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31.12.10

अब तो अपनी चवन्नी भी चलना बंद हो गयी यार

दोस्तों पहले कोटा में ही किया पुरे देश में अपनी चवन्नी चलती थी क्या अपुन की हाँ अपुन की चवन्नी चलती थी ,चवन्नी मतलब कानूनी रिकोर्ड में चलती थी लेकिन कभी दुकानों पर नहीं चली , चवन्नी यानी शिला की जवानी और मुन्नी बदनाम हो गयी की तरह बहुत बहुत खास बात थी और चवन्नी को बहुत इम्पोर्टेंट माना जाता था इसीलियें कहा जाता था के अपनी तो चवन्नी चल रही हे ।
लेकिन दोस्तों सरकार को अपनी चवन्नी चलना रास नहीं आया और इस बेदर्द सरकार ने सरकार के कानून याने इंडियन कोइनेज एक्ट से चवन्नी नाम का शब्द ही हटा दिया ३० जून २०११ से अपनी तो क्या सभी की चवन्नी चलना बंद हो जाएगी और जनाब अब सरकरी आंकड़ों में कोई भी हिसाब चवन्नी से नहीं होगा चवन्नी जिसे सवाया भी कहते हें जो एक रूपये के साथ जुड़ने के बाद उस रूपये का वजन बढ़ा देती थी , दोस्तों हकीकत तो यह हे के अपनी तो चवन्नी ही क्या अठन्नी भी नहीं चल रही हे फिर इस अठन्नी को सरकार कानून में क्यूँ ढो रही हे जनता और खुद को क्यूँ धोखा दे रही हे समझ की बात नहीं हे खेर इस २०१० में नही अपनी चवन्नी बंद होने का फरमान जारी हुआ हे जिसकी क्रियान्विति नये साल ३०११ में ३० जून से होना हे इसलियें नये साल में पुरे आधा साल यानि जून तक तो अपुन की चवन्नी चलेगी ही इसलियें दोस्तों नया साल बहुत बहुत मुबारक हो ।
नये साल में मेरे दोस्तों मेरी भाईयों
मेरे बुजुर्गों सभी को इज्जत मिले
सभी को धन मिले ,दोलत मिले ,इज्जत मिले
खुदा आपको इतना ताकतवर बनाये
के लोगों के हर काम आपके जरिये हों
आपको शोहरत मिले
लम्बी उम्र मिले सह्तयाबी हो
सुकून मिले सभी ख्वाहिशें पूरी हो
जो चाहो वोह मिले
और आप हम सब मिलकर
किताबों में लिखे
मेरे भारत महान के कथन को
हकीकत में पूरा करें इसी दुआ और इसी उम्मीद के साथ
आप सभी को नया साल मुबारक हो ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

30.12.10

आया नया साल रे

आया नया साल रे
होगा कुछ कमाल रे
जाते हुए साल तू
न डोरे हम पे डाल रे।

होगा एक नया घोटाला
निकलेगा जन का दिवाला
नेता-वेता, लाला-वाला
करेंगे कुछ गड़बड़ झाला
बोलता है कवि कितना
ज़बान को संभाल रे।

पेट्रोल, डीज़ल देंगे दगा
प्याज ज़ुल्म ढाएगा
मुंबई जलाने को
फिर कसाब आएगा
नया साल खेलेगा
नई -नई चाल रे।

हत्यारी बसों के नीचे
लोग कई आयेंगे
सडको के झगड़ों में
कितने मारे जायेंगे
प्रेम की न यहाँ
गल पायेगी दाल रे।

विधवाएं शहीदों की
संसद में रोयेंगी
अफज़ल की पीढ़ियाँ
चैन से सोयेंगी
देशभक्त होने का
रहेगा मलाल रे।

कुछ न कुछ तो हो अच्छा
कुछ न कुछ तो हो भला
रहे जिससे सबका
तन और मन खिला
नए साल करना तू
कुछ ऐसा धमाल रे।

27.12.10

मेरा पढने में नहीं लागे दिल

मेरा पढने में
नहीं लागे
अब दिल ,
मेरे लियें
अब
पढाई हुई मुश्किल ,
क्यूंकि
पहले तो
मुन्नी
बदनाम हुई थी
और अब
खुद ही देख लो
शीला
जवान हो गयी हे ।
इसलियें छोड़ों
किताबें
उठो
मेरे साथ
और कहो
एक साथ
मेरा पढने में
नहीं लागे दिल ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बडबोली सरकार ट्रेक से बेरंग लोटी

जी हाँ दोस्तों राजस्थान सरकार जो गुर्जर आरक्षण के मामले में ट्रेक पर जमे गुर्जर नेताओं को ललकार रहे थे के ट्रेक पर गुर्जर चाहे दते रहे सरकार ट्रेक पर नहीं जाएगी वार्ता ट्रेक पर नहीं टेबल पर होगी सरकार ने यह भी ललकार दी की नियुक्तिया किसी भी कीमत पर नहीं रुकेंगे सरकार की इस गीदड़ भभकी से गुर्जर डरे तो नहीं बलके एक जुट हो गये जब सरकार ने पासा पलटते देखा तो मुख्यमंत्री जी तो उद्घाटन भाषण में केकड़ी,भीलवाडा,जोधपुर,उदयपुर घूमते रहे लेकिन तीन मंत्रियों की एक कमेटी और फिर तीन अधिकारीयों की एक कमेटी बना दी नियुक्तियों के मामले में संशोधित बयान जारी किया खुद कोंग्रेस सरकार के मंत्री जितेन्द्र सिंह बसला को मनाने रेलवे ट्रेक पर जा बेठे तो जनाब सरकार ने जो कहा उससे अलग हठ कर खुद का थूका निगल लिया ,सरकार तो अपनी बात से बदल गयी लेकिन गुर्जर आज भी अपनी बात पर कायम हें के आरक्षण मामले में कोई ठोस वायदे के पहले ट्रेक से नहीं हटेंगे।
इधर सरकार हे के इस आन्दोलन का ठीकरा खुद की नाकामी को छुपा कर भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया और राष्ट्रिय भाजपा अध्यक्ष गडकरी पर मड रही हे रोज़ लगातार लगाये जा रहे घटिया आरोपों से तंग आकर आखिर आज खुद वसुंधरा ने गहलोत मख्यमन्त्री जी को उनकी ओकात याद दिलाते हुए कह ही डाला के मुख्यमंत्री जी दो साल से आपकी सरकार हे गुर्जरों के आरक्षण के मामले में आपने इसे प्रधानमन्त्री जी से मिलकर नवीं अनुसूची में क्यूँ नहीं डलवाया वसुंधरा ने खान के मुख्यमंत्री गहलोत जी अगर आपको दो सालों में प्रधानमन्त्री जी टाइम नहीं डर रहे हें तो क्रप्या कर हमें बताएं हम आपको प्रधानमन्त्री जी से मिलने का टाइम दिलवा देते हें बस अब गुर्जर मामले में समस्या समाधान से ज्यादा दोनों पार्टियों की राजनीती का डोर शुरू हो गया हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सी बी आई जज को बंधक बनाया

सी बी आई ने एक आपराधिक प्रकरण में लो कोलेज को मान्यता देने के नामा पर एक बार कोंसिल ऑफ़ इण्डिया के सदस्य राजेन्द्र सिंह राणा को गिरफ्तार किया और कल उन्हें जब दिल्ली की पटियाला सी बी आई कोर्ट में पेश किया तो मामले की गम्भीरता को देखते हुए जज साहब ने रानावत साहब की जमानत की अर्जी खारिज कर दी बस फिर किया था वहन अदालत में वकीलों ने हंगामा खड़ा कर दिया ।
सुनते हें के सभी वकीलों ने सी बी आई की उपस्थिति में पटियाला सी बी आई जज साहब को अघोषित बंधक बना डाला और सी बी आई के लोगों के साथ धक्का मुक्की भी की , मामला चाहे जो भी रहा अहो कानून के जानकारों और खास कर कानून के जानकारों के नेता की गिरफ्तारी के बाद वकीलों का यह उठाया गया गेर कानूनी अलोकतांत्रिक कदम एक अपराध हे और देश के लोकतंत्र के लियें यह व्यवस्था ठीक नहीं हे ताज्जुब तो यह हे के जब इस मामले एन कोई जांच चल रही थी तो फिर इन राणा साहब ने अग्रिम जमानत क्यूँ नहीं करवाई खेर देखते हे अब सी बी आई और न्याय विभाग मिल कर वकीलों के खिलाफ क्या कार्यवाही करते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोंग्रेस के १२५ साल पुरे होने पर कार्यवाही

देश की सबसे बड़ी राजनितिक पार्टी कोग्रेस यानि इंडियन नेशनल कोंग्रेस यानी गाँधी और नेहरु परिवार की लिमिटेड कम्पनी कोंग्रेस के १२५ साल पुरे हो गये हें और २८ तारीख यानी कल इस मामले को लेकर कोंग्रेस जिले से लेकर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित करेंगी ।
भारत में गुलामी से आज़ादी के मामले में ऐ ओ ह्युम ने कोंग्रेस का गठन किया था यानि कोंग्रेस का गठन किसी भारतीय ने नहीं विदेशी ने किया था और कोंग्रेस पर प्रारम्भ से ही इसाइयत का साया रहा हे कोंग्रेस बढती गयी गाँधी और नेहरु इस पार्टी से जुड़ते गये और फिर यह कोंग्रेस केवल और केवल गांधी और नेहरु की लिमिटेड कम्पनी बन कर रह गयी , देश में कोंग्रेस को जनता ने प्यार दिया सत्ता दी दलित,पिछड़े,अल्पसंख्यक स्थायी वोटर दिए लेकिन उनकी हालत किया हे सब जानते हें ,घोटालों का इतिहास आपात स्थिति सब ओ पता हे गाँधी जी राष्ट्रपिता थे तो नेहरु जी प्रधानमन्त्री फिर नेहरु से कोंग्रेस कुछ दिनों बाद नेहरु की पुत्री इंदिरा जी के कब्जे में हो गयी फिर संजय गाँधी फिर राजीव गाँधी फिर सोनिया गाँधी फिर राहुल गाँधी , मेनका और वरुण गाँधी ,प्रियंका गाँधी यानी कोंग्रेस जहा पनाह ,आलम पनाह की पार्टी बन कर रह गयी हे मेने अपने जीवन में कोंग्रेस की सन्गठन की अध्यक्ष के कोंग्रेस विधान के हिसाब से कभी सदस्य बनते हुए और कभी लोकतान्त्रिक तरीके से चुनाव करवाकर अध्यक्ष निर्वाचित करवाते नहीं देखा , मेने कोंग्रेस मंत्रियों के इर्द गिर्द मलाई खाते किसी भी कोंग्रेसी को नहीं देखा कभी कोंग्रेस कार्यालय पर किसी भी कोंग्रेस के मंत्री या मुख्यमंत्री को जनसमस्याएं सुनते हुए नहीं देखा यानि कोंग्रेस में वोह सब हुआ जो कोंग्रेस के विधान में नहीं लिखा हे कोंग्रेस के विधान में कोंग्रेस के सदस्यों के लियें लोकतान्त्रिक तरीके से चुनाव करना ,खादी पहनना ,अपनी वार्षिक आय का हिसाब किताब कार्यालय में जमा कराकर उसका ५ प्रतिशत कोंग्रेस फंड में जमा कराना और पुरे साल में कमसे कम सात दिनों का अवकाश लेकर सात दिनों तक जनता के बीच जाकर जनता की सेवा करना शामिल हे । अब कोंग्रेस के १२५ वर्ष पुरे हो रहे हें लेकिन कोई भी कोंग्रेस के विधान को लागु करने और कोंग्रेस में लोकतान्त्रिक व्यवस्था स्थापित करवाने के प्रति गम्भीर नहीं हे चुनाव हों और सोनिया जी बेलेट से जीतकर आयें किसी को एतराज़ नहीं हे राहुल जी सोनिया जी मनमोहन जी या कोई भी हीं सब अपनी बेलेंस शीट कोंग्रेस कार्यालय में पेश करें और उस आमदनी का ५ प्रतिशत कोंग्रेस कार्यालय के फंड में जमा कराएं सैट दिन का अवकाश लें और जनता के बीच आकर कर सेवा करें यहीं कोंग्रेस का धर्म हे जी हुजूरी और यस सर कोंग्रेस की परम्परा नहीं थी जो आज़ादी के बाद मोका परस्तों ने बना डाली हे इसलियें भाइयों ब्लोगर साथियों आप भी कोंग्रेस में जन जागरण कार्यक्र की कोशिश करें ताकि देश एक बार फिर महगाई,भुखमरी,जातिवाद ,आरक्षण,मिलावट ,जमाखोरी,भ्रस्ताचार,आतंकवाद से मुक्त हो सके ............... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

26.12.10

सी बी आई केंद्र सरकार के हाथ का खिलौना

देश में सभी भ्रष्ट और अपराधियों को सबक सिखाने वाली एक मात्र संस्था सी बी आई केंद्र सरकार के हाथों का खिलौना बन गयी हे क्या भाजपा क्या कोंग्रेस और क्या जनता दल सभी पर कहीं न कहीं सी बी आई के दुरूपयोग के आरोप लगे हें और इसीलियें सी बी आई संस्था के निदेशक पद पर वफादार आदमियों की पदोन्नति की कोशिश की जाती हे वोह तो भला हो के कुछ मामलों में हाईकोर्ट की दखल अंदाजी से सी बी आई की कार्यप्रणाली मजबूत रही हे लेकिन एडरसन, बोफोर्स से लेकर छोटे बढे सभी मामलों में सरकार के हाथ में ही सी बी आई की चाबी रही हे ।
हाल ही में इस बात का सबूत सी बी आई के पूर्व निदेशकों ने अपनी प्रकाशित पुस्तकों में किया हे मेरा मानना हे के ऐसे सभी अधिकारी जो अपने पदों पर बने रहने के लियें सरकार के सभी दबाव झेलकर पद बनाये रखने के लियें चुप रहते हें चुप रहकर अपराध में शामिल रहते हें और फिर नो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली की तर्ज़ पर खुद को बेदाग़ और दबंग साबित करने की होड़ में किताबें लिख कर मिडिया में खबरें बनवाते हें मिडिया भी उनमें से किसी से यह सवाल नहीं करता के जब उन पर दबाव था तो उन्होंने इस्तीफा देकर इस सरकारी अपराध को जनता तक क्यूँ नहीं पहुंचाया । पूर्व सी बीआई निदेशकों ने शायद खुद के द्वारा नोकरी पर चढने के पहले ली जाने वाली शपथ का कानून नहीं पढ़ा जिसमें नोकरी के दोरान जो भी कार्य किये गये हें उस मामले की कोई जानकारी किसी भी सुरत में सार्वजनिक नहीं की जाएगी और वेसे भी यह सब ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के प्रावधानों के तहत दंडात्मक अपराध हे पहले तो ऐसे लोग जो नोकरी के दोरान समझोते करते हें महत्वपूर्ण पदों पर जाते हे जो सरकार कहती हे वोह करते हें और अगर सरकार गलत कहती हे तो ऐसे बेईमान नेताओं के नाम यह अधिकारी जनता तक नहीं पहुंचाते हे फिर पद मुक्त होने और सरकार चले जाने के बाद बिना दस्तावेजी रिकोर्ड की बातों को अहमियत देकर किताबें लिख कर झूंठी प्रसिद्धि और रुपया कमाते हें ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होना चाहिए और उन्हें भी जेल का रास्ता दिखाना चाहिए ताकि कुर्सी और पद पर रहते ही ऐसे अधिकारी सरकार या किसी भी नेता के दबाव का सार्वजनिक विरोध करें और सरकार का सच जनता के सामने आये तभी यह देश में बेठे नेताओं को बेनकाब कर सकेंगे ।
अब हम बात करते हें सरकारी एजेंसियों पर सरकार के दबाव की तो सब जानते हें को आई बी जो देश के आतंकवाद की खबरें और दूसरी खबरें देश के लोगों को देने के लियें वचन बद्ध हे उनसे विपक्ष के नेताओं और अधिकारीयों की जासूसी करवाई जाती हे और फिर जब भी यह लगो सरकार से जाते हें तो कार्यभार देने के पहले लाखों फाइलें नष्ट करके जाते हें मिडिया सरकार के इस सच को खूब अच्छी तरह जनता हे लेकिन कभी भी मिडिया ने इस मामले में कोई स्टिंग ओपरेशन नहीं किया अभी राडिया मामले में मिडिया की भूमिका सब देख चुके हें कोन कितना नंगा हे जनता सब जानती हे लेकिन सी बी आई की स्वायत्त के लियें प्रधानमन्त्री और विपक्ष के नेता के अलावा सुप्रीम कोर्ट के जज की सदस्यता वाली एक समिति बनना चाहिए जो कम से कम ६ माह में सी बी आई की कारगुजारियों और अनुसन्धान की समीक्षा करें सी बी आई को आने वाली दिक्कतों का ध्यान रखे और अधिकारीयों के प्रमोशन एवार्ड रिवार्ड के मामले में बिना पक्षपात के कार्यवाही हो तो सी बी आई काफी हद तक चरित्रवान बन सकेगी और निष्पक्ष कार्यवाही की भी उम्मीद रहेगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान