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24.12.10

ऍन डी तिवारी और डी ऍन ऐ टेस्ट

कोंग्रेस के कभी वरिष्ठ नेता रहे नारायण दत्त तिवारी इन दिनों अपने पूर्व प्रेम जाल के कारण परेशान हें वी तो उनके खिलाफ खुद उनकी पार्टी के ही लोग लगे हें क्योंके वोह कुछ साला पहेल सोनिया गाँधी को विदेशी कहकर कोंग्रेस से अलग हो गये थे और तिवारी कोंग्रेस का गठन किया था फिर वोह माफ़ी मांग कर वापस कोंग्रेस में आ गये और कोंग्रेस ने तिवारी को राज्यपा के ओहदे से नवाज़ा बस वहीं से तिवारी का बुरा वक्त शुरू हुआ , तिवारी के एक कथित बेटे रोहित ने दावा किया हे के ऍन डी तिवारी उनके पिता हे और रोहित की मां उज्ज्वल जो कोंग्रेसी कार्यकर्ता थीं उनसे इनके ताल्लुकात थे , अब रोहित ने हाईकोर्ट में इसे सही साबित करने के लियें तिवारी के डी ऍन ऐ टेस्ट की दरख्वास्त लगाई जो मंजूर भी कर ली गयी , हाईकोर्ट ने तिवारी को डी ऍन ऐ टेस्ट के आदेश दिए हें वेसे पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ऐसे टेस्ट जो किसी व्यक्ति की स्वतन्त्रता का हनन करते हों उसके लियें इंकार कर चुका हे लेकिन हाईकोर्ट का आदेश हे इसलियें मानना तो होगा ही या फिर सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश की अपील करना होगी सच किया हे यह तो पता नहीं लेकिन हर नाजायज़ ओलाद की मां अपने बेटे को सबूतों सहित अगर सफेद पोश बापों का नाम बताने लगे और फिर ऐसे बच्चे बढ़े होने के बाद इस लड़ाई को लढे तो देश में जारता और हरामखोरी अय्याशी पर रोक लग सकेगी क्योंकि डी ऍन ऐ टेस्ट ऐसे सभी बापों की पोल खोल कर रख देगा देखते हें तिवारी जी के साथ क्या होता हे लेकिन दुसरे नेता जो महिला कार्यकर्ताओं को उपभोग की वस्तू मानकर मज़े करते हें उनकी तो अभी रातों की नींद हराम हो गयी होगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बुढापे में चढ़ी जवानी

दोस्तों कहते हें के ऊमर के किसी भी पढाव पर जिस्म चाहे बुढा हो जाए लेकिन दिल हे के हमेशां जवान ही रहता हे और प्यार , दिल्लगी की कोई ऊमर नहीं होती हे ऐसा ही एक सच कोटा में देखने को मिला ८५ साल के मदनमोहन शर्मा कोटा पाटनपोल सतही मथुराधीश के मन्दिर पर दर्शन के लियें जाते थे वहां उनकी मुलाक़ात एक ६५ साल की महिला से हो गयी दोनों की रोज़ बातचीत ने दोनों का अकेला पन दूर किया और एक दुसरे को एक दुसरे के इतना नजदीक कर दिया के दोनों ने इस ऊमर के पढाव पर एक दूजे के लियें एक दूजे के साथ रहने की कसमें खा लीं , मदनमोहन जी कहने को तो ८५ सक जे हें लेकिन पुलिस के सेवानिव्र्ट अधिकारी हे इसलियें उन्होंने अपनी प्रेमिका का हाथ थमा और क्लेत्रेट ले जाकर विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत विवाह रचने का आवेदन पेश किया अब जब मिडिया को पता चला तो वोह कहाँ चुप होने वाला था पहुंच गया उनकी निजी जिंदगी में दखल देने के लियें किसी ने कहा के प्यार मोहब्बत से इसका कोई सम्बन्ध नहीं महिला को सेवानिव्रत्त पुलिस अधिकारी की पेंशन दिलवाने के लियें यह प्रपंच रचा गया हे लेकिन मामला कुछ भी हो फ़िलहाल तो दिल का ही मामला लग रहा हे और दोनों व्र्द्धाश्र्म के सी पढ़ाव पर जब उन्हें राम राम की लो लगने वाली थी तब विधि अनुसार समाज के सारे कायदे कानून ताक में रख कर दिल की आवाज़ सुन कर दिल का मामला हे की तर्ज़ पर समाज के सामने आ गये हें इश्वर उनके इस प्यार की मान मर्यादा कायम रखे । अख्तर कहाँ अकेला कोटा राजस्थान

कोटा के वकीलों के साथ सरकार का एक और धोखा

कोटा के आंदोलनरत वकीलों की आपसी फुट के चलते सरकार के होसले बुलं हो गये हें और सरकार ने कोटा में आज २४ दिसम्बर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर खोली जाने वाली राज्य उपभोक्ता फ़ोरम की सर्किट बेंच का कार्यक्रम रद्द कर दिया हे वकील इससे और भडक गये हें ।
कोटा के वकील पिछले कई वर्षों से आन्दोलन कर रहे हें और इस आन्दोलन में वरदा के दोरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने २७ नोव्म्बर २००९ को कोटा में राजस्व मंडल की डबल बेंच स्थापित करने , कोटा के वकीलों को प्लाट देने , कोटा में उपभोक्ता फ़ोरम की सर्किट बेंच स्थापित करने का वायदा किया था किन्तु एक वर्ष का समय गुजरने पर भी जब मुख्यमंत्री ने वायदा पूरा नहीं किया तो वकील सडकों पर आ गये वकीलों की उग्रता देख कर सरकार ने आनन फानन में कोटा में राज्य उपभोक्ता सर्किट बेंच खोलने के निर्देश जारी किये और खुद सरकार के प्रवक्ता ने मिडिया से सम्पर्क कर बयान जारी किये के २४ दिसम्बर को कोटा में हर हाल में बेंच खोलने की घोषणा की गयी लेकिन पिछले दिनों कोटा के वकीलों में सरकार कोंग्रेस और भाजपा के नाम पर फुट डलवाने में कामयाब हो गयी और बस वकीलों की ताकत कम देख कर सरकार के होसले बुलंद हुए २२ दिसम्बर को सरकारी बयान आया के मंत्री शांति धारीवाल कोटा नहीं आ पायेंगे इसलियें सादे समारोह में कोटा में सर्किट बेंच की स्थापना होगी राज्य उपभोक्ता बेंच के चेयरमेन जस्टिस अशोक परिहार भी इस आयोजन में रहेंगे लेकिन आज अचानक सरकार ने इस कार्यक्रम को गुर्जर आन्दोलन का बहाना बना कर स्थगित कर दिया हे दर असल सरकार अब यह आयोजन राजनीती से प्रेरित होकर कर रही हे और अब जनवरी में नई कार्यकारिणी के समक्ष यह आयोजन होगा लेकिन सरकार ने एक बार फिर कोटा के वकीलों को अंगूठा दिखा दिया हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

23.12.10

राष्ट्रिय उपभोक्ता दिवस जनता के साथ ठगी ही ठगी

दोस्तों कल २४ दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस हे राष्ट्रिय उपभोक्ता दिवस याने जनता द्वारा किसी भी खरीद मामले में कीमत से लेकर तोल और गुणवत्ता तक की गारंटी का कानून , बस कल इसी कानून का जनता के सामने सरकार
बखान करेगी कल इस दिवस को मनाने के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारे देश के अरबों रूपये विज्ञापन और समारोह में खर्च कर देंगे लेकिन फिर भी जनता को अंगूठे के सिवा कुछ नहीं मिलेगा । देश में जनता को किसी भी वस्तु की खरीद के वक्त उपभोक्ता माना गया हे और उपभोक्ता के अधिकार में उचित कीमत वसूलना , वस्तु समय पर उपलब्ध कराना , सही और गुणवत्ता वाली वस्तु बेचना और तोल में कोई सामान कम नहीं देना शामिल हे जबकि रूपये लेकर किसी भी प्रकार की सेवा में कोई दोष नहीं रहे इस मामले में भी उपभोक्ता को अधिकार दिए गये हें , हमारे देश में उपभोक्ता कानून बनाया गया हे और इस कानून के तहत राष्ट्रीय स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी फिर राज्य स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी फिर जिला स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी यह आवश्यक प्रावधान इस कानून में रखे गये हें लेकिन देश में राज्यों में या जिले में कहां यह परिषदें हें यह परिषदें कहां उपभोक्ता को लाभ पहुंच रही हे किसी को पता नहीं हें यहाँ तक के उपभोक्ता मामलों में राजस्थान में रसद निरीक्षकों को जनता की तरफ से मुकदमें दायर करने के अधिकार दिए हें लेकिन आज तक एक भी अधिकारी ने किसी भी व्यापारियो के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं किया हे पेट्रोल गेस में मिलावट सेवाओं में दोष स्कुल,ट्यूशन में मनमानी सेवाओं मने दोष । खाने पीने की वस्तुओं में मिलावट और तोल में कम बेचना आम बात हे सभी तरह के नकली सामानों की बिक्री धडल्ले से चल रही हे हालत यह हें के देश में इन दिनों आवश्यक वस्तुएं सब्जी,प्याज और दूसरी चीजों के दाम बढ़े हुए हें यह सब उपभोक्ताओं से सम्बंधित हें और सरकार को या आफिर सरकार द्वारा नियुक्त उपभोक्ता परिषदों को इसकी समीक्षा और इन मामलों में कार्यवाही करना चाहिए लेकिन सरकार हे के कानून तो बना दिया लेकिन पालना नहीं की और उपभोक्ता दिवस के नाम पर करोड़ों अरबों के विज्ञापन और दिखावटी कार्यक्रम खूब किये जाते हें उपभोलता परिषदों या रसद निरीक्षकों द्वारा जनता और उपभोक्ताओं के लियें उन्हें न्याय दिलवाने के लियें कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी हे ऐसे में तो बस यही कहा जाएगा के राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस बस राम राम सत्य हो गया हे और जनता उपभोक्ता ठगे से बेठे हें जबकि व्यापारी और उत्पादक सेवा प्रदाता मजे कर रहे हें कहने को कहते हें के एक सादे कागज़ पर उपभोक्ता फ़ोरम में शिकायत कर दो न्याय मिल जाएगा लेकिन व्यवहार में वहां शूल लिया जा रहा हे ५० नियम लागु कलिए गये हें एक परिवाद में कमसेकम ३०० रूपये का खर्च हे तो छोटे मोटे मामले तो पेश ही नहीं होते और जो पेश होते हे उनका क्या हश्र होता हे हम जानते हें सरकार ने इसके लियें विधिक न्यायिक प्राधिकरण और विधिक शःयता समिति बनाई हे लेकिन वहां से लोगों को मदद नहीं मिलती हे वकील जिन्हें सनद इस शर्त पर मिलती हे के वोह कुछ प्रतिशत मामले जनहित के लड़ेंगे लेकिन वोह ऐसा नहीं करते हे अब जनता इस उपभोक्ता दिवस का क्या अचार डालेगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बहाने केसे केसे ....

ऐ मेरे
प्यार के
दुश्मन
तुझे बुलाने के लियें
कभी में
बीमार बनता हूँ
कभी में
बे म़ोत मरता हूँ
तू खुद बता
तुझे
बुलाने के लियें
में करता हूँ
बहाने क्या क्या ?
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यादों का मजार .....

आज
मेला लगा हे
मजार पर
यादों के मेरे
हर शख्स , हर माशूक
यहाँ मोजूद हे
बस नहीं हे तो वोह
जिसे
हर दम
नजरें मेरी तलाशती हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गुर्जर फिर हर कर भी जीते

राजस्थान में गुर्जरों को आरक्षण के नाम पर हाईकोर्ट ने संविधान और देश का कानून बता दिया हे , सरकार भी अपने किये पर पछता रही हे लेकिन गुर्जर हें के हर कर भी जितने के तय्यारी में जुट गये हें , गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बेसला को हाईकोर्ट से आरक्षण का इंकार कर देने की कोई चिंता नहीं हे वोह अपनी ताकत के दम पर सरकार को झुकाने की कोशिशों में जुट गये हें दो दिन में ही गुर्जरों ने सरकार की सालों की कोशिशें बेकार साबित कर दी हें गुर्जर भाई सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगा रहे हें और पहले उन्होंने माहोल में अपनी ताकत बता कर हाईकोर्ट को प्रभावित करने का प्रयास किया फिर हाईकोर्ट से हरने के बाद सरकार से जितने की कोशिशों में जुट गये हें , राजस्थान में कोटा ,भीलवाडा.डोसा,भरतपुर माधोपुर जहां खी भी हो गुर्जरों का प्रभाव हे सरकार चाहे कानून व्यवस्था की कितने ही बढ़ी बढ़ी बातें कहे लेकिन यह सच हे के सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई हे इस बार सरकार की जरा सी भी ना समझी गुर्जरों की तपती आग को शोला बना सकती हे और फिर दो साल के शांति प्रयास धरे रह जायेंगे कर्नल किरोड़ी सिंह को सरकार ने पहले भाजपा का प्यादा समझा बात सही भी साबित हुई वोह भाजपा से कोंग्रेस के नमोनारायण मीणा के खिलाफ लड़े और उन्हें नाकों चने चबा दिए फिर किरोड़ी ने सरकार को उनका प्रतिनिधि बन कर झुकाया एक प्रतिशत आरक्षण लिया फिर अबा वोह अपनी गुर्जर सेना को मरो मरो के तर्ज़ पर रेलवे पटरियों और हाइवे पर लेकर दत गये हें उनके एक इशारे पर राजस्थान ठप्प हो गया हे राजस्थान सरकार की सारी जासूसी और तय्यरियाँ धरी रह गयी हे और अभी भी गुर्जरों के दबाव के आगे सरकार को कोई न कोई फार्मूला तो निकलना ही पढ़ेगा वेसे तो सरकार को इस मामले में पहले से ही तय्यारी कर के रखना थी लेकिन सरकार के पास जनता ओर समस्याओं के बारे में सोचने की फुर्सत कहां हे तो दोस्तों सरकार की नासमझी की वजह से अब राजस्थान में अख़बार, चपाल, चोराहे, और ब्लोगिस्तान में गुर्जर खबरों की ही सुर्खियाँ रहेंगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान