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31.3.10

इनकी नम्बरदारी.......(-डॉ० डंडा लखनवी )


इनकी नम्बरदारी.......
                  -डॉ० डंडा लखनवी


भाँति-भाँति के माउस  जगमें सबकी जयजयकारी।
दुनिया  के  कोने - कोने  मे  इनकी   नम्बरदारी।।
                              साधो इनकी नम्बरदारी।।


माउस  मेलों  -  ठेलों  में  हैं,
गुरुओं  में  हैं,   चेलों   में  हैं,
मिलते   माउस  रेलों   में  हैं,
कुछ  बाहर, कुछ  जेलों में हैं,
कुछ माउस घोषित आवारा, कुछ माउस सरकारी।
दुनिया  के  कोने - कोने  में   इनकी  नम्बरदारी।।


कम्प्यूटर  का माउस  - नाटा,
इधर से   उधर  करता  डाटा,
फ्री    कराता  सैर  -  सपाटा,  
नए समय का  बिरला   टाटा,
नाचे इनके  आगे दुनिया  ये  हैं  महा - मदारी। 
दुनिया  के  कोने - कोने मे  इसकी नम्बरदारी।।


माउस  सभी मकानों  में  हैं,
खेतों  में  खलिहानों  में  हैं,
गोदामों  -  दूकानों   में  हैं,
कोर्ट - कचहरी  थानों में हैं,
सदनों के  भीतर  बैठे  कुछ  माउस  खद्दरधारी।
दुनिया  के  कोने - कोने मे  इनकी नम्बरदारी।।


जनता  को  ये  डाट  रहे   है,
मालपुआ   खुद  काट  रहे  है,
माउस  जो  खुर्राट  रहे     हैं,
भ्रष्ट   प्रशासन   बाट  रहे  हैं,
कुछ डंडा अधिकारी माउस कुछ  माउस  पटवारी।  
दुनिया  के   कोने - कोने मे  इनकी  नम्बरदारी।।


माउस  थल में, माउस  जल में,
माउस  बसते हैं दल - दल   में,
माउस सबके  अगल - बगल  में,
माउस युग  की  हर हलचल में,
वैसे  नहीं  चुना गण-पति ने अपनी इन्हें  सवारी। 
दुनिया  के  कोने - कोने मे  इनकी  नम्बरदारी।।

30.3.10

लोकसंघर्ष परिवार ने अपना शुभचिंतक खो दिया

लोकसंघर्ष पत्रिका के कार्यक्रम को संबोधित करती मोना. .हार्वे


लोकसंघर्ष परिवार की शुभचिंतक तथा पत्रिका के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान अदा करने वाली अदाकारा मोना. .हार्वे की हत्या उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बदमाशों ने उनके सर को मेज के पाये से कूंच कर कर डाली। मोना फिल्म उमराव जान में रेखा की सहेली का रोल किया था। वह हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर थी। लालबाग के कंधारी लेन के मकान नंबर 26 में 62 वर्षीय मोना अकेले रहती थी। इससे पूर्व लखनऊ में ही अंतर्राष्ट्रीय महिला संगठन की पूर्व अंतर्राष्ट्रीय महासचिव सुरजीत कौर की हत्या रात को उनके मकान में कैंची से गला काट कर कर दी गयी थी। उत्तर प्रदेश में सरकारें चाहे जो भी दावा करें, कानून व्यवस्था की स्तिथि ठीक नहीं है। अकेले रहने वाली महिलाओं का जीवन सुरक्षित नहीं रह गया है। राह चलते महिलाओं के साथ बदतमीजी, चेन स्नेचिंग आम बात है। प्रदेश के पुलिस मुखिया चाहे जो राग अलापे एक मामूली चोरी का खुलासा करने में असमर्थ हैं लोकसंघर्ष परिवार मोना जी हत्या से अत्यंत दुखी है और हमारे परिवार ने अपना एक शुभचिंतक खो दिया है।


नवाब वाजिद अली शाह की वाल पेंटिंग के साथ मोना.ए.हार्वे

29.3.10

तूने जो मूँद ली आँखें

पलक झपकते ही तूने जो मूँद ली आँखें,
किसे खबर थी कभी अब ये खुल पाएंगी
मेरी सदाएँ, मेरी आहें, मेरी फरियादें,
फ़लक को छूके भी नाकाम लौट आएँगी

जवान बेटे की बेवक्त मौत ने तुझको,
दिए वो जख्म जो ता़ज़ीश्त मुंदमिल हुए
मैं जानता हूँ यही जाँ गुदाज़़ घाव तुझे,
मा-आलेकार बहुत दूर ले गया मुझसे

वह हम नवायी वाह राज़ो नियाज़़ की बातें,
भली सी लगती थी फहमाइशें भी मुझको तेरी
एक-एक बात तेरी थी अजीज तर मुझको,
हज़ार हैफ् ! वो सव छीन गयी मता--मेरी

हमारी जिंदगी थी यूँ तो खुशग़वार मगर,
जरूर मैंने तुझे रंज भी दिए होंगे
तरसती रह गयी होंगी बहुत तम्मानाएँ,
बहुत से वलवले पामाल भी हुए होंगे

ये सूना-सूना सा घर रात का ये सन्नाटा,
तुझी को ढूँढती है बार-बार मेरी नज़र
राहे-हयात का भटका हुआ मुसाफिर हूँ,
तेरे बगैर हर एक राह बंद है मुझपर

मगर यकीं है मुझे तुझको जब भी पा लूँगा,
खतायें जितनी भी हैं सारी बक्श्वा लूँगा

ता़ज़ीश्त-आजीवन, मुंदमिल- धुन्धलाना, वलवले- भावनाएँ, हैफ् - अफ़सोस, मता-- सम्पत्ति

महेंद्र प्रताप 'चाँद'
अम्बाला
भारत

पकिस्तान के रावलपिंडी से प्रकाशित चहारसू (मार्च-अप्रैल अंक 2010) से श्री गुलज़ार जावेद की अनुमति से उक्त कविता यहाँ प्रकाशित की जा रही हैजिसका लिपिआंतरण मोहम्मद जमील शास्त्री ने किया है

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

28.3.10

अल्लाह के घर महफ़ूज़ नहीं हैं

महफ़ूज़ नहीं घर बन्दों के, अल्लाह के घर महफूज़ नहीं।
इस आग और खून की होली में, अब कोई बशर महफ़ूज़ नहीं॥
शोलों की तपिश बढ़ते-बढ़ते, हर आँगन तक आ पहुंची है।
अब फूल झुलसते जाते हैं, पेड़ों के शजर महफ़ूज़ नहीं॥
कल तक थी सुकूँ जिन शहरों में, वह मौत की दस्तक सुनते हैं ।
हर रोज धमाके होते हैं, अब कोई नगर महफ़ूज़ नहीं॥
दिन-रात भड़कती दोजख में, जिस्मों का ईधन पड़ता है॥
क्या जिक्र हो, आम इंसानों का, खुद फितना गर महफ़ूज़ नहीं॥
आबाद मकां इक लमहे में, वीरान खंडर बन जाते हैं।
दीवारों-दर महफ़ूज़ नहीं, और जैद-ओ-बकर महफ़ूज़ नहीं॥
शमशान बने कूचे गलियां, हर सिम्त मची है आहो फुगाँ ।
फ़रियाद है माओं बहनों की, अब लख्ते-जिगर महफ़ूज़ नहीं ॥
इंसान को डर इंसानों से, इंसान नुमा हैवानों से।
महफूज़ नहीं सर पर शिमले, शिमलों में सर महफूज़ नहीं॥
महंगा हो अगर आटा अर्शी, और खुदकश जैकेट सस्ती हो,
फिर मौत का भंगड़ा होता है, फिर कोई बशर महफ़ूज़ नहीं॥

-इरशाद 'अर्शी' मलिक
पकिस्तान के रावलपिंडी से प्रकाशित चहारसू (मार्च-अप्रैल अंक 2010) से श्री गुलज़ार जावेद की अनुमति से उक्त कविता यहाँ प्रकाशित की जा रही हैजिसका लिपिआंतरण मोहम्मद जमील शास्त्री ने किया है

सुमन
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27.3.10

गिरगिट हैं या भारतीय संघ के अधिकारी


बाबरी मस्जिद को तोड़ने के अपराधिक मामले में आई.पी.एस अधिकारी अंजू गुप्ता ने लाल कृष्ण अडवानी आदि अभियुक्तों के खिलाफ न्यायलय के समक्ष जोरदार तरीके से अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाही दी। श्रीमती अंजू गुप्ता ने अपने बयानों में लाल कृष्ण अडवानी के जोशीले भाषण को बाबरी मस्जिद ध्वंश का भी एक कारण बताया है। इसके पूर्व 7 वर्ष पहले श्रीमती अंजू गुप्ता के बयान का आधार पर अभियुक्त तथा पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण अडवानी को विशेष न्यायलय ने आरोपों से उन्मोचित कर दिया था । इस तरह से अदालत गवाह अधिकारियों के गिरगिट की तरह रंग बदलने के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं करती है । उस समय के कमिश्नर फैजाबाद जो घटना के लिए जिम्मेदार थे, एस.पी गौड़ वह आज भी भारतीय संघ में प्रतिनियुक्त पर तैनात हैं। इसके अतिरिक्त अन्य प्रमुख अधिकारी जो बाबरी मस्जिद ध्वंस के समय थे वे रिटायर हो चुके हैं या मर चुके है। सवाल इस बात का है कि क्या उस समय भारतीय संघ इतना कमजोर हो चुका था कि वह एक मस्जिद कि सुरक्षा नहीं कर पाया ? दूसरी तरफ नौकरशाही कि कोई जिम्मेदारी तय न होने के कारण वह गिरगिट कि तरह रंग बदलती रहती है । कोई भी मामला हो नौकरशाही बड़े से बड़े अपराध कर रही है और भारतीय संघ उनको दण्डित करने में अक्षम साबित हो रहा है । हद तो यहाँ तक हो जाती है कि बड़े से बड़ा अपराधी नौकरशाह समयबद्ध प्रौन्नति के तहत कैबिनेट सचिव तक हो जाता है और उसके द्वारा किये गए अपराधों के लिए दण्डित नहीं किया जाता है, यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है । श्रीमती अंजू गुप्ता को न्यायलय के समक्ष शपथ पूर्वक बयान बार-बार बदलने पर बर्खास्त करके अपराधिक विधि के अनुरूप वाद चलाना चाहिए तभी लोकतंत्र बचेगा

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

एक्सिस बैंक की 999वीं शाखा का उद्‌घाटन संपन्न


सफीदों, (हरियाणा) : सफीदों में एक्सिस बैंक की शाखा का उद्‌घाटन समारोह संपन्न हुआ। समारोह में मुख्यातिथि एसडीएम सत्यवान इंदौरा तथा विशिष्ट अतिथि बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश वधवा रहे। मुख्यातिथि सत्यवान इंदौरा तथा विशिष्ट अतिथि राजेश वधवा ने दीप प्रज्ज्वलित करके बैंक की 999वीं शाखा का विधिवत रूप से शुभारंभ किया। उद्‌घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि एसडीएम सत्यवान इंदौरा ने बैंक शाखा को क्षेत्र के लोगों को समर्पित करते हुए कहा कि यह बैंक अपनी कार्यशैली को लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाए हुए है। उन्होंने उमीद जताई कि यह बैंक उपभोक्ताओं की जरूरत एवं सुविधाओं के अनुसार अपनी सेवाएं देगा। इस मौके पर बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश वधवा ने बताया कि उनका बैंक आधुनिक तकनीक एवं व्यक्तिगत सेवाएं देने के मामले में देश का तीसरा बड़ा बैंक है। आज देशभर के मुख्य शहरों व कस्बों में उनके बैंक की एटीएम मशीनें स्थापित हैं जो लोगों को 24 घंटे सेवाएं दे रही हैं। ईडीसी नेटवर्क में उनका बैंक देश में दुसरे स्थान पर है। उनके बैंक की सबसे खास बात यह है कि उनका उपभोक्ता देश की किसी भी ब्रांच से अपने खाते का संचालन कर सकता है। बैंक के शाखा प्रबंधक रोहित गुप्ता ने सभी का अभिनंदन किया तथा आश्र्वासन दिया कि उपभोक्ताओं को उनके बैंक की तरफ से कोई दिक्कत नहीं आएगी।

26.3.10

बसपाईयों ने फूंका मानसिंह मनहेड़ा का पूतला


सफीदों, (हरियाणा) : सफीदों में बसपा के प्रदेश महासचिव राजसिंह चौहान की अध्यक्षता में के बसपा वर्करों ने अपनी ही पार्टी के प्रदेश प्रभारी मानसिंह मनहेड़ा का पूतला फूंका बसपा वर्कर कस्बे के बस स्टैंड पर इकट्ठा हुए तथा मानसिंह मनहेड़ा के खिलाफ जोरदार नारेंबाजी करते हुए उनका पूतला फूंक डाला। वर्करों को संबोधित करते हुए बसपा के प्रदेश महासचिव राजसिंह चौहान ने कहा कि आज हरियाणा प्रदेश में मानसिंह मनहेड़ा के खिलाफ आंदोलन तेज होता जा रहा है। पार्टी की अध्यक्षा मायावती ने मानसिंह मनहेड़ा को हरियाणा का प्रभारी बनाकर भेजा था लेकिन मनहेड़ा ने पूरें हरियाणा में बसपा को कांग्रेस के हाथों बेचकर मायावती की पीठ में छूरा घोपने का काम किया है। मानसिंह मनहेड़ा ने प्रदेश के दलित समाज कों धोखा दिया है प्रदेश का दलित समाज किसी भी सूरत में मनहेड़ा की घटिया राजनीति को बर्दास्त नहीं करेगा उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों में बसपा को जो भी वोट मिले वह मनहेड़ा के नाम पर नहीं बल्कि कुमारी मायावती के नाम पर मिले हैं। लोकसभा चुनावों में मनहेड़ा ने बिना वर्करों की सलाह के अपनी मनमर्जी से कांग्रेस पार्टी से मिलकर टिकट बांटे जिसका परिणाम यह हुआ कि प्रदेश में पार्टी का वोट प्रतिशत था वह कम हुआ उन्होंने कहा कि मानसिंह मनहेड़ा की तानाशाही से तंग आकर काफी वर्करों ने पार्टी को अलविदा कह दिया हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मनहेड़ा कांग्रेस पार्टी का एजेंट है तथा उन्हे सिर्फ पैसे से प्यार है।