5:36 pm
Randhir Singh Suman
हाकी के जादूगर मेज़र ध्यानचंद
कुंवर दिग्विजय सिंह देश के राष्ट्रीय खेल की वर्तमान में क्या दशा है इसका आंकलन वर्तमान में देश की सरजमीं पर चल रही विश्व कप प्रतियोगिता से भली-भांति लगाया जा सकता है जब उसके सातवें स्थान पर आने की आशा पर हांकी संघ के पदाधिकारी व खिलाड़ी गर्व की अनुभूति प्रदर्शित करते दिखलाई दे रहे हैं। हांकी के लिए हमारी सरकार के दिल में क्या जगह है और इसका क्या सम्मान है इसका एक उदहारण यह है कि दिल्ली में आयोजित विश्व कप प्रतियोगिता के प्रसारण अधिकार टेन स्पोर्ट्स चैनल को बेंच दिया गया है जो बड़े घरों की जीनत है।
किसी भी खेल की लोकप्रियता की अलख जगाने के लिए उसके प्रचार प्रसार का महत्वपूर्ण योगदान रहता है और यह गौरव हो और यह पतन की ओर जा रहा हो। जी हाँ हम बात कर रहे हैं अपने राष्ट्रीय खेल हाकी की जिसके स्वर्णिम इतिहास का कीर्तिमान पूरे विश्व में स्थापित करने में हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद व कुंवर दिग्विजय सिंह का महत्वपूर्ण योगदान व अथाह परिश्रम रहा है।
वर्ष 1980 के मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के पश्चात एक भी ऐसा अवसर नहीं आया जिस पर देशवासी गर्व कर सकें। वह चाहे एशियाई खेल हो या विश्व कप वह चाहे चैंपियंस ट्राफी हो या सैफ खेल । सभी प्रतियोगिताएं में हमारे राष्ट्रीय खेल की प्रतिष्ठा तार-तार होती रही और हमारा हाकी संघ के पदाधिकारी अपनी बदनीयती के कारण एक दूसरे के गिरहबान में ही झांकते रहे। एक पत्रकार आशीष खेतान ने स्टिंग ऑपरेशन कर के हाकी संघ के भीतर फैले भ्रष्टाचार के जाल को सही समय पर चक दे इंडिया नाम की अपनी रिपोर्ट के शीर्षक के माध्यम से उजागर करने का प्रयास किया था बावजूद इसके कोई सुधार हमारी कार्यप्रणाली में नहीं आया और स्तिथि अब यहाँ तक आ पहुंची है की टीम के खिलाड़ी ब्लैक मेलिंग पर उतर आये हैं ।
लोगों के दिलों में खेल के प्रति लोकप्रियता जगाने के लिए एक माहौल मीडिया द्वारा उत्पन्न कराया जाता है और खेल का सजीव प्रसारण इस का सशक्त माध्यम है परन्तु राष्ट्रीय खेल हाकी को इसके गौरवमयी इतिहास की और पुनः वापसी के लिए हमारी सरकार और उसका खेल मंत्रालय जरा सा भी चिंतित नहीं है और न ही हाकी के प्रति युवाओं में अभिरुचि जाग्रत करने के लिए सरकार के पास योजना है ।अन्यथा सरकार व्यावसायिकता की दौड़ में न शामिल होकर राष्ट्रीय खेल हाकी का प्रसारण अधिकार दूरदर्शन के पास ही रखती जिससे हाकी के खेल का व्यापक प्रचार-प्रसार होता ।
-मोहम्मद तारिक खान
4:15 pm
Randhir Singh Suman
दो त्योहार होली एवं ईदे मीलाद अभी अभी गुजर गये, दुख का त्योहार मुहर्रम कुछ समय पूर्व खत्म हुआ, हमारा दावा तो यही है, और सही भी है, कि यह सब बुराई पर अच्छाई की विजय एवं सामाजिक सदभावना बढ़ाने वाले हैं, परन्तु समाज में हम प्रत्येक अवसर पर क्या देख रहे हैं? दंगे, हुड़दंग, हत्यायें, आगजनी, कुरान, गीता, बाइबिल हमें अच्छी शिक्षायें देती हैं। शायर कहता है-
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
हम अपने इस विश्वास पर आग्रह करते हैं कि आज हम भौतिक रूप से बराबर आगे बढ़ते चले जा रहे हैं लेकिन मानवता विलुप्त होती जा रही है। बिना मानवता के प्रगति पर विनाश के बादल मंडराते रहेंगे, यदि कोई गांव विकास में पूरी तरह संतृप्त हो जाय, धन दौलत से सब भरे पुरे हो, सारी सुख सुविधायें उपलब्ध हो मगर सभी एक दूसरी को चैन से न रहने दें, लड़ते-भिड़ते रहें एक दूसरे की हत्यायें करें, माल लूटते रहें तो गांव का वैभव कितने दिन बांकी रह सकेगा। यही हाल देश का होगा, अराजक तत्व, आतंकवादी प्रगति को दुरगति में बदल देंगे। किसी संस्कृत भाषा के दार्शनिक ने पाप-पुण्य की कैसी अच्छी परिभाषा प्रस्तुत की थी। परोपकाराय पुन्याय पापाय परपीड़नम। तुलसीदास जी ढोल, गंवार शुद्र, पशु नारी की ताड़ना को लेकर बदनाम अवश्य हैं परन्तु उनकी यह सीख यदि चरित्र में उतार ली जाये तो दुनिया बदल जायेगी
आदमी दानव से मानव बनने की तरफ कदम आगे बढ़ायेगा
परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा समनहिं अधमाई।
-डॉक्टर एस.एम हैदर
4:11 pm
Randhir Singh Suman
बच्चों से परीक्षाओं में अन्य प्रश्नों के अतिरिक्त कभी कभी ये दो सवाल भी पूछे जाते हैं एक यह कि किसी देश का राष्ट्रीय खेल कौन सा है, दूसरा यह कि मुख्य व्यवसाय क्या है, यदि अमेरिका के बारे में कोई मुझ से यह प्रश्न करें तो मैं बेधड़क पहले के जवाब में यह कहूंगा कि उसका खेल दूसरें देशों पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से आक्रमण करना, खून खराबा करवाना, आतंक फैलाना तथा दादागिरी करते रहना है, मुख्य व्यवसाय से पहले एक देश को लैस करके क्षेत्र में असंतुलन की स्थिति पैदा कर देना, फिर शिकायत करने पर उसके मुकाबले वाले देश को भी सप्लाई दे देना, फिर दोनों को गेम करना, लड़वाना और दोनों के हथियारों को एक दूसरे पर दगवाना और इस प्रकार दोनों पर धौंस गाठना और अपना उल्लू सीधा करना।
इधर अखबारों में एक खबर आई है कि जिसके लिये मुझे इतनी भूमिका की जरूरत पड़ी पाकिस्तान के साथ हथियारों के व्यापार के लिये अमेरिका ने अपनी चालाकी से एक स्थिति बनाई, पहले उसने विदेश सचिव स्तर की वार्ता को जोड़ने के लिये पहली बार बैठे उसी के बाद उसने पाकिस्तान को लेजर गाइडेन्ट बम किट, 12 ड्रोन, 18 एफ-16 लड़ाकू विमान, तथा स्मार्ट बम बनाने के उपकरण देने का फैसला कर लिया तथा उसकी सैन्य मदद 70 करोड़ डालर से बढ़ाकर 120 करोड़ डालकर कर दी। सभी को पता है कि अमेरिका ने कहां कहां दखल अंदाजी अब तक की है ऐसे देशों की एक लम्बी सूची है। भारत जब इसकी शिकायत करेगा तो अमेरिका तुरन्त भारत पर भी मेहरबानी करेगा। गालिब ने सच कहा था
हुए तुम दोस्त जिसके, दुश्मन उसका आसमां क्यो हो।
डॉक्टर एस.एम हैदर
5:03 pm
Randhir Singh Suman
हिन्दू, मुसलमानों व अन्य धर्मों के अधिकांश नेता मोलवी, मौलाना, मुफ्ती, पंडित आदि ने अक्सर अपने श्रद्धालुओं का शोषण किया है तथा अपने स्वार्थों व ऐश आराम को वरीयता दी है, अकबर इलाहाबादी का एक सटीक शेर देखिये-
पका लें पीस कर दो रोटियां थोड़े से जौ लाना।
हमारी क्या है भाई! हम न मुफ्ती हैं न मौलाना।
धर्म का दुरूपयोग अगर न होता तो लाखों लोग जिहाद, धर्मयुद्ध और होली वार के नाम पर मौत के घाट न उतारे गये होते। धर्म ही के नाम पर अकसर कुरीतियों अंध विश्वासों ने जन्म लिया, परन्तु यह दोष धर्म का नहीं, धर्म का धन्धा करने वालों का है।
मुसलमानों की एक प्रभावशाली संस्था आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से किया गया यह ऐलान स्वागत योग्य है कि बोर्ड अपनी आगामी लखनऊ की बैठक में जो मार्च 2010 के दूसरे पखवारे में आयोजित होगी, इसमें कुछ प्रस्ताव इस बात के पास करेगा कि मुस्लिम समाज कुरीतियों को खत्म करें, महंगी शादियाँ न करें, दहेज का लेन-देन न करे तथा कन्या भ्रूण हत्या जैसे पाप से बचे। मैंने देखा है कि कुछ सुधारवादी हिन्दू संस्थाये सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित करती है, इसको भी सभी धर्मावलम्बियों को अपनाना उचित होगा। बोर्ड तो बहुत से हैं, शिया पर्सनल ला बोर्ड, महिला पर्सनल ला बोर्ड, लेकिन सभी के अपने अपने स्वार्थ हैं, किसी ने भी अब तक कोई सुधारवादी कार्य नहीं किया है और ये भी भ्रष्टाचार में लिप्त हुए हैं।
मैं बोर्ड के आगामी प्रस्ताव का स्वागत करता हूँ परन्तु प्रस्तावमात्र से कुछ होने वाला नहीं है जब तक उस पर अमल न हो, और कोई ऐसा तंत्र न हो जो क्रियान्वयन के प्रति जिम्मेदारी निभायें।
एक बात यह भी हो सकती है कि कोई भी धर्मगुरू उस विवाह समारोह का बहिष्कार करें और निकाह न पढ़े जहां समारोह को भव्य बनाया गया हो और उसे स्टेटस सिम्बल का दर्जा दिया गया हो एवं सादगी का उलंघन हो। बहरहाल प्रस्ताव के अस्त्र को धारदार बनाया जाये ताकि हम यह न कह सकें-लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
-डॉक्टर एस.एम हैदर
4:48 pm
Randhir Singh Suman
सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री श्री कमल नयन काबरा की शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक 'आम आदमी - बजट और उदारीकरण' प्रकाशन संस्थान नई दिल्ली से प्रकाशित हो रही है जिसकी कीमत 250 रुपये है उसी पुस्तक के कुछ अंश नेट पर प्रकाशित किये जा रहे हैं।
-सुमन
इस पर गर्व करने वाले यह भुला देते हैं कि लगभग 52 लाख करोड़ रूपयों की वर्तमान चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय का यह खर्च बमुश्किल पाँचवा हिस्सा ही है और कुछ अरसे पहले तक देखे गये तीस प्रतिशत के स्तर से गिरावट दिखाता है। वैश्विक मन्दी, भारत पर इसके कुप्रभाव, राष्ट्रीय दीर्घकालीन समस्याओं के जटिलतर और व्यापक होते आयामों , सरकारी खर्चं की घटती प्रभावशीलता तथा इसमें हो रहे बड़े-बड़े सुराख, जनाकांक्षाओं में वृद्धि तथा मूल्यगत स्तर पर स्वयं सरकारों और शासक दलों की घोषित प्रतिबद्धताएँ और नीतियाँ यह रेखांकित करती है कि सरकारी भूमिका सापेक्ष तथा निरपेक्ष दोनों स्तरों पर बढ़े। यहाँ तक कि राष्ट्रीय आय में सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा गिरकर 25 प्रतिशत के 2000 के अंक से जब करीब 21 प्रतिशत रह गया है। जाहिर है निजीकरण तथा गैर-बराबरी का दायरा बढ़ा हैं। याद दिलाया जा सकता है कि हाल ही में भारत ने भी जी-20 के अन्य देशों के साथ यह माना था कि हम बाजारवादी कट्टरता से मुक्त हों तथा ग्रोथ के टिकाऊपन के लिए उसमें व्यापक भागीदारी लाएँ। सरकार और सामाजिक उद्यमिता मिलकर शैडो- बैंकिंग तथा नियमविहीन वित्तीयकरण से छुट्टी पाकर ही एक अनावश्यक उतार-चढ़ावपूर्ण आर्थिक स्थिति से बच सकते है। भारत की बजट नीतियों कके स्थायित्व, समष्टिगत सन्तुलन और वृद्धि-दर की रफ्तार बढ़ाने से कम जरूरत समावेशी विकास की नहीं मानी गयी है। पाठ्य-पुस्तकों वाले अर्थशास्त्र से बाहर आने पर यह नजर आता है कि सामाजिक यथार्थ, सरकारों और उद्देश्यों की जमीन पर महँगई, बेरोजगारी,विषमता, असमावेशीकरण तथा पर्यावरण संरक्षण- सन्तुलन आदि से निपटना ज्यादा बड़ी चुनौतियाँ हैं। हमारे नीतिकारों के आदर्श धनी देशों तथा चीन ने सरकारी खर्च में बहुत इजाफा किया है, परन्तु हमारी बाजारवादी हठधर्मिता बरकरार है। बजट के निर्माता ऐसी जरूरतों को स्वीकारते हैं। यहाँ तक कहा गया है कि समावेशी और समतापूर्ण विकास सन् 2009 के चुनावों के मुख्य जनादेश है।
क्या सरकारी खर्च तथा सम्पन्न और दिन-ब-दिन सम्पन्न होते जा रहे तबकों से प्राप्त कर राजस्व सीमित रखकर आय तथा सम्पत्ति पुनर्वितरण को एक अस्वीकार्य नीति मानते हुए हम वास्तव में विद्यमान ढाँचें में वृद्धि-दर की तेज रफ्तार द्वारा जन-कल्याण के आंशिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ा सकते हैं? खासकर उच्चतम आय कर दर को घटाकर हम उन समृद्ध तबकों की ही उपकृत कर रहे हैं।क्या पूरी तरह पारम्परिक लीक पीटते बजट के फलितार्थ और इसके प्रावधानो के औचित्य की परख इसी कसौटी पर की जा सकती है? वैसे आज तक, खासकर सन् 1980 के बाद हम इन दो नावों पर एक साथ सवारी कर रहे हैं। अपरिवर्तित वर्तमान आर्थिक- सामाजिक ढांचे मे हम ’ग्रोथ’ की नाव के साथ-साथ ’समावेशीकरण’ की नाव पर भी सवार होना चाहते है। ताकि आर्थिक बढ़ोतरी की नाव में बैठकर हम पिछड़ेपन, गरीबी, विषमता आदि के विकराल सैलाब को पार कर सकें। ख्याली पुलाव का सहारा न सरलता से और न ही जल्दी छूट पाता है। आजकल हम बजट के प्रावधानों पर कम और उसके नतीजों पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। सही भी है। वित्त मंत्री ने अपनी तीसरी चुनौती के रूप में आज भी शासन-प्रबन्ध की प्रभावशीलता, खरेपन, पारदर्शिता आदि पर समुचित जोर दिया हैं।इस नजरिए से देखने पर बजट के सभी पक्षों(राजस्व, व्यय उनके क्षेत्र और प्रदर्शनवार आवंटन, सहायक नीतियों, कार्यक्रमों) पर समग्र और समन्वित रूप से विवेचन करके ही बजट के चरित्र उसकी दिशा और दशा को समझा जा सकता है।
उपरोक्त नजरिए से देख सकना बजट के तुरन्त बाद के विवेचन में पूरी तरह सम्भव नहीं हो सकता है, परन्तु एक रास्ता इस कठिन काम में थोड़ी मदद कर सकता हैं। इस साल का बजट किसी भी रूप में कोई नवीनता अथवा नवाचार से युक्त नहीं है। हाँ, आज देश के वैश्विक, आर्थिक, सामाजिक ज्वलन्त प्रश्न अवश्य नया गुणात्मक रूप धारण कर चुकें है। सारी दुनिया में बाजार और अतिवित्तीकृत, नियमनविहीन पूँजीवादी धनी और गरीब देशों के संकट और आम इंसान पर इसकी पुरजोर दोहरी मार ने खलबली मचा रखी है। विचारों, नीतियों और कार्यक्रमों के स्तर पर सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था के अति-वैश्वीकरण (जीडीपी के 47 प्रतिशत तक) और उदारीकरण के यथार्थ को नामंजूर नही करती हैं। इन नीतियों के नतीजे बेरोजगारी,विषमता, बाहरी थपेड़ों की चपेट से नहीं बच पाने आदि के रूप में अनेक सरकारी और अन्तर्राष्ट्रीय आकलन मान चुके हैं। कुछ आधिकारिक अध्ययन तो इन मामलों में स्थिति के बदतर होने के आँकड़े भी देते हैं। सबको कुछ न कुछ परोसने और किसी पर भी भारी बोझ नहीं डालने की तात्कालिक बधाइयाँ बटोरने की ’समझदारीपूर्ण’ राजनीतिक नीति लागू की गयी है। इस तरह हम कहाँ मे सम्पन्न वर्गो की चहेती ऊँची ग्रोथ दर और आम आदमी की जरूरत समावेशीकरण की नीति के लक्ष्य को साथ-साथ पूरा कर पाएँगे?
-कमलनयन काबरा
2:38 pm
Mahavir Mittal
सफीदों, (हरियाणा) : व्यापारियों के साथ किसी भी तरह की ज्यादती नहीं होने दी जाएगी। यह बात प्रदेश के परिवहन मंत्री ओमप्रकाश जैन ने कही। वे सफीदों (हरियाणा) की पुरानी अनाज मंडी में व्यापार मंडल द्वारा आयोजित समान समारोह में बोल रहे थे। इस समेलन की अध्यक्षता पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने की। कार्यक्रम में हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के सफीदों अध्यक्ष राजकुमार मिाल सहित काफी व्यापारियों ने ओमप्रकाश जैन व बचन सिंह आर्य का शाल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार व्यापारियों की भलाई के लिए दिनरात प्रयासरत है तथा सरकार ने व्यापारिक हितों के लिए बहुत से कार्य किए है। पिछली सरकारों में व्यापारियों के साथ बहुत जुल्म हुए थे, लेकिन आज प्रदेश में लॉ एण्ड आर्डर की स्थिति बेहद अच्छी है तथा व्यापारी को हुड्डा सरकार में कोई खतरा नहीं है। चौटाला सरकार में व्यापारियों को सरेआम लूटा व पीटा जाता था लेकिन मुチयमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश से गुंडातत्वों को सफाया करके व्यापारियों को बिना भय के कार्य करने का मौका दिया है। भय व भ्रष्टाचार खत्म होने के कारण प्रदेश में व्यापार बढ़ा है तथा बड़ेबड़े उनोग धंधे स्थापित हुए हैं। चौटाला सरकार में जो उनोग धंधे पलायन कर गए थे वे धंधे वापिस आ रहे हैं। हुड्डा सरकार व्यापारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है। हरियाणा सरकार का नजरिया व्यापारियों के प्रति बेहद अच्छा है। उन्होंने कहा कि व्यापारी वर्ग एकता के सुत्र में बंधकर रहें, योंकि एकता से ही उनके संगठन को शति मिलती है। व्यापारी ही देश, समाज व सरकार की ताकत होता है। कोई भी सरकार है, वह केवल व्यापारी के सहारे पर ही चलती है। देश में हो रहा विकास केवल व्यापारियों के दम पर ही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर किसी भी व्यापारी को कोई दिकत है तो उसके लिए उनके दरवाजें हमेशा チाुले हुए है। उन्होंने परिवहन महकमें की उपलधियों का जिक्र करते हुए कहा प्रदेश का परिवहन मंत्रालय नई बुलंदियों को छू रहा है। सरकार ने यह निर्णय लिया है कि जल्द ही ख्स्त्र०० बसों को परमिट दिए जाएंगे तथा कई सैंकड़ों बसों को परिवहन बेड़े में शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि परमिट बेरोजगार युवाओं को दिए जाएंगे तथा इन बसों को निर्धारित रूटों पर ही चलना होगा। अगर कोई बस निर्धारित रूट के बगैर चलती हुई पाई गई तो उसके खिलाफ सチत से सチत कार्रवाईअमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की बसों को पूरव् भारत को विशेष्कर धार्मिक स्थलों व पर्यटन स्थलों से जोड़ा जा रहा है। राज्य परिवहन की बसों में यात्रियों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। अगर कोई ड्राईवर या कंडटर यात्रियों के साथ दुर्यव्यवहार करता पाया गया तो उसको किसी भी सूरत में बチसा नहीं जाएगा। उन्होंने विशेष्तौर पर कहा कि कुछ यूनियनों के पदाधिकारी लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं कि राज्य परिवहन का नीजिकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का राज्य परिवहन को नीजिकरण करने का कोई मकसद नहीं है। सरकार का मकसद सिर्फ इतना है कि यात्रियों को यातायात की ज्यादा से ज्यादा सेवाएं उपलध करवाई जाएं। इस मौके पर व्यापारियों ने परिवहन के सामने मांगपत्र रखा। उस मांगपत्र पर गौर करते हुए उन्होंने पानीपत से सफीदों, सफीदों से पानीपत, सफीदों से गोहाना, सफीदों से रोहतक व सफीदों से हरिद्वार सीधी बस सेवा शुरू करने के आदेश दिए। इससे पूर्व उनका सफीदों के जैन समाज ने जैन धर्मशाला में भव्य स्वागत किया। परिवहन मंत्री ओमप्रकाश जैन ने वहां पर विराजमान जैन साध्वी पे्रक्षा एवं उनकी शिष्याओं से आशीर्वाद प्राप्त किया। तदोपरांत उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संसार में महावीर स्वामी, स्वामी दयानंद व महाराजा अग्रसैन जैसे अनेक महात्मा हुए है जिन्होंने समाज को नई दिशाएं प्रदान की है। महावीर स्वामी ने अहिंसा पर बल दिया, स्वामी दयानंद ने बाल विवाह, सतीप्रथा व अंधविश्र्वास जैसी विभिन्न बुराईयों को दूर कियातथा महाराजा अग्रसैन ने समाजवाद का नारा दिया। जैन साध्वियों ने मंगलपाठ सुनाकर परिवहन मंत्री के लिए मंगलकामना की तथा भविष्य में और आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया। वहीं एस.एस. जैन सभा सफीदों व जैन नवयुवक मंडल सफीदों ने परिवहन मंत्री को शाल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर समानित किया। इस अवसर पर मुチय रूप से समाजसेवी राकेश मिाल, सफीदों प्रधान राजकुमार मिाल, आढ़ती एसोसिशन सुपरगंज के प्रधान रमेश जैन, मार्कीट कमेटी पूर्व अध्यक्ष महेंद्र सिंह चट्ठा, उपाध्यक्ष मा. मशाराम, राधेश्याम थनई, रमेश मिाल, सतीश जैन, ईश्वर जैन, बिल्लू सिंगला, रोशनलाल मिाल, ताराचंद जैन, प्रवीण जैन, इस अवसर पर पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य, पालिका प्रधान राकेश जैन, एस.एस. जैन सभा के प्रधान सूरजभान जैन, जैन नवयुवक मंडल के प्रधान सुशील जैन, पूर्व प्रधान सुभाष् जैन, पूर्व प्रधान कश्मीरी जैन, बोबी जैन, एम.पी. जैन एडवोकेट, रमेश जैन, गौरव जैन व मुकेश सहित काफी तादाद में लोग मौजूद थे।
8:14 pm
Mahavir Mittal
सफीदों,हरियाणा (महावीर मित्तल) : कस्बे के वार्ड नंबर सात में एक युवक द्वारा एक युवती को गोली मारकर घायल कर दिए जाने का समाचार प्राप्त हुआ है। पुलिस ने लड़की के पिता की शिकायत पर चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। लडक़ी के पिता राजिंद्र सिंह ने पुलिस में दी शिकायत में कहा कि कुछ दिन पूर्व कस्बे के वार्ड नंबर सात का गुरमुख सिंह अपने बेटे समनदीप का रिश्ता उनकी लड़की के साथ करने के लिए आया था। उस वक्त परिवार ने इस रिश्ते को नकार दिया था। शुक्रवार को उनकी लड़की घर के कमरे में बैठी पढ़ रही थी कि अचानक समनदीप सिंह उनके घर घूसा और सीधा लड़की के कमरे में जा पहुंचा। कमरे में पहुंचकर समनदीप सिंह ने लड़की पर ताबड़तोड गोलियां दागनी शुरू कर दी। गोली लगते ही उनकी लड़की की चिल्लाहट निकली। लड़की की चिल्लाहट की आवाज सुनकर जब घर के लोग कमरे में आए तो देखा कि उनकी लड़की लहुलुहान अवस्था में पड़ी थी। घर के सदस्यों को आता देखकर समनदीप सिंह मौके से फरार हो गया। गोली लगने से बुरी तरह से घायल लड़की को तुरंत सफीदों के सामान्य अस्पताल लाया गया जहां डाटरों ने लड़की की गंभीरावस्था को देखते हुए उसे रोहतक मेडिकल रैफर कर दिया। मामले की सूचना पुलिस को दी गई। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची तथा घटनास्थल का जायजा लिया। घर में कमरे का सारा फर्श खून से लथपथ था। पुलिस ने लड़की के पिता राजेंद्र सिंह की शिकायत पर समनदीप सहित उसके पिता गुरमुख सिंह, दादा तारा सिंह व मां हरभजन कौर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। बताया जाता है कि लड़की इंजीनियरिंग की छात्रा है। समाचार लिखे जाने तक किसी भी आरोपी की गिरतारी नहीं हुई थी। युवती को गोली मारने का समाचार पूरे कस्बे में आग की तरह से फैल गया तथा घटनास्थल पर लोगों को तांता लगा हुआ था।