आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

26.4.10

ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,

आज दिनांक २६ .०४.२०१० को ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रकाशित पोस्ट का लिंक

ब्लोगोत्सव-२०१० : हम व्यस्क कब होंगे ?

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_25.html

चिट्ठाकारिता ने हमें एक नया सामाजिक आस्वादन दिया है

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_1872.html

हिन्दी ब्लॉगिंग की ताकत को कम करके आंकना बिल्कुल ठीक नहीं है:अविनाश वाचस्पति
आईये हिंदी ग़ज़ल की विकास यात्रा पर एक नजर डालते हैं..

मानवीय सर्जना का नवोन्मेष है यह.....गिरीश पंकज

हम लेकर आये हैं आज निर्मला जी की कुछ और गज़लें

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_2935.html

अपनी बात : हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_6880.html

ब्लोगोत्सव-२०१० : नीरज गोस्वामी,गौतम राजरिशी और अर्श की गज़लें

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3288.html

निर्मला कपिला की तीन गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3358.html

गौतम राजरिशी की दो गज़लें

नीरज गोस्वामी की दो ग़ज़लें
अर्श की तीन गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3917.html

ब्लोगोत्सव-२०१०: श्रेष्ठ पोस्ट और बच्चों का कोना

बच्चों का कोना : शुभम सचदेव की तीन बाल-कहानियां
ब्लोगोत्सव-२०१० : आज का कार्यक्रम उत्सवी स्वर के साथ संपन्न
रश्मि प्रभा के उत्सवी स्वर

बुद्धिजीवी होना भी एक चस्का : डा० अरविन्द मिश्र



utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

तुम जो कहो वह सब सही, हम जो कहें वह सब गलत

अम्बेडकर जयन्ती समारोह के दौरान गोण्डा में बसपा के मंच पर पार्टी के पदाधिकारी हनुमान शरण शुक्ला की सरेआम हत्याकर दी गई।
इसी के बाद पार्टी की ओर से बढ़ चढ़ कर सफाई अभियान शुरू हुआ। मज़े की बात यह है कि इसके लिये प्रमुख सचिव ग्रह कुवंर फतेह बहादुर तथा डी0 जी0 पी0 करम वीर सिंह मैदान में उतर गये और प्रेस-कान्फ्रे़न्स में इस प्रकार बोले जैसे पार्टी-प्रवक्ता बयान दें। उन्हों ने मृतक के संबंध में कहा कि वह न तो बसपा का सदस्य था और न ही वह पार्टी की किसी समिति से जुड़ा था, वह हिस्ट्रीशीटर था, उसकी हत्या रंजिश में की गई। जब यह सवाल हुआ कि बसपा से नहीं जुड़ा था और तो मंच पर कैसे बैठा था ? और हथियार बंद लोग मंच तक कैसे पहुँचे ? इन के उत्तरों के लिये अधिकारी-गण बग़लें झांकने लगे।
अब दुसरा बयान मृतक की पत्नी पंचायत सदस्य मंजु देवी तथा पु़त्री प्रियंका शुक्ला का देखिये-पत्नी ने बताया कि वे बसपा ब्राह्मण भाई चारा समिति के तरब गंज विद्यान सभा क्षेत्र के अघ्यक्ष थे, उनको यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे ब्राह्मण समाज को बसपा के पक्ष में एकजुट करें। यह भी बताया की वह जयन्ती के मौके़ पर तीन सौ से अधिक गाड़ियों द्वारा हजारों लोगों को लेकर गये थे। पत्रकारों से बातचीत में रूँधे गले और बह रहे आसुंओ के बीच कहा कि दुःख की घड़ी में शासन उन्हें बसपा कार्यकर्ता न होने की बात कहकर उनके ज़ख्मों को कुरेद रहा है। पुत्री ने कहा कि बसपा के प्रत्येक र्कायक्रम में उनकी बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी थी।
दोनों बयानों की तौल-नाप आप खुद करें। मैं तो बस मृतक की पत्नी और पुत्री को यह कहूँगा कि वे बहन कु0 मायावती और शासन प्रशासन के गुरगों को मुखातिब करके यह शेर पढ़ दें-

बात तुम्हारी आज तक कोई हुई है कब गलत?
तुम जो कहो वह सब सही, हम जो कहें वह सब गलत।

डॉक्टर एस.एम हैदर

25.4.10

नेट प्रेस से बातचीत में राज्यसभा सांसद ने कहा " जातपात की दीवार तोडऩे में सफलता नहीं मिली"

सफीदों, (हरियाणा) : हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में दलितों के घर कथित रूप से एक जाति विशेष के लोगों के द्वारा जलाए जाने की घटना से देश व प्रदेश के लोग सन्न हैं। मिर्चपुर गांव में राज्यसभा के सांसद ईश्र्वरसिंह दौरा करने के बाद एक उदघाटन के सिलसिले में सफीदों पहुंचे। इस मौके पर नेट प्रेस संवाददाता महावीर मित्तल ने इस मुद्दे पर उनके साथ खास बातचीत की। इस बातचीत में राज्यसभा सांसद ने कहा कि मिर्चपुर में दलितों के घरों को जलाए जाने की घटना अति निंदनीय है, शायद ही मै इस घटना को अपनी जिंदगी में भूला पाऊंगा। वहां पर चारों तरफ विनाश का मंजर है। चारों तरफ आग से जले दलितों के घर दिखाई दे रहे हैं। इस घटनामें घरों के साथसाथ एक अपाहिज लडक़ी व उसका पिता भी आग में स्वाहा हो गया। यह पूछे जाने पर कि आप इस घटना के लिए किसे जिमेदार मानते हैं तो उनका कहना था कि इस घटना को अंजाम देने वाले शरारती तत्व हैंतथा वहां का प्रशासन भी इस मामले में काफी हद तक दोषी है। वहां का प्रशासन स्थिति को संभाल नहींपाया।स्थिति बेकाबू होने के बावजूद भी वहां के प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को सूचित नहीं किया जिसकी वजह से स्थिति अनियंत्रित हो गई। उन्होंने बताया कि घटना के बाद उस कालोनी में रहने वाले लोग डरे व सहमे हुए हैं।उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से इन गरीबों के साथ है। सभी परिवारों के नुकसान की भरपाई सरकार करेगी। इसके अलावा इन परिवारों को सरकार सरकारी जमीन में मकान बनवाकर इनका पुर्नवास करेगीयह पूछे जाने पर कि अलग से कालोनी बसाए जाने से ये दलित परिवार समाज की मुख्यधारा से कट जाएंगे पर राज्यसभा सांसद ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दलित समाज की समाज कि मुख्यधारा से जुड़ा ही कब था। मिर्चपुर ही नहीं बल्कि हरियाणा के गोहाना, हरसौला व सालवन के अलावा कई जगहों पर में दलितों पर जुल्म की घटनाएं घट चुकी है।आजादी के 63 सालों के बावजूद समाज से जातपात की दीवार को तोडऩे में सफलता हासिल नहीं हुई है।कांग्रेस सरकार ने इस दीवार को तोड़ने के लिए शुरू से ही प्रयास कर रही है लेकिन इस कार्य में व्यापक सफलता हासिल नहीं हुई है। सरकार द्वारा लागू विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद दलित वर्ग पिछड़ा हुआ है।उन्होंने कहा कि कई जाति व धर्म में पैदा होना किसी के बस की बात नहीं है। समाज किसी एक जाति से नहीं बनता बल्कि विभिन्न जातियों का समूह ही समाज है। उन्होंने कहा कि आज सबसे ज्यादा जरूरत जातिपाति की इस दीवार को तोडऩे की है तथा इस कार्य में समाज के सभी वर्गों के लोगों को आगे आना होगा।

पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य का हुआ जोरदार स्वागत

सफीदों, (हरियाणा) : समाज के सभी वर्गों को आगे बढ़ाने, सभी क्षेत्रों में बराबर विकास योजनाओं का क्रियान्वयन करवाने तथा लोगों का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करना ही हुड्डा सरकार का मुख्य ध्येय है। यह बात पूर्व मंत्री एवं सफीदों हलका के पूर्व विधायक बचन सिंह आर्य ने कही। वे भुसलाना गांव में आयोजित एक अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह की अध्यक्षता पूर्व मंत्री कुलबीर मलिक व पूर्व विधायक दयानंद शर्मा ने की। इस मौके पर लोगों ने सभी नेताओं का जोरदार स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विकास व रोजगार के मामले सफीदों विधानसभा क्षेत्र किसी भी क्षेत्र से पीछे नहीं है।अन्य क्षेत्रों की तरह से मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां के युवाओं को रोजगार दे रहें हैं तथा विकास के लिए धन भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मेहरबानी से वे लगातार क्षेत्र का चौकीदारा करते रहेंगे तथा लोगों की समस्याओं का निराकरण करवाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसान वर्ग की खुशहाली के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। सरकार के कल्याणकारी फैसलों से प्रदेश में उन्नति के द्वार खुले हैं तथा बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलध होने से उनका भविष्य उज्ज्वल हुआ है। हुड्डा सरकार ने गांवों का सर्वांगीण विकास करने के लिए एक योजनाबद्ध दूरगामी कार्यक्रम बनाया है जिससे प्रत्येक गांव को मुचित विकास होना संभव हो सकेगा। प्रदेश के राजनीतिक दलों के पास हुड्डा सरकार के खिलाफ कोई भी मुद्दा नहीं बचा है।

लो क सं घ र्ष !: इन्साफ हो किस तरह कि दिल साफ नही है

परमाणु अस्त्रों के सम्बन्ध में अनेक मंचों पर जब चिंता जताई जाती है तब हमकों एक कहानी याद आ जाती है-कुछ लोग एक मुर्दा उठायें हुए शमशान की ओर जा रहे थे, मोटा ताजा होने के कारण जब उसके भारीपन का एहसास हुआ तो उपाय सोचने हेतु उसे उतारा गया, फिर मुंह की ओर से कफ़न खोला, बड़ी बड़ी मूँछे देखकर एक सज्जन ने राय यह दी कि इसकी मूँछें उखाड़ लो।
अस्त्रों के अप्रसार, निरस्त्रीकरण आदि के अनेक समझौते हुए, एन0 पी0 टी0, सी0 टी0 बी0 टी0 की संधियाँ काफी पहले की हैं, परन्तु समस्या जहाँ थी वही अब भी हैं। बात यह है कि हुल्लड़ वही देश मचाते है जिनके पास विश्व भर के परमाणु हथियारों का 95 ज़खीरा मौजूदा है। यह हुल्लड़ भी इसलिये होता है कि वे दुसरो पर निशाना साधते रहें और किसी को उनकी ओर उंगली उठाने का मोका ने मिले।
आप ग़ौर करें कि चीन के पास 200, इस्राईल के पास 200, भारत, पाकिस्तान के पास 100-100 परन्तु अमेरिका व रूस के मिला कर 22 हजार से अधिक परमाणु हथियार हैं।
अप्रेल 10 के दुसरे सप्ताह में इस मामलें पर दो स्थानों पर र्वातायें हुईं।
सप्ताह के आरम्भ में चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग में अमेरिका राष्ट्रपति ओबामा तथा रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेन ने परमाणु हथियारों में 30 कटौती के समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह संधि 1991 की स्र्टाट संधि (स्ट्राटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी ) की जगह लेगी।
सप्ताह के अंत में नाभिकीय सुरक्षा सम्मेलन अमेरिका ने आयोजित किया, जिसमें भारत समेत 47 देशों नें परमाणु प्रौद्योगिकी था सूचना के गलत हाथों में न पड़ने देने का संकल्प लिया। ताकि सामग्री सूचना एवं तकनीक आतंकियों तक न पहुंचे। इस सम्मेलन से कुछ दिन पूर्व अमेरिकी विदेशी मंत्री हिलेरी किलंटन ने एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए भारत पाकिस्तान को धमकाया यह कहते हुए कि इन्हीं देशों ने परमाणु संतुलन बिगाड़ा है। इसके लिये यह मुहावरा है उल्टे चोर कोतवाल को डांटे। इस भाषण में उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात यह जरूर कही कि परमाणु अप्रसार संधि के तीन छोर हैं, पहला निरस्त्रीकरण, दूसरा अप्रसार, तीसरा परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल।
हथियारों को घटाना, उनका अप्रसार, गलत हाथों में न पड़ना, इन सब बातों से बेहतर तो यही था कि मूल मुद्दे निरस्त्रीकरण पर दो टूक बाते की जाती। 1945 में इसकी भयावह तस्वीर सामने आई थी, जब अमेरिका ने नागासाकी शहर पर बम छोड़ा जिससे 90 हजार लोग मरे, फिर हिरोशियमा पर बम ब्लास्ट में एक लाख चालीस हजार जाने गई तथा 69 फीसदी इमारते नष्ट हो गई।
यह सच मानिये कि परमाणु प्रसार के मामले में अमेरिका की सब से बड़ा अपराधी है, 1945 के बाद से आज तक 65 वर्ष हो चुके हैं परन्तु मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने की बाते होती रहती हैक्ं। यदि पूर्ण निरस्त्रीकरण लागू हो जाये तो सभी समस्यायें सुलझ जायें। अब उत्तर कोरिया और ईरान यदि अपराधी हैं तो उन्हें सजा जरूर दीजिये लेकिन इस्राईल का दोष क्यों नजर नहीं आता?

इस दहर में सब कुछ है पा इन्साफ नहीं है।
इन्साफ हो किस तरह कि दिल साफ नही है।

डॉक्टर एस.एम हैदर

हम बचपन में...

मेरी ग़ज़ल अमर उजाला कोम्पेक्ट में  ( जो कविता के नाम से छप गई है )
बड़े आकार में देखने के लिए मैटर पर किल्क करें.

 
















 
प्रबल प्रताप सिंह

24.4.10

असुरक्षित रेल यात्रा

एक समय था जब रेल यात्रा सुरक्षित हुआ करती थी। धीरे-धीरे एक समय ऐसा आया जब रेलवे की टिकट खिड़कियों से लेकर टेª के अन्दर गिरहकटी हुआ करती थी। टिकट खिड़कियों पर लिखा रहता था गिरहकटों से सावधान। गिरहकटों से सावधान पर निगाह पड़ते ही लोग अपनी-अपनी जेब देखने लगते थे और इसी में गिरहकट भांप जाते थे कि उन्हें किस जेब पर हाथ साफ करना है। टिकट हाथ में आने के जब बचा हुआ पैसा टिकट खरीदने वाला अपनी जेब में डालता था तब वह अवाक रह जाता था क्योंकि उस वक्त तक उसकी जेब साफ हो चुकी थी। लम्बी दूरी के मुसाफिर के पीछे ट्रेन में भी गिरहकट लगे रहते थे और जेब साफ कर पाने की स्थिति में एक गिरहकट दूसरे गिरहकट के हाथ मुसाफिर को बेच दिया करता था और पूरे रास्ते में कहीं कहीं उसकी जेब साफ हो जाती या सामान गायब हो जाता था। ट्रेनों में टपके बाजी भी जोरों पर होती थी। प्लेटफार्म से ट्रेन के चलने के समय खिड़कियों से हाथ की घड़ियां, कान के झुमके वगैरह भी खींचने का चलन एक जमाने में जोरों पर था।

चोरी, गिरहकटी और टपकेबाजी के बाद टेª डकैतियों का युग आया। अक्सर टेª डकैतियां समाचार-पत्रों की खबरें बनी रहतीं और आज भी कभी-कभी टेª डकैती हो जाती है। टेª डकैती एक बड़ी घटना हुआ करती थी जिस पर सरकार तथा रेल विभाग का ध्यान गया और टेªनों में मुसाफिरों की हिफाज़त के लिए गार्ड भी तैनात किये गये और इस तरह डकैतियों का सिलसिला काफी हद तक थमा, अगर वह किसी पुलिस वाले के द्वारा डाली गयी हो क्योंकि ऐसी खबरें भी अक्सर आती रहती हैं।

राजनीति में भी आने वाले लोग ट्रेनों का दुरूपयोग करने से नहीं चूकते और नारा लगाते हुए चलते हैं - ‘‘एक पैर रेल में एक पैर जेल में’’ और इन रेल पर बिना टिकट चलने वालों के पैर जेल तो कभी नहीं गये लेकिन रेल में चढ़ने के बाद टिकट रखने वाले मुसाफिरों को तकलीफ जरूर पहुंचाया। स्लीपर क्लास वालों को बैठने का मौका देकर उनकी सीटें छीन लेते रहे, ये हैं राजनीतिक लोग; लेकिन वो लोग भी इन राजनीतिक लोगों से कम नहीं जिनकी जिम्मे देश की सुरक्षा सौपी गयी है। अक्सर फौजी लोग ट्रेन से आम मुसाफिरों को बाहर फेंक दिया करते हैं क्योंकि वह अपना अधिकार समझते हैं कि देश की सुरक्षा के बदले वे किसी भी आम नागरिक को चोट पहुंचायें।

इतना सब कुछ मैंने सिर्फ इसलिए कहा क्योंकि भाजपा की एक महारैली दिल्ली में थी, जिसमें पूरे देश के भाजपाई, देशभक्त उमड़ पड़े, एक बहुत बड़ा जत्था मुगलसराय से भी गया था। 20 अप्रैल, 2010 को 730 बजे ट्रेन- 2397 महाबोधी एक्सप्रेस मुगलसराय पहुंची, जिसके कोच नम्बर एस 5 में बर्थ नम्बर 1, 9, 10, 11, 12, 13 और 14 और एस 13 एस 14 में क्रमशः बर्थ नम्बर 13 और 23 अल्लाह की गाय के नाम से जाने जाने वाले तबलीग़ी जमात के लोग जाने को थे जो टेª पर सवार हुए जहां देखा कि उनकी सीटों पर दूसरे लोग बैठे हुए थे। उन लोगों ने अपनी सीट पर बैठे लोगों से सीट खाली करने को कहा, तो उन लोगों ने सीट नहीं खाली की जिसकी शिकायत सिक्योरिटी गार्ड से की गई। शिकायत करने पर भाजपाइयों ने नारेबाजी शुरू कर दी और कहा कि वे उस ट्रेन में कठमुल्लाओं को नहीं जाने देंगे और यह भी कहा कि अगर उनसे बल प्रयोग करके सीट खाली करा ली गई तो वे आगे जाकर कठमुल्लाओं को ट्रेन से बाहर फेंक देंगे। इसी के साथ ट्रेन के दूसरे डिब्बों में बैठे अपने दूसरे साथियों को बुलाने के उद्देश्य से नारेबाजी तेज कर दी, जिनकी मंशा भांप कर तबलीग़ी जमात के लोग ट्रेन से उतर गये और जाकर टिकट वापस कर दिया। ऐसी स्थिति में कौन हिम्मत करेगा, टेª से सफर करने की। जब वैध टिकट रखकर सफर करने वालों की सुरक्षा की कोई गारन्टी नहीं है और बिना टिकट चलने वालों के खिलाफ या बिना टिकट चलने वालों को सफर से रोकने के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई उचित कार्यवाही की जाए। है यह असुरक्षित रेल यात्रा, क्या आप इसके लिए तैयार हैं।

-मोहम्मद शुऐब एडवोकेट