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22.12.10

गुर्जर फिर ट्रेक पर सरकार बेट्रेक हुई

राजस्थान में आरक्षण की मनाग को गुर्जर फिर से रेलवे ट्रेक पर आ गये हें राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा जारी गुर्जरों के आरक्षण के अध्यादेश को ख़ारिज करते हुए एक वर्ष में गुर्जरों की स्थिति की समीक्षा रिपोर्ट सरकार को तय्यार करने के लियें कहा हे , गुर्जर नेताओं का कहना हे के सरकार ने उन्हें छला हे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डेढ़ माह से उन्हें मिलने तक का वक्त नहीं दिया हे , बात सही हे हमारे राजस्थान के मुख्यमंत्री हें कोई एरे गेरे थोड़ी हे जो किसी भी पीड़ित या शिकायत करता से इतनी जल्दी मिल लेंगे उन्हें दिल्ली और चापलूसों से फुर्सत मिलेगी तब ही तो वोह समस्याओं के मामले में लोगों से बातचीत के लियें मिलेंगे गुर्जर ही नहीं कोटा के वकीलों के साथ भी उनका यही वायदा खिलाफी का व्यवहार रहा हे कई मामलों में कलेक्टर और पुलिस मुख्यमत्री जी और इनकी सरकार के मंत्रियों को सावचेत करती हे के इस मामले को बातचीत से हल कर लो लेकिन सरकार की लेटलतीफी और सरकार की हठधर्मिता के कारण नतीजा हडताल और अराजकता होती हे फिर जनता को परेशानी के बाद बात चीत होती हे गुर्जरों के साथ भी यही हुआ वायदा हुआ और फिर बातचीत के लियें वक्त नहीं मिला उन्होंने अपनी ताकत बताई तो आज सभी लोग उनसे बातचीत करने के लियें मिन्नतें कर रहे हें आखिर कोन लोग हें वोह जो मुख्यमंत्री जी को जनता और समाजों से दूर रहने की सलाह देते हें मुख्यमंत्री जी राजस्थान को समस्याओं से क्यूँ घिरे रहने देना चाहते हें आखिर वोह खुद भी इस सच्चाई का एहसास करें । अब गुर्जर को हाईकोर्ट ने नकारात्मक जवाब दिया हे लेकिन ताकत के आगे सब झुकते हें सरकार के पास भी कोई दुसरा चारा नहीं बचा हे बातचीत होगी सुर्प्रिम कोर्ट में दमदारी से अपील का वायदा होगा गुर्जरों को बेक्लोग नियुक्तियों का वचन दिया जाएगा आरक्षण एक प्रतिशत से बढाकर अन्य पिछड़ा वर्ग का काट कर २ से ३ प्रतिशत तक अस्थायी रूप से क्या जाएगा वायदा होगा और सरकार फिर भूल जाएगी कोई प्रयास नहीं करेगी अगर ऐसा ही चला तो राजस्थान एक दिन नर्क बन जाएगा आब तो खुद मुख्यमंत्री जी अगर अपनी सोच और तोर तरीकों को बदलें चमचों और चापलूसों से बहर निकलें तब कहीं जाकर राजस्थान नर्क से स्वर्ग की और जा सकता हे वरना तो समस्याएं और फिर हड़ताल धरने प्रदर्शन य्हना रोज़ की नियति बन जायेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

प्याज बनूं या टमाटर

विनती मेरी छोटी सी
सुन लीजे भगवान्
अगले जनम में प्याज बनूं
या बनूं टमाटर महान

आम आदमी बनने में
भगवन क्या है रखा
मंहगाई और किल्लत का
स्वाद ही इसने चखा

हर सरकार ने ही
मुश्किलें इसकी बढ़ाई हैं
भारत में मजे से घूम रही
गरीबी ओर मंहगाई हैं

प्याज टमाटर बन कर
मौज खूब मनाऊंगा
जन-जन के हाथों से
मैं निशदिन पूजा जाऊंगा

21.12.10

दोस्तों यह ब्लोगर की दुनिया भी अजीब हे

दोस्तों वर्ष २०१० जाने के इन्तिज़ार में हे कुछ दिन शेष बचे हें अपनी म़ोत जिंदिगी का अपन को कोई पता नहीं लेकिन कुछ दिनों बाद वर्ष २०११ नई उमंग नई सुबह लेकर जरुर आयेगा में इस ब्लोगर की दुनिया में मार्च २०१० में पैदा हुआ था और ब्लोगर भाईयों के साथ लगातार हंसी ठिठोली करने का प्रयास कर रहा हूँ कई ब्लोगर हें जो बहुत बहुत महान हें भाई ललित जी ,भाई द्विवेदी जी बहन संगीता,बहन वन्दना जी, उदय भाई सही सेकड़ों ऐसे ब्लोगर हें जिनका प्यार मुझे अक्सर मिलता रहा मेने ब्लोगर की दुनिया में मासूम भाई और फिरदोस बहन सहित कई लोगों की तकरारें भी देखी हें , ब्लोगर्स की गंदी भाषाएँ नंगा पन भी सहा हे लेकिन एक बात तो साफ हे के वर्ष दो हजार दस ब्लोगिस्तान का वर्ष रहा इस साल इंटरनेट के इस युग में ब्लोगर्स की दुनिया चोथी दुनिया के रूप में उभरी हे यहाँ चोटों को बढों का प्यार बढों को छोटों का मान सम्मान भी मिला हे , बस एक कमी अखरती हे के ब्लोगर्स एक दुसरे की प्रशंसा करने और एक दुसरे को संदेश के जरिये सीख देने में कंजूसी बरतते हें कुछ ब्लोगर्स हें जो खुद को सबसे बहतरीन ब्लोगर्स समझने के अवसाद से गुजर रहे हें और वोह सभी ब्लोगर्स को तुच्छ और छोटा ब्लोगर्स समझते हें इसी गुस्से में मेरे भाइयों ने जूनियर ब्लोगर्स एसोसिएशन का गठन किया यह उचित कदम नहीं था लेकिन फिर भी इससे गुणवत्ता में व्रद्धी हुई हे और ब्लोगर भाइयों में प्यार मिला हे ।
कोटा में मेरे एक मित्र साप्ताहिक अख़बार निकालते थे उन्होंने अख़बार को सरकार से आन्यता के लियें आवेदन क्या सम्पादकीय उस अख़बार में में लिखता था जनसम्पर्क निदेशालय के एक अधिकारी इस अख़बार की फाइलें देख कर मान्यता नहीं देते थे और नोट डालते थे सम्पादकीय स्तर हीन हे एक बार दो बार कई बार यही जब नोट डाला जाने लगा तो हमने इस साप्ताहिक अख़बार में हु बहु राजस्थान पत्रिका और दुसरे अंक में देनिक भास्कर का सम्पादकीय प्रकाशित कर दिया फिर फ़ाइल लगी जाँच हुई और नोट डाला गया के सम्पादकीय स्तर हीन हे तब हमे समझ में आया के सम्पादकीय स्तर हीन नहीं थे बलके जन्समार्क निदेशालय के अधिकारी जी की बुद्धि स्तर हीन थी हम भी जयपुर जा पहुंचे और हमने पत्रिका और भास्कर के सम्पादकीय और अधिकारी की टिप्पणियों से वरिष्ट अधिकारीयों को अवगत कराया तो जनाब सरकार ने इन अधिकारी जी को तो निलम्बित कर दिया और मेरे मित्र के अख़बार को मान्यता देकर विज्ञापन दे दिए दोस्तों यह कडवा सच में आपको इसलियें कह रहा हूँ के अगर खुले मन से किसी भी ब्लोगर का ब्लॉग किसी भी व्यक्ति द्वारा पढ़ा जाए तो एके दिन नहीं दो दिन नहीं लेकिन कुछ दिनों बाद टिप्पणियों का दोर जरुर शुर होता हे लेकिन कुछ हे जो ब्लॉग अव्वल तो पढना ही पसंद नहीं करते और अगर पढ़ते हे तो होसला अफजाई नहीं करते उनकी अपनी अलग दुनिया हे इन लोगों ने तय कर रखा हे के एक विशेष ग्रुप एक दुसरे को टिप्पणियाँ देगा तो जनाब आप जो लिख रहे हें अगर वही बात दुसरा ब्लोगर लिखेगा तो उसे सेकड़ों तिप्प्निया मिलेंगी लेकिन आपने अगर दूसरों से भी अच्छा लिखा हे तो आपको टिप्पणियाँ नहीं मिलेंगी लेकिन जो मिलेंगी वोह मोलिक होगी बनावटी नहीं होंगी यानी आपको मिली एक मोलिक टिप्पणी क्रत्रिम ग्रुप में बंधे लोगों पर भरी होगी तो दोस्तों कभी किसी ब्लोगर को अगर टिप्पणी नहीं मिले तो निराश मत होना मेरी तरह बिना पीछे मूढ़ कर देखे लिखते रहना लिखते रहना एक दिन खुद बा खुद आपकी पोस्टे जब बढती जाएँगी तो लोग टिप्पणियाँ देने के लियें मजबूर हो जायेंगे । दोस्तों ब्लॉग की दुनिया में कई लोग हें जो इस दुनिया को सुगन्धित कर रहे हें कई लोग हें जो इस दुनिया के रीड की हड्डी बने हे तो कई लोग हें जो इसकी आँखें , कान और जुबान बने हें और इसीलियें इस ब्लोगिस्तान के बाग़ को हम नये नये फूलों से सजा संवार दें और बाग़ बैग कर दें आप सब ब्ल्गोर भाइयों को मेरा सलाम मेरा प्रणाम मेरा राम राम मेरा सत सिरी अकाल मेरा गद ब्लेस यु मुझे इतना झेला इसके लियें थेंक यु । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

लीगल प्रेक्टिशनर बिल सरकार की जालसाजी

देश के वकीलों के साथ सरकार ने धोखे से लीगल प्रेक्टिशनर बिल पारित करवा कर धोखा किया हे देश के साथ की गयी इस जालसाजी को देश भर के वकील मानने को तय्यार नहीं हे इस बिल को तय्यार करने ,कानून बनाने में सरकार के करोड़ों रूपये खर्च हुए हें लेकिन देश की विद्म्म्बना हे के इस गेर जरूरी बिल को सरकार ने अहमियत दी हे ।
वकील खुद स्वतंत्र अस्त्तिव रखते हें लेकिन उनको अनुशासित करने के लियें सरकार ने संसद में एडवोकेट एक्ट का कानून पारित किया हे फिर इस कानून की पालना और वकीलों को नियंत्रित रखें के लियें एक स्वतंत्र संस्था बार कोंसिल ऑफ़ इण्डिया का गठन किया गया हे और इस संस्था का विकेंद्रिकर्ण कर राज्य स्तर पर इस व्यवस्था को लागु किया गया हे जहां एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया लागू हे देश भर के वकील चुनाव के माध्यम से अध्यक्ष और दुसरे सदस्यों को चुनते हें जो एक निर्धारित कानून और नियमों के तहत वकीलों की नीतिया और नियम निर्धारित करते हें चिकित्सकों की भी ऐसी ही स्वतंत्र मेडिकल कोंसिल संस्था हे हाल ही में मेडिकल कोंसिल के अध्यक्ष को करोड़ों रूपये के साथ सी बी आई ने गिरफ्तार किया था लेकिन इस संस्था पर अंकुश लगाने के स्थान पर सरकार वकीलों की संस्था पर कब्जा करना चाहती हे इस दुष्कर्म के चलते सरकार ने लीगल प्रेक्टिशनर बिल तय्यार किया हे जिसमे सरकार अलोकतांत्रिक तरीके से अपनी मर्जी का एक अध्यक्ष और एक सचिव नियुक्त करेगा जो वकीलों के कानून और बार कोंसिल के होते हुए तानाशाही प्रक्रिया से वकीलों को डरा धमका कर कब्जे में करने का प्रयास करेंगे , वकीलों के मामले में इस गेर कानूनी बिल को संसद में सरकार ने रखा लेकिन इस पर बहस करवाकर इसे सरकार पारित नहीं करवाना चाहती थी इसलियें सरकार ने संचार घोटाले के हंगामे के चलते विपक्ष के विरोध के बाद बिना किसी बहस के इस कानून को चोर दरवाज़े से पारित करवा लिया जो देश के वकील और जनता के साथ धोखा हे , सरकार जब कानून के जानकारों के खिलाफ इस तरह का षड्यंत्र रचती हे तो फिर यह सरकार आम गरीबों के लियें तो क्या कर रही होगी अंदाजा लगाया जा सकता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

20.12.10

नाबालिग लड़की के साथ एक दिन में कई बार बलात्कार

समाज में कई बार ऐसी घटनाएं घट जाती है कि आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता है। इंसानों की बस्ती में रहने वाले भेडिये सरेआम हैवानियत का नंगा नाच कर जाते है और समाज पुलिस देखती रह जाती हैमै जिस घटना का यहाँ पर जिक्र कर रहा हूँ वह घटना हरियाणा प्रदेश के उपमंडल सफीदों के गांव गांगोली की है। इस घटना ने पूरी मानवता को सरेआम शर्मशार किया है। इस गावं की एक नाबालिग लड़की के साथ एक दिन में लगभग दस लोगों ने बार बार बलात्कार किया। उसके बाद पानीपत की एक महिला दस दिन तक उसके साथ रेप करवाती रही। इस नाबालिग लडकी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं हैं। गावं का मोती नामक युवक इसें इसके प्रेमी से मिलवाने के बहाने घर से ले गया। जिसने दुसरे गावं में इस लडकी के साथ रेप कर वही छोढ दिया। सुनसान जगह पर अनजान लडकी को पाकर वहा तीन लडको ने उसके साथ मुह काला किया। इस के बाद ये लडके उसे छोड कर चले गए। लेकिन इस लडकी की किसमत में अभी और भी दरींदगी बाकी थी । तीन लडको के बाद यह लडकी उस गांव की सडक पर मौजूद ईंट भट्ठों के पास पहुच गई । यहा खेतों में पानी दे रहे दो लडको ने इसे अकेला पाकर मिलकर रेप किया। बाद में इन्होने भी इसे लावारीस छोड दिया । लेकिन तब तक वह बेहोस हो चुकिं थी । होश में आने के बाद वह जींद-पानीपत मार्ग पर आ गई। जहा उसने एक केंटर को लिफ्ट के लिय हाथ दिया। पानीपत जा रहे इस केंटर में मौजूद दो लोगों ने भी इसे नहीं छोडा। अपनी हवस पुरी करने बाद इस लोगो ने लडकी को पानीपत छोड दिया। जहा यह खडी रो रही थी। तभी विकास नामक एक युवक ने इसे दिलासा देते हुए घर ले गया । जहा उसने इसे अपनी सोना नामक भाभी के यहा छोड दिया। विकास ने भी उसके साथ रेप किया। और बाद मे भी उसे आगे दुसरो के सामने परोसा गया।सोना ने ज्योती को अपने कब्जें में रख देह वयापार करवाया। लेकिन एक दिन एक पडोसन को उस पर दया आ गई। उसने मामले की सुचना पुलिस को दी। सुचना पाकर पुलिस ने छापा मारकर लडकी को बरामद कर लिया। साथ ही उस महिला को भी। पुलिस ने इस मामले में कई लोगो कों गिरफ्तार किया है दोषिओं कों सजा होगी या नहीं यह तो समय व् कानून के हाथ मे है लेकिन अब सवाल ये है कि क्या इस नाबालिग की लुट चुकी इज्जत वापिस आ जाएगी ?

तेरे सुर से हम सुर मिलायेंगे

जी हाँ दोस्तों तेरे सुर से हम सुर मिलायेंगे जो हो पसंद तुझ को वही बात हम कहेंगे इसी तर्ज़ पर कल कोंग्रेस का महा अधिवेशन समोण हुआ अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य सोनिया गाँधी का अध्यक्ष कार्यकाल तीन वर्ष से बढा कर पांच वर्ष करना था लेकिन इस अधिवेशन में ख़ास कर राहुल के लियें विक्लिक्स वेबसाईट के बयान के बाद उपजे विवाद को मुख्य आधार नया गया ।
कोंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने बयान का भावार्थ बदल कर पुर जोर शब्दों में कहा के देश में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों तरह के ही आतंकवाद घातक हें , सोनिया ने भ्रस्ताचार के मुद्दों को भी गोण कर दिया और मनमोहन सिंह के गुणगान शुरू कर दिए , खुद राहुल गांधी ने भी अधिवेशन में अपनी ही बात को दुसरे तरीके से दोहराया लेकिन कोंग्रेस की मां हो चाहे कोंग्रेस का बेटा हो दोनों की एक बात हु बहू मिलती जुलती रही जिसमें खास बात यह थी की सोनिया और राहुल गाँधी का भाषण खुद का मोलिक नहीं था दोनों ने किसी और से लिखवा कर अपना भाषण पढ़ा हे अब दिग्विजय सिंह ने तो संघ की तुलना हिटलर से कर डाली और कथित राष्ट्र्तवाद का मजाक भी उढ़ाया , कोंग्रेस महा अधिवेशन में ख़ास बात भ्रस्ताचार और महंगाई के मुद्दों पर बात होना थी लेकिन इन मुद्दों से शायद कोंग्रेस को कोई लेना देना नहीं हे इसी लियें देश में चल रही अराजकता के लियें कोंग्रेस ने प्रधानमन्त्री की पीठ थपथपाई और महंगाई और भ्रष्टाचार पर एक शब्द का भी चिन्तन मंथन नहीं किया कुल मिलाकर कोंग्रेस अधिवेशन में देश और समाज के लियें कोई विचार नहीं रखा गया हाँ हमारे देश की सरकार को रिमोट से चलाने वाली दोनों शक्तियाँ सोनिया और राहुल खुद किसी के रिमोट से चलती हुई नजर आयीं और इसीलियें जनता से जुड़े मुद्दों को कोंग्रेस हमेशां की तरह इस बार भी भूल गयी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

19.12.10

मेरी माँ का गंगा स्नान

भारत देश में गंगा नदी को बहुत ही आदर से देखा जाता है. इसे गंगा मैया आदि उपनामों से भारतवासी सुशोभित करते हैं. सर्वधारणा है कि गंगा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. इस धारणा को सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे पापियों को पाप करने की खुली छूट मिल गई हो कि भैया चाहे जितने पाप करो और एक दिन आकर गंगा मैया में डुबकी लगा लो. लो धुल गए सारे पाप. अपनी सारी गंदगी गंगा मैया को अर्पण करके फिर से निकल पडो बुरे कामों का एक नया इतिहास लिखने. मैं भी पहले सोचता था कि ये तस्कर, चोर, बदमाश व लुटेरे इत्यादि इतने सारे बुरे कर्म करते हैं तथा जनता को इतना कष्ट देते हैं फिर भी पूरा जीवन प्रसन्नता से व्यतीत करते हैं. जबकि मैंने तो शास्त्रों में पढ़ा था कि बुरे कर्मों का दुष्परिणाम एक न एक दिन अवश्य भोगना पड़ता है. परन्तु मैं अब तक इस बात से अनजान था कि जिस प्रकार जटिल शब्दों को हल करने के लिए कुंजी बनाई जाती है उसी प्रकार शास्त्र लिखनेवाले विद्वानों ने पापों का परिणाम भोगने से बचने के लिए गंगा स्नान रुपी कुंजी पापियों को सुझाई होगी. मुझे गंगा मैया की इस स्थिति को देखकर अत्यंत दुःख होता है कि बेचारी सदियों से इन पापियों की गंदगी को सहती आ रही हैं. और तो और हमारे हिंदू धर्म के रीति रिवाज भी गंगा मैया को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अब देखिये इस नश्वर शरीर के जलने के पश्चात जो अस्थियां शेष बच जाती हैं उन्हें गंगा में प्रवाहित करने का रिवाज है. अब तो विदेशों से भी लोग गंगा मैया में अस्थियां प्रवाहित करने की इच्छा लिए भारत में आने लगे हैं.अब आप ही बताइये गंगा मैया दुखी नहीं होगी तो और क्या करेंगी. अपने देश का बोझ कम था जो अब विदेशियों को भी सहन करो. किन्तु क्या करें रिवाजों को तो नहीं बदला जा सकता.अब चाहें गंगा मैया दुखी हों या सुखी. मेरी माँ को ही ले लीजिए. उनके ह्रदय में गंगा मैया के प्रति महान आदर है और अक्सर गंगा स्नान की मन्नत मांगती रहती हैं. हमारे देश भारत में मन्नत मांगने का रिवाज बहुत प्राचीन है. मन्नत से तात्पर्य है कि अमुक कार्य के पूरा होने पर अमुक कार्य करना. जैसे कि पिछले दिनों एक व्यक्ति ने बिहार में नीतिश कुमार के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की मन्नत मांगी थी और जब उसकी मन्नत पूरी हो गयी तो उसने अपने हाथ की एक उंगली काट कर ईश्वर को प्रस्तुत कर दी.परन्तु मेरी माँ के साथ ऐसा नहीं है. वह अक्सर मन्नत तो मांगती हैं किन्तु उसे पूरा करना भूल जाती हैं. उनकी सबसे प्रिय मन्नत है गंगा स्नान करना. हालांकि वह दो-तीन बार गंगा स्नान कर चुकी हैं. एक बार मैं भी बचपन में उनके साथ गंगा स्नान को गया था. वहाँ गंगा मैया में डुबकी लगाते ही गंगा जी के जल में पैसे ढूँढने वाले का डंडा मेरे सर में पड़ा था जिसे अब तक नहीं भूल पाया हूँ. अब वह बेचारा भी क्या करता लोग गंगा मैया के जल में श्रद्धावश सिक्के फैंक जाते हैं और वह अपने डंडे के तले में चारकोल लगाकर उन्हें जल से निकालता रहता था. यही उसका रोजगार था. उस दिन मेरे नन्हे सर के रूप में उसे संभवत सिक्के के ही दर्शन हुए होंगे.तभी उसका डंडा मेरे सर पर पड़ा हो. बचपन से अब तक गंगा स्नान का सौभाग्य मुझ बदनसीब को नहीं मिला है किन्तु फिर सोचता हूँ कि मुझ जैसे बुरे कर्मों से डरने वाले को गंगा स्नान की आवश्यकता भी नहीं है. परन्तु मेरी माँ को गंगा स्नान अत्यधिक भाता है तभी तो गंगा स्नान की मन्नत मांगती रहती हैं. बड़ा भाई जब बेरोजगार था तथा दिल्ली पुलिस में भर्ती के लिए आवेदन किया तो माँ ने झट से मन्नत मांग ली कि बेटा भर्ती हो जाए तो गंगा स्नान करेंगी और साथ में वैष्णो देवी को भी फांस लिया. भाई भर्ती होकर ट्रेनिंग करके आ गया व नौकरी को भी कई साल हो गए किन्तु माता श्री मन्नत पूरी न कर पायीं. कभी कुछ काम पड़ने का बहाना बनाती तो कभी किसी बीमारी का. जब मैं बेरोजगार था तो पूरे परिवार को मेरी माँ का यह वाक्य कंठस्थ हो गया था तेरी नौकरी लग जाये तो मैं गंगा नहा आऊँ. मेरी भी नौकरी लगे कई साल हो गए किन्तु मेरी माँ को गंगा स्नान का समय न मिल पाया. गंगा मैया मेरी माँ के इंतज़ार में अपना समय काटे जा रही हैं किन्तु माँ को फुर्सत ही नहीं मिलती. एक दिन बहनों ने उनसे मजाक में कह दिया माँ लगता है अब तो भाई की शादी करके ही गंगा स्नान करोगी. माँ ने भी चौके पर छक्का मारा और बोलीं कि बेटे की शादी के बाद नहीं बेटी की शादी के बाद गंगा स्नान किया जाता है. बहनों ने भी गुगली फैंकी और पूछा, ‘‘लड़की शादी करने से क्या माँ-बाप का सिर से पाप उतर जाता है जो उसकी शादी के बाद गंगा स्नान किया जाता है?’’ माँ के पास इसका कोई उत्तर न था हाँ किन्तु उनके मन में गंगा मैया के लिए अपार श्रद्धा और गंगा स्नान की इच्छा अवश्य थी. अब देखते हैं कि मेरी माता श्री कब गंगा स्नान के लिए समय निकाल पाती हैं और कई मन्नतें जो उन पर उधार हैं कब तक पूरी हो पाती हैं. गंगा मैया भी नमस्कार मुद्रा में मेरी माँ की प्रतीक्षा में कब से खड़ी हैं.