8:53 pm
Mahavir Mittal
29 दिसम्बर से थे घर से गायब
प्रेमी जोड़ो के जान देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा| हरियाणा के जिला कैथल के सजूमा गाव के रीना व् ईश्वर ने साथ जीने मरने की कसमे खाई थी| साथ तो जालिम दुनिया के डर नही जी सके मगर साथ साथ मर कर जरुर अपने प्यार में खाई कसमो को निभा गये| रीना व् ईश्वर एक ही परिवार व् एक ही जाति सम्बन्ध रखते थे| दोनों का अरसे से प्रेम प्रसंग चल रहा था जो उन्हें घर से भागने को मजबूर कर रहा था| वे 29 दिसम्बर को फरार हो गए| काफी खोजबिन की गई मगर दोनों का कोई आता पता नहीं चाल पाया| तब रीना के पिता ने कलायत थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई| परिवार वालो का कहना है की हमे इस प्रेम के बारे में कोई जानकारी नही थी|रीना व् ईश्वर के प्रेम की जानकारी ईश्वर के पिता को भी नही थी| ईश्वर के पिता का कहना है कि इनके घर से भागने कि जानकारी पूलिस से सुचना मिलने ही मिली| पुलिस इंस्पेक्टर रामचंदर के अनुसार दोनों कि पहेचान रीना के हाथ पर रीना व् लड़के के हाथ पर ईश्वर लिखा हुआ था व् पास पड़े मोबाईल की काळ से पता चला की ये कहा के रहने वाले है|
8:46 pm
आपका अख्तर खान अकेला
एक मां के आंसू जो इरादों में बदल गये .....
दोस्तों यह कोई कालपनिक कहानी नहीं
एक हकीकत हे
जी हाँ दोस्तों यह एक मां के आंसू थे
जो थोड़ी सी देर में ही सख्त इरादे में बदल गये ।
नये साल के एक दिन पहले में अदालत में अपनी सीट पर बेठा था के आँखों में आंसू लियें
एक महिला याचक की तरह मेरे पास आई और फिर अपनी बात बताने के पहले ही फुट फुर कर रोने लगी
मेरे आस पास के टाइपिस्ट , वकील और मुशी उसे देखने लगे महिला मेरी पूर्व परिचित थी इसलियें उसे दिलासा दिलाया जम महिला शांत हुई तो उससे उसकी परेशानी पूंछी महिला ने दोहराया के आपको तो पता हे मेरे पति के
तलाक लेने के बाद केसे मेने जिंदगी गुजर बसर कर अपने बच्चों को पाला हे उन्हें बढा किया हे और उनका विवाह किया हे में आज भी दोनों लडकों के विवाह के बाद उनके कुछ नहीं कमाने के कारण उनका खर्चा चला रही हूँ और बच्चे हे के शादी और डिलेवेरी के खर्च के वक्त उधार ली गयी राशी को चुकाने का प्रयास ही नही कर रहे हें जबकि पति तलाक के बात लकवाग्रस्त हो जाने से मेरे घर आ गया हे ओऊ उसका इलाज भी मुझे ही करवाना पढ़ रहा हे मेरा भी हाथ तंग हे इसलियें में बेबस हूँ मेने एक कर्ज़ के पेटे कर्ज़ लेने वाले को चेक दिया था उसने मेरे खिलाफ मुकदमा कर दिया और अदालत से मेरे खिलाफ जमानती वारंट आया हे हमने महिला के हाथ में से जमानती वारंट लेकर देखा वारंट केवल पांच हजार रूपये के चेक के मामले को लेकर भेजा गया था मेने और मेरे साथियों ने उस महिला की आँख में आंसू और चेहरे पर बेबसी देखी तो उसे हिम्मत दिलाई मुकदमें में उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा इस का उसे दिलासा दिलाया महिला ने राहत की सांस ली और बेठ गयी इसीस बीच लगभग एक आठ साल का बच्चा हाथ में थेला और ब्रुश लिए आया और कहने लगा वकील साहब पोलिश , यकीन मानिए में कभी भी इन बच्चों से पोलिश नहीं कराता हूँ लेकिन उस दिन ना जाने क्या दिमाग में आया के मेने चुपचाप जूते उतार कर उसके आगे बढ़ा दिए बच्चा नादाँ सा सभी दुःख दर्द से बेखबर होकर जूतों पर पोलिश करने के लियें जुट गया मेने उससे मजाक किया के बेटा पोलिश तो तू आज कर दे पोलिश के पेसे तू कल ले जाना बच्चे ने नजर उठाई और कहा के नहीं सर कल तो जुम्मा हे में नमाज़ पढूंगा पेसे तो आज ही लूंगा , में दुसरा सवाल करता इस के पहले ही उस बेचें पीड़ित महिला के दोनों बेटे भी पास ही आकर बेठ गये थे , मेने फिर उस पोलिश वाले बच्चे से दूसरा सवाल किया के बेटे तुम पढ़ते नहीं उसने कहा सर दिन में पढ़ता हूँ अभी में स्कुल से ही तो आया हूँ और घर से बस्ता रख कर इधर आ गया , बच्चे से पूंछा के तुम कहां रहते हो तो उसने उद्योग नगर वेम्बे योजना में रहना बताया , जब बच्चे से दिन भर की कमिया का ब्यौरा लिया तो बच्चे ने वही शालीनता से जवाब दिया सर पचास से सत्तर रूपये तक रोज़ कम लेता हूँ , बच्चे से फिर मेने सवाल किया के तुम इन रुपयों का क्या करते हो तो बच्चे ने फिर सहज और मासूमियत भरा जवाब दिया सर मेरे पापा को घर पर लेजाकर दे देता हूँ वोह अकेले ढोलक बेचते हें जिससे घर का खर्च ठीक से नहीं चलता पुराना कर्जा हे इसलियें कर्जा उतारने के लियें में भी कमाई कर रहा हूँ , बच्चे की बात सुनकर उस पीड़ित महिला के दोनों बच्चे बगले झाँकने लगे मेने पोलिश वाले बच्चे से फिर वही सवाल किया और उसने फिर वही जवाब दोहराया बस फिर किया था जो महिला आँखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी लेकर आई थी उसके आंसू सुख गये थे और वोह अपने बच्चों के इस छोटे से बच्चे की सीख से आचरण में बदलाव महसूस कर रही थे इसलियें उस महिला के आंसू मजबूत इरादों में बदल गये और दोनों बच्चों ने महिला का हाथ पकड़ा और कहा चल मम्मी घबरा मत देखते हें हम और तुइम मिलजुल के कुछ करेगे तो कर्जा तो उतर ही जाएगा परेशानी बेबसी और आंसुओं के बाद एक छोटा सा पोलिश करने वाला बच्चा एक मां के बिगड़े बच्चों को इतनी बढ़ी सीख और बेबस मां को हिम्मत दे जायेगा में सोच ही रहा था के पोलिश वाले बच्चे ने कहा के सर पोलिस के पेसे मेने जेब में हाथ डाला तो खुल्ले नहीं थे पचास का नोट था बच्चे ने कहा सर में खुल्ले करवा कर लाता हूँ लेकिन मेने कहा बेटा बस खुल्लों की जरूरत नहीं हे पुरे के पुरे तू ही रख ले यकीन मानिये उस बच्चे को जबरन पचास रूपये देने के लियें मुझे काफी जद्दो जहद करना पढ़ी तब वोह जाने को तयार हुआ लेकिन कहकर गया हे के अब में बकाया पैसों की रोज़ आपके जूतों की पोलिश करा करूंगा .......... तो ऐसे एक मासूम से बच्चे ने जिंदगी का एक बहुत बढ़ा सबक सिखा दिया जो शायद कभी भुलाया नहीं जा सकेगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
4:05 pm
आपका अख्तर खान अकेला
कोटा नगर निगम ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लियें कोंग्रेस और भाजपा एजेंडे के विपरीत नगर टेक्स लगा कर टेक्स की वसूली शुरू कर दी हे । यह टेक्स लगाने का फेसला भाजपा सरकार ने तीन वर्ष पूर्व किया था लेकिन कोंग्रेस के पुरजोर विरोध के चलते कोटा में इस चोथ वसूली को शुरू नहीं की जा सकी थी ।
कोटा में पहली बार नगर निगम की महापोर कोंग्रेस की बनी कोटा से लेकर जयपुर और दिल्ली तक की सरकार कोंग्रेस बन गयी कड़ी से कड़ी जुड़ गयी बस इस नशे में कोंग्रेस की महापोर भवन कर के मामले में भाजपा सरकार में कोंग्रेस द्वारा क्या गया विरोध भूल गयी उन्हें याद भी केसे रहता उस वक्त वोह तो कोंग्रेस में थी ही नहीं उन्हें कोंग्रेस की नीतियों का कोई ज्ञान भी नहीं था वोह तो पेराशूट से आयीं और कई कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं का हक मारकर महापोर बन गयीं इसलियें उन्होंने इस कर वसूली को शुरू कर दिया , अब भाजपा की बारी थी इसलियें भाजपा के विधायक ओम क्रष्ण बिरला ने कोंग्रेस के नगर निगम बोर्ड को उनके द्वारा किये गये विरोध और टेक्स वसूली रुकवा देने की कार्यवाही को याद दिलाया तो कोंग्रेसी कान में तेल डाला कर बेठ गये योजना एके तहत कोंग्रेसियों ने खुद ने पहल कर कथित रूप से टेक्स जमा कराया टी वी पर विज्ञापन दिलवाए के हम कोंग्रेसी बढ़े नेता हें हमने भी टेक्स जमा करा दिया आप भी जमा कराओ बस टेक्स जमा होने लगा भाजपा के विधायक ओम बिरला जी ने इस वसूली को गलत और अन्याय बताते हुए निगम के बाहर जा कर प्रदर्शन किया प्रदर्शन के दोरान हठधर्मिता के चलते हेल्प लाइन के कांच टूट गये बस फिर क्या था कोटा नगर निगम को मोका मिल गया और कोंग्रेस की महापोर ने भाजपा के विधायक ओम बिरला सहित जो लोग वहां नहीं थे उनका भी नाम लिखा दिया व्यापार महासंघ के राजकुमार माहेश्वरी वहां नहीं थे लेकिन उनका नामा मुलजिमों की सूचि में डाला गया हे विधायक के खिलाफ रिपोर्ट हे इसलियें जांच तो सी आई डी सी बी करेगी बस जांच का नाटक होगा ओर अगर चलन पेश भी हुआ तो अगली बार जब भाजपा की सरकार आएगी तो इन मुकदमों को जनहित में वापस ले लिया जायेगा कुल मिला कर ऐसी द्वेषता पूर्ण मुकदमे बजी का कोई ओचित्य नहीं हे लेकिन मुकदमें किये गये हें ।
खेर यह तो मुकदमे बाज़ी की बात हुई लेकिन कल शाम को हमारे भाई मंगलवर्धनी अख़बार परिवार की तरफ से नये साल का जश्न था कोटा साबर मति कोलोनी में कार्यक्रम था पत्रकारों को अधिकारीयों और नेताओं को बुलाया गया था में खुद भी वहां मोजूद था कार्यक्रम का संचालन मुझे दिया गया लेकिन कल नगर निगम में तोड्फोल होने के बाद विधायक और पूर्व संसदीय सचिब ओम जी बिरला तो मुलजिम बन चुके थे इधर महापोर नगर निगम रत्ना जेन फरियादी थीं जबकि आई जी कोटा रेंज दलपत सिंह जी दिनकर इस कार्यक्रम के मुक्य अतिथि थे मेने आयोजक महोदय बद्रीप्रसाद जी गोतम और कोटा ब्यूरों के सम्पादक के अलावा प्रेस क्लब के महा सचिव हरिमोहन जी को बुलाया उन्हें कान में एक ही घाट पर मुलजिम पुलिस और फरियादी की मोजुदगी का एहसास दिलाया बस सब गम्भीरता को समझ गये फरियादी मुलजिम और पुलिस एक ही घाट पर पानी केसे पीती इसलियें पहले आई जी का कार्यक्रम हुआ फिर उनके जाने के बाद महापोर जी का कार्यक्रम हुआ और फिर भाजपा के नेताओं का कर्यक्रम रखा गया तो जनाब एक ही घाट और सब जमा तो हुए लेकिन कार्यक्रम में आमद अलग अलग खेमे में होने से कार्यक्रम भी हो गये पुलिस मुलजिम फरियादी की गरिमा भी बनी रही और नया साल जिंदाबाद भी हो गया तो जनाब ऐसी उहा पोह में मना कल का नव वर्ष लेकिन एक ख़ास बात रही कल प्रदर्शन की घटना और मुकदमे बाज़ी के बाद भी भाजपा के विधायक ओम जी बिरला निश्चिन्त होकर सडकों पर नंगे पैर लोगों को ढूंढ़ कर चप्पलें पहनाने का अपना काम करते देखे गये जो अपने आप में अनूठा सेवा कार्य का उदाहरण हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
11:58 pm
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10:09 pm
आपका अख्तर खान अकेला
भाईयों बहनों जवानों और बुजुर्गों और जो भी हों सभी को इस नये साल की शुरुआत पर राम राम , आदाब अर्ज़ हे ,सत्सिरी अकाल , सभी को नववर्ष शुभ हो यह तो हुई ओपचारिकता अब हम कम की बात करें सब जानते हें के जो नया होता हे वोह पुराना होता हे , जो आता हे वोह जाता हे और सालों का आना जाना एक प्राणी परम्परा हे जीने की गणना गिनती हे लेकिन अब साल के आने जाने और साल के मिलन की रात को धमाचोकड़ी और धूमधाम जिसमे शराब और शबाब न हो तो सब बेकार हे की सोच बन गयी हे क्या यह सही हे क्या यह गलत हे जरा अपने दिल पर हाथ रखो और दिल से पूंछ डालो जनाब जो जवाब मिले बताना जरुर ।
दोस्तों मेरे भी सीने में एक बीमार दिल हे जो कभी कभार धडकता हे मेने इसीलियें अपने सीने पर हाथ रखा धक धक के आलावा कुछ सुनाई नहीं दिया फिर दिमाग से आवाज़ आई के यह सब जो हो रहा हे दिखावा हे छलावा हे गलत हे , दुबारा जवाब आया सही यही हे , विश्व की बात तो छोड़े देश की परम्परा की बात करें हमारे देश में हम काहे कई सो वर्ष तक अंग्रेजों के गुलाम रहे हों लेकिन अपना धर्म अपनी परम्परा हमने नहीं बदली हे हाँ कुछ शोक हें जो हमे पला लिए हें हेपी निव इयर भी इसीस में से एक हे , हम जानते हें के जो पुराना वक्त हे उस वक्त को हमने इज्जत नहीं दी हमने कोई प्लान नहीं किया जो प्लान किया उसे पूरा नहीं किया और देखते ही देखते तेरी मेरी में यह साल निकल गया और फिर नया आ गया हमारी जिंदगी का एक साल कम हो गया , दोस्तों अगर हम वक्त की कीमत समझ लें किसिस शायर के इस कथन के वक्त करता जो वफा आप हमारे होते , यह समय चक्र हे वक्त रुकता नहीं वक्त चलता रहता हे इस सच्चाई को समझ लें तो बात ही कुछ और हो हमारे देश के कानून से जुड़े लोगों ने इसे समझा ओर इस मामले में वक्त गुजर जाने पर कोई भी कार्यवाही से लोगों को रोक दिया गया और इसके लियें अलग से वक्त का कानून जिसे मियाद अधिनियम या लिमिटेशन एक्ट कहा गया ।
तो दोस्तों नया साल आया हे अब सोचें के हमने इस गुजरने वाले साल में किया खोया किया पाया ऐसा क्या छुट गया जिसे हम हांसिल कर सकते थे लेकिन हमारी कमजोरी या लापरवाही से हमारे हाथ से छीन गया ऐसे कितने लोग हें जिन्हें हमने बिना किसी वजह के दुश्मन बना लिया हमने ऐसे कितने खर्च किये जो अनावश्यक थे इन सब का लेखा जोखा हमें करना होगा नये साल में हमें एक नया केलेंडर एक नई प्लानिंग तय्यार करना होगी जिसे समयबद्ध बना कर इस नये साल में पूरी करने का संकल्प करा होगा केवल नाच गाने जश्न यह सब तो बेमानी हे हाँ अगर हम अपने जीवन में कामयाब हुए हें अगर हमने जो सोचा वोह किया हे अगर हमने समाज में खुद को स्थापित किया हे अगर हमने देश के लियें समाज के लियें कुछ यादगार किया हे तो हमे इस साल के जाने और नये दल के आने के मिलन के वक्त पर जश्न मनाने का हक हे वरना जो सब कर रहे हें अगर वोह हम करते हें तो फिर बताओ हम लोग क्या सही क्या गलत कर रहे हें यह तो हमें ही सोचना होगा तो दोस्तों एक बार फिर जरा सोचो कलम उठाओ या फिर डायरी उठाओ लेब्तोप उठाओ और बनाओ भविष्य की देश के हित में योजना खुद के और खुद के परिवार समाज के उत्थान की योजना देखो ऐसा सपना जिसे इस नये साल में इस नये साल के पुराना होने के पहले ही हम इन सपनों को साकार करें और साल के हम स्टार कहलायें क्या कर सकेंगे ऐसा हम हाँ अगर आज से आज से क्या अभी से हमने यह सब संकल्प ले लिया तो समझों कामयाबी दूर नहीं हे इसलियें अभी तो केवल हेपी निव इयर और फिर कामयाबी के बाद अगर में जिंदा रहा तो फिर मिलेंगे और गले मिल कर कहेंगे सब कुछ हेपी हेपी हे और आल इज वेल्ल आल इज वेल्ल । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
8:49 am
आपका अख्तर खान अकेला
दोस्तों
बस
इतनी सी बात
आँधियों को
बता कर रखना
रौशनी होगी
इसलियें आँधियों में भी
चिरागों को
जलाए रखना
अपनी जान
अपना लहू देकर
हिफाजत की हे
हमने जिसकी
बस उस हिन्दुस्तान को
बनाये रखना
इसकी शान, बान ,आन हे तिरंगा
इस तिरंगे को दोस्तों
अपने दिल में
बसाये रखना ।
नया साल बहुत बहुत मुबारक हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान