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17.1.10

अपनी प्रकृति के अनुसार काम न कर पाने से आत्‍मविश्‍वास पर बुरा प्रभाव पडता है !!

काफी हद तक जीन का प्रभाव और कुछ हद तक परिस्थितियों का प्रभाव , पर इतने विशाल दुनिया में कोई भी दो बीज एक जैसे नहीं होते । रंग रूप , और बनावट में भिन्‍नता तो हमें स्‍पष्‍टत: दिखाई पडती है , पर वो एक होने पर भी कभी कभी स्‍वभाव तक में अच्‍छी खासी भिन्‍नता देखी जाती है। वास्‍तव मे विचित्रता से भरी इसी दुनिया में सुंदरता , स्‍वाद और व्‍यवहार का भिन्‍न भिन्‍न रूप हमारे सोंचने और समझने की शक्ति को बढाने में सहायक है। इनके वर्णन करने के क्रम में इतने साहित्‍य लिखे गए , पर लेखकों के लिए अभी भी न तो भाव की कमी हुई है और न ही शब्‍दों की और न ही आगे कभी होगी।

जीन की विभिन्‍नता के कारण ही नहीं , परिस्थितियों की विभिन्‍नता के कारण भी हम मनुष्‍य भी एक दूसरे से बिल्‍कुल भिन्‍न हैं। इतिहास की किताबों में हमने जितने महापुरूषों के बारे में पढा है , सबका व्‍यक्त्त्वि बिल्‍कुल भिन्‍न दिखाई पडा होगा , यहां तक कि किसी की किसी से तुलना भी नहीं की जा सकती है। अपने ही परिवार में हमें महसूस होगा कि हर व्‍यक्ति की रूचि , आई क्‍यू बात चीत करने का तरीका सब भिन्‍न है, पर इसे स्‍वीकारने में हमें कठिनाई आती रहती है।क्‍यूंकि हम अपने सामने वाले को एक ढांचे में फिट देखना चाहते हैं , जो कदापि संभव नहीं। इसके बावूजद हम एक दूसरे के दोष निकालते हैं , उसे भला बुरा कहते हैं , अपनी बातें मनवाने को मजबूर करते हैं , पूरा पढें ।

16.1.10

ऐलनाबाद में चुनावी घमासान जोरों पर

सिरसाऐलनाबाद में चुनावी घमासान जोरों पर है। मतदान को महज 72 घंटे बाकी रह गए हैं। नेताओं ने अपने-अपने प्रत्याशी के समर्थन में भाग-दौड़ तेज कर दी है। इनेलो कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव आन की लड़ाई बन गया है और इस लड़ाई को जीतने में दोनों दल ऐड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। जब चुनाव प्रचार शुरू हुआ था तब बेशक यहां इनेलो प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला को कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बैनीवाल से काफी मजबूत माना जा रहा था, लेकिन पिछले कुछ दिनों में यहां के समीकरण काफी बदल गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनकी पूरी टीम द्वारा हल्के में किए गए तूफानी जनसम्पर्क की बदौलत अब कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बैनीवाल की स्थिति काफी सशक्त हो गई है। निर्दलीय प्रत्याशी एवं प्रदेश के गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा, गोबिंद कांडा उनके समर्थकों की विशाल फौज ने कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में माहौल तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है। पिछले करीब एक सप्ताह में गृह राज्यमंत्री के प्रयासों से इनेलो से जुड़े सैंकड़ो लोग कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन देकर इनेलो प्रत्याशी की हालत पतली कर चुके हैं। श्री कांडा हल्के में प्रतिदिन दर्जनों जगह जनसभाओं को सम्बोधित कर रहे हैं और इन जनसभाओं में उमडऩे वाली भीड़ यह बता रही है कि इस बार चुनावी नतीजा चांैकाने वाला होगा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता गोबिंद कांडा भी कांग्रेस उम्मीदवार को विजयी रथ पर बैठाने के लिए दिन-रात प्रचार में जुटे हुए हैं। दोनों भाईयों की समाजसेवा से ओतप्रोत छवि मतदाताओं पर गहरा असर डाल रही है। केवल बणियां वर्ग से ही नहीं बल्कि सभी वर्गां के लोग कांडा बंधुओं के जबरदस्त जनसम्पर्क की बदौलत कांग्रेस की नीतियों पर मोहर लगाने का फैसला कर चुके हैं। यही वजह है कि हल्के के जिन-जिन क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में माहौल नहीं था, वहां अब पूरी तरह कांग्रेस नजर रही है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा को कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बैनीवाल की जीत को पक्का करने की जो जिम्मेवारी सौंपी थी, उस जिम्मेवारी को श्री कांडा ने खास रणनीति तैयार कर और घर-घर, गांव-गांव जाकर पूरा कर दिखाया है। इसके अलावा पार्टी के अन्य बड़े नेता भी कांग्रेस की नीतियों को हलके के घर-घर तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। कांग्रेस के 12 जोन इनेलो के 7 जोनों पर काफी भारी पड़ रहे हैं। बहरहाल, कांग्रेस के विकास का नारा ऐलनाबाद हलके में गूंजने लगा है और यह गूंज 20 जनवरी को मतदान के दिन जोरदार तरीके से सुनाई देगी।

सम्मानित कीजिये उत्तर प्रदेश पुलिस को

त्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक अधिवक्ता के ऊपर अपहरण व हत्या का वाद दर्ज होता है ।पुलिस ने जांच की और कहा कि अधिवक्ता ने अपना जुर्म इकबाल कर लिया है। लाश का पंचायतनामा और उसके बाद पोस्मार्टम हुआ । अभियुक्त को कारागार में निरुद्ध कर दिया गया। न्यायलय में आरोप पत्र दाखिल हो गया बाद में जिस व्यक्ति की अपहरण व हत्या अधिवक्ता को 55 दिन जेल में रहना पड़ा हो, वह व्यक्ति जिन्दा है ।
कारागार में हजारो व्यक्ति बेगुनाह निरुद्ध हैं। उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है । जिस अपराध में निरुद्ध हैं , उस अपराध के घटनास्थल को भी उन्होंने नहीं देखा है। विवेचना में पुलिस ने उनके ऊपर लगाये गए आरोप मय साक्ष्य के सही पाए गए हैं । कुछ अपराधो में विवेचना अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक होते हैं उन अपराधो में विवेचना का स्तर और भी घटिया है । कथित दहेज़ हत्या के मामलो में हजारो बेगुनाह स्त्रियाँ व पुरुष कारागार में निरुद्ध हैं। विवेचना अधिकारी ने कार्यालय के अन्दर ही बैठ कर विवेचनाएं कर डाली हैं। उनके लिए गुनाहगार व बेगुनाह व्यक्ति में कोई अंतर नहीं है जब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक अधिवक्ता के साथ ऐसा हो सकता है तो पूरे प्रदेश का हाल क्या होगा ? इसलिए ऐसी पुलिस को सलाम करने की जरूरत है, सम्मान करने की जरूरत है अन्यथा हमारा और आपका भी नंबर आ सकता है ।

संजय दत्त व सुनील शेट्टी अभय चौटाला के पक्ष में करेंगे रोड़ शो

ऐलनाबादमुन्नाभाई के नाम से चर्चित फिल्म अभिनेता संजय दत्त सुप्रसिद्ध फिल्मी हीरो सुनील शेट्टी रविवार 17 जनवरी को ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से इनेलो प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला के पक्ष मे चुनाव प्रचार करने के लिए पूरे विधानसभा क्षेत्र में रोड शो करेंगे। दोनों अभिनेताओं के रोड शो कार्यक्र को लेकर क्षेत्र की जनता विशेषकर युवाओं सहित हर वर्ग में भारी उत्साह पाया जा रहा है। लोगों के उत्साह को देखते हुए इनेलो ने इस रोड शो की कामयाबी के लिए सभी तैयारियां मुकम्म्ल कर ली हैं। रोड शो के अतिरिक्त दोनों फिल्म अभिनेता संजय दत्त सुनील शेट्टी सोमवार 18 जनवरी को चुना प्रचार के अंतिम दिन नाथूसरी चौपटा में इनेलो की ओर से आयोजित की जाने वाली विशाल चुनावी रैली में भी शिरकत करेंगे। इस रैली को इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला पंजाब के उपमुख्यमंत्री सरदा सुखबीर बादल सहित अनेक प्रमुख नेता संबोधित करेंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार फिल्म अभिनेता संजय दत्त सुनील शेट्टी इनेलो प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला के करीबी दोस्तों में से हैं और उनके हर चुनाव में बालीवुड के सितारे अकसर पहुंचते रहे हैं। अभय सिंह चौटाला के साथ संजय दत्त सुनील शेट्टी रविवार 17 जनवरी को सुबह साढ़े 9 बजे दड़बा गांव से रोड शो शुरू करेंगे और माखासरानी, तरकांवाली, शाहपुरिया, चाहरवाला, रामपुरिया बगडिय़ा, कागदाना, गिगोरानी से होते हुए नाथूसरी पहुंचेंगे। नाथूसरी से यह रोड शो लुदेसर, रूपावास, जमाल, ढूकड़ा, गुडिय़ाखेड़ा, बकरियांवाली, माधोसिंघाना और मल्लेकां से होते हुए मेहनाखेड़ा, भुरटवाला पोहड़का जाएगा। इनेलो द्वारा तैयार किए गए रोड शो के रूट अनुसार अभय सिंह, संजय दत्त सुनील शेट्टी ढाई बजे पोहड़का से सुरेरां, खारी सुरेरां, किशनपुरा, काशी का वास, नीमलां, धोलपालिया, बेहरवाला, तलवाड़ा से होते हुए ऐलनाबाद शहर में करीब शाम पांच बजे पहुंचेंगे और शहर की जनता से रूबरू होंगे। मुन्ना भाई एमबीबीएस लगे रहो मुन्ना भाई जैसी सुपरहिट फिल्मों के नायक संजय दत्त की गांधीगिरी आज हरके की जुबान पर है और संजयदत्त दर्जनों सफल फिल्मों के अभिनेता सुनील शेट्टी का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोलता है। इन फिल्म अभिनेताओं के रोड शो सहित दो दिन तक इनकी ऐलनाबाद में मौजूदगी इनेलो के प्रचार को ओर ज्यादा मजबूती प्रदान करने के साथ चार चांद लगा देगी।

15.1.10

ठाकरे का नया फ़तवा

शिवसेना के बाल ठाकरे ने घोषणा की है कि महाराष्ट्र की धरती पर ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट की टीम को खेलने नहीं देंगे। पाकिस्तान के बाद ऑस्ट्रेलिया दूसरा देश होगा जिसको शिवसेना ने क्रिकेट खेलने से मना किया है । बाल ठाकरे का तर्क है कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों के ऊपर नस्लवादी हमले हो रहे हैं उसका जवाब हम दे रहे हैं। इससे पूर्व में मुंबई में रहने वाले उत्तर भारतीयों के ऊपर शिवसेना कुनबे ने हमले किये थे। बाल ठाकरे समझते हैं कि उनकी हिटलरी सनक से महाराष्ट्र चलता है। आज जरूरत इस बात की है कि बाल ठाकरे जैसे प्रान्तीयतावादी, नस्लवादी नेताओं के खिलाफ कठोर कदम उठाया जाए क्योंकि उनकी समझ कुछ मुट्ठी भर लोगो को लेकर गुंडा गर्दी के अतिरिक्त कुछ नहीं है। भारतीय लोकतान्त्रिक समाज में इस तरह के घृणापद विचार और हरकतों से देश का कतई भला नहीं होने वाला है बल्कि छोटी मानसिकता वाले लोगो से नुकसान ही होता है । ऑस्ट्रेलिया में अगर बाल ठाकरे जैसी मानसिकता वाले लोग अगर भारतीय लोगों पर हमले कर रहे हैं तो वहां का कानून अपना कार्य करेगा प्रत्येक व्यक्ति को कानून लागू करने व दण्डित करने का अधिकार किसी भी सभी समाज में नहीं होता है एक निश्चित प्रक्रिया के तहत कानून तोड़ने वाले लोगो को दण्डित किया जाता है समाज प्रगति पर है। बाल ठाकरे जैसे लोग आदिम अवस्था में जीते हैं और फतवे जारी करते हैं ।
बाल ठाकरे कि अगर सरकारी सुरक्षा व्यवस्था हटा ली जाए तो वह सियार कि तरह से मांद में पड़े नजर आयेंगे तब उनको लोकतंत्र, न्याय, कानून अपने आप समझ में आ जाएगा।

70 वर्ष की उम्र से अधिक के वृद्ध की बातें

क बच्‍चे का हंसता खिलखिलाता मुस्‍कराता चेहरा जहां हमें खुशियों से सराबोर करता है , उसके साथ खेलते हम खुद अपने भूले हुए बचपन को जी लेते हैं, कुछ क्षणों के लिए सारे गम को भूल जाते हैं , वहीं अतिवृद्धावस्‍था को झेल रहे लोगों का जीवन हमारे सामने एक भयावह सच उपस्थित करता है, जिसे देखकर हम कांप से जाते हैं। इतना ही नहीं , उनकी तनावग्रस्‍त बातों को सुनकर चिडचिडाहट उपस्थित पाते हैं । समय और परिस्थिति के अनुसार इन सभी जगहों पर थोडा बहुत परिवर्तन भले ही मिल जाए , पर यह सत्‍य है कि सभी मनुष्‍य बचपन से लेकर बुढापे तक के इस यथार्थ के जीवन को झेलने को मजबूर है।
अपनी अपनी परिस्थिति में उम्र के साथ सभी व्‍यक्ति के जीवन के अनुभव क्रमश: बढते ही जाते हैं , आगे चलकर खास खास क्षेत्रों में भी उम्र में बडे लोगों के अनुभव हमारे लिए बहुत सीख देने वाला होता है। 50 से 70 वर्ष की उम्र तक अपने से बडों की सीख के महत्‍वपूर्ण होने से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए इस उम्र के लोगों के अनुभव से लाभ उठाते हुए उनकी हर बात में से कुछ न कुछ सीखने की प्रवृत्ति व्‍यक्ति को विकसित करनी चाहिए । पर जब वे स्‍वयं 50 वर्ष के हो जाते हैं , तो बडों के समान उनके विचारों का भी पूरा महत्‍व हो जाता है , हां 60 वर्ष की उम्र तक के व्‍यक्ति से उन्‍हें कुछ सीख अवश्‍य लेनी चाहिए। पर 60 वर्ष की उम्र के बाद धर्म , न्‍याय आदि गुणों की प्रधानता उनमें दिख सकती है , पर सांसारिक मामलों की सलाह लेने लायक वे नहीं होते हैं, इस आलेख को पूरा पढे ।

14.1.10

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं



जन्म दिन  पर...!!
                   (1)

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
फ़राज़ अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं.

जुदाइयां तो मुकद्दर हैं फिर भी जाने-सफ़र
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं.

                    (2)
अब के हम बिछुड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें.


ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खजाने तुझे मुमकिन है ख़राबों१ में मिलें.

गमे-दुनिया भी गमे-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता  है शराबें जो शराबों से मिलें.

तू ख़ुदा है न मेरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इन्सां हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें.

आज हमदार२ पे खींचे गए जिन बातों पर
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों३ में मिलें.

अब न वो हैं न वो तू है न वो माज़ी है फ़राज़
जैसे दो शख्स तमन्ना के सराबों४ में मिलें.
 
                    (3)
रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे, छोड़ जाने के लिए आ.

कुछ तो मेरे पिन्दारे-मुहब्बत५ का अरमान
तू तो कभी मुझको मनाने के लिए आ.

पहले से मरासिम६ न सही, फिर भी कभी तो
रस्मे-रहे-दुनिया७ ही निभाने के लिए आ.

इक उम्र से हूं, लज्जते-गिरिया८ से भी महरूम
ऐ राहते-जां मुझको रुलाने के लिए आ.

अब तक दिले-खुशफ़हम को तुझसे हैं उम्मीदें
ये आखिरी शम्मएं भी भुजाने के लिए आ.

१. खंडहर, निर्जन स्थल.

२. फ़ांसी का तख्ता.

३. पाठ्यक्रम, आधार.

४. मृगमरीचिका.

५. प्रेम के अभिमान.

६. संबंध

७. दुनिया के रास्ते की रस्म.

८. रोने का आनंद.

                   (स्रोत: फ़राज़ संकलन)
प्रबल प्रताप सिंह