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11.12.09

विवाह संबंधों में बासीपन न आने दें

मारे समाज में सामान्य रूप से एक ही जीवनसाथी और एक ही विवाह के प्रावधान है। ये नियमऔर कानून समाज में मर्यादा बनाए रखने के उद्देश्य से बनाए गए है, जो बेहद जरूरी भी है। हमारेयहां विवाह एक पवित्र स्थायी संस्था है, जो जीवनभर चलती रहे, यही इच्छा रहती है। विवाह मेंसेक्स बुनियाद आवश्यकता भी माना जाता है।यहां यह सुखद आनंद का पर्याप्य भी है। आनंद कीतृप्ति के उद्देश्य से विवाह ही जीवन की प्राथमिकताआवश्यकता माना गया है। वैवाहिक यौन संबंधहमारे देश में सम्मान की दृष्टि से महसूस किएजाते हैं, जबकि गैर वैवाहिक यौन संबंध अवैध औरअनेतिक समझे जाते हैं। विवाह के पश्चात कुदबेहद आनंदायक और सुखद होते हैं, पर सामान्यगति से एक रास्ता लिए चलने वाले जीवन में रोमांच कम हो जाता है। पारिवारिक जवाबदारियांबढने लगती हैं और एक बासीपन समा जाता है। साथ चलने के बावजूद पति-पत्नी में कशिश औरचाहत कम और खीझ एवं झल्लाहट ज्यादा आने लगती है। इस तरह का बेरूखा जीवन नीरसतापैदा करता है। शर्मीला का कहना है, कि दिन भर बच्चों सक चक चक के घर के थका देने वालेकाम और पति का इंतजार फिर वही उबाऊ संबंध बेहद बोझिल, बेकार और बेमानी लगते थे। मैंजीवन में बदलाव चाहती थी। हमारे संबंधों में उष्णता कम और ठंडापन ज्यादा आ गया था, फिरहमने स्वेच्छा से कुछ दिन अलग रहना चाहा। मैं कुछ दिन के लिए बच्चों के साथ अपनी सास केपास ससुराल रहने चली गई। वहां दिनचर्या बदल गई थी। सारा दिन हम सास बहू यहां वहां कीबातें करते, रिश्तेदारों के घर-व्यवहार निभाने जाते, नए-नए व्यंजन सीखते बनाते, हंसना, खेलना पिकनिक मेरे जीवन में फिर बदलाव आ गया। पंद्रह दिन कब कहा बीत गए, पता ही नहींचला। जब पति लेने आए तो सास ने मेरी बढ़-चढ़ कर प्रशंसा की, मेरे गुणों का जोर देखकर ब्खानकिया। बस फिर क्या था पति के साथ घर पहुंचते ही प्यार फिर परवान चढा और एक दूसरे कोपाने की चाहत बेतहाश बलवती हुई रश्मि अपने जीवन के बासीपन से परेशान थी, न कोईचहलबाजी, ना रोमांस, बोर उबाउ संबंध कब तक साथ देते। इसलिए पति-पत्नी बच्चों को नानी केपास छोड़कर (हनीमून) की याद ताजा करने के लिए शिमला चले गए। साथ-साथ घूमना, रेस्तराके स्वाद, एक दूसरे के लिए शॉपिंग करने में बड़ा मजा आने लगा और नवविवाहितों की तरह एकदूसरे को प्यार करने लगे, जब घर आए तो बदलाव ने तरोताजा कर दिया था। दाम्पत्य में ऐसीस्थिति सबके साथ आती है। चलते फिरते प्यार भरी नजरों से निहारना, एक दूसरे का क्षण भरका स्पर्श, मात्र भी नयापन देता है, उतेजना लाता है।

कैसा है राष्ट्रपति भवन

हम दिल्ली स्थित जिस भवन को 'राष्ट्रपति भवन' के नाम से पुकारते हैं। वही भवन अंग्रेजों के जमाने में वायसराय हाउस केनाम से जाना जाता था यह भवन 1914 मेंबनकर तैयार हुआ था और इसे बनाने में पूरेवर्ष लगे थे, इस भवन पर उन दिनों तकएक करोड़ 45 लाख रुपए खर्च हुए थे, इसभवन में 340 कमरे हैं, तीन बड़े हाल, इनसेअलग है। उनके नाम है दरबार हाल, अशोकहाल और बैक्वैन्अ हाल सभी प्रमुख समारोह दरबार हाल में आयोजित किये जाते हैं।बैक्वैंट हाल में मेहमानों के भोजन की व्यवस्था की जाती है। अशोक हाल में शपथसमारोह तथा अन्य कार्यक्रम होते हैं। राष्ट्रपति भवन के निर्माण में उस समय 7600 टनसीमेंट 14 लाख 50 हजार घनफुट लाल पत्थर और एक करोड़ 66 लाख ईंटें लगी थी।इसकी निर्माण सामग्री देश के विभिन्न भागों से लाई गयी थी। लाल पत्थर और सफेदपत्थर धोलपुर से सफेद पत्थर संगमरमर जोधपुर से, काला संगमरमर पटियाला से पीलासंगमरमर जैसलमेर से और हरा संगमरमर बड़ौदा से मंगवाया था। केवल चाकलेटीसंगमरमर विदेश से मंगवाया था। फर्नीचर के लिए सागोन, शीशम, चंदन और देवदारआदि लकडिय़ां भी कशमीर तथा देश के अन्य भागों से मंगवाई थी। इस प्रकार यदिचाकलेटी संगमरमर को छोड़ दे, तो यह भवन पूर्णत: स्वदेशी वस्तुओं से बना है। राष्ट्रपतिभवन का एक मुख्य आकर्षण है, मुगल गार्डन। यह बाग कशमीर के शालीमार बाग कीनकल पर लेडी हार्डिंग के जैसी है। कुछ कारे केवल विदेशी मेहमानों के लिये है। भवन मेंएक विभाग घोड़ों का भी है। जिससे अनेक प्रकार के घोड़े है। स्वदेशी के कट्टर समर्थकऔर सादगी के प्रतीक तथा देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेनद्र प्रसाद ने इस भवन कीअंग्रेजीयत को काफी कम करके इसे स्वदेशी स्वरूप देने का प्रयत्न किया था, फिर भी यहभवन अंग्रेजीयत के रंग से अब तक भी पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया है।

जहां सात पीढिय़ों से नहीं पी जाती शराब

चंडीगढ़: दक्षिणी हरियाणा के नांगल चैधरी के ग्राम मौरूढ़ में ग्राम वासियों ने सात पीढिय़ों से शराब को हाथ तक नहीं लगाया है और शराब को छूना भी पाप समझा जाता है। वर्तमान में जब शराब का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है, मगर गुर्जर बाहुल्य के 3200 आबादी वाले इस ग्राम में लगभग सभी बिरादरी के लोग होते हुए भी इस ग्राम में जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कहीं नौकरी कर रहा है या फिर बड़े पद पर कार्यरत है, शराब का सेवन नहीं करता। ग्राम वासी प्रहलाद सिंह ने ''प्रैसवार्ता'' को बताया कि प्राचीन समय में इस ग्राम में आत्मा राम महाराज रहते थे और उनकी प्रेरणा का प्रभाव है कि उनके वचन मुताबिक उस समय से ही शराब न पीने की प्रथा चली आ रही है। विवाह षादी इत्यादि समारोहों में इस ग्राम में जन्मे लोग भिन्न-2 समुदायों के होने के बावजूद भी ग्राम में बनी महाराज आत्मा राम की समाधि पर सारी रस्में रिवाज करते हैं। प्रहलाद सिंह के मुताबिक ग्राम में आने वाले मेहमानों को दूध व खीर खिलाई जाती है।

10.12.09

वेश्यावृति व समलैंगिकता विरोधी जागरुकता रैली निकाली

सिरसा: यूथ वेल्फेयर फेडरेशन के तत्वावधान में आज रानियां में वेश्यावृति व समलैंगिकता विरोधी व किन्नरों के उत्थान के लिए जागरुकता रैली निकाली। इस रैली में सैंकड़ों की तदाद में डेरा प्रेमियों ने भाग लिया। इस जागरुकता रैली को रानियां के नायब तहसीलदार बीएम नागर ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री नागर ने यूथ वेल्फेयर फेडरेशन द्वारा आरंभ किया गया वेश्यावृति, समलैंगिकता व कन्या भ्रुण हत्या विरोधी अभियान को सराहनीय कदम बताया। उन्होंने कहा कि देशभर में कन्या भ्रुण हत्या की लगातार बढ़ती घटनाओं और युवाओं में नशीले पदार्थों के बढ़ते सेवन के समूल नाश का यूथ फेडरेशन की तरह अन्य संस्थाए भी संकल्प लें तो निश्चित तौर पर समाज के माथे पर लगा यह कलंक धुल सकता है। यह रैली नगर के सच्चा सौदा डेरा आरंभ हुई तथा बीडीपीओ कार्यालय रोड़, मेन बाजार, नकोड़ा बाजार, पुराना बस स्टेंड, हनुमान मंदिर वाली गली सहित नगर की विभिन्न प्रमुख गलियों से होती हुई डेरा सच्चा सौदा पर ही जाकर समाप्त हुई। रैली में शामिल लोगों ने बड़े बड़े बैनर जिन पर विभिन्न संकल्प अंकित थे उठाए हुए थे। इस अवसर पर मोना राम, पूर्ण चंद इंसा, सतपाल इंसा, जंग सिंह, सतदेव चक्कां, नामदेव, जीत इंसा, राज कुमार इंसा, दलबी इंसा, भजन लाल, सतीश मेहता मंगालिया, रामजी, शंटी, हंसराज, डा. मदन खारियां, देसराज बाबा, प्यारे लाल, अशोक कुमार, जसदेव, अशोक कुमार, प्रेम सेठ संतनगर, हीरा सिंह, रमन, नंदपाल नरुला, बंसराज गुप्ता, राजेंद्र गाबा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

हजंका का कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है:चौटाला

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला ने कहा है कि कांग्रेस ने हमेशा ही सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीदोफरोख्त दल-बदल जैसे गैर कानूनी और अलोकतान्त्रिक हथकंडे अपनाए हैं जबकि इनेलो लोकतांत्रिक परंपराओं और मान्यताओं में विश्वास रखने वाली पार्टी है। कैथल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए इनेलो प्रमुख ने कहा कि हजकां के पांच विधायकों का अब कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है और उनकी सदस्यता रद्द होना तय है। विधायकों को प्रलोभन देकर दल-बदल करवाने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार लंबे समय तक चलने वाली नहीं है। विधायकों की खरीद-फरोख्त व जनभावनाओं के विपरीत गठित यह सरकार जल्द अपने ही बोझ से गिर जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा हजकां विधायकों की सदस्यता रद्द करने सम्बन्धी कि अब मामला विधानसभा अध्यक्ष के पास है। उन्होंने कहा कि स्पीकर जल्द से जल्द हजकां के विधायकों द्वारा किए गए दल-बदल की कार्रवाई को असंवैधानिक करार देते हुए तटस्थतापूर्वक अपने संवैधानिक दायित्व को निभाएं। उन्होंने कहा कि 9 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति भी पूरी तरह से गैर कानूनी है। सरकार के पास ये पद स्वीकृत ही नहीं हैं तो फिर ये नियुक्तियां कैसे हो सकती है। महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए श्री चौटाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की नीतियां जनविरोधी हैं और पूंजीवादी व्यवस्था को बढ़ावा देने वाली है। यही कारण है कि कालाबाजारी से देश में महंगाई तभी बढ़ती है जब कांग्रेस सत्ता में आती है। कांग्रेस की इन गलत नीतियों के कारण आम आदमी को दो वक्त की रोटी के लिए भी लाले पड़ गए हैं। ऐलनाबाद उपचुनाव को लेकर चल रही चर्चाओं पर टिप्पणी करते हुए श्री चौटाला ने कहा कि सौ प्रतिशत हमारा उम्मीदवार यह सीट जीतेगा। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ऐलनाबाद की जनता को अपमानित का आरोप लगाते हुए श्री चौटाला ने कहा कि उपचुनाव से पूर्व सरकार मतदाताओं को झूठे वायदों के जरिए ठगना चाहती है लेकिन वहां के जागरूक मतदाता कांग्रेस के किसी छलावे में आने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश की जनता कांग्रेस के खिलाफ है क्योंकि कांग्रेस ने प्रदेश के लोगों की हर मामले में उपेक्षा की है और इस उपेक्षा का बदला लोग इनेलो के पक्ष में मतदान करके लेंगे। पार्टी गतिविधियों की चर्चा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संगठनात्मक रूप से पार्टी को और अधिक मजबूत करने के लिए पहली जनवरी से सदस्यता अभियान चलाया जाएगा और उसके बाद निष्ठावान व परिश्रमी पार्टी कार्यकत्र्ताओं को नई जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस अवसर पर उनके साथ विधायक रामपाल माजरा, कानूनी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष रणवीर पाराशर एडवोकेट सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद थे।

बप्पा पुलिस महानिदेशक बेटवा घोटालेबाज

पुलिस में भर्ती कराने के लिए पुलिस महानिदेशक ट्रेनिंग डी पि सिन्हा के पुत्र रितेश सिन्हा व बहुजन समाज पार्टी के सहारनपुर के नेता धूम सिंह के रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। फिलहाल दोनों गिरफ्तार किए गए हैं । उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों की छवि घोटालेबाज, भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर के रूप में आए दिन जनता के सामने प्रदर्शित होती रहती है। हमारी न्यायव्यवस्था के समक्ष अधिकांश वाद इन्ही भ्रष्टाचारियों के पर्वेक्षण में दाखिल होते है और उनके द्वारा लिखी गई बातें या विवेचना के आधार पर ही न्यायपालिका न्याय का कार्य करती है। इस तरह से क्या न्याय होता है क्या अन्याय होता है यह समझने की आवश्यकता है । कोई भी भर्ती होने वाली होती है तो बेरोजगारों को ठगने के लिए तरह तरह के रैकेट कार्य करने लगते हैं । जिसमें राजनेता उच्च अधिकारी व दलाल शामिल होते हैं । करोडो रुपये बेरोजगारों से ठगा जाता है और बेरोजगार नवजवानों को कोई लाभ भी नही होता है। अगर जांच की जाए तो अधिकांश उच्चाधिकारी किसी न किसी घोटाले में लिप्त हैं। अब सरकार अपने कर्मचारियों व अधिकारियो की निष्पक्ष भर्ती करने में भी असमर्थ हैं। एक-एक अधिकारी अरबों रुपयों की परिसम्पतियों का मालिक है जो उसको मिलने वाली तनख्वाह से कई गुना ज्यादा होती है स्तिथि यह है की जिसको हम शासन व प्रशासन कहते हैं वह सफेदपोश अपराधियों का जमावड़ा होता है ऐसे में आम नागरिक का भला कैसे होगा सारी व्यवस्थाएं असफल हैं । इस भर्ती रैकेट मामले में पुलिस महानिदेशक डी.पी सिन्हा व उनके पुत्र के ख़िलाफ़ सकारात्मक कार्यवाही सम्भव नही है क्योंकि सत्तारूढ़ दल व नौकरशाही का यह गठजोड़ है और बप्पा पुलिस महानिदेशक हैं और बेटवा घोटालेबाज है

राज ठाकरे की संकीर्णता

छिंदवाड़ा(डॉ. कौशल किशोर श्रीवास्तव): एम.एन.एस. के डान राज ठाकरे ने फतवा जारी किया कि महाराष्ट्र विधानसभा के सभी विधायक दिनांक 7-11-09 को मराठी में शपथ लेंगे नहीं तो उन्हें देख लिया जायेगा। इससे महाराष्ट्र विधानसभा के सभी सदस्य डर गये। लगता है कि महाराष्ट्र के विधायकों ने राज ठाकरे जैसे उद्दंड बालक का मन रखने के लिए उक्त फतवा मान लिया। उधर बाल ठाकरे को सचिन तेन्दुलकर के देश भक्ति पूर्ण उस वक्तव्य पर आपति है कि मुंबई पूरे देश का है। राज ठाकरे और बाल ठाकरे की तुलना नहीं की जा सकती। जहां बाल ठाकरने ने एक एक तिनका इक_ा करके एक संगठन को खड़ा किया है वहीं राज ठाकरे ने उसे संगठन पर डाका डाला है। उन्हें जो लूट में मिला उससे वे बहुत खुश हैं। हालांकि दोनों ठाकरे चाहते हैं कि राष्ट्र से सब कुछ लेते रहे और महाराष्ट्र के दरवाजे राष्ट्र के लिए बंद कर दिये जायें। अभी राज ठाकरे का नया फतवा जारी हुआ कि केन्द्रीय परीक्षाओं में मात्र मराठी भाषियों को बैठने दिया जाये। यह मराठी भाषा को एक खतरे का संकेत है। यदि यह फतवा मान लिया जाता है तो कल राज ठाकरे कहेंगे कि इन परीक्षाओं में केवल एम.एन.एस. के कार्यकर्ताटों को ही बैठने दिया जाये, क्या पता? इस संकीर्ण फतवें से भारत के विखंडन की बू आ रही है। दूसरी ओर मराठी भाषियों को इन परीक्षाओं की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं मिलेगी प्रतियोगिता के अभाव में वे कूप मण्डूक हो जायेंगे। राज ठाकरे को ज्ञात होना चाहिए कि मराठी पर से हिन्दी का छत्र उठ जाने पर अंग्रेजी मराठी भाषा को निगल लेगी। वैसे भी महाराष्ट्र से विदर्भ कोंकण इत्यादि प्रांत अलग होने को छटपटा रहे है। गोंदिया, इत्यादि क्षेत्रों में तो हिन्दी ही बोली जाती है। उनका जय महाराष्ट्र का नारा मात्र जय मुंबई होकर न रह जाये, फिर मुंबई में भी पचास प्रतिशत लोग हिन्दी ही बोलते हैं। हिन्दी ने फिल्मों के माध्यम से वहां के कलाकारों को केवल समृद्ध नहीं किया बल्कि विश्व भर में एक पहचान दी है। ऐसा न हो कि राज ठाकरे जैसे अति वादियों के चलते विदर्भ, कोंकण गोंदिया सहित महाराष्ट्र जम्मू कश्मीर की तरह गरीब प्रांत होकर न रह जाये। फिर क्या आज जो पूरे भारत में महाराष्ट्रियों को इज्जत की नजरों से देखा जाता है वह इज्जत उनसे छिन नहीं जायेगी? मुंबई देश की आर्थिक राजधानी का दर्जा खो नहीं देगा उन्हें अपने संकुचित राजनैतिक हितों के लिए मराठी भाषियों की बलि नहीं चढ़ाना चाहिए। उन्होंने हिन्दी में विधान सभा में शपथ लेने वाले अबू आजमी की पिटाई लगा कर संसदीय गरिमा का हनन किया है। कहीं यह कदम एक साम्प्रदायिक भेदभाव एवं दंगों को जन्म न दे दे। जहां उन्हें एक अल्पसंख्यक सदस्य द्वारा हिन्दी में शपथ लेने पर प्रसन्नता जाहिर करनी थी वहीं सदन में उसकी पिटाई लगा कर पागल पन का इजहार किया है। यह एक शर्मनाक बात है। विचित्र बात है कि उनके सदस्यों ने अंग्रेजी में शपथ लेने पर आपत्ति प्रस्तुत नहीं की जबकि फतवा यह था कि सभी सदस्य मराठी में शपथ लेंगे। यह उनकी गुलाम मानसिकता का परिचायक है। राज ठाकरे अभी भी अंग्रेजी एवं अंग्रेजों के गुलाम है। ब्रिटेन और अमरीका के लोग अब उन पर थूकते होंगे क्योंकि गुलामों के साथ वे यही व्यवहार करते थे। इसी मानसिकता के चलते वे तलाशी के नाम पर हमारे राजनायिको को नंगा कर देते हैं। यहां महाराष्ट्रीयन और मराठी भाषी में भेद करना जरूरी है। सभी महाराष्ट्रीयन मराठी नहीं बोलते। हिन्दी में शपथ लेने पर एक संवैधानिक तरीके से चुन कर आये विधायक को चांटा मारना महाराष्ट्रयनों का अपमान है, यह महाराष्ट्र का भी अपमान है। आज यदि ईमानदारी से सर्वेषण करवाया जावे तो अस्सी प्रतिशत महाराष्ट्रीयन हिन्दी जानते हैं और पचास प्रतिशत मराठी नहीं जानते। अकोला, चन्द्रपुर, नागपुर, गोंदिया, मुंबई, अमरावती इत्यादि के अनेक परिवारों के रिश्ते ग्वालियर, इन्दौर, बैतूल, छिंदवाड़ा, उज्जैन, बालाघाट, सिवनी आदि जिलों के अनेक परिवारों से है। राज ठाकरे ने इस रिश्ते में खटास पैदा कर दी है। आज पचास प्रतिशत महाराष्ट्रीयन दहशत में जी रहे हैं। आज यदि गैर महाराष्ट्रीयनों को महाराष्ट्र से निकाल दिया जाये तो महाराष्ट्र में बचेगा क्या? आर्थिक राजधानी वहां से हट जायेगी, फिल्म उद्योग वहां से हट जायेगा। भगवान न करे ये लोग हमारा शिर्डी, पण्डरपुर, नासिक, शेगांव इत्यादि तीर्थों में जाना बंद न कर दें क्या हम इन लोगों के कहने पर स्वामी राम तीर्थ, छत्रपति शिवाजी, बाबा साहेब अम्बेडकर, लोकामन्य तिलक, बाल गंगाधर तिलक, संत ज्ञानेश्वर, इत्यादि महापुरूषों का आदर बंद कर देंगे क्या हम इन महापुरूषों की पूरे भारतवर्ष में लगी लाखों मूर्तियों को हटा देंगे। नहीं पूरे भारतवर्ष में बिखरे हिन्दी भाषी इतने संकीर्ण नहीं है। दोनों ठाकरे लोगों को महाराष्ट्र को कश्मीर बनाने से रोका जाना चाहिए।