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22.1.10

लो क सं घ र्ष !: सत्ता के लिए ललायित कांग्रेस के खेल

महराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चाहवाण की कैबिनेट द्वारा लिए गये एक फैसले ने महाराष्ट्र में नफरत अलगाववाद की राजनीत करने वालों के पक्ष को शक्ति प्रदान की है। कैबिनेट में लिए गये निर्णय के मुताबिक महाराष्ट्र में उन्हीं टैक्सी चालकों को टैक्सी चलाने का परमिट दिया जायेगा जो मराठी भाषा ठीक से बोल, लिख पढ़ लेते हो। इस पर राष्ट्र स्तर पर आती तीखी प्रतिक्रियाओं से घबराकर कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व के दबाव में अशोक चाहवाण को निर्णय पर अपना स्पष्टीकरण देकर यू टर्न लेना पड़ा।
कांग्रेस का यह खेल बहुत पुराना है। सत्ता पाने के लिए वह अक्सर ऐसे खेल खेला करती है। कहने को तो यह जमात अपने को धर्म निरपेक्ष जातिवाद के विरूद्ध कहती है परन्तु इस तरह के शिगूफे वह बराबर छोड़ती रहती है और सम्प्रदायिक अलगाववादी शक्तियों को ताकत देती रहती है। बाबरी मस्जिद का सोया शेर कांग्रेसियों ने जगाया। फिर शिलान्यास करवाकर हिन्दूवादी शक्तियों के अंदर धार्मिक उबाल पैदा कर राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से हिन्दू कार्ड खेला, परन्तु दाव उलटा पड़ गया लाभ भाजपा के हिस्से में चला गया। बाबरी मस्जिद विंध्वस के समय तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिंहाराव ने मस्जिद बचाने के वह सार्थक प्रयास यह सोच कर वही किये कि भाजपा के हाथ से मुद्दा ही समाप्त कर दिया जाये और केन्द्रीय सुरक्षा बलों को विवादित स्थल में तब भेजा जब कारसेवक मालने को साथ करने के पश्चात अस्थायी मंदिर बनाकर रामजानकी की मूर्ति वहां स्थापित कर गये।
फिर गुजरात में नरेन्द्र मोदी के विरूद्ध कांग्रेस ने हिन्दुत्व का फार्मूला यह सोचकर आजमाया कि नरेन्द्र मोदी के उग्र हिन्दुत्व का विकल्प जनता के सामने रखा जाये मगर राम ही मिला ना रहीम। हिन्दू वोट तो नरेन्द्र मोदी के गर्मा गर्म ताजा हिन्दुत्व के कारण कांग्रेस द्वारा पर से गये ठण्डे बासी नरम हिन्दुत्व की थाली के पास तक आया उल्टे मुस्लिम वोट भी कांग्रेस से दूर छिटक गया।
इसी तरह कश्मीर में 1973 में शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में चुनी गई सरकार में फूट डालकर उनके सगे बहनोई गुल मोहम्मद शाह की पीठ पर हाथ रखकर लोकतंात्रिक सरकार को ध्वस्त कर वहां राष्ट्रपति शासन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लगवाया और जगमोहन को गर्वनर बना कर कश्मीरियों पर ऐसा जुल्म ढाया कि पाकिस्तान की आरे नर्मगोशा उनका पैदा शुरू हो गया जिसका लाभ कश्मीर के अलगाव वादी संगठनों ने भरपूर तौर पर लिया और जिसका परिणाम यह है कि कश्मीर अभी तक सुलग रहा है लाखों इंसान मार डाले जा चुके हैं पर्यटन उद्योग से लेकर फल मेवा उद्योग सभी प्रभावित हुए हैं।
उधर पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार की हटाने के प्रयास में ममता बनर्जी का साथ देकर नक्सलियों पर चोरी छुपे हाथ रखने का काम भी कांग्रेस के द्वारा ही किया जा रहा है। इससे पूर्व पंजाब में अकालियांे को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से भिंडरा वाला नाम के जनूनी व्यक्ति को भी खड़ा करने का दुष्कर्म कांग्रेस की ही रणनीति का हिस्सा था जिसका परिणाम पूरा पंजाब को और बाद में स्वयं इंदिरा गांधी को अपने प्राणों की आहूति देकर भुगतना पड़ा।
एक बार फिर कांग्रेस वही गलती दोहरा रही है और महाराष्ट्र जैसे औद्योगिक प्रान्त की सुख शांति जो पहले रही शिवसेना महराष्ट्र निर्माण पार्टी के कारण छिन्न भिन्न हो चुकी है उसमें और शोले भड़काने का काम कांग्रेस कर रही है। स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि बार-बार मुंह की खाने के बाद कांग्रेस ऐसी गलती करती क्यों है तो इसका जवाब यह है कि कांग्रेस के भीतर विभिन्न करती क्यों है तो इसका जवाब यह है कि कांग्रेस के भीतर विभिन्न विचार धाराओं के व्यक्तियों का संग्रह है जो कांग्रेस की सत्ता पाने की लालच में यह गलतियां कराने पर मजबूर करते हैं।

मोहम्मद तारिक खान

फलित ज्योतिष आखिर क्‍या है .. एक सांकेतिक विज्ञान या मात्र अंधविश्वास

आसमान के विभिन्‍न भागों में विभिन्‍न ग्रहों की स्थिति के कारण पृथ्‍वी पर या पृथ्‍वी के जड चेतन पर पडनेवाले प्रभाव का अध्‍ययन फलित ज्‍योतिष कहलाता है। यह विज्ञान है या अंधविश्वास , इस प्रश्न का उत्तर दे पाना समाज के किसी भी वर्ग के लिए आसान नहीं है। परंपरावादी और अंधविश्वासी विचारधारा के लोग ,जो कई स्थानों पर ज्योतिष पर विश्वास करने के कारण धोखा खा चुकें हैं , भी इस शास्त्र पर संदेह नहीं करते। वे ज्‍योतिष को मानते हुए सारा दोषारोपण ज्योतिषी पर कर देते  है। दूसरी ओर वैज्ञानिकता से संयुक्त विचारधारा से ओत-प्रोत ज्‍योतिष को जीवनभर न मानने वाले व्यक्ति भी किसी मुसीबत में फंसते ही समाज से छुपकर ज्योतिषियों की शरण में जाते देखे जाते हैं।

ज्योतिष की इस विवादास्पद स्थिति के लिए मै सरकार ,शैक्षणिक संस्थानों एवं पत्रकारिता विभाग को दोषी मानती हूं। इन्होने आजतक ज्योतिष को न तो अंधविश्वास ही सिद्ध किया और न ही विज्ञान ? सरकार यदि ज्योतिष को अंधविश्वास समझती तो जन्मकुंडली बनवाने या जन्मपत्री मिलवाने के काम में लगे ज्योतिषियों पर कानूनी अड़चनें आ सकती थी। यज्ञ हवन करवाने या तंत्र-मंत्र का प्रयोग करनेवाले ज्योतिषियों के कार्य में बाधाएं आ सकती थी। सभी पत्रिकाओं में राशि-फल के प्रकाशन पर रोक लगाया जा सकता था। आखिर हर प्रकार की कुरीतियों और अंधविश्वासों जैसे जुआ , मद्यपान , बाल-विवाह, सती-प्रथा आदि को समाप्त करनें में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है ,परंतु ज्योतिष पर विश्वास करनेवालों के लिए ऐसी कोई कड़ाई नहीं हुई। मैं पूछती हूं , आखिर क्यों ??

क्या सरकार ज्योतिष को विज्ञान समझती है ? नहीं, अगर वह इस विज्ञान समझती तो इस क्षेत्र में कार्य करनेवालों के लिए कभी-कभी किसी प्रतियोगिता, सेमिनार आदि का आयोजन होता तथा विद्वानों को पुरस्कारों से सम्मानित कर प्रोत्साहित किया जाता। परंतु आजतक ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। पत्रकारिता के क्षेत्र में देखा जाए तो लगभग सभी पत्रिकाएं यदा-कदा ज्योतिष से संबंधित लेख, इंटरव्यू , भविष्यवाणियॉ आदि निकालती रहती है पर जब आजतक इसकी वैज्ञानिकता के बारे में निष्कर्ष ही नहीं निकाला जा सका, जनता को कोई संदेश ही नहीं मिल पाया तो फिर ऐसे लेखों या समाचारों का क्या औचित्य ? पत्रिकाओं के विभिन्न लेखों हेतु किया जानेवाला ज्योतिषियों कें चयन का तरीका ही गलत है । उनकी व्यावसायिक सफलता को उनके ज्ञान का मापदंड समझा जाता है , लेकिन वास्तव में किसी की व्यावसायिक सफलता उसकी व्यावसायिक योग्यता का परिणाम होती है ,न कि विषय-विशेष की गहरी जानकारी। इन सफल ज्योतिषियों का ध्यान फलित ज्योतिष के विकास में न होकर अपने व्यावसायिक विकास पर होता है। ऐसे व्यक्तियों द्वारा ज्योतिष विज्ञान का प्रतिनिधित्व करवाना पाठकों को कोई संदेश नहीं दें पाता है, आगे बढें ।

21.1.10

लो क सं घ र्ष !: जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ को अपनाना होगा

जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ को अपनाना होगा
घनतम दूर भागना है तो, ज्ञान-प्रदीप जलना होगा

खिलता है कांटो में गुलाब जग में सौरभ फैलाता है
शीत, ताप, झंझा झकोर से, कब पंकज मुरझाता है

जीवन सुरभित करना है तो, आदर्श इन्हें बनाना होगा
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ को अपनाना होगा

संघर्षनाम है जीवन का, जीवन संघर्ष के बिना कहाँ?
है वहीँ सफलता का निवास, कर्तव्य बोध संघर्ष जहाँ

पथ पर बिखरे पषाणों से , पग-पग पर टकराना होगा
जीवन सफल बना है तो, सत्यपथ को अपनाना होगा

कर्तव्यों से विमुख होना है तो, भाग्य भरोसे बैठे रहना
यदि गंतव्य को पाना है तो, पथिक निरंतर बढ़ते रहना

थककर बैठ जाना प्यारे! आजीवन पछताना होगा
जीवन सफल बना है तो, सत्यपथ को अपनाना होगा

जीवन हो विष का प्याला, पर इसे सुधा सम पीना होगा
युग के झंझावातों में भी, हँस-हँस कर के जीना होगा

कितना ही कंटकमय पथ हो, आगे बढ़ते जाना होगा
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ अपनाना होगा

मन को विचलित करने वाले, कुछ ऐसे भी क्षण आयेंगे
संकट की काली छाया से, माथे पर बल जायेंगे


- मोहम्मद जमील शास्त्री

किसानों की दुर्दशा के लिए हुड्डा सरकार जिम्मेवार: चौटाला

चंडीगढ़ इनेलो ने प्रदेश के किसानों की दुर्दशा के लिए हुड्डा सरकार को जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि मुख्यमन्त्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सर छोटू राम की नीतियों पर चलने का दम भरते हैं मगर वे दीनबन्धु की नीतियों के एकदम विपरीत काम कर रहे हैं। इनेलो प्रमुख व हरियाणा के पूर्व मुख्यमन्त्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने कहा कि एक तरफ आज सरकार किसान हितैषी होने का दावा कर रही है लेकिन दूसरी तरफ आज प्रदेश के किसानों की खाद को लेकर ऐसी दुर्दशा हो रही है जो पहले कभी नहीं हुई थी। श्री चौटाला ने कहा कि किसान को बिजली की जरूरत के समय बिजली नहीं मिलती और पानी की जरूरत के समय पानी नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि आज किसान को खाद की सबसे ज्यादा जरूरत है लेकिन खाद नहीं मिल रही। इनेलो प्रमुख ने कहा कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों को खाद लेने के लिए राशन कार्ड हाथ में लेकर कड़कती सर्दी में सारा काम छोड़कर सुबह लाइनों में लगना पड़ता है और शाम को उन्हें एक कट्टा खाद थमा दी जाती है। उन्होंने कहा कि जिस किसान को दस कट्टे खाद की जरूरत है वह राशन कार्ड लेकर लगातार दस दिन लाइनों में खड़ा खाद मिलने की बाट जोहता रहता है। उन्होंने कहा कि महंगे दामों पर खाद होने के बावजूद किसानों को सरकार द्वारा खाद उपलब्ध न करवाए जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और कांग्रेस सरकार की किसान विरोधी सोच को दर्शाता है। विधानसभा में विपक्ष के नेता श्री चौटाला ने कहा कि दीनबन्धु सर छोटू राम ने किसानों को बसाने का काम किया था और लाखों किसानों की जमीन जो साहूकारों के पास गिरवी पड़ी थी उसे कानून बनाकर वापिस दिलवाया था। इनेलो प्रमुख ने कहा कि दूसरी तरफ हुड्डा सरकार किसानों को उजाडऩे में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि आज हुड्डा सरकार बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों व पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाखों किसानों की जमीन कभी सेज के नाम पर तो कभी अधिग्रहण व रिलीज की आड़ में किसानों से लेकर बड़े-बड़े बिल्डरों को देने का काम कर रही है। इनेलो नेता ने कहा कि दीनबन्धु सर छोटू राम को देशभर में उनकी किसान हितैषी नीतियों के लिए याद किया जाता है जिन्होंने उजड़े किसानों को बसाने का काम किया था। इनेलो प्रमुख ने कहा कि एक तरफ जहां हुड्डा सरकार ने एसईजेड के नाम पर लाखों एकड़ जमीनें किसानों से लेकर बड़े-बड़े बिल्डरों को रियल अस्टेट का धन्धा करने के लिए दे दी हैं वहीं मौजूदा कांग्रेस सरकार ने पिछले पांच सालों के दौरान भूमि अधिग्रहण व रिलीज के नाम पर किसानों को उजाडऩे व बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि बड़े औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए जहां किसानों की जमीन अधिग्रहण करने के लिए पहले नोटिस जारी कर दिए जाते हैं वहीं जब भूमि अधिग्रहण के डर से परेशान किसान अपनी जमीन औने-पौने दामों में भू-माफिया के हवाले कर देता है तो फिर उसी जमीन को न सिर्फ रिलीज कर दिया जाता है बल्कि उन बिल्डरों को रियल अस्टेट का धन्धा करने के लिए लाइसेंस भी जारी कर दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार दीनबन्धु सर छोटू राम की नीतियों के एकदम विपरीत काम कर रही है और प्रदेश में क्षेत्रवाद का जहर घोलने वाली इस सरकार की पहचान किसान व कमेरे वर्ग की विरोधी और पूंजीपतियों की हितैषी सरकार के तौर पर बन गई है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार ने बड़े औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए जिन किसानों को उनकी पुश्तैनी जमीनों से वंचित किया है उनकी आने वाली पीढिय़ां भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कांग्रेस पार्टी को कभी माफ नहीं करेंगी।

20.1.10

लो क सं घ र्ष !: धोबी, पासी, चमार, तेली खोलेंगे अँधेरे का ताला

महाप्राण निराला के जन्मदिन के अवसर पर लोकसंघर्ष परिवार का शत्-शत् नमन
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जल्द -जल्द पैर बढाओ , आओ-आओ
आज अमीरों की हवेली , किसानो की होगी पाठशाला
धोबी, पासी, चमार, तेली खोलेंगे अँधेरे का ताला
एक पाठ पढेंगे, टाट बिछाओ

सूर्य कान्त त्रिपाठी 'निराला'

19.1.10

लो क सं घ र्ष !: गरीबो, किसानो के मसीहा व धर्मनिरपेक्षता के सिपाही को लाल सलाम


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कामरेड ज्योति बसु एक गंभीर प्रवृत्ति सदा जीवन और बयानबाजी या नारों के स्थान पर सदा कार्य को प्रधानता देने वाले राज़नीतज्ञ थे। उन्होंने बंगाल को नक्सल समस्या से निदान देने के लिए पंचायत राज व्यवस्था कानून का क्रियान्वित पारदर्शी ढंग से करा कर गरीब किसानो को मूल भूत सुविधाएं देकर हथियार के स्थान पर उन्हें हल पकड़ने की तरफ आकर्षित कराया और उन्हें पार्टी का कैडर भी बनाया। साथ ही पश्चिम बंगाल में धर्मनिरपेक्षता का एक अभेद किला उन्होंने बना कर तैयार कर दिया जहाँ स्वतंत्रता के पश्चात अनेको सांप्रदायिक दंगे होते रहे थे।
जिस समय विश्व में कम्युनिस्ट सरकारों का पतन हो रहा था और साम्यवादी सत्ता सोवियत यूनियन की ईंट से ईंट, लोकतंत्र की लुभावनी दुनिया दिखा कर पूंजीवादी राष्ट्रों ने मिल कर बजा दी थी उस समय पश्चिम बंगाल में लाल झंडा मजबूती से गडा हुआ था। कांग्रेस से लेकर भाजपा ने अनेको हमले लाल झंडे को पश्चिम बंगाल के उखाड़ देने के लिए किये परन्तु ज्योति बसु के लौह व्यक्तित्व से टकरा कर सारी शक्तियां चूर-चूर हो गयीं। देश के सबसे लम्बे समय तक मुख्य मंत्री रहने का गौरव उन्हें प्राप्त हुआ। उन्होंने पूरे 23 वर्षों तक पश्चिम बंगाल पर सत्ता संभाली फिर स्वास्थ्य की खराबी के कारण उन्होंने स्वेच्छा से मुख्य मंत्री पद का त्याग कर राजनीति से सदैव के लिए सन्यास वर्ष 2000 में लिया।
ज्योति बसु ने पश्चिम बंगाल की बागडोर वर्ष 1967 में बतौर उपमुख्यमंत्री, अजय मुखर्जी के नेतृत्व में बनी संयुक्त मोर्चा की सरकार के गठन के उपरांत संभाली थी। वह उस मंत्रिमंडल में गृहमंत्री भी थे। उस समय कांग्रेस के लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहे प्रफुल्ल चन्द्र सेन की गलत नीतियों के कारण जहाँ एक ओर प्रान्त के किसानो की समस्याएं चरम सीमा पर थी तो वहीँ मुस्लिम समुदाय के साथ बरते गए उनके दुर्भावना व सांप्रदायिक पूर्ण सुलूक से हिन्दू और मुसलमानों के बीच लम्बी खाई बन गयी थी। ज्योति बसु ने गृहमंत्री बन्ने के पश्चात पहला काम यह किया कि जो क्षेत्र सांप्रदायिक हिंसा की दृष्टिकोण से संवेदनशील थे वहां के थानों पर मुस्लिम पुलिस अधिकारियो व प्रशासनिक अधिकारियो की तैनाती कर दी। ताकि मुसलमानों में शासन प्रशासन के प्रति विश्वास पैदा हो सके और पक्षपात पूर्ण रवैये से उनकी सुरक्षा भी हो। बाद में यही नुस्खा आजमा कर वर्ष 1971 में मुख्य मंत्री बने सिद्धार्थ शंकर रे ने मुसलमानों का दिल जीता जब एक समय में कलकत्ता शहर में तीन ए.सी.पी पुलिस मुस्लिम समुदाय के उन्होंने तैनात कर दिए। परन्तु किसानो की समस्याओं को वह सुलझा न सके और नक्सलियों की समस्या बढती गयी जिसको उन्होंने बलपूर्वक दबा कर अपनी प्रशासनिक योग्यताओं का लोहा इंदिरा गाँधी जैसी आयरन लेडी के मन में स्थापित कर लिया बताते हैं देश में आंतरिक सुरक्षा के बिगड़ते हालात से निपटने के लिए आपातकाल लगाने की सलाह भी सिद्धार्थ शंकर रे ने ही इंदिरा गाँधी को दी थी और बाद में आपातकाल के दुष्परिणामो के कारण कांग्रेस के पतन की भी सजा उन्ही को दी गयी।
परिणामस्वरूप 1977 में वाम पंथियों ने पश्चिम बंगाल पर लाल झंडा गाड़ दिया। जिसका नेतृत्व ज्योति बसु के मजबूत हाथो में दिया गया। वाम पंथी दलों को एकजुट रख कर पश्चिम बंगाल में इतने दिनों तक सत्ता चलाने का कीर्तिमान ज्योति बसु ने स्थापित कर देश के युवा राजनीतज्ञों के सामने एक मिसाल रख दी है कि यदि इमानदारी के साथ सच्चे दिल से वह जनता की समस्याओं के लिए लड़ेंगे तो जनता कभी ऐसे लोगो को निराश नहीं करेगी।

मोहम्मद तारिक खान

ट्रयू ट्राफी कबड्डी टूर्नामेंट का आयोजन 21 जनवरी को

सिरसा डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गद्दीनशीन संत परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन जन्ममाह के उपलक्ष्य में डेरा सच्चा सौदा खुशियों में रंगा नजर आने लगा है। पावन जन्म माह को लेकर डेरा परिसर की भव्य सजावट की गई है वहीं इस अवसर पर 21 जनवरी को एमएसजी यूथ ब्लस एंड स्पोर्टस सोसायटी के तत्वावधान में ट्रयू ट्राफी कबड्डी टूर्नामेंट का आयोजन किया जाएगा। वहीं 23 जनवरी को डेरा परिसर में विशाल रक्तदान शिविर लगाया जाएगा। यह जानकारी देते हुए डेरा सच्चा सौदा के प्रवक्ता डा. पवन इन्सां ने बताया कि 21 जनवरी को आयोजित होने वाली कबड्डी टूर्नामेंट (सर्कल कबड्डी) में विजेता टीम को सवा लाख रुपये नकद व ट्राफी तथा उपविजेता टीम को एक लाख रुपये व ट्राफी प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस एक दिवसीय टूर्नामेंट में हरियाणा व पंजाब की आठ टीमें भाग ले रही हैं तथा सभी मैच शाह सतनाम जी स्टेडियम में खेले जाएंगे। डॉ. इन्सां ने बताया कि शाह सतनाम सिंह जी के पावन जन्ममाह के उपलक्ष्य में 23 जनवरी शनिवार को शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग द्वारा विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसमें चार हजार यूनिट रक्त एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि रक्तदान शिविर में लुधियाना, पठानकोट, दहरादून, दिल्ली, रोहतक व उत्तराखंड की टीमें रक्त संग्रहण के लिए पहुंचेंगी।