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8.12.10

नगरपालिका की जमीन पर दिखाया मालिकाना हक

करोड़ों की सरकारी जमीन अपनी होने का दावा
पटवारी की मिलीभगत से दिया कार्रवाई को अंजाम
एस.डी.एम. ने पटवारी के खिलाफ दिए कार्रवाई के आदेश
सफीदों (हरियाणा) : नगर के भूमाफिया द्वारा हांसी ब्रांच नहर के निकट नगर पालिका की करोड़ों रुपये की जमीन पर अपने हक का मालकियाना दावा करने से नगर पालिका में हड़कंप मच गया है। करोड़ों की जमीन पर मालकियाना दावे के मामले में एस.डी.एम. ने तहसीलदार को दावा की गई जमीन की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने तथा पटवारी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। हांसी ब्रांच नहर के निकट नगर पालिका की लगभग सात एकड़ जमीन खाली पड़ी हुई है। जिसमें से पच्चीस सौ वर्ग गज पर एक व्यक्ति ने दावा करते हुए अपनी मालकियत दर्शाई है और कोर्ट के माध्यम से नगर पालिका को नोटिस भेजा है। दावा की गई जमीन का कलेटर रेट सवा करोड़ रुपया है जबकि मार्केट रेट अढ़ाई करोड़ रुपये है। गत तीन दिसंबर को नगर पालिका को पच्चीस सौ वर्ग गज जमीन की मालकियत का नोटिस भेज कर दावा करने वाले व्यक्ति ने पिछले पच्चीस वर्षें से उस जमीनपर कब्ज़ा दिखाया है। जिसकी पुष्टि क्षेत्र के राजस्व पटवारी ने भी की है। हकीकत में मालकियत दावा की गई जमीन पर किसी प्रकार का कोई निर्माण नहीं है और अब तक जमीन खाली पड़ी हुई है। नगर पालिका की जमीन पर मालकियत दावे का मामला सामने आने पर एस.डी.एम. सत्यवान इंदौरा ने मामले की जांच के आदेश तहसीलदार को दिए। पहली दृष्टि में पटवारी की मिलीभगत से मालकियत के फर्जी कागजात तैयार करवाने का मामला सामने आया। जिस पर एस.डी.एम. सत्यवान इंदौरा ने मालकियत दावा की गई जमीन की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने तथा पटवारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। एस.डी.एम. सत्यवान इंदौरा ने बताया कि पटवारी ने मालकियत दावा की गई जमीन की गलत रिपोर्ट की है। वास्तव में उस जमीन पर कोई निर्माण नहीं है। जमीन की स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है और पटवारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

पशु व्यापारी हत्याकांड की गुत्थी सुलझी, पांच गिरफतार


शव को खुर्दबुर्द करने में सरपंच ने कराया पैट्रोल उपलबध
हत्या से पूर्व नशीली चाय पिलाई गई थी व्यापारी को
सफीदों (हरियाणा) : सफीदों हलके के पाजू खुर्द गांव में दर्दनाक तरीके से पशु व्यापारी को मारकर जलाने केमामले की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। इस हत्याकांड में गांव के सरपंच की महत्वपूर्ण भूमिका रही। शव को खुर्दबुर्द करने के लिए पैट्रोल सरपंच ने ही हत्यारोपियों को उपलध करवाया था। हत्यारोपियों ने शव को ठिकाने के लिए एक गाड़ी चालक तथा एक छात्र का भी सहारा लिया। पुलिस ने पशु व्यापारी की हत्या के मामले में गांव के सरपंच पवन कुमार, मुख्य हत्यारोपी मेजर, कृष्ण, अजमेर तथा छात्र बिट्‌टू को गिरतार कर लिया है जबकि एक हत्यारोपी जीप चालक कुलदीप सिंह अभी फरार है। गांव भागरा मुजफरनगर(उत्तर प्रदेश) निवासी पशु व्यापारी इमरान की हत्या की गुत्थी पूरी तरह सुलझ गई है। शनिवार को गांव पाजूखुर्द पहुंचे इमरान को गांव के ही कृष्ण के खेत में नशीली चाय पिलाई गई थी। फिर इमरान पर मेजर, कृष्ण, अजमेर ने कस्सी से वार कर बेरहमी से हत्या कर डाली और कृष्ण के खेत में पड़े पराली के ढेर पर डाल दिया। शव को कृष्ण के खेत से निकालने के लिए उन्होंने गांव के ही जीप चालक कुलदीप की सहायता ली और फिर शव को गांव से दूर डालने योजना बनाई। मगर कारणवश शव को गांव से बाहर नहीं निकाल सके। फिर उन्होंने इस योजना में गांव के ही राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विनालय में पढ़ रहे बारहवीं कक्षा के छात्र बिट्‌टू से संपर्क साध कर पशु व्यापारी इमरान के शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई। फिर डेढ़ किलोमीटर दूर से इमरान के शव को गांव की पंचायती जमीन में पड़ी पराली के ढेर में छुपाया गया। हत्यारोपियों ने गांव के सरपंच पवन से संपर्क साधकर घटना के बारें में अवगत करवाया। सरपंच पवन ने शव को खुर्दबुर्द करने की सलाह देते हुए पैट्रोल उपलबध करवा दिया। जिस पर बिट्‌टू व कृष्ण सरपंच पवन के घर से पैट्रोल ले गए और पराली में छुपाए गए शव को आग लगा दी। पुलिस ने पशु व्यापारी इमरान की हत्या के आरोप में गांव के सरपंच पवन, मेजर, कृष्ण, बिट्‌टू को गिरतार कर लिया।

मुबारक हो मोहर्रम का इस्लामिक नया साल

ब्लोगर दोस्तों भाइयों बुजुर्गों माताओं और बहनों साथ ही थोड़े बहुत दुश्मनों सभी को इस्लामिक नये साल का नमस्कार , नये साल की मुबारकबाद । दोस्तों इस्लाम की तारीख चाँद उगने से यानि सांय काल जिसे मगरिब कहा जाता हे से शुरू होती हे जबकि सनातन और अंग्रेजी पद्धति में सुबह सूरज उगने से दिन की शुरुआत होती हे और इस हिसाब से कल मगरिब को बाद ही इस्लामिक हिजरी सन १४३२ की शुरुआत हो गयी हे दोस्तों कहने को तो यह महीना मुसलमानों के लियें गम और गुस्से का होता हे इस माह में इस्लाम के अलम बरदारों ने अपनी जान की बजी लगाकर इस्लामिक मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा की थी , वेसे तो यह इस्लामिक साल का पहला महीना हे लेकिन मैदाने कर्बला के इतिहास ने इसे क़ुरबानी का महिना बना दिया और दस दिन बाद यानि १७ दिसम्बर को मोहर्रम मनाये जायेगे इस दिन यज़ीद नामक शासक ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के वंशजों और इस्लाम के अलमबरदारों को धोखे से बुला आकर घेर लिया और उन पर गुलामी की पेश कश की जिसे स्वीकार नहीं किया गया और विश्व की सबसे खतरनाक यातना का दोर चलाया गया जिसमें एक एक को गिन गिन कर भूखा प्यासा रख कर तडपा तदपा कर मारा गया लेकिन इस्लाम की ताकत थी के हर एक छोटा बढ़ा बच्चा और बूढा इस युद्ध में अपनी क़ुरबानी देना चाहता था सभी लोग नदी के किनारे थे लेकिन उन्हें पानी नहीं पीने दिया जाता था उस मंजर उस हाल के बारे में सोच कर भी रोंगटे खड़े हो जाते हें और इसी लियें मोहर्रम के महीने में सबीलें लगाकर लोगों को शरबत पिलाया जाता हे जबकि सभी लोगों के लियें हलीम एक विशेष भोजन बनाकर लगों को खिलाया जाता हे इस दिन कुछ लोग मोहर्रम प्रतीकात्मक रूप में निकालते हें और महिलाएं बच्चे मन्नतें भी मांगते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हाय यह केसा आतंकवाद

पवित्र गंगा किनारे अपवित्र आतंक का खेल

दोस्तों देश में आस्थाओं की गंगा और गंगा के पवित्र किनारे जब श्रद्धालु स्नान कर अपने पाप और पुन्य का हिसाब कर रहे हों और राक्षसों का राक्षसी कृत्य इस सुख शांति को हा हां कार में बदल दे तो सोचो क्या विहंगम और द्र्नाक द्रश्य होगा जी हाँ दोस्तों हमारे देश ने कल रात यह दर्द भोगा हे यहाँ शेतानी ताकतों ने केवल एक घटना का बहाना बनाकर निर्दोष लोगों को एक बार फिर गेर इस्लामिक तरीके से अपना निशाना बनाया हे वोह तो शुक्र हे खुदा का के बढा हादसा होने से बच गया दूध के डिब्बे में रखे बम के विस्फोट से इस गंगा किनारे दो लोंगों की म़ोत और २७ लोगों का घायल होना कोई मामूली बात नहीं हे देश की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताकर अपनी करतूतें दिखाने वाले बड़ी बेशर्मी से इस अपराध का कुबुल्नमा पेश कर रहें हें छुप कर पर्दे में रहकर धोके से निर्दोष मासूमों की हत्या करना किसी भी धर्म का हिस्सा नहीं हे और जिस इस्लाम धर्म की वोह बात करते हें उसका तो एलान हे के तुम किसी भी निर्दोष का अगर खून बहाते हो तो तुम मुसलमान नहीं हो ऐसे राक्षस जिसका कोई धर्म ईमान नहीं हे उनकी सारा देश मजम्मत करता हे और खुदा से दुआ करता हे के वोह जल्द पकड़े जाएँ और उन्हें हमारा देश देश का कानून जनता के सामने फंसी पर लटकाए साथ ही देश यह भी दुआ करता हे के जो लोग घायल हुए हे वोह जल्द स्वस्थ हों और जिन की दर्दनाक म़ोत हुई हे इश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे और परिजनों को इस दुःख की घड़ी से उबरने की शक्ति दे जय भारत जय हिंद ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

7.12.10

पैसे के लालच में भूसे में फूंक दिया पशु व्यापारी


सफीदों, (हरियाणा) : सफीदों हलके के पाजूकलां व पाजूखुर्द के बीच धान के भूसे में एक पशु व्यापारी को फूंक दिए जाने का मामले ने समूचे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है। लोग यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि इंसान इतना गिर गया है कि वह चंद रुपयों के लिए किसी दुसरे इंसान कर जीवन लीला ही समाप्त कर दे। मृतक के भाई मोबीन ने पुलिस में दर्ज करवाई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसका भाई इमरान निवासी गांव बघरा जिला मुज्जफरनगर उत्तर प्रदेश सफीदों क्षेत्र में अपने जीजा पप्पू के साथ पशुओं का व्यापार करता था। हाल में वह अपने जीजा के साथ कस्बे के नजदीकी खेड़ाखेमावती गांव में रह रहा था। पशुओं के व्यापार के चलते इमरान ने उपमंडल के पाजू कलां गांव के मेजर से सौलह हजार रुपए लेने थे। वह उन रुपयों को लेने के लिए कई बार मेजर सिंह के पास तकाजे के लिए गया। हर बार मेजर उसे टरकाता रहा। चार दिसबर को भी वह मेजर के पास अपने रुपए लेने के लिए गया था लेकिन उसके बाद वह घर पर नहीं लौटा। उसके घर पर ना आने के चलते उसके भाई मोबिन ने सफीदों पुलिस के पास इमरान की चार दिसबर की सांय से गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।मोबिन ने इस रिपोर्ट में कहा है कि मेजर सिंह के पास तकाजे के लिए जाने के वक्त उसके भाई इमरान के पास दो लाख रूपये की नकदी भी थी। उन्होंने अपने स्तर पर इमरान की तलाश जारी रखी। इमरान की तलाश करतेकरते वे पाजूकलां व पाजूखुर्द के आसपास खेतों में पहुंचे तो पाया कि एक स्थान पर काफी मात्रा में धान का भूसा जल रहा था। उन्होंने भूसे की जलती हुई राख को हटाकर देखा तो उसमें से नर कंकाल निकला। जल चुके भूसे के आसपास उन्होंने तलाशी लेने पर मोबाइल फोन की बैटरी व राख होने से बच गए एक कपड़े से पाया कि यह कंकाल तो उसके भाई इमरान का ही है। मोबिन ने दर्ज करवाई अपनी शिकायत में कहा है कि उसके भाई की पाजू कलां गांव के मेजर सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर हत्या करके उसके शव को भूसे में जला दिया। मामले की सूचना सफीदों प्रशासन व पुलिस को दी गई। मामले की सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। सफीदों के तहसीलदार ज्ञानप्रकाश बिश्र्रोई व एस.एच.ओ. सुभाष शर्मा दलबल के साथ मौके पर पहुंचे और शव को अपने कजे में लेकर आवश्यक कार्रवाई में जुट गए। भूसे में लगी आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड़ को बुलाया गया। पुलिस ने मृतक इमरान के भाई की शिकायत पर पाजू कलां गांव के मेजर सिंह सहित कई अन्य लोगों के खिलाफ भा.दं.सं. की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

6.12.10

मुफ्त आप्रेशन कैंप में दर्जनों लोगों ने खोई आंखों की रोशनी



सफीदों (हरियाणा) : सफीदों में एक डाक्टर की लापरवाही ने दर्जनों लोग अपनी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए खो बैठे। अब ये पीड़ित लोग सिर्फ दोषी डाक्टर को कोसने के सिवाए कुछ भी नहीं कर सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति इस उम्मीद के साथ दुसरे अस्पतालों में इलाज के लिए धक्के खा रहे हैं कि शायद उनकी आंखों की रोशनी वापिस जाए। जहां इन लोगों ने जिंदगी भर के लिए अपनी आंखे खोई, वहीं आरोपी डाक्टर बड़ी बेशर्मी से यह कह रहा है कि आप्रेशन के दौरान इस तरह की समस्या आम बात है। सफीदों के मां भागो देवी धमार्थ अस्पताल के आंखों के डाक्टर अरविंद मौर्य ने क्षेत्र की सामाजिक संस्था बंधु सेवा संघ द्वारा लगाए गए मुफ्त आंखों के कैंप में लोगों की आंखों के आप्रेशन किए थे। आप्रेशन के कुछ ही दिनों बाद आप्रेशन करवाने वाले लोगों को अपनी आखें खो देने का अहसास होने लगा तो पीड़ितों उनके परिजनों के पांव तले की जमीन सरक गई। जब पीड़ित लोग आंखों की रोशनी नहीं आने की शिकायत लेकर डाक्टर से मिले तो पहले तो डाक्टर उन्हें आश्र्वान देता रहा कि आंखे ठीक हो जाएंगी लेकिन बाद में साफतौर पर मना कर दिया कि अब इन आंखों का कुछ भी नहीं हो सकता। पीड़ित मुआना गांव के गोपीराम, हाट गांव के हुकम चन्द, सफीदों के रामदिया, सफीदों की शिव कालोनी निवासी ओमपति, निमनाबाद गांव के अजायब सिंह, सिंघाना गांव के रणबीर, निमनाबाद गांव की राजो देवी सहित अन्य लोगों ने सीधेसीधे डाक्टर अरविन्द मौर्य पर आप्रेशन के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। जिसके कारण उनकी आखें की रोशनी सदासदा के लिए चली गई। पीड़ित लोगों ने बताया कि आप्रेशन से पहले तो उन्हें थोड़ा बहुत अवश्य दिखाई देता था लेकिन उसके बाद उन्हें दिखाई देना बिल्कुल बंद हो गया है। अब वे दुसरे अस्पतालों में इलाज के लिए चक्कर लगा रहे हैं। सभी पीड़ित डाक्टर को पानी पीपीकर कोश रहे है। आप्रेशन कैंप के बाद आंखों की रोशनी गंवाने के मामले सामने आने के बाद सफीदों प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग ने डिप्टी सिविल सर्जन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा। इसके अलावा आप्रेशन करने वाले चिकित्सक को तबल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डाक्टर नरवीर ने भी मामले की शीघ्र रिपोर्ट भेजने के निर्देश सिविल सर्जन डा आरएस वाधवा को दिए हैं।इसके अलावा मामले की जांच के बाद आरोपी चिकित्सक के खीलाफ भी कार्रवाई के लिए कहा गया है। आप्रेशन के दौरान लोगों की आंखों की रौशनी खो जाने का मामला सामने आने पर उपायुक्त अभय सिंह यादव ने सिविल सर्जन डा. आर.एस. वाधवा तथा सफीदों के एस.डी.एम. सत्यवान इंदौरा के साथ पूरे मामले पर विचारविमर्श किया और निर्देश दिया कि मुत कैंप में आप्रेशन करवाने वाले लोगों का पता लगाकर उनकी जांच करवाई जाए और पीड़ित लोगों का इलाज सामान्य अस्पताल जींद में करवाया जाए। आप्रेशन के दौरान खामिया या रही इसके लिए जांच टीम का गठन किया जाए और आरोपी चिकित्सक डा. अरविंद मौर्या के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उपायुक्त से निर्देश मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी पीड़ित लोगों के पास पहुंच गए। इस मामले में डी.सी. डा. अभय सिंह यादव ने बताया कि इस मामले में एक जांच टीम का गठन किया गया है और चिकित्सक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सिविल सर्जन डा आर.एस. वधवा ने बताया कि डिप्टी सिविल सर्जन डा. धन कुमार के नेतृत्व में जांच टीम बना दी गई है। जिन्हें शीघ्र रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। इसके अलावा डी.जी. हैल्थ ने भी मामले की रिपोर्ट शीघ्र देने के लिए कहा है। इस विष्य में आरोपी डाक्टर अरविंद मौर्य का कहना है कि आप्रेशन के दौरान इस तरह की समस्या आम बात है। सौ में दस केस खराब हो ही जाते है।

ललित भाई का प्रेम कोटा के लियें

श्मशान और कब्रिस्तान तक, लगे हैं जिन्दगी के मेले ---- ललित शर्मा

जहां से हम चलते हैं वहीं फ़िर पहुंच जाते हैं घूम घाम कर, धरती गोल है। ईश्वर की सारी सृष्टि ही गोल है, कहीं भी चौकोर नही हैं। चौरास्ते नहीं है, भटकने का जो खतरा होता है। भूल भूलैया से निकल कर सीधा वहीं आना पड़ता है जहां कोई आना नहीं चाहेगा। लेकिन मुझे सुकून वहीं मिलता है जहां आने से लोग डरते हैं। घर से बैठ कर ही जलती चिताओं को देखता हूँ। उसकी लपटें धीरे धीरे बढते हुए एका एक गगन चूमने लगती हैं। फ़िर मद्धम होकर शांत हो जाती हैं। फ़िर अंगारे धधकते रहते हैं कितना गर्व और गुमान भरा है इस देह में। जिसकी अकड़ भस्म होने पर ही निकलती है। शायद श्मशान ही वह जगह जहाँ मनुष्य को अपने किए की याद आती है, भले बुरे कर्मों का चिंतन करता है और वापस आकर पुन: उसी प्रक्रिया में लग जाता है। इसीलिए श्मशान बैराग कहा गया है।

वकील साहब कोर्ट से आ जाते हैं तब तक मैं एक पोस्ट लिख देता हूँ। उनका वाहन अस्पताल में जनरल चेकअप के लिए भर्ती है। तभी अख्तर खान अकेला जी याद आती है वकील साहब उन्हे फ़ोन लगा कर बुलाते हैं। तब तक हम कार लेकर आ जाते हैं। अकेला साहब के साथ चल पड़ते हैं कोटा भ्रमण को। वकील साहब बताते हैं कि कोटा की सुंदर जगहों में एक श्मशान है मुक्तिधाम किशोरपुरा में जिसे कोटा के एक बिड़ला परिवार ने सजाया संवारा है। हम श्मशान में पहुंच जाते हैं। चम्बल के तीर यह श्मशान वास्तव में इस लायक है कि यहां चिरविश्राम लिया जा सकता है।

आत्मा का परमात्मा से मिलन हो सकता है। कुछ चिताएं अभी भी सुलग रही हैं, कुछ की भस्म ठंडी हो रही है।ज्वालाएं अंधेरे को दूर भगाने का पुरजोर प्रयास कर रही हैं। देह जला कर अंधेरा दूर भगाने का प्रयास नमन योग्य है।मैं कुछ देर खड़े होकर उन्हें अंतिम नमस्कार करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ उन्हे सदगति प्रदान करे। अरे मेरे संकट मोचक पास ही हैं, मेरे साथ यहाँ तक आ पहुंचे।प्रणाम है बाबा तुम्हे, यूँ ही साथ रहा करो। पास ही एक अखाड़ा है जहां गदाधारी महावीर विराज मान है, कुछ पहलवाल जोर लगाने के बाद भांग रगड़ा लगाते हैं और फ़िर मस्त हो जाते हैं ठंडाई पीकर। वकील साहब ने बताया कि यहां आधा किलो भांग रोज ही चढा ली जाती है। भांग का नाम सुनकर मैं तो सिहर उठता हूँ। बनारस के काशी विश्वनाथ जी की यात्रा का स्मरण हो जाता है।
अंधेरा हो चला है कुछ ठंड भी है वातावरण में,अकेला साहब अब अधरशिला दिखाने ले चलते हैं। यह प्रकृति का एक चमत्कार है कि एक विशाल शिला यहां एक बिंदु पर आकर टिक गयी है। अधरशिला के पास ही एक मंदिर है यहां प्यारे मिंया महबूब साहब स्थान है। इस स्थान से मंदिर के कंगुरे दिखाई देते हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव की एक अनुठी मिशाल है। कवि यौगेन्द्र मौद्गिल की पंक्तियां याद आ जाती हैं- मस्जिद की मीनारें बोलीं, मंदिर के कंगूरों से, संभव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से.." हम अधरशिला देखते हैं। अधरशिला के नीचे थोड़ी सी जगह है जहां से बच्चों को पार कराया जाता है। अकेला भाई ने बताया कि किवदंती है कि हराम का जना बच्चा इसमें फ़ंस जाता है और सही बच्चा पार निकल जाता है। सोचना पड़ा कि जब बच्चा इस संकरी जगह में परीक्षा दे रहा होगा तो उसके माँ बाप के चेहरों पर किस किस तरह के भाव उमड़ रहे होगें। ये परीक्षा बच्चों की नहीं माँ बाप की होती है। समझ लो कि "हूई गति सांप छछुंदर केरी"
पास ही एक कब्रिस्तान है जहाँ बहुत सारे लोग कयामत का इंतजार कर रहे हैं कितनी लगन है इस इंतजार में। नहीं तो किसी का इंतजार करना, ना रे बाबा ना, मेरे लिए तो बहुत कठिन काम है। लेकिन यहां तो इंतजार करना ही पड़ेगा। यहां किसी की सिफ़ारिश पर्ची या टेलीफ़ोन पैरवी नहीं चलती। सभी को इंतजार करना पड़ता है। अकेला साहब ने बताया कि कोटा के प्रसिद्ध डॉ ए क्यु खान साहब ने अपनी कब्र खुदवा रखी है। इनकी पत्नी का इंतकाल लगभग 30 वर्ष पूर्व हो गया था। डॉक्टर साहब की ख्वाहिश थी कि उनकी फ़ौत के बाद वे अपनी पत्नी की कब्र के पास ही दफ़न हों। इसलिए इन्होने एडवांस बुकिंग इस्लामिक रिवाज के अनुसार करवा ली। इस्लामिक रवायत के अनुसार जो भी शख्स अपने दफ़न के लिए जगह आरक्षित करता है उसे प्रतिवर्ष उस कब्र के बराबर अनाज भरकर ईद से पहले गरीबों में बांटना पड़ता है और इस कार्य को डॉ ए क्यु खान साहब पिछ्ले 30 सालों से अंजाम दे रहे हैं।
श्मशान और कब्रिस्तान से अब हम चल पड़े बाजार की तरफ़ जहां उम्दा पान हमारा इंतजार कर रहे थे। पेशे से पत्रकार और अधिवक्ता अख्तर खान अकेला साहब उर्दु साहित्य पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। उन्होने “अकेला” तखल्लुस का राज भी खोला। पान की दुकान पर जाने से पहले हमने कोटा की उम्दा कुल्फ़ी का स्वाद लिया। पान के तो कहने की क्या थे। 90 नम्बर की किमाम ने जायका ही ला दिया पान में। यहीं पर हमारी मुलाकात कोटा से प्रकाशित देनिक कोटा ब्यूरो के सम्पादक जनाब कय्यूम अली एवं प्रेस क्लब के कोटा के महासचिव जनाब हरिमोहन शर्मा जी से हुई। सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। कोटा जैसे एतिहासिक शहर में घुमना तो कम ही हुआ पर दिनेश जी के साथ घुमना अच्छा लगा। इसके पश्चात अकेला साहब के चेम्बर में भी गए जहाँ एडवोकेट आबिद अब्बासी और नईमुद्दीन काजी जी से भी भेंट हुई। अकेला साहब ने कुरान पाक की एक प्रति दिनेश जी को भेंट की और मुझे कोटा के इतिहास से संबंधित एक पुस्तक भी। मैं सभी का शुक्रगुजार हूँ।
मैने अधरशिला से एक चित्र लिया जिसमें अधरशिला में लगा ध्वज और मंदिर एक साथ नजर आ रहा है। एक चक्कर हमने कोटा के परकोटे का भी लगाया। लेकिन किला वगैरह नहीं देख पाए उसे बाद के लिए रख छोड़ा कोटा के विषय में एक जानकारी और दे दूँ कि यहां थर्मल, हाइड्रो, एटमिक, और गैस से बिजली का निर्माण होता है। मेवाड़ एक्सप्रेस रात डेढ बजे कोटा से चित्तौड़ जाती है। हम घर पहुंच कर जीम लिए और रवि स्वर्णकार जी से फ़ोन पर बात हुई, वे रावत भाटा में थे। कोटा होते तो मुलाकात हो जाती। कुछ देर आराम करने के बाद एक बजे उठे तो पता चला की गाड़ी कुछ देर लेट चल रही है। वकील साहब के साथ स्टेशन पहुंचे तो पता चला गाड़ी एक घंटे लेट है। प्लेटफ़ार्म पर वकील साहब से चर्चा होती रही। वकील साहब का जीवन भी संघर्ष से भरा प्रेरणादायी है। ट्रेन आ गयी, हमारा रिजर्वेशन नहीं था लेकिन आराम से सोने के लिए सीट मिल गयी। तब तक सुबह का अखबार भी आ चुका था। वकील साहब से हमने विदा ली और चल पड़े चित्तौड़ गढ की ओर इंदुपुरी, पद्मसिंग और रानी पद्मिनी से मिलने के लिए…………..।
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