फतेहाबाद। यहां से करीब चार किलोमीटर दूर गांव हमीरगढ़ के बस स्टैड के नजदीक रविवार देर सायं दो कारों की आमने-सामने की टक्कर में पंाच लोगों की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए। इनमें में चार की हालत गंभीर बनी हुई है, जिनको हिसार, टोहाना व पटियाला के सरकारी अस्पतालों को रेफर कर दिया गया। हादसे में दो वर्षीय बच्चा बाल-बाल बच गया। कुछ लोग नजदीकी गांव फूलद में विवाह कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद एक स्विफ्ट कार से राजपुरा लौट रहे थे। इसी दौरान एक टाटा इंडिगो कार पातड़ां की तरफ से आ रही थी, जिसमें रतिया का एक परिवार सवार था, जो चंडीगढ़ में जागरण में शामिल होकर वापस जा रहा था। हमीरगढ़ गांव के नजदीक दोनों कारों में टक्कर हो गई। हादसे में तीन लोगों 28 वर्षीय मंजू, 30 वर्षीय मनोज व 12 वर्षीय डिंपी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि रतिया जा रही कार के ड्राइवर बबली की हिसार के अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में मौत हो गई। दोनों कारों से मृतकों व घायलों को निकालने के लिए मौके पर पहुंची पुलिस पार्टी व गांववासियों को भारी मशक्कत करनी पड़ी। कारों के दरवाजे आदि काट कर घायलों संजू, कृष्ण, अंजली, साक्षी, निखिल, श्रेया समेत आठ लोगों को बाहर निकाला गया। मामूली तौर पर घायल हुए कई दूसरे लोगों को टोहाना के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से गंभीर घायलों को पटियाला व टोहाना के अस्पतालों को रेफर कर दिया गया। टोहाना सरकारी अस्पताल में श्रेया ने दम तोड़ दिया। मूनक के डीएसपी हरप्रीत सिंह एवं एसएचओ जसविंदर सिंह ने मौके पर पहुंचकर घटना का जायजा लिया।
बटाला हाउस इन्काउन्टर के डेढ़ वर्ष बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से इन्काउन्टर के न्यायिक जाँच की माँग में फिर तेजी आ गई है। मानवाधिकार के विभिन्न संगठन और आम लोग इस इन्काउन्टर पर लगातार प्रश्न उठाते रहे हैं और अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उनके सवालों को अधिक गंभीर बना दिया है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र अफरोज आलम साहिल ने इस तथाकथित इन्काउन्टर से सम्बंधित विभिन्न दस्तावेजों की प्राप्ति के लिए सूचना के अधिकार (RTI) के तहत लगातार विभिन्न सरकारी एवम् गैर सरकारी कार्यालयों का दरवाजा खटखटाया किन्तु पोस्टर्माटम रिपोर्ट की प्राप्ति में उन्हें डेढ़ वर्ष लग गए।
अफरोज आलम ने सूचना के अधिकार के अन्तर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकर से उन दस्तावेजों की माँग की थी जिनके आधार पर जुलाई 2009 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी थी। ज्ञात रहे कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट देते हुए पुलिस का यह तर्क मान लिया था कि उसने गोलियाँ अपने बचाव में चलाई थीं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजे गए दस्तावेजों में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अलावा पुलिस द्वारा कमीशन और सरकार के समक्ष दाखिल किए गए विभिन्न कागजात के अलावा खुद आयोग की अपनी रिपोर्ट भी है।
पोस्मार्टम रिपोर्ट के अनुसार आतिफ अमीन (24 वर्ष) की मौत तेज दर्द (Shock & Hemorrhage)से हुई और मुहम्मद साजिद (17 वर्ष) की मौत सर में गोली लगने के कारण हुई है। जबकि इन्स्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा की मृत्यु का कारण गोली से पेट में हुए घाव से खून का ज्यादा बहना बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार तीनों (आतिफ, साजिद और एम0 सी0 शर्मा) को जो घाव लगे हैं वे मृत्यु से पूर्व ( Antemortem in Nature)के हैं।
रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद आतिफ अमीन के शरीर पर 21 घाव हैं जिसमें से 20 गोलियों के हैं। आतिफ को कुल 10 गोलियाँ लगी हैं और सारी गोलियाँ पीछे से मारी गई हैं। 8 गोलियाँ पीठ पर, एक दाएँ बाजू पर पीछे से और एक बाँई जाँघ पर नीचे से। 2 x 1 से0 मी0 का एक घाव आतिफ के दाएँ पैर के घुटनों पर है। रिपोर्ट के अनुसार यह घाव किसी धारदार चीज से या रगड़ लगने से हुआ है। इसके अलावा रिपोर्ट में आतिफ की पीठ और शरीर पर कई जगह छीलन है जबकि जख्म न0 20 जो बाएँ कूल्हे के पास है से धातु का एक 3 सेमी0 का टुकड़ा मिला है।
मोहम्मद साजिद के शरीर पर कुल 14 घाव हैं। साजिद को कुल 5 गोलियाँ लगी हैं और उनसे 12 घाव हुए हैं। जिसमें से 3 गोलियाँ दाहिनी पेशानी के ऊपर, एक गोली पीठ पर बाँई ओर और एक गोली दाहिने कन्धे पर लगी है। मोहम्मद साजिद को लगने वाली तमाम गोलियाँ नीचे की ओर निकली हैं जैसे एक गोली जबड़े के नीचे से (ठोड़ी और गर्दन के बीच) सर के पिछले हिस्से से और सीने से। साजिद के शरीर से 2 धातु के टुकड़े (Metalic Object)मिलने का रिपोर्ट में उल्लेख है जिस में से एक का साइज 8 x 1 सेमी0 है। जबकि दूसरा Metalic Object पीठ पर लगे घाव (GSW -7)से टीशर्ट से मिला है। इस घाव के पास 5ग1.5 सेमी0 लम्बा खाल छिलने का निशान है। पीठ पर बीच में लाल रंग की 4 x 2 सेमी0 की खराश है। इसके एलावा दाहिने पैर में सामने (घुटने से नीचे) की ओर 3.5 x 2 सेमी0 का गहरा घाव है। इन दोनों घावों के बारे में रिपोर्ट का कहना है यह घाव गोली के नहीं हैं। साजिद को लगे कुल 14 घावों में से रिपोर्ट में 7 घावों को बहुत गहरा (Cavity Deep) कहा गया है।
इनस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा के बारे में रिपोर्ट का कहना है कि बाएँ कन्धे से 10 सेमी0 नीचे घाव के बाहरी हिस्से की सफाई की गई थी। मोहन चन्द्र शर्मा को 19 सितम्बर 2008 को एल-18 में घायल होने के बाद निकटतम अस्पताल होली फैमली में भर्ती कराया गया था। उन्हें कन्धे के अलावा पेट में भी गोली लगी थी। रिपोर्ट के अनुसार पेट में गोली लगने से खून का ज्यादा स्राव हुआ और यही मौत का कारण बना। इन्काउन्टर के बाद यह प्रश्न उठाया गया था कि जब शर्मा को 10 मिनट के अन्दर चिकित्सकीय सहायता मिल गई थी और संवेदनशील जगह (Vital Part) पर गोली भी नहीं लगी थी तो फिर उनकी मौत कैसे हो गई? यह भी प्रश्न उठाया गया था कि शर्मा को गोली किस तरफ से लगी, आगे से या पीछे से? क्योंकि यह भी कहा जा रहा था कि शर्मा पुलिस की गोली का शिकार हुए हैं किन्तु पोस्टमाटम रिपोर्ट इसकी व्याख्या नहीं कर पा रही है क्योंकि होली फैमली अस्पताल जहाँ उन्हें पहले लाया गया था और बाद में वहीं उनकी मौत भी हुई, में उनके घावों की सफाई की गई, लिहाजा पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर यह नहीं बता सके कि यह गोली के घुसने की जगह है या निकलने की। दूसरा कारण यह है कि शर्मा को एम्स (AIIMS) में सफेद सूती कपड़े में ले जाया गया था और उनके घाव यहीं (Adhesive Lecoplast) से ढके हुए थे। रिपोर्ट में लिखा है कि जाँच अफसर (IO) से निवेदन किया गया था कि वह शर्मा के कपड़े लैब में लाएँ। ज्ञात रहे कि शर्मा का पोस्टमार्टम 20 सितम्बर 2008 को 12 बजे दिन में किया गया था और उसी समय यह रिपोर्ट भी तैयार की गई थी।
आज यदि एशिया पटल पर दृष्टिपात किया जाए तो ज्ञात होता है कि अमेरिका के निशाने पर जो देश हैं उनमें मुस्लिम देशों की संख्या अधिक है। यह सत्य है कि इराक को तबाह करने के पश्चात् भी अमेरिका अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है परन्तु हाँ इस बात को कतई नहीं नकारा जा सकता कि इराक से युद्ध के बहाने अमेरिका ने एशिया के कई हिस्सों में अपनी सेना की संख्या कई गुना बढ़ा ली है। वहीं पश्चिम एशिया पर दृष्टिपात किया जाए तो ज्ञात होता है कि यहाँ के कुछ देशों में अमेरिका परस्त सरकारें ही कार्यरत हैं और ये देश अमेरिका की हर बुरी हरकत में बराबर के साझीदार हंै। ‘‘इज्राइल, कुवैत, जाॅर्डन और सऊदी अरब में पहले से ही अमेरिका परस्त सरकारें मौजूद थीं, लेबनान के प्रतिरोध को अमेरिकी शह पर इज्राइल ने बारूद के गुबारों से ढाँप दिया है और सीरिया, ओमान, जाॅर्जिया, यमन जैसे छोटे देशों की कोई परवाह अमेरिका को है नहीं, भले ही तुर्क जनता में अमेरिका द्वारा इराक पर छेड़ी गई जंग का विरोध बढ़ा है लेकिन अपनी राजनैतिक, व्यापारिक, व भौगोलिक स्थितियों की वजह से तुर्की की सरकार यूरोप और अमेरिका के खिलाफ ईरान के साथ खड़ी होगी, इसमें संदेह ही है। कुवैत में अमेरिकी पैट्रियट मिसाइलें तनी हुई हैं, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के पानी में अमेरिका नौसेना का पाँचवा बेड़ा डाले हुए है। कतर ने इराक और अफगानिस्तान पर हमलों के दौर में अमेरिकी वायुसेना के लिए अपनी जमीन और आसमान मुहैय्या कराये ही थे।’’
आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि में आमतौर पर रहस्यवादी दर्शन को सृजनात्मक नहीं माना जाता। उसे जीवन के यथार्थ को अनदेखा कर एक वायवी संसार में पलायन करने का रास्ता माना जाता है। लेकिन मनुष्य के मन को उदारता, प्रेम और समता की भावभूमि की ओर उन्मुख और प्रेरित करने के लिए रहस्यवादी प्रवृत्ति आधुनिक मनुष्य के काम की हो सकती है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने सूफियों के बारे में लिखा है: ‘‘हमारे देश के भक्तों और संतों की भाँति सूफी साधकों ने भी इसी अंतरतम के प्रेम पर आश्रित भाव-जगत की साधना को अपनाया है। यह साधना जितनी ही मनोरम है उतनी ही गंभीर भी। हमारे देश के अनेक सूफी कवियों ने इस प्रेम साधना को अपने काव्यों का प्रधान स्वर बनाया है। मलिक मुहम्मद जायसी का ‘पदमावत’ इस प्रेम साधना का एक अनुपम काव्य है। साधक के हृदय में जब प्रेम का उदय होता है तब सांसारिक वस्तुएँ उसके लिए तुच्छ हो जाती हैं, लेकिन संसार के जीवों के लिए उसका हृदय दया और प्रेम से परिपूर्ण रहता है। दूसरों के कष्ट का निवारण करने के लिए वह सब प्रकार से प्रयत्नशील रहता है और उसके लिए सभी प्रकार के कष्टों का स्वागत करता है। छोटे से छोटे से प्राणी लेकर बड़े से बड़े प्राणी तक उसकी दृष्टि में अपना महत्व रखते हैं। चूँकि सर्वत्र सभी प्राणियों में वे परमात्मा के दर्शन करते हैं अतः उन्हें सुख पहुँचा कर वे परम सुखी होते हैं। उनके लिए सब प्रकार का त्याग करने के लिए वे प्रस्तुत रहते हैं। बायजीद ने कहा है कि परमात्मा जिससे प्रेम करता है उसे तीन गुणों से विभूषित करता है - ‘‘उसमें समुद्र जैसी उदारता, सूर्य की तरह पर दुख का तरता और पृथ्वी की तरह विनम्रता पाई जाती है।’’