1:14 pm
Mahavir Mittal
सफीदों, (हरियाणा) : जिला योजनाकार विभाग जींद ने सफीदों में कई स्थानों पर से अवैध निर्माणों को हटवाया। इस कार्रवाई में ड्यूटी मैजिस्ट्रेट सफीदों के तहसीलदार ज्ञानप्रकाश बिश्नोई रहे तथा कार्रवाई की अगुवाई डी.टी.पी. बसंत हुड्डा ने की। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए एस.एच.ओ. दलीप सिंह के नेतृत्व में व्यापक पुलिस बल तैनात था। अवैध निर्माणों को हटवाने की कार्रवाई को चलाने के लिए जिला योजनाकार विभाग के अधिकारी सुबह ही सफीदों पहुंच गए थे। सबसे पहले सफीदों बाईपास पर बनी अवैध छोटीछोटी दुकानों को ढ़हाया गया। उसके बाद नगर में कई स्थानों पर से अवैध निर्माण हटवाए गए। पत्रकारों से बातचीत में डी.टी.पी. बसंत हुड्डा ने बताया कि विभाग ने अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है। इस अभियान के तहत सभी अवैध निर्माणों को हटवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि उनको सफीदों में कई स्थानों पर अवैध निर्माण की जानकारी मिली थी तथा अवैध निर्माण करने वालों को पहले नोटिस दिए गए थे। नोटिस जारी होने के बावजूद भी अवैध निर्माणकर्ताओं ने अपने निर्माणों को नहीं हटवाया तो विभाग को यह कारवाई करनी पड़ी है। उन्होंने अवैध निर्माणकर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि जिन लोगों अवैध निर्माण का रखे हैं वे उन निर्माणों को खुद हटा लें अन्यथा जिला योजनाकार विभाग उन अवैध निर्माणों को खुद हटवाएगा तथा अवैध निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने भविष्य में भी इस तरह की कार्रवाई जारी रखने की बात कही।
4:18 am
डॉ० डंडा लखनवी
-डॉ० डंडा लखनवी
स्वदेशी परिंदों पे परदेसी पर हैं ।
मगर अपने अंजाम से बेख़बर हैं ॥
कल "ईस्ट इंडिया कंपनी" ने चरा था,
अब उससे भी शातिर बहुत जानवर हैं॥
उधर उसने कल-कारखाने हैं खाए,
इधर कामगारों की टूटी कमर हैं॥
सियासत के गहरे समन्दर में देखो-
गरीबों को चारा बनाते मगर हैं॥
ठगी, चोरी, मक्कारी, वादाखिलफ़ी,
बचे रहबरों के यही अब हुनर हैं?
लगी करने सरकारें भी अब डकैती,
कि इंसाफ़ो-आईन सभी ताक़ पर हैं॥
शहीदों के आँसू उन्हें खोजते हैं,
नएयुग के आशफ़ाको-बिस्मिल किधर हैं॥
5:02 pm
Randhir Singh Suman
अपने विद्यार्थी-जीवन में, मैंने ‘स्काईर्लाक‘ नाम की दो अंग्रेजी कवितायें पढ़ी थी, एक ‘वर्डस्र्वथ‘ की ‘स्काईलार्क‘ नामक चिड़िया आसमान में उड़ती थी परन्तु ज़मीन की खबर भी रखती थी परन्तु ‘शेली की ‘स्काइर्लाक‘ की उड़ान बहुत ऊँची थी, धरातल से उसका कोई नाता न था।
हमारे मीडिया कर्मी चाहे वे प्रिंट के हों, इलेक्ट्रानिक के या अन्य के हों, मुझे माफ करें, ऊँची उड़ान भरने के बड़े माहिर होते है। ख़बरो को चटपता बनाना, बड़ी बात को छोटी करना, छोटी को ‘इनर्लाज‘ करना उनके दाहने हाथ का खेल हैं। चौथे स्तम्भ के हमारे यह मित्र, पाठकों, दर्शकों को पतंग की तरह उड़ाते हैं, उनमें सनसनी पैदा कर देते हैं, उनकी सोच को जिधर चाहें मोड़ देते हैं- पेपर खूब बिकते हैं, दर्शक खाना-पीना भूलकर टी0 वी0 से चिपक जाते हैं, एक बच्चा जो टयूब वेल के गडढे में गिर गया था उसकी दास्तान, महीनों चली थी।
हमारें नौजवान शायद मुझ से सहमत न हों कि भारतीय टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा और पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब की आगामी शादी के मामले को ‘शेली‘ की ‘स्काईर्लाक‘ का रूप दिया गया। बच्चों को ही दोष क्यों दें, बूढ़ो की बासी कढ़ीं में भी खूब उबाल आते देखे गये।
मीडिया वाले भी कमरों में बैठकर चुपके-चुपके हंसते होंगे कि उनके हथकंडे काम आये।
दोनो की शादी के आखि़र ‘इशूज़‘ क्या थे? जितने मुंह उतनी बाते, पहले आयशा से शादी हुई थी या नही। तलाक़ होना चाहिये या नहीं, आयशा और शुएब में कौन सच्चा था कौन झूठा? ये मसला तो अब हल भी हो गया। अब बात यह रह गई कि पाकिस्तानी-हिन्दुस्तानी के बीच रिश्ता होना चाहिये या नहीं ? कुछ लोगों ने इसे साम्प्रदायिक्ता से जोड़ दिया। मौलाना कल्बे सादिक़ मेरी ही उम्र के होंगे (मैं सत्तर के पेटे में हूँ) वह भी पाजामा संभाल कर इस में फाँद पडे़, कुछ छींटे शेरवानी पर भी आये। मैं उनका बहुत सम्मान करता हुँ, वह विहदान हैं परन्तु उन्होंने इसे वतन परस्ती से जोड़ दिया। मैं भी वतन-परस्त हुँ परन्तु जर्मन-नेशनलिज़्म को पसंद नहीं करता मानवता-वादी पूरे संसार को कुटुम्बके समान समझता है। द्वेष-भाव त्याग कर अगर हम देखें तो दो मुल्कों के बीच सद्मावना की यह एक अच्छी शुरूआत मानी जा सकती है। क्या इससे पहले दो देशोंके नागरिकों के बीच ऐसे रिश्ते नहीं क़ायम हुए, क्या नेपल के राज़घराने से भरतीय रिश्ते नहीं रहे? क्या राजीव नें इटली की सोनिया से रिश्ता करके कोई जुर्म किया था। अतः कृपया ऐसा न करें-राई को र्पबत करें, र्पबत राई माहिं।
डॉक्टर एस.
एम हैदर
3:27 pm
Mahavir Mittal
सफीदों, (हरियाणा) : श्रीकृष्ण कृपा सेवा समिति सफीदों के तत्वावधान में महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज की प्रेरणा से रविवार रात को कस्बे के रामलीला ग्राउंड में एक शाम राधामाधव के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रसिद्ध समाजसेवी रामनिवास शर्मा गुड़गांव तथा विशिष्ट अतिथि सैशन जज पानीपत चिमन लाल मोहील व हलका विधायक कलीराम पटवारी ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। कार्यक्रम में भजन सम्राट विनोद अग्रवाल मुंबई तथा बलदेव कृष्ण जगाधरी ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से भक्तों को कृष्ण रस में डूबो दिया।कार्यक्रम जैसेजैसे आगे बढ़ता चला गया वैसेवैसे श्रृद्धालुओं में कृष्ण रस की खुमारी बढ़ती चली गई। विनोद अग्रवाल के भजनों मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, सांवरिया ले चल परली पार, नंदलाल सांवरिया मेरे, श्री राधा हमारी गोरीगोरी, मेरे श्याम सलोने आजा व तेरा केडा मूल लगदा ने श्रृद्धालुओं में ऐसी खुमारी चढ़ाई कि जो जहां था वहीं पर नाचने को मजबूर हो गया। कार्यक्रम की सफलता में श्रीकृष्ण कृपा सेवा समिति के अलावा सफीदों जेसीज, भारत विकास परिष्द, युवा अग्रवाल सभा, युवा पंजाबी संगठन व ब्राह्मण जागृति एवं विकास मंच के पदाधिकारियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई।
5:03 pm
Randhir Singh Suman
केन्द्र में शासन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में लोकतांत्रिक संगठन का है। भारतीय जनता पार्टी प्रमुख विपक्षी दल है और उसका काम केवल विपक्ष की भूमिका अदा करना और अपने संगठन के सदस्यों को परामर्श देना और आवश्यकता पड़े तो विप जारी करना है। हां, गोधरा काण्ड के बाद गुजरात में जो कुछ हुआ उस पर भाजपा को मुखर होना था लेकिन वह न तो नरेन्द्र मोदी के पक्ष में और न ही विपक्ष में बोली, जबकि नरेन्द्र मोदी भाजपा के थे। अगर कोई कुछ बोला तो दबे स्वर में तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी बोले और वह स्वर इतना दबा हुआ था कि भीड़ में खोकर रह गया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उस समय केवल इतना कहा था कि तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री को राजधर्म का पालन करना चाहिए। राजधर्म का पालन करने का परामर्श श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसलिए दिया था कि उनको पता है कि भारत एक धर्म-निरपेक्ष लोकतंत्र में विश्वास रखता है और इस देश में हिन्दु-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई सब को (कुछ क्षेत्रों में छोड़कर) तमाम अधिकार प्राप्त हैं। कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, की समीक्षा इस समय नहीं कर रहा हूं क्योंकि इसके लिए काफी समय की आवश्यकता है।
देश आतंकवाद के दंश को झेल रहा है और आतंकवाद को समाप्त करने के लिए केन्द्र अथवा राज्य सरकारों द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है, बल्कि आतंकवाद का हौवा खड़ाकर डराने वालों के डर से हमारी सरकार कुछ कर पाने में असमर्थ है। अमेरिकी साम्राज्यवाद अपने मित्र राष्ट्रों की मदद से पूरी दुनिया पर हावी हो चुका है, अगर वह कह देता है कि आतंकवाद अमुक देश से निकलकर भारत के लिए खतरा बना हुआ है तो हममें यह साहस नहीं कि हम अमेरिका की इस कही बात को नकार सकें जबकि हमें पता है कि लीबिया के राष्ट्रपति पर अमेरिकी हमला गलत था, ईराक में घातक हथियार रखने का आरोप लगाकर पूरी छानबीन कर लेने के बाद घातक हथियार रखने का आरोप लगाकर अमेरिका ने ईराक पर हमला किया, अफगानिस्तान में वह आज भी तबाही मचा रहा है जबकि अफगानी आतंकवाद को पैदा करने वाला स्वयं अमेरिका ही है। मदद करने के नाम पर या मदद देकर अमेरिका ही पाकिस्तान की न केवल विदेशी नीति बल्कि आन्तरिक नीति भी तय करता है। इतना सब कुछ जानते हुए हमारी खामोशी अमेरिका को मूक समर्थन देती है बल्कि और सख्त ज़ुमला अगर इस्तेमाल किया जाए तो हमारे देश के लगभग सभी राजनीतिक दल अमेरिका के एजेन्ट का काम करते हैं।
लोकतंत्र में जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की सरकार होती है लेकिन हमारी सरकारें जनता द्वारा चुनी अवश्य जाती हैं लेकिन न तो वह उनकी अपनी और उनके लिए यह सरकार होती है। चुनाव इतने खर्चीले हैं कि जन-साधारण चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकता, जब तक कि उसकी मदद कारपोरेट स्वयं या कार्पोरेट के एजेन्ट के तौर पर काम करने वाले राजनीतिक दल उसकी मदद करें। मैं दलों को कारपोरेट का दलाल इसलिए मानता हूं कि जनता को उसके अपने देश की भूमि पर आज़ादी के साथ अपनी रोजी-रोटी कमाने का अवसर नहीं दिया जाता बल्कि उनसे उनकी जमीन छीनकर उन्हें काॅर्पोरेट के रहमोकरम पर भी नहीं रहने दिया जाता बल्कि उनको बेघर करके दर-दर के लिए भटकने को मजबूर कर दिया जाता है। 1960 की दहाई में सरकार ने जबरों को आगे बढ़ाया, दलितों को बेघर होने के लिए मजबूर किया, जबरों की सेना बनी तो उस पर अंकुश नहीं लगाया, इसीलिए नारा लगा कुछ सरफिरों की ओर से - ‘‘आमार बाड़ी तोमार बाड़ी नक्सल बाड़ी-नक्सल बाड़ी’’।
समय से बीमारी का इलाज नहीं किया गया बल्कि बीमारी को दबा देने की कोशिश की गई। नक्सलवाद बढ़ता गया और कभी पीपुल्स वार ग्रुप के नाम से चलता रहा और कभी माओवाद के नाम से और आज जो आन्दोलन 1960 की दहाई में जन्मा उसने आज विकराल रूप ले लिया क्योंकि जिन अवयवों से इसका जन्म हुआ वह अवयव समाप्त नहीं किये गये बल्कि जुल्म को बढ़ने दिया गया, सरकारें भी जालिमों का साथ देती रहीं और नतीज़ा आज सामने है। अब भी समय है जुल्म को समाप्त करने का, जालिमों का पंजा मरोड़ने का और राजनीतिक दलों को काॅर्पोरेट का एजेन्ट न बनकर जन-प्रतिनिधि बनकर जन-साधारण के कल्याण के लिए काम करने का। अगर कोई देश का भला चाहता है तो किसी नेता को, मंत्री को या दल को इस तरह की सलाह देना होगा न कि अपने ही देश की जनता का दमन करने की सलाह। भाजपा की देश के गृहमंत्री को दी गई सलाह यह प्रकट करती है कि भाजपा भी देश के जन-साधारण के दमन के लिए तत्पर है, इसमें और कांग्रेस में कोई अन्तर नहीं है इसलिए कि इससे पहले भी महिला आरक्षण विधेयक पर कांग्रेस का साथ दे चुकी है।
मुहमद शुऐब एडवोकेट
4:12 pm
Randhir Singh Suman
हैं कवाकिब कुछ नज़र आते हैं कुछ,
देते हैं धोखा ये बाज़ीगर खुला।
दिनांक 8.4.2010 को महाराष्ट्र विधान सभा में जो कुछ हुआ किसी से छिपा नहीं है। राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के विधायक जितेन्द्र अव्हाड़ ने सदन को बताया कि अभिनव भारत और सनातन प्रभात जैसे अतिवादी संगठन ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध के वर्तमान सर्वसंघ चालक श्री मोहन भागवत की हत्या कारित करने का कार्यक्रम बना लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तानी खूफिया एजेन्सी आई0एस0आई0 की मदद से हिन्दुत्ववादी संगठन देश में अराजकता फैलाने के लिए प्रयासरत हैं और उन्होंने ही अजमेर की दरगाह में और समझौता एक्सप्रेस में बम धमाके किये थे। ए0टी0एस0 महाराष्ट्र के स्तम्भ रहे स्वर्गीय हेमन्त करकरे ने भी श्री मोहन भागवत को इस तथ्य की जानकारी देते हुए उन्हें आगाह किया था, कारण कि वह संगठन मानते हैं कि श्री मोहन भागवत जैसे लोग हिन्दुत्व के रास्ते से भटक गये हैं।
यदि श्री मोहन भागवत की हत्या कर दी गई होती तो उसके नतीजे में आज यह देश जल रहा होता और आग बुझाने के सारे प्रयास निरर्थक सिद्ध होते। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो अपने को हिन्दुत्व का ध्वजावाहक बताता है, जिसके इस दावे को लोग जाने-अनजाने स्वीकार भी करते हैं। यदि इस संगठन के सर्वसंघ चालक जिनकी अपनी प्रतिष्ठा है मार दिये गये होते तो अविश्वास का कोई कारण नहीं बनता कि उनकी हत्या किसी मुसलमान या मुस्लिम संगठन ने की। 1984 अभी लोग भूल नहीं पाये हैं जब देश की प्रधानमंत्री की हत्या कर पूरे देश में पूरे सिक्ख समाज को गुनहगार मानकर उन्हें जिन्दा जलाया गया, उनका घरबार और दुकाने लूटीं गईं, कुल मिलाकर जानी-माली नुकसान पहुंचाया गया।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मानस पुत्र स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती उड़ीसा के जनजातियों के बीच में चकाबाद नामक स्थान पर आश्रम बनाकर निवास करते और गुरूकुल संस्कृत विद्यालय चलाते तथा मुख्य रूप से धर्मान्तरण का आरोप लगाकर इसाइयों में दहशत पैदा करने का काम करते थे। स्वामी जी की भी हत्या कैसे हुई यह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन उनकी हत्या के बाद उत्पात मचाकर ईसाईयों की जान-माल और धर्म स्थलों को किस तरह नुकसान पहुंचाया गया, यह घटना किसी से छिपी नहीं है और कन्धमाल की यह घटना आज भी मानवता के लिए काम करने वाले लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है।
क्या-क्या गिनाया जाए, नानदेड़ में हिन्दुत्ववादी संगठन के बाद से मुस्लिम पहचान बताने वाले कुर्ते-पायज़ामें, टोपी-दाढ़ी बरामद किया गया। हैदराबाद की मक्का-मस्जिद पर ब्लास्ट करके बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फंसाया गया। उत्तर प्रदेश की कचहरियों में ब्लास्ट कराकर गुनहगारों को न पकड़कर बेगुनाहों को पकड़ा गया। बाटला हाउस में हत्या करके आजमगढ़ के बेगुनाहों को फंसाया गया, इस तरह की घटनाओं की गिनती बहुत है। इन्हें गिनाने के लिए काफी समय लगेगा, लेकिन कुछ घटनायें ऐसी भी हैं जिसमें गुनहगारों का चेहरा सामने आया। कानपुर में बजरंग दल के दो लोग अपने ही विस्फोटक से जान गवां बैठे और फाइल बंद कर दी गई। हेमन्त करकरे जैसा जांबाज़ ही था जिसनें मालेगांव ब्लास्ट के असल गुनहगारों को पकड़ा और नतीजा आपके सामने है। गोवा में भी असली चेहरे सामने आये लेकिन पूणे में विवेचना जारी है, जबकि वहां भी सबद हाउस को निशाना बनाया जाना बताया गया है।
दम है, महाराष्ट्र विधान सभा में जितेन्द्र अव्हाड़ द्वारा खुलासा किये गये तथ्यों में अगर कहीं अभिनव भारत और सनातन प्रभात अपने लक्ष्य में सफल हो जाते तो सचमुच हिन्दु-मुसलमान के बीच का तांडव रोके नहीं रूकता और हमारी भारत माता अपने सपूतों के आपसी उन्माद के नतीजों में उनके बहते खून पर विलाप कर रही होती। आज हमें सतर्क रहना है कि किये जा रहे इस तरह के षड़यन्त्रों से जिन्हें हम समझते हैं हौर हम अपनी भाषा में इसे कहते हैं ‘‘इसराइली रणनीति’’। हमला ऐसा करो कि खुद को भी नुकसान हो और लोग ये समझें कोई क्यों अपने को नुकसान पहुंचायेगा और आरोप आये उनपर जिनको हम गुनहगार साबित करें।
मुहम्मद शुऐब एडवोकेट
loksangharsha.blogspot.com
2:23 pm
Mahavir Mittal
सफीदों, (हरियाणा) : सफीदों अनाज मंडी को पुरानी अनाज मंडियों में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अनाज मंडी होने का गौरव प्राप्त है लेकिन यहां पर सरकार के दानादाना खरीदने के दावों की सरकारी खरीद एजेंसियों द्वाराखुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। खरीद एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा गेंहू खरीद में कोताही बरतने को लेकर आक्रोशित किसान व आढ़ती मंडी गेट पर ताला लगाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर चुके है तथा बोली का बहिष्कार चुके हैं। किसानों व आढ़तियों का आरोप है कि सरकारी खरीद एजेंसियों के अधिकारी जानबूझकर गेंहू खरीदने में आनाकानी कर रहे हैं। ये अधिकारी सूखे हुए गेंहू का गीला बताकर उसे खरीदने से मना कर रहे हैं। किसानों व आढ़तियों का कहना था कि सरकार ने यह दावा कर रखा है कि वह किसानों की फसल का एकएक दाना खरीदेगी लेकिन खरीद एजेंसियों के अधिकारी पूरे दिन में कुछ ही ढ़रियों की बोली करके अपने फर्ज की इतिश्री कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सफीदों अनाज मंडी गेंहू से भरी पड़ी है। हालात यह हैं कि मंडी में गेंहू डालने के लिए कोई जगह नहीं बची है। मंडी में जगह नहीं मिलने के कारण किसान दूसरी मंडियों में अपनी फसल को ले जाने लगा है। दूसरी तरफ खरीद एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि इस बार गेंहू में नमी की मात्रा अधिक है। सरकार द्वारा 12 प्रतिशत नमी निर्धारित है लेकिन नमी 14 से 16 प्रतिशत तक आ रही है। अगर गीला गेंहू भरवा लिया गया तो वह बंद कट्टों में सड़ जाएगा।