गये अम्बिका दत्त जी और मेरे अलावा एक दो और साहित्यकार आ गये कार्यक्रम में राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व जज और केन्द्रीय विधि आयोग के सदस्य जस्टिस शिवकुमार जी को मुख्य अतिथि बन कर आना था उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन मोबाइल बंद था थोड़ी देर में आयोजक महेंद्र नेह साहब आये पता चला शिवकुमार जी का स्वस्थ खराब हे इसलियें अब वोह नहीं आयेंगे ।
इसी बीच देश में वक्त की पाबंदी का लेक्चर शुरू हो गया एक साहब ने कहा के एक एम एल ऐ हेमंड यादव वक्त पर पहुंचने के आदतन थे वोह कार्यक्रमों में पांच साल टक बुलाये जाने पर परेशान रहे क्योंकि जब वोह जाते थे तो कार्यक्रम के आयोजक भी मोके पर नहीं पहुंच पाते थे फिर राजस्थान सरकार में पंचायत मंत्री भरत सिंह का ज़िक्र चला कहा गया के भरत सिंह जी प्रारम्भ में हर कार्यक्रम में वक्त पर जाते थे लेकिन कई कार्यक्रमों में तो वक्त पर जाने से उन्हें पहचाना तक नहीं गया नतीजा यह निकला एक दो कार्यक्रम में तो उन्होंने वक्त पर पहुंचने की जिद बनाये रखी लेकिन जब देखा के पुरे कुए में ही भांग घुट रही हे तो उन्होंने फिर कार्यक्रमों में वक्त पर जाना बंद कर दिया ।
एक वकील साहब आये उन्होंने कहा के अदालत में ही देखलो पक्षकार अदालत में भटकते रहते हे और अधिकतम वकील हें के ११ बजे से २ बजे दिन तक आते रहते हें और जो वकील दस बजे अदालत पहुंचते हें उन्हें बेवकूफ बताते हे एक कर्मचारी जी थे उन्होंने कहा के दफ्तरों में भी अगर सही टाइम पर चले जाओ तो बेवकूफ और निकम्मा कहा जाता हे और जो कर्मचारी देर से जाता हे वही अफसर का खास होता हे और दफ्तर में भी लेट लतीफ कर्मचारियों की ही चलती हे ।
एक पंडित जी आ गये वोह कहने लगे के साहब हद तो यह हे के ख़ास पूजा का मुहरत निकलवाया जाता हे वक्त तय होता हे और कार्ड छपते हें अगर वी आई पी कोई मंत्री जी हों और वोह लेट हो जाएँ तो मुहरत भी लेट हो जाता हे और पूजा भी लेट कर दे जाती हे । अब देश में वक्त का यह हाला हे किसी को वक्त की कद्र नहीं हे टाइम के पाबन्द को बेवकूफ और देर से जाने वाले को रईस और अक्लमंद कहा जाता हे तो दोस्तों देश में वक्त से जब हम वफा नहीं कर रहे तो देश में वक्त हमारा वफादार केसे रह सकता हे आज वक्त का ही तकाजा हे के देश में अराजकता की स्थिति हे भाई भिया का सगा नहीं दफ्तरों में महा भ्रस्ताचार हे देश कई साल पीछे जा रहा हे दफ्तरों अदालतों में लेट लतीफ लोगों के कारण पत्रावलियों के अड़म्बार लगे हें अब ना जाने कब देश के लोगों में अक्ल आएगी और वोह वक्त की बेशकीमती कीमत को समझेंगे और इस देश को वापस से सोने की चिड़िया बनायेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोंग्रेस जी अब हामिद अंसारी जी को हटा दो

Saturday, February 12, 2011

महामहिम राष्ट्रपति जी ने इंदिरा जी की बुरे वक्त में भी सेवा की थी और उनकी पहुंच किचन तक थी यह सच बोलने पर राजस्थान सरकार ने राजस्थान सरकार के मंत्री अमीन खाना को हटा दिया हे लेकिन अब उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने तो देश में बच्चियों के पैदा होते ही मार देने का कहकर बवाल खड़ा कर दिया हे ऐसे में तो अब उपराष्ट्रप्ति को भी पद से हटाना जरूरी हो गया हे ।
कल एक कार्यक्रम के दोरान उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी जी की पत्नी श्रीमती सलमा अंसारी से जब पत्रकारों ने देश में महिलाओं की स्थिति और उन पर हो रही ज्यादतियों के बारे में बताते हुए इससे बचने के उपाय पूंछे तो सलमा अंसारी ने साफ़ शब्दों में कहा के अगर इस देश में महिलाओं की ऐसी स्थिति हे तो यहाँ लडकियों के पैदा होते ही उनकी हत्या कर देना चाहिए यह बात देनिक नवज्योति सहित सभी प्रमुख अख़बारों में छपी हे अब उच्च पद पर असीं व्यक्ति की पत्नी अगर देश के हाल पर ओरतों का इस तरह से अपमान कर गेर कानूनी रूप से लडकियों की पैदा होते ही हत्या करने की सलाह दे तो यह देश की सभी महिलाओं ,विधि,विधान और संविधान का अपमान हे इतना ही नहीं आज हमारे देश में महिला राष्ट्रपति और सरकार के उपर सरकार यु पी ऐ अध्यक्ष सोनिया गाँधी महिला हे ऐसे हाल में भी महिलाओं के बारे में इस तरह की टिप्पणी खतरनाक और शर्मनाक हे इस मामले में देश की महिलाओं को प्रदर्शन करना चाहिए और ऐसा व्यक्ति जिसकी पत्नी सरकारी कार्यक्रम के दोरान पत्रकारों से इस तरह की टिप्पणी करती हे उस व्यक्ति को भी पद से हटा दिन चाहिए अगर अख़बार ने खबर गलत दी हे तो फिर अखबारों के खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए । अब देखते हें क्या होता हे कोंग्रेस का इन्साफ ........... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सत्यार्थ प्रकाश के प्रसंग से भूतपूर्व पटवारी के जीवन में आया नया मोड़

लोगों से ली रिश्र्वत लौटाकर खुद बन गया संत
पश्चाताप के लिए गुरुकुल में कर रहा है गौसेवा
कहते हैं कि जब जागो तभी सवेरा हो जाता है। जीवन में की गई गलतियों पर मनुष्य पश्चाताप कर ले और सद्‌कर्म शुरू कर दे तो वह देवता तुल्य हो जाता है। इसी बात को अपने जीवन में उतारा है हरियाणा के सफीदों हलके के महामुनि महासिंह ने। क्षेत्र में महामुनि के नाम से जाने जाने वाले इस शक्श का वर्तमान व भूतकाल बिल्कुल अलग है। महामुनि पहले पटवारी थे। नौकरी के समय लोगों से रिश्र्वत लेने के लिए मशहुर महासिंह पटवारी के जीवन में एक ऐसा परिवर्तन आया कि उन्होंने बिना किसी दबाव के सभी लोगों की रिश्र्वत वापिस कर दी। बाद में वे खुद भी संत बन गए। संत बनने के बाद महामुनि गुरुकुल कालवा में चले गए और तपस्वी आचार्य बलदेव महाराज के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण करके गऊ सेवा में जूट गए। सफीदों हलके का यह वहीं गुरुकुल है जहां कभी योग गुरु रामदेव ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। इसी गुरुकुल की शिक्षा की ज्योत आज विश्र्व में योग के रूप में जल रही है।तपस्वी आचार्य बलदेव द्वारा स्थापित इस गुरुकुल में अनेक संत पैदा हुए हैं। ऐसे ही संत महामुनि महासिंह हैं। जो पिछले 15 साल से इस गुरुकुल व गौशाला की सेवा कर रहे हैं। महामुनि का इसी गुरुकुल से ह्रदय परिवर्तन हुआ और एक ऐसा काम किया जिसके लिए बहुत बडे़ दिल की जरूरत होती है। उन्होंने अपनी नौकरी के समय लोगों से सरकारी काम की एवज में ली रिश्र्वत को वापिस कर दिया। महामुनि ने लोगों को रिश्र्वत के पैसे वापिस करके उनसे माफी मांगी और इसका पछतावा करने के लिए संत बन गए। उसी दिन से गौ सेवा करके लोगों के लिए मिशाल बन गए। महामुनि खुद स्वीकार करते हैं कि उन्होंने नौकरी के समय लोगों से रिश्र्वत ली लेकिन रिटायरमेंट के बाद जब वे आचार्य बलदेव के संपर्क में आए तो उनका जीवन ही बदल गया। आचार्य बलदेव ने उन्हे सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के लिए दी। सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के बाद उनके जीवन में एकदम से बदलाव आ गया। महामुनि बताते हैं कि सत्यार्थ प्रकाश के एक प्रसंग कि एक पटवारी द्वारा पछतावा करते हुए अपनी जमीन बेचकर लोगों की रिश्र्वत लौटाने की घटना ने उन्हें झकझौर कर रख दिया। महामुनि ने यह प्रसंग पढ़कर उसी समय निर्णय लिया कि वे भी सभी के रिश्र्वत में लिए पैसे लौटा देंगे। इस निर्णय के बाद महामुनि ने बैठकर उन सभी लोगों की लिस्ट तैयार कर ली जिनसे उन्होंने नौकरी के दौरान रिश्र्वत ली थी। महामुनि सभी लोगों के घरों पर गए और उनका पैसे लौटाने का कार्य शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने तो उनसे पैसे वापिस ले लिए लेकिन कुछ लोगों ने पैसे लेने से मना कर दिया। जिन लोगों ने पैसे लेने से मना कर दिया उन लोगों की जितनी रकम बनती थी महामुनि ने उस रकम की गौशाला में चंदे की रसीद कटवा दी। महामुनि ने जिन ग्राम पंचायतों से पैसे लिए थे उनके पैसे भी लौटा दिए। उसके बाद महामुनि ने बाकी का सारा जीवन गऊ सेवा में लगा दिया। महामुनि ने पैसे से इस कदर तौबा कर ली कि सरकार द्वारा दी जा रही पैंशन को गुरुकुल में पढ़ने वाले ब्रह्मचारियों व गरीब छात्रों को दान कर देते हैं। महामुनि के इस कार्य से कायल गुरुकुल के प्रबंधक आचार्य राजेंद्र ने उनकी प्रशंसा करते हुए उनकों सच्चा पुरुसारथि बतलाया। उनके परिवार के लोग भी उनके इस कार्य से खुश हैं। उनके बेटे लाला ने बताया कि मुनि बनने के बाद वे कभी भी घर पर वापिस नहीं आए। अपने पैसे प्राप्त करने वाले श्रीया व सरपंच दलबीर ने बताया कि उनके मना करने के बावजूद उन्होंने पैसे वापिस कर दिए।

10.2.11

9.2.11

देवराज सिरोहीवाल द्वारा लिखित रागमय हरियाणा पुस्तक का हुआ विमोचन

सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल द्वारा लिखित पुस्तक रागमय हरियाणा का विमोचन रोहतक के महर्ष्ि दयानंद विश्र्वविनालय के परिसर में किया गया। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि जानेमाने पत्रकार एवं पूर्व कुलपति (महानिदेशक) माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता संस्थान भोपाल राधे श्याम शर्मा ने कहा कि भारत के ग्रामीण विकास में पत्रकारिता की सशक्त भूमिका ने विशेष्कर रेडियो ने ग्रामीण लोक जीवन को खेत, खलिहान से लेकर घर आंगन के बीच अपनी छाप छोड़ी जिसकी वजह से सूचना क्रांति के दौर में अतुलनीय भारत का समूचा दर्शन कलम के सिपाहियों की बदौलत अपनी पहचान वैश्र्िवक प्रतिस्पर्धा में कायम कर पाया है। रव्ड़ियों कल भी प्रासंगिक था और आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि राधे श्याम शर्मा ने कहा कि भले ही पत्रकारिता आज मिशन से व्यवसाय बन गई है और पत्रकारिता के मूल्य में निरंतर बदलाव रहा है। नईनई चुनौतियां पत्रकारिता के सामने रही है फिर भी लोकतंत्र के स्तभ के रूप में सजग पत्रकारिता की रचनात्मक भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। पत्रकार और लेखक या साहित्यकार समाज की संवेदनाओं और जीवन मूल्यों से बेखबर नहीं होते वे पलपल हो रहे परिवर्तनों को आत्मसात करते है। उबेद नियाजी जाने माने प्रसारक और जर्मन में हिन्दी के प्रचारप्रसार में आकाशवाणी के भारत की ओर से प्रतिनिधि रहे ने कहा कि समाज के निर्माण में अपनी सुहाती खबरों और रचनाओं से समाज और व्यवस्था को केवल सजग करते है बल्कि उसे पटरी पर लाने के लिए आगाह भी करते है। उन्होंने कहा कि रव्ड़ियों रूपक लेखन विधा एक अनुपम विधा है जिसके लिखने वाले कम होते जा रहे है। दूरदर्शन हिसार के निदेशक विजय राजदान ने कहा कि रूपक लेखन अपने आप में बेजोड़ है जिसमें समाज में हो रहे बदलावों को दस्तावेज के रूप में नाटकीय पुट देकर श्रोताओं को कुशलतापूर्वक जोड़ना लेखक की कलम की सफाई है जो श्रृंगार रस, विरह और घटनाओं व्यक्तित्व जैसे किसी भी विषय को तानाबाना बुनकर रूपक के रूप में ढालना एक चुनौती भरा कार्य लेखक के सामने होता है। आकाशवाणी जालंधर एवं रोहतक के पूर्व केन्द्र निदेशक धर्मपाल मलिक ने कहा कि सिरोहीवाल अपने आप में पिछले फ् दशकों का ऐसा कलमकार है जिसने रूपक रचनाओं को निशुद्ध रूप से रव्ड़ियों के लिए लिखा और श्रोताओं को केवल मनोरंजन दिया बल्कि सूचनाओं को भी दिलचस्प तरीके से परोसा। उन्होंने कहा कि यह रेडियो का ही चमत्कार है कि पहले पहल दौर में दक्षिण भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रेड़ियों ने सूचना की ऐसी क्रांति लाकर खड़ी कर दी कि किसानों ने धान की एक उन्नत बीज को रव्ड़ियों राईस के नाम से लोकप्रिय बनाया। अंत में रागमय पुस्तक के रचयिता रव्ड़ियों प्रसारक देवराज सिरोहीवाल ने अतिथियों का धन्यवाद करते हुए लेखक के मर्म को अपने ही शदों में यां करते हुए कहा कि वे उर्दू के पालने में पले, हिन्दुस्तानी में चले और जवां होकर हिन्दी में लिखने लगे। उम्र के भ्म् वें बसंत में मैं रागमय पुस्तक की रचना को लेकर गद्गद्हूं जो हरियाणा के अनेक गांवों को रागों के नाम से पहचान देती है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अपने लिखित संदेश में रागमय हरियाणा पुस्तक के बारव् में लेखक सिरोहीवाल की भूरिभूरि प्रशंसा की है और हरियाणा की लोकजीवन की झांकी का इसे रव्ड़ियों दस्तावेज बताया है। डॉ के.के .खण्डेलवाल विाायुक्त एवं प्रधान सचिव सूचना जनसपर्क, एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा ने भी अपने संदेश में रागमय हरियाणा की पुस्तक कृति के लिए सराहना की है और इस अनूठी पहल के लिए लेखक को बधाई दी है।

कुछ दुनिया ने दिया हे मुझे वोह लोटा रहा हूँ में : इसी विधा से भाई ललित शर्मा जी बन गये हें नम्बर वन ब्लोगर


आज सुबह सवेरे से बसंत पंचमी के एहसास के बाद भी दिन भर पारिवारिक प्रोब्लम के चलते उदासी में गुजरा अदालत में काम बेहिसाब था रुक कर आराम की भी फुर्सत नहीं मिली थे शाम को घर आये तो दफ्तर में जयपुर से आई एक पार्टी बेठी थी उसे विधिक मामले में सलाह लेकर तुरंत जयपुर जाना था सो में घर इ कपड़े बदलते ही उलटे पाँव दफ्तर चला गया वहां गया तो बस गया ही सही काम में लगना पढ़ा और फिर कल की कुछ पत्रावलियां देख कर वापस थका हारा घर लोटा सर में थोडा दर्द मन में उदासी लियें में थोडा सुस्ता रहा था घड़ी की तरफ देखा साढे दस बजने वाले थे के अचानक मोबाईल की घंटी बजी फिर बंद हो गयी फिर घंटी बजी मोबाइल चार्ज पर था मेरी बिटिया ने मोबाइल बेड पर ही लाकर दिया मोबाइल की स्क्रीन पर जेसे ही भाई ललित शर्मा का नम्बर देखा तो यकीन मानिए मन की उदासी शरीर की सारी थकान दूर कम्बल हटाया और बेठ गया बस फिर बढ़े भाई से गुर सिखने लगे ।
बातों ही बातों में भाई ललित जी ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया , भाई ललित जी से मेने कहा के अब सर्दी कम हुई हे तो उन्होंने कहा हाँ बसंत आ गया हे फिर उन्होंने दोहराया के सुबह साढ़े तीन बजे भाई अरुण राय जी ने मुझे बसंत की बधाई दी मेने कहा के बसंत केसा यह क्या होता हे कहां रहता हे ललित जी के इस बयान में मेरे मुंह से हंसी फुट पढ़ी फिर उन्होंने आगे कहा के अरुण राय जी ने कहा के आप बसंत पर कविता लिखो तब उन्होंने कहा के मुझे तो कविता लिखे बरस हो गये फिर जब उनसे कहा गया तो उन्होंने जवाब दिया के भाई कविता,रचना को तो अब में भूल गया हूँ बस अब तो गरिमा का ही ध्यान रखे हूँ ललित जी ने चाहे यह बात हंसी मजाक में कही थी लेकिन बात ठीक थी आप सहित मेने भी ललित जी का स्वभाव देखा हे उनकी लेखनी की तेज़ धार समस्याओं पर पकड़ और वर्तमान परिस्थितियों पर विचार देखे हें इसलियें ब्लोगर्स में बढ़े छोटे अपने पराये का भेद भुला कर सभी ब्लोगर भाईयों को एक सूत्र में पिरोने के लियें अगर कोई रचनात्मक कम कर रहे हें तो वोह भाई ललित जी ही हे ।
में ब्लोगिंग की दुनिया में नो सिखिया हूँ बहुत कुछ नहीं जानता इधर उधर से थोडा बहुत सीख साख कर कुछ करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन मुझे पता चला हे के भाई ललित शर्मा जी ने ब्लोगिंग की इस दुनिया में करीब ५०० ब्लोगर्स से भी अधिक ब्लोगर्स की मदद की हे और उनकी इसी मदद के कारण आज कई ब्लोगर अपना नाम कमा रहे हे दोस्तों मेने भाई ललित जी के गरिमा मई रचनात्मक ब्लॉग को लगभग ध्यान से पढ़ा हे यकीन मानिए एक बार भाई ललित जी की पोस्ट और अंदाज़े बयान देखने के बाद इनके ब्लॉग पर बार बार टिप्पणी करने का दिल करता हे लेकिन मेने देखा के जिन ५०० से भी अधिक ब्लोगर्स के भाई ललित जी गुरु रहे हें वोह तो अपना फर्ज़ निभा ही नहीं रहे हें में सोचता हूँ के अगर उनके अपने शागिर्द ब्लोगर या जिनके ब्लॉग खुद ललित जी ने तय्यार कर के दिए हें अगर वोह खुद भी एक एक टिप्पणी दें तो टिप्पणियाँ ५०० प्रति दिन होती हे लेकिन लालती जी हमारे भाई हें जो कुछ उन्होंने दुनिया से सीखा हे उसे वोह मुफ्त बांटने के प्रयासों में लगे हें , नेकी कर दरिया में डाल की तर्ज़ पर वोह अपना काम कर रहे हें ।
ललित जी शर्मा के लियें यूँ तो लिखते लिखते शाम से सुबह हो जायेगी लेकिन इन दिनों उनकी कुर्सी बसंत का गीत वृद्धों में जवानी फूंकने वाली कविता ने उन्हें ब्लॉग जगत में दिन दुनी रात चोगुनी तरक्की दी हे और कुछ दिन पूर्व जब ललित जी जब कोटा आये थे तो उनके ब्लॉग की चिटठा जगत की रेंक १३००० थी लेकिन देखिये आज पहली रेंक के पहले पायदान पर चल रहे हें और चिटठा जगत ने भी उन्हें लगातार पहली रेंक पर रख कर उनका उत्साह बढाया हे । भाई लाली जी के लिएँ तो अब बस दुष्यं का यही कथन हे के
हाथों में अंगारों को लिए सोच रहा था
कोई मुझे अंगारों की तासीर बताये ।
भाई ललित जी रोज़ हजारों लोगों के सम्पर्क में रहते हें लेकिन लोग क्या हे केसे हे इस मामले में वोह खुद बेखबर से अपना काम सिर्फ काम ही नहीं अपना अभियान प्यार दो प्यार लो आगे बढाये जा रहे हें खुदा करे उनका यह अभियान उनके ब्लॉग लेखन की लोकप्रियता और गुणवत्ता की तरह दिन दुनी रात चोगुनी कामयाबी के साथ तरक्की करे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान