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4.2.10

गोविन्द नगर वासियों को पागल सांड द्वारा फैलाए आतंक से गौधन सेवा समिति से दिलाई मुक्ति

सिरसा स्थानीय हिसार रोड क्षेत्र तथा गोविन्द नगर में पिछले कुछ समय से पागल सांड द्वारा फैलाए जा रहे आतंक से श्री मारूति गौधन सेवा समिति के सदस्यों ने गत दिवस मुक्ति दिलाई है। इस सम्बन्ध में आज श्री मारूति गौधन सेवा समिति के अध्यक्ष एवं जीव-जन्तु कल्याण अधिकारी रमेश मेहता ने प्रैसवार्ता को बताया कि गत दिवस पूर्व नगर पार्षद एवं समाज सेवक राजेन्द्र मकानी ने पागल सांड द्वारा फैलाए जा रहे आतंक के बारे में उन्हें जानकारी दी कि उक्त सांड पिछले दो माह से दर्जनों महिलाओं, पुरूषों व बच्चों का गभीर रूप से घायल कर चुका है। इसी क्रम में गत दिवस इसी सांड ने दो व्यक्तियों को बुरी तरह घायल कर दिया जिन्हें ईलाज के लिए हस्पताल भेजा गया। श्री मेहता ने बताया कि इसकी सूचना मिलने पर वे अपनी समिति के सदस्यों के साथ मौके पर पहुंचे व खैरपुर पशु चिकित्सालय के इंचार्ज डॉ० विद्याधर बांसल को मौके पर बुलाया तथा इसके बाद डा० बांसल ने अपनी टीम के सदस्यों के सहयोग से उक्त पागल सांड को इंजैक्शन के माध्यम से बेहोश करके उसे नगर परिषद के अधिकारी विद्याधर के सहयोग तथा पुलिस विभाग की क्रेन की मदद से कड़ी मशक्कत के बाद चौ० देवीलाल गौशाला में भेजा। इस घटनाक्रम के पश्चात उक्त सांड से भयभीत सभी क्षेत्रवासियों ने राहत की सांस ली तथा समिति के प्रधान रमेश मेहता तथा पूर्व नगर पार्षद राजेन्द्र मकानी की आभार जताया।

3.2.10

अब पशु भी हिन्दू मुसलमान होने लगे

अब कातिलों को भी जाति और धर्म के नाम पर पहचान की जा रही है वास्तव में कातिल कातिल है न उसकी कोई जाति है न उसका कोई धर्म है, लेकिन समाज में नियोजित तरीके से जो देश की एकता और अखंडता को नहीं बनाये रखने में विश्वास करते हैं वह लोग कातिलों को हिन्दू, मुसलमान व सिख, ईसाई में बांटने लगे हैं। क्या महात्मा गाँधी की हत्या, श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या, राजीव गाँधी की हत्या क्या हिन्दुवों ने की है ? मैं कहूँगा नहीं संविधान व न्याय कहेगा नहीं, कातिल कातिल है, दंगाई दंगाई है , लुटेरा लुटेरा है, आतंकी आतंकी है। जब कुछ इनकी पैरवी करने वाले लोग जाति और धर्म के नाम पर पैरवी करने लगते हैं और गलत तथ्यों के आधार पर झूंठे आंकड़े पेश करने लगते हैं तो वह किसी कातिल की पैरवी कर रहे होते हैं उसके गुनाह को छोटा करके धर्म के आधार पर दूसरे का गुनाह बड़ा करके बताते हैं। जोश में होश खोकर वह संविधान व देश विरोधी हरकतें करने लगते हैं। विष वृक्षों की नई-नई नर्सरियां पुराने इतिहास के गलत तथ्यों पर तैयार करते हैं उनका राष्ट्रवाद सिर्फ इतना है कि जाति और धर्म, क्षेत्र और भाषा के नाम पर हमारे समाज में युद्ध होता रहे और साम्राज्यवादी शक्तियों के मंसूबे पूरे होते रहे।
अब लोग हिन्दू टाईगर्स भी होने लगे हैं उनकी जानकारी के लिए लिख रहा हूँ कि हिन्दू मैथोलॉज़ी के मानने वाले काफी लोग शाकाहारी हैं और टाईगर्स शुद्ध मांसाहारी है। यह टाईगर किसका मांस खाना चाहता है। अपने देश के किसी नागरिक का ? कल को धर्म के आधार पर टाईगर पैदा होने लगेंगे तब इंसान और इंसानियत क्या रहेगी ? अच्छा यही है कि टाईगर मत बनो, लुप्तप्राय वन्य जीव है। चिड़ियाघर में जगह खाली है रहने का शौक है तो आराम से वहां रहो। हिन्दू टाईगर नहीं होता है वह सौम्य, दयालु करुणामय तथा सर्वे भवन्ति सुखना में विश्वास रखने वाला है

2.2.10

संघ व शिवसेना की नूराकुस्ती


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महाराष्ट्र में शिवसेना मनसे अपने राजनीतिक आधार को बनाये रखने के लिए अपनी विघटनकारी विचारधारा का प्रयोग कर रही है। इस खेल में अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेसी सरकार का भी नैतिक समर्थन मनसे शिवसेना को प्राप्त है अन्यथा मनसे व शिवसेना की कोई हैसियत नहीं है कि वह भारतीय संघ से युद्ध करके रह सके। महाराष्ट्र का आम आदमी भी इन विवादों से दूर है लेकिन कांग्रेस सरकार इन विघटनकारी तत्वों के खिलाफ कोई विधिक कार्यवाही न करके इन तत्वों को बढ़ावा दे रही है। संघ परिवार ने हमेशा दोहरा चरित्र अपनाया है। एक तरफ शिव सेना के हिंदुत्ववादी रुख को समर्थन देती रहती है दूसरी तरफ नए मुखौटे के साथ उत्तर भारतियों को संरक्षण देनी की बात कर रही है। यह क्या संरक्षण देंगे ? भारतीय संघ अगर संरक्षण नहीं दे सकता है तो विघटनकारी तत्वों के संरक्षण संघ परिवार आम आदमी को कैसे संरक्षण दे सकते हैं। संघ के बयान का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि उत्तर भारत में उनके जनाधार को धक्का न लगे।इससे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिव राज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश में दूसरे प्रान्तों के लोग कल कारखानों में कार्य नहीं कर सकते हैं जिस पर व्यापक प्रतिक्रिया हुई और अंत में उनको अपना बयान वापस लेना पड़ा। भाषाई विवाद, प्रांतीयता का विवाद हिन्दू मुसलमान, सिख ईसाई का विवाद खड़ा करके संघ परिवार इस देश की एकता और अखंडता को तार-तार कर देना चाहता है।
ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड व इंग्लैंड सहित कई मुल्कों में वहां के नस्लवादी व विघटनकारी विचारधारा के लोग भारतीयों का विरोध कर रहे हैं वहीँ महाराष्ट्र में उन्ही कि विचारधारा से ओतप्रोत लोग उत्तर भारतीयों का विरोधी कर रहे हैं। यह संकट साम्राज्यवाद का संकट है। उत्तर भारतीय विवाद में संघ परिवार न तो शिवसेना से अपने सम्बन्ध ख़त्म करने जा रहा है। अघोषित रूप से उनके सम्बन्ध आज भी बरकरार हैं और आने वाले दिनों के चुनाव में उनके गठजोड़ होने हैं । यह नूराकुस्ती मात्र दिखावा है और कुछ नहीं।

1.2.10

मौका मिला तो कफ़न नोच लेंगे


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साम्राज्यवादी मुल्कों ने दुनिया के काफी देशों को लूटा है खसोटा है। छोटे से देश हैती को इस कदर साम्राज्यवादियों ने वहां की प्राकृतिक सम्पदा का दोहन किया है कि पर्यावरण व पारिस्थितकी की व्यवस्था ही डगमगा गयी और भयंकर भूकंप आया लाखों लोग मारे गए। अनाथ बच्चों की तादाद कई हजारों में हो गयी अब साम्राज्यवादियों के एक गिरोह को हैती पुलिस ने पकड़ा है जिसके पास से 33 बच्चे बरामद हुए हैं। इन बच्चों को डामिनिकन रिपब्लिक ले जाया जा रहा था।मानव तस्कर हैती में जगह जगह राहत और बचाव के बहाने कैम्प लगाये हुए हैं। जो मानव संसाधन की तस्करी भी कर रहे हैं।
ब्रिटिश साम्राज्यवाद का जब सूरज अस्त नहीं होता था तो वह गुलाम देशों से आदमियों को ले जा कर कमर के नीचे गरम लोहे से नंबर डाल कर छोटे-छोटे मुल्कों में खेती करवाते थे। यूरोप की समृद्धि का राज भी यह है कि मानव को गुलाम बना कर उनकी श्रम शक्ति से अपने वहां कार्य करना ही था उसके एवज में कोई भुगतान नहीं था। आज जब दुनिया हैती के भूकंप पीड़ितों की मदद कर रही है तो साम्राज्यवादी देशों के एजेंट मदद के बहाने अनाथ बच्चों की तस्करी में लगे हुए हैं साम्राज्यवाद जिसका मुख्य उद्देश्य मुनाफा है । मुनाफे के लिए वह हमेशा कफ़न तक नोच लेते हैं ।

31.1.10

भाई ! गाँधी की हत्या कितनी बार करोगे ?


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महान सेनानी मोहनदास करमचंद गाँधी की हत्या आजादी के बाद ब्रिटिश साम्राज्यवाद के पिट्ठू हिंदुत्ववादी शक्तियों ने कर दी थी। अब उन्ही शक्तियों को गाँधी की सूरत गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी में दिख रही है। गाँधी जी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ हुए शांति पूर्ण युद्ध के अद्भुद महानायक थे। गाँधी से हम सहमत हों या न हों यह दूसरी बात है लेकिन गाँधी धर्म निरपेक्षता को बनाये रखने के भी महान सेनानी भी थे। भारतीय संघ को धार्मिक रूप से एक रखने की अदभुद क्षमता थी। अंग्रेजो ने हिन्दू-मुसलमान का जो बीज अपने फायदे के लिए बोया था। गाँधी जी जबतक जिन्दा थे उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा कर उस बीज को पेड़ नहीं बनने दिया। गोडसे प्रतीक ने गाँधी का वध किया था। आज उनके अनुयायीओं को नरेंद्र मोदी में गाँधी की तस्वीर दिखती है। मोदी जी ने गुजरात के अन्दर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का नरसंहार कराया था आज उसी व्यक्ति में अगर गाँधी की तस्वीर दिखती है तो भी वह गाँधी की दूसरी हत्या है।
गाँधी जी के तथाकथित उत्तराधिकारी अमेरिकन साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं। साम्राज्यवाद का मुख्य दुश्मन महात्मा गाँधी थे। अगर उनके तथाकथित उत्तराधिकारी साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं तो यह गाँधी के विचारों का वध नहीं है तो और क्या है ? गाँधी जी के विचार आज पूरी दुनिया में प्रासंगिक हैं अगर उनका सत्य और अहिंसा का प्रयोग उनके अनुयायी अगर अपने जीवन में उतारे होते तो निश्चित रूप से साम्राज्यवादी शक्तियों का शोषण भारतीय जनता को आत्महत्या करने को मजबूर नहीं करता।

30.1.10

संघ का हिंदुत्व


सर्वश्री जमुना प्रसाद त्रिपाठी, चन्दन मिश्र, मनीष मेहरोत्रा नगर पुरोहित भाल चन्द्र मिश्रा

बाराबंकी में सैकड़ों साल पुराना ठाकुरद्वारा का मंदिर शहर के बीच में स्थित है ठाकुरद्वारा ट्रस्ट के पदाधिकारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आदि पुरुष गण हैं । संघ का परिचय उन्ही के नामो से शुरू होता है इन लोगो ने शहर में दंगा करने के लिए मंदिर के अग्र भाग को प्रोपर्टी ड़ीलर नौशाद आलम उर्फ़ चंदा को बेच दिया जिस पर जैसे ही मंदिर टूटना प्रारम्भ हुआ शहर में तमाम तरह की अफवाहें उड़ना शुरू हो गयीं वो तो कहिये की नगर पुरोहित भाल चन्द्र मिश्र, जमुना प्रसाद त्रिपाठी पूर्व अध्यक्ष राज्य कर्मचारी महासंघ, चन्दन मिश्र व समाज सेवी मनीष मल्होत्रा ने स्थित को संभाला और संघ के बाराबंकी के संस्थापको में से एक सूर्य नारायण टंडन को जेल जाना पड़ा।
मंदिर का आगे का बिका हुआ खंड

संघ के लोगो ने प्राचीन मंदिर को प्रोपर्टी ड़ीलर के हाथ कुल रकबा का 60% प्रोपर्टी ड़ीलर को बेच डाला है अब सवाल यह उठता है की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हिंदुत्व सिर्फ हिन्दू धर्म के प्रतीकों को नष्ट करना, धर्म के महान नायकों को राजनीति में उनका इस्तेमाल कर अपमानित करना है । उनका हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नहीं है यह लोग हिटलर की नाजी विचारधारा से प्रेरणा लेते हैं। हिंदुत्व इनकी राजनीतिक विचारधारा है।

29.1.10

हुड्डा सरकार अग्निकाण्ड पीडि़तों को राहत देने की बजाय बेवजह परेशान कर रही है: अजय चौटाला

चंडीगढ़। इनेलो ने हुड्डा सरकार द्वारा डबवाली अग्निकाण्ड पीडि़तों को मुआवजा देने की बजाय अपनाए जा रहे टालमटोल के रवैये की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि इससे सरकार का अमानवीय चेहरा सामने आ गया है। इनेलो के प्रधान महासचिव व डबवाली के विधायक अजय सिंह चौटाला ने कहा कि पिछले हुड्डा सरकार अग्निकाण्ड पीडि़तों के जख्मों पर मरहम लगाने व उन्हें राहत देने की बजाय बेवजह परेशान करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि डबवाली अग्निकाण्ड पीडि़तों को राहत पहुंचाने के लिए पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने जस्टिस टीपी गर्ग आयोग का गठन किया था और आयोग की सिफारिश पर उच्च न्यायालय ने अग्निकाण्ड से पीडि़त लोगों व उनके परिवारों को मुआवजा राशि दिए जाने को लेकर फैसला सुनाया था।
डबवाली के विधायक ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा पिछले साल 9 नवम्बर, 2009 को दिए गए फैसले अनुसार अग्निकाण्ड से पीडि़त लोगों को दिए जाने वाले मुआवजे का 45 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार और बाकी 55 फीसदी हिस्सा सम्बन्धित राजीव मैरिज पैलेस व डीएवी ग्रुप द्वारा अदा किया जाना है। इस मुआवजे की अदायगी अदालती आदेशों के चार महीने के भीतर की जानी है। उन्होंने कहा कि 14 साल पहले हुए इस हादसे से प्रभावित लोगों व उनके परिवारों को अदालती आदेश के बाद मुआवजा मिलने की उम्मीद बनी है लेकिन हुड्डा सरकार अदालत के फैसले का सम्मान करने और प्रभावित लोगों को तुरन्त मुआवजा राशि देकर उनके घावों पर मरहम लगाने की बजाय इस मामले को लटकाने के लिए एक बार फिर से सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी में लगी हुई है।
इनेलो विधायक ने कहा कि 23 दिसम्बर, 1995 को डबवाली के राजीव मैरिज पैलेस में डीएवी स्कूल द्वारा आयोजित किए जा रहे वार्षिक समारोह के दौरान आग लग जाने से स्कूली बच्चों व शिक्षकों सहित करीब 446 लोगों की मौत हो गई थी और 200 के करीब अन्य लोग घायल हो गए थे। इनमें से कई घायलों के चेहरे व शरीर पर अग्निकाण्ड के निशान आज भी ज्यों के त्यों बने हुए हैं और अनेक बच्चों को पिछले 14 सालों से निरन्तर विभिन्न अस्पतालों से अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अदालती फैसले के अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा मुआवजा राशि को जो 45 फीसदी हिस्सा दिया जाना है उनमें से 15 फीसदी बिजली बोर्ड, 15 फीसदी डबवाली नगर पालिका और 15 फीसदी उस समय के उपायुक्त एमपी बिदलान द्वारा दिया जाना है।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला आए करीब पौने तीन महीने हो गए हैं और हुड्डा सरकार ने अदालती फैसले के अनुसार अभी तक पीडि़त लोगों को मुआवजा राशि नहीं दी है बल्कि अब हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रही है ताकि एक बार फिर इस मामले को लटकाया जा सके। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार को इस मामले में तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने की बजाय मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और पीडि़तों के जख्मों पर मरहम लगाते हुए न सिर्फ तुरन्त मुआवजा का भुगतान करना चाहिए बल्कि इस अग्निकाण्ड से पीडि़त बच्चों व उनके परिवारों के पुनर्वास का बन्दोबस्त करते हुए उन्हें सरकारी विभागों में पहल के आधार पर नौकरियां भी दी जानी चाहिए ताकि वे अपना जीवनयापन कर सकें। उन्होंने कहा कि डबवाली के विधायक होने के नाते वे पूरी तरह से अग्निकाण्ड पीडि़तों व उनके परिवारों के साथ हैं और उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा घोषित किया गया मुआवजा दिलवाने के लिए हर सम्भव प्रयास करेंगे।