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21.4.10

केक को खा के सिवइयों का मजा भूल गये

हम ने सुना है कि यात्रियों केा गिरहकट एक दूसरे के हाथ बेच लिया करते थे, बोलियाँ लगवाकर नीलाम करते थे, बेचारे मुसाफिर को खबर तक होती थी। अब क्रिकेट प्रेमियों की भी जेब किसी किसी रूप में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कटती है। आप कहेंगे कि हम यह नहीं मानते, मानिये, यह तो मानेंगे कि आई0पी0एल0 (इण्डियन प्रीमियर लीग) जो बी0सी0सी0आई0 की एक उप समिति है, ने बड़ी बड़ी बोलियों पर मैचों की नीलामी की है। अब आप खुद सोचिये कि नीलामी छुड़ाने वाले घाटे का सौदा तो करेंगे नहीं, जितना खर्च करेंगे, उससे ज्यादा कहीं कहीं से प्राप्त करेंगे।
इतनी सी बात से आप यह सूत्र पा गये होंगे कि आई0पी0एल0 के कमिश्नर ललित मोदी और विदेश राज्यमंत्री शशि थुरूर के बीच झगड़ा किस बात का था और सुनंदा पुष्कर का क्या किस्सा है। सभी अपनी अपनी बचत में एक दूसरे की पोल खोल रहे थे और यह जनता है कि सब जानती है।
इस संक्षेप को अगर विस्तार दिया जाय तो कहानी लम्बी हो जायेगी काफी खुलासा हो चुका है।
बात पूछोगे तो बढ़ जायगी फिर बात बहुत।
बस थोड़ा और स्पष्ट कर दूं।
टवेंटी-20 मैंचेों को लोकप्रिय बनाने का श्रेय आई0पी0एल0 को मिला। तीन वर्ष पहले जब आई0पी0एल0 की आठ टीमों की नीलामी हुई, क्रिकेट जगत के साथ साथ कार्पोरेट जगत में भी हलचल मची। नई दो टीमों पुणे और कोच्चि की नीलामी पिछली आठ से भी अधिक थी।
अब थुरूर के विदेश राज्यमंत्री पद से जब इस्तीफा ले लिया गया तो मोदी के आरोपों का और भी खुलासा हो गया। सुनन्दा ने भी रेंदेयु से इस्तीफा दिया तथा यह भी सच्चाई सामने गई कि थुरूर ही के कारण उन्हें 19 प्रतिशत भागीदारी तथा 70 करोड़ की धनराशि मिली थी। जब आई0पी0एल0 की ब्राण्ड वैल्यू 4 अरब डालर से अधिक बढ़ी तो इससे ऐसे ऐसे राजनेताओं ने दिलचस्पी ली, जिनको क्रिकेट का ककहरा तक ज्ञात नहीं है। आई0पी0एल0 की फ्रेंचाइजी टीमों ने पूँजी बाजार का रूख किया और सट्टेबाजी भी खूब की, क्रिकेट व्यापार बन गया और क्रिकेट प्रेमियों के क्रेज़ को भुनाया गया।
सरकार ने इस्तीफ़ा लेने से पूर्व अपनी एजेन्सियों द्वारा सरकारी पता करा लिया, बी0 सी0 आई0 पर भी दाग़ देखे गये, अब वह भी जाँच के घेरे में है।
अब इसका दूसरा पहलू भी देखियों, क्रिकेट प्रेमी होना भीस्टेट्स सिम्बलबन चुका है, इनके कई वर्ग हैं, एक वर्ग उन बडे़ आदमियों या अभिजात्य वर्ग के युवाओं का है जो विलासिताओं के लिये अपने बड़ों द्वारा अर्जित धन को लुटाने के बहाने ढूढ़ते रहते हैं, दूसरा वर्ग उन छुटभैय्ये युवाओं का है जो धनी युवाओं की चाटुकारिता हेतु अपनी छोटी सम्पत्तियों का वारा न्यारा करके अपने को धनियों जैसा दिखाना चाहते हैं और उन्हीं की बगल में बैठना चाहते हैं। तीसरा वर्ग उन बेरोजागार ग्रामीण तथा शहरी युवाओं का है जो अपनी देशी बातों पर गर्व के बजाय हीनता का भाव रखता है। तथा विदेशी चीजों का दीवाना है। वह कबड्डी के बजाय अपने का क्रिकेट प्रेमी दिखाना पसन्द करता है। अकबर इलाहाबादी के सुपुत्र जब इंगलैण्ड पढ़ने गये तो उनमें यही भावना गई थी, अतः अकबर ने कविता रूप में एक पत्र भेज, जिसकी एक पंक्ति इस समय मुझे याद गई-

केक को खा के सिवइयों का मजा भूल गये

यदि मुझे दकियानूसी समझे तो क्या मैं यह कहने की हिम्मत करूं कि भारतीय गरीब बच्चों के लिये तो इस झूठे क्रेज से बेहतर तो मुंशी प्रेम चन्द का गुल्ली डण्डा था, जिसमें खर्च भी नहीं था और खुली हवा भी मिलती, अब तो बच्चे बंद कमरों में टी0वी0 से चिपके रहते हैं, स्वास्थ्य बनने के बजाय बिगड़ता है, तथा पढ़ाई लिखाई एवं घर के कामकाज भी कई कई दिन तक प्रभावित होते हैं सरकार खिलौना पकड़ा देती है या यूं कहिये कि नशे की गोली दे देती है जिससे वह मस्त होकर अपनी समस्याये भूल जाते हैं वे ऐसे आलसी बनते हैं कि तो काम करते हैं, ही सड़क पर निकल कर सरकार से काम मांगते हैं उल्टे सरकार की जय जय कार करते हैं क्रिकेट प्रेमी कृपाया मुझे क्षमा करें।
-डॉक्टर एस.एम हैदर

20.4.10

पाकिस्तान की हठधर्मी

26.11.2008 को हमला हुआ भारत के शहर मुम्बई में कई स्थानों पर। पुलिस द्वारा एक आतंकी अज़मल आमिर कस्साब को जिन्दा गिरफ्तार करने का दावा किया गया। यह जांच करना कि अज़मल आमिर कसाब कौन है, कहां से और कैसे आया, सम्बन्धित मुकदमे के विवेचक का काम था जो उन्होंने किया। उसकी संलिप्तता पर निर्णय न्यायालय को देना है जिससे मुझे कोई मतलब नहीं, इसलिए कि उसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसी मुकदमे में दो और लोगों को अभियुक्त बनाया गया जिनके नाम क्रमशः फहीम अरशद अन्सारी और सबाउद्दीन हैं। सबाउद्दीन को उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 ने 10.02.2008 को लखनऊ से और फहीम अरशद अन्सारी को 10.02.2008 को रामपुर से गिरफ्तार करने का दावा उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 द्वारा किया गया, जो गिरफ्तारी के बाद लखनऊ बरेली जेल में रखे गये और बराबर मुम्बई पर हुए हमले की तारीख तक उन्हीं जेलों में रहे, फिर भी उन्हें मुम्बई हमलों का अभियुक्त बताकर उनके विरूद्ध मुकदमे कायम किये गये और उन मुकदमों का परीक्षण मुम्बई की विशेष न्यायालय में हुआ। परीक्षण पूरा हो चुका है, बहस समाप्त हो चुकी है, निर्णय शेष है लेकिन यह सब होते हुए भी पाकिस्तान ने रट लगा रखी है कि अज़मल आमिर कस्साब और फहीम अन्सारी को उसके सुपुर्द किया जाए। घटना घटित होती है भारत में अभियुक्तों पर अभियोग है भारत की आतंकी घटना में शामिल रहने का, इन अभियुक्तों के खिलाफ पाकिस्तान भूभाग में कोई अपराध कारित करने का आरोप नहीं है और पाकिस्तान में अपराध कारित होने के कारण इन अभियुक्तों के खिलाफ पाकिस्तान की अदालत में कोई मुकदमा नहीं कायम किया जा सकता, फिर भी हठधर्मी है पाकिस्तान की, कि इन अभियुक्तों को उसके सुपुर्द किया जाए।

मुम्बई की आतंकी घटना में संलिप्तता बतायी जाती है डेविड कोलमैन हेडली की जो इस समय अमेरिका की गिरफ्त में है। यह वही डेविड कोलमैन हेडली है जिसके सम्बन्ध सी0आई00 से बताए गये हैं। इस डेविड कोलमैन हेडली को भारत द्वारा अमेरिका से दबी जुबान में मांगा गया है, कभी अमेरिका ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर उसे भारत को दिया जा सकता है और कभी बिल्कुल इसका उल्टा कहा गया है। अगर डेविड कोलमैन हेडली की संलिप्तता मुम्बई के 26.11.2008 की आतंकवादी घटना में पायी जाती है तो उसके प्रत्यावर्तन के लिए भारत द्वारा प्रयास किया जाना आवश्यक है क्योंकि वह भारत का अपराधी है। अगर पाकिस्तान भारत के अपराधी अज़मल आमिर कस्साब और फहीम अरशद अन्सारी को मांगता है तो उसकी ये हठधर्मिता डेविड कोलमैन हेडली के लिए अमेरिका के प्रति क्यों नहीं दिखाई देती? इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान अमेरिका के सामने घुटने टेक कर रहता है और उसी की शह पर वो भारत के सामने सीना तानकर हठधर्मी करता है।

अपराधिक घटना भारत भूभाग पर घटित होती है, संलिप्तता पाकिस्तानी नागरिक और एक समय में सी0आई00 के एजेन्ट रहे व्यक्ति की पायी जाती है, ऐसी स्थिति में विवेचना का अधिकार केवल हमारे देश को है। संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ का अधिकार हमारे देश की विवेचना करने वाली विवेचना एजेन्सी को है और यदि किसी विदेशी राष्ट्र में साक्ष्य पाये जाने की उम्मीद होती है तो उस साक्ष्य को ग्रहण करने का अधिकार भी हमारे देश की विवेचना करने वाली एजेन्सी को हैय लेकिन यहां तो सब कुछ उल्टा हुआ, घटना घटित होती है भारत में, विवेचना करती है अमेरिका की एफ0बी0आई0 प्रक्रिया को ताक पर रखकर घटना की चश्मदीद गवाह बतायी जाने वाली अनीता उदैया को एफ0बी0आई0 उठा ले जाती है अमेरिका और फिर वापस छोड़ जाती है लेकिन हमारे देश की सार्वभौमिकता इतनी बड़ी घटना पर चुप्पी साध लेती है। सम्प्रभुता एक अवयव है, देश का सरकार दूसरा अवयव है उसी का, भूमि और आबादी भी उसी के अवयव हैं लेकिन हमारी सम्प्रभुता को समाप्त करके देश को अपंग किया जाता है फिर भी हमारा एक अवयव जिसको सरकार के नाम से जानते हैं चुप्पी साध लेता है, फिर क्या करे ये भूभाग जिसके पास जु़बान नहीं है और आबादी जिसके हम अंग हैं डर के मारे उसकी जु़बान पर ताला लग जाता है। हम भी पाकिस्तान की तरह निरिह हैं क्योंकि जिस भाषा में पाकिस्तान हमसे बात करता है हम उसकी ही भाषा में उससे बात करते हैं बल्कि पाकिस्तान दुराग्रही होता है जिसको हम चरित्रगत नहीं कर पाते हैं और पाकिस्तान की भांति हम भी अमेरिकी साम्राज्य के सामने झुके रहते हैं, कभी-कभी हल्की सी आवाज़ इन्साफ के लिए बाहर आती है जैसाकि अभी ओबामा के साथ की गई मुलाकात में हमारे प्रधानमंत्री की आवाज बाहर आयी लेकिन फिर भी हम मजबूर हैं साम्राज्यवाद के समक्ष।

वाह रे पाकिस्तान! घटना तुम्हारे नागरिक हमारे घर में घुसकर कारित करें और फिर भी तुम उन्हें अपने घर ले जाने की जिद पर अड़े हुए हो। फहीम अरशद अन्सारी को किस कारण से तुम अपने देश ले जाना चाहते हो यह समझ से परे लगता है क्योंकि वह तुम्हारे देश का नागरिक भी नहीं है, वह नागरिक तो है भारत का। उसके खिलाफ तुम्हारे पास कोई मुकदमा भी नहीं है तो किस आधार पर तुम उसे ले जाना चाहते हो। यह फहीम अरशद अन्सारी तो 10.02.2008 को 0010 बजे रामपुर में 0प्र0 एस0टी0एफ0 के हाथों गिरफ्तार होना दिखाया गया है और उसके पास से तमाम चीजों के अलावा मुम्बई के नौ नक्शे लाइनदार कागज पर कलम से बनाये हुए और एक सादे कागज पर पेंसिल से बनाये हुए बरामद किया जाना दिखाया गया है। 10.02.2008 को रामपुर में बरामद किये गये नक्शों के आधार पर मुम्बई की घटना में भी उसे जोड़ दिया गया और कहा गया कि उसने घटना कारित करने के लिए नक्शे उपलब्ध कराये जबकि वह नक्शे मुकदमा अपराध संख्या-210/08 अन्तर्गत धारा 420/467/468/471/121 थाना कोतवाली रामपुर में रखा गया और उसी नक्शे के आधार पर बाद में मुम्बई में भी फहीम अरशद अन्सारी और सबाउद्दीन को अभियुक्त बनाया गया और वहां उनके विरूद्ध परीक्षण हुआ। उस नक्शे को मुम्बई की घटना से जोड़ने के लिए फहीम अन्सारी को तथाकथित रूप से जानने वाले एक गवाह नारूद्दीन महबूब शेख़ को अभियोग पक्ष द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसने न्यायालय में अपने बयान में कहा है कि जनवरी, 2008 में वह काठमाण्डू घूमने गया था जहां अचानक उसकी मुलाकात फहीम अरशद अन्सारी से हुई जिसे वह बचपन से जानता था। मुलाकात पर फहीम अरशद अन्सारी उसे अपने कमरे पर ले गया और कमरे में उसने सबाउद्दीन से परिचित कराया जिसने फहीम अरशद अन्सारी से पूछा कि क्या फहीम ने लकवी द्वारा सौंपा काम पूरा कर लिया, जिस पर फहीम ने अपने बैग से कागज निकालकर सबाउद्दीन को सौंपा और सबाउद्दीन को कागज देते वक्त कागज नीचे गिर गया जिसको गवाह ने नक्शे बताये हैं। नक्शों को देखकर महबूब शेख़ ने फहीम से पूछा भी कि क्या उसने नक्शे बनाने का कारोबार शुरू कर दिया है जिसका जवाब फहीम ने नहीं दिया लेकिन सबाउद्दीन ने कहा कि उसके कुछ दोस्त पाकिस्तान से आने वाले हैं दोस्तों को जरूरत है, जिसपर महबूब शेख़ ने कहा कि नक्शे तो आसानी से प्राप्य हैं फिर उसे नक्शे तैयार करने की क्या जरूरत पड़ी, जिस पर सबाउद्दीन ने बताया कि बाजार में मिलने वाले नक्शों में सभी सूचना सही नहीं होती, इसलिए सही सूचना प्राप्त करने के उद्देश्य से यह नक्शे तैयार कराये गये हैं। इस प्रकार वह नक्शे जिनके आधार पर मुम्बई पर आतंकवादी हमला होना बताया जाता है काठमाण्डू में फहीम अरशद अन्सारी द्वारा सबाउद्दीन को जनवरी, 2008 में सौंप देने के बाद फिर उसी के पास से 10.02.2008 को कैसे बरामद हुए और फिर बरामद होने के बाद एस0टी0एफ0 के पास और एस0टी0एफ0 द्वारा न्यायालय में दाखिल कर देने के बाद न्यायालय की कस्टडी में रहते हुए मुम्बई आतंकवादी घटना में कैसे प्रयोग में लाये गये, यह सवाल जवाब तलब हैं और इनका जवाब होते हुए भी पाकिस्तान हठधर्मी कर रहा है, फहीम अरशद अन्सारी को अपनी हिरासत में लेने की, जो जायज़ नहीं है और किसी भी आधार पर भारत के दोषियों को ले जाने का अधिकार पाकिस्तान को नहीं प्राप्त है।
-मोहम्मद शुऐब एडवोकेट

ब्रेकिंग रुल के मंच पर जो मजा है

ब्रेकिंग रुल के मंच पर जो मजा है
वो मजा कही और नहीं,
जिन्दगी तो बेवफा है
मोत से बदतर सजा कोई और नहीं
ब्रेकिंग रुल के मंच पर जो मजा है
वो मजा कही और नहीं,
मुझे नियम तोड़ने और तुडवाने में मजा आता है
रात को ब्रेकिंग सपने देखने में मजा आता है
ब्रेकिंग people से बढिया लोग कही और नहीं,
ब्रेकिंग रुल के मंच पर जो मजा है
वो मजा कही और नहीं
जपने को तो मिल जायेंगे लाखो मंत्र
ब्रेकिंग रुले के मंत्र से बड़कर मंत्र कोई और नहीं
ब्रेकिंग रुल के मंच पर जो मजा है
वो मजा कही और नहीं
swami kk breakanand

अब ये लगता है ब्रेकानंद

अब ये लगता है ब्रेकानंद
हम नियम तोड़ जायेंगे
दुनिया को ब्रेकिंग people बनाकर
एक नया ब्रेकिंग समाज बसायेंगे
अब ये लगता है ब्रेकानंद
हम नियम तोड़ जायेंगे
खोये रहते है हम ब्रेकिंग सपनो में
और दुनिया के ब्रेकिंग सपने पुरे कर जायेंगे
अब ये लगता है ब्रेकानंद
हम नियम तोड़ जायेंगे
अगर स्वामी जी आशीर्वाद रहा आपका
तो दुनिया में एक नया इतिहास बनायेंगे
अब हम खुद ब्रेकानंद बन चुके है
और दुनिया को ब्रेकानंद बनायेंगे
अब ये लगता है ब्रेकानंद
हम नियम तोड़ जायेंगे

आपका अपना
(स्वामी kk ब्रेकानंद)
(m) 9255392381

शिकागो की मैगजीन में नारनौल के टीकाकरण अभियान का समाचार

शिकागो की साप्ताहिक  मैगजीन हाय इंडिया (Hi India)   में नारनौल के टीकाकरण अभियान का समाचार 16 अप्रैल,2010 के संस्करण में छपा है.
कृपया जानकारी के लिए देखिये.
इस लिंक से भी इस समाचार को देखा जा सकता है. यहाँ क्लिक कीजिये.

19.4.10

कानून के रक्षक ही भक्षक बन गए हैं

उत्तर प्रदेश में कानून के रक्षक पुलिस विभाग के लोग आये दिन थानों में बने यातना गृहों में लोगों को इतनी यातनाएं देते हैं कि मौत हो जाती है। कल सीतापुर एटा जनपद में पुलिस हिरासत में दो व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। थानों का प्रभारी अधिकारी उपनिरीक्षक होता है और कोतवाली का इंचार्ज निरीक्षक होता है। इन थानों की व्यवस्था देखने के लिए पुलिस उपाधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक और अंत में पुलिस महानिदेशक होता है। इन थानों को उप जिला मजिस्टेट जिला मजिस्टेट कमिश्नर, डिप्टी सचिव गृह, संयुक्त सचिव गृह प्रमुख सचिव गृह होता है। सरकार स्तर पर गृहमंत्री मुख्यमंत्री होते हैं। इतनी लम्बी चौड़ी कतार निरीक्षण करती रहती है जिसका खर्चा अरबों रुपये होता है और इसके बाद भी पुलिस हिरासत में मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है। पुलिस की स्तिथि संगठित अपराधी गिरोहों जैसी हो गयी है। आम आदमी थाने जाने में कतराता है वहीँ अपराधियों की सैरगाह थाना होता है। थानों के परंपरागत अपराध से स्थायी मद से आये होती है जिसका बंटवारा ऊपर से नीचे तक होता है। लोकतान्त्रिक समाज बनाये रखने के लिए आज सख्त जरूरत है कि कानून के रक्षकों द्वारा किये जा रहे अपराधों पर नियंत्रण किया जाए।

ब्रेक दा रुल

ब्रेक दा रुल का मतलब है की अगर कोई एक्शन लम्बे समय तक रिज़ल्ट दिखाए तो इसको विराम दिया जाये और हो सके तो उसका उल्टा किया जाये। कुछ समय पहले एक साधू हमारे घर आता था। वह नंगा रहता था और जुटे भी नहीं डालता था। उसे हम नंगा साधू कहते थे। उसकी खास बात ये थी की वो कुछ भी नहीं मांगता था,बस आकर दरवाजे पर बैठ जाता था। लोग उसे अपने आप घी डाल देते थे। वह बस माखन ही लेता था। उसका समाज में बहुत सम्मान था। इस्सी तरह कई साल चलता रहा। लेकिन अचानक एक दिन उस साधू ने आपना रुल तोड़ दिया। इस बार वह साधू शराब पि कर गया। और हमसे भी शराब मांगने लगा। वह आब रोज शराब पिने लगा और आब वह घी की जगह शराब मांगने लगा। जब भी वह आता वह शराब के लिए गिलास आगे कर देता।
शायद उसने कुछ समय तक आपने द्वारा बनाये गए रुल का अन्नुसरन किया और जब रिज़ल्ट नहीं आया तो उसने इसे तोड़ दिया। शायद जो वो दिख रहा था वास्तव में वो वेसा नहीं था। रुल तोड़ कर वह अपने सही सवरूप में गया.

भारत विकास परिषद सफीदों का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न

सफीदों (हरियाणा) : भारत विकास परिषद सफीदों का दायित्व एवं शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। समारोह में मुख्यातिथि एसडीएम सत्यवान इंदौरा व विशिष्ट अतिथि पीडीएम कालेज के निदेशक एडवोकेट प्रीतपाल सिंह रहे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता भाविप की राष्ट्रीय संस्कार प्रमुख प्रो. अविनाश शर्मा ने की। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलित एवं वंदे मातरम गीत से की गई। कार्यक्रम अध्यक्षा प्रो. अविनाश शर्मा ने भाविप के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अश्वनी सैनी, सचिव विजेंद्र चहल, कोषध्यक्ष डा. नरेश शर्मा व उनकी टीम के सदस्यों दलबीर मलिक, राजकुमार चहल, अमरपाल राणा, विशाल धमीजा व दलजीत वर्मा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। दायित्व ग्रहण से पूर्व निवर्तमान सचिव नरेश बवेजा ने अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों की वार्षिक रिपोर्ट पेश की। वहीं निवर्तमान अध्यक्ष अरूण गौतम ने नवनियुत अध्यक्ष अश्र्वनी सैनी को अपना कार्यभार सौंप दिया। मुख्यातिथि एस.डी.एम. सत्यवान इंदौरा ने नवनियुत कार्यकारिणी को अपने बधाई संदेश में कहा कि भाविप आज पूरे भारत में फैली वो प्रमुख सामाजिक संस्था है जो व्यतित्व निर्माण व सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। चाहे पर्यावरण एवं जल संरक्षण का मामला हो या फिर जरूरतमंद लोगों को नेत्र व कृत्रिम अंग देने का मामला हो भाविप हर कार्य में दो कदम आगे रहती है। राष्ट्रवाद एवं भारतीय संस्कृति पर आधारित पर राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता तथा भारत जानों प्रतियोगिता के माध्यम से युवा पीढ़ी में संस्कार की अलख जगाना बेहद प्रशंसनीय है। उन्होंने नवनियुक्त कार्यकारिणी से उमीद जताई की वे अपने कार्यकाल के दौरान सफीदों में समाज सेवा में नई बुलंदियों को छुएंगे। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि पीडीएम कालेज के निदेशक एडवोकेट प्रीतपाल सिंह व कार्यक्रम अध्यक्षा प्रो. अविनाश शर्मा ने भी अपने विचार रखते हुए लोगों को भारतीय संस्कृति को संजोने की प्रेरणा दी। नवनियुत अध्यक्ष अश्र्वनी सैनी ने अपने संबोधन में कहा कि वे सभी सदस्यों के शुक्रगुजार है, जिन्होंने मुझे सर्वसमति से अध्यक्ष चुना। वे सभी साथियों की उमीदों पर खरा उतरेंगे तथा अपने कार्यकाल के दौरान अधिक से अधिक सामाजिक कार्य करेंगे। कार्यक्रम में अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर समानित किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।