चंडीगढ़: इनेलो ने रूचिका मामले में लोगों का ध्यान एसपीएस राठौर को बचाने वाले असली दोषियों से हटाकर जनता को भ्रमित करने के प्रयासों की कड़े शब्दों में निन्दा की है। इनेलो के प्रधान महासचिव अजय सिंह चौटाला ने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला ने कभी किसी दोषी को बचाने का प्रयास नहीं किया और एसपीएस राठौर को बचाने का प्रयास कांग्रेस की सरकार में किया गया और असली दोषियों को बचाने के लिए अब कुछ शरारती तत्वों द्वारा कांग्रेस के कुकृत्यों पर पर्दा डालने के लिए घटिया हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि रूचिका के साथ जब छेड़छाड़ हुई और जब रिपोर्ट आई उस समय ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमन्त्री नहीं थे। उन्होंने कहा कि रूचिका के भाई व परिवार के साथ हुई ज्यादतियों व रूचिका द्वारा आत्महत्या किए जाने के समय भी प्रदेश में भजनलाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी। उन्होंने कहा कि कांगे्रस सरकार ने न सिर्फ राठौर के खिलाफ चल रही चार्जशीट को रद्द किया बल्कि उन्हें पदोन्नति भी दी गई। उन्होंने कहा कि इनेलो अब भी मधुबन सैक्स स्कैंडल में हरियाणा के दो मौजूदा आला अधिकारियों के संलिप्त होने के आरोपों की इनेलो द्वारा सीबीआई से जांच करवाए जाने की मांग कर चुकी है। इनेलो द्वारा इस मामले में राज्यपाल को ज्ञापन दिए जाने के बाद मौजूदा कांग्रेस सरकार बेहद तिलमिलाई हुई है और इस मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने के लिए बेवजह झूठी बयानबाजी करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि रूचिका मामले व मधुबन सैक्स स्कैंडल से जुड़े सभी मामलों की भी अविलम्ब सीबीआई अथवा अन्य किसी भी स्वतन्त्र जांच एजेंसी से जांच करवा ली जानी चाहिए ताकि वास्तविकता सामने आ सके। उन्होंने कहा कि रूचिका मामले को लेकर मीडिया द्वारा करवाई जा रही जनबहस का इनेलो स्वागत करती है लेकिन यह बहस तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए और बिना तथ्यों के किसी राजनेता की छवि को धूमिल करने के गैर जिम्मेदाराना प्रयासों की सराहना नहीं की जा सकती। अजय सिंह चौटाला ने घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए कहा कि 12 अगस्त, 1990 को जब रूचिका के साथ एसपीएस राठौर द्वारा छेड़छाड़ की गई। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर राठौर के खिलाफ 16 अगस्त को गृह सचिव व मुख्यमन्त्री सहित विभिन्न आलाधिकारियों को शिकायत की गई। उस समय प्रदेश में चौधरी हुकम सिंह मुख्यमन्त्री थे। उन्होंने 17 अगस्त को डीजीपी आरआर सिंह से मामले की जांच करने को कहा। इस मामले में पुलिस के पास 18 अगस्त, 1990 को रपट रोजनामचा (डीडीआर नंबर-12) दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि मामले की जांच करने के बाद डीजीपी आरआर सिंह ने 3 सितम्बर, 1990 को कहा कि प्रारम्भिक तौर पर राठौर के खिलाफ मामला बनता है और इस मामले में एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। बाद में बने डीजीपी आरके हुड्डा व उस समय के गृह सचिव ने एफआईआर की बजाय राठौर को चार्जशीट किए जाने की सिफारिश की। उस समय के गृह मन्त्री ने 12 मार्च, 1991 को और मुख्यमन्त्री हुकम सिंह ने 13 मार्च, 1991 को इससे सहमति जता दी। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि हुकम सिंह 22 मार्च, 1991 तक प्रदेश के मुख्यमन्त्री रहे और उसके बाद 22 मार्च, 1991 से 6 अप्रैल, 1991 तक सिर्फ दो हफ्तों के लिए ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने लेकिन इस दौरान यह मामला उनके पास नहीं आया। उन्होंने कहा कि 6 अप्रैल, 1991 से 22 जुलाई, 1991 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू रहा और राष्ट्रपति शासन के दौरान ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। इस दौरान 28 मई, 1991 को एसपीएस राठौर को दी जाने वाली चार्जशीट अप्रूव कर दी गई। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद प्रदेश में भजनलाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार बनी। यह सरकार 23 जुलाई, 1991 से 9 मई, 1996 तक रही। इस दौरान राठौर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को लेकर मामला फिर आया और इस सम्बन्ध में उस समय के एलआर से कानूनी राय ली गई। उस समय के एलआर आरके नेहरू ने 30 जून, 1992 को दी गई कानूनी राय में यह बात कही कि यह एफआईआर तो वैसे भी एसएचओ द्वारा दर्ज कर दी जानी चाहिए थी क्योंकि इस सम्बन्ध में रपट रोजनामचा 18 अगस्त, 1990 को पहले से ही दर्ज है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पहले एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो इस एफआईआर को तुरन्त बिना देरी के दर्ज कर लिया जाना चाहिए और अदालत में ट्रायल के दौरान यह बात स्पष्ट की जा सकती है। एलआर की कानूनी राय के बावजूद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई और उस समय भजनलाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि भजनलाल की सरकार के दौरान रूचिका के भाई आशु के खिलाफ चोरी की छह एफआईआर दर्ज की गई। 6 अक्तूबर, 1992 को एफआईआर नंबर-39, 30 मार्च, 1993 को एफआईआर नंबर-473, 10 मई, 1993 को एफआईआर नंबर-57, 12 जून, 1993 को एफआईआर नंबर-96, 30 जुलाई, 1993 को एफआईआर नंबर-127 और 4 सितम्बर, 1993 को एफआईआर नंबर-147 दर्ज की गई। ये सभी एफआईआर धारा 379 के अन्तर्गत दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि 23 अक्तूबर, 1993 को हरियाणा पुलिस ने रूचिका के भाई आशु को घर से उठा लिया और दो महीने तक अवैध हिरासत में रखा गया और उस पर कार चोरी के 11 मामले बनाए गए। उस समय प्रदेश में भजनलाल की सरकार थी। उन्होंने कहा कि 28 दिसम्बर, 1993 को रूचिका ने आत्महत्या कर ली और 29 अगस्त को पुलिस ने आशु को छोड़ दिया। यह घटना भी भजनलाल सरकार में घटी। इनेलो के प्रधान महासचिव ने घटनाक्रम का ब्यौरा देते हुए कहा कि इसके बाद अप्रैल, 1994 में भजनलाल सरकार ने रूचिका छेड़छाड़ के मामले में एसपीएस राठौर के खिलाफ चल रही चार्जशीट को चुपचाप तरीके से खत्म कर दिया और 4 नवम्बर, 1994 को भजनलाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राठौर को पदोन्नत करके आईजी से अतिरिक्त डीजीपी बना दिया। उन्होंने कहा कि11 मई, 1996 को प्रदेश में बंसीलाल के नेतृत्व में हविपा की सरकार बन गई जो कि 23 जुलाई, 1999 तक रही। बंसीलाल की सरकार में राठौर एडिशनल डीजीपी जेल के पद पर थे और एक कैदी की पेरोल के मामले को लेकर उन्हें 5 जून, 1998 को निलम्बित किया गया और कैदी के पेरोल के मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए गए। बंसीलाल सरकार ने ही 3 मार्च, 1999 को राठौर को वापिस बहाल कर दिया। उन्होंने कहा कि इसी बीच 21 अगस्त, 1998 को सीबीआई ने रूचिका छेड़छाड़ मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने के आदेश दिए। उन्होंने बताया कि 20 मई, 1999 को बंसीलाल सरकार के समय ही राठौर व एसके सेठी को डीजीपी बनाने के लिए विभागीय पदोन्नति कमेटी (डीपीसी) की बैठक हुई और एसके सेठी को डीजीपी बना दिया गया और बैठक में कहा गया कि राठौर के खिलाफ कैदी की पेरोल के मामले को लेकर विभागीय जांच अभी लम्बित है इसलिए विभागीय जांच रिपोर्ट आने तक पदोन्नति न दी जाए। 30 सितम्बर को विभागीय जांच रिपोर्ट में उनके खिलाफ कैदी के पेरोल मामले में आरोपों की पुष्टि न होने पर उन्हें भी 20 मई, 1999 से पदोन्नति मिल गई। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि दिसम्बर 2000 में सीबीआई ने राठौर को रूचिका छेड़छाड़ मामले में दोषी ठहराते हुए उन्हें चार्जशीट कर दिया और इनेलो की सरकार ने उन्हें तुरन्त डीजीपी पद से हटा दिया। उसके बाद अदालत में मामले की सुनवाई चली। इसी दौरान राठौर 2002 में रिटायर हो गए और अब अदालत ने नौ साल की सुनवाई के बाद उन्हें छह महीने के कैद और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। हम अदालत के फैसले का पहले ही स्वागत कर चुके हैं और हमारा मानना है कि ऐसे मामलों में दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन पुलिस कर्मचारियों ने रूचिका के परिवार के साथ ज्यादतियां की है और उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिए और रूचिका के परिवार को भी मुआवजा मिलना चाहिए। इनेलो नेता ने कहा कि राठौर मामले से उनका बेवजह नाम जोड़े जाना और बेवजह किसी को बदनाम करने के लिए किसी का नाम घसीटे जाना और झूठे आरोप लगाए जाना बेहद शर्मनाक है और मीडिया को भी किसी पर आरोप लगाने से पहले कम से कम सम्बन्धित तथ्यों व उनसे जुड़ी हुई बातों की पुष्टि जरूर कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि असल में रूचिका के मामले की पैरवी जिस जोरदार तरीके से रूचिका की दोस्त आराधना व उनके परिवार वालों ने की वे सच में बधाई के पात्र हैं और उन्हें इस बात की प्रशंसा मिलनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि 1991 से 1999 तक भजनलाल व बंसी लाल की सरकारें थी और उन सरकारों की विफलताओं और बेकायदगियों को किसी अन्य के जिम्मे मड़े जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।