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9.12.09

24 ट्रैक्टरों के अनुदान पर लघुसचिवालय के कांफ्रेस हाल में निकाला जाएगा ड्रा

सिरसा: जिला सिरसा के किसानों को 24 टै्रैक्टरों पर अनुदान पर देने के लिए आगामी 22 दिसम्बर को लघुसचिवालय के कांफ्रेस हाल में प्रात: 11 बजे ड्रा निकाला जाएगा। यह जानकारी देते हुए उप कृषि निदेशक डा. जगदीप बराड़ ने बताया कि ड्रा अतिरिक्त उपायुक्त, सिरसा डा. जे.गणेशन की अध्यक्षता में निकाला जाएगा। इसके अतिरिक्त सहायक कृषि अभियंता सिरसा इस कमेटी के सदस्य सचिव होंगे। उन्होंने कहा कि आवेदनकत्र्ता निश्चित समय पर पहुंचना सुनिश्चित करे।

हरियाणवीं लोक नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन

सिरसा: हरियाणा कला परिषद व सूचना जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग मंडल एवं राज्यस्तरीय हरियाणवीं लोक नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है। इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 दिसम्बर 09 है। कला परिषद के प्रवक्ता ने बताया कि नृत्य प्रतियोगिता के लिए दल में सदस्यों की संख्या 15 से अधिक नहीं होनी चाहिए और नर्तकों की संख्या कम से कम 8 होनी चाहिए। नृत्य की अवधि 6 से 8 मिनट हो सकती है। इस प्रतियोगिता में व्यावसायिक एवं अव्यावसायिक दल भाग ले सकते है। संगीतकारों व गायकों को छोड़कर नर्तकों की आयु 15 से 25 वर्ष होनी चाहिए। प्रवक्ता ने बताया कि मंडल स्तर पर प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले दलों को क्रमश: 30 से 20 हजार रुपए नकद,प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा राज्य स्तर पर प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले दलों को एक लाख, 75 हजार व 50 हजार रुपए के नकद, प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह पुरस्कार के रुप में दिए जाएंगे। प्रवक्ता ने आगे बताया कि आवेदन पत्र हरियाणा कला परिषद के कार्यालय एससीओ नंबर-29 सैक्टर-7 मार्ग चंडीगढ़ में 15 दिसम्बर 09 तक जमा करवाए जा सकते है। आवेदन पत्र के साथ एक हजार रुपए का बैंक ड्राफ्ट लगाए जो कि निदेशक हरियाणा कला परिषद चंडीगढ़ के नाम देय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में भाग लेने वाले दलों को यातायात, भोजन व्यवस्था के लिए परिषद द्वारा प्रत्येक दल को पांच हजार रुपए की अदायगी की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता संबंधी अन्य जानकारियों के लिए परिषद के फोन नंबर 0172-2750421, 2750625 पर संपर्क किया जा सकता है।

एक कस्बा ऐसा भी जहां हर घर में तलाकशुदा महिलाएं है

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के भोपाल जिला मुख्यालय से करीब 57 कि.मी. दूर मांडा स्टेट से पहले भारत गंज की आबादी पन्द्रह हजार के आस पास है। लगभग 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इस क्षेत्र के हर चौथे घर में एक तलाकशुदा औरत मिल जाएगी । मजेदार पहलू यह है कि अधिकतर तलाकशुदा औरतों की आयु 25 वर्ष से कम है। अशिक्षा और भीषण गरीबी के चलने से लड़कियों की शादी 6 वर्ष से 15 वर्ष तक की आयु में हो जाती है। बाल विवाह कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए ये विवाह मासूम लड़कियों को 16-17 वर्ष की आयु में ही मां तबदील कर देते हैं। कहने को तो भारतगंज में एक कन्या महाविद्यालय हैं, परन्तु यहां के लोग लड़कियों को पढ़ाने में रूचि नहीं रखते। अधिकतर महिलाएं बीड़ी बनाने का व्यवसाय करती हैं। तलाकशुदा महिलाओं की यही दर भारतगंज से सटे दारूपुर, सूत्री मौहल्ला, नई बस्ती तथा कडी छिवहती आदि क्षेत्रों में है । तलाक पर होने वाली बहसों, सेमिनारों से बेखबर महिलाओं के अधिकारों से अनभिज्ञ इन महिलाओं ने तलाक या पति द्वारा छोड़े जाने को अपने जीवन का एक अंग मान लिया है। ऐसी ज्यादातर महिलाएं बीड़ी व छपाई का कारोबार कर रही हैं। कुछ महिलाओं के अभिभावक तो न्यायालय की शरण में चले गऐ हैं, जबकि कुछ अपमान और विवादों से बचने के लिए चुप्पी साधे बैठे हैं। भारतगंज के बाजार के पास कसाई कार्य करने वाले साबिर, जब भी अपनी बेटी शकीना का जिक्र करते हैं, तो जोर-जोर से रोने लग जाते हैं, साबिर पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने बेटी के ससुराल वालों की ज्यादती के खिलाफ आवाज उठाई, सरकार तक गए और मुकदमें वे पैरवी कर समाचार पत्रों की सुर्खियां बने। चार बेटियों में तीसरे नम्बर की बेटी शकीना का विवाह भारतगंज के ही ऐजाज उर्फ डाक्टर से 1991 में किया था। डाक्टर की बाजार में सिलाई की दुकान हैं। विदाई के कुछ दिन उपरांत ही दहेज की मांग की जाने लगी। ऐजाज नकद पचास हजार रूपये या फिर एक रंगीन टी.वी. तथा मोटर साईकल चाहते थे। शकीना वापिस मायके आ गई और फिर बाद में पुलिस की मध्यस्थता से विदाई हुई। छ: मास के भीतर उसे करंट लगाया गया, मार पिटाई करके घर से निकाल दिया गया। ऐजाज का तब कहना था कि वह न तो शकीना को रखेगा न ही तलाक देगा और दूसरी शादी भी करेगा। साबिर चाहते थे कि मामला रफा-दफा हो जाए और शकीना को तलाक मिल जाए। इस्लामिक कानून के अनुसार डाक्टर चार शादियां कर सकता है। परन्तु बिना तलाक के शकीना की दूसरी शादी आसान नहीं है। साबिर को शबीना के सुसराल वालों ने कोई सामान नहीं लौटाया और पुलिस ने भी एजाज का ही पक्ष लिया। स्थानीय विधायक से लेकर शहर कोतवाल तक साबिर ने न्याय की गुहार की, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई, मगर अपनी बेटी से हुई ज्यादती का बदला लेने के लिए साबिर अब भी संघर्ष जारी रखे हुए हैं। कटरा से ही अख्तर हुसैन की दो बेटियां, जो कि 24 तथा 21 वर्ष की है, का जीवन नरकीय हो गया है। बड़ी बेटी की शादी हुसैन ने 1985 में की थी, तब वह 13 वर्ष की थी, जबकि दूसरी बेटी की शादी 1987 में की थी, मगर आज तक दोनों लड़कियों ने ससुराल में कदम नहीं रखा। तलाक के मामले में एक विपरीत किस्म का मामला प्रकाश में आया है, इसमें लड़की के मायके वालों ने लड़के को बांधकर उससे जबरन तलाक दिलवा दिया। लड़की अक्सर मायके वालों से ससुराल के अभावों का रोना रोया करती थी। हेदरून नामक इस युवती का निकाह हसनैन खां से हुआ था। हैदरून के परिवार यह विवाह किसी और परिवार में करना चाहते थे, मगर उसके लिए तलाक का होना जरूरी था। हसनैन खां साईकल पर कही जा रहे थे, कि उसे बांधकर जबरी तलाक दिलवा दिया गया। इसी तरह गाड़ीवान मुहल्ले के बकाडल्ला हो या लोहारान मुहल्ले के रमजान, बाजार के मटक आदि ऐसे हजारों पिता हैं, जिनके जीवन की तकलीफें पढ़ी जा सकती हैं। एक तरफ जहां दहेज के लोभी और पुरूष प्रधन मानसिकता वाली जमात है, वहीं दूसरी तरफ ऐजाज टेलर मास्टर, साबिर जैसे लोग है, जो सिर्फ अपनी बेटियों के लिए ही नहीं लड़ते बल्कि दूसरों को भी अन्याय से लडऩे के लिए प्रेरित करते हैं। यमुनानगर में विवाह के बाद तलाक एक फैशन हो गया है। तलाकशुदा औरतों के पास मजदूरी करके रोटी जुटाने का एक मात्र विकल्प रह गया है। ऐसी परिस्थितियों में महिलाओं और उनके बच्चों का भविष्य फिलहाल अनिश्चित है ।

रिश्वतखोर पकडऩे को सी.बी.आई की हैल्प लाईन

चंडीगढ़: रिश्वत खोरों पर शिकंजा कसने के लिए सी.बी.आई ने मुहिम छेड़ दी है-इसके लिए बकायदा फोन हैल्पलाईन शुरू की गई है और एस.एम.एस के जरिये आम लोगों तक इस नंबर को पहुंचाया जा रहा है। रिश्त मांगने वाले केन्द्र सरकार के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ 0172-2657135/2657469 पर शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। शिकायत कर्ता का नाम व पता गुप्त रखा जाता है। सी.बी. आई चंडीगढ़ के डी.आई.जी महेश अग्रवाल के मुताबिक रिश्वत समाज और देश की जड़ें खोखली कर रहा है-इसलिए सी.बी.आई की इस मुहिम में बढ़ चढ़कर लोगों को भागीदारी बनानी चाहिए।

अध्यक्ष का चुनाव सीधा करवाने की योजना

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार देश के कई राज्यों में महापौर, सभापति और अध्यक्ष के सीधे शहरी निकाय चुनावों में निर्वाचन की व्यवस्था की तर्ज पर हरियाणा में भी लागू करने पर विचार कर रही है, क्योंकि लोकतंत्र को मजबूत बनाने तथा शहरी निकायों को अधिक स्वतंत्र बनाने के उद्देश्य से निकाय प्रमुखों का सीधा चुनाव बेहतर निर्णय साबित हो सकता है। राज्य सरकार इसके लिए नगर पालिका ऐक्ट और नियमों में संशोधन करने जा रही है। सरकार की दलील है कि इस नये निर्णय से न सिर्फ निकायों के काम काज में तेजी आयेगी, बल्कि पार्षदों की खरीद-फरोक्त बंद होने के साथ-साथ गुटबंदी पर अंकुश लगेगा।

एक और लव गुरु, शिष्या से की शादी

47 वर्षीय रामधन ने 19 वर्षीय प्रेमिका से शादी के बाद नौकरी छोड़ी
नई दिल्ली: लव गुरु मटुकनाथ की राह पर चलते हुए एक शिक्षक ने अपनी छात्रा से केवल प्रेम विवाह किया ल्कि उसके लिए नौकरी घर-परिवार भी छोड़ दिया। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के 47 वर्षीय रामधन ने पनी 19 साल की प्रेमिका से शादी करने के बाद नौकरी छोड़ कर राजधानी दिल्ली में अपना बसेरा बना लिया है। गुरु-शिष्या से पति-पत्नी बने इस जोड़े को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुरक्षा देने को कहा है। दरअसल रतलाम जिले के एक कॉलेज में शिक्षक के पद पर तैनात रामधन को अपनी ही छात्रा से प्रेम हो गया। दोनों ने कुछ दिन पहले शादी कर ली, लेकिन लड़की के घर वालों समाज के भय से रामधन नौकरी से इस्तीफा देकर प्रेमिका से पत्नी बनी राधा (बदला हुआ नाम) को लेकर राजधानी गया। कुछ दिन बाद जब राधा को एहसास हुआ कि उसके परिजन उसे उसके पति को नुकसान पहुंचा सकते हैं तो उसके दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की गुहार लगाई। न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने संबंधित थाना प्रभारी को इस प्रेमी युगल को सुरक्षा प्रदान करने को कहा है। साथ ही रामधन को हाईकोर्ट ने इस बात का हलफनामा देने को कहा है कि उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है और लड़की के पिता को भी रामधन पर लगाए गए तीन-तीन शादी करने के आरोप के बारे में हलफनामा देने को कहा है। हाईकोर्ट ने इसके अलावा रामधन लड़की के पिता को अगली सुनवाई पर निजी रूप से पेश होने को कहा है। इससे पहले सुनवाई के दौरान रामधन राधा ने कहा कि दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं। राधा ने कोर्ट को बताया कि वह 19 साल की है और उसने अपनी मर्जी से रामधन से विवाह किया है। वहीं राधा के पिता ने कहा कि रामधन पहले से तीन-तीन शादी कर चुका है और पहली पत्नी से उसे बच्चा भी है।

हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला

वैसे तो देश भर की राजनीति परिवारवाद अपनी जड़े जमा रहा है, परन्तु हरियाणा प्रदेश की राजनीति पर प्रख्यात पत्रकार चन्द्र मोहन ग्रोवर की एक दिलचस्प रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है। हरियाणा की राजनीति में कुछ परिवारों का वर्चस्व चला रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी हरियाणा राज्य में कुछ ऐसे परिवार हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति पर हावी रहे हैं। भारत में चुनावों की शुरूआत के समय से ही लोग यहां राजनीति में आए और उसके उपरांत उसी परिवार के लोग भतीजा, भतीजी, बेटा बेटी, नाती, दोहते आदि काफी संख्या में राजनीति में सक्रिय हैं। यह अलग बात है, कि कुछ सफल हुए तथा कुछ असफल होकर राजनीति से दूर चले गए। इतना प्रगतिशील व प्रवर्तनवादी राज्य होने के बावजूद हरियाणा की राजनीति सामंतवादी परम्परा से अछूती नहीं रही है और स्पष्ट तौर पर यहां की राजनीति में कुछ गिने चुने परिवार ही सैदव हावी रहे, जो राज्य के सभी वर्गों व सम्प्रदायों से संबंध रखते हैं। पत्रकार चन्द्र मोहन ग्रोवर ने हरियाणा की राजनीति पर दिलचस्प आंकड़े एकत्रित किये हैं। जिनके मुताबिक हरियाणा के स्व. चौ. देवीलाल तथा उनके परिवार को देश में सर्वाधिक चुनाव लडऩे का गौरव प्राप्त है और वह भी विभिन्न क्षेत्रों से। भारत वर्ष में आज भी कोई ऐसा राजनीतिक परिवार नहीं है, जो चौ. देवीलाल के परिवार की बराबरी कर सकता है। विशेष बात यह है कि स्व. देवीलाल और उनके राजनीतिक वारिस बेटे चौ. ओमप्रकाश चौटाला कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। यदि विवेचनात्मक ढंग से हरियाणा की राजनीति पर दृष्टि दौड़ाई जाये, तो पता चलेगा कि हरियाणा में एक दर्जन परिवार ऐसे हैं, जिनके सदस्य तीन पीढिय़ों से सक्रिय राजनीति में हैं। इनमे सर्वप्रथम देशबंधु सर छोटूराम का परिवार है, जो 1920 से राजनीति में सक्रिय है। इतना ही पुराना चो. मातू राम सांधी वालों का परिवार है। यह सत्य है कि सर छोटूराम के दो परिवार लगातार राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण पहचान बनाये हुए हैं। दीनबंधु के भतीजे स्व. चौ. चन्द लम्बे समय तक संयुक्त पंजाब और फिर हरियाणा में विधायक रहे तथा हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष भी बने। चौधरी श्री चन्द की पुत्री बसंती देवी भी हरियाणा की विधायक रह चुकी है। दीनबंधु का, चूंकि कोई पुत्र नहीं था, लेकिन उनकी बेटी भगवानी देवी के पति डूमरंखा निवासी चौ. नेकी राम तहसीलदार भी सर्विस से रिटायर होने पर राजनीति में आए और 1968 से 1972 तक हरियाणा के राजस्व मंत्री रहे। इसके बाद उनके पुत्र व दीनबंधु के दौहते विरेन्द्र सिंह सक्रिय राजनीति में है तथा वर्तमान में हरियाणा सरकार के वित्त मंत्री रह चुके हैं, जिन्हें हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में इनैलो सुप्रीमों औम प्रकाश चौटाला ने लगभग 600 मतों से हराया है। चौ. मातू राम 1920 में आलौठ निवासी चौ. लाल चंद से चुनाव तो हार गये थे, लेकिन चुनाव याचिका में उन्होंने चौ. लाल चंद को हरा दिया और मातू राम स्वयं कभी चुनाव नहीं जीत पाये, लेकिन उनके पुत्र रणवीर सिंह विधानसभा के सदस्य व संयुक्त पंजाब में सिंचाई व बिजली मंत्री रहे। 1972 में उनके बड़े बेटे कप्तान प्रताप सिंह किलोई से चुनाव हारे। उनके बाद छोटे पुत्र भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, हालांकि विधानसभा का चुनाव दो बार हारे, पर लोकसभा चुनाव में रोहतक से तीन बार पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवी लाल को हराकर विजयी रहे, परन्तु वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, जबकि इनका बेटा दिपेन्द्र हुड्डा वर्तमान में लोकसभा सदस्य है। अलखपुरा के दानवीर सेठ छाजू राम लांबा स्वयं आजादी के पूर्व पंजाब कौंसिल के सदस्य रहे, फिर उनके बड़े पुत्र सजन कुमार पंजाब विधानसभा के सदस्य बने और अब उनके पौत्र पी.के चौधरी प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में एक थे। चौ. देवीलाल के पूरे परिवार की गणना दो इकाईयों में की जा सकती है। एक साहब राम और दूसरे चौ. देवीलाल परिवार की। चौ. साहब राम संयुक्त पंजाब के विधायक व एमएल. सी रहे और फिर उनके दामाद महेन्द्र सिंह लाठर सांसद रहे। चौ. साहब राम के पौत्र प्रदीप सिहाग भी राजनीति में है। साहब राम के छोटे भाई चौ. देवीलाल देशभर के उपप्रधानमंत्री के पद पर पहुंचे। उनके तीन पुत्र हरियाणा विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं, जिनमें प्रताप सिंह 1967 में विधायक बने। चौ. देवीलाल के अन्य दो बेटे चौ. ओम प्रकाश चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं, जबकि रंजीत सिंह कृषि मंत्री व राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं तथा योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। चौ. देवीलाल के पौत्र तथा चौ. ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला दो बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं तथा वर्तमान में डबवाली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। अजय चौटाला के छोटे भाई अभय चौटाला भी विधायक रह चुके हैं तथा वर्तमान में जिला परिषद, सिरसा के चेयरमैन है। चौ. देवीलाल के एक अन्य पौत्र रवि सिंह भी राजनीति में हैं। संयुक्त पंजाब में सिंचाई व बिजली मंत्री रहे चौ. लहरी सिंह के बाद उनके भतीजे राजेन्द्र सिंह मलिक हरियाणा में कई बार विधायक व मंत्री रहे और राजेन्द्र सिंह मलिक के पुत्र हरेन्द्र सिंह मलिक सक्रिय राजनीति में हैं। इसी कड़ी में सर छोटूराम की यूनियननिस्ट पार्टी के आजादी से पहले विधायक रहे राम मोहर के पुत्र राव महावीर सिंह 1968 से 1972 तक परिवहन व पशुपाल मंत्री रहे और उनके पुत्र नरवीर सिंह बंसीलाल मंत्रीमंडल में सहकारिता मंत्री रह चुके हैं। सर छोटू राम के ही विश्वस्त साथी यासीन खान स्वंतत्रता से पूर्व यूनियनिस्ट पार्टी के विधायक रहे। इसके बाद उनके पुत्र तैयब हुसैन राजस्थान व हरियाणा के विधायक, लोकसभा सांसद रह चुके हैं और उनके छोटे पुत्र फजल हुसैन राजस्थान राजनीति में सक्रिय हैं। मेवात का ही एक अन्य सियासी घराना अहमद, खुर्शीद अहमद और अंजुमन के रूप में तीन पीढ़ी राजनीति में है। दीनबंधु के एक अन्य सहयोगी खांडा खेड़ी निवासी चौधरी सूरजमल आजादी से पूर्व यूनियनिस्ट पार्टी के विधायक व संयुक्त पंजाब में मंत्री रहे। उनके पुत्र जसवंत सिंह भी मंत्री रह चुके हैं। पानीपत के नत्थू शाह अपने समय के चर्चित नेता रहे, फिर उनके पुत्र हकुमत शाह दो बार विधायक रहे तथा उनके पौत्र बलवीर पाल शाह भी प्रदेश के परिवहन मंत्री रह चुके हैं तथा वर्तमान में भी पानीपत से विधायक हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी, हालांकि राजनीति में उत्तरप्रदेश में सक्रिय रही, पर उनका जन्म स्थान कुंडल (सोनीपत) हरियाणा में है। उनके भतीजे ओमप्रकाश राणा हरियाणा से विधायक रह चुके हैं। भाई-भाई बहिन भी हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे। इनमें साहब राम के भाई चौ. देवीलाल, राव वीरेन्द्र सिंह की बहिन राजकुमारी सुमित्रा देवी, प्रो शेर सिंह बाघपुर निवासी के भाई ओमप्रकाश बेरी, अवतार सिंह भडाना के भाई करतार सिंह, ओम प्रकाश चौटाला, रणजीत सिंह व प्रताप सिंह भाईयों की त्रिमूर्ति, अजय चौटाला व उनके भाई अभय चौटाला, पानीपत के राठी बंधु धर्म सिंह राठी, जय सिंह राठी व धर्मपाल राठी, रहीम खान के भाई सरदार खान मोहम्मद इलियास के भाई हबीबुल्ला आदि प्रमुख उदाहरण हैं। इससे प्रमुख उदाहरण दलवीर सिंह व नेकी राम का है, जो एक साथ संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे। दो पीढिय़ों से, जो परिवार हरियाणा में सक्रिय है, उनके प्रमुख है स्व. चौ. दलवीर सिंह की पुत्री सुश्री शैलजा, जो केन्द्रीय मंत्री है, पूर्व मंत्री केसरा राम के बेटे मनी राम केहरवाला व उनके भतीजे ओम प्रकाश केहरवाला, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसी लाल के पुत्र रणवीर महेन्द्रा, दामाद सोमवीर, पुत्रवधु किरण चौधरी (विधायक),भांजे दया नंद व पौत्री ऋुति(सांसद), राव वीरेन्द्र सिंह के बाद उनके पुत्र व राव इन्द्रजीत सिंह व राव अजित सिंह, राव अभय सिह के बाद उनके पुत्र कैप्टन अजय सिह यादव, पंडित भगवत दयाल शर्मा के बाद उनके पुत्र राजेश शर्मा व पुत्री भारती शर्मा, पूर्व मंत्री कप्तान रंजीत सिंह के बाद उनके पुत्र कंवल सिंह हरी सिंह दाबड़ा के बाद उनके पुत्र सुरजीत दाबड़ा, शमशेर सिंह सुरजेवाला पूर्व विधायक और उनके बेटे रणदीप सुरजेवाला विधायक पूर्व विधायक सुंदर सिंह के बेटे राम सिंह, पूर्व मंत्री राव बंसी सिंह के बाद उनके पुत्र राव नरेन्द्र सिंह, हरी सिंह सैनी के बाद उनके पुत्र अत्तर सिंह सैनी, अतर सिंह माढ़ी वाले के बाद उनके पुत्र नपेन्द्र सिंह आदि राजनीति में सक्रिय रूप से उतर चुके हैं। पूर्व मंत्री अजमत खान फिरोजपुर झिरका के बाद उनके पुत्र आजाद मोहम्मद, पूर्व मंत्री व सांसद रहीम खान नूंह के बाद उनके पुत्र इलियास मोहम्मद व हबीबुल्ला, स्व. जगदीश चन्द शाहबाद के बाद उनके पुत्र राम सिंह, स्व. ओम प्रकाश गर्ग के बाद उनके पुत्र पवन गर्ग, पूर्व मंत्री शिव राम वर्मा नीलोखेड़ी के बाद उनके पुत्र राजेश वर्मा, स्व. कर्नल राम प्रकाश के बाद उनकी पुत्री कान्तादेवी, पूर्व विधायक गया लाल के बाद उनके पुत्र पूर्व विधायक उदय भान, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष देव राज आनन्द के बाद उनके बड़े पुत्र बृज आनन्द, पूर्व मंत्री दल सिंह के बाद उनके पुत्र हरमिंदर सिंह, पूर्व विधायक दुलीचंद राठी पानीपत के बाद उनके तीनों विधायक पुत्र धर्म सिंह राठी, जय सिंह राठी व धर्मपाल राठी, पुत्री मंत्री गोवर्धन दास चौहान की पुत्री संतोष सारवान व पुत्र राजेन्द्र चौहान, पूर्व विधायक टेक राम मुढाल के बाद उनके भाई निहाल सिंह व उनके भतीजे जगत सिंह, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बाद उनकी पत्नी जसमा देवी, पुत्र कुलदीप व चन्द्र मोहन तथा भतीजा दूडा राम पूर्व विधायक (भजन लाल स्वयं सांसद) वर्तमान विधायक कुलदीप हैं तथा पूर्व मंत्री जसवंत सिंह चौहान राई के बाद उनके पुत्र सतपाल आदि सक्रिय राजनीति में हैं। इसके अलावा चौ. देवीलाल के पारिवारिक रिश्तेदार गणपत सिंह के पुत्र डा. केवी सिंह (पूर्व ओएसडीसीएम हरियाणा) पूर्व विधायक महंत गंगासागर के पुत्र दया सागर, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष चौ. वेद पाल के भतीजे विक्रम सिंह, केन्द्रीय कानून हंस राज भारद्वाज के बहनोई व पूर्व विधायक दया नंद शर्मा, पूर्वमंत्री शांति राठी के पुत्र विक्रम राठी, पूर्व मंत्री माडू सिंह मलिक के पुत्र भूपेन्द्र सिंह व जगजीत सिंह, पूर्व मंत्री जगदीश नेहरा के बेटे सुरेन्द्र नेहरा, पूर्व सांसद विद्या बैनीवाल के पुत्र विनोद बैनीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री मा. हुक्म सिंह के बेटे राजवीर सिंह आदि अपनी इस पारिवारिक राजनीति की परम्परा को बरकरार रखने के लिए प्रयासरत है। इस परम्परा में छछरौल विधानसभा क्षेत्र के खान परिवार की चर्चा भी जरूरी है, यहां से मोहम्मद असलम खान दो बार विधायक बने और फिर उनके पुत्र मोहम्मद अकरम खान को विधायकी का अवसर मिला। हिसार के बलवंत राय तायल व बलदेव तायल भी एक ही पारिवारिक परम्परा के है। इस संदर्भ में हरियाणा मं कई ऐसे परिवार है, जहां पति के बाद पत्नी ने पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाया इस प्रकरण में उल्लेखनीय नाम है, पूर्व विधायक कुंवर गुरदित सिंह की पत्नी शारदा रानी कंवर, मेजर अमीर सिंह की पत्नी लज्जा रानी, पूर्व विधायक जगदीश चन्द्र की पत्नी शन्नो देवी, पूर्व विधायक राम किशन आजाद की पत्नी शीला आजाद कर्नल सिंह की पत्नी शारदा रानी पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल की पत्नी जसमा देवी, पूर्व विधायक जगदीश बैनीवाल की पत्नी विद्या बैनीवाल, पूर्व मंत्री स्व. सुरेन्द्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी, पूर्व मंत्री स्व. ओपी. जिन्दल की पत्नी सावित्री जिंदल पूर्व मंत्री मेहता लीला कृष्ण की पुत्रवधू स्वतंत्र बाला इत्यादि एक ही परिवार के दो सदस्यों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लडऩे के उदाहरण हरियाणा में हैं। 1991 में स्व. गोवर्धन दास चौहान की पुत्री संतोष सारवान तथा उसके सगे भाई राजेन्द्र चौहान ने डबवाली विधानसभा से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ें। इसी चुनाव में बहादुरगढ़ क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सुरजमल के खिलाफ उनके सगे भतीजे महावीर सिंह ने बतौर आजाद उम्मदीवार चुनाव लड़ा। 1996 में हथीन क्षेत्र से पूर्व विधायक भगवान सहाय रावत के विरूद्ध उसकी सगी बहिन दया रावत ने चुनाव लड़ा। इसी चुनाव में किलोई से कृष्ण मूर्ति हुड्डा को उसके चचेरे भाई ने चुनावी चुनोती दी। वर्ष 2004 में ऐलनाबाद क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी मनी राम केहरवाला को उसके सगे भतीजे ओमप्रकाश केहरवाला की बगावत का सामना करना पड़ा। स्पष्ट है कि हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद भाई भतीजेवाद, पुत्र पुत्री व दामादवाद बहुत हावी रहा और कुछ गिने चुने परिवार ही सामंतवादी परम्परा अपनाकर यहां की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम करते रहे हैं। सत्य तो यह है कि हरियाणा की राजनीति कुद चुनिन्दा घरानों तक ही सीमित होकर रह गई। हरियाणा की राजनीति में स्व. चौ. देवीलाल के परिवार की महिलाएं अभी तक राजनीति के कोसो दूर हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल व बंसीलाल के परिवार की महिलाएं राजनीति में सक्रिय देखी जा सकती है।