आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

21.12.09

कांग्रेस घास पर मिलीबग और क्रिप्टोलेम्स

चितंग नहर की गोद में बसा है, जिला जींद का राजपुरा गाँव। जी हाँ। वही चितंग जिसे कभी फिरोज़ साह तुगलक ने बनवाया था। नहरी पानी की उपलब्धता का किसानों की सम्पनता से रिश्ता चोली दामन वाला होता है। इसीलिए तो पुराने समय से ही इस इलाका के किसानों को चितंग के चादरे वाले लोग कहा जाता है। यह चादरा, यहाँ के किसानों की समृद्धि का प्रतीक था। अब इस गाँव में किसानों के कन्धों पर यह चादरा तो कहीं नजर नहीं आता। पर किसानां का ब्यौंत अर् स्याणपत आज भी दूर से ही नजर आती है। प्रकृति के खेल देखो, इस गाँव के जाये नै तो हरियाणा में राज कर राख्या सै जबकि इस गाँव से निकलने वाली सभी सड़कों के किनारों पर एक अमेरिका के जाये का साम्राज्य है। मिर्चपुर को जाने वाली सड़क पर भी हम इस महानुभाव के दर्शन किए बगैर काले के खेत में नहीं पहुँच सकते। यहाँ सड़क के किनारे ही बिजली के ट्यूबवैल का कोठडा है, जामुन व जमोवै के पेड़ हैं। इन्ही पेड़ों में से एक की गहरी छाया में खेत पाठशाला की शुरुवात हो रही है। दिन है 5 जून, 2008 का, बार है वीरवार व समय है क़लेवार का। पाठशाला के छात्रों के रूप में जहाँ एक तरफ़ किसान यूनियन की झलां में को लिकडे हुए महेंद्र, प्रकाश, धर्मपाल व भू0 पु0 सरपंच बलवान जिसे साकटे किसान थे वहीं बाबु के भारी वजूद तले दबे शरीफ व शरमाऊ अजमेर जिसे युवा किसान भी थे। भैंसों के पुन्ज़ड ठा-ठा कै दूध का अंदाजा लाने वाले भीरे बरगे किसान भी थे। विभाग कि तरफ़ से कृषि विकास अधिकारी व खंड अधिकारी, दोनों कोहलै म्हं के सांगवान थे। दिन के ग्यारह बजे सी, एक छैल-छींट युवा किसान ने अपनी हीरो-होंडा वहाँ आकर रोकी। मिलीबग से लथपथ कांग्रेस घास के दो पौधें सबके बीच फेंकते हुए बोला,"थाम आडै कैम्प लाए जावो। उडे इस बीमारी नै मेरी बाडी का नाश कर दिया। "

कई जनें एक स्वर में विशेषज्ञों की तरह टूट कर पड़े, "कांग्रेस घास नै उखाड़ कर मिलीबग सम्मेत मिट्टी में दबा दे। बांस रहेगा, ना बाँसुरी।"
या सुन कै खूंटा ठोक पै भी चुप नहीं रहा गया, "दोनों को मिट्टी में क्यों दबा दे?"
इस खींचतान में एंडी विशेषज्ञों की एक नई सलाह सामने आई, "कांग्रेस घास नै उखाड़ कर मिलीबग सम्मेत जलाओ और फेर इसने मिट्टी में दाबो।"
इब भी खूंटा ठोक की सवालिया कड़छी(?) यूँ ही उपर देख, इन विशेषज्ञों से रहा नहीं गया, "तू तो सदा ऐ उल्टे बीन्डे की तरफ़ तै पकड़ा करै!"
"कांग्रेस घास अर इस मिलीबग के साथ कुछ भी करने से पहले, हमें इस घास व कीड़े की परिस्थितियों का पूर्वावलोकन व बारीकी से निरिक्षण करना चाहिए।" - खूंटा ठोक नै भी बात घुमाई।

घाम भी लहू चलान आला था अर टेम भी भला ना था। सिकर दोपहरी। फेर भी आज सभी नै सामूहिक रूप से लिख पाडण का कड़ा फैसला ले लिया। तीन समूहों में बंट कर तीन जगह पर कांग्रेस घास पर मिलीबग का अध्यन शुरू किया। सवा घंटा किसी भी ग्रुप में किसी को भी मिलीबग व चिट्टियों के सिवाय कुछ नज़र नहीं आया। फ़िर अचानक धर्मपाल चिल्लाया, "देखियो, यू तो मिलीबग कोन्या दीखता। इसके ये सफ़ेद मोम्मिया तंतु तो मिलीबग के मुकाबले बहुत लंबे सै। इसकी चाल देखो। मिलीबग तो सात जन्म में भी इतना तेज़ कोन्या चलै। यु के? यु तो थोड़ा सा करेलदें ही गंजा होगा।"
मुहँ आगे तै ढाट्ठा हटा कर, महेंद्र थोड़ा सा शर्माते हुए कहने लगा, "मरेब्ट्टे का एक आध पै तो यु उल्टा बींडा भी कसुत फिट बैठ जा सै। "
भीरे नै टेक में टेक मिलाई, "खूंटा ठोकू पौधानाथ जी, इब क्यूँ जमा मोनी बाबा बनगे। कुछ तो बताओ।"
" के बोलू भीरे, उतेजना अर् आश्चर्य राहु केतु बन मेरे दिमाग पै बैठे सै।", खूंटा ठोक नै धीरे धीरे बात सरकाना शुरू किया। "थाम नै बेरया सै यु के ढुँढ दिया। यु छोटा सा कीड़ा तो Cryptolaemus बीटल सै। थोक के भाव मिलीबग को खाने वाला। इसे आस्ट्रेलियन बीटल भी कहते है। पैदा होने से लेकर मरने तक यह कीड़ा, 2300 से 5000 तक मिलीबग खा जाता है। यु देखो इसका प्रौढ रहा।
सन्तरी से सिर आला काला मिराड। बस तीन-चारमिलीमीटर लंबा। इसकी मादा आगै की होण लाग रही सै।या चार सौ के आस-पास अंडे देगी। या अपने अंडे मिलीबगके अण्डों में रखेगी ताकि इसके नवजात शिशुवों को पैदाहोते ही भर पेट खाना मिलीबग के बच्चों के रूप में मिलजाए। प्रकृति के खेल देखो - कांग्रेस घास मानव के लिए प्रलयकारी तथा मिलीबग के लिए पालनहार। मिलीबग कपास के लिए प्रलयकारी तथा क्रिप्टोलैमस बीटल के लिए पालनहार। " और इस तरहसे राजपुरा,रूपगढ निडाना के किसानो ने यहाँ की परिस्थितियों में कांग्रेस घास पर सात किस्म की मांसाहारीबीटल्स ढूंड ली जो मिलीबग का सफाया करती है। उनकी जानकारी अगले अंकों में।

अपनी केचुल बदलती भाजपा

लोकसभा चुनाव में चारो खाने कांग्रेस से चित्त होने के पश्चात भाजपा ने अपनी पुरानी केचुल यानी अडवाणी को उतार फेंका है, अब वह पार्टी के लिए कोच की भूमिका निभाएंगे और लोकसभा में अपनी पुरानी प्रतिद्वंदी सोनिया गाँधी से दो-दो हाथ करने सुषमा स्वराज मैदान में उतर रही हैं साथ ही अडवाणी के चहेते राजनाथ सिंह भी बड़े बे- आबरू होकर अध्यक्ष की कुर्सी से उतारे जा चुके हैं इस पद पर संघ ने अपनी राईट च्वाइज़ को सुशोभित किया है जिनका बचपन जवानी दोनों ही संघ के आँगन में बीता है
दरअसल संघ ने खूब सोच समझ कर टू टायर व्यवस्था इस बार की है पार्टी संघ संचालक चलाये और सदन में सुषमा स्वराज कांग्रेस से नाराज दलों को अपनी लच्छेदार बातों से उसी प्रकार रिझा कर लायें जैसे कि पार्टी के अवकाश प्राप्त लीडर अटल बिहारी बाजपेई उदारवादी एवं धर्म निरपेक्ष मुखौटा चढ़ा कर अन्य दलों को साथ मिला कर किया करते थे ज्ञातव्य रहे की सुषमा स्वराज जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन के समय राजनीति में आई थी और नितीश कुमार , लालू यादव, शरद यादव मुलायम सिंह सभी के साथ वह जनता पार्टी में कंधे से कंधा मिला कर चल चुकी हैं
-तारिक खान

20.12.09

खेलों पर खर्च होंगे 56 करोड़

सिरसा: प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान 56 करोड़ 48 लाख रुपए की राशि खर्च की जाएगी जो विगत विपक्षी सरकार के एक वर्षीय खेल बजट से दस गुणा अधिक है। यह बात हरियाणा के गृह उद्योग एवं खेल मंत्री श्री गोपाल कांडा ने स्थानीय जी.आर.जी स्कूल में आयोजित स्कूल स्तरीय वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के पश्चात विद्यार्थियों, युवाओं व उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार खेलो के विकास के लिए कृत संकल्प है। खेलो के विकास हेतू और प्रदेश में युवाओं का खेलो में रुझान बढ़ाने के उद्ेश्य से राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण रजत और राष्ट्रीय पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों के लिए पुरस्कार राशि बढ़ाकर क्रमश: 3 लाख, 2 लाख ओर 1 लाख रुपए कर दी है जबकि पहले यह राशि 51 हजार, 31 हजार और 11 हजार रुपए थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में खेल विकास के लिए और ग्रामीण खेलों को बढ़ावा देने के लिए 171 गांवों में राजीव गांधी खेल स्टेडियम बनाए जा रहे है। इसके साथ-साथ प्रदेश में विभिन्न जगहों पर खेल अकेडमी स्थापित की जा रही है। श्री कांडा बताया कि प्रदेश में विभिन्न खेलों में प्रशिक्षित खिलाडिय़ों जिनमें अर्जुन अवार्डी और द्रोणाचार्य अवार्ड शामिल है को पांच हजार रुपए प्रति माह ओनरेयिम दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि द्रोणाचार्य और अर्जुन अवार्डियों को द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले खिलाडिय़ों को अब 14.31 करोड़ रुपए की राशि सम्मान स्वरुप दी जा चुकी है।उन्होंने बताया कि क्रिकेट के अलावा प्रदेश में पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए नर्सरी और अन्य विंगस की स्थापना की जा रही है। हॉकी के लिए शाहबाद में एस्ट्रोट्रफ बिछाया गया है। पंचकूला में 4 करोड़ रुपए की लागत से सिंथेटिक टै्रक बिछाया जा रहा है। इसके अलावा सिरसा के शहीद भगत सिंह स्टेडियम में साढ़े 4 करोड़ रुपए की लागत से हॉकी मैदान पर एस्ट्रोट्रफ बिछाने का कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा युवाओं को रोजगार के साधन मुहैया करवाने के उद्देश्य से प्रदेश भर में 1500 स्किल्ड डिवेलमेंट सैंटर भी स्थापित किए जाएंगे। इन स्किल्ड सैंटरों में स्कूली बच्चों को विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि स्कूल और कॉलेज में पढऩे वाले विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास हो सके। खेल मंत्री श्री कांडा ने आगे कहा कि सिरसा में शिक्षा के साथ-साथ सभी तरह की खेल सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि जिला के बच्चे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नाम रोशन कर सके। उन्होंने आज जी.आर.जी स्कूल में आयोजित खेलकूद प्रतियोगिता का झंडा फहराकर उद्घाटन किया और खिलाडिय़ों द्वारा प्रदर्शित की गई मार्च पास्ट की सलामी ली। स्कूल द्वारा रखी गई सभी मांगे पूरी करने का वायदा किया। उन्होंने स्कूल भवन के लिए 11 लाख रुपए की राशि अनुदान के रुप में मुहैया करवाने की घोषणा की। इसके साथ-साथ स्कूल में टेबल टेनिस की नर्सरी और स्केटिंग विंग तथा बॉस्केट बाल ग्राऊंड बनाने की घोषणा की। इस अवसर पर सिरसा एजुकेशन सोसाइटी के चेयरमैन प्रवीण बागला ने सोसाइटी द्वारा चलाई जा रही शिक्षण संस्थाओं की गतिविधियों का उल्लेख किया और उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में स्कूल की प्रिंसीपल श्रीमती अंजू शर्मा ने स्कूल की रिपोर्ट पढ़ी। स्कूली बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रत दिखाए। इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध समाजसेवी व कांग्रेस नेता श्री गोबिंद कांडा ने भी शिरकत की। समारोह में सूरज सैनी, भागीरथ गुप्ता, अंजीन गोयल, रमेश गोयल, आर.डी गर्ग, संस्था की सचिव नौरंग सिंह एडवोकेट, महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्षा श्रीमती शिल्पा वर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

राज्यमंत्री गोपाल कांडा ने अनेक कार्यक्रम में की शिरकत

सिरसा: प्रदेश के सभी गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि ग्रामीण युवाओं को शिक्षा, खेल जैसी सुविधाएं गांवों में ही मुहैया हो सके। यह बात हरियाणा के गृह एवं उद्योगमंत्री गोपाल कांडा ने आज यहां से 30 किलोमीटर दूर झीड़ी गांव में 10 लाख रुपए की लागत से बनने वाले पार्क का शिलान्यास करने उपरांत उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के कल्याण के लिए राज्य सरकार कृत संकल्प है और युवाओं के विकास के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रम चलाए जा रहे है। प्रदेश भर में युवाओं के सर्वागीण विकास के लिए 1500 स्किल्ड डिवलमेंट सैंटर खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं के स्वास्थ्य के लिए प्रदेश में अनेक योजनाएं भी चलाई गई है। राज्य सरकार ने वर्ष 2009-10 को ग्राम सभा वर्ष के रुप में मनाया जा रहा है। जिसके दौरान वर्ष के अंत तक ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के लिए अनेक कार्यक्रम शुरु किए जाएंगे। आगामी वर्ष तक ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष बल दिया जाएगा। इस वर्ष के दौरान प्रदेश में युवा कल्याण हेतु पंचायतों को ओर अधिक अधिकार दिए जाएंगे ताकि पंचायते खेल सुविधाओं पर अधिक राशि कर खेल सुविधा उपलब्ध करवा सके। श्री कांडा ने उपस्थितजनों को आश्वस्त किया कि सिरसा जिले को किसी भी मामले में पीछे नहीं रहने दिया जाएगा। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि सिरसा जिला में पांच विधानसभा क्षेत्र आते है। मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें पांच विभागों का कार्यभार सौंपा है। विभाग भी बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए जिला के लोगों को विकास के लिए तनिक भी चिंता करने की जरुरत नहीं है। उन्होंने ग्रामीणों द्वारा रखी गई सभी मांगों को पूरा करवाने का आश्वासन दिया। झीड़ी गांव में चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के कार्यकाल के दौरान एक करोड़ रुपए से अधिक की राशि विभिन्न विकास कार्यों पर खर्च की जा चुकी है। उन्होने गांव के मिड स्कूल को अपग्रेड करवाने का भी आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि नरेगा स्कीम के तहत गांव में 58 लाख रुपए की राशि खर्च की गई है। उन्होंने गांव में बाबा दीप सिंह युवा क्लब को जिम प्रदान करने की भी घोषणा की। कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध समाजेसवी और कांग्रेस नेता गोबिंद कांडा ने भी शिरकत की और कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस मौके पर भागीरथ गुप्ता और गांव के सरपंच गुरचंद सिंह, ब्लाक समिति के सदस्य श्री हरबंस लाल ने मंत्री श्री गोपाल कांडा जी का स्वागत किया। समारोह में महावीर मोदी, श्री सूरज सैनी, प्रेम शर्मा, कमल शर्मा, डा. जी.एन वर्मा, राजेंद्र मकानी, सुरेंद्र मिचनाबाद, श्रीमती रानी रंधावा, हरजिंद्र भंगू, अंजनी गोयल, अंग्रेज बठला व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

लो क सं घ र्ष !: संसद में महंगाई पर चर्चा का रहस्य

संसद के अन्दर सांसदों ने महंगाई पर जोर-शोर से चर्चा की उनकी चिंता जनता के प्रति नहीं थी अपितु अपनी सुविधाओं को महंगाई की चर्चा के बहाने बढ़ाना चाहते थे महंगाई पर चर्चा की और अपनी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी कीमंत्री 'वेतन एवं सुविधाएं ( संशोधन ) विधेयक 2009' पास कर लियाइस विधेयक के अनुसार मंत्री उनके निकट सम्बन्धी वर्ष भर में 48 मुफ्त हवाई यात्राएं करने का प्राविधान हैएक यात्रा में कितने लोग शामिल हो सकते हैं उसका कोई उल्लेख नहीं किया गया हैयह विधेयक बिना किसी चर्चा के कुछ ही मिनटों में पारित हो गया हैडॉक्टर मनमोहन सिंह के गरीबी हटाओ कार्यक्रम के तहत मंत्रियों को महंगाई से थोड़ी सी राहत प्रदान की गयी हैइससे लगता है कि संसद के सत्रावसान तक सभी सदस्यों को महंगाई से राहत दे दी जाएगीदेश का मजदूर किसान मेहनतकश तबका महंगाई से भूखो मर जाये, हमारे राजनेता सुखी रहे उनसे यह उम्मीद करना कि वह जनमुखी कोई कार्य करेंगे ? देशी कहावत है कि ' अँधा बाँटें रेवड़ी, घरो घराना खाए ' । केन्द्रीय मंत्री मंडल के काफी सदस्य विभिन्न राजा महाराजों के पोते परपोते हैं उनके बाप दादा ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रतिनिधि थे और भारत को गुलाम बनाये रखना चाहते थे जब वह ब्रिटिश साम्राज्यवाद की तरफ से शासन करते थे तो जनता से टैक्स वसूलने के मद इस प्रकार थे कि आज राजा के लड़का हुआ रुपया दो , आज राजा के कुत्ते की शादी है उसके खर्चे के लिए टैक्स दो , राजा कार खरीद लाए हैं उसके लिए पैसा दोकुल मिलाकर ये पुराने राजे-रजवाड़े मेहनतकश जनता की कमाई को किसी किसी प्रकार, किसी किसी तरीके से हड़प लेते थे। आज स्वरूप बदला है चरित्र वही है

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

असंतोष और उपेक्षा से उपजी हताशा का परिणाम है - प्रथक राज्य की मांग !

असंतोष और उपेक्षा से उपजी हताशा का परिणाम है - प्रथक राज्य की मांग !
तेलंगाना राज्य को प्रथक राज्य बनाने की घोषणा के बाद , अब देश के हर कोने से प्रथक राज्य गठन की मांग उठने लगी है । कुछ लोग प्रभावशाली और कारगर प्रशासनिक व्यवस्था क्रियान्वयन और नियंत्रण के मद्देनजर प्रथक छोट छोटे राज्यों की मांग को जायज ठहराते हैं । तो वन्ही कुछ राजनैतिक लोग सत्ता अवं महत्वपूर्ण पदों की लालसा अवं राजनीतिक नफे नुकसान की द्रष्टि से प्रथक राज्य की मांग करते हैं । जबकि मुझे लगता है की क्षेत्र विशेष का असंतुलित विकास , असमान वित्तीय संसाधनों का आवंटन अवं उपेक्षित भाव से उपजे असंतोष और हताशा का परिणाम है प्रथक राज्य की मांग ।जो भी हो इस तरह से देश के हर प्रदेशों से छोट छोटे टुकड़े कर प्रथक राज्यों की मांग को हवा देना देश की अखंडता और एकता की सीरत और सेहत के लिए अच्छा नहीं है । प्रथक राज्य की मांग का उठाना अथवा उठाया जाना , जनहित और प्र देशहित से वास्ता तो कम किन्तु तात्कालिक राजनीतिक स्वार्थ ज्यादा नजर आता है । अभी तक जितने प्रथक राज्यों का गठन हुआ है उनमे कुछ को छोड़कर कितनो का विकास पूर्व की तुलना मैं ज्यादा बेहतर हो पाया है यह संभवतः किसी से छुपा नहीं होगा । फिर भी इस बहाने देश को छोटे छोटे टुकड़ों मैं क्षेत्रवाद , भाषावाद अवं वर्ग विशेष वाद के आधार पर तोडना कंही अधिक घातक होगा ।
यदि राजनीतिक और प्रशासनिक इक्क्छा शक्ति हो तो देश को छोटे छोटे राज्यों मैं बिना तोड़े और प्रथक राज्य के गठन के बिना ही प्रदेश और प्रदेश वासियों का समुचित और पर्याप्त विकास उनकी अपेक्षा और आवशकताओं के अनुरूप किया जा सकता है । वित्तीय संसाधनों का सामान रूप से आबंटन , केंद्रीय और राज्य स्तरीय सत्तात्मक नेत्रत्व मैं आबादी के हिसाब से सभी क्षेत्रों की सामान भागीदारी , क्षेत्र विशेष के प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन से प्राप्त राजस्व का अधिकतम भाग क्षेत्र के विकास हेतु ही लगाया जाना , क्षेत्र विशेष के हितों और आवश्यकताओं के अनुरूप योजनाओं का निर्माण और उनका कारगर और प्रभावी क्रियान्वयन , बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के सभी प्रदेशों को सामान विकास के अवसर उपलब्ध कराना इत्यादि ऐसे अनेक कार्य लोगों के असंतोष और निराशा को दूर कर वर्तमान राज्य और राष्ट्र व्यवस्था मैं ही लोगों का विश्वास कायम रखने मैं महती भूमिका निभा सकते हैं और देश को क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों और भाषा , क्षेत्र और वर्ग विशेष के आधार पर छोटे छोटे टुकड़ों मैं बटने से रोका जा सकता है ।

आसुज का एक दिन निडाना में !!!

आसुज लागदै की ग्यास नै चाँद निडाना के आसमान में सारी रात खेस तान कर सुता पड़ा था। सुबह-सवेरे कृषि विकास अधिकारीयों के स्वागत वास्ते इसने ठान की किसमे हिम्मत! इसीलिए पाठशाला के चौदहवें सत्र की प्रभात वेला में निडाना--चाबरी के अड्डे पर पाठशाला के केवल छ: किसान ही अपने हथजोडे(praying-mentis) का स्वागती बैनर उठाए इस उधेड़--बुन में खड़े थे कि HAMETI जींद से चौदहवीं के चाँद आयेंगे या आफताफ? खोटा इंतज़ार क्षणिक ही हुआ। ठीक आठ बज कर आठ मिनट पर हमेटी की मिनी--बस अड्डे पर आकर रुकती है। आठ मिनट लेट इसलिए होगे अक सारे रास्ते ड्राइवर कै माथे सूरज लागै था। इस बस में से ना तो कोई चाँद उतरा अर् ना कोई आफताफ। इसमे से उतरे गिन कर उन्नतीस कृषि विकास अधिकारी जो हरियाणा कै दस जिलों की नुमाईंदगी कर रहे थे तथा अब हमेटी, जींद में चल रही TOF के शिक्षार्थी। डा.हरभगवान लेट होग्या। उसने ल्याण कै चक्कर में डा.लाठर लेट होग्या। डा.नेहरा कै ताप चढ़ग्या। डा.जैन के बोझ तै मिनी--बस दबै थी। ख़ैर डा.मांगे, डा.सुभाष व् डा.राजेश की अगुवाई में इन कृषि अधिकारियों का स्वागत करते हुए भू.पु.सरपंच रत्तन सिंह व् उसके साथी किसानों की टीम इन्हें गावं की तरफ़ लेकर चली। अभी आधा फर्लांग भी नही चले थे कि रणबीर व् साथी किसान अपने बुगडों वाले स्वागती बैनर के साथ शिक्षार्थियों के स्वागत में पलकें बिछाएं खड़े थे। इसके बाद मनबीर की टीम फेर राममेहर की, फेर संदीप की टीम मकडियों, लेडी बिटलों व् मक्खियों के स्वागती बैनरों सम्मेत खड़ी थी तथा अंत में राजेन्द्र की टीम कपास सेदक कीटों वाला बायकाटी बैनर उठाए खड़ी थी।
यहीं कृषि विकास अधिकारी का कार्यालय है। चौदाह बाई चौदह का कमरा। अंदर पधारने पर "चक्चुन्दर कै आए मेहमान--आ भै! लटक " वाली स्थिति थी। दफ्तर में खड़े--खड़े ही हालवे अर् बाक्लियाँ का ब्रेकफास्ट। हलवा गजब का स्वाद अर् बाकलियाँ का भी तोड़ होरया था। खड़े--खड़े ही गावं के सरपंच रामभगत सेठ नै मेहमानों का स्वागत किया अर् पैन व् पैड सप्रेम भेंट किए। खड़े--खड़े ही कृषि अधिकारियों व् किसानों की छ: टिम्में बनी। हर टीम में छ: किसान अर् छ: अधिकारी थे। ये टीम गावं के खेतों में अलग--अलग लोकेशंज पर गई। ये सभी टिम्मे अपना अवलोकन,निरिक्षण व् संवाद कायमी का काम निपटा व् खाना खाकर ठीक बारह से साढ़े बारह के बीच ब्राहमणों वाली चौपाल में पहुँची और यहीं शुरू हुआ किसानों व् कृषि अधिकारियों के मध्य संवाद कायमी का सिलसिला। सूत्रधार बने डा.सुभाष। सत्र की शुरुआत में ही डा.साहिब ने किसानों की दिल खोल कर तारीफ करते हुए गावं में पधारने पर अधिकारीयों की आभगत व् किसानों के कीट ज्ञान के लिए भूरी--भूरी प्रशंसा के बड़े--बड़े भरोट्टे बाँध दिए। सराहना की अभावग्रसता से सत्या हारे किसानों पर इस पीठ थप--थपाई का गजब का असर हुआ। ठीक इसी समय हमेटी, जींद के प्राचार्य डा.बी.एस.नैन इस चौपाल में पधारे। कृषि उपनिदेशक, डा.रोहताश सिंह, कृषि विज्ञानं केन्द्र, पिंडारा के मुख्य विज्ञानी डा.आर.डी.कौशिक भी इस पंचायत के मार्गदर्शन हेतु निडाना पहुंचे। वर्तमान सरपंच रामभगत व् भू.पु.सरपंच रत्तन सिंह ने गावं व् विभाग की तरफ़ से मुख्य मेहमानों का पगड़ी पहना कर आदरमान किया। किसानों ने उनका फुलमालाओं से स्वागत किया। अधिकारीयों एवं किसानों की इस कृषि --पंचायत में रणबीर ने बेहीचक एवं निसंकोच निडाना की धरती पर कपास की फसल में पाए गए 24 हानिकारक व् 32 हितकारी कीटों के बारे में पंचायत को अवगत कराया। सूत्रधारी डा.सुभाष ने अपना तफसरा रखा कि हे! पाठशाला के किसानों आपके इस कीट--ज्ञान के तो हम कायल हैं। अब तो आप निडाना क्षेत्र में सिरसा--फतेहाबाद के मुकाबले कपास की कम पैदावार के कारणों पर बहस करो। मनबीर ने कृषि--पंचायत को बताया कि हमारे यहाँ घाट पैदावार के मुख्य कारणों में से एक है--प्रति एकड़ पौधों कि संख्या कम होना. हमने इस सीजन में साठ से ज्यादा किलों में कपास के पौधों कि गिनती की है। 504 से लेकर 3227 पौधे प्रति एकड़ पाए गये। अब आप बताइये! पौधों की इतनी कम संख्या से अच्छी--खासी पैदावार कहाँ से आएगी?
दूसरा कारण-- खरपतवारों का ठीक से नियंत्रण ना होना। बेहतर अंकुरण के लिए डा.कमल ने अपने अनुभव विस्तार से किसानों के साथ साझे किए तथा डा.राजपाल सुरा ने पंचायत को नलाई--गुडा के नये यंत्र व् इस पर उपलब्ध सब्सिडी बारे अवगत कराया। बहस के दायरे को विस्तार देते हुए, कृषि विज्ञानं केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक डा.आर.डी.कौशिक ने बेहतर पोषण प्रबंधन वास्ते किसानों से अपने खेत की मिटटी जाँच करवाने की अपील कर डाली। अचानक मिटटी जांच की प्रमाणिकता को लेकर इस पंचायत में अनावश्यक तीखी बहस चल निकली। गैरप्रमाणिकता से मिटटी जांच की आवश्यकता को नकारा नही जा सकता--डा.रोहताश सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए किसानों से निराशा से बचने की अपील की और भविष्य में मिटटी नमूनों की सही जाँच का भरोसा दिलाया। अब भू.पु.सरपंच रत्तन सिंह ने पादक-पोषण व् कीट--नियंत्रण के लिए 5.5% जिंक--यूरिया--डी.ऐ.पी.घोल (0.5%जिंक: 2.5%यूरिया:व् 2.5%डी.ऐ.पी.) के स्प्रे परिणाम पंचायत में बहस के लिए रखे। उन्होंने बताया कि इस घोल का छिडकाव करने से कपास की फसल में छोटे--छोटे कीट (तेला, मक्खी, चुरडा, माईट व् चेपा आदि) मरते हुए पाए गए तथा स्लेटी भुंड जैसे कीट सुस्त अवस्था में पाए गये. इस तथ्य को 15-20 किसानों ने तीन--चार बार अजमा कर देखा है। डा.हरभगवान ने इस प्रस्तुति की दार्शनिक अंदाज में व्याख्या देने की भरपूर कौशिक की। उन्होंने किसानों को बताया कि सभी अण्डों से बच्चे नहीं निकलते। सभी बच्चे प्रौढ़ नही बन पाते और सभी प्रौढ़ अंडे देने तक जिन्दा नही रह पाते। नवजात कीट तो फौके पानी से भी मर जाते हैंलेकिन पंचायत को यह उत्तर हजम नही हुआ। किसानों ने दो टूक उत्तर माँगा कि हमें यह बताओ अक पौषक तत्वों का 5% का यह घोल कीटों के लिए टाक्षिक होगा या नहीं? इस पर डा.कौशिक ने आगे बात बढाई कि कृषि विश्वविद्यालय तो इस घोल की शिफारिस नही करता। इस घोल से तो पौधों पर घातक परिणाम आने चाहियें।
अब चंद्रपाल ने उसके खेत में देसी माल का छत्ता होने के बावजूद शहद की मक्खियों का बी.टी.कपास के फूलों पर न आने का मुद्दा उठाया। इस बात की पुष्टि आज इस खेत पर गए कृषि विकास अधिकारीयों की टीम ने भी की। इस मुद्दे का भी आज की इस पंचायत में कोई सर्वमान्य व् संतोषजनक जवाब नही मिल पाया।
डा.नविन यादव ने कपास के बी.टी.बीजों में पौधों की जड़ों की कम लम्बाई के तथ्य को रेखांकित करना चाहा। उन्होंने आशंका प्रकट की कि कही ये बी.टी.बीजों की विशेषता ही ना हो। इस पर डा.दलाल ने हस्तक्षेप करते हुए फ़रमाया की यह सिंचाई सुविधावों व् भारी मशीनरी के निरंतर इस्तेमाल से पथराई भूमि भी एक कारण हो सकता है।
बी.टी.की खाम्मियों का जिक्र चलते ही गावं के भू.पु.सरपंच बसाऊ का जोश बुढ़ापे में जोर मारने लगा। कहने लगे कि यु नया कीड़ा मिलीबग भी इन बी.टी.बीजों के साथ भारत में आया सै।
पाण्डु-पिंडारा के कृषि विज्ञानं केन्द्र से आए डा.जगत सिंह ने बसाऊ कि इस जानकारी को दुरस्त करने की नियत से फ़रमाया कि यह मिलीबग तो हिन्दुस्तान में 1995 यानि की बाढ़ वाली साल से पहले भी देखा गया है और इसकी रिपोर्ट विभिन्न रसालों की हुई है।
खुली पंचायत और खुल कर बात कहने की सब को छुट। इसी मौके का फायदा उठाते हुए डा.दलाल ने भी फिन्नोकोक्स सोलेनोपसिस नामक मिलीबग की रिपोर्टिंग की मांग डा.जगत सिंह से कर डाली। डा.दलाल तो यहाँ तक भी कह गये कि 1995 की छोडो अगर भारत में किसी ने यह फिनोकोक्स सोलेनोप्सिस नाम का मिलीबग किसी ने 2002 से पहले हमारे देश में देखा हो तो वह कुँए में पड़ने को तैयार?
आज के इस प्रोग्राम में मज़ा आ गया। समय का किसी को भी ध्यान नही रहा। ठीक साढ़े तीन बजे डा.सुनील दलाल ने रसगुल्लों से सभी प्रतिभागियों का मुहं मिट्ठा करवाना शुरू किया। इसी समय कृषि उपनिदेशक डा.रोहताश सिंह ने जिले में चल रही कृषि विभाग की विभिन्न स्किम्मों की जानकारी दी। उन्होंने आज के इस प्रोग्राम में उभरे बहस के मुख्य बिन्दुओं को वर्कशाप में उठाने की भी बात कही। प्रोग्राम की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए हमेटी के प्राचार्य डा.बी.एस.नैन ने निडाना के इन किसानों को एक दिन हमेटी में आने का निमंत्रण दिया। आज के इस कार्यकर्म के अंत में सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए डा.सुरेन्द्र दलाल ने डा.नार्मन बोरलाग की मृत्यु पर शोक प्रस्ताव रखा जिस पर सभी ने दो मिनट का मौन धारण कर इस महान कृषि वैज्ञानिक को श्रधांजलि भेंट की।