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25.1.10

लो क सं घ र्ष !: गणतंत्र दिवस पर विशेष: बोलो देश बंधुओ मेरे .......


अंधे भूखे अधनंगे जो, फुटपथों पर रात बिताएं
बोलो देश बंधुओं मेरे, वे कैसा गणतंत्र मनाएं
पेट की आग बुझाने खातिर, जो नित सुबह अँधेरे उठकर
अपना-अपना भाग बटोरते, कूड़े के ढेरों से चुनकर
गंदे नालों के तीरे जो, डेरा डाले दिवस बिताएंबोलो देश......
बिकल बिलखते भूखे बच्चे, माओं की छाती से चिपटे,
तन पर कुछ चीथड़े लपेटे, सोये झोपड़ियों में सिमटे
दीन-हीन असहाय, अभागे, ठिठुर-ठिठुर कर रात बिताएंबोलो देश..........
जिनका घर, पशुधन, फसलें, विकराल घाघरा बहा ले गयी
कोई राहत, अनुदान नहीं, चिरनिद्रा में सरकार सो गयी
सड़क किनारे तम्बू ताने, शीत लहर में जान गवाएंबोलो देश .........
वृद्ध, अपंग, निराश्रय जिनको, सूखी रोटी के लाले हैं,
उनके हिस्से के राशन में, कई अरब के घोटाले हैं
वे क्या जन गण मंगलदायक, भारत भाग्य विधाता गायेंबोलो देश......
बूँद-बूँद पानी को तरसें , झांसी की रानी की धरती
अभी विकास की बाट जोहती बुंदेले वीरों की बस्ती
जहाँ अन्नदाता किसान, मजदूर करें आत्महत्याएंबोलो देश..........
तीस साल के नवजवान जो, वृद्धावस्था पेंशन पाएं
सत्तर साल की वृद्धा, विधवा, भीख मांगकर भूख मिटायें
पेंशन मिला कौनो कारड़, रोय-रोय निज व्यथा सुनाएंबोलो देश ....
रात-दिवस निर्माण में लगे, जो श्रमिक कारखाने में
जिनकी मेहनत से निर्मित, हम सोते महल, मकानों में,
खुले गगन के नीचे खुद, सर्दी, गर्मी, बरसात बिताएंबोलो देश........
माघ-पूष में जुटे खेत में, जो नित ठण्ड शीत लहरी में,
तर-तर चुए पसीना तन से, जेठ की तपती दो पहरी में
हाड-तोड़ परिश्रम करेंमूल सूखी रोटी नमक से खाएंबोलो देश........

मोहम्मद जमील शास्त्री

Kashmiri Hindus

Kashmiri Pandits seek US govt help in the rehabilitation of Kashmiri Pandits in Panun Kashmir


International Kashmir Federation (IKF) marked the 20th year of the Kashmiri Pandit exodus which began in January 1989 on the U.S. Capitol Hill. IKF met with the State Department officials and members of Congress and Senate on January 20 and January 21for assistance with the rehabilitation of Kashmiri Pandits. A memorandum was submitted to the Secretary of State which read:



Kashmiri Pandits hail from Kashmir, the northernmost area of India and have been struggling for past two decades as refugees in their own country. "In fact, today marks the day two decades ago, when 350,000 Kashmiri Hindus, called Kashmiri Pandits, were driven away after thousands were murdered and raped.



We call it the Exodus Day for Kashmiri Pandits, which is recognized throughout the world to remember those unfortunate people as well as bring awareness to this issue. Right at the moment, thousands of these uprooted people are living in other parts of India as refugees. In direct violation of the Constitution of India and the United Nations Charter, the Kashmiri politicians have denied the basic human rights to Hindus.



They have also purposely created an atmosphere of uncertainty and insecurity so that like Hindus, Sikhs and secular Muslims of Kashmir region, the Hindus of Jammu and adjoining cities feel extremely unsafe and helpless and are forced to leave their homes and hearths en mass.







From left to right Deepak Ganju, Ishani Chaudhary, Maharaj Kaul, Michael Owens, Jeevan Zutshi

The Government of India has not made an effort to rehabilitate the Pandit refugees in their own country. It has been only talking about their return without any consideration for their safety. The only thing the Government must do is to carve out a safe haven for this minority community in Kashmir. This safe haven, also called 'Panun Kashmir' meaning 'My Kashmir' will allow the Kashmiri Hindus promote their culture in safety.



The first requirement is survival, culture comes later. Kashmiri Pandits want to return to Kashmir because, first, they have lived there for thousands of years; second, because their jobs are there; third, because the backdrop of their ethos is there.



This community is scattered all around India and is very quickly losing its culture and heritage. By carving out this land in the Indian State of Kashmir, the Government of India would be allowing this intellectual and very educated community to live without fear of persecution.



The Government of India needs to address the question of the social, political and economic aspirations of the community, which must be considered as an indispensable component of any future settlement on Kashmir.







From left to right Deepak Ganju, Maharaj Kaul, Michael Owens, Jeevan Zutshi

"Twenty years have passed and our people are still disenfranchised politically, socially and economically. More than 45,000 people are still in camps. The State Government of Jammu and Kashmir has been busy making false promises while Government of India has been consistent with a policy of appeasement", said Jeevan Zutshi, the Chairman of International Kashmir Federation, an international body of Kashmiri Pandits fighting for the survival of their community. IKF delegates came from New York, California, Washington, D.C and Florida.



They met with Deputy Assistant Secretary of State Michael Owen on the morning of Thursday January 21st for more than an hour. Maharaj Kaul, IKF delegate from New York started the meeting with the history of ancient Kashmir up to 1947 and Pakistan's insurgency and indoctrination of the muslim majority community in Kashmir, which otherwise was an example of religious harmony and co-existence.



Deepak Ganju, IKF delegate from Florida and the past President of Kashmiri Overseas Association (KOA) talked about the deplorable state of the Kashmiri pandit refugees in camps in Jammu. Mr. Owens was familiar with the Kashmir Problem but was appalled at the level of adversity faced by Kashmiri Pandits.







From left to right Deepak Ganju, Mike Honda, Maharaj Kaul, Jeevan Zutshi

Jeevan Zutshi talked about various resolutions and declared that the only solution to the present crisis was to carve out a separate land for Kashmiri Pandits and other nationalistic and peace loving Indians within Kashmir.



"Kashmir is the home to 750,000 Pandits and making an enclave for them within Kashmir will provide a legal territory and they have can feel a high level of security so they feel they belong in their ancient land where they have been for thousands of years. This land will be administered by the Central Government of India."



IKF then had a candid discussion with Congressman Mike Honda who admitted only knowing of the Kashmir Problem through an international Symposium convened by Mr. Zutshi in 2003 and attended by Jim McDermott, Terrista Schaffer, Congressman Pete Stark and various think tanks.



Mr. Honda was very receptive to the plight of Kashmiri Pandits in India and promised his support.



IKF then briefed Republican Congressman Ed Royce, Congressman Frank Pallone, Congressman Jerry McNerney and Senator Sherrod Brown of the Kashmir Problem and the Panun Kashmir movement.



"It was a very successful set of meetings in which the plight of Kashmiri Pandits was front and center. It was also an achievement that they were further educated on the Kashmir Problem and Panun Kashmir solution", said Jeevan Zutshi.

इस दुनिया में सबकुछ नियम से होता है .. संयोग या दुर्योग कुछ नहीं होते !!

इतने लंबे विकास के क्रम के बावजूद मानव जीवन में मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर लोगों के मन में भय के उपस्थित होने के कारण समाज में कई प्रकार की बुरी मान्‍यताएं , बुरी प्रथाएं आती जाती रही , ये तो विभिन्‍न उदाहरणों और कहानियों द्वारा हमारे सामने रखी जाती हैं , जिसे दूर करने के लिए समय समय पर हमारे समाजसेवियों ने संघर्ष भी किया , कई दूर भी हुईं , फिर भी आज भी कई मान्‍यताएं अच्‍दे और बुरे रूप में समाज में मौजूद हैं , इसे स्‍वीकारने में मुझे कोई आपत्ति नहीं। आज अन्‍य क्षेत्रों की तरह ही ज्‍योतिष जैसा पवित्र विषय भी बहुत सारे स्‍वार्थी लोगों के द्वारा अपने स्‍वार्थ की पूर्ति का एक साधन बन गया है , एक तो यहां सच्‍चे अध्‍येताओं की कमी भी है , जो  हैं भी तो उनके सामने कई प्रकार के प्रश्‍न मुहं बाए खडे हैं , समाधान की कोई जगह नहीं , इसके कारण आज के युग के हर विज्ञान के समानांतर इसमें अध्‍ययन नहीं हो पा रहा , जिससे इसकी कुछ कमियों को स्‍वीकारने में मुझे परहेज नहीं , पर हमारे वैदिककालीन ग्रंथों में चर्चित वेदों को नेत्र कहा जानेवाला ज्‍योतिष अंधविश्‍वास कैसे हो गया , यह आजतक तो मेरी समझ में नहीं आया।

जिस प्रकार एक ज्‍योतिषी किसी प्रयोगशाला में प्रयोग कर ग्रहों के प्रभाव को प्रमाणित करने में असमर्थ हैं , उसी प्रकार वैज्ञानिक भी ये स्‍पष्‍ट नहीं कर पाते कि ग्रहों का प्रभाव जड चेतन पर नहीं पडता है , यही कारण है कि लोगों की भ्रांति नहीं दूर हो पाती। जब किसी प्रकार की भ्रांति दूर ही न की जा सके , तो फिर पत्र पत्रिकाओं में या टी वी चैनलों में ज्‍योतिष के कार्यक्रमों का जनसाधारण के लिए कोई उपयोग नहीं रह जाता। हां , पाठकों के भ्रम के कारण , कि शायद इस बार कोई निष्‍कर्ष निकलकर सामने आए , चैनलों को उनके उद्देश्‍य के अनुरूप विज्ञापन के द्वारा बडे लाभ की व्‍यवस्‍था अवश्‍य हो जाती है। मीडिया को ही क्‍या दोष दिया जाए , आजतक सरकार या जनता ने भी कभी ज्‍योतिष की परीक्षा के लिए सार्थक कदम नहीं उठाए हैं, ज्‍योतिष की विवादास्‍पद स्थिति के यही सारे कारण है, आगे पढें ।

24.1.10

लो क सं घ र्ष !: गुंडागर्दी का ईनाम

लखनऊ के जिला मजिस्त्रेट अमित घोष की गुंडागर्दी के कारण राज्य कर्मचारियो की हड़ताल हो गयी थी सैकड़ो राजकर्मचारियों के सर फूटे थे करोडो रुपयों का नुकसान हुआ लेकिन समयबद्द वेतनमान के तहत उनको ईनाम के रूप में सरकार सुपर टाइम स्केल में प्रौन्नति की जा रही है कृषि विभाग के जिस कर्मचारी को थप्पड़ों से पीटा था उसके ऊपर फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जा चुका है राज्य द्वारा नियमो कानूनों का उल्लंघन अब आम बात हो गयी है अमित घोष के खिलाफ कमिश्नर की जांच लंबित है जांचें इन अधिकारियों के खिलाफ चलती रहती हैं और इनको प्रोमोशन दर प्रोमोशन मिलता रहता है ये अधिकारिगण अच्छी तरह से जानते हैं कि लोकतंत्र में इनके खिलाफ कुछ नहीं हो सकता है इन अधिकारियों की कार्यशैली आम आदमी की रक्षा के लिए होकर उनका उत्पीडन करने के लिए है गाँव देहात में इन अधिकारियों की भूमिका बहुत ही निंदनीय हो जाती है राजधानी लखनऊ के अगल बगल के जिलो में प्रशासनिक अधिकारियो ने अपनी काली कमाई से फार्म हाउस खोले है और किसानो के पास अब उपजाऊ जमीन का टोटा होता जा रहा है हजारो लाखो एकड़ जमीन के चारो तरफ दीवालें बना कर चौकीदार नियुक्त किये जा चुके हैं अच्छा यह होगा की नए जमीन दारों की जमींदारी की जांच हो तो उनके नए-नए कारनामे जनता के समक्ष आयेंगे

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

23.1.10

तरुणाई के सपने














आज आज़ाद हिंद फौज के मुखिया सुभाष चन्द्र बोस का जन्म दिन है. देश को आज़ादी दिलाने में इनके अप्रतिम योगदान को भला कोई कैसे भुला सकता है. खासकर युवा. वो युवा जिनकी हर देश के उत्थान और सृजन में अहम भूमिका रहि है. उन्हीं के शब्दों में पढ़िए तरुणाई के सपने...
हम इस संसार में किसी उद्देश्य की सिद्धि के लिए, किसी सन्देश को प्रचारित करने के लिए जन्म ग्रहण करते हैं. जगत को ज्योति प्रदान करने के लिए आकाश में यदि सूर्य उदित होता है, वन प्रदेश में सौरभ बिखेरने को यदि दालों में फूल खिलते हैं और अमृत बरसाने को नदियां यदि समुद्र की ओर बह चलती हैं तो हम भी यौवन का परिपूर्ण आनंद और प्राणों का उत्साह लेकर मृत्युलोक में किसी सत्य की प्रतिष्ठा के लिए आए हैं. जो अज्ञात एवं महत उद्देश्य हमारे व्यर्थतापूर्ण जीवन को सार्थक बनाता है, उसे चिंतन एवं जीवन-अनुभव द्वारा पाना होगा.














सभी को आनंद का आस्वाद कराने के लिए हम यौवन के पूर्ण ज्वार में तैरते आएं हैं. कारन, हम आनंद स्वरुप है. आनंदमय मूर्त विग्रह के रूप में इस मर्त्य में हम विचरण करेंगे. अपने आनंद में हम हंसेंगे-साथ ही जगत को भी मतवाला बनाएंगे. जिधर हम विचरेंगे उधर निरानंद का अन्धकार लज्जा से दूर हट जाएगा. हमारे स्फूर्त स्पर्श के प्रभाव-मात्र से रोग, शोक, ताप दूर होंगे.
इस कष्टमय, पीड़ापूर्ण नरकधाम में हम आनद-सागर के ज्वार को खींच लाएंगे.









आशा, उत्साह, त्याग और पुरुषार्थ हममें है. हम सृष्टि करने आएं हैं. क्योंकि सृष्टि में ही आनंद है. तन, मन, बुद्धिबल से हमें सृष्टि करनी है. जो अन्तर्निहित सत्य है, जो सुन्दर है, जो शिव है- उसे सृष्टि पदार्थों में हम प्रस्फुटित करेंगे. आत्मदान में जो आनंद है, उस आनंद में हम खो जाएंगे. उस आनंद का अनुभव कर पृथ्वी भी धन्य हो उठेगी. फिर भी हमारे देय का अंत नहीं है, कर्म का भी अंत नहीं हैं है, क्योंकि----
" जतो देबो प्राण बहे जाबे प्राण
  फुराबे ना आर प्राण;
  एतो कथा आछे, एतो गान आछे
  एतो प्राण आछे मोर;
  एतो सुख आछे, एतो साध आछे
  प्राण हए आछे मोर."
अनंत आशा, असीम उत्साह: अपरिमित तेज़ और अदम्य साहस लेकर हम आएं हैं, इसलिए हमारे जीवन का स्रोत कोई नहीं रोक पाएगा. अविश्वास और नैराश्य का विशाल पर्वत ही क्यों न सम्मुख खड़ा हो अथवा समवेत मानवजाति की प्रतिकूल शक्तियों का आक्रमण ही क्यों न हो, हमारी आनंदमयी गति चिर अक्षुण रहेगी.









हम लोगों का एक विशिष्ट धर्म है, उसी धर्म के हम अनुयायी हैं. जो नया है, जो सरस है, जो अनास्वादित है, उसी के हम उपासक हैं. प्राचीन में नवीनता को, जड़ में चेतना को, प्रौढ़ों में तरुण को और बंधन के बीच असीम को हम ला बैठाते हैं. हम अतीत इतिहास-लब्ध ज्ञान को हमेशा मानने को तइयार नहीं हैं. हम अनंत पथ के यात्री अवश्य हैं, किन्तु हमें अजाना पथ ही भाता है- अजाना भविष्य ही हमें प्रिय है. हम चाहते हैं- ' द राइट टु मेक ब्लंडर्स ' अर्थात ' भूल करने का अधिकार.' तभी तो हमारे स्वभाव के प्रति सभी सहानुभूतिशील नहीं होते. हम बहुतों के लिए रचना-शून्य और श्रीविहीन हैं.
यही हमारा आनंद और यही हमारा गर्व है. तरुण अपने समय में सभी देशों में रचना-शून्य रहा और श्रीविहीन रहा है. अतृप्त आकांक्षा के उन्मांद में हम भटकते हैं, विज्ञों के उपदेश सुनने तक का समय हमारे पास नहीं होता. भूल करते हैं, भ्रम में पड़ते हैं, फिसलते हैं, किन्तु किसी प्रकार भी हमारा उत्साह घटता नहीं और न हम पीछे हटते हैं. हमारी तांडव-लीला का अंत नहीं है, क्योंकि हम अविराम-गति हैं.
हम ही देश-विदेश के मुक्ति-इतिहास की रचना करते हैं. हम यहां शान्ति का गंगाजल छिड़कने नहीं आते. हम आते हैं द्वंद्व उत्पन्न करने,  संग्राम का आभास देने, प्रलय की सूचना देने. जहां बंधन है, जहां जड़ता है, जहां कुसंस्कार है, जहां संकीर्णता है, वहीं हमारा प्रहार होता है. हमारा एकमात्र काम है मुक्तिमार्ग को हर क्षण कण्टक शून्य बनाए रखना, जिससे उस पथ पर मुक्ति-सेनाएं अबाधित आवागमन कर सकें.
मानव-जीवन हमारे लिए एक अखंड सत्य है. अतः जो स्वाधीनता हम चाहते हैं- उस स्वाधीनता को पाने के लिए युगों-युगों से हम खून बहाते आते हैं- वह स्वाधीनता हमारे लिए सर्वोपरि है. जीवन के सभी क्षेत्रों में, सभी दिशाओं में हम मुक्ति-सन्देश प्रचारित करने को जन्में हैं, चाहे समाजनीति हो, चाहे अर्थनीति, चाहे राष्ट्रनीति या धर्मनीति- जीवन के सभी क्षेत्रों में हम सत्य का प्रकाश, आनंद का उच्छ्वास और उदारता का मौलिक आधार लेकर आते रहे हैं.
अनादिकाल से हम मुक्ति का संगीत गुंजाते आए हैं. बचपन से मुक्ति की आकांक्षा हमारी नसों में प्रवाहित है. जनम लेते ही हम जिस कातर कंठ से रो पड़ते हैं, वह मात्र पार्थिव बंधन के विरुद्ध विद्रोह का ही एक स्वर है. बचपन में रोना ही एकमात्र सहारा है. किन्तु यौवन की देहरी पर क़दम रखते ही बाहु और बुद्धि का सहारा हमें मिलता है. और इसी बुद्धि और बाहु की सहायता  से हमने क्या नहीं किया-फिनीसिया, असीरिया, बैबीलोनिया, मिस्र, ग्रीस, रोम, तुर्की, इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, रूस, चीन, जापान, हिन्दुस्तान- जिस- किसी देश के इतिहास के पृष्ठों में हमारी कीर्ति जाज्वल्यमान है. हमारे सहयोग से सम्राट सिंहासनासीन होता है और हमारे इशारे पर वह सभय सिंहासन से उतार दिया जाता है. हमने एक तरफ़ पत्थर-अभिभूत प्रेमाश्रु रूपी ताजमहल का जैसे निर्माण किया है, वैसे ही दूसरी तरफ़ रक्त- स्रोत से धरती की प्यास बुझायी है. हमारी सामूहिक क्षमता से ही समाज, राष्ट्र, साहित्य, कला, विज्ञान युग-युगों में देश-देश में विकसित होता रहा है. और रूद्र कराल रूप धारण कर हमने जब तांडव आरम्भ किया, तब उसी तांडव के मात्र एक पद-निक्षेप से कितने ही समाज, कितने ही साम्राज्य dhool में मिल गए.



                         




इतने दिनों के बाद अपनी शक्ति का अहसास हमें हुआ है, अपने कर्म का ज्ञान हमें हुआ है. अब हमारे ऊपर शासन और हमारा शोषण भला कौन करे ? इस नव जागरण बेला में सबसे महत सत्य है- तरुणों की आत्म- प्रतिष्ठा की प्राप्ति. तरुणों की सोयी आत्मा जब जाग गयी है तब जीवन के चतुर्दिक सभी स्थलों में यौवन का रक्तिम राग पुनः दिख उठेगा. यह जो युवकों का आन्दोलन है- यह जैसे सर्वतोमुखी है, वैसे ही विश्वव्यापी भी. आज संसार के सभी देशों में, विशेषतः जहां बुढ़ापे की शीतल छाया नजर अति है, युवा सम्प्रदाय सर उठाकर प्रकृतिस्थ हो सदर्प मुहिम पर है. किस दिव्य आलोक से पृथ्वी को ये उदभासित करेंगे, कौन जाने ? ओ मेरे तरुण साथियों, उठो, जागो, उषा की किरण वह वहां फैल रही है.
                                                                        २ ज्येष्ठ, १३३०
                                                                       ( सन १९२३ ई.)       
प्रबल प्रताप सिंह

लो क सं घ र्ष !: राज्य की गुंडागर्दी

भारतीय संविधान के अनुसार राज्य कर्मचारियों को अपनी मांगो के समर्थन में हड़ताल का अधिकार है वहीँ काम नहीं तो दाम नहीं के सिधान्त के अनुसार हड़ताल के समय कर्मचारियों की उस दिन का वेतन देने का प्राविधान हैउत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारी शिक्षक अपनी मांगो के लिए लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे थे जिसपर उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष चहेते जिला मजिस्टे्ट अमित घोष ने लाठियां गोलियां चलवायीं डी.आई.जी लखनऊ ने निहत्थी महिलाओं को लाठियों से पीटासरकारी कार्यालयों में घुस कर गैर हडताली कर्मचारियों को भी पीटा गयाकल दिनांक 22-01-2010 को राजधानी के प्रमुख सरकारी अस्पताल बलरामपुर हॉस्पिटल में पुलिस और पी.एस.सी, हड़ताल खत्म कराने के नाम पर मरीजों तथा कर्मचारियों के ऊपर अकारण लाठीचार्ज कर दिया अस्पताल के आसपास के राहगीरों को भी पीटा गयारात में पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में कर्मचारी नेताओं के घरों में घुसकर उनके बीबी और बच्चो की राजाइयाँ डंडो से फेंक कर उनके पतियों का सुराग मालूम करने का प्रयास जारी रहाकर्मचारियों की पत्नियां बच्चे राज्य के नौकर नहीं हैं। महिलाओं व बच्चों को राज्य सरकार द्वारा प्रताड़ित करने का कोई औचित्य नहीं है। उनके साथ इस तरह की अभद्रता करना सीधे-सीधे राज्य की गुंडागर्दी है और यह भी एक गंभीर अपराध है
लखनऊ के जिला मजिस्टे्ट अमित घोष उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती को खुश करने के लिए कृषि विभाग के एक कर्मचारी को तीन थप्पड़ मारेडी.आई.जी पुलिस जिला मजिस्टे्ट अमित घोष पागलपन की सीमा से बढ़ कर आतंक का राज पैदा कर रहे हैंराज्य द्वारा किये गए अपराधों के लिए कोई कानून नहीं है ?

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

उपचुनाव जीत कर इनेलों ने रचा इतिहास

चंडीगढ़। ऐलनाबाद विधानसभा सीट से इनेलो प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला की जीत के साथ न केवल कई नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं बल्कि लोगों में यह भी चर्चा चल पड़ी है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी राजनेता पिता के साथ-साथ उनके दोनों पुत्र भी विधानसभा के सदस्य बने हों। इस समय पूर्व मुख्यमन्त्री ओमप्रकाश चौटाला उचाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक व विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। उनके बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला डबवाली से विधायक हैं और छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला आज ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव में 64 हजार 813 वोट हासिल करके कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनिवाल को 6,227 वोटों के अन्तर से हराकर विधायक चुने गए हैं। इसी के साथ देवीलाल परिवार की तीन पीढिय़ों ने विपक्ष में होते हुए सरकार के खिलाफ विधानसभा उपचुनाव जीतने का भी एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। हरियाणा विधानसभा में पिता-पुत्र दो राजनेताओं को तो एकसाथ विधायक रहने का पहले भी अवसर मिला था। 1987 में चौधरी देवीलाल के साथ उनके बेटे रणजीत सिंह विधायक चुने गए थे जबकि 1993 से 1998 तक भजनलाल व चंद्रमोहन एक साथ विधायक रहे थे। इसके अलावा 2000 से 2005 तक चौधरी ओमप्रकाश चौटाला व उनके पुत्र अभय सिंह चौटाला भी एक साथ विधायक रह चुके हैं। लेकिन चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के साथ उनके दोनों बेटों अजय चौटाला व अभय चौटाला का विधायक होना अपने आप में एक नया कीर्तिमान है। इसके अलावा एक कीर्तिमान यह भी स्थापित हुआ है कि चौधरी देवीलाल परिवार ने अब तक लड़े सभी उपचुनावों में जीत दर्ज की है। चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला 1990 में दातारामगढ़ राजस्थान से विधायक चुने गए थे और विधानसभा के मध्यावधि चुनावों में 1993 में नौहर से विधायक चुने गए थे और 1998 तक राजस्थान विधानसभा में विधायक रहे। 1999 में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनावों में वे भिवानी से सांसद चुने गए और 2004 तक लोकसभा के सांसद रहे। 2004 में वे राज्यसभा के सांसद चुने गए और 2009 तक राज्यसभा में सांसद रहे। इस समय वे डबवाली से विधायक हैं। अभय सिंह चौटाला पहले रोडी से और अब ऐलनाबाद से विधानसभा उपचुनाव में विधायक चुने गए हैं। चौधरी देवीलाल परिवार ने इस जीत के साथ ही उपचुनावों में जीत का भी एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। चौधरी देवीलाल ने 1959 में संयुक्त पंजाब के समय सिरसा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में 27 हजार मतों के अन्तर से जीत हासिल की थी। उसके बाद 10 मई, 1970 को ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से हुए उपचुनाव में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने 19 हजार मतों के अन्तर से जीत दर्ज की थी। इसके बाद रोडी विधानसभा क्षेत्र में 1974 मेें हुए उपचुनाव में चौधरी देवीलाल ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस उम्मीदवार इंद्राज सिंह बेनिवाल को 16 हजार मतों के अन्तर से हराकर सरकार के खिलाफ जीत दर्ज की। इसके अलावा पंजाब समझौते के खिलाफ त्याग पत्र देकर पुन: चुनाव लड़कर चौधरी देवीलाल ने महम विधानसभा क्षेत्र से 24 दिसम्बर, 1985 को हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 11 हजार से ज्यादा मतों के अन्तर से हराकर सरकार के खिलाफ जीत दर्ज की। 1990 में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने दड़बाकलां विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश नेहरा को हराकर जीत दर्ज की। 1993 में नरवाना विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने सरकार के खिलाफ जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाला को 19 हजार मतों के अन्तर से हराया। 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में इनेलो प्रमुख चौधरी ओमप्रकाश चौटाला नरवाना व रोडी दोनों क्षेत्रों से विजयी हुए थे और उनके द्वारा खाली की गई रोडी सीट से अभय सिंह चौटाला उपचुनाव जीतकर विजयी हुए थे। इस बार श्री चौटाला उचाना व ऐलनाबाद विधानसभा सीटों से विजयी हुए और ऐलनाबाद सीट छोडऩे पर हुए इस उपचुनाव में इनेलो प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला सरकार के खिलाफ जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनिवाल को हराकर विधायक चुने गए हैं।