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8.1.11

क्या सारा देश हिजडा हो गया हे ................?

दोस्तों मेने आभी अभी ब्लोगर कवि योगेन्द्र मोदगिल जी की एक रचना जिसका शीर्षक क्या सारा देश हिजड़ा हो गया हे पढ़ी इस रचना में उन्होंने अख़बार और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के सेक्स विज्ञापनों की भरमार की तरफ ऊँगली उठायी हे मेने इसका जवाब कवि महोदय को दिया के हाँ सारा देश हिजडा ही हो गया हे भाई आप मेरी बात से सहमत हों या न हों लेकिन मेरी बात पूरी तो पढेंगे । आज आप घर बाहर टी वी अख़बार जहां भी देखें सडकों पर दीवारों पर विज्ञापन देखें तो खुलेआम सेक्स की दवाओं के बेशर्म विज्ञापन हें । अख़बार टी वी जो देश को सुधारने और देश को नेतिक चारित्रिक शिक्षा देने की बात करते हें वोह इतनी बेशर्मी फेलायेंगे सपनों में भी किसी ने नहीं सोचा था लेकिन इससे भी बढ़ी हिजड़ी हमारी जनता और हमारी सरकार हे हमारा सिस्टम तो बिलकुल ही हिजड़ा गया हे । देश में ऐसे सेक्स के मामलों के विज्ञापन प्रकाशन नहीं करने की मनाही हे और ओषधि उपचारक नियन्त्रण विज्ञापन प्रतिषेध अधिनियम बनाया गया हे जिसमें लोगों के साथ ऐसी दवाओं के नाम पर जज्बात भड़का कर ठगी ना हो इसके लियें ऐसी दवा का विज्ञापन देना .छापना दोनों अपराध हें और आज जो कुछ भी अखबारों में छप रहा हे या टी वी में चल रहा हे सब अपराध हे और संगिये अपराध होने के कारण जिसमें पुलिस खुद मुकदमा दर्ज कर दोषी लोगों को गिरफ्तार कर सकती हे पुलिस को ऐसे विज्ञापन छपने वाले सम्पादकों मालिकों और टी वी चेनल वालों सहित विज्ञापन छपवाने वालों को गिरफ्तार कर जेल भेजना चाहियें और सम्बन्धित सामग्री जब्त करना चाहिए । वेसे भी ड्रग एक्ट के तहत किसी भी दवा का विज्ञापन देना अपराध हे अब में मर्द और हिजड़ों की बात पर आता हूँ दोस्तों कोटा में जब हमने अख़बारों में यह हाल देखा हर पेज पर सेक्स की दवा और ट्यूब इंजक्शन मशीनों यंत्रों के विज्ञापन हें तो हमारी मर्दानगी जागी और हम सभी अख़बार कानून लेकर थाने मुकदमा दर्ज करने जा पहुंचे थानेदार जी हेडिंग की तरह थे अख़बार वालों का नाम मुलजिमों की सूचि में देख कर घबरा अगये और उन्होंने मेरे हाथ जोड़ लिए में फिरागे बढा सर्किल अधिकारी के पास पहुंचा लेकिन वही हारा थका हेडिंग नुमा जवां मिला मेने सोचा चलो कोटा एस पी साहब को तो किसी बात का डर नहीं हें वोह तो जाते ही रिपोर्ट दर्ज करवा देंगे सो में उनके पास पहुंच गया उन्होंने कागज़ उलटा पलटा कानून देखा और अगल बगल झाँकने लगे तो भाई मेने फ़ाइल उठाई आई जी साहब के पास जा पहुंचा आई जी साहब ने भी मुकदमा दर्ज नहीं किया और फ़ाइल पेंडिंग में डाला दी में भी कहां हार मानने वाला था में उठा कलेक्टर कोटा टी रविकांत जी के पास जा पहुंचा कलेक्टर थे के करंट में थे उन्होंने मेरा प्रार्थना पत्र और कानून की कोपी देखी सरकार के वकील और विधि सहायक को बुलाया विज्ञापनों की विधिक जाँच की और बस उन्होंने सभी अख़बार वालों के खिलाफ कार्यवाही करने का एक फरमान कोटा नगर पुलिस अधीक्षक के नाम डाल दिया और जनसम्पर्क अधिकारी महोदय को बुला कर इस मामले में कानूनी रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी करने का भी निर्देश दिया कुछ अख़बारों में विज्ञप्ति छपी सोचा अख़बार तो विज्ञापन बंद कर देंगे पुलिस अधीक्षक ने कलेक्टर के आदेश निर्देशों को दायें बाएं किया और कोई कार्यवाही नहीं की फिर रोज़ जब विज्ञापन छपते रहे तो में एक बार फिर कलेक्टर के पास जाना चाहता था के सुबह खबर पढ़ी कोटा कलक्टर का ट्रांसफर कर दिया गया हे मेने कलेक्टर को इस हेडिंग के आधार पर बने समाज की आर्य्वाही पर सांत्वना दी और मामला अदालत में पेश किया जहां अदालत ने सभी अख़बार मालिकों को सम्मन से तलब किया हे लेकिन जनाब पुलिस की रिपोर्ट आई हे के अख़बार वाले वक्त पर नहीं मिलते इसलियें उन्हें सम्मन तामिल नहीं करवाए जा सके अब आप खुद ही बताइए जब इतनी सारी कार्यवाही के बाद भी विज्ञापन बदस्तूर जारी हो गेर कानूनी काम चल रहा हो तो फिर क्या इस देश के लोगों इस देश के समाज सेवकों इस देश की पुलिस इस देश के कानून और सिस्टम के लियें कवि योगेन्द्र मोदगिल की कविता का शीर्षक क्या असार देश हिजडा हो गया हे सही नहीं हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

7.1.11

केलेंडर फिर लोट आया हे

दोस्तों
यह एक सच हे
जो बहुत लोगों को पता हे
बहुत लोगों को पता नहीं
के वक्त लोट कर आता हे
और हाँ
वर्ष २००५ का वक्त एक बार फिर
लोट आया हे
नहीं समझे ना
जनाब आप मोबाइल उठाइये
वर्ष २००५ का केलेंडर निकालियें और वर्ष २०११ से मिलाईयें
कोई फर्क हो तो बताइयें
फर्क नहीं हे ना
इसलियें भाई
वक्त को अपना वफादार बनाइए इसकी कीमत समझिये
जो कम जिस बक्त पर करना हो उसी वक्त पर कर डालियें
इन्तिज़ार मत कीजिये टिप्पणी का बटन दबाइए
जो मन में हो मुझे और मेरे मित्रों को बताइए ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कडाके की ठंड लेकिन मजदूर सडकों पर रेनबसेरे नहीं

दोस्तों यह राजस्थान हे यहाँ चाहे केंद्र का कल्याणकारी आदेश हो चाहे हाईकोर्ट का कल्याणकारी आदेश हो बस सरकार ने जनता को न्याय नहीं देने का मानस बना लिया हे और इसीलियें ठिठुरती सर्दी में राजस्थान के गरीब लोग सडकों पर रात गुज़ारने को मजबूर हे । राजस्थान की हाईकोर्ट ने १५ वर्ष पूर्व इस मामले में एक आदेश जारी करते हुए सरकार को निर्देश दिए थे की वोह सडको पर रात गुज़ारने वाले गरीबों के लियें स्थायी रूप से रेनबसेरों की व्यवस्था करे जिसमे सर्दी में रजाई गदेले टीवी वगेरा की स्थायी पक्का भवन बना कर सुविधा दी जाये और गर्मी में कूलर वगेरा लगाकर इस सुविधा को स्थायी रूप से चालु रखा जाए , कोटा में ह्यूमन रिलीफ सोसाइटी की तरफ से कोटा न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर कोटा की सडकों पर रातों को भटक रहे गरीबों को रेनबसेरा देने के लियें आबिद अब्बासी एडवोकेट,पंकज लोढा और मुजीब आज़ाद की तरफ से मुकदमा पेश किया गया अदालत ने एक आदेश जारी कर कोटा कलेक्टर ,निगम मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पाबन्द किया एके एक वर्ष में वोह स्थायी रेनबसेरों की व्यवस्था लागू करें लेकिन कोटा के अधिकारीयों ने अदालत के आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाला और जनता को सडकों पर सर्दी और गर्मी में मरने के लियें छोड़ दिया पहले मिडिया थोडा चिल्लाया फिर मिडिया के भोंकते हीं उसके मुंह में विज्ञापन नुमा हड्डी के टुकड़े डाले और मीडिया यानि टी वी और अख़बार खामोश हो गये जनता की फरियाद लेकर अदालत पहुंचे आबिद अब्बासी एडवोकेट पंकज लोढ़ा की तरफ से मेने कलेक्टर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जेल भेजने का प्रार्थना पत्र पेश किया क्योंकि उन्होंने न्यायालय के आदेश की पालना नहीं की थी अधिकारीयों को क्यूँ जेल नहीं भेजा जाये इस मामले का नोटिस मिलते ही अधिकारी घबराए और उन्होंने मामले की अपील की अपील में मामला यथावत रहा लेकिन न्यायालय में उपस्थिति के लियें तहसीलदार और आयुक्त को निर्देश दिए गये इन सब के बावजूद भी कोटा नगर निगम ने आज तक भी कोटा में रेंब्सेरे स्थायी रूप से चालू नहीं किये हें और कोटा के अख़बार टी वी चेनल हें के उन्हें तो सडक पर ठंड की ठिठुरन से मरते लोगों का दर्द देखने को ही नहीं मिलता हे ना मजेदार बात राजस्थान में मुख्यमंत्री करोड़ों के विज्ञापन जयपुर के रेनबसेरों के लियें दे रहे हे लेकिन कोटा में कई सरकारें आयीं और कई चली गयीं लेकिन गरीबों के लियें आसरा स्थायी रेनब्सेरों की व्यवस्था नहीं की गयी हे इस मामले में विपक्ष भाजपा भी हाथ पर हाथ धर कर बेठा हे ।एक भाजपा के विधायक ओम क्रष्ण जी बिरला हें जो खुद बेचारे सडकों पर रातों को घूमते हें और ठंड से ठिठुरते लोगों को कपड़े जर्सी और कम्बल देते हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

6.1.11

कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती में फर्जीवाड़ा

हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में छात्रों को कप्युटर शिक्षा देने के लिये नियुक्त किये गए कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। यह फर्जीवाड़ा में इन शिक्षकों को नियुक्त करने वाली कंपनी ने खुद अपने ही बनाए नियमों को उलंघन किया वहीं हजारों बेरोजगारों को लाखों का चुना लगाया। इस बात का खुलासा आर.टी.आई. के तहत मांगी गई सुचना के बाद हुआ है। सुचना के अनुसार कपनी ने जिन शिक्षकों को नौकरी पर लगाया है उनमें से अधिकतर कपनी द्वारा घोष्ति परिक्षा परिणाम में शामिल ही नहीं थे। कपनी के अधिकारियों ने सांठगांठ करके दुसरें लोगों को नियुक्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए सरकार ने एनआईसीटी कपनी को ठेका दिया था। ठेके के तहत कपनी को कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती करनी थी। कपनी ने शिक्षकों की भर्ती के लिए बकायदा पांच सौ रूपये के ड्राफट के साथ आवेदन मांगे। जिसमे हजारों व्यक्तियों ने आवेदन फार्म भरें तथा कपनी ने उनकी लिखित परीक्षा भी ली। जिनके परिणाम इंटरनेट की वेबसाइट पर भी डाले गए। इसके बाद परीक्षा उतीर्ण करने वालों को साक्षात्कार के लिए भी आमंत्रित किया गया लेकिन बाद मे जिलास्तर पर नियुक्त कपनी के अधिकारियों ने अपनी मर्जी से शिक्षकों को नियुक्त लिया। जबकि परीक्षा उतीर्ण करने वालों को नियुक्त ही नहीं किया गया। सरकार के नियमों के अनुसार कपनी द्वारा योग्य लोगों को इस पद पर लगाया जाना था ताकि छात्रों को सही कंप्यूटर शिक्षा दी जा सके लेकिन यदि आरटीआई के तहत मिली सुचना और कपनी द्वारा जारी परीक्षा पास लोगों की लिस्ट का मिलान किया जाए तो आंकड़े चौकाने वाले निकलते है।अकेले जिला जींद मे साठ प्रतिशत से ज्यादा ऐसे स्कूलों में कपनी द्वारा नियुक्त शिक्षक है जिन्होंने ना तो लिखित परीक्षा पास की और ना ही साक्षात्कार दिया। लेकिन सांठगांठ करके इन्हे नियुक्त कर दिया गया। सफीदो खंड मे कंपनी द्वारा नियुक्त ग्यारह शिक्षकों में से नौ शिक्षक बिना लिखित परीक्षा पास किए लगा दिये गये। वहीं पिल्लूखेड़ा खंड के स्कूलों में दस में से पांच शिक्षक फर्जी तौर पर नियुक्त किये गए। यही नहीं अलेवा खण्ड मे नियुक्त ग्यारह में से तीन तथा नरवाना मे बीस में से दस कप्युटर शिक्षक इसी तरह नियुक्त किये गये। यह तो केवल चार शिक्षा खण्डों का हाल है बाकी तीन खण्डों की सूचना अभी बाकी है। ऐसे मे सवाल यह उठता है कि यदि कपनी को इसी तरह से नियुक्ति करनी थी तो लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार का ड्रामा रचने की या जरुरत थी। कपनी की इस प्रक्रिया से आवेदन करने वाले हजारों आवेदकों को लाखों रुपये का चूना भी लग गया। वहीं आरटीआई लगाने वाली कुसुम के अनुसार कपनी के अधिकारीयों ने पैसे लेकर अवैध रुप से नियुक्ति की है। इस मामले मे कपनी के जिला अधिकारी अशोक शर्मा से इस मामले बात करनी चाही तो उन्होने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात बताया।

4.1.11

घर से भागे प्रेमी जोड़े ने रेल के निचे कटकर दी जान

29 दिसम्बर से थे घर से गायब
प्रेमी जोड़ो के जान देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा| हरियाणा के जिला कैथल के सजूमा गाव के रीना व् ईश्वर ने साथ जीने मरने की कसमे खाई थी| साथ तो जालिम दुनिया के डर नही जी सके मगर साथ साथ मर कर जरुर अपने प्यार में खाई कसमो को निभा गये| रीना व् ईश्वर एक ही परिवार व् एक ही जाति सम्बन्ध रखते थे| दोनों का अरसे से प्रेम प्रसंग चल रहा था जो उन्हें घर से भागने को
मजबूर कर रहा था| वे 29 दिसम्बर को फरार हो गए| काफी खोजबिन की गई मगर दोनों का कोई आता पता नहीं चाल पाया| तब रीना के पिता ने कलायत थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई| परिवार वालो का कहना है की हमे इस प्रेम के बारे में कोई जानकारी नही थी|रीना व् ईश्वर के प्रेम की जानकारी ईश्वर के पिता को भी नही थी| ईश्वर के पिता का कहना है कि इनके घर से भागने कि जानकारी पूलिस से सुचना मिलने ही मिली| पुलिस इंस्पेक्टर रामचंदर के अनुसार दोनों कि पहेचान रीना के हाथ पर रीना व् लड़के के हाथ पर ईश्वर लिखा हुआ था व् पास पड़े मोबाईल की काळ से पता चला की ये कहा के रहने वाले है|

नव वर्ष पर विचारें कुछ नया


शोभना वेलफेयर सोसाइटी ने थाना डिफेन्स कालोनी, नई दिल्ली के निकट स्थित इंदिरा कैम्प झुग्गी बस्ती में नये साल के उपलक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य था बच्चों में जागरूकता लाना व उनमें आत्मविश्वास विकसित करना.
इस कार्यक्रम के संचालन की कमान संभाली दिल्ली पुलिस के हास्य कवि श्री सुमित प्रताप सिंह ने. प्रत्येक बच्चे को सर्वप्रथम अपना पूरा परिचय देना था उसके बाद सामान्य जागरूकता से सम्बंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर देने थे तथा अंत में कोई भी एक कविता सुनानी थी.

इस प्रकार कुल पांच आत्मविश्वासी बच्चों का चयन किया गया व उन्हें विशेष रूप से पुरस्कृत किया गया. ये आत्मविश्वासी बच्चे थे:- 1. नीलम, 2. अभिषेक, 3. पूनम, 4. उमित व 5. आकाश. कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रत्येक बच्चे को स्टेशनरी व रिफ्रेशमेंट प्रदान की गयी.

बच्चों व वहाँ उपस्थित उनके माता-पिता के मनोरंजन हेतु कवि सुमित प्रताप सिंह ने कविता पाठ किया व सभी का मन मोह लिया. उनकी रचना नव वर्ष पर आओ मिल विचारें कुछ नया, बीते की चिंता क्यों जो गया सो गया विशेष रूप से पसंद की गयी.
सोसाइटी की अध्यक्षा व वहाँ उपस्थित श्रीमती मथुरा देवी, सुश्री सीमा कुमारी, श्री दिनेश चौहान व सुश्री वनिता सिंह आदि सोसाइटी के सदस्यों ने सभी बच्चों को नये साल 2011की शुभकामनाएं दीं व ऐसे ही आत्मविश्वास के साथ निरंतर आगे बढ़ने को प्रेरित किया.

1.1.11

एक मां के आंसू जो इरादों में बदल गये .....

दोस्तों यह कोई कालपनिक कहानी नहीं
एक हकीकत हे
जी हाँ दोस्तों यह एक मां के आंसू थे
जो थोड़ी सी देर में ही सख्त इरादे में बदल गये ।
नये साल के एक दिन पहले में अदालत में अपनी सीट पर बेठा था के आँखों में आंसू लियें
एक महिला याचक की तरह मेरे पास आई और फिर अपनी बात बताने के पहले ही फुट फुर कर रोने लगी
मेरे आस पास के टाइपिस्ट , वकील और मुशी उसे देखने लगे महिला मेरी पूर्व परिचित थी इसलियें उसे दिलासा दिलाया जम महिला शांत हुई तो उससे उसकी परेशानी पूंछी महिला ने दोहराया के आपको तो पता हे मेरे पति के
तलाक लेने के बाद केसे मेने जिंदगी गुजर बसर कर अपने बच्चों को पाला हे उन्हें बढा किया हे और उनका विवाह किया हे में आज भी दोनों लडकों के विवाह के बाद उनके कुछ नहीं कमाने के कारण उनका खर्चा चला रही हूँ और बच्चे हे के शादी और डिलेवेरी के खर्च के वक्त उधार ली गयी राशी को चुकाने का प्रयास ही नही कर रहे हें जबकि पति तलाक के बात लकवाग्रस्त हो जाने से मेरे घर आ गया हे ओऊ उसका इलाज भी मुझे ही करवाना पढ़ रहा हे मेरा भी हाथ तंग हे इसलियें में बेबस हूँ मेने एक कर्ज़ के पेटे कर्ज़ लेने वाले को चेक दिया था उसने मेरे खिलाफ मुकदमा कर दिया और अदालत से मेरे खिलाफ जमानती वारंट आया हे हमने महिला के हाथ में से जमानती वारंट लेकर देखा वारंट केवल पांच हजार रूपये के चेक के मामले को लेकर भेजा गया था मेने और मेरे साथियों ने उस महिला की आँख में आंसू और चेहरे पर बेबसी देखी तो उसे हिम्मत दिलाई मुकदमें में उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा इस का उसे दिलासा दिलाया महिला ने राहत की सांस ली और बेठ गयी इसीस बीच लगभग एक आठ साल का बच्चा हाथ में थेला और ब्रुश लिए आया और कहने लगा वकील साहब पोलिश , यकीन मानिए में कभी भी इन बच्चों से पोलिश नहीं कराता हूँ लेकिन उस दिन ना जाने क्या दिमाग में आया के मेने चुपचाप जूते उतार कर उसके आगे बढ़ा दिए बच्चा नादाँ सा सभी दुःख दर्द से बेखबर होकर जूतों पर पोलिश करने के लियें जुट गया मेने उससे मजाक किया के बेटा पोलिश तो तू आज कर दे पोलिश के पेसे तू कल ले जाना बच्चे ने नजर उठाई और कहा के नहीं सर कल तो जुम्मा हे में नमाज़ पढूंगा पेसे तो आज ही लूंगा , में दुसरा सवाल करता इस के पहले ही उस बेचें पीड़ित महिला के दोनों बेटे भी पास ही आकर बेठ गये थे , मेने फिर उस पोलिश वाले बच्चे से दूसरा सवाल किया के बेटे तुम पढ़ते नहीं उसने कहा सर दिन में पढ़ता हूँ अभी में स्कुल से ही तो आया हूँ और घर से बस्ता रख कर इधर आ गया , बच्चे से पूंछा के तुम कहां रहते हो तो उसने उद्योग नगर वेम्बे योजना में रहना बताया , जब बच्चे से दिन भर की कमिया का ब्यौरा लिया तो बच्चे ने वही शालीनता से जवाब दिया सर पचास से सत्तर रूपये तक रोज़ कम लेता हूँ , बच्चे से फिर मेने सवाल किया के तुम इन रुपयों का क्या करते हो तो बच्चे ने फिर सहज और मासूमियत भरा जवाब दिया सर मेरे पापा को घर पर लेजाकर दे देता हूँ वोह अकेले ढोलक बेचते हें जिससे घर का खर्च ठीक से नहीं चलता पुराना कर्जा हे इसलियें कर्जा उतारने के लियें में भी कमाई कर रहा हूँ , बच्चे की बात सुनकर उस पीड़ित महिला के दोनों बच्चे बगले झाँकने लगे मेने पोलिश वाले बच्चे से फिर वही सवाल किया और उसने फिर वही जवाब दोहराया बस फिर किया था जो महिला आँखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी लेकर आई थी उसके आंसू सुख गये थे और वोह अपने बच्चों के इस छोटे से बच्चे की सीख से आचरण में बदलाव महसूस कर रही थे इसलियें उस महिला के आंसू मजबूत इरादों में बदल गये और दोनों बच्चों ने महिला का हाथ पकड़ा और कहा चल मम्मी घबरा मत देखते हें हम और तुइम मिलजुल के कुछ करेगे तो कर्जा तो उतर ही जाएगा परेशानी बेबसी और आंसुओं के बाद एक छोटा सा पोलिश करने वाला बच्चा एक मां के बिगड़े बच्चों को इतनी बढ़ी सीख और बेबस मां को हिम्मत दे जायेगा में सोच ही रहा था के पोलिश वाले बच्चे ने कहा के सर पोलिस के पेसे मेने जेब में हाथ डाला तो खुल्ले नहीं थे पचास का नोट था बच्चे ने कहा सर में खुल्ले करवा कर लाता हूँ लेकिन मेने कहा बेटा बस खुल्लों की जरूरत नहीं हे पुरे के पुरे तू ही रख ले यकीन मानिये उस बच्चे को जबरन पचास रूपये देने के लियें मुझे काफी जद्दो जहद करना पढ़ी तब वोह जाने को तयार हुआ लेकिन कहकर गया हे के अब में बकाया पैसों की रोज़ आपके जूतों की पोलिश करा करूंगा .......... तो ऐसे एक मासूम से बच्चे ने जिंदगी का एक बहुत बढ़ा सबक सिखा दिया जो शायद कभी भुलाया नहीं जा सकेगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान