(ग्राम खमरा में प्रतिवर्ष हो रहा है, देश का एकमात्र अभिनव आयोजन)
छिन्दवाड़ा(विशाल शुक्ल ओम) सरस्वती जयंती बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर भागवत भूषण पं. रामविशाल शुक्ल के मार्गदर्शन पर सरस्वती महोत्सव एवं ब्राह्मीपान समिति खमरा वि. ख. बिछुआ द्वारा आयोजित देश के एक मात्र अनुठे ब्राह्मीपान कार्यक्रम के जरिये इस वर्ष भी पॉंच हजार से अधिक छात्र/छात्रायें अपनी बौद्धिक क्षमता की वृद्धि का लाभ लेने खमरा में जुटेंगे । जिले के विकासखण्ड बिछुआ के ग्राम खमरा में प्रतिवर्षानुसार आयोजित इस कार्यक्रम के संस्थापक पं. रामविशाल शुक्ल ने बताया कि विगत दस वर्षो से चला आ रहा यह कार्यक्रम अपने आप प्रदेश ही नही अपितु देशभर का इकलौता अनुठा अभिनव कार्यक्रम है जिसकी ख्याति के चलते हर वर्ष इस पुनीत पर्व बसंत पंचमी सरस्वती जयंती में इसका लाभ लेने वालों की संख्या हजारों में बढ़ती जा रही है । कार्यक्रम के प्रारंभ में जहॉं इस कार्यक्रम में सम्मिलित लोगों की संख्या 250 थी । वही अब लगभग 4 से 5 हजार के करीब हो चुकी है ।
वेदों में उल्लेख है: पं. श्री शुक्ल ने बताया है कि शास्त्रों एवं वेदों में सरस्वती का श्री विग्रह शुक्ल वर्ण है यह परम सुन्दरी देवी सदा हॅंसती रहती है इसके परिपुष्ठ विग्रह के सामने करोड़ो चन्द्रमा की प्रभा भी तुच्छ है ये विशुद्ध चिन्हमय वस्त्र पहने है इनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक । सर्वोत्तम रत्नों से वने हुए आभूषण इन्हें सुशोभित कर रहे है । ब्रम्हा, विष्णु, शिव प्रभृति प्रधान देवताओं तथा सुरगणों से सुपूजित है । इन्हें सुगंधित सफेद पुष्प और सफेद चंदन अर्पण करना चाहिए । श्वेत पुष्पों की माला और भूषण भगवती को चढ़ावे और भगवती सरस्वती का ध्यान परम सुखदायी है तथा धर्म का उच्छेद करने वाला है माघ शुक्ल पंचमी अर्थात वंसत पंचमी सरस्वती जयंती विद्यांरभ की मुख्य तिथि है उसदिन पूर्व अपरान्ह काल में पूर्वाहन पवित्र रहे स्नान और नित्य क्रिया पश्चात शोडशेपचार से मॉं भगवती की पूजा करे । नैवेद्य में तिल के लड्डु, मिश्री,, सफेद रंग की मिठाई, गेहॅं के आटे में तले पदार्थ, नारियल, पका हुआ केला, धान का लावा आदि विशेष रूप से चढ़ावे ।
सरस्वती को मिला शाप बना वरदान: लक्ष्मी सरस्वती गंगा तीनों ही भगवान श्री हरि की भार्या है । एक बार सरस्वती को यह संदेह हो गया कि श्री हरि मेरी अपेक्षा गंगा से अधिक प्रेम करते है । तब उन्होंने श्री हरि को कड़े शब्द कहे फिर वे गंगा को क्रोध करके कठोर बरताव करने लगी तब लक्ष्मी ने उन्हें रोक दिया । इस पर सरस्वती ने लक्ष्मी को गंगा का पक्ष करने वाली मानकर श्राप दे दिया तुम निश्चय ही वृक्षरूपा और नदी रूपा हो जाओंगी । तब गंगा ने सरस्वती को श्राप दे दिया की वह भी नदी रूपा और वृक्षरूपा हो जाये । गंगा की बात सुनकर सरस्वती ने भी उन्हें वही श्राप दे दिया श्राप से लक्ष्मी पदमावती नदी और तुलसी वृक्ष के रूप में धरती के रूप में अवतरित हुई । इसी प्रकार गंगा भी भागीरथी और धात्री वृक्ष के रूप में अवतरित हुई। सरस्वती कला के अंश से नदी के रूप में भारत वर्ष में पधारी आधे अंश से ब्रम्हा के अंश में पधारी तथा ब्राह्मी वृक्ष रूपणी और पूर्ण अंश से स्वयं भगवान के पास रही ।
ब्राह्मी सेवन प्रयोग: कण्व शाखा के अनुसार जो व्यक्ति माद्य शुक्ल पंचमी सरस्वती जयंती के दिन सरस्वती का शोडशोपचार से पूजन कर सरस्वती कवच धारण करने पश्चात ब्राह्मीपान धारण करता है उसकी मेधा बौद्धिक क्षमता में चमत्कारित ढ़ंग से वृद्धि होती है । माद्य कृष्ण चतुर्दशी से माद्य शुक्ल पंचमी तक ब्राह्मी पान शुभ फलदायी होता है ।
अद्रक - भद्रक, पीतरसं, वच बाकुचि, ब्राह्मी, सहाघृतम
माद्य चतुर्दश कृष्ण दिनम् अस् बोलत कोकिल नाद रतम
कणाद, गौतम, कण्व पाणिनी शाकटायन, दक्ष और कात्यायन आदि ऋषियों ने सरस्वती कवच धारण पश्चात ब्राह्मीपान करके ही ग्रन्थों की रचना में सफल हुये । सरस्वती कवच के ऋषि प्रजापति है स्वयं वृहति छंद है माता शारदा अधिष्ठात्री देवी है इस प्रयोग से स्मृति शक्ति, ज्ञान शक्ति और बुद्धि का वर्धन होता है। भ्रमरूपी अंधकार को मिटाने वाला प्रकाशमान ज्योति के सदृष निर्मल ज्ञान प्राप्त होता है ।
देश का अद्वितीय अभिनव आयोजन: प्रदेश का ही नही बल्कि देशभर का यह अद्वितीय अनुठा अनुपम प्रयोग पूर्व ऋषियों की परम्परानुसार मस्तिष्क कोषिकाओं का पोषक एवं स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक स्नायुतंत्र को मजबूत करने वाला कुषाग्र बुद्धि मानसिक एवं बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने वाला है ।
क्यों आवश्यक है ब्राह्मीपान? वर्तमान समय में सम्पूर्ण पोषक तत्वों एवं आहार का अभाव तथा टी। वी., कम्प्यूटर, फिल्म, मोबाईल के निरंतर प्रयोग से बच्चों में लगातार बौद्धिक क्षमता की गिरावट हो रही है । ऐसी स्थिति में ब्राह्मी पान ही एकमात्र विकल्प है । जो बिना किसी दुष्परिणाम के बौद्धिक क्षमता में वृद्धि के रूप में चमत्कारिक लाभ देती है ।
पात्रता: सामान्य तौर पर हर व्यक्ति को ब्राह्मीपान की आवश्यकता है किन्तु ब्राह्मीपान के नियमानुसार 5 वषों से अधिक उम्र के वे बालक/बालिका जो विद्या अध्ययनरत् हो उनकी एकाग्रता स्मरण शक्ति, बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने हेतु इसका सेवन अवश्य करें ।
आयोजन: मुख्यालय से लगभग 40 कि.मी. दूर ग्राम खमरा वि.ख. बिछुआ में बसंत पंचमी सरस्वती जयंती के उपलक्ष्य पर भव्य सरस्वती महोत्सव एवं ब्राह्मीपान का अद्वितीय कार्यक्रम दिनांक 20 जनवरी 2010, दिन बुधवार को प्रात: 8 बजे से पं. रामविशाल शुक्ल के मार्गदर्शन में सम्पन्न होगा । पॉंच चरणों में आयोजित कार्यक्रम में प्रथम चरण - प्रात: 8 बजे से 10 बजे तक । द्वितीय चरण - प्रात: 10 बजे से 12 बजे तक । तृतीय चरण - दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक । चतुर्थ चरण - दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक तथा पंचम चरण - शाम 4 बजे से 6 बजे तक पूर्ण होगा । इस कार्यक्रम में सरस्वती पूजन एवं कवच धारण के उपरांत ब्राह्मीपान कराया जायेगा । जिसमें उपस्थित होने हेतु इच्छुक केवल मीठा भोजन ग्रहण कर ही निर्धारित सहयोग राशि देकर श्वेत वस्त्र धारण कर कार्यक्रम में उपस्थित होकर लाभ ले सकते है । इसी दौरान दिनांक 16 जनवरी 2010 से 24 जनवरी 2010 तक श्रीमद् भागवत कथा का वाचन पं. रामविशाल शुक्ल के मुखारबिन्द से होगा । इस विशाल भव्य कार्यक्रम में आयोजक समिति द्वारा समस्त इच्छुक धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं से कार्यक्रम में उपस्थित होकर पुण्य लाभ लेने की अपील की है।