5:57 pm
Randhir Singh Suman
एक समय में वनों को बचाए रखने के लिए वन सम्पदा को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित किया गया । वन सम्पदा को बनाये रखने के लिए विभिन्न तरह के विधियों का निर्माण किया गया। जिसका असर यह हुआ कि सरकार, उद्योगपति विभिन्न योजनाओ के नाम पर जमकर वन सम्पदा को नष्ट करने के अधिकारी हो गए । वन सम्पदा से जनता वंचित हो गयी । वन विभाग ने विभिन्न योजनाओ के तहत कागज पर ही पेड़ लगाये। जनता ने अपनी जमीनों के ऊपर पेड़ लगाकर पर्यावरण से लेकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाही । जिसका हश्र यह हुआ कि पेड़ मालिक को जब अपने उपयोग के लिए अथवा व्यावासिक उपयोग के लिए उनको कटवाने की जरूरत होती है तो नियमो और उपनियमों का सहारा लेकर पुलिस कुल बिक्री मूल्य का 60 प्रतिशत रुपया ले लेती है। 10 प्रतिशत वन विभाग ले लेता है पेड़ मालिक को बिक्री मूल्य का 30 प्रतिशत ही मिलता है उसी तरह से इजारेदार कम्पनियां उद्योगपति जल को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित करने के लिए काफी दिनों से प्रयासरत हैं। उनकी योजना यह है कि जल राष्ट्रीय सम्पदा घोषित हो जाए और आम आदमी अपने इस्तेमाल के लिए जल सोत्रों से जल बिना अनुमति के न प्राप्त कर पावे । जल व्यापार करने के इच्छुक बड़े-बड़े उद्योगपति शहरों की जल आपूर्ति प्राप्त करना चाहते हैं और उनका एकाधिकार हो जाने पर गरीब तबके के लोग, पशु-पक्षी पानी नहीं पा सकेंगे। पानी के बगैर जीवन असंभव है जिसपर वह एकाधिकार चाहते हैं । उत्तर प्रदेश में नगर निगम वाले शहरों में वाटर टैक्स वसूलने की व्यापक तैयारियां की जा रही हैं और मीटर से पानी दिया जायेगा और मीटर के हिसाब से ही पानी का मूल्य वसूला जायेगा । शहरों के अन्दर एक बड़ा हिस्सा पानी खरीद कर अपना जीवन बचा सकता है उस तबके का क्या होगा ? पानी के सोत्रों को गन्दा करने का काम सबसे ज्यादा उद्योगजगत करता है । आज जरूरत इस बात की है कि जल स्रोत्रों को गन्दा न होने दिया जाए । जल स्रोत्रों को गन्दा करने वाले उद्योगजगत को व नगर नियोजकों के खिलाफ कानून बनाने की आवश्यकता है। न की जल को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित करने की । मुनाफा खोर चाहते हैं की शहरों में मीटर प्रणाली के हिसाब से पानी की आपूर्ति होने लगे और आपूर्ति में असफल होने के नाम पर स्वायतशाषी संस्थाओं से जल आपूर्ति उन्हें मिल जाए।
- सुमन
5:58 pm
Randhir Singh Suman
पाकिस्तान में जब सेना को सरकार जब पसंद नहीं आती है तो वह तख्तापलट कर देती है। किन्तु इसके विपरीत हमारे देश में यह कार्य बखूबी नौकरशाही बड़े आराम से करती रहती है। अमेरिकन साम्राज्यवाद को दुनिया में चुनौती देने वाली भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की सरकार को नौकरशाही ने अपने कारनामो से जनता से सत्ताच्युत करा दिया था । श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम जनता के हितों के लिए लागू किया था तथा उनके पुत्र संजय गाँधी ने 5 सूत्रीय कार्यक्रम जारी किया था । उस समय की नौकरशाही शक्तिशाली प्रधानमंत्री नहीं चाहता था उसने आपातकाल के नाम पर गाँव से लेकर दिल्ली तक बेगुनाह लोगों को फर्जी मुकदमों में बंद कर दिया था। नसबंदी के नाम पर जबरदस्ती अविवाहित नवजवानों की नसबंदी कर दी गयी थी और प्रेस पर तरह-तरह के आरोप लगा कर उनके भी नकेल डाल दी गयी थी । जिन नवजवानों ने इन सब नौकरशाही के गलत कार्यों का विरोध किया या तो वह मार डाले गए या फर्जी मुकदमों में जेलों में निरुद्ध कर दिए गए ।
इस समय उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार है नौकरशाही तरह-तरह से सरकार को हमेशा के लिए सत्ताच्युत करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है । प्रदेश के पूर्व महानिदेशक ने आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम नवजवानों को या तो एन्कोउन्टर के नाम पर मरवा दिया है या कड़े कानूनों के तहत जेलों में बंद करवा दिया था पूरे प्रदेश में अफसरशाही अंतर्गत धारा 198 ए उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम के तहत चलने वाले वादों में जबरदस्ती जुर्म इकबाल करा कर या सुलह समझौते वादों में सौ प्रतिशत सजा कर तमगा जीतने की होड़ मचा रखी है जिसके उदाहरण बाराबंकी जनपद में देखने में आ रहा है । एक उपजिलाधिकारी के यहाँ इस धारा के अंतर्गत चलने वाले सभी वादों में सजा हो चुकी है कई मुकदमों में वादी और प्रतिवादी में सुलह हो चुकी थी । सुलह के पश्चात भी सजा सुनाई गयी है । अनुसूचित जाति/ जनजाति निवारण अधिनियम के तहत कोई भी विवेचना नहीं की जा रही है । अभियुक्त घटना के दिन चाहे प्रदेश से बाहर ही क्यों न हो विवेचना अधिकारी उसको घटना स्थल पर दिखाकर वाद में आरोप पत्र न्यायलयों में भेज रहे हैं । इससे यह महसूस होता है की जब नौकरशाही अति उत्साह में फर्जी आंकड़ों के नाम पर जनता का भला करने लगे व कानून के नाम पर जनता का उत्पीडन करने लगे तो समझ लेना चाहिए की नौकरशाही जिस दल की सरकार है उसको मौन रहकर सत्ताच्युत करना चाहती हैं ।
-एडवोकेट सुमन
2:17 pm
Manmohit Grover
सिरसा: जिला सिरसा में बहुजन समाज पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को और अधिक मजबूत करने के लिए आगामी 25 दिसम्बर (शुक्रवार) को बहुजन समाज पार्टी की एक बैठक स्थानीय शिव चौक पर बीकानेर नर्सिंग होम के पास स्थित लव-कुश धर्मशाला में बुलाई गई है जिसमें प्रदेश महासचिव मूलचन्द राठी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। इस बैठक में बसपा के जिले भर के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भाग लेंगे। बैठक में जिला इकाई द्वारा पार्टी सुप्रीमो बहन मायावती के आगामी 15 जनवरी को जन्मदिवस के अवसर पर कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इसके अतिरिक्त बैठक में आगामी दिनों में ऐलनाबाद में होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में भी योजना बनाई जाएगी। यह जानकारी बसपा के जिला महासचिव भूषण लाल बरोड़ ने आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।
2:16 pm
Manmohit Grover
सिरसा: प्रमुख समाजसेवी एवं कांग्रेस नेता श्री गोबिंद कांडा आज स्थानीय सैंट जेवियर स्कूल में क्रिसमस-डे के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भाग लेने पहुंचे। श्री कांडा ने स्कूल के स्टाफ और पढऩे वाले विद्यार्थियों को क्रिसमस-डे की बधाई दी। उन्होंने कहा कि सभी धर्म मानवता को शांति के रास्ते पर चलने की सीख देते है। अत: हम सबने मिलजुल कर देश और समाज के विकास के बारे में सोचना होगा तभी देश आगे बढ़ पाएगा। उन्होंने कहा कि प्रभु ईसा मसीह ने भी दुनिया को शांति और भाईचारे का संदेश दिया था। इसके साथ-साथ प्रभु ईसा मसीह ने सत्य के रास्ते पर चलकर समाज को नई दिशा दी थी। वर्तमान युग में प्रभु ईसा मसीह की शिक्षाओं को जीवन में उतारने की जरुरत है। इस समारोह में श्री गोबिंद कांडा ने सैंट जेवियर संस्था को 51 हजार रुपए की राशि देने की घोषणा की और कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए किसी भी प्रकार से धन की कमी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। इस मौके पर उनके साथ महावीर मोदी, सुरेंद्र मिचनाबाद, अमन सर्राफ, अंजनी गोयल सहित सैंट जेवियर स्कूल के स्टाफ के सदस्य उपस्थित थे।
2:15 pm
Manmohit Grover
सिरसा: सुप्रसिद्ध समाजसेवी और कांग्रेस नेता श्री गोबिंद कांडा ने सरकार द्वारा व्यापारियों एवं किसानों के हित में लिए गए निर्णयों का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली यह पहली सरकार है जिसमें प्रदेश के प्रत्येक वर्ग के हितों को ध्यान में रखा है। ज्ञात रहे कि गत दिनों राज्य सरकार द्वारा कृषि सामग्री पर वैट से राहत दिलवाने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की है। उन्होंने बताया कि हरियाणा को गेहूं व धान जैसे खाद्यान्नों पर लगाए गए खरीद कर के कारण हुए 600 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे की भरपाई करने और उर्वरकों व कीटनाशकों जैसे कृषि इनपुट पर वैट लगाने के लिए हरियाणा को छूट दिए जाने की सिफारिश की है। प्रदेश सरकार इन करों से राहत मिलने की बात प्रदेश के व्यापारी और किसान वर्ग को करोड़ों रुपए का लाभ होगा और सरकार के खजाने में भी राजस्व की वृद्धि होगी। कांग्रेस नेता गोबिंद कांडा ने सरकार के उस निर्णय का भी स्वागत किया है जिसमें सरकार द्वारा ग्रामीण दस्तकारों और छोटे दुकानदारों की ऋण सीमा को 35 हजार रुपए तक बढ़ाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा छोटे एवं बड़े व्यापारियों के हित में अनेक ऐसे निर्णय लिए गए है जिन से हरियाणा के छोटे व्यापारी वर्ग को विशेष लाभ अर्जित हुआ है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक यूनिटों को अनावश्यक निरीक्षण से छुटकारा दिलवाने के लिए स्व-प्रमाणीकरण प्रणाली लागू की गई है। प्रदेश सरकार द्वारा भी कर से मुक्ती दी गई है जिससे होटल व्यवसाय में छोटे व्यापारी वर्ग को लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि सिरसा जिला में जो भी विकास निर्माण कार्य होंगे उन सब में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। शहर में गलियों के निर्माण कार्यों में निरन्तर निरीक्षण किया जाएगा। सड़क निर्माण के कार्य में किसी प्रकार की ठेकेदारों व अन्य एजेंसियों की कोताही सहन नहीं की जाएगी। शीघ्र ही सिरसावासियों को छोटे व बड़े निर्माण के कार्यों में सार्थक परिणाम देखने को मिलेंगे और विकास में सिरसा शहर एक मॉडल शहर होगा।
2:13 pm
Manmohit Grover
सिरसा: प्रदेश में कॉन्टे्रक्ट खेती को बढ़ावा देने और कृषि में और अधिक व्यावसायिकता लाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा जौ की खेती के लिए इस बार यूनाईटेड ब्रेवरीज लिमिटिड कंपनी के साथ समझौता किया गया है। इस कंपनी के साथ यह समझौता सिरसा सहित फतेहाबाद व गुडग़ांवों जिलो के लिए किया गया है। उक्त जानकारी देते हुए जिला उपायुक्त श्री युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने बताया कि अनुबंध के तहत उपरोक्त तीन जिलों के किसानों की जौ की पैदावार यूनाईटिड ब्रेवरीज लिमिटिड कंपनी द्वारा सरकारी समर्थन मूल्य से 200 रुपए अधिक यानी 950 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी जाएगी। जौ का सरकारी समर्थन मूल्य 750 रुपए प्रति क्विंटल है। उन्होंने बताया कि उपरोक्त सभी जिलों में जौ फसल की कास्त करने का लक्ष्य रखा गया है सिरसा जिला में इस बार 5 हजार एकड़ भूमि पर जौ फसल कास्त करने का लक्ष्य रखा गया है अभी तक जिला में 3 हजार से भी अधिक एकड़ भूमि पर जौ बिजाई की जा चुकी है। श्री ख्यालिया ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कॉन्ट्रेक्ट खेती का यह अनुबंध हैफेड एजेंसी के माध्यम से किया गया है। उन्होंने बताया कि जौ का उत्पादन जो बीयर बनाने के काम में किया जाता है पिछले कुछ दिनों में जौ के उत्पादन में निरन्तर गिरावट आ रही थी इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए अनुबंध के तहत किसानों को विशेष प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाएगी। हैफेड के जिला प्रबंधक श्री जोगेंद्र सिंह ने और अधिक जानकारी देते हुए बताया कि किसानों की जौ फसल का बीमा करने पर भी एक बीमा कंपनी से बातचीत चल रही है। विभाग द्वारा निर्धारित पाला, फोग व अन्य मौसमी गतिविधियों में असंतुलन आता है तो किसानों को जौ फसल का बीमा भी दिया जाएगा। बीमा राशि पर किसी प्रकार के उत्पादन को नहीं आंका जाएगा। उत्पादन अधिक हो तब भी बीमे की राशि दी जा सकती है। गत वर्ष सिरसा व फतेहाबाद जिलों में जौ उत्पादक शत् प्रतिशत यानी 132 किसानों को छह लाख रुपए की राशि बीमा के रुप में मुहैया करवाई गई। जौ फसल के बीमे के लिए 575 रुपए प्रति एकड़ प्रीमियम लिया जाएगा जिसमें से किसान को मात्र 185 रुपए देने को होंगे। श्री जोगेंद्र सिंह ने बताया कि यूनाइटिड ब्र्रेवरीज कंपनी द्वारा जौ उत्पादन किसानों को बीज व दवाईयां खरीदने पर भी सब्सिडी मुहैया करवाई जाएगी। जब किसान की फसल तैयार होगी तो यह हैफेड की कॉप्रेटिव सोसाइटी द्वारा यूनाइटिड बैवरीज कंपनी को 950 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेची जाएगी। इस प्रकार से जौ उत्पादक किसानों को फसल बेचने में किसी प्रकार की मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि अगर बाजार में इससे अधिक दाम बढ़ता है तो उसके अनुरुप किसानों को जौ का भाव दिलवाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जो भी किसान जिला में जौ फसल की बिजाई करते हुए उन्हें कृषि विशेषज्ञों की सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। यानी समय-समय पर कृषि विशेषज्ञ उनके खेत में जाकर फसल में मौसम से होने वाले फसल प्रभावित गतिविधियों की जानकारी देंगे। उन्होंने किसानों से अपील कि जौ फसल की अधिक से अधिक बिजाई करे जिसमें सिंचाई के लिए पानी की भी कम आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार से किसानों को फसल उत्पादन की लागम में इजाफा होगा और फसल बिक्री में भी इजाफा होगा।
7:09 pm
sureda
चितंग नहर की गोद में बसा है, जिला जींद का राजपुरा गाँव। जी हाँ। वही चितंग जिसे कभी फिरोज़ साह तुगलक ने बनवाया था। नहरी पानी की उपलब्धता का किसानों की सम्पनता से रिश्ता चोली दामन वाला होता है। इसीलिए तो पुराने समय से ही इस इलाका के किसानों को चितंग के चादरे वाले लोग कहा जाता है। यह चादरा, यहाँ के किसानों की समृद्धि का प्रतीक था। अब इस गाँव में किसानों के कन्धों पर यह चादरा तो कहीं नजर नहीं आता। पर किसानां का ब्यौंत अर् स्याणपत आज भी दूर से ही नजर आती है। प्रकृति के खेल देखो, इस गाँव के जाये नै तो हरियाणा में राज कर राख्या सै जबकि इस गाँव से निकलने वाली सभी सड़कों के किनारों पर एक अमेरिका के जाये का साम्राज्य है। मिर्चपुर को जाने वाली सड़क पर भी हम इस महानुभाव के दर्शन किए बगैर काले के खेत में नहीं पहुँच सकते। यहाँ सड़क के किनारे ही बिजली के ट्यूबवैल का कोठडा है, जामुन व जमोवै के पेड़ हैं। इन्ही पेड़ों में से एक की गहरी छाया में खेत पाठशाला की शुरुवात हो रही है। दिन है 5 जून, 2008 का, बार है वीरवार व समय है क़लेवार का। पाठशाला के छात्रों के रूप में जहाँ एक तरफ़ किसान यूनियन की झलां में को लिकडे हुए महेंद्र, प्रकाश, धर्मपाल व भू0 पु0 सरपंच बलवान जिसे साकटे किसान थे वहीं बाबु के भारी वजूद तले दबे शरीफ व शरमाऊ अजमेर जिसे युवा किसान भी थे। भैंसों के पुन्ज़ड ठा-ठा कै दूध का अंदाजा लाने वाले भीरे बरगे किसान भी थे। विभाग कि तरफ़ से कृषि विकास अधिकारी व खंड अधिकारी, दोनों कोहलै म्हं के सांगवान थे। दिन के ग्यारह बजे सी, एक छैल-छींट युवा किसान ने अपनी हीरो-होंडा वहाँ आकर रोकी। मिलीबग से लथपथ कांग्रेस घास के दो पौधें सबके बीच फेंकते हुए बोला,"थाम आडै कैम्प लाए जावो। उडे इस बीमारी नै मेरी बाडी का नाश कर दिया। "
कई जनें एक स्वर में विशेषज्ञों की तरह टूट कर पड़े, "कांग्रेस घास नै उखाड़ कर मिलीबग सम्मेत मिट्टी में दबा दे। बांस रहेगा, ना बाँसुरी।"
या सुन कै खूंटा ठोक पै भी चुप नहीं रहा गया, "दोनों को मिट्टी में क्यों दबा दे?"
इस खींचतान में एंडी विशेषज्ञों की एक नई सलाह सामने आई, "कांग्रेस घास नै उखाड़ कर मिलीबग सम्मेत जलाओ और फेर इसने मिट्टी में दाबो।"
इब भी खूंटा ठोक की सवालिया कड़छी(?) यूँ ही उपर देख, इन विशेषज्ञों से रहा नहीं गया, "तू तो सदा ऐ उल्टे बीन्डे की तरफ़ तै पकड़ा करै!"
"कांग्रेस घास अर इस मिलीबग के साथ कुछ भी करने से पहले, हमें इस घास व कीड़े की परिस्थितियों का पूर्वावलोकन व बारीकी से निरिक्षण करना चाहिए।" - खूंटा ठोक नै भी बात घुमाई।
घाम भी लहू चलान आला था अर टेम भी भला ना था। सिकर दोपहरी। फेर भी आज सभी नै सामूहिक रूप से लिख पाडण का कड़ा फैसला ले लिया। तीन समूहों में बंट कर तीन जगह पर कांग्रेस घास पर मिलीबग का अध्यन शुरू किया। सवा घंटा किसी भी ग्रुप में किसी को भी मिलीबग व चिट्टियों के सिवाय कुछ नज़र नहीं आया। फ़िर अचानक धर्मपाल चिल्लाया, "देखियो, यू तो मिलीबग कोन्या दीखता। इसके ये सफ़ेद मोम्मिया तंतु तो मिलीबग के मुकाबले बहुत लंबे सै। इसकी चाल देखो। मिलीबग तो सात जन्म में भी इतना तेज़ कोन्या चलै। यु के? यु तो थोड़ा सा करेलदें ही गंजा होगा।" मुहँ आगे तै ढाट्ठा हटा कर, महेंद्र थोड़ा सा शर्माते हुए कहने लगा, "मरेब्ट्टे का एक आध पै तो यु उल्टा बींडा भी कसुत फिट बैठ जा सै। "
भीरे नै टेक में टेक मिलाई, "खूंटा ठोकू पौधानाथ जी, इब क्यूँ जमा मोनी बाबा बनगे। कुछ तो बताओ।"
" के बोलू भीरे, उतेजना अर् आश्चर्य राहु केतु बन मेरे दिमाग पै बैठे सै।", खूंटा ठोक नै धीरे धीरे बात सरकाना शुरू किया। "थाम नै बेरया सै यु के ढुँढ दिया। यु छोटा सा कीड़ा तो Cryptolaemus बीटल सै। थोक के भाव मिलीबग को खाने वाला। इसे आस्ट्रेलियन बीटल भी कहते है। पैदा होने से लेकर मरने तक यह कीड़ा, 2300 से 5000 तक मिलीबग खा जाता है। यु देखो इसका प्रौढ रहा। सन्तरी से सिर आला काला मिराड। बस तीन-चारमिलीमीटर लंबा। इसकी मादा आगै की होण लाग रही सै।या चार सौ के आस-पास अंडे देगी। या अपने अंडे मिलीबगके अण्डों में रखेगी ताकि इसके नवजात शिशुवों को पैदाहोते ही भर पेट खाना मिलीबग के बच्चों के रूप में मिलजाए। प्रकृति के खेल देखो - कांग्रेस घास मानव के लिए प्रलयकारी तथा मिलीबग के लिए पालनहार। मिलीबग कपास के लिए प्रलयकारी तथा क्रिप्टोलैमस बीटल के लिए पालनहार। " और इस तरहसे राजपुरा,रूपगढ व निडाना के किसानो ने यहाँ की परिस्थितियों में कांग्रेस घास पर सात किस्म की मांसाहारीबीटल्स ढूंड ली जो मिलीबग का सफाया करती है। उनकी जानकारी अगले अंकों में।