सिरसा: अतिरिक्त उपायुक्त श्री जे.गणेशन ने गत दिवस रानियां खंड के नानूआना एवं खारियांं विद्यालयों का ओचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि विद्यालयों में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था नहीं है। कई कक्षाएं बिना अध्यापक के पाई गई तथा हाजिरी रजिस्टरों में पीरियट समायोजन को लेकर अनियमितता पाई गई। शौचालयों व पीने के पानी का प्रबंध ठीक नहीं है। विद्यार्थियों के लिए भेजी गई खेल सामग्री, पुस्तकों व अन्य सामान की व्यवस्था ठीक नहीं है तथा सामान दीमक द्वारा खराब हो रहा है और उसका उचित रुप से सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशानुसार वितरण भी नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला खारियां को उपलब्ध करवाया गया एजुसेट सिस्टम उचित रखरखाव न होने के कारण चूहों द्वारा खराब कर दिया गया है और विद्यार्थियों के लिए दिया गया खेलों का सामान प्रयोग में न लाकर अलमारी में बंद है तथा उसकी सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है। श्री जे. गणेशन ने जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा है कि विद्यालय के मुखियाओं को उचित दिशा-निर्देश जारी करे कि विद्यालयो में कोई भी कक्षा बिना अध्यापक के न रहे व पीरियड समायोजन रजिस्ट्रर नियमित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालयों की साफ-सफाई, शौचालयों की साफ-सफाई व पानी का प्रबंध तथा पीने के पानी की टंकी की नियमित सफाई करवाई जाए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा विद्यार्थियों के लिए भेजी गई खेल सामग्री, पुस्तकों व अन्य सामग्री विद्यार्थियों को समय पर एवं सरकार द्वारा जारी हिदायतानुसार तुरंत जारी की जाए। उन्होंने विद्यालयों के मुखियों को सचेत करते हुए कहा कि भविष्य में इस प्रकार की त्रुटियां पाई जाती है तो प्रशासन द्वारा उनके प्रति विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
सिरसा: सन् 1971 में भारत और बंगलादेश के बीच हुए युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों को नम्न करते हुए आज स्थानीय लघु सचिवालय परिसर में स्थापित शहीद स्मारक पर विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर उपायुक्त श्री युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए पुष्प अर्पित किए तथा पुलिस टुकड़ी द्वारा बिगुल पर शोक धुन बजाई और शस्त्र झुकाकर शहीदों को याद किया। इस अवसर पर उपायुक्त श्री ख्यालिया ने कहा कि इस दिन देश भर में शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित करके उनकी शहादत को याद करते हुए उन्हें नम्न किया जाता है। आज सभी ज्ञात-अज्ञात शहीदों द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का दिन है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का इतिहास शौर्य गाथाओं से भरा रहा है और हरियाणा की भूमि जांबाज शूरवीरों, योद्धाओं और रणबांकूरों की भूमि रही है। प्रदेश की माटी का कण-कण वीरत्व से जगमगाता है यहां प्राचीन काल से ही राष्ट्र प्रेम,बलिदान और वीरता की परम्पराएं चिरस्थायी है। उन्होंने कहा कि हमें शहीदों के सपनों व उनके परिवारों के सम्मान को सर्वाेपरि रखना चाहिए। शहीदों की शहादत की वजह से ही आज भारतवर्ष का प्रत्येक नागरिक खुली हवा में सांस ले रहा है। उन्होंने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम व स्वाधीनता संग्राम के वीर शहीदों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपनी प्राणों की आहुति देते हुए अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवाया। ऐसे सभी देशभक्त शहीदों की गौरवगाथा का व्याख्यान जितना भी किया जाए उतना ही कम होगा। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त जे.गणेशन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सज्जन सिंह, कर्नल सुदर्शन मारवा, कर्नल चौधरी, विंग कमांडर संधू, जिला सैनिक बोर्ड के सैके्रटरी गु्रप कैप्टन ओमप्रकाश, सदस्य राज्य सैनिक बोर्ड के नायब सुबेदार रघुवीर सिंह, लीग सैके्रटरी हरचंद सैनी, नोडल अधिकारी कैप्टन अनूप सिंह सहित जिला के अधिकारियों व कर्मचारियों ने पुष्प अर्पित करके शहीदों को नमन किया।
सिरसा: डेरा सच्चा सौदा में आयोजित 18वें याद-ए-मुर्शिद परम पिता शाह सतनाम जी महाराज फ्री आई कैंप के तीसरे दिन समचार लिखे जाने तक 1121 लोगों के आपे्रशन हो चुके थे। मंगलवार तक 7431 लोगों का रजिस्ट्रैशन हुआ तथा 1598 लोगों को ऑप्रेशन के लिए चयनित किया गया । संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने भी सचखण्ड हॉल में पहुंचकर मरीजों की कुशलक्षेम जानी व उन्हें अपना पावन आशीर्वाद दिया। शाह सतनाम सिंह जी महाराज की याद में हर वर्ष डेरा सच्चा सौदा में 13 से 15 दिसम्बर तक आयोजित होने वाले तीन दिवसीय आंखों के विशाल शिविर की कड़ी में आयोजित हो रहे 18वें शिविर में आए मरीज व चिकित्सीय सेवाएं देने पहुंचे नेत्र रोग विशेषज्ञ शिविर में किए गए प्रबंधों की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। महिला व पुरूष मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं तथा सैंकड़ों की संख्या में शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार भाई-बहन भी देखभाल में जूटे हुए हैं। उन्हें दवाईयां देने, लंगर भोजन करवाने व शौच इत्यादि करवाने तक की सेवा सेवादार निभा रहें हैं। कैंप में पहुंचे मरीजों का कहना है कि ऐसी सुविधाएं उन्होंने पहले कहीं नहीं देखी तथा अगर वे अपने घर में रहकर भी आंखों के आपे्रशन करवाते तो शायद उनके बच्चे भी उनकी इतनी सेवा नहीं कर पाते। वहीं इस चिकित्सीय शिविर में सेवाएं देने पहुंचे देश के प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि आम तौर पर आयोजित होने वाले आंखो के शिविरों में 100-200 लोगों के ही आपे्रशन किए जाते हैं लेकिन डेरा सच्चा सौदा में रोजाना 500 ऑप्रेशन हो रहे हैं जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसी सेवा भावना अन्यत्र किसी समाजसेवी संस्था के सेवादारों में नही देखी। कैंप के बारे में जानकारी देते हुए प्रवक्ता डॉ। पवन इन्सां ने बताया कि तीसरे दिन मंगलवार को दोपहर तक 7231 लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया। जिनमें 3490 पुरूष, 3941 महिलाएं थी। उन्होंने बताया कि इनमें से 1597 मरीजों का ऑप्रेशन के लिए चयन किया गया है जिनमें 790 पुरूष व 809 महिलाएं हैं। श्री इन्सां ने बताया कि दोपहर बाद तक 1121 लोगों के ऑप्रेशन हो चुके थे। जिनमें 482 पुरूष व 639 महिलाएं शामिल है। प्रवक्ता ने बताया कि मरीजों के ऑप्रेशन के बाद उनकी दवाईयां, भोजन तथा रहने इत्यादि के इंतजाम डेरा सच्चा सौदा द्वारा किए गए हैं।
सिकन्द्राराऊ(पवन पंडि़त)साहित्य की बहुत कोमल विधा है। इसलिये समय-समय पर इसकी कोमलता के साथ छेडछाड होती रही है। एक वह समय था कि कवि सम्मेलन के मंच पर गीत हस्ताक्षरों का प्रादुर्भाव हुआ करता था और एक दो हास्य कवियों को चटनी के बतौर आमंत्रित कर लिया जाता था। धीरे-धीरे ये चटनी गीत जैसे ज़ायकेदार सुपाच्य भोजन को ही चट करने लगी और गीत की स्थिति बडी दयनीय होती चली गयी। उस काल के गीत विधा के शीर्षस्थ रचनाकारों में कुछ तो इस लडाई को लड ही न सके, कुछ ने कमज़ोरी छुपाते हुये अपने को गज़ल की ओर मोड लिया, कुछ ने लडाई लडी भी तो अकेले पड जाने के कारण समाप्त हो गये। परिणामत: हास्य का झंडा बुलंद होता चला गया। बलबीर सिंह रंग, रमानाथ अवस्थी, वीरेन्द्र मिश्र, नीरज, भारत भूषण और डा. कुँवर बेचेन के बाद एक बहुत बडा अंतराल आया... एक बार को तो एसा लगने लगा कि गीत कहीं मंच से समाप्त न हो जाये। तब 80 और 90 के दशक में गीत की चिंगारी लेकर एक ऐसा युवा गीतकार मंच पर आया जिसे सुन कर सभी हतप्रभ रह गये, धीरे-धीरे इस चिंगारी ने मशाल का रूप ले लिया। प्रकृति परिवर्तन माँगती है और यह परिवर्तन ही आज हिन्दी कवि सम्मेलनों की आवश्यकता बन गया है। इस कवि के स्वर में जितनी कशिश है उतने ही अंतस तक स्पर्श करने वाले शब्द----
हमने देखें हैं पत्थर पिघलते हुये, शीत जल में से शोले निकलते हुये, तुम न बदलोगी ये कैसे विश्वास हो हमने देखे हैं मौसम बदलते हुये,
इस बदले हुये मौसम में अपने इंद्रधनुषी गीतों की छटा बिखेरने वाले इस गीतकार का नाम है डा. विष्णु सक्सैना । जो हाथरस जिले की सिकन्दराराऊ तहसील के निवासी हैं। प्रायमरी से लेकर इंटर तक की शिक्षा यहीं से लेने के बाद स्नातकीय शिक्षा के लिये राजस्थान जाना पडा। उदयपुर से चिकित्सा शास्त्र में प्रथम श्रेणी की डिग्री ले यह अपने ही नगर में आकर निजी क्लीनिक में रोगियों का उपचार कर रहे हैं। इतनी व्यस्तताओं में से जो भी खाली समय बचता है उसे कविता के रस से भर लेते हैं।
पेशे से चिकित्सक डा. विष्णु सक्सैना अपने अन्दर एक नाज़ुक सा, कोमल सा दिल भी रखते हैं इसलिये इनकी कविता में दर्द भी है और उसका इलाज भी। डा. सक्सैना को कविता विरासत में मिली है। इनके दादा श्री चन्द्रभान शशिरवि तो जिकडी भजनों के सिद्ध कवि थे, उन्होंने न जाने कितनी गज़लें और लोकगीत लिखे। ग्रामीण परिवेश में जीवन यापन होने के कारण उनकी समस्त रचनाओं में गाँव की मिट्टी की सोंधी-सोंधी गंध भी समाहित थी। पिता श्री नारायण प्रकाश और माँ श्रीमती सरला सक्सैना के सुसंस्कारित प्रयासों के प्रतीक डा. विष्णु के कविता के मंच पर आने से गीत को पुनर्जीवन तो मिला ही है साथ ही श्रोता जिस मानसिकता से हास्य व ओज की कविताओं को सुनता था, आज उतने ही मनोयोग से उनके गीतों को सुनने के लिये लालायित होता है। दिनों दिन बढती लोकप्रियता का ही परिणाम है कि अपनी छोटी सी उम्र में लगातार ऊँचाइयाँ छू रहे हैं। इसलिये आज उन्हें आकाशवाणी, टीवी, तथा स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में यथोचित सम्मान मिल रहा है।
मुस्कुराहट के पन्ने पलट दो ज़रा बाँच लूँगा सभी प्यार की पोथियाँ, नेह की बात होगी निबन्धों में जब कसमसायेंगीं आपस की अनुभूतियाँ,
कविता तो एक तपस्या की तरह है, जिसमें सब कुछ भूल कर ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। खुद को डुबोना पडता है तभी जीवन का वास्तविक आनन्द आता है। विष्णु जी की रचनाओं में भी कुछ ऐसी ही अनुभूतियाँ हैं, प्रेम की सूक्ष्म संवेदनाओं की विवेचना है--- क्यूँ बिछाकर दुपट्टा हरी घास पर मेरे सपनों को उसमें समेटा बता? एक चटका हुआ आँसुओं का कलश काँपते हाथ से क्यूँ समेटा बता?
मन करता है कि बस विष्णु सक्सैना पढते रहें और हम सुनते रहें। इनके प्रेम गीतों में विशेष बात ये है कि चाहे वह संयोग पक्ष हो या वियोग पक्ष, कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं होता।
थाल पूजा का लेकर चले आइये मंदिरों की बनावट सा घर है मेरा। * * * * लाँघना ना कभी देहरी प्यार में चाहे मीरा को मोहन मिले न मिले।
साहित्य साधना के लिये दृढता, धेर्य और त्याग की भी ज़रूरत होती है। ये सब इनकी कविताओं में पढने और सुनने से दिखाई देता है। यही कारण है कि इनके शब्द आत्मा की गहराई से निकल कर सशक्त प्रस्तुति के माध्यम से जब श्रोताओं के सामने आते हैं तो बरबस ही मुँह से आह और अन्दर से वाह निकलने लगते है---
वंदनवारें तो बांध नहीं पाया पर चौखट पर दोनों आँखें बंधी हुयी हैं, तुम आओगे तो एक फूल तोडोगे सारी कलियाँ खिलने से रुकी हुयी हैं,
इनकी कविताओं में मात्र नायक नायिकाओं के प्रेम प्रसंग ही नहीं अपितु उनके माध्यम से देश की समस्याओं को भी हल करने की कोशिश की गयी है।
मस्ज़िद हैं आप तो मुझे मन्दिर ही मान लो, हो आयतों में तुम मुझे श्लोक जान लो, कब तक सहेंगे और रहेंगे अलग-अलग मैं पूजूँ तुम्हें तुम मेरे दिल में अज़ान दो,
ये कहते हैं कि कवि और श्रोताओं के बीच की दूरी को कम करने के लिये हमें अपने तमाम पूर्वाग्रहों को छोड कर आम बोल चाल की भाषा का ही प्रयोग करना चाहिये जिससे श्रोता आसानी से आपकी बात आत्मसात कर लेगा, तभी कला को पूर्ण सम्मान मिलेगा।
इस व्यावासायिकता के युग में सभी गुटबन्दियों से अलग डा. सक्सैना ने हमें बताया कि उनके 'मधुवन मिले न मिले' 'स्वर अहसासों के 'खुश्बू लुटाता हूं' नामक गीत संग्रह तथा 'प्रेम कविता' 'तुम्हारे लिये' नामक सीडी बाज़ार में उपलब्ध हैं। कवि सम्मेलनों की घटती लोकप्रियता के बारे में वे कहते हैं कि इलेक्ट्रानिक मीडिया तथा अश्लील फूहड हास्य ने अच्छे श्रोता कवि सम्मेलनो से दूर कर दिये हैं।
गत दिनों अनेक सम्मानों से सम्मानित विष्णु जी ओमान, अमेरिका, इसराइल, थायलेंड, दुबई, हांगकांग, नेपाल में भी अपने रसीले गीतों की फुहार छोड कर आये हैं। साँवला सलोना, हरदम मुस्कराता, सुदर्शन तथा विलक्षण प्रतिभा का ये युवा कवि डा. विष्णु सक्सैना आज हिन्दी कविता की धडकन बन गया है। उसके प्रशंसकों की असीम शुभ कामनायें यदि फलीभूत हो गयीं तो भविष्य का ये इकलोता गीतकार होगा जिसे देख कर आंखें तृप्ति का और मन अतृप्ति का आभास करेगा--
आओ मेंहन्दी महावर की शादी करें, उम्रभर साथ रहने का आदी करें, फूल से पंखुरी अब न होगी अलग, सारे उद्यान में ये मुनादी करें, हमको जितना दिखा- सिर्फ तुमको लिखा अब ये पन्ना यहीं मोड दें---------------