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22.6.10

नहर में दरार आने से दर्जनों एकड़ फसल जलमग्न

फतेहाबाद: शहर फतेहाबाद से दस किलोमीटर दूर फतेहाबाद-भट्टूकला मार्ग पर स्थित गाव मानावाली के पास मानावाली-सरवरपुर में सोमवार तड़के 2 बजे के लगभग आई दरार से काफी बड़े क्षेत्र में कृषि भूमि जलमग्न हो गई। पानी के भारी जमाव से कपास की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। माईनर से निकला पानी गाव मानावाली तक भी जा पहुंचा। गाव के लोगों ने बताया कि माइनर टूटने के बाद रात को ही सिंचाई विभाग के एसडीओ जयपाल सिंह को सूचना दे दी गई थी, लेकिन प्रात: 7 बजे ही सिंचाई विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे जिससे माईनर से निकला पानी खेतों से होता हुआ गाव तक जा पहुंचा। ग्रामीणों ने बताया कि वे खुद गाव बनावाली के पास जाकर खुद हैड पर माईनर में पानी का बहाव रोककर आए, जिससे पानी और ज्यादा क्षेत्र में नहीं फैल पाया। मौके पर पहुंचे सिंचाई विभाग के एसडीओ जयपाल सिंह ने बताया कि माईनर टूटना कोई खास बात नहीं है, माईनर टूटते ही रहते है। बाद में सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जेसीबी मशीन फतेहाबाद शहर से बुलाकर माईनर में आई दरार को पाटा। सूचना के पाच घटे बाद पंहुचे सिंचाई विभाग के रवैये को लेकर ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त था। पूर्व सैनिक रामसिंह फौजी ने बताया कि यह माईनर पहले भी टूट चुकी है जिससे कई ट्यूबवैलों को भारी नुक्सान पंहुचा था। उन्होंने कहा कि माईनर के बार-बार टूटने का मामला उपायुक्त के नोटिस में लाया जाएगा।

21.6.10

बटाला हाउस इन्काउन्टर - 2

मोहम्मद आतिफ अमीन को लगभग सारी गोलियाँ पीछे से लगी है। 8 गोलियाँ पीठ में लग कर सीने से निकली हैं। एक गोली दाहिने हाथ पर पीछे से बाहर की ओर से लगी है जबकि एक गोली बाँईं जाँघ पर लगी हैं और यह गोली हैरत अंगेज तौर पर ऊपर की ओर जाकर बाएँ कूल्हे के पास निकली है। पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सम्बंध में प्रकाशित समाचारों और उठाये जाने वाले प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह तर्क दिया कि आतिफ गोलियाँ चलाते हुए भागने का प्रयास कर रहा था और उसे मालूम नहीं था कि फ्लैट में कुल कितने लोग हंै इसलिए क्रास फायरिंग में उसे पीछे से गोलियाँ लगीं लेकिन इन्काउन्टर या क्रास फायरिंग में कोई गोली जाँघ में लगकर कूल्हे की ओर कैसे निकल सकती है। आतिफ के दाहिने पैर के घुटने में 1.5 x 1 सेमी0 का जो घाव है उस के बारे में पुलिस का कहना है कि वह गोली चलाते हुए गिर गया था। पीठ में गोलियाँ लगने से घुटने के बल गिरना तो समझ में आ सकता है किन्तु विशेषज्ञ इस बात पर हैरान है कि फिर आतिफ के पीठ की खाल इतनी बुरी तर कैसे उधड़ गई? पोस्मार्टम रिपोर्ट के अनुसार आतिफ के दाहिने कूल्हे पर 6 से 7 सेमी0 के भीतर कई जगह रगड़ के निशानात भी पाए गए।
साजिद के बारे में भी पुलिस का कहना है कि साजिद एक गोली लगने के बाद गिर गया था और वह क्रास फायरिंग के बीच आ गया। इस तर्क को गुमराह करने के अलावा और क्या कहा जा सकता है साजिद को जो गोलियाँ लगी हैं उन में से तीन पेशानी (Fore head) से नीचे की ओर आती हैं। जिस में से एक गोली ठोढ़ी और गर्दन के बीच जबड़े से भी निकली है। साजिद के दाहिने कन्धे पर जो गोली मारी गई है वह बिल्कुल सीधे नीचे की ओर आई है। गोलियों के इन निशानात के बारे में पहले ही स्वतन्त्र फोरेन्सिक विशेषज्ञ का कहना था कि या तो साजिद को बैठने के लिए मजबूर किया गया या फिर गोली चलाने वाला ऊँचाई पर था। जाहिर है दूसरी सूरत उस फ्लैट में सम्भव नहीं है। दूसरे यह कि क्रास फायरिंग तो आमने सामने होती है ना कि ऊपर से नीचे की ओर।
साजिद के पैर के घाव के बारे में रिपोर्ट में यह कहा गया है कि यह किसी गैर धारदार वस्तु ;(Blunt Force By object or surface) से लगा है। पुलिस इसका कारण गोली लगने के बाद गिरना बता रही है। लेकिन 3.5 x 2 सेमी0 का गहरा घाव फर्श पर गिरने से कैसे आ सकता है पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इस आरोप की पुष्टि होती है कि आतिफ व साजिद के साथ मारपीट की गई थी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेशानुसार इस प्रकार के केस में पोस्टमार्टम की वीडियो ग्राफी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ उसे भी आयोग के कार्यालय भेजा जाए। लेकिन एम0 सी0 शर्मा की रिपोर्ट में केवल यह लिखा है कि घावों की फोटो पर आधारित सी0 डी0 सम्बंधित जाँच अफसर के सुपुर्द की गई।
बटाला हाउस की घटना के बाद सरकार, कार्यपालिका और मीडिया ने जो रोल अदा किया है वह न कि तशवीश-नाक है बल्कि इससे देश के मुसलमानों व अन्य लेागों के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि आखिर सरकार इस मामले की न्यायिक जाँच से क्यों कतरा रही है? न्यायिक जाँच के लिए जज भी सरकार ही नियुक्त करेगी।
वर्ष 2008 में होने वाले सीरियल धमाकों के बारे में विभिन्न रायें पाई जाती हैं। कुछ लोग इन तमाम घटनाओं को हेडली की भारत यात्रा से जोड़ कर देखते हैं। जबकि भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज ने अहमदाबाद धमाकों के बाद संवाददाताओं से कहा था कि यह सब कांग्रेस करा रही है क्योंकि न्युकिलियर समझौता के मुद्दे पर लोकसभा में नोट की गड्डियों के पहुँचने से वह परेशान है और जनता के जेहन को मोड़ना चाहती है। समाजवादी पार्टी से निष्कासित सांसद अमर सिंह के अनुसार सोनिया गाँधी बटाला हाउस इन्काउन्टर की जाँच कराना चाहती थीं लेकिन किसी कारण वह ऐसा नहीं कर सकीं, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया कि वह कारण क्या है?
बटाला हाउस इन्काउन्टर की न्यायिक जाँच की माँग केन्द्रीय सरकार के अलावा न्यायालय भी नकार चुके हैं। सब का यही तर्क है कि इससे पुलिस का मारल गिरेगा। केन्द्रीय सरकार और न्यायालय जब इस तर्क द्वारा जाँच की माँग ठुकरा रही थीं उसी समय देहरादून में रणवीर नाम के एक युवक की इन्काउन्टर में मौत की जाँच हो रही थी और अंत में पुलिस का अपराध सिद्ध हुआ। आखिर पुलिस के मारल का यह कौन सा आधार है जिस की रक्षा के लिए न्याय और पारदर्शिता के नियमों को त्याग दिया जा रहा है।

-अबू ज़फ़र आदिल आज़मी
मोबाइल: 09540147251

(समाप्त)

दो कारों के बीच टक्कर, पांच की मौत

फतेहाबाद। यहां से करीब चार किलोमीटर दूर गांव हमीरगढ़ के बस स्टैड के नजदीक रविवार देर सायं दो कारों की आमने-सामने की टक्कर में पंाच लोगों की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए। इनमें में चार की हालत गंभीर बनी हुई है, जिनको हिसार, टोहाना व पटियाला के सरकारी अस्पतालों को रेफर कर दिया गया। हादसे में दो वर्षीय बच्चा बाल-बाल बच गया।
कुछ लोग नजदीकी गांव फूलद में विवाह कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद एक स्विफ्ट कार से राजपुरा लौट रहे थे। इसी दौरान एक टाटा इंडिगो कार पातड़ां की तरफ से आ रही थी, जिसमें रतिया का एक परिवार सवार था, जो चंडीगढ़ में जागरण में शामिल होकर वापस जा रहा था। हमीरगढ़ गांव के नजदीक दोनों कारों में टक्कर हो गई।
हादसे में तीन लोगों 28 वर्षीय मंजू, 30 वर्षीय मनोज व 12 वर्षीय डिंपी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि रतिया जा रही कार के ड्राइवर बबली की हिसार के अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में मौत हो गई।
दोनों कारों से मृतकों व घायलों को निकालने के लिए मौके पर पहुंची पुलिस पार्टी व गांववासियों को भारी मशक्कत करनी पड़ी। कारों के दरवाजे आदि काट कर घायलों संजू, कृष्ण, अंजली, साक्षी, निखिल, श्रेया समेत आठ लोगों को बाहर निकाला गया। मामूली तौर पर घायल हुए कई दूसरे लोगों को टोहाना के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से गंभीर घायलों को पटियाला व टोहाना के अस्पतालों को रेफर कर दिया गया। टोहाना सरकारी अस्पताल में श्रेया ने दम तोड़ दिया।
मूनक के डीएसपी हरप्रीत सिंह एवं एसएचओ जसविंदर सिंह ने मौके पर पहुंचकर घटना का जायजा लिया।

20.6.10

बटाला हाउस इन्काउन्टर - 1

फोटो सोर्स : hardnewsmedia.com
बटाला हाउस इन्काउन्टर के डेढ़ वर्ष बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से इन्काउन्टर के न्यायिक जाँच की माँग में फिर तेजी आ गई है। मानवाधिकार के विभिन्न संगठन और आम लोग इस इन्काउन्टर पर लगातार प्रश्न उठाते रहे हैं और अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उनके सवालों को अधिक गंभीर बना दिया है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र अफरोज आलम साहिल ने इस तथाकथित इन्काउन्टर से सम्बंधित विभिन्न दस्तावेजों की प्राप्ति के लिए सूचना के अधिकार (RTI) के तहत लगातार विभिन्न सरकारी एवम् गैर सरकारी कार्यालयों का दरवाजा खटखटाया किन्तु पोस्टर्माटम रिपोर्ट की प्राप्ति में उन्हें डेढ़ वर्ष लग गए।
अफरोज आलम ने सूचना के अधिकार के अन्तर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकर से उन दस्तावेजों की माँग की थी जिनके आधार पर जुलाई 2009 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी थी। ज्ञात रहे कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट देते हुए पुलिस का यह तर्क मान लिया था कि उसने गोलियाँ अपने बचाव में चलाई थीं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजे गए दस्तावेजों में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अलावा पुलिस द्वारा कमीशन और सरकार के समक्ष दाखिल किए गए विभिन्न कागजात के अलावा खुद आयोग की अपनी रिपोर्ट भी है।
पोस्मार्टम रिपोर्ट के अनुसार आतिफ अमीन (24 वर्ष) की मौत तेज दर्द (Shock & Hemorrhage) से हुई और मुहम्मद साजिद (17 वर्ष) की मौत सर में गोली लगने के कारण हुई है। जबकि इन्स्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा की मृत्यु का कारण गोली से पेट में हुए घाव से खून का ज्यादा बहना बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार तीनों (आतिफ, साजिद और एम0 सी0 शर्मा) को जो घाव लगे हैं वे मृत्यु से पूर्व ( Antemortem in Nature) के हैं।
रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद आतिफ अमीन के शरीर पर 21 घाव हैं जिसमें से 20 गोलियों के हैं। आतिफ को कुल 10 गोलियाँ लगी हैं और सारी गोलियाँ पीछे से मारी गई हैं। 8 गोलियाँ पीठ पर, एक दाएँ बाजू पर पीछे से और एक बाँई जाँघ पर नीचे से। 2 x 1 से0 मी0 का एक घाव आतिफ के दाएँ पैर के घुटनों पर है। रिपोर्ट के अनुसार यह घाव किसी धारदार चीज से या रगड़ लगने से हुआ है। इसके अलावा रिपोर्ट में आतिफ की पीठ और शरीर पर कई जगह छीलन है जबकि जख्म न0 20 जो बाएँ कूल्हे के पास है से धातु का एक 3 सेमी0 का टुकड़ा मिला है।
मोहम्मद साजिद के शरीर पर कुल 14 घाव हैं। साजिद को कुल 5 गोलियाँ लगी हैं और उनसे 12 घाव हुए हैं। जिसमें से 3 गोलियाँ दाहिनी पेशानी के ऊपर, एक गोली पीठ पर बाँई ओर और एक गोली दाहिने कन्धे पर लगी है। मोहम्मद साजिद को लगने वाली तमाम गोलियाँ नीचे की ओर निकली हैं जैसे एक गोली जबड़े के नीचे से (ठोड़ी और गर्दन के बीच) सर के पिछले हिस्से से और सीने से। साजिद के शरीर से 2 धातु के टुकड़े (Metalic Object) मिलने का रिपोर्ट में उल्लेख है जिस में से एक का साइज 8 x 1 सेमी0 है। जबकि दूसरा Metalic Object पीठ पर लगे घाव (GSW -7) से टीशर्ट से मिला है। इस घाव के पास 5ग1.5 सेमी0 लम्बा खाल छिलने का निशान है। पीठ पर बीच में लाल रंग की 4 x 2 सेमी0 की खराश है। इसके एलावा दाहिने पैर में सामने (घुटने से नीचे) की ओर 3.5 x 2 सेमी0 का गहरा घाव है। इन दोनों घावों के बारे में रिपोर्ट का कहना है यह घाव गोली के नहीं हैं। साजिद को लगे कुल 14 घावों में से रिपोर्ट में 7 घावों को बहुत गहरा (Cavity Deep) कहा गया है।
इनस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा के बारे में रिपोर्ट का कहना है कि बाएँ कन्धे से 10 सेमी0 नीचे घाव के बाहरी हिस्से की सफाई की गई थी। मोहन चन्द्र शर्मा को 19 सितम्बर 2008 को एल-18 में घायल होने के बाद निकटतम अस्पताल होली फैमली में भर्ती कराया गया था। उन्हें कन्धे के अलावा पेट में भी गोली लगी थी। रिपोर्ट के अनुसार पेट में गोली लगने से खून का ज्यादा स्राव हुआ और यही मौत का कारण बना। इन्काउन्टर के बाद यह प्रश्न उठाया गया था कि जब शर्मा को 10 मिनट के अन्दर चिकित्सकीय सहायता मिल गई थी और संवेदनशील जगह (Vital Part) पर गोली भी नहीं लगी थी तो फिर उनकी मौत कैसे हो गई? यह भी प्रश्न उठाया गया था कि शर्मा को गोली किस तरफ से लगी, आगे से या पीछे से? क्योंकि यह भी कहा जा रहा था कि शर्मा पुलिस की गोली का शिकार हुए हैं किन्तु पोस्टमाटम रिपोर्ट इसकी व्याख्या नहीं कर पा रही है क्योंकि होली फैमली अस्पताल जहाँ उन्हें पहले लाया गया था और बाद में वहीं उनकी मौत भी हुई, में उनके घावों की सफाई की गई, लिहाजा पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर यह नहीं बता सके कि यह गोली के घुसने की जगह है या निकलने की। दूसरा कारण यह है कि शर्मा को एम्स (AIIMS) में सफेद सूती कपड़े में ले जाया गया था और उनके घाव यहीं (Adhesive Lecoplast) से ढके हुए थे। रिपोर्ट में लिखा है कि जाँच अफसर (IO) से निवेदन किया गया था कि वह शर्मा के कपड़े लैब में लाएँ। ज्ञात रहे कि शर्मा का पोस्टमार्टम 20 सितम्बर 2008 को 12 बजे दिन में किया गया था और उसी समय यह रिपोर्ट भी तैयार की गई थी।

(क्रमश: )

-अबू ज़फ़र आदिल आज़मी
मोबाइल: 09540147251

19.6.10

अपसंस्कृति


दुनिया की आप़ा धापी में शामिल लोग
भूल चुके है अलाव की संस्कृति
नहीं रहा अब बुजुर्गों की मर्यादा का ख्याल
उलझे धागे की तरह नहीं सुलझाई जाती समस्याएं
संस्कृति , संस्कार ,परम्पराओं की मिठास को
मुंह चिढाने लगी हैं अपसंस्कृति की आधुनिक बालाएं
अब वसंत कहाँ ?
कहां ग़ुम हो गयीं खुशबू भरी जीवन की मादकता
उजड़ते गावं -दरकते शहर के बीच
उग आई हैं चौपालों की जगह चट्टियां
जहाँ की जाती ही व्यूह रचना
थिरकती हैं षड्यंत्रों की बारूद
फेकें जाते हैं सियासत के पासे
भभक उठती हैं दारू की गंध -और हवाओं में तैरने लगती हैं युवा पीढ़ी
गूँज उठती हैं पिस्टल और बम की डरावनी आवाज़
सहमी-सहमी उदासी पसर जाती हैं
गावं की गलियों ,खलिहानों और खेतों की छाती पर
यह अपसंस्कृति का समय हैं

-सुनील दत्ता
मोबाइल- 09415370672

कलह के चलते पति ने की पत्नी की गला रेतकर हत्या


पत्नी को मौत की नींद सुलाकर पति ने खुद भी किया आत्महत्या का प्रयास
सफीदों, (हरियाणा) : आज व्यक्ति मानसिकरूप से इतना परे शान हो चुका है कि उसमेंधैर्य नाम की कोई चीज नहीं रह गई है।परेशानी के कारण चाहे जो भी हो लेकिनपरे शानी धैर्य की कमी के चलते वह कुछभी कर बैठता है। ठीक इसी तरह का उदाहरणहरियाणा के सफीदों क्षेत्र में घटित हुई एकदर्दनाक घटना के रूप में सामने आया है।सफीदों की आदर्श कालोनी में घरेलू कलह केचलते पति ने अपनी ही पत्नी का चाकू से गलारेतकर मौत की नींद सुला दिया। पत्नी कीहत्या करने के बाद पति ने भी खुद को चाकूमारकर अपनी जीवनलीला समाप्त करने कीकोशिश की लेकिन वह इस कोशिश मेंनाकामयाब रहा। इस घटना ने पूरे क्षेत्र कोहिलाकर रख दिया है। मिली जानकारी केअनुसार कस्बे की आदर्श कालोनी निवासीबलबीर तथा उसकी पत्नी धनपति के बीचपिछले कई दिनों से घरेलू कलह चला रहाथा। सुबह बलबीर घर आया और कमरे में सोयी अपनी पत्नी धनपति का चाकूसे गला रेत दिया। जिससे धनपतिकी मौके पर ही मौत हो गई।बाद में बलबीर ने स्वयं को भी चाकूमारकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। कमरेमें चिल्लाने की आवाज सुनकर बलबीर का बेटा ऋषिपाल मौके पर पहुंच गया और उसने देखा कि उसके मांबापखून से लथपथ कमरें में पड़े हैं। बेटे ऋषिपाल ने घायल अपने पिता बलबीर को अस्पताल पहुंचाया और घटना कीसूचना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और मृतका के शव को कजे में ले सामान्यअस्पताल ले आई। ऋषिपाल ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसका पिता बलबीर दर्जी का कार्य करता है।सुबह उसका पिता घर आया और कमरे में सोयी उसकी मां के गले पर चाकूसे वार कर दिया। जब तक वह मौके परपहुंचता तब उसकी मां धनपति की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। इस दौरान उसके पिता ने स्वयं को भी चाकूमारकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। पुलिस ने ऋषिपाल की शिकायत पर बलबीर के खिलाफ हत्या कामामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

अमेरिकी साम्राज्यवाद का रूप व एशिया - (अंतिम भाग)

वास्तव में इन सबके पीछे अमेरिका की वह रणनीति है जिसके अन्तर्गत वह ईरान जैसे कई देशों के प्राकृतिक संसाधनों पर अपना प्रभुत्व कायम करना चाहता है ताकि वह विश्व में स्वयं को सिरमौर बना सके। ‘‘जिस तरह यह तथ्य सभी जानते हैं कि सारी दुनिया के ज्ञात प्राकृतिक तेल भण्डारों का 60 प्रतिशत पश्चिम एशिया में मौजूद हैं, अकेले सऊदी अरब में 20 प्रतिशत, बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर और संयुक्त अरब अमीरात में मिलाकर 20 प्रतिशत और इराक ईरान में 10-10 प्रतिशत तेल भण्डार हैं। ईरान के पास दुनिया की प्राकृतिक गैस का दूसरा सबसे बड़ा भण्डार है, उसी तरह लगभग सारी दुनिया में अमेरिका के कारनामों से परिचित लोग इसे एक तथ्य की तरह स्वीकारते हैं कि अमेरिका की दिलचस्पी लोकतंत्र में है, आतंकवाद खत्म करने में, दुनिया को परमाणु हथियारों के खतरों से बचाने में, बल्कि उसकी दिलचस्पी तेल पर कब्जा करने और इसके जरिये बाकी दुनिया पर अपना वर्चस्व बढ़ाने में है। अमेरिका की फौजी मौजूदगी ने उसे दुनिया के करीब 50 फीसदी प्राकृतिक तेल के स्रोतों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कब्जा दिला दिया है और अब उसकी निगाह ईरान के 10 प्रतिशत पर काबिज होने की है। दरअसल मामला सिर्फ यह नहीं है कि अगर अमेरिका को 50 फीसदी तेल हासिल हो गया है तो वह ईरान को बख्श क्यों नहीं देता। सवाल यह है कि अगर 10 फीसदी तेल के साथ ईरान अमेरिका के विरोधी खेमे के साथ खड़ा होता है तो दुनिया में फिर अमेरिका के खिलाफ खड़ा होने की हिम्मत कोई कोई करेगा।’’
इसी तरह क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति
फिदेल कास्त्रों का भी मानना है कि अमेरिका अपनी इन खतरनाक नीतियों के छद्म द्वारा विश्व के कई देशों की सार्थक शक्तियों सुविधाओं का प्रयोग अपने हित हेतु कर रहा है। चाहे वह प्राकृतिक संसाधन हो अथवा मानव शक्ति। ‘‘उन्होंने सम्पूर्ण विश्व को लूटकर, उसका शोषण करके, बहुत सारा धन इकट्ठा किया है, जिससे वह पूरी दुनिया के प्राकृतिक संसाधनों को, कारखानों को, पूरी की पूरी संचार व्यवस्थाओं सेवाओं आदि को खरीद लेते हैं। .........अपने शानदार आर्थिक नियमों के चलते वह तीसरी दुनिया के देश के लोगों के साथ क्या कर रहे हैं? वह बहुत सारे लोगों को उनके अपने ही देशों में विदेशी बना रहे हैं। अपने देश में एक वैज्ञानिक, डाक्टर, इंजीनियर अथवा शिक्षक तैयार करने पर उनको बहुत भारी खर्च करना पड़ता है। इसलिए वह तीसरी दुनिया के देशों की जनता की खून पसीने की कमाई से तैयार किए गए वैज्ञानिकों, डाॅक्टरों, इंजीनियरों आदि को अपने यहाँ बुला लेते हैं। बात अपना खर्च बचा लेने दूसरे देशों के संसाधन लूट लेने की ही नहीं है, बात यह है कि निरंतर नई तकनीक से निर्मित व्यापार को चलाने के लिए स्वयं उनमें योग्यता नहीं है।’’
अमेरिका की इस पूँजीवादी व्यवस्था ने वातावरण में ज़हर भर दिया है और वह उन प्राकृतिक संसाधनों को
धीरे-धीरे नष्ट कर रहा है, जो कि एक बार प्रयोग कर लेने के पश्चात पुनः पैदा नहीं किए जा सकते, जबकि भविष्य में उनकी आवश्यकता ज्यादा होगी। इन संसाधनों के प्रयोग से अमेरिका को कोई रोके इसलिए वह भिन्न-भिन्न नीतियों का सहारा लेकर विश्व पटल पर ऐसा वातावरण सृजित कर रहा है कि सभी का ध्यान उसी ओर रहे और वह अपने उद्देश्य की पूर्ति बिना किसी अंकुश के कर सके।
भारत द्वारा अमेरिका के साथ किए गए समझौतों से हमारी संप्रभुता पर एक खतरा मण्डरा रहा है, जिससे बचाव के लिए हमें कोई कोई ठोस कदम उठाना होगा। यह तो स्पष्ट ही है कि एशिया के प्राकृतिक संसाधनों मानव शक्ति के उत्पादन पर अमेरिका नजर गड़ाए हुए है परन्तु जिस मनमानी से वह यह सब हासिल करना चाहता है वह इन देशों के लिए अत्यन्त हानिकारक साबित हो सकता है। अमेरिका की इन सभी साम्राज्यवादी नीतियों से दो-दो हाथ करने उसका हल ढूँढने का सार्थक प्रयास यही हो सकता है कि उसके विरुद्ध खड़ी तमाम शक्तियों को एकत्र किया जाए। जैसा कि पिछले समय में बेनेजुएला के राष्ट्रपति ह्यगो चावेज के साथ मिलकर अहमदीनेजाद ने एक वैकल्पिक कोष का निर्माण कर लिया है इससे छोटे देशों को सार्थक सहयोग मिलेगा और वह भी अमेरिकी शक्तियों का विरोध करते हुए इनसे जुड़े रहेंगे। विश्व स्तर पर अमेरिका के डाॅलर को चुनौती देने के प्रयास भी इसी ओर संकेत करते हैं। इसी तरह एशिया के सभी देश आपसी खींच तान भुलाकर यदि एक मंच पर एकत्र हों तो वे सब अपनी संप्रभुता को कायम रखते हुए अमेरिका का विरोध बड़े तीव्र रूप में कर सकते हैं। कुछ अमेरिका परस्त देशों को यदि इस एकत्रता से निकाल भी दिया जाए तो भी एक सार्थक प्रयास किया जा सकता है। मैं तो कहूँगा कि भारत जैसे देश केवल इसका विरोध करें बल्कि इस नये एकता सूत्र को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ, वहीं चीन भी इसमें महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकता है। जिस प्रकार आज भूमण्डलीय साम्राज्यवाद की बात की जा रही है उसी तरह भूमण्डलीय विरोध को भी पैदा किया जा सकता है बस जरूरत इन देशों की आपसी एकता की है।

-डा0 विकास कुमार
मोबाइल: 09888565040