8.1.11
7.1.11
केलेंडर फिर लोट आया हे
यह एक सच हे
जो बहुत लोगों को पता हे
बहुत लोगों को पता नहीं
के वक्त लोट कर आता हे
और हाँ
वर्ष २००५ का वक्त एक बार फिर
लोट आया हे
नहीं समझे ना
जनाब आप मोबाइल उठाइये
वर्ष २००५ का केलेंडर निकालियें और वर्ष २०११ से मिलाईयें
कोई फर्क हो तो बताइयें
फर्क नहीं हे ना
इसलियें भाई
वक्त को अपना वफादार बनाइए इसकी कीमत समझिये
जो कम जिस बक्त पर करना हो उसी वक्त पर कर डालियें
इन्तिज़ार मत कीजिये टिप्पणी का बटन दबाइए
जो मन में हो मुझे और मेरे मित्रों को बताइए ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कडाके की ठंड लेकिन मजदूर सडकों पर रेनबसेरे नहीं
6.1.11
कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती में फर्जीवाड़ा
हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में छात्रों को कप्युटर शिक्षा देने के लिये नियुक्त किये गए कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। यह फर्जीवाड़ा में इन शिक्षकों को नियुक्त करने वाली कंपनी ने खुद अपने ही बनाए नियमों को उलंघन किया वहीं हजारों बेरोजगारों को लाखों का चुना लगाया। इस बात का खुलासा आर.टी.आई. के तहत मांगी गई सुचना के बाद हुआ है। सुचना के अनुसार कपनी ने जिन शिक्षकों को नौकरी पर लगाया है उनमें से अधिकतर कपनी द्वारा घोष्ति परिक्षा परिणाम में शामिल ही नहीं थे। कपनी के अधिकारियों ने सांठगांठ करके दुसरें लोगों को नियुक्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए सरकार ने एनआईसीटी कपनी को ठेका दिया था। ठेके के तहत कपनी को कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती करनी थी। कपनी ने शिक्षकों की भर्ती के लिए बकायदा पांच सौ रूपये के ड्राफट के साथ आवेदन मांगे। जिसमे हजारों व्यक्तियों ने आवेदन फार्म भरें तथा कपनी ने उनकी लिखित परीक्षा भी ली। जिनके परिणाम इंटरनेट की वेबसाइट पर भी डाले गए। इसके बाद परीक्षा उतीर्ण करने वालों को साक्षात्कार के लिए भी आमंत्रित किया गया लेकिन बाद मे जिलास्तर पर नियुक्त कपनी के अधिकारियों ने अपनी मर्जी से शिक्षकों को नियुक्त लिया। जबकि परीक्षा उतीर्ण करने वालों को नियुक्त ही नहीं किया गया। सरकार के नियमों के अनुसार कपनी द्वारा योग्य लोगों को इस पद पर लगाया जाना था ताकि छात्रों को सही कंप्यूटर शिक्षा दी जा सके लेकिन यदि आरटीआई के तहत मिली सुचना और कपनी द्वारा जारी परीक्षा पास लोगों की लिस्ट का मिलान किया जाए तो आंकड़े चौकाने वाले निकलते है।अकेले जिला जींद मे साठ प्रतिशत से ज्यादा ऐसे स्कूलों में कपनी द्वारा नियुक्त शिक्षक है जिन्होंने ना तो लिखित परीक्षा पास की और ना ही साक्षात्कार दिया। लेकिन सांठगांठ करके इन्हे नियुक्त कर दिया गया। सफीदो खंड मे कंपनी द्वारा नियुक्त ग्यारह शिक्षकों में से नौ शिक्षक बिना लिखित परीक्षा पास किए लगा दिये गये। वहीं पिल्लूखेड़ा खंड के स्कूलों में दस में से पांच शिक्षक फर्जी तौर पर नियुक्त किये गए। यही नहीं अलेवा खण्ड मे नियुक्त ग्यारह में से तीन तथा नरवाना मे बीस में से दस कप्युटर शिक्षक इसी तरह नियुक्त किये गये। यह तो केवल चार शिक्षा खण्डों का हाल है बाकी तीन खण्डों की सूचना अभी बाकी है। ऐसे मे सवाल यह उठता है कि यदि कपनी को इसी तरह से नियुक्ति करनी थी तो लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार का ड्रामा रचने की या जरुरत थी। कपनी की इस प्रक्रिया से आवेदन करने वाले हजारों आवेदकों को लाखों रुपये का चूना भी लग गया। वहीं आरटीआई लगाने वाली कुसुम के अनुसार कपनी के अधिकारीयों ने पैसे लेकर अवैध रुप से नियुक्ति की है। इस मामले मे कपनी के जिला अधिकारी अशोक शर्मा से इस मामले बात करनी चाही तो उन्होने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात बताया।
4.1.11
घर से भागे प्रेमी जोड़े ने रेल के निचे कटकर दी जान
29 दिसम्बर से थे घर से गायब
प्रेमी जोड़ो के जान देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा| हरियाणा के जिला कैथल के सजूमा गाव के रीना व् ईश्वर ने साथ जीने मरने की कसमे खाई थी| साथ तो जालिम दुनिया के डर नही जी सके मगर साथ साथ मर कर जरुर अपने प्यार में खाई कसमो को निभा गये| रीना व् ईश्वर एक ही परिवार व् एक ही जाति सम्बन्ध रखते थे| दोनों का अरसे से प्रेम प्रसंग चल रहा था जो उन्हें घर से भागने को मजबूर कर रहा था| वे 29 दिसम्बर को फरार हो गए| काफी खोजबिन की गई मगर दोनों का कोई आता पता नहीं चाल पाया| तब रीना के पिता ने कलायत थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई| परिवार वालो का कहना है की हमे इस प्रेम के बारे में कोई जानकारी नही थी|रीना व् ईश्वर के प्रेम की जानकारी ईश्वर के पिता को भी नही थी| ईश्वर के पिता का कहना है कि इनके घर से भागने कि जानकारी पूलिस से सुचना मिलने ही मिली| पुलिस इंस्पेक्टर रामचंदर के अनुसार दोनों कि पहेचान रीना के हाथ पर रीना व् लड़के के हाथ पर ईश्वर लिखा हुआ था व् पास पड़े मोबाईल की काळ से पता चला की ये कहा के रहने वाले है|
प्रेमी जोड़ो के जान देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा| हरियाणा के जिला कैथल के सजूमा गाव के रीना व् ईश्वर ने साथ जीने मरने की कसमे खाई थी| साथ तो जालिम दुनिया के डर नही जी सके मगर साथ साथ मर कर जरुर अपने प्यार में खाई कसमो को निभा गये| रीना व् ईश्वर एक ही परिवार व् एक ही जाति सम्बन्ध रखते थे| दोनों का अरसे से प्रेम प्रसंग चल रहा था जो उन्हें घर से भागने को मजबूर कर रहा था| वे 29 दिसम्बर को फरार हो गए| काफी खोजबिन की गई मगर दोनों का कोई आता पता नहीं चाल पाया| तब रीना के पिता ने कलायत थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई| परिवार वालो का कहना है की हमे इस प्रेम के बारे में कोई जानकारी नही थी|रीना व् ईश्वर के प्रेम की जानकारी ईश्वर के पिता को भी नही थी| ईश्वर के पिता का कहना है कि इनके घर से भागने कि जानकारी पूलिस से सुचना मिलने ही मिली| पुलिस इंस्पेक्टर रामचंदर के अनुसार दोनों कि पहेचान रीना के हाथ पर रीना व् लड़के के हाथ पर ईश्वर लिखा हुआ था व् पास पड़े मोबाईल की काळ से पता चला की ये कहा के रहने वाले है|
नव वर्ष पर विचारें कुछ नया
शोभना वेलफेयर सोसाइटी ने थाना डिफेन्स कालोनी, नई दिल्ली के निकट स्थित इंदिरा कैम्प झुग्गी बस्ती में नये साल के उपलक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य था बच्चों में जागरूकता लाना व उनमें आत्मविश्वास विकसित करना.
इस कार्यक्रम के संचालन की कमान संभाली दिल्ली पुलिस के हास्य कवि श्री सुमित प्रताप सिंह ने. प्रत्येक बच्चे को सर्वप्रथम अपना पूरा परिचय देना था उसके बाद सामान्य जागरूकता से सम्बंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर देने थे तथा अंत में कोई भी एक कविता सुनानी थी.
इस प्रकार कुल पांच आत्मविश्वासी बच्चों का चयन किया गया व उन्हें विशेष रूप से पुरस्कृत किया गया. ये आत्मविश्वासी बच्चे थे:- 1. नीलम, 2. अभिषेक, 3. पूनम, 4. उमित व 5. आकाश. कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रत्येक बच्चे को स्टेशनरी व रिफ्रेशमेंट प्रदान की गयी.
बच्चों व वहाँ उपस्थित उनके माता-पिता के मनोरंजन हेतु कवि सुमित प्रताप सिंह ने कविता पाठ किया व सभी का मन मोह लिया. उनकी रचना “नव वर्ष पर आओ मिल विचारें कुछ नया, बीते की चिंता क्यों जो गया सो गया” विशेष रूप से पसंद की गयी.
सोसाइटी की अध्यक्षा व वहाँ उपस्थित श्रीमती मथुरा देवी, सुश्री सीमा कुमारी, श्री दिनेश चौहान व सुश्री वनिता सिंह आदि सोसाइटी के सदस्यों ने सभी बच्चों को नये साल 2011की शुभकामनाएं दीं व ऐसे ही आत्मविश्वास के साथ निरंतर आगे बढ़ने को प्रेरित किया.
1.1.11
एक मां के आंसू जो इरादों में बदल गये .....
एक हकीकत हे
जी हाँ दोस्तों यह एक मां के आंसू थे
जो थोड़ी सी देर में ही सख्त इरादे में बदल गये ।
नये साल के एक दिन पहले में अदालत में अपनी सीट पर बेठा था के आँखों में आंसू लियें
एक महिला याचक की तरह मेरे पास आई और फिर अपनी बात बताने के पहले ही फुट फुर कर रोने लगी
मेरे आस पास के टाइपिस्ट , वकील और मुशी उसे देखने लगे महिला मेरी पूर्व परिचित थी इसलियें उसे दिलासा दिलाया जम महिला शांत हुई तो उससे उसकी परेशानी पूंछी महिला ने दोहराया के आपको तो पता हे मेरे पति के
तलाक लेने के बाद केसे मेने जिंदगी गुजर बसर कर अपने बच्चों को पाला हे उन्हें बढा किया हे और उनका विवाह किया हे में आज भी दोनों लडकों के विवाह के बाद उनके कुछ नहीं कमाने के कारण उनका खर्चा चला रही हूँ और बच्चे हे के शादी और डिलेवेरी के खर्च के वक्त उधार ली गयी राशी को चुकाने का प्रयास ही नही कर रहे हें जबकि पति तलाक के बात लकवाग्रस्त हो जाने से मेरे घर आ गया हे ओऊ उसका इलाज भी मुझे ही करवाना पढ़ रहा हे मेरा भी हाथ तंग हे इसलियें में बेबस हूँ मेने एक कर्ज़ के पेटे कर्ज़ लेने वाले को चेक दिया था उसने मेरे खिलाफ मुकदमा कर दिया और अदालत से मेरे खिलाफ जमानती वारंट आया हे हमने महिला के हाथ में से जमानती वारंट लेकर देखा वारंट केवल पांच हजार रूपये के चेक के मामले को लेकर भेजा गया था मेने और मेरे साथियों ने उस महिला की आँख में आंसू और चेहरे पर बेबसी देखी तो उसे हिम्मत दिलाई मुकदमें में उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा इस का उसे दिलासा दिलाया महिला ने राहत की सांस ली और बेठ गयी इसीस बीच लगभग एक आठ साल का बच्चा हाथ में थेला और ब्रुश लिए आया और कहने लगा वकील साहब पोलिश , यकीन मानिए में कभी भी इन बच्चों से पोलिश नहीं कराता हूँ लेकिन उस दिन ना जाने क्या दिमाग में आया के मेने चुपचाप जूते उतार कर उसके आगे बढ़ा दिए बच्चा नादाँ सा सभी दुःख दर्द से बेखबर होकर जूतों पर पोलिश करने के लियें जुट गया मेने उससे मजाक किया के बेटा पोलिश तो तू आज कर दे पोलिश के पेसे तू कल ले जाना बच्चे ने नजर उठाई और कहा के नहीं सर कल तो जुम्मा हे में नमाज़ पढूंगा पेसे तो आज ही लूंगा , में दुसरा सवाल करता इस के पहले ही उस बेचें पीड़ित महिला के दोनों बेटे भी पास ही आकर बेठ गये थे , मेने फिर उस पोलिश वाले बच्चे से दूसरा सवाल किया के बेटे तुम पढ़ते नहीं उसने कहा सर दिन में पढ़ता हूँ अभी में स्कुल से ही तो आया हूँ और घर से बस्ता रख कर इधर आ गया , बच्चे से पूंछा के तुम कहां रहते हो तो उसने उद्योग नगर वेम्बे योजना में रहना बताया , जब बच्चे से दिन भर की कमिया का ब्यौरा लिया तो बच्चे ने वही शालीनता से जवाब दिया सर पचास से सत्तर रूपये तक रोज़ कम लेता हूँ , बच्चे से फिर मेने सवाल किया के तुम इन रुपयों का क्या करते हो तो बच्चे ने फिर सहज और मासूमियत भरा जवाब दिया सर मेरे पापा को घर पर लेजाकर दे देता हूँ वोह अकेले ढोलक बेचते हें जिससे घर का खर्च ठीक से नहीं चलता पुराना कर्जा हे इसलियें कर्जा उतारने के लियें में भी कमाई कर रहा हूँ , बच्चे की बात सुनकर उस पीड़ित महिला के दोनों बच्चे बगले झाँकने लगे मेने पोलिश वाले बच्चे से फिर वही सवाल किया और उसने फिर वही जवाब दोहराया बस फिर किया था जो महिला आँखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी लेकर आई थी उसके आंसू सुख गये थे और वोह अपने बच्चों के इस छोटे से बच्चे की सीख से आचरण में बदलाव महसूस कर रही थे इसलियें उस महिला के आंसू मजबूत इरादों में बदल गये और दोनों बच्चों ने महिला का हाथ पकड़ा और कहा चल मम्मी घबरा मत देखते हें हम और तुइम मिलजुल के कुछ करेगे तो कर्जा तो उतर ही जाएगा परेशानी बेबसी और आंसुओं के बाद एक छोटा सा पोलिश करने वाला बच्चा एक मां के बिगड़े बच्चों को इतनी बढ़ी सीख और बेबस मां को हिम्मत दे जायेगा में सोच ही रहा था के पोलिश वाले बच्चे ने कहा के सर पोलिस के पेसे मेने जेब में हाथ डाला तो खुल्ले नहीं थे पचास का नोट था बच्चे ने कहा सर में खुल्ले करवा कर लाता हूँ लेकिन मेने कहा बेटा बस खुल्लों की जरूरत नहीं हे पुरे के पुरे तू ही रख ले यकीन मानिये उस बच्चे को जबरन पचास रूपये देने के लियें मुझे काफी जद्दो जहद करना पढ़ी तब वोह जाने को तयार हुआ लेकिन कहकर गया हे के अब में बकाया पैसों की रोज़ आपके जूतों की पोलिश करा करूंगा .......... तो ऐसे एक मासूम से बच्चे ने जिंदगी का एक बहुत बढ़ा सबक सिखा दिया जो शायद कभी भुलाया नहीं जा सकेगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान