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20.12.10

नाबालिग लड़की के साथ एक दिन में कई बार बलात्कार

समाज में कई बार ऐसी घटनाएं घट जाती है कि आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता है। इंसानों की बस्ती में रहने वाले भेडिये सरेआम हैवानियत का नंगा नाच कर जाते है और समाज पुलिस देखती रह जाती हैमै जिस घटना का यहाँ पर जिक्र कर रहा हूँ वह घटना हरियाणा प्रदेश के उपमंडल सफीदों के गांव गांगोली की है। इस घटना ने पूरी मानवता को सरेआम शर्मशार किया है। इस गावं की एक नाबालिग लड़की के साथ एक दिन में लगभग दस लोगों ने बार बार बलात्कार किया। उसके बाद पानीपत की एक महिला दस दिन तक उसके साथ रेप करवाती रही। इस नाबालिग लडकी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं हैं। गावं का मोती नामक युवक इसें इसके प्रेमी से मिलवाने के बहाने घर से ले गया। जिसने दुसरे गावं में इस लडकी के साथ रेप कर वही छोढ दिया। सुनसान जगह पर अनजान लडकी को पाकर वहा तीन लडको ने उसके साथ मुह काला किया। इस के बाद ये लडके उसे छोड कर चले गए। लेकिन इस लडकी की किसमत में अभी और भी दरींदगी बाकी थी । तीन लडको के बाद यह लडकी उस गांव की सडक पर मौजूद ईंट भट्ठों के पास पहुच गई । यहा खेतों में पानी दे रहे दो लडको ने इसे अकेला पाकर मिलकर रेप किया। बाद में इन्होने भी इसे लावारीस छोड दिया । लेकिन तब तक वह बेहोस हो चुकिं थी । होश में आने के बाद वह जींद-पानीपत मार्ग पर आ गई। जहा उसने एक केंटर को लिफ्ट के लिय हाथ दिया। पानीपत जा रहे इस केंटर में मौजूद दो लोगों ने भी इसे नहीं छोडा। अपनी हवस पुरी करने बाद इस लोगो ने लडकी को पानीपत छोड दिया। जहा यह खडी रो रही थी। तभी विकास नामक एक युवक ने इसे दिलासा देते हुए घर ले गया । जहा उसने इसे अपनी सोना नामक भाभी के यहा छोड दिया। विकास ने भी उसके साथ रेप किया। और बाद मे भी उसे आगे दुसरो के सामने परोसा गया।सोना ने ज्योती को अपने कब्जें में रख देह वयापार करवाया। लेकिन एक दिन एक पडोसन को उस पर दया आ गई। उसने मामले की सुचना पुलिस को दी। सुचना पाकर पुलिस ने छापा मारकर लडकी को बरामद कर लिया। साथ ही उस महिला को भी। पुलिस ने इस मामले में कई लोगो कों गिरफ्तार किया है दोषिओं कों सजा होगी या नहीं यह तो समय व् कानून के हाथ मे है लेकिन अब सवाल ये है कि क्या इस नाबालिग की लुट चुकी इज्जत वापिस आ जाएगी ?

तेरे सुर से हम सुर मिलायेंगे

जी हाँ दोस्तों तेरे सुर से हम सुर मिलायेंगे जो हो पसंद तुझ को वही बात हम कहेंगे इसी तर्ज़ पर कल कोंग्रेस का महा अधिवेशन समोण हुआ अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य सोनिया गाँधी का अध्यक्ष कार्यकाल तीन वर्ष से बढा कर पांच वर्ष करना था लेकिन इस अधिवेशन में ख़ास कर राहुल के लियें विक्लिक्स वेबसाईट के बयान के बाद उपजे विवाद को मुख्य आधार नया गया ।
कोंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने बयान का भावार्थ बदल कर पुर जोर शब्दों में कहा के देश में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों तरह के ही आतंकवाद घातक हें , सोनिया ने भ्रस्ताचार के मुद्दों को भी गोण कर दिया और मनमोहन सिंह के गुणगान शुरू कर दिए , खुद राहुल गांधी ने भी अधिवेशन में अपनी ही बात को दुसरे तरीके से दोहराया लेकिन कोंग्रेस की मां हो चाहे कोंग्रेस का बेटा हो दोनों की एक बात हु बहू मिलती जुलती रही जिसमें खास बात यह थी की सोनिया और राहुल गाँधी का भाषण खुद का मोलिक नहीं था दोनों ने किसी और से लिखवा कर अपना भाषण पढ़ा हे अब दिग्विजय सिंह ने तो संघ की तुलना हिटलर से कर डाली और कथित राष्ट्र्तवाद का मजाक भी उढ़ाया , कोंग्रेस महा अधिवेशन में ख़ास बात भ्रस्ताचार और महंगाई के मुद्दों पर बात होना थी लेकिन इन मुद्दों से शायद कोंग्रेस को कोई लेना देना नहीं हे इसी लियें देश में चल रही अराजकता के लियें कोंग्रेस ने प्रधानमन्त्री की पीठ थपथपाई और महंगाई और भ्रष्टाचार पर एक शब्द का भी चिन्तन मंथन नहीं किया कुल मिलाकर कोंग्रेस अधिवेशन में देश और समाज के लियें कोई विचार नहीं रखा गया हाँ हमारे देश की सरकार को रिमोट से चलाने वाली दोनों शक्तियाँ सोनिया और राहुल खुद किसी के रिमोट से चलती हुई नजर आयीं और इसीलियें जनता से जुड़े मुद्दों को कोंग्रेस हमेशां की तरह इस बार भी भूल गयी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

19.12.10

मेरी माँ का गंगा स्नान

भारत देश में गंगा नदी को बहुत ही आदर से देखा जाता है. इसे गंगा मैया आदि उपनामों से भारतवासी सुशोभित करते हैं. सर्वधारणा है कि गंगा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. इस धारणा को सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे पापियों को पाप करने की खुली छूट मिल गई हो कि भैया चाहे जितने पाप करो और एक दिन आकर गंगा मैया में डुबकी लगा लो. लो धुल गए सारे पाप. अपनी सारी गंदगी गंगा मैया को अर्पण करके फिर से निकल पडो बुरे कामों का एक नया इतिहास लिखने. मैं भी पहले सोचता था कि ये तस्कर, चोर, बदमाश व लुटेरे इत्यादि इतने सारे बुरे कर्म करते हैं तथा जनता को इतना कष्ट देते हैं फिर भी पूरा जीवन प्रसन्नता से व्यतीत करते हैं. जबकि मैंने तो शास्त्रों में पढ़ा था कि बुरे कर्मों का दुष्परिणाम एक न एक दिन अवश्य भोगना पड़ता है. परन्तु मैं अब तक इस बात से अनजान था कि जिस प्रकार जटिल शब्दों को हल करने के लिए कुंजी बनाई जाती है उसी प्रकार शास्त्र लिखनेवाले विद्वानों ने पापों का परिणाम भोगने से बचने के लिए गंगा स्नान रुपी कुंजी पापियों को सुझाई होगी. मुझे गंगा मैया की इस स्थिति को देखकर अत्यंत दुःख होता है कि बेचारी सदियों से इन पापियों की गंदगी को सहती आ रही हैं. और तो और हमारे हिंदू धर्म के रीति रिवाज भी गंगा मैया को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अब देखिये इस नश्वर शरीर के जलने के पश्चात जो अस्थियां शेष बच जाती हैं उन्हें गंगा में प्रवाहित करने का रिवाज है. अब तो विदेशों से भी लोग गंगा मैया में अस्थियां प्रवाहित करने की इच्छा लिए भारत में आने लगे हैं.अब आप ही बताइये गंगा मैया दुखी नहीं होगी तो और क्या करेंगी. अपने देश का बोझ कम था जो अब विदेशियों को भी सहन करो. किन्तु क्या करें रिवाजों को तो नहीं बदला जा सकता.अब चाहें गंगा मैया दुखी हों या सुखी. मेरी माँ को ही ले लीजिए. उनके ह्रदय में गंगा मैया के प्रति महान आदर है और अक्सर गंगा स्नान की मन्नत मांगती रहती हैं. हमारे देश भारत में मन्नत मांगने का रिवाज बहुत प्राचीन है. मन्नत से तात्पर्य है कि अमुक कार्य के पूरा होने पर अमुक कार्य करना. जैसे कि पिछले दिनों एक व्यक्ति ने बिहार में नीतिश कुमार के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की मन्नत मांगी थी और जब उसकी मन्नत पूरी हो गयी तो उसने अपने हाथ की एक उंगली काट कर ईश्वर को प्रस्तुत कर दी.परन्तु मेरी माँ के साथ ऐसा नहीं है. वह अक्सर मन्नत तो मांगती हैं किन्तु उसे पूरा करना भूल जाती हैं. उनकी सबसे प्रिय मन्नत है गंगा स्नान करना. हालांकि वह दो-तीन बार गंगा स्नान कर चुकी हैं. एक बार मैं भी बचपन में उनके साथ गंगा स्नान को गया था. वहाँ गंगा मैया में डुबकी लगाते ही गंगा जी के जल में पैसे ढूँढने वाले का डंडा मेरे सर में पड़ा था जिसे अब तक नहीं भूल पाया हूँ. अब वह बेचारा भी क्या करता लोग गंगा मैया के जल में श्रद्धावश सिक्के फैंक जाते हैं और वह अपने डंडे के तले में चारकोल लगाकर उन्हें जल से निकालता रहता था. यही उसका रोजगार था. उस दिन मेरे नन्हे सर के रूप में उसे संभवत सिक्के के ही दर्शन हुए होंगे.तभी उसका डंडा मेरे सर पर पड़ा हो. बचपन से अब तक गंगा स्नान का सौभाग्य मुझ बदनसीब को नहीं मिला है किन्तु फिर सोचता हूँ कि मुझ जैसे बुरे कर्मों से डरने वाले को गंगा स्नान की आवश्यकता भी नहीं है. परन्तु मेरी माँ को गंगा स्नान अत्यधिक भाता है तभी तो गंगा स्नान की मन्नत मांगती रहती हैं. बड़ा भाई जब बेरोजगार था तथा दिल्ली पुलिस में भर्ती के लिए आवेदन किया तो माँ ने झट से मन्नत मांग ली कि बेटा भर्ती हो जाए तो गंगा स्नान करेंगी और साथ में वैष्णो देवी को भी फांस लिया. भाई भर्ती होकर ट्रेनिंग करके आ गया व नौकरी को भी कई साल हो गए किन्तु माता श्री मन्नत पूरी न कर पायीं. कभी कुछ काम पड़ने का बहाना बनाती तो कभी किसी बीमारी का. जब मैं बेरोजगार था तो पूरे परिवार को मेरी माँ का यह वाक्य कंठस्थ हो गया था तेरी नौकरी लग जाये तो मैं गंगा नहा आऊँ. मेरी भी नौकरी लगे कई साल हो गए किन्तु मेरी माँ को गंगा स्नान का समय न मिल पाया. गंगा मैया मेरी माँ के इंतज़ार में अपना समय काटे जा रही हैं किन्तु माँ को फुर्सत ही नहीं मिलती. एक दिन बहनों ने उनसे मजाक में कह दिया माँ लगता है अब तो भाई की शादी करके ही गंगा स्नान करोगी. माँ ने भी चौके पर छक्का मारा और बोलीं कि बेटे की शादी के बाद नहीं बेटी की शादी के बाद गंगा स्नान किया जाता है. बहनों ने भी गुगली फैंकी और पूछा, ‘‘लड़की शादी करने से क्या माँ-बाप का सिर से पाप उतर जाता है जो उसकी शादी के बाद गंगा स्नान किया जाता है?’’ माँ के पास इसका कोई उत्तर न था हाँ किन्तु उनके मन में गंगा मैया के लिए अपार श्रद्धा और गंगा स्नान की इच्छा अवश्य थी. अब देखते हैं कि मेरी माता श्री कब गंगा स्नान के लिए समय निकाल पाती हैं और कई मन्नतें जो उन पर उधार हैं कब तक पूरी हो पाती हैं. गंगा मैया भी नमस्कार मुद्रा में मेरी माँ की प्रतीक्षा में कब से खड़ी हैं.

लम्हा भर की मुस्कुराहट

लम्हा भर की
मुस्कुराहट
और जिंदगी
भर का रोना ,
गरीबी ही
मेरी
अब तो हे
ओड़ना और बिछोना ,
आंसुओं में
भिगोके
जिंदगी को
क्यूँ यूँ
डुबोता हे
उठ चल
आगे चल
देख ले
जिंदगी में
तेरे कोशिश करे
तो बस
सामने हे
सोना ही सोना ।
हिला हाथ
उठ ज़मीं से
उठा ले
ज़मीं पर
पढ़ा यह सोना
वरना
पढ़ा पढ़ा
कोसता रह
अपनी किस्मत को
के जिंदगी में
तेरे हे
रोना ही रोना
होसलों को
बना पंख
एक उड़ान तो भर
फिर देख ले
जो चाहेगा
वही होगा
ओढना तेरा
वही होगा बिछोना तेरा ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जिसे ठुकराया वोह भगवान बना हे

इंसान
जिन्होंने
पत्थरों को
ठोकरों में
रखा था
आज वही
पत्थर
मन्दिर में
भवान
बना बेठा हे
कल
जिस पत्थर को
रखा था
ठोकरों में तुने
देख ले आज
उसी के
आगे
तू रोज़
सर झुकाता हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस की बानगी देखिये

आज सुबह सवेरे ट्रेन में मेने अखबार खरीदा तो अख़बार की एक हेडिंग थी के आज राष्ट्रिय बाल अधिकार दिवस हे में अख़बार आगे पढ़ता के पता चला कोटा स्टेशन आ गया मेने अख़बार फोल्ड किया और ट्रेन से अपने कोटा स्टेशन पर उतर गया । में देखता हूँ स्टेशन पर एक लावारिस सा दिखने वाला लडका जो लोगों के कुरते पकड़ कर भीख मांग रहा था , में आगे बढा तो एक ६ साल का बच्चा चाय गर्म चाय गर्म चिल्ला रहा था आगे देखा तो एक पोस्टर सरकार की उपलब्धियों का छपा था जिसमे मुख्यमंत्री की फोटू के साथ घोषणा थी के राजस्थान के हर बच्चे को सरकारी खर्च पर शिक्षा से जोड़ा जाएगा इसके लियें सरकार राज्य में शिक्षा रोज़गार गारंटी पर करोड़ों रूपये खर्च कर रही हे मेरी पोस्टर से नजर हटी के देखता हूँ के एक बच्चा खेल दिखने को आतुर हे तो दूसरा बच्चा ब्रुश और पोलिश लिए पोलिश पोलिश चिल्ला रहा हे आगे चलता हूँ तो एक बच्चा सर्दी से ठिठुरता हुआ कम्बल की तलाश में भटक रहा हे । स्टेशन के बाहर ही एक पटाखे बनाने की खतरनाक फेक्ट्री हे तो इस फेक्ट्री में कई छोटे बच्चे बारूद के ढेर पर बेठ कर काम कर रहे हें कुछ हें के लाख के चुड़े बनाने के काम में जुटे हें , में ओटो में बता और मेने अख़बार खोला तो अख़बार के पुरे पेज पर राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस पर सरकार की उपलब्धिया छपी थी जो विज्ञापन लाखों रूपये का था में सोचता रहा के इस दिन करोड़ों रूपये के विज्ञापन छापने की जगह अगर यह खर्च बच्चों पर होता तो शायद बच्चे कुछ अच्छी स्थिति में होते में घर पहुंचा नहाया धोया और टी वि चला कर जब बता तो फिर वही इलेक्ट्रोनिक मिडिया पर बच्चों के कल्याण के लियें सरकार की कार्यवाही का विज्ञापन था में थका हारा सोचता रहा के हमारे देश में ऐसे ही अगर दिवस बनते रहे तो जिनके लियें यह दिवस बनाये जाते हें वोह तो बेचारे ऐसे ही लावारिस पिसते रहेंगे और नेता अख़बार वाले टी वी वाले इस थर के दिवसों पर मजे करते रहेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फुल मुस्कुरा रहा हे .....

यह फुल
जो तेरे
नाज़ुक
खुबसूरत से हाथों में
मुस्कुरा रहा हे
अपनी
इस खुशनुमा
किस्मत पर
इतरा रहा हे
इसे मेने
थोड़ी देर पहले
नीचे
जमीन पर
उदास
पढ़ा हुआ
आंसू बहाते भी
देखा हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान