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12.1.10

इस सप्‍ताह में ही भूकम्‍प के कई झटकों के आने की उम्‍मीद है !!

'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिषीय अनुसंधान केन्‍द्र' के द्वारा ग्रहों की गत्‍यात्‍मक और स्‍थैतिक शक्ति की खोज के बाद यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि इस विशाल ब्रह्मांड में हर घटना एक दूसरे पर आधारित है और विभिन्‍न प्रकार की किरणों या गुरूत्‍वाकर्षण शक्ति के प्रभाव से इनमें से कोई भी अछूता नहीं। जिस तरह हर पशु और पक्षियों में अपने जीन के हिसाब से उसके क्रियाकलाप देखने को मिलते हैं , उसी प्रकार हर व्‍यक्ति अपने जन्‍मकालीन ग्रहों के हिसाब से अपनी शक्ति प्राप्‍त करता है और अपने अपने कर्तब्‍यों का पालन करता है। हां, युग , समाज और काल के हिसाब से व्‍यक्ति विशेष में थोडा बहुत परिवर्तन देखने को मिलता है , उसे हम पृथ्‍वी के अलग अलग भाग का प्रभाव या इसमें होनेवाले परिवर्तन का प्रभाव मान सकते हैं।

व्‍यक्ति विशेष पर ग्रहों के प्रभाव का विशद अध्‍ययन के बाद हमने पृथ्‍वी की जलवायु पर ग्रहों के प्रभाव को समझना चाहा , तो इन दोनो में दिखाई देनेवाला सहसंबंध हमें इसके अध्‍ययन के शौक को बढाता रहा। इस दिशा में हमारी खोज के आधार पर 2010 के पूरे वर्षभर के मौसम पर लिखा गया एक आलेख आप कुछ ही दिनों में आपको मिल जाएगी। मैं यह नहीं कह सकती कि जलवायु को प्रभावित करने सारे ग्रहीय कारकों की हमें जानकारी हो चुकी है , 40 प्रतिशत की ही जानकारी हमें हो सकती है , 60 प्रतिशत तक की खोज बाकी हो सकती है। पर खास तिथि को खास ग्रहीय स्थिति को देखते हुए जलवायु की कोई भविष्‍यवाणी का सटीक हो जाना इस संबंध को मान्‍यता दिलाने के लिए काफी है, जो कि पिछले वर्ष कई बारहो चुका। जलवायु पर ग्रहों के प्रभाव को देखने के बादए भूकम्‍प जैसी घटनाओं पर भी ग्रहों के प्रभाव को जानने की उत्‍सुकता होनी स्‍वाभाविक है। इधर एक दो वर्षों से इस दिशा में अध्‍ययन किया गया तो कुछ सफलता मिलने लगी । आलेख को पूरा पढने के लिए यहां क्लिक करें !!

11.1.10

मुख्यमंत्री पर चुनाव आचार सहिता के उल्लघंन का आरोप

चंडीगढ। ऐलनाबाद से इनेलो प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लघंन करने और मुख्यमंत्री की सुरक्षा के नाम पर ऐलनाबाद के लोगों को बेवजह परेशान करने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग से मुख्यमंत्री के खिलाफ तुरंत कड़ी कार्यवाई किए जाने की मांग की है। इनेलो प्रत्याशी ने कहा कि वे जल्दी ही इस मामले में निर्वाचन आयोग को अवगत करवाते हुए आयोग के पास मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायत भी भिजवाएंगे।
अभय सिंह चौटाला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए अपने साथ सौ-सौ गाडिय़ों का काफिला लेकर चल रहे हैं और मुख्यमंत्री की सुरक्षा के नाम पर पुलिस वाले मुख्यमंत्री की सभा के आसपास स्थित मकानों में रहने वाले लोगों को बेवजह तंग और परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांव नीमलां व बेहरवाला के लोगों ने उन्हें बताया कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा के नाम पर पुलिस कर्मचारी जबरदस्ती उनके घरों की छतों पर आकर तैनात हो गए और उन्हें कभी चाय उपलब्ध करवाने और कभी हाथ सेकने के लिए आग की व्यवस्था करके देने के आदेश देने लगे। उन्होंने कहा कि लोगों के घरों में पुलिस की मौजूदगी से बहू बेटियों को अपने घरों में काम करना मुश्किल हो गया और लोग कई-कई घंटे अपने ही घरों में बंधक बन रह गए। उन्होंने कहा कि वह यह सारा मामला चुनाव आयोग के समझ उठाएंगे। इस अवसर पर अभय सिंह चौटाला के साथ इसराना के विधायक कृष्ण पंवार भी मौजूद थे।
इनेलो प्रत्याशी ने कहा कि आज चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एसवाईएल की याद आई है और दो साल तक पंजाब, हरियाणा व केंद्र में तीनों जगह कांग्रेस की सरकारें थी उस समय मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इस नहर की याद नहीं आई। इनेलो नेता ने कहा कि हरियाणा को उसके हिस्से का अतिरिक्त पानी एसवाईएल के माध्यम से ही मिल सकता है और पिछले पांच सालों से केंद्र व हरियाणा में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस नहर को पूरा करवाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि एसवाईएल पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हरियाणा के पक्ष में आ चुका है और अदालती फैसले अनुसार इस नहर के अधूरे निर्माण को केंद्र सरकार ने पूरा करवाना है और आज देश की किसी भी अदालत में एसवाईएल निर्माण को लेकर कोई स्थगन आदेश भी नहीं है।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि आज भूपेंद्र सिंह हुड्डा ऐलनाबाद में वोट हासिल करने के लिए देवीलाल के नाम का भी इस्तेमाल करना चाहते हैं लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने पानीपत ताप बिजलीघर से चौधरी देवीलाल का नाम हटाकर अपनी छोटी मानसिकता का परिचय दे दिया था। उन्होंने कहा कि जननायक चौधरी देवीलाल न सिर्फ हरियाणा के निर्माता थे बल्कि देश में किसानों, मजदूरों व कमेरे वर्ग को जागरूक करने में उनकी अहम भूमिका थी। उन्होंने कहा कि ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस ने एक ऐसे प्रत्याशी को मैदान में उतारा है जो अपराधियों का सरंक्षक है और पिछले दिनों ही पड़ोसी देश की पुलिस उसके घर से दर्जनों हत्याओं में वांछित एक भगौड़े अपराधी को पकड़ कर लेकर गई थी।
उन्होंने कहा कि ऐलनाबाद उपचुनाव में इनेलो की जीत निश्चित है और अपनी संभावित हार देखकर कांगेस न सिर्फ बौखला गई है बल्कि घटिया हथकंडों पर उतर आई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने प्रचार के लिए गांव-गांव में अपनी पार्टी के जिन तथाकथित वरिष्ठ नेताओं की जिम्मेवारी लगाई है उसकी गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुत्ताबढ़ गांव में कांग्रेस ने जिस पूर्वमंत्री लछमण कम्बोज को जिम्मेवारी सौंपी है वह पिछले कई महीनों से कांग्रेस छोड़ इनेलो में शामिल हो चुका है और आज उसका कांग्रेस से कोई वास्ता भी नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों के दौरान इस क्षेत्र के साथ बिजली-पानी, विकास व नौकरियों के मामले में जो अनेदखी हुई है उसका कोई जवाब कांग्रेस के पास नहीं था इसीलिए कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं की बजाए बाहर से लाकर कांग्रेसी विधायकों व नेताओं को यहां जिम्मेवारी सौंपी है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा को खुली बहस की चुनोती दी चौटाला ने

चंडीगढ। ऐलनाबाद से इनेलो प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री के ऐलनाबाद के विकास के दावों को एक दम खोखला बताते हुए कहा कि हुड्डा सरकार में ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों में रहने वाले लोगों को साथ लगते राजस्थान से पीने के लिए पानी खरीद कर लाना पड़ रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री विकास के झूठे दावे करके लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का प्रयास कर रहे हैं। इनेलो प्रत्याशी ने कहा कि वे यह बात किसी द्वेष या राजनैतिक दुर्भावनाओं के कारण नहीं बल्कि इस क्षेत्र के लोगों की वास्तविक स्थिति को बयान करते हुए कह रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के दावों को झूठा व तथ्यों से परे बताते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इस मामले में सार्वजनिक मंच पर खुली बहस की चुनौती दी है।
इनेलो प्रत्याशी ने कहा कि मुख्यमंत्री पिछले पांच सालों में सिरसा जिले व ऐलनाबाद के विकास पर इनेलो सरकार के कार्यकाल से ज्यादा विकास किए जाने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उनके साथ सार्वजनिक मंच पर आकर बहस में यह बात साबित कर दें तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा और अगर मैं मुख्यमंत्री के दावों को पूरी तरह से झूठा साबित करने में सफल रहा तो फिर मुख्यमंत्री को तुरंत अपने पद से त्यागपत्र देकर राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र के राजस्थान सीमा से लगे हुए गांव कर्मशाना के लोग साथ लगते राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गांव ढंढेला से पीने का पानी 400 रूपए प्रति टैंकर की दर पर खरीद कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीने के पानी को लेकर कागदाना, गुसाईआना, खेड़ी व कुम्हारिया सहित अनेक गांवों की स्थिति आज ऐसी ही है और इन गांवों के लोगों को पीने का पानी राजस्थान से खरीद कर अपना जीवन यापन करना पड़ रहा है।
कांग्रेस पर तीखे प्रहार करते हुए इनेलो प्रत्याशी ने कहा कि सरकार एक तरफ गेहूं के दामों में मात्र 20 पैसे किलो बढ़ौतरी करती है जबकि खाने वाले गरीब आदमी को आज आटा दौगुने दामों पर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि चीनी, दाल, सब्जियां, मिर्च से लेकर चायपत्ती तक खाने-पीने की हर चीज के दाम कई गुणा महंगे हो गए हैं और गरीब आदमी परिवार के साथ दो वक्त पेट भरकर खाना खाने की स्थिति में भी नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को आज ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र की याद उस समय आई जब उन्हें यह पता चल गया कि ऐलनाबाद से कांग्रेस के चुनाव हारते ही उसी दिन से कांग्रे्रस सरकार का पतन हो जाएगा और प्रदेश में फिर से इनलो की सरकार बन जाएगी।
उन्होंने कहा कि 1998 में फतेहाबाद उपचुनाव में इनेलो की जीत के साथ ही प्रदेश से बंसीलाल की सरकार का पतन हो गया था और इनेलो की सरकार बन गई थी, ठीक उसी तरह ऐलनाबाद से इनेलो की जीत होते ही हुड्डा सरकार अपने बोझ से गिर जाएगी और चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में जननायक चौधरी देवीलाल की नीतियों पर चलने वाली सरकार सत्ता में आएगी। इनेलो नेता ने कहा कि 1999 में जब बंसीलाल की सरकार टूटने से इनेलो की सरकार बनी थी उस समय तो इनेलो के पास मात्र 21 विधायक थे जबकि अब तो हजकां विधायकों की सदस्यता रद्द होते ही इनेलो सरकार बनाने की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दलबदल कानून के तहत हजकां विधायकों की सदस्यता रद्द होना तय है और वे ज्यादा दिनों तक अब विधायक नहीं रह पाएंगे।
अभय सिंह ने आज गांव मल्लेकां, केसूपुरा, कोटली, कुत्ताबढ़, रत्ताखेड़ा, हमायुखेड़ा, शेखूखेड़ा, कृपालपट्टी और मौजूखेड़ा में भी जनसम्पर्क अभियान करके लोगों से इनेलो को भारी बहुमत से विजयी बनाने की अपील की। इन जनसभाओं को कालांवाली के विधायक चरणजीत सिंह, रानियां के विधायक कृष्ण कम्बोज, पूर्वकृषि मंत्री जसविंद्र सिंह संधू, टोहाना के पूर्व विधायक निशान सिंह, इंद्री के पूर्व विधायक राकेश कम्बोज, रादौर के पूर्व विधायक ईश्वर पलाका, इनेलो के राष्ट्रीय सचिव बृृजशर्मा, महिला नेत्री सीमा गेहबीपुर, फतेहबाद जिला परिषद की पूर्व सदस्या सुमन सिवाच सहित अनेक इनेलो नेताओं ने संबोधित किया। इन जनसभाओं में कांग्रेस और हजकां के कई लोगों ने इनेलो में शामिल होने की घोषणा की। इससे पहले गांव कर्मशाना में अभय सिंह की जनसभा में कांग्रेस नेता गौरी शंकर कसवां ने अपने सैंकड़ों समर्थकों सहित कांगेस छोड़कर इनेलो में शामिल होने की घोषणा की। इस प्रकार सतनाम सिंह, बिंद्रराम, बीराराम और अमरीक सिंह ने भी कांग्रेस को अलविदा कहकर इनेलो का दामन थामने की घोषणा की। अभय सिंह ने इन सभी का पार्टी में शामिल होने का स्वागत किया और पूरा मान सम्मान देने का भरोसा दिलाया।

सरकार के हत्यारे

बम्बई पुलिस के तेज तर्रार एन्काउन्टर विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा एक कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में गिरफ्तार कर लिए गए हैं । 100 से अधिक मुठभेड़ में लोगों की हत्या कर चुके एन्काउन्टर स्पेशलिस्ट को राम नारायण उर्फ़ लखन भैया के हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया है । राम नारायण उर्फ़ लखन भैया की हत्या एनकाउन्टर स्पेशलिस्ट ने एक मुठभेड़ में कर दी थी। यह खेल लगभग तीस वर्ष पूर्व पूरे देश में शुरू हुआ था अपराधियों ने पुलिस को अपने पक्ष में कर अपने विरोधी की हत्या एन्काउन्टर के नाम पर करनी शुरू कर दी। खेल जारी रहता लेकिन बम्बई के दया नायक की गिरफ्तारी के बाद व जगह-जगह निर्दोषों को पकड़ कर उनकी हत्या करने के मामलों में सैकड़ों पुलिस कर्मचारियों को अदालतों ने आजीवन कारावास की सजा भी दी। जिससे इस कार्य में शिथिलता आनी शुरू हो गयी। उत्तर प्रदेश में लोगो ने अपनी रंजिश को समाप्त करने के लिए पुलिस से मिलकर तमाम सारी हत्याएं करवा डाली। इस तरह से ये सरकारी हत्यारे जनता के पैसे से नौकरी भी करते थे और हत्या भी करने का कार्य करते रहते थे । आउट ऑफ़ टर्न प्रोमोशन प्राप्त करने के लिए पुलिस ने देश में नवजवानों की हत्याएं कभी आतंकवाद के नाम पर कभी शातिर अपराधी के नाम पर कर दी हैं। कार्यपालिका का ही विधि विधान में विश्वास नहीं रहेगा तो कैसे इस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था चलेगी ।
एन्काउन्टर में पहले जिस व्यक्ति की हत्या करनी होती है उसको पकड़ कर किसी अज्ञात जगह पर रखा जाता है फिर उसके पश्चात पुलिस के उच्च अधिकारियों को विश्वास में लेकर उसकी हत्या किसी सूनसान जगह पर ले जाकर कर दी जाती है । मीडिया को भी विश्वास में ले लिया जाता है। वह अखबारों व टेलीविज़न चैनलों पर पुलिस द्वारा बताये गए किस्से कहानियों को बढ़ा चढ़ा कर जनता के बीच में पेश कर हत्या को मुठभेड़ साबित करने का कार्य करती है ।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

हम बेज़ुबां भी दिमाग रखते हैं....!


















मैं प्रतिदिन दो बार  दांत साफ़ करती हूं.















ठण्ड में मैं भी गर्म कपड़े पहन के निकलता हूं.














साल में दो बार दांतों के डाक्टर से अपना दांत चेक करवाता हूं.



















मैं प्रतिदिन सनबाथ लेता हूं.


 जब मैं गहरी नींद में होता हूं 
तो मेरे ऊपर कौन सो रहा है, पता नहीं चलता.














मैं हमेशा कार और हवाई जहाज़ में 
अपने को सीट बेल्ट से बांधकर रखता हूं.




 पीने के बाद मैं भी मौज करता हूं.


मैं ऐसे ही हंसता हूं.



 भूख से ज्यादा नहीं खाती हूं.



 रोज नहाती हूं.


दिमाग को दुरुस्त रखने के लिए रोज पढ़ती हूं.


 दोस्त मुझे बहुत प्यार करते हैं.


















मुझे काली चाय अच्छी लगती है.




 इंसानों की बढ़ती आबादी के कारण 
टॉयलेट को हम साझा कर काम चलाते हैं.


















शरीर को फिट रखने के लिए हम रोज़ाना व्यायाम करते हैं.
















ज्यादा पढ़ाई से मेरी आँख की रौशनी कम हो गई है.


  स्वस्थ जीवन का आधार शाकाहार, 
इसलिए हम शाक-पात खाते हैं.




 लोग मुझे स्टाइल में पसंद करते हैं, 
इसलिए मैं स्टाइलिश कपड़े पहने रहता हूं.



















मुझे गुस्सा नहीं आता क्योंकि मैं गुस्सा दूर करने के लिए बाबा 
रामदेव के बताए प्राणायाम करता हूं.



















मेरे मालिक मुझे जहां सुलाते हैं मैं वहीं सो जाता हूं.















कोई भी सुअवसर हो हम सब एकजुट होकर खूब मौज-मस्ती करते हैं.






















मुझे संगीत से गहरा लगाव है, जब घर के काम से फुरसत
मिलती है तो मैं संगीत का आनंद लेती हूं.
















मुझे अपने बच्चों से बहुत प्यार है.

प्रबल प्रताप सिंह


Saat Samunder Paar by Kamlesh Chauhan Review Written by Prof. M.S. Verma

Saat Samunder Paar  Wriiten by Kamlesh Chauhan
Review Written By : Prof M.S. Verma Delhi India




Sundari is uprooted from her Indian background, loses her lover, is married off to the uncle of her lover, much older than her and has been thrown into a whirlpool of quirks of fate. As such a quest for the lost love and compromises permeate the novel. Whether it is in India, America, England or Canada, the protagonist Sundari keeps frantically looking for true love and while she is doing this she goes through trials and tribulations, mental and physical tortures, frustrations and all numerous harrowing experiences through interaction with circumstances, characters, cultural ethos, wrestling with socially acquired do’s and don’ts. But the love she is looking for is illusive except the short period spent with Aakash. “Pyar ki bhook pyar se hi miti hai, baaton se nahin.” And then in the end of the novel she says to Anup, “Is saat samundar paar ki dharti ki bhul bhulayan mein kabhi khone na dena mere pyar ko.” The reader feels as if she has found her love but the insecurity and uncertainty continue. This love is a mirage and life is a maze of compromises. There is little likelihood of quenching of the thirst for love and peace. This gives the reader a feeling as if the novel were autobiographical as it often happens with most artists.



To describe the predicament of Sundari and most other characters I would like to quote from one of my poems, “The finger can’t reach the itch. Life is such a bloody bitch.” The hunger for love is overbearing, love is unrequited; it is a biological hunger; it haunts as physical vs. emotional dilemma. It is love in all its facets. If at one point a loveless marriage forces a lovelorn woman to seek it outside wedlock, at another point attempt is made to trade physical love for emotional love, the genuine love, which is difficult to define and can only be experienced if one has been so lucky. Sundari’s spirit like Tiresias haunts every woman character, so much so that even male characters are not exempt. The woman kind, irrespective of nationality hunger for this love. Kamlesh is boldly vocal for their cause and has hit the mark. One feels shaken at the predicament of the suffering victims.



Love, in various aspects finds expression. Indian hush hush attitude towards matters of sex and love, the question of faithfulness in the Indian context, man and woman relationship going round and round without a defining point, the question of sex before love in Indian and western context etc. all find expression in the novel. There is candid assertion for the freedom of expression of woman’s sexuality. There is juxtaposition of Indian and western perspectives of love but there is no denouement. Sometimes it appears as if diversions away from the main concern were only obstructing the narrator from continuing with the main concern, i.e. love. In this hide and seek game, all men and women suffer one way or the other.



The love of lucre urges the parents of daughters to marry the girls off to NRIs with the belief that the daughters were sure to find heaven in the west little knowing that in fact they were sending them to hell in most cases. They sacrifice the girls’ happiness, disrupt her studies and pack them off as hurriedly as they can. In India restrictions are put on their studies and work. But the fate of Sundari and her ilk awaits them and life keeps bobbing up and down as a rudderless boat does in the sea. In a few cases parents think that marrying their daughters to NRIs is a matter of status and all along the hapless girls are the victims whether they are uneducated like Sheila or educated like Sundari, Nisha or Chandra. The Author has acutely felt the pain of the helpless victims of the foreign culture and their social tensions forcing them to resort to smoking, drinking and using drugs, almost alien to Indian girls. In interpreting this scenario the reference point is always our Indian culture. Almost all Indians face the problem of inability to assimilate themselves into the western culture.



But Kamlesh Chauhan has pointed to the flaws in our culture too. Indian culture has some chronic ailments such as gossiping, backbiting, interfering into others’ affairs, finding fault in others’ daughters so on and so forth. Credulous women are exploited easily and suffer at the hands of the unscrupulous persons. Blood sucking evil pests like Randhawa too chase the Indian girls and their presence adds to their misery. But the introduction of Randhawa has been successfully used by the author to enhance the dramatic tension in the story. His presence creates suspense in the novel and adds to its readability. Then the sufferings of the westernized Indian Community, especially the women, are also highlighted by the author. Divorced wives, emotionally wrecked orphaned children, uprooted families, experiences with step fathers and mothers, all find expression in the story and leave a lasting impression on the readers. Here money seems to be all important and makes the mare go, though not always so. The consequences of this fragmented world naturally lead to communication gap between parents and their offspring.



I had covered about thirty pages of the novel when I was reminded of Prem Chand’s Karam Bhoomi and Rang Bhoomi. The influence of Prem Chand was very clear but then the language did not suit the narrative and the originality of the author’s style took over. It is certain that with the passage of time the language will further evolve. The novel has been an eye opener for me personally. I had never perceived of the life of the NRIs as it really is and it is frightening. I am sure the novel will make parents of sons and daughters think twice before they decide to send their children with rosy dreams. The hardships that wait in the west should not be lost sight of. Kamlesh has done a commendable job not only as a writer with a purpose but also as a teacher for thousands aspirants who intend to go abroad in the search of a life which is Utopian.





Prof. M. S. Verma

11 January, 10

दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भरत सिंह बेनीवाल के लिए मांगे वोट

सिरसा रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में आज आम आदमी का कल्याण और प्रदेश का विकास करने वाली सरकार काम कर रही है। इस सरकार ने हर वर्ग का उत्थान करने वाली नीतियां बनाई हैं। दीपेंद्र आज गांव गिगोरानी में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनीवाल के पक्ष में लोगों से वोटों की अपील करते हुए कहा कि यह भरत सिंह बेनीवाल की नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी की नीतियों की जीत होगी। सांसद ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने प्रदेश को चार-चार बिजली उत्पादन संयंत्र दिए हैं जबकि पिछली सरकारों ने सिर्फ बिजली देने की बातें की थीं। खेदड़, यमुनानगर, कुम्हारिया और झाड़ली में बिजली संयंत्र लगाकर प्रदेश में बिजली की कमी को पूरा किया जाने का प्रयास किया गया है। ऐलनाबाद हलके में पानी की समस्या के बारे में उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार टेल तक पूरा पानी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि ऐलनाबाद की जनता ने बार-बार इनेलो के नुमाइंदे को आजमाया है लेकिन कभी भी वे लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। इस बार भरत सिंह और कांग्रेस पार्टी को आजमा कर देखें। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पहले के शासन में झूठ और लूट की राजनीति होती थी लेकिन अब विकास हो रहा है। कोई नौकरियां नहीं बेची जाती और हर काम योग्यता के आधार पर किया जाता है। गांव कुम्हारिया में पहुंचने पर युवा सांसद का गांव के पूर्व सरपंच रामसिंह बेनीवाल व हरिसिंह बेनीवाल ने पगड़ी पहनाकर गर्मजोशी से स्वागत किया। दीपेंद्र हुड्डा ने गांव के बुजुर्ग महिला-पुरुषों से आशीर्वाद लिया और उन्हें राम-राम के संबोधन से सभा में पहुंचने पर आभार व्यक्त किया। सांसद ने गांव नाथूसरी, कुम्हारिया, कागदाना, रामपुरा बागडिय़ान, जोगीवाला, चाहरवाला, रूपाणा जाटान, रूपाणा बिश्नोइयां, शक्कर मंदौरी,शाहपुरिया, तरकांवाली में भी लोगों को संबोधित किया। इस अवसर पर उनके साथ पूर्व विधायक प्रो. छत्रपाल सिंह, पूर्व विधायक सोमवीर, हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के पूर्व सदस्य जयसिंह बिश्नोई, भगतराम धारणिया, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष होशियारी लाल शर्मा, ब्लॉक कांग्रेस के शहरी प्रधान भूपेश मेहता, रणबीर सिंह मंडोला, भूपेंद्र कासनिया, सूर्यदेव दहिया, हरिसिंह सरपंच गिगोरानी, रणजीत कासनिया सरपंच नाथूसरी, लेखराम नंबरदार, बनवारी लाल पूर्व सरपंच, रामसिंह बेनीवाल, सुरेंद्र बिश्नोई, हरीश सोनी आदि उपस्थित थे।