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10.1.10

आप मुझे अच्छे लगने लगे

साम्राज्यवादी शक्तियों ने आज देश की राजनीतिक विचारधारा, अर्थव्यवस्था एवं संस्कृति को किस प्रकार अपने काबू में कर रखा है कि जो पार्टी अपने को समाजवादी विचारक डॉक्टर राम मनोहर लोहिया की अनुयायी कहा करती थी वह कार्पोरेट समाजवाद के जाल में फंस कर साम्राज्यवादी प्रवत्ति के गुण दर्शा रही है तो वही बेनी प्रसाद वर्मा जैसे लोग जो अमर सिंह के समाजवादी पार्टी में बढ़ते हस्तक्षेप व अपनी उपेक्षा से छुब्ध होकर पार्टी छोड़ गए थे अब उन्ही अमर सिंह को अपने साथ आने की दावत कांग्रेस में दे रहे हैं और अमर सिंह अब उन्हें अच्छे लगने लगे।

मुलायम सिंह पर समाजवादी विचारधारा का परित्याग कर अमर सिंह के कार्पोरेट समाजवाद के जाल में फंस कर चाल चरित्र बदलने का आरोप उनके पुराने साथी बेनी प्रसाद वर्मा लगा कर पार्टी से अलग हुए थे और कांग्रेस की गोद में बैठ कर उन्होंने मुलायम सिंह की पार्टी समाजवादी को प्रदेश में सत्ता से बाहर कर देने में अहम् भूमिका अदा की थी, आज वही बेनी प्रसाद वर्मा अमर सिंह को कांग्रेस में आने का न्योता दे रहे हैं ।
लोग शायद अनुमान नहीं कर पाए कि बेनी प्रसाद वर्मा ने जब कुरता धोती छोड़ सूट धारण किया तो केवल उनका तन का ढांचा नहीं बदला बल्कि उनके मन के विचारों में भी तब्दीलियाँ आ चुकी थी। जो नेता बाराबंकी में सड़कों पर पैदल चल कर बीड़ी पिया करता था अब वह विदेश निर्मित कारों एवं एयर कंडीशन कमरों में बैठ कर भला समाजवाद की बात कैसे करता ? अमर सिंह से भी समाजवादी पार्टी में उनकी रस्साकशी अपनी इसी बढती महत्वकांछा की प्रवृत्ति के चलते ही रही।
साम्राज्यवादी शक्तियों ने किस प्रकार देश की समाजवादी विचारधारा रखने वाले या आम जनमानस के हितों का विचार रखने वाले राजनितिक दलों को छिन्न-भिन्न करने की योजना बनाई है उसका अनुमान इस बात से भली भांति लगाया जा सकता है कि आंध्र प्रदेश के कांग्रेसी मुख्य मंत्री राज शेखर रेड्डी जिनका प्रदेश को सूचना प्रद्योगिकी में आत्म निर्भरता एवं निपुणता की और ले जाने में बहुमूल्य योगदान था की हेलीकाप्टर दुर्घटना में हुई मौत महज एक हादसा न होकर एक साजिश थी जो रिलायंस इनर्जी एवं ऑयल कंपनी के बोर्ड ऑफ़ ड़ाईरेक्टर के सलाहकार की हैसियत से काम कर रहे एक अमेरिकी ने अंजाम दिलाई थी और जिसका खुलासा रूस के गुप्तचरों ने अभी हाल में किया तो पूरे आन्ध्र प्रदेश में तीव्र प्रदर्शन रिलायंस कंपनी के विरुद्ध हुए।

चूँकि देश में कृषि के व्यवसाय को तहस नहस कर खाद्य पदार्थों में आत्म निर्भरता पर हमला करने की योजना साम्राज्यवादियों ने बना ली थी इसलिए आवश्यक था की समाजवादी विचारधारा का पहले नष्ट किया जाए बेनी प्रसाद वर्मा भी उसी साजिश का शिकार हुए अब वह स्वयं कार्पोरेट समाजवादी बन चुके हैं सो उन्हें अब अमर सिंह अच्छे लगने लगे हैं।
-मो॰ तारिक खान

9.1.10

हांसी-बुटाना नहर से प्रभावित नहीं होगा सिरसा का हक: मुख्यमंत्री

रूचिका प्रकरण में सरकार ने सीबीआई को लिखा पत्र,
एसवाईएल मामले में राष्ट्रपति को भेजा गया है पत्र
सिरसाहरियाणा के मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला की राजनीति पंजाब के नेताओं के साथ जुड़ी है इसलिए चौटाला का हरियाणा के हितों से कोई सरोकार नहीं हो सकता, चौटाला ने सदैव ही पंजाब के नेताओं के इशारे पर हरियाणा के हितों पर कुठाराघात किया है जिसके परिणाम हरियाणा की जनता को भुगतने पड़े है। श्री हुड्डा आज एमडीएलआर कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एसवाईएल के मामले में विलंब जरूर हुआ है लेकिन मामला खत्म नहीं हुआ है। इस मामले की विलंबता और लंबा खींचने के लिए चौ. देवीलाल की पार्टी दोषी है जिसने राजीव-लौंगोवाल समझौता का विरोध किया था जिसके कारण बाद में इसमे देरी हुई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पीडब्ल्यूडी को नहर की खुदाई के लिए आदेश दिया था। उन्होंने बताया कि इस मामले में अब राष्ट्रपति को पत्र लिखा गया है। उन्होंने कहा कि कांगे्रस ने ही इस नहर की खुदाई शुरू करवाई थी और कांगे्रस ही अपने हिस्से का एक एक बूंद पानी लेकर आएगी।
रूचिका प्रकरण में धारा 306 के तहत पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को क्या सरकार गिरफ्तार करेगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई को लिखा गया है नोटिफिकेशन होते ही अगली कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अदालत ने जो नोटिस भेजा था उसका जवाब भेज दिया गया है। उन्होने कहा कि पीडि़त परिवार के साथ सरकार की सहानुभूति है और पूरा न्याय दिलाया जाएगा। सिरसा जिला की उपेक्षा किए जाने को लेकर विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार साल में सरकार ने विकास कार्यो पर 1120 करोड रुपये खर्च किए जबकि इनेलो सरकार ने मात्र 720 करोड रुपये ही खर्च किए थे। उन्होने कहा कि सिरसा के पिछड़ेपन के लिए ही वे ही लोग जिम्मेदार है तो कांगे्रस सरकार पर आरोप लगा रहे है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हांसी-बुटाना से सिरसा जिला का हक प्रभावित नहीं होगा उसने पहले जितना पानी मिल रहा था उतना जारी रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि एसवाईएल मामले में राष्ट्रपति को पत्र लिखा गया है। रूचिका प्रकरण में धारा 306 के तहत पूर्व डीजीपी की गिरफ्तारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में सीबीआई को लिखा गया है नोटिफिकेशन होते ही अगली कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पीडि़त पक्ष को पूरा न्याय दिलाया जाएगा। हांसी बुटाना नहर को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि इस नहर के निर्माण से सिरसा जिला के हक प्रभावित नहीं होंगे सिरसा जिला को पहले जितना पानी दिया जा रहा था उसमें कोई कमी नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि भाखडा नहर के लेबल में कुछ कमी आने से पानी की मात्रा कम हुई थी फिर भी पानी दिया गया।
मंत्रिमंडल में निर्दलीयों को अधिक महत्व दिए जाने औरपार्टी विधायकों की उपेक्षा किए जाने के सवाल पर उन्होंनें कहा कि आजाद उम्मीदवारों ने सरकार को समर्थन दिया है ऐसे में उन्हें सम्मान दिया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई उद्योग नीति के तहत प्रदेश के पिछड़े ब्लाकों में उद्योग स्थापित करने को प्राथमिकता दी जाएगी और उद्योग लगाने वालो को विशेष छूट दी जाएगी। उन्होंने पार्टी में गुटबंदी की बात से साफ इंकार किया। उन्होने दावा किया कांगे्रस एप चुनाव सीट भारी मतों से जीतेगी। इस मौके पर गृहराज्यमंत्री गोपाल कांडा, कांगे्रस प्रदेशाध्क्ष फूलचंद मुलाना, मुख्य संसदीय सचिव राव दान सिंह, सुलतान सिंह, विधायक धर्म सिंह छोकर, होशियारी लाल शर्मा और गोबिंद कांडा आदि मौजूद थे।

माननीय उच्च न्यायलय को गुस्सा आया

माननीय उच्च न्यायलय उत्तर प्रदेश ईलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ के न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र मिश्रा दो नामो से दायर याचिका को ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर दस-दस लाख का जुर्माना ठोका तथा याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं पर भी 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और जिला अधिकारी सिद्दार्थनगर को आदेशित किया है की एक माह के अन्दर जुर्माना वसूल कर लिया जाए इस फैसले के पीछे तर्क यह लिया गया है कि याचिकाकर्ताओं ने गलत याचिकाएं दाखिल कर न्यायलय के समय को बर्बाद किया है । न्यायलय के आदेश की हम कोई आलोचना नहीं कर रहे हैं लेकिन न्यायलय को राज्य द्वारा किये गए अधिकांश वाद, जो फर्जी साबित होते हैं उनपर भी राज्य के खिलाफ इस तरह की कठोर कार्यवाही करनी चाहिए । माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन राज्य करता रहता है और उसके अधिकांश निर्णय तब लागू हो पाते हैं जब अवमानना की कार्यवाही शुरू होती है। एक आइ.ए.एस अफसर माननीयों के सामने अवमानना की कार्यवाही में उपस्तिथ होता है तो वह क्षमायाचना करके फुर्सत पा जाता है और उसके खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं होती है अच्छा यह होता की यदि राज्य के प्रति थोडा सा गुस्सा माननीय उच्च न्यायलय दिखाए और कठोर कार्यवाही कुछ करे तो वादों का काफी बोझ हल्का हो सकता है अफरा-तफरीह का माहौल है आए दिन विधि विरुद्ध निर्णय अधीनस्थ न्यायलयों द्वारा पारित होते रहते हैं सम्बंधित पीठासीन अधिकारीयों के खिलाफ माननीय उच्च न्यायलय कोई कार्यवाही अपने निर्णय करते समय नहीं लिखता है । राजस्व, व्यापार कर, आयकर तथा करों से सम्बंधित अदालतें विधि विरुद्ध आदेश करती रहती हैं अंत में माननीय उच्च न्यायलय से ही जनता को राहत मिलती है कभी भी माननीय उच्च न्यायलय उन पीठासीन अफसरों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करता है। जनता कमजोर होती है अधिवक्ता निरीह होता है। न्यायलय की मदद अधिवक्ता करने के लिए होता है वह कोई पक्षकार नहीं होता है और अगर न्यायलयों के गुस्से से अधिवक्ताओं के ऊपर जुरमाना लगाने की परंपरा चल निकली तो माननीय उच्च न्यायलय को यह सोचना पड़ेगा की वह कैसे न्याय व्यवस्था बनायेंगे और कैसे लोगो को न्याय देंगे।

8.1.10

सब कुछ लुटा के होश में आए....


पा के प्रभावशाली लीडर अमर सिंह ने दुबई में बैठकर पार्टी के सभी महत्वपूर्ण क्रमशः महामंत्री, प्रवक्ता एवं संसदीय बोर्ड की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उनका यह इस्तीफा ऐसे समय पर आया है जब पार्टी के अन्दर से उनकी कार्यशैली के विरूद्ध बुजुर्ग समाजवादी लीडर ज्ञानेश्वर मिश्रा एवं पार्टी में सबसे समझदार माने जाने वाले डा0 राम गोपाल यादव के विरोध के स्तर फूटने प्रारम्भ हो गये थे और पार्टी मुखिया इस पर खामोश थे।
वर्ष 1993 में आकर पार्टी के ब्राण्ड एम्बेस्डर का रोल निभाने वाले अमर सिंह ने चंद वर्षों के दौरान जिस प्रकार मुलायम सिंह के दिमाग पर अपना बंगाल का काला जादू चढ़ाया था, जहां से उन्होंने कांग्रेसी लीडर सिद्धार्थशंकर राम की छत्रछाया में राजनीति की ए0बी0सी0डी0 सीखी थी, उसके चलते सपा के सबके बाद एक दिग्गज नेता किनारे लगते चले गये। चाहे वह ज्ञानेश्वर मिश्रा हो या डा0 रामगोपाल यादव चाहे वह शफीकुर्रहमान बर्क रहे हों या सलीम शेरवानी, चाहे वह बेनी प्रसाद वर्मा रहे हो या आजम खां या राज बब्बर अन्त में मुलायम का हाल यह हुआ कि सारी खुदाई एक तरफ अमर प्रेम एक तरफ। मुलायम पर अमर सिंह का ऐसा नशा चढ़ा कि वह समाजवाद का पाठ भूलकर साम्राज्यवाद की डगर पर चल पड़े। उनके पुराने दोस्त जो लोहिया के विचारों के थे वह तो किनारे लग गये अनिल अम्बानी, अमिताभ बच्चन, सुब्रतराय जय प्रदा व जया बच्चन के साथ उनकी गलबहिएं बढ़ती गई। परिणाम यह हुआ कि लोहिया का समाजवाद बकौल वयोवृद्ध समाजवादी लीडर मोहन सिंह के वह काॅरपोरेट समाजवाद में तब्दील हो गया। मुलायम के वोट की दौलत लुटती गई और विदेशी बैंकों में उनकी दौलत में भण्डार बढ़ते गये।
मुलायम सिंह की राजनीतिक बैसाखी दो प्रबल वोट बैंकों पर टिकी थी एक यादव दूसरा मुस्लिम जो उन्हें अपना सच्चा और खरा हमदर्द समझती थी और उनकी इसी छवि के कारण संघ परिवार के लोग उन्हें अपना कट्टर दुश्मन मान कर मौलाना मुलायम सिंह भी कहा करते थे।
अमर सिंह ने मुलायम सिंह के चरित्र को ऐसा बदला कि अखाड़े का यह पहलवान जो कभी लंगोट का बेइंतेहा मजबूत माना जाता था, पर बदनामी के कई दाग लगने लगे। कभी फिल्मी तारिकाओं का लेकर तो कभी उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल में उनकी निजी सचिव रही एक महिला आई0ए0एस0 अधिकारी के साथ उनकी करीबी रिश्तों को लेकर। कहते हैं कि जब किसी व्यक्ति का चरित्र कमजोर हो जाता है तो वह आत्मबल से कमजोर होकर नैतिक पतन के अंधकार में चला जाता है। मुलायम के साथ भी ऐसा ही होने लगा। उनके घर में उनकी छवि बिगड़ने लगी। पहली पत्नी की बीमारी और उसके बाद उनका देहान्त फिर उनके पुत्र अखिलेश से उनके रिश्तों में कड़वाहट मुलायम सिंह की मौजूदा पत्नी व अखिलेश के बीच मतभेद के पीछे भी बताते हैं अमर सिंह का ही अहम किरदार शामिल है।
यही तक नहीं मुलायम सिंह के छोटे अनुज शिवपाल यादव, अखिलेश, डिम्पल वगैरह का एक ऐसा गुट अमर सिंह ने तैयार कर दिया कि मुलायम सिंह बिलकुल बेबस होकर अकेले रह गये मुलायम का अपना कोई स्वतंत्र निर्णय न हो पाता उनके ऊपर अमर सिंह का निर्णय ही सदैव हावी रहता। यहाँ तक कि बीते लोकसभा चुनाव में मुसलमानों में नफरत की निगाह से सदैव देखे जाने वाले कल्याण सिंह के साथ हाथ मिलाकर मुलायम ने अपने सबसे वफादार वोट बैंक मुस्लिम में भी हाथ धो लिया और इसी का लाभ उठाकर कांग्रेस ने अपने बरसों पुराने रूठे हुए मुस्लिम वोट बैंक को अपने घर वापसी कराने में सफलता प्राप्त कर ली।
अमर सिंह की ही गलत नीतियों के चलते हपले शफीकुर्रहमान बर्क, सलीम शेरवानी और राजबब्बर जैसे वफादार नेता मुलायम का साथ छोड़कर गये फिर उनके सबसे पुराने साथी बेनी प्रसाद वर्मा व आजम खाँ भी उनसे रूठकर अलग हो गये। यह सभी अमर सिंह के ही घायल रहे और मुलायम के अमर प्रेम के ही चलते उनसे नाराज हुए। बेनी का तो भरपूर इस्तेमाल कांग्रेस ने करके सपा को ठिकाने लगाने के अतिरिक्त उ0प्र0 में अपने दोबारा सत्ता में आने की राह हमवार कर ली। और वह सपने भी संजोने लगी, वही आजम खा की बयानबाजी ने मुस्लिम वोटों को उनसे काफी दूर कर दिया।
अमर सिंह ने मुलायम के हरे भरे राजनीतिक चमन में ऐसी आग लगाई कि उनके घर तक आग जा पहुंची। बताते हैं कि फिरोजाबाद में अखिलेश की पत्नी डिम्पल की हार की दुआ मुलायम की पत्नी कर रही थी तो वही पलटवार करते हुए मुलायम की पत्नी की पसंद के उम्मीदवार बुक्कल नवाब लखनऊ पश्चिम से विधान सभा उपचुनाव जो लालजी टण्डन के सांसद होने के पश्चात सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे और जीत के करीब पहुंच गये थे कि अमर सिंह ने आकर एक ऐसा भड़काऊ भाषण इमाम हुसैन के हुसैनी लश्कर की तुलना अपने से करते हुए दिया कि बुक्कल नवाब का अपना स्वयं का शिया वोट बैंक उनसे रूठकर छिटक गया और सपा की जीती सीट मौके के ताक में बैठी कांग्रेस के पाले में चली गई। बुक्कल नवाब ने चुनाव बाद स्वयं यह बयान दिया था कि मेरी हार का कारण अमर सिंह है।
समाजवादी पार्टी के दिन प्रतिदिन गिरते राजनीतिक ग्राफ का सीधा लाभ कांग्रेस को हो रहा था जहाँ उसका मुस्लिम वोट जाने को पर तोल रहा था तो वहीं भाजपा के कमजोर होने पर हिन्दू मतों का धु्रवीकरण भी कांग्रेस की ओर होना प्रारम्भ हो गया। उधर विधान सभा का चुनाव होने में मात्र सवा दो साल बचे थे ऐसे में मुलायम सिंह की पार्टी की राजनीतिक भविष्य पर ही प्रश्न उठने खड़े हो गये थे। सपा से बड़े पैमाने पर भगदड़ प्रारम्भ होने के आसार भी साफ दिखने लगे थे सो मुलायम के पास इसके अतिरिक्त कोई चारा नहीं था कि अमर सिंह से छुटटी पा ली जाए। इसीलिए सोंची समझी रणनीति के तहत उन्होंने डा0 रामगोपाल यादव को उन्होंने आगेकर अमर सिंह के विरूद्ध उन्होंने मोर्चा खुलवा दिया वह जानते हैं कि अमर सिंह एक भावुक व्यक्ति हैं वह अपमान सहकर पार्टी में नही रह पायेंगे सो अमर सिंह की प्रतिक्रिया मुलायम की उम्मीदों के करीब आयी हैं। उधर अमर सिंह ने पार्टी की सदस्यता ना छोड़कर इतनी गुंजाइश बाकी बचा ली है कि दोबारा पार्टी में आने की डगर जीवित रहे। मुलायम भी अध्ययन करना चाहते हैं कि अमर सिंह के पार्टी से किनारा करने की खबर पाकर उनके रूठे नेताओं की तरफ से उन्हें क्या संकेत मिलते हैं।
समाजवादी का ऊँट किस करवट बैठेगा यह तो समय बतायेगा फिलहाल अमर सिंह के इस्तीफ से समाजवादी पार्टी के तेजी से होते नुकसान में थोड़ा ठहराव अवश्य आ जायेगा विशेष तौर पर मुस्लिम वोटों के पार्टी से जाते कदम रूक सकते हैं। परन्तु मुलायम सिंह को अपनी पुरानी छवि पाने में लोहे के चने चबाने होंगे क्योंकि सब कुछ लुटाने के बाद वह अब अपने होश में आने की तैयारी कर रहे हैं।
-मो॰ तारिक खान

अंग्रेजी एंव पर्सनेलिटी संबंधी सेमिनार संपन्न

सिरसासिरसा में गत दिवस बेगू रोड़ पर स्थित न्यू कोंसेपट सैंटर पर वंश जैन ने नव वर्ष के उपलक्ष्य में शरद ऋतु के आंरभ में सैंटर के डायरेक्टर श्री राज कुमार की अध्यक्षता में एक सेमिनार का आयोजन किया। अधिक जानकारी देते हुए श्री वंश जैन ने बताया कि हमने इस सेमिनार का आयोजन छात्राओं एवं हर वर्ग के व्यक्तियों को अंग्रेजी के महत्वता से अवगत करवाने हेतू किया है। उपरोक्त जानकारी देते हुए वंश जैन ने बताया कि अब हम अह्म मोड पर पहुंच चुके है जब हमें अंग्रेजी की अत्याधिक आवश्यकता है तथा आने वाले समय में केवल इसी का ही प्रयोग होगा। उन्होने बताया कि आज के समय में हम अधिकतर अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग करते है तथा शुद्ध हिन्दी का प्रयोग बहुत कम करते है। उन्होने बताया कि सिर्फ अंग्रेजी बोलना ही जरूरी नहीं है बल्कि आपकी पर्सनेलिटी में भी निखार होना चाहिए जैसा कि आपका उठना, बोलना, बैठना, बाते करना इत्यादि तथा इन्ही के दम पर आप किसी भी अच्छे शहर की अच्छी कंपनी में आसानी से नौकरी प्राप्त कर सकते है। उन्होने बताया कि जिस प्रकार खाली बोरी कभी खड़ी नहीं रह सकती उसी प्रकार बिना अंग्रेजी तथा तहमीज के इंसान कही पर भी किसी के साथ भी खडा नहीं रह सकता जैसा कि आप विदेश जाना चाहते है और किसी विदेशी से बात करना चाहते है तो आप बिना अंग्रेजी के उनसे वार्तालाप करने में असमर्थ रहोंगे। वंश जैन द्वारा दिए गए इस सेमिनार में छात्राओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया तथा सेमिनार के संपन्न होने पर वंश जैन की प्रशंसा की तथा सेमिनार संपन्न होते ही तुरंत अंग्रेजी सीखने का निर्णय लिया। इस अवसर पर उनके साथ युवा पत्रकार मनमोहित ग्रोवर, राज कुमार, अखिलेश दूबे, अरविंद सेठी, अशोक कुमार, कोमल जालान, रेणू, धीरज एंव गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

7.1.10

आयातित कार्यपालिका

भारतीय संस्कार, गरिमा, नैतिक मूल्यों की बात करते हैं उच्च पदस्थ लोग इन सारे चीजों से वंचित होकर पदीय दायित्व का निर्वाहन करते हैं. व्यवहार में अगर ऊपर लिखे गए शब्दों का बोध जरा सा भी इन लोगों में आ जाए तो बहुत सारी समस्याएं जो इनके द्वारा प्रतिदिन पैदा की जाती हैं वह समाप्त हो जाएँ । यह समस्याओं का समाधान नहीं खोजते हैं अपितु खोज के नाम पर एक बड़ी समस्या खड़ी कर देते हैं। विधि का निर्माण करने वाली संस्थाएं लगभग तीन दशकों से इन्ही उच्च पदस्थ लोगों द्वारा निर्धारित प्रारूप पर लिखी गई बात को कानून बना दिया है जिसके कारण व्यवहार में आए दिन दिक्कतें या समस्याएं पैदा होती रहती हैं देश के अन्दर ऐसे कानूनों का निर्माण इनके कुशल दिशा-निर्देशन में हो चुका है कि उसके ऊपर एक छोटी सी कहानी लिखना ही उचित होगा वह कहानी यह है कि जंगल के राजा ने आदेश किया कि सभी शैतान बंदरों को पकड़ लो । इस उद्घोषणा के बाद जंगल के ऊंट भी भागने लगे एक ने ऊंट को रोक कर पूछा कि आप क्यों भाग रहे हैं । बंदरों के लिए आदेश हुआ है, ऊंट ने कहा कि अगर मुझे निरुद्ध कर दिया गया पूरी जिंदगी यह साबित करने में लग जाएगी कि मैं ऊंट हूँ . इसलिए भाग रहा हूँ ।
भारतीय वर्तमान व्यवस्था में इसी तरह विधि का निर्माण हो रहा है और उसको लागू करने वाली कार्यपालिका का हाल भी यही है कई बार व्यक्ति के जिन्दा रहने के बावजूद उसी व्यक्ति की हत्या के आरोप में लोगों को आजीवन कारावास तक की सजा हो चुकी है न्यायलय वारंट जारी नहीं करते हैं और अभियुक्त जो बराबर पेशी पर आ रहा होता है। पुलिस वारंट के नाम पर पकड़ कर अदालत के समक्ष पेश भी कर देती है। पत्रावली देखने पर मालूम होता है कि न्यायलय ने वारंट जारी ही नहीं किया है । अगर हमारी कार्यपालिका के प्रमुखों में इस देश के प्रति जरा भी ईमानदारी, नैतिकता का बोध हो तो ये समस्याएं सामान्य तरीके से हल हो सकती हैं एक छोटा सा उदहारण लिख रहा हूँ कि जिला मजिस्टेट चरित्र प्रमाण पत्र जारी करते हैं। प्रार्थना पत्र के साथ सम्बंधित लिपिक को मात्र सौ रुपये देना तुरंत अनिवार्य है। इसके पश्चात प्रार्थना पत्र की कांपी पुलिस अधीक्षक कार्यालय जाती है, वहां पर सरकारी फीस 20 रुपये जमा करने के लिए 100 रुपये देना होता है । वहां से प्रार्थना पत्र सम्बंधित थाने को जाता है । थाने वाले कम से कम 1000 रुपये प्रार्थना पत्र पर रिपोर्ट लगाने के लिए लेते हैं और जब यह रिपोर्ट लौट कर पुलिस अधीक्षक कार्यालय लौट कर आती है तो मालूम चलता है कि थानाध्यक्ष ने रिपोर्ट निर्धारित प्रोफार्मे पर प्रेषित नहीं की है और फिर थाने पर उतने ही रुपये खर्च कर निर्धारित प्रोफार्मे पर रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक कार्यालय आती है । पुलिस फिर लोकल इंटेलीज़ेंस यूनिट से रिपोर्ट मांगी जाती है । वहां भी लगभग 500 रुपये अवैध रूप से देने पड़ेंगे वर्ना वे कभी रिपोर्ट नहीं लगायेंगे । प्रार्थना पत्र अपराध नियंत्रण ब्यूरो जाता है जहाँ पर अवैध रूप से आपने रुपया नहीं दिया तो जनपद के समस्त थानों से रिपोर्ट नहीं लग पाती है । इतना सब करने में लगभग 2000 रुपये और एक महीने बराबर भाग दौड़ के बाद पुलिस अधीक्षक चरित्र प्रमाण पत्र के लिए जिला मजिस्टेट को संस्तुति करते हैं। इसके पश्चात जिला मजिस्टेट के यहाँ कोई न कोई कामा. फूल्स्टॉप लगा कर पुलिस अधीक्षक को वापस भेज दिया जाता है। फिर वह कमी 15 दिन में ठीक कराकर जिला मजिस्टेट कार्यालय भेजवाइये तब वहां एक अच्छी खासी रकम दीजिये तब जाकर जिला मजिस्टेट से चरित्र प्रमाण पत्र प्राप्त होगा। अगर इस कार्यवाही में 6 माह से अधिक लग गए तो पुनः यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी । हमारी कार्यपालिका में इच्छा शक्ति का अभाव है या कभी कभी ऐसा महसूस होता है की कार्यपालिका हमारे देश की न होकर आयातित कार्यपालिका है ।

ऐलनाबाद उपचुनाव में जनता कांग्रेस की नीतियों पर मोहर लगाएगी:राव दान सिंह

सिरसा मुख्य संसदीय सचिव एवं ऐलनाबाद उपचुनाव के प्रचा प्रभारी राव दान सिंह ने कहा कि ऐलनाबाद के लोगों का मानस बदल चुका है और आने वाले चुनाव में यहां की जनता कांग्रेस की नीतियों पर मोहर लगाएगी। श्री सिंह आज कांग्रेस भवन में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता जान चुकी है कि कांग्रेस शासन में ही उसके हित सुरक्षित हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदैव बिना किसी भेदभाव के काम किए हैं। यदि ऐसा होता तो सिरसा में चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय को 160 करोड़ रुपए की ग्रांट मिलती और ही रेलवे फ्लाई ओवर का निर्माण होता। पिछली सरकारों में जो सिरसा का विकास रुका, वह अब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने करवाया। राव दान सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने कभी राजनैतिक दुर्भावना से कार्य नहीं किया। अब ऐलनाबाद की जनता के पास मौका आया है कि वह मौकापरस्तों और मतलबी लोगों से छुटकारा पा सकेगी। एक सवाल के जवाब में राव दान सिंह ने कहा कि कांग्रेस ऐलनाबाद में विकास और भयमुक्त प्रशासन के मुद्दे पर चुनाव मैदान में है। मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि विपक्ष यह प्रचार कर रहा है कि ऐलनाबाद चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी लेकिन कोई पूछने वाला हो कि महज एक सीट से सरकार कैसे गिर सकती है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सरकार चलाने के लिए महज 45 सीटों की जरूरत है और कांग्रेस के पास 53 विधायकों का समर्थन हासिल है। ऐसे में विपक्ष की बौखलाहट स्पष्ट हो जाती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता को पिछले 5-6 साल में पता चला है कि असली विकास क्या और कैसे होता है। प्रदेश के हर जिले में बच्चे, युवा, महिला, दलित, पिछड़े और बुजुर्गों किसानों के लिए योजनाएं चलाकर उन्हें मुख्यधारा में लाया गया है। हर वर्ग को खुशहाल करने की नीतियां बनाई गई हैं। ऐसा विकास किया गया है कि हरियाणा इस मामले में दूसरे प्रदेशों के लिए रोल मॉडल बन गया है। अन्य प्रदेशों में हरियाणा की तरक्की की मिसालें दी जाती हैं और मुख्यमंत्री की ईमानदारी का चर्चा हर प्रदेश में होता है। इस अवसर पर उनके साथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष होशियारी लाल शर्मा, हरियाणा लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य जयसिंह बिश्नोई, अजय श्योराण, रणधीर कुंडू, अनिल दुदवा, सतबीर सैनी, महेंद्रगढ़ के पालिका प्रधान बिजेंद्र सिंह, मोहन खत्री, युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष तिलकराज चंदेल, राजकुमार शर्मा, हरीश सोनी, संगीत कुमार सहित अन्य कांग्रेस नेता उपस्थित थे।