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14.1.10

पति-पत्नी और वो.. अब कोई झंझट नहीं

चलिए नए साल पर एक खुशख़बरी उन मर्दों के लिए जो शादी के बाद भी पति-पत्नी और वो के चक्कर से निकले नहीं हैं... और खुशख़बरी उनकी पत्नियों के लिए भी जो अपने दिलफेंक मियां से आजिज़ आ चुकी थीं... घबराइये मत... जो काम आपके पति कर रहे हैं वो उनकी ज़िंदगी में तो रंग भर ही रहा है, आपकी शादी-शुदा ज़िंदगी में भी उससे बहार आ जाएगी...

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काश मेरी भविष्‍यवाणी सही नहीं हुई होती !!

2012 के दिसंबर में होने वाले प्रलय के भयानक रूप में प्रचार के बाद मेरे पास कुछ पाठकों के मेल आए। उन्‍हीं का जबाब देने के क्रम में और 21 दिसंबर 2012 के ग्रह स्थिति की जांच पडताल करने के क्रम में कुछ प्राकृतिक आपदाओं की तिथियों पर मेरा ध्‍यान आकृष्‍ट हुआ। संयोग था कि पूरे दिसंबर मेरे गुरू और पिताजी मेरे साथ रहे, इससे ग्रहों के स्‍वभाव को जानने में मुझे बहुत मदद मिली। प्राकृतिक आपदाओं के अध्‍ययन के इसी क्रम में मेरा ध्‍यान 13 से 16 जनवरी की भयावह स्थिति पर गया , तो मैने तुरंत एक पोस्‍ट डाल दी। इस पोस्‍ट पर पाठकों द्वारा बहुत विरोध भी दर्ज किया गया , क्‍यूंकि लोगों के दिमाग में पूर्वाग्रह है कि ग्रहों का पृथ्‍वी पर कोई प्रभाव नहीं पडता है और मैं प्रतिदिन आनेवाली भूकम्‍प की घटना को ग्रहों का प्रभाव सिद्ध करने की बेमतलब कोशिश कर रही हूं। पर इस भूकम्‍प ने मेरा साथ देकर ग्रहों के पृथ्‍वी पर पडनेवाले प्रभाव को तो साबित कर ही दिया है।

जब से ज्‍योतिष के क्षेत्र में आयी हूं , मेरा सबसे अधिक शौक तिथि के साथ भविष्‍यवाणी करके ग्रहों के प्रभाव को साबित करना रहा है। प्रारंभ में इसकी सत्‍यता का प्रतिशत कुछ कम अवश्‍य होता था , पर क्रमश: बढते हुए आज सत्‍यता के बहुत करीब पहुंच चुका है। इस पूरी यात्रा में गलत हुई भविष्‍यवाणियों ने मुझे जितना तनाव नहीं दिया , उतनी खुशी मेरी सटीक भविष्‍यवाणियों से हुई है। पर कभी कभार पहले से ही भयावह दिखने वाली मेरी सटीक भविष्‍यवाणियां , चाहे वो व्‍यक्तिगत हो या सामूहिक , मुझे काफी कष्‍ट पहुंचा जाती है, वैसे ही दिनों के लिस्‍ट में आज का दिन भी जुड गया है। सुबह पाबला जी और समीर लाल जी के द्वारा हैती में 7 रिक्‍टर से अधिक की एक भयावह भूकम्‍प की खबर से मेरी भविष्‍यवाणी सही होने की सारी खुशी जाती रही। इससे आगे पढने के लिए यहां क्लिक करें ।

13.1.10

न विपक्ष न सरकार- बढती हुई महंगाई से नहीं हे कोई सरोकार !

ढती मंहगाई पर मीडिया और समाचार पत्र लगातार ख़बरें पर ख़बरें दिखा रहें हैं और छाप रहें हैं । महंगाई है सुरसा की मुख की तरह दिन दूनी और रात चोगुनी कहावत को चरितार्थ करते हुए गुणात्मक वृद्धि करती जा रही है , आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहें है चाहे अनाज की बात करें या फिर शक्कर की या फिर सब्जी की , सभी के दाम एक एक कर आम जनता की क्रय शक्ति से दूर होते जा रहें है । किन्तु सरकार है की उसके कानो मैं जूँ तक नहीं रेंग रही है । कृषि मंत्री की बात करें तो असम्वेदन हीनता का परिचय देते हुए महंगाई को रोकने मैं असमर्थता जताते हुए खुद को और सरकार को असहाय बता रहे हैं । कई महीनो से महंगाई अपना प्रभाव महामारी की तरह बढ़ा रही है और सरकार है की किम कर्तव्य विमूढ़ होकर हाथ पर हाथ धरे तमाशा देख रही है । पहले मन्दी की मार का रोना गया और अब कोई बहाना नहीं मिला तो खुद को ज्योत्षी न कहकर बढती हुई मंहगाई को रोकने मैं असमर्थता जाहिर करते हुए जनता को बढती हुई महंगाई से लड़ने हेतु असहाय छोड़ रहे हैं । जब जनता खुद की चुनी हुई सरकार और मंत्रियों को महंगाई के मामले मैं असहाय पा रही है तो अब जनता किसके पास इस बढती महंगाई से निजात पाने हेतु गुहार लगाने जाए । वन्ही विपक्ष मैं बैठे हुए चुने हुए जनप्रतिनिधि भी बढती हुई मंहगाई पर चुप्पी साधे हुए बैठे हुए हैं । उससे तो ऐसा प्रतीत होता है की इन्हें भी जनता की इस समस्या से कोई सरोकार नहीं है । और वे भी सरकार के साथ मौन सहमती देते हुए असर्मथता प्रकट कर रहें हैं ।
सरकार द्वारा अभी तक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया जिसकी की प्रभावस्वरूप मंहगाई मैं कोई कमी परिलक्षित हो , साथ ही देश के माननीय प्रधानमन्त्री की इस मामले पर चुप्पी अवं निष्क्रियता भी जनता के मन संशय और संदेह की स्थिती निर्मित कर रही है । और यह सभी गतिविधियाँ देश की लोकतान्त्रिक सरकार की लोकतंत्र की जनता के प्रति जनकल्याण अवं जनसेवा की भावना के प्रति प्रतिबधता और उत्तरदायित्व का दायित्व बोध से उपज रही विरक्ति को दर्शाती है । वन्ही विपक्ष द्वारा भी सरकार को बढती हुई महंगाई को रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाने हेतु बाध्य न करने और सरकार के साथ मिलकर कोई रचनात्मक और सकारात्मक कदम न उठाने की अकर्मण्यता भी विपक्ष अथवा सरकार के बाहर बैठे निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का देश हित और जनहित की भावना के प्रतिकूल व्यवहार और उत्तरदायित्व के प्रति विमुखता को दर्शाता है ।
देश मैं निर्मित हो रही ऐसी परिस्थितियां तो यही जाहिर कर रही है की न तो सरकार को और न ही विपक्ष बैठे जन प्रतिनिधियों को जनता के हितो से कोई सरोकार रह गया है बस सरोकार है तो सिर्फ व्यक्ति गत और राजनीतिक हितो से ।

इस देश का क्या होगा ?

'न्यायिक स्वतंत्रता किसी न्यायधीश का विसेशाधिकार नहीं बल्कि वह कानून और साक्ष्य के आधार पर इमानदारी और निष्पक्षता से निर्णय करने के लिए प्रत्येक न्यायधीश पर डाली गयी जिम्मेदारी है। '
-माननीय दिल्ली हाई कोर्ट

माननीय उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश ए.पी शाह की अध्यक्षता वाली पूर्ण पीठ ने माननीय उच्चतम न्यायलय की याचिका को ख़ारिज कर दिया। सवाल यह था कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचनाएं प्राप्त करने का अधिकार जनता को न्यायपालिका से है या नहीं, यह विवाद काफी दिन से चल रहा था। चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया का कहना था कि उनका पद सूचना अधिकार अधिनियम के तहत नहीं आता है । जिसको लेकर माननीय उच्चतम न्यायलय ने दिल्ली उच्च न्यायलय में एक याचिका दाखिल की थी । दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसपर माननीय उच्चतम न्यायलय ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का निश्चय किया है ।
जब माननीय उच्चतम न्यायलय इस तरह के कार्य करेगा तो उसकी गरिमा निश्चित रूप से गिरेगी जनता को न्यायधीशों को उनके पद पे रहते हुए उनके द्वारा अर्जित संपत्ति का ब्यौरा जानने का अधिकार है क्योंकि चाहे कर्नाटक के मुख्य न्यायधीश दिनकरण का मामला हो या अन्य न्यायधीशों के भ्रष्टाचार का सवाल हो आज न्यायमुर्तियो के आचरण के सम्बन्ध में अंगुलियाँ उठ रही हैं ऐसे समय में माननीय उच्चतम न्यायलय का व्यवहार समझ में नहीं आता है। संविधानिक पदों पर बैठे हुए लोग अगर आपस में मुक़दमेबाजी करते रहेंगे तो इस देश का क्या होगा लेकिन दिल्ली उच्च न्यायलय ने अपना एतिहासिक फैसला देकर उम्मीद की नयी किरण भी जगाई है।

12.1.10

न्याय क्या करेंगे जब न्यायधीश को कानून की जानकारी नहीं

न्याय विभाग में अकुशल पीठासीन अधिकारियों के कारण जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है । मिलावट के कानून के एक जजमेंट में अपर सत्र न्यायधीश ने माननीय उच्च न्यायलय के समक्ष यह स्वीकार किया कि उन्हें अंतर्गत धरा 272 आई.पी.सी के तहत कितनी सजा देनी चाहिए थी उसकी जानकारी नहीं थी । विधि के अनुसार यह माना जाता है कि कानून जैसे बन गया उसकी जानकारी भारतीय संघ से सम्बंधित सारे लोगो को हो गयी है । न्याय विभाग में गुण-दोष के आधार पर निर्णय नहीं हो पा रहे हैं इसलिए भी वाद लंबित रहते हैं । अकुशल पीठासीन अधिकारी अपने सारे अपराधिक वाद के जजमेंट में सजा सुना कर इतिश्री कर लेते हैं। सजा सुना देने से वाद का निर्णय नहीं हो जाता है और अब व्यवहार में अधिकांश पीठासीन अधिकारी अभियोजन पक्ष के एजेंट के रूप में कार्य करते हुए देखे जा सकते हैं. भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता तथा उससे सम्बंधित अन्यविधियों की अनदेखी होती है जनता पीठासीन अधिकारियो को बड़े सम्मान की निगाह से देखती है लेकिन उनके निर्णय जो आ रहे है उससे न्याय नहीं हो पा रहा है आज आवश्यकता इस बात की है की पीठासीन अधिकारियों को और बेहतर प्रशिक्षण और कानून की जानकारी दी जाए ।

ये आग कब बुझेगी...??


  




                   घटना -एक              

 टेस्ट ट्यूब बेबी को गर्भ में मारने की कोशिश,
    डाक्टर पिता गिरफ्तार
कानपुर,( मेआसु  ). लाला लाजपत राय अस्पताल में कार्यरत डाक्टर नीना मोहन रायजादा ने छह दिसम्बर को महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि पति डाक्टर मनीष मोहन, सास, ससुर मदन मोहन सक्सेना और ननद डाक्टर ज्योत्सना मोहन व रश्मि सक्सेना ( दोनों बहनें शादी शुदा हैं और बच्चों के साथ मायके में ही रह रही हैं ) ने उसे बुरी तरह से पीटकर भ्रूण को नष्ट करने का प्रयास किया. भादंवि की धारा ४९८ ए, ३२३ और ३१६/५११ के तहत रिपोर्ट लिखी गई. इस रिपोर्ट में पीड़िता ने कहा कि उनके गर्भ में करीब सात हफ़्ते का भ्रूण है जो टेस्ट ट्यूब बेबी है. इस बेबी के लिए उन्होंने छह लाख रुपए खर्च किए हैं जिसमें पति ने एक रुपए नहीं दिए. दहेज़ की मांग पूरी नहीं होने पर सास ससुर, पति व ननदों ने बीते नौ नवम्बर और फिर पंद्रह नवम्बर को उसे बुरी तरह पीटा जिससे रक्तस्राव होने लगा और भ्रूण नष्ट होते-होते बचा. इससे पहले भी ससुरालवालों ने उन्हें पीटकर तीन माह के गर्भस्थ शिशु की जान ले ली थी. दो साल पहले उन्होंने तलाक का मुकदमा भी दाखिल किया था जो अदालत ने खारिज कर दिया था. उनकी शादी चार साल पहले हुई थी. उसी के बाद ससुरालवालों के जुल्म और बढ़ गए थे. महिला थानाध्यक्ष की आगुवाई वाली टीम ने सोमवार(११-०१-१०) को डा. मनीष मोहन को घर से गिरफ़्तार कर लिया. ताजा घटनाक्रम के बाद आरोपी ससुरालीजन भूमिगत   भूमिगत हो गए. पुलिस ने मुख्य आरोपी को कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें चौदह दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया.
                                                                                                                                                                                             घटना-दो

दहेज़ लोभियों ने वधू को जलाया, हालत गंभीर




कानपुर, ( मेआसु ). बच्चा न होने तथा दहेज़ की मांग पूरी न होने पर चकेरी क्षेत्र में एक महिला को उसके ससुरालवालों ने जला दिया और फरार हो गए. मकर संक्रांति पर खिचड़ी देने पहुंचे भाई को मामले की जानकारी हुई. महिला को शहर के उर्सला अस्पताल में भारती कराया गया है. हालात गंभीर बनी हुई.
छोटी गुटैया स्वरुप नगर निवासी चंदू प्रसाद यादव ने अपनी पुत्री उमा ( ३२ वर्ष ) की शादी चार साल पहले श्याम नगर नटियन चकेरी निवासी कार चालक राजेन्द्र यादव के साथ की थी.सोमवार (११-०१-१०) सुबह उमा का छोटा भाई सुनील मकर संक्रांति पर खिचड़ी देने बहन की ससुराल पहुंचा. सुनील ने जब मुख्य द्वार खटखटाया तो वह अपनेआप  खुल गया. अन्दर पहुंचने पर सुनील को जब कोई दिखाई नहीं दिया तो वह छत पर बने कमरे में गया. कमरे में कदम रखते ही सुनील की चीख निकल पड़ी. बहन उमा जली अवस्था में अचेत पड़ी थी. सुनील ने शोर मचाकर पड़ोसियों को एकत्र  किया और उनकी मदद से बहन उमा को उर्सला अस्पताल में भारती कराया. उमा के परिजनों ने ससुरालवालों के खिलाफ़ चकेरी थाने में तहरीर दी है. सुनील ने आरोप लगाया कि शादी के बाद से ही उमा के ससुरालवाले दहेज़ में तीस हज़ार रुपए और मांग कर रहे थे. मांग पूरी न होने पर उमा का उत्पीड़न करने लगे. शादी के दो साल बीत जाने पर ससुरालवाले उसे बच्चा न होने का ताना भी देने लगे और मारपीट करने लगे. पति राजेन्द्र दूसरी शादी की धमकी भी देने लगा. सुनील का आरोप है कि दहेज़ और बच्चे के लिए उसकी बहन उमा को ससुरालवालों ने मिट्टी का तेल डालकर जाला दिया.
                                  ( स्रोत: राष्ट्रीय सहारा,१२-०१-१० )





आज राष्ट्रीय युवा दिवस है. स्वामी विवेकानंद जी का जन्म दिन है. भारत सरकार ने आज के दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने कि घोषणा की है. उपरोक्त दोनों घटनाओं के मुख आरोपी युवा जगत से ताल्लुक रखते हैं. बढ़ते भौतिकवाद, बाजारवाद और वैश्वीकरण के सबसे ज्यादा शिकार युवा जगत ही है. जिस मुल्क की सत्तर प्रतिशत से ज्यादा आबादी युवा है, उस मुल्क की बहन, बेटियां सुरक्षित नहीं है. यह एक विचारणीय मुद्दा है. सिर्फ सांस्कृतिक आयोजनों से राष्ट्रीय युवा दिवस की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी.
कहीं किसी की बेटी जला दी जाती है, कहीं किसी की बहन के साथ बलात्कार होता है. राह चलते लड़कियों पर अभद्र शब्द-बाण चलाए जाते है. इन सब बुरी हरकतों में भारत के उसी सत्तर फीसदी युवा पीढ़ी के नुमाइंदे लिप्त होते हैं. फिर कैसे मनाएं हम राष्ट्रीय युवा दिवस ? काहे का राष्ट्रीय युवा दिवस ? यह तो सरासर स्वामी विवेकानंद के उसूलों के साथ बलात्कार होगा. उनकी छवि धुल धूसरित होगी.
उपरोक्त दोनों घटनाओं को प्रस्तुत करने का मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि ऐसी घटित होने वाली घटनाओं में प्रमुख भूमिका युवाओं की ही होती है. युवाओं को अपनी भूमिका का नए सिरे से मूल्यांकन करना होगा. ये आग वो आग है जो मुद्दतों से हमारे परिवार और समाज को जलाती आ रही है. ये आग कब बुझेगी....?? इस सवाल का जवाब हम राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर ढूंढ सके तो उचित होगा. सही मायनों में तभी विवेकानंद जयंती अपने राष्ट्रीय युवा दिवस की सार्थकता को सिद्ध कर पाएगी. हम सत्तर फीसदी से अधिक भारतीय युवा आज मिलकर ये शपथ लें कि भविष्य में किसी की बहन, बेटी और माँ दहेज़ और बच्चे के लिए आग में न जलने पाए.
अंत में भारत के नौजवानों का आह्वान करती मेरी ये ग़ज़ल....
नौजवां हो तो ज़ख्मे-वतन की दवा बनो
ढलती शबे-चश्म के लिए सहर बनो.
बेज़ा उठती वहशी तमन्नाओं और
वहशी आवाज़ों के लिए कहर बनो.
गरम है तुम्हारी रगों का खून जो
लंगड़ों की लाठी, अंधों के लिए नज़र बनो.
गरजते बादल, बरसते बादल से बचने को
नादान परिंदों के लिए शज़र  बनो.
अधूरे रिश्ते के राहों को मंजिल मिले 
उस रास्ते के रिश्तों के लिए हमसफ़र बनो.
जिस नज़र से चाहते हो दुनिया देखे 
उस दुनिया की " प्रताप " पहले नज़र बनो.

जय हिंद...!
प्रबल प्रताप सिंह

केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पंवार से ओम प्रकाश चौटाला द्वारा त्यागपत्र की मांग

चंडीगढ़। इनेलो प्रमुख व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला ने केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पंवार के चीनी के दामों को लेकर दिए गए बयान को बेहद गैरजिम्मेदराना और कांग्रेस की बौखलाहट का प्रतीक बताते हुए उन्हें तुरंत केंद्रीय कृषिमंत्री के पद से त्यागपत्र दिए जाने की मांग की है। इनेलो प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण आज चीनी सहित सभी जरूरी चीजों और खाद्य पदार्थोँ के दाम आसमान को छू रहे हैं और केंद्रीय कृषिमंत्री का यह बयान कि वे कोई ज्योतिषी नहीं कि वे बता सकें की चीनी कब सस्ती होगी, महंगाई से त्रस्त देश के करोड़ों लोगों के जख्मों पर मिर्च छिड़कने के बराबर है।
श्री चौटाला ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान चीनी के दाम 17 रूपए किलो से बढ़कर 55 रूपए किलो पर जा पहुंचे हैं और केंद्रीय कृषिमंत्री चीनी के दामों पर कोई सफाई देने या महंगाई को काबू करने के प्रयासों की बजाए इस तरह के गैर जिम्मेदराना ब्यान देते हैं तो उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक व लोकतांत्रिक अधिकार नहीं रह जाता। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश से एक ही आवाज उठ रही है कि कांगेस सरकार जानबूझ कर महंगाई को बढ़ावा दे रही हैं ताकि कालाबाजारियों को फायदा पहुुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि सिर्फ चीनी ही नहीं बल्कि दाल, आटा, चावल, सब्जियों व अन्य सभी जरूरी चीजों के दामों में कई गुणा बढौतरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जो सरकार महंगाई को काबू नहीं कर सकती तो फिर उसे सत्ता से हट जाना चाहिए।
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कांग्रेस सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कालाबाजारी करने वालों से मोटी रकम लेकर अपनी जेबें भर ली हैं और अब पूरे देश की गरीब जनता को कालाबाजारियों के रहमो कर्म पर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ किसान को उनकी फसलों के पूरे भाव नहीं मिलते और दूसरी तरफ किसान की फसल बढ़े-बढ़े औद्योगिक घरानों के पास पहुंचते ही महंगे दामों पर गरीब लोगों को उपलब्ध करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इनेलो की सरकार बनते ही जहां एक तरफ किसानों को उनकी फसलों के पूरे भाव उपलब्ध करवाए जाएंगे वहीं गरीब आदमी को खाने के लिए खाद्य सामग्री सबसिडी देकर सस्ते दामों पर उपलब्ध करवाई जाएगी।
इनेलो नेता ने कहा कि देश व प्रदेश में जब-जब कांग्रेस की सरकारें बनी हैं तब-तब भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी व कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हमेशा से यही सोच रही है कि किसी तरह जरूरी चीजों की बाजार में अप्राकृतिक किल्लत पैदा की जाए ताकि कालाबाजारी करने वालों को फायदा हो सके। उन्होंने कहा कि आज गरीब वर्ग ही नहीं बल्कि मध्यमवर्ग भी महंगाई से बेहद त्रस्त है और जल्द से जल्द देश व प्रदेश से कांग्रेस सरकार को चलता करना चाहता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लेकर कां्रगेसी के सभी नेता व कार्यकर्ता दोनों हाथों से प्रदेश को लूटने में लगे हुए हैं और उनका प्रदेश के हितों से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव में प्रदेश की जनता कांग्रेस को करारा सबक सिखाएगी और इस उपचुनाव का नतीजा आते ही कांग्रेस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।