वैसे तो देश भर की राजनीति परिवारवाद अपनी जड़े जमा रहा है, परन्तु हरियाणा प्रदेश की राजनीति पर प्रख्यात पत्रकार चन्द्र मोहन ग्रोवर की एक दिलचस्प रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है। हरियाणा की राजनीति में कुछ परिवारों का वर्चस्व चला रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी हरियाणा राज्य में कुछ ऐसे परिवार हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति पर हावी रहे हैं। भारत में चुनावों की शुरूआत के समय से ही लोग यहां राजनीति में आए और उसके उपरांत उसी परिवार के लोग भतीजा, भतीजी, बेटा बेटी, नाती, दोहते आदि काफी संख्या में राजनीति में सक्रिय हैं। यह अलग बात है, कि कुछ सफल हुए तथा कुछ असफल होकर राजनीति से दूर चले गए। इतना प्रगतिशील व प्रवर्तनवादी राज्य होने के बावजूद हरियाणा की राजनीति सामंतवादी परम्परा से अछूती नहीं रही है और स्पष्ट तौर पर यहां की राजनीति में कुछ गिने चुने परिवार ही सैदव हावी रहे, जो राज्य के सभी वर्गों व सम्प्रदायों से संबंध रखते हैं। पत्रकार चन्द्र मोहन ग्रोवर ने हरियाणा की राजनीति पर दिलचस्प आंकड़े एकत्रित किये हैं। जिनके मुताबिक हरियाणा के स्व. चौ. देवीलाल तथा उनके परिवार को देश में सर्वाधिक चुनाव लडऩे का गौरव प्राप्त है और वह भी विभिन्न क्षेत्रों से। भारत वर्ष में आज भी कोई ऐसा राजनीतिक परिवार नहीं है, जो चौ. देवीलाल के परिवार की बराबरी कर सकता है। विशेष बात यह है कि स्व. देवीलाल और उनके राजनीतिक वारिस बेटे चौ. ओमप्रकाश चौटाला कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। यदि विवेचनात्मक ढंग से हरियाणा की राजनीति पर दृष्टि दौड़ाई जाये, तो पता चलेगा कि हरियाणा में एक दर्जन परिवार ऐसे हैं, जिनके सदस्य तीन पीढिय़ों से सक्रिय राजनीति में हैं। इनमे सर्वप्रथम देशबंधु सर छोटूराम का परिवार है, जो 1920 से राजनीति में सक्रिय है। इतना ही पुराना चो. मातू राम सांधी वालों का परिवार है। यह सत्य है कि सर छोटूराम के दो परिवार लगातार राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण पहचान बनाये हुए हैं। दीनबंधु के भतीजे स्व. चौ. चन्द लम्बे समय तक संयुक्त पंजाब और फिर हरियाणा में विधायक रहे तथा हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष भी बने। चौधरी श्री चन्द की पुत्री बसंती देवी भी हरियाणा की विधायक रह चुकी है। दीनबंधु का, चूंकि कोई पुत्र नहीं था, लेकिन उनकी बेटी भगवानी देवी के पति डूमरंखा निवासी चौ. नेकी राम तहसीलदार भी सर्विस से रिटायर होने पर राजनीति में आए और 1968 से 1972 तक हरियाणा के राजस्व मंत्री रहे। इसके बाद उनके पुत्र व दीनबंधु के दौहते विरेन्द्र सिंह सक्रिय राजनीति में है तथा वर्तमान में हरियाणा सरकार के वित्त मंत्री रह चुके हैं, जिन्हें हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में इनैलो सुप्रीमों औम प्रकाश चौटाला ने लगभग 600 मतों से हराया है। चौ. मातू राम 1920 में आलौठ निवासी चौ. लाल चंद से चुनाव तो हार गये थे, लेकिन चुनाव याचिका में उन्होंने चौ. लाल चंद को हरा दिया और मातू राम स्वयं कभी चुनाव नहीं जीत पाये, लेकिन उनके पुत्र रणवीर सिंह विधानसभा के सदस्य व संयुक्त पंजाब में सिंचाई व बिजली मंत्री रहे। 1972 में उनके बड़े बेटे कप्तान प्रताप सिंह किलोई से चुनाव हारे। उनके बाद छोटे पुत्र भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, हालांकि विधानसभा का चुनाव दो बार हारे, पर लोकसभा चुनाव में रोहतक से तीन बार पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवी लाल को हराकर विजयी रहे, परन्तु वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, जबकि इनका बेटा दिपेन्द्र हुड्डा वर्तमान में लोकसभा सदस्य है। अलखपुरा के दानवीर सेठ छाजू राम लांबा स्वयं आजादी के पूर्व पंजाब कौंसिल के सदस्य रहे, फिर उनके बड़े पुत्र सजन कुमार पंजाब विधानसभा के सदस्य बने और अब उनके पौत्र पी.के चौधरी प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में एक थे। चौ. देवीलाल के पूरे परिवार की गणना दो इकाईयों में की जा सकती है। एक साहब राम और दूसरे चौ. देवीलाल परिवार की। चौ. साहब राम संयुक्त पंजाब के विधायक व एमएल. सी रहे और फिर उनके दामाद महेन्द्र सिंह लाठर सांसद रहे। चौ. साहब राम के पौत्र प्रदीप सिहाग भी राजनीति में है। साहब राम के छोटे भाई चौ. देवीलाल देशभर के उपप्रधानमंत्री के पद पर पहुंचे। उनके तीन पुत्र हरियाणा विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं, जिनमें प्रताप सिंह 1967 में विधायक बने। चौ. देवीलाल के अन्य दो बेटे चौ. ओम प्रकाश चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं, जबकि रंजीत सिंह कृषि मंत्री व राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं तथा योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। चौ. देवीलाल के पौत्र तथा चौ. ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला दो बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं तथा वर्तमान में डबवाली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। अजय चौटाला के छोटे भाई अभय चौटाला भी विधायक रह चुके हैं तथा वर्तमान में जिला परिषद, सिरसा के चेयरमैन है। चौ. देवीलाल के एक अन्य पौत्र रवि सिंह भी राजनीति में हैं। संयुक्त पंजाब में सिंचाई व बिजली मंत्री रहे चौ. लहरी सिंह के बाद उनके भतीजे राजेन्द्र सिंह मलिक हरियाणा में कई बार विधायक व मंत्री रहे और राजेन्द्र सिंह मलिक के पुत्र हरेन्द्र सिंह मलिक सक्रिय राजनीति में हैं। इसी कड़ी में सर छोटूराम की यूनियननिस्ट पार्टी के आजादी से पहले विधायक रहे राम मोहर के पुत्र राव महावीर सिंह 1968 से 1972 तक परिवहन व पशुपाल मंत्री रहे और उनके पुत्र नरवीर सिंह बंसीलाल मंत्रीमंडल में सहकारिता मंत्री रह चुके हैं। सर छोटू राम के ही विश्वस्त साथी यासीन खान स्वंतत्रता से पूर्व यूनियनिस्ट पार्टी के विधायक रहे। इसके बाद उनके पुत्र तैयब हुसैन राजस्थान व हरियाणा के विधायक, लोकसभा सांसद रह चुके हैं और उनके छोटे पुत्र फजल हुसैन राजस्थान राजनीति में सक्रिय हैं। मेवात का ही एक अन्य सियासी घराना अहमद, खुर्शीद अहमद और अंजुमन के रूप में तीन पीढ़ी राजनीति में है। दीनबंधु के एक अन्य सहयोगी खांडा खेड़ी निवासी चौधरी सूरजमल आजादी से पूर्व यूनियनिस्ट पार्टी के विधायक व संयुक्त पंजाब में मंत्री रहे। उनके पुत्र जसवंत सिंह भी मंत्री रह चुके हैं। पानीपत के नत्थू शाह अपने समय के चर्चित नेता रहे, फिर उनके पुत्र हकुमत शाह दो बार विधायक रहे तथा उनके पौत्र बलवीर पाल शाह भी प्रदेश के परिवहन मंत्री रह चुके हैं तथा वर्तमान में भी पानीपत से विधायक हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी, हालांकि राजनीति में उत्तरप्रदेश में सक्रिय रही, पर उनका जन्म स्थान कुंडल (सोनीपत) हरियाणा में है। उनके भतीजे ओमप्रकाश राणा हरियाणा से विधायक रह चुके हैं। भाई-भाई बहिन भी हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे। इनमें साहब राम के भाई चौ. देवीलाल, राव वीरेन्द्र सिंह की बहिन राजकुमारी सुमित्रा देवी, प्रो शेर सिंह बाघपुर निवासी के भाई ओमप्रकाश बेरी, अवतार सिंह भडाना के भाई करतार सिंह, ओम प्रकाश चौटाला, रणजीत सिंह व प्रताप सिंह भाईयों की त्रिमूर्ति, अजय चौटाला व उनके भाई अभय चौटाला, पानीपत के राठी बंधु धर्म सिंह राठी, जय सिंह राठी व धर्मपाल राठी, रहीम खान के भाई सरदार खान मोहम्मद इलियास के भाई हबीबुल्ला आदि प्रमुख उदाहरण हैं। इससे प्रमुख उदाहरण दलवीर सिंह व नेकी राम का है, जो एक साथ संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे। दो पीढिय़ों से, जो परिवार हरियाणा में सक्रिय है, उनके प्रमुख है स्व. चौ. दलवीर सिंह की पुत्री सुश्री शैलजा, जो केन्द्रीय मंत्री है, पूर्व मंत्री केसरा राम के बेटे मनी राम केहरवाला व उनके भतीजे ओम प्रकाश केहरवाला, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसी लाल के पुत्र रणवीर महेन्द्रा, दामाद सोमवीर, पुत्रवधु किरण चौधरी (विधायक),भांजे दया नंद व पौत्री ऋुति(सांसद), राव वीरेन्द्र सिंह के बाद उनके पुत्र व राव इन्द्रजीत सिंह व राव अजित सिंह, राव अभय सिह के बाद उनके पुत्र कैप्टन अजय सिह यादव, पंडित भगवत दयाल शर्मा के बाद उनके पुत्र राजेश शर्मा व पुत्री भारती शर्मा, पूर्व मंत्री कप्तान रंजीत सिंह के बाद उनके पुत्र कंवल सिंह हरी सिंह दाबड़ा के बाद उनके पुत्र सुरजीत दाबड़ा, शमशेर सिंह सुरजेवाला पूर्व विधायक और उनके बेटे रणदीप सुरजेवाला विधायक पूर्व विधायक सुंदर सिंह के बेटे राम सिंह, पूर्व मंत्री राव बंसी सिंह के बाद उनके पुत्र राव नरेन्द्र सिंह, हरी सिंह सैनी के बाद उनके पुत्र अत्तर सिंह सैनी, अतर सिंह माढ़ी वाले के बाद उनके पुत्र नपेन्द्र सिंह आदि राजनीति में सक्रिय रूप से उतर चुके हैं। पूर्व मंत्री अजमत खान फिरोजपुर झिरका के बाद उनके पुत्र आजाद मोहम्मद, पूर्व मंत्री व सांसद रहीम खान नूंह के बाद उनके पुत्र इलियास मोहम्मद व हबीबुल्ला, स्व. जगदीश चन्द शाहबाद के बाद उनके पुत्र राम सिंह, स्व. ओम प्रकाश गर्ग के बाद उनके पुत्र पवन गर्ग, पूर्व मंत्री शिव राम वर्मा नीलोखेड़ी के बाद उनके पुत्र राजेश वर्मा, स्व. कर्नल राम प्रकाश के बाद उनकी पुत्री कान्तादेवी, पूर्व विधायक गया लाल के बाद उनके पुत्र पूर्व विधायक उदय भान, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष देव राज आनन्द के बाद उनके बड़े पुत्र बृज आनन्द, पूर्व मंत्री दल सिंह के बाद उनके पुत्र हरमिंदर सिंह, पूर्व विधायक दुलीचंद राठी पानीपत के बाद उनके तीनों विधायक पुत्र धर्म सिंह राठी, जय सिंह राठी व धर्मपाल राठी, पुत्री मंत्री गोवर्धन दास चौहान की पुत्री संतोष सारवान व पुत्र राजेन्द्र चौहान, पूर्व विधायक टेक राम मुढाल के बाद उनके भाई निहाल सिंह व उनके भतीजे जगत सिंह, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बाद उनकी पत्नी जसमा देवी, पुत्र कुलदीप व चन्द्र मोहन तथा भतीजा दूडा राम पूर्व विधायक (भजन लाल स्वयं सांसद) वर्तमान विधायक कुलदीप हैं तथा पूर्व मंत्री जसवंत सिंह चौहान राई के बाद उनके पुत्र सतपाल आदि सक्रिय राजनीति में हैं। इसके अलावा चौ. देवीलाल के पारिवारिक रिश्तेदार गणपत सिंह के पुत्र डा. केवी सिंह (पूर्व ओएसडीसीएम हरियाणा) पूर्व विधायक महंत गंगासागर के पुत्र दया सागर, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष चौ. वेद पाल के भतीजे विक्रम सिंह, केन्द्रीय कानून हंस राज भारद्वाज के बहनोई व पूर्व विधायक दया नंद शर्मा, पूर्वमंत्री शांति राठी के पुत्र विक्रम राठी, पूर्व मंत्री माडू सिंह मलिक के पुत्र भूपेन्द्र सिंह व जगजीत सिंह, पूर्व मंत्री जगदीश नेहरा के बेटे सुरेन्द्र नेहरा, पूर्व सांसद विद्या बैनीवाल के पुत्र विनोद बैनीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री मा. हुक्म सिंह के बेटे राजवीर सिंह आदि अपनी इस पारिवारिक राजनीति की परम्परा को बरकरार रखने के लिए प्रयासरत है। इस परम्परा में छछरौल विधानसभा क्षेत्र के खान परिवार की चर्चा भी जरूरी है, यहां से मोहम्मद असलम खान दो बार विधायक बने और फिर उनके पुत्र मोहम्मद अकरम खान को विधायकी का अवसर मिला। हिसार के बलवंत राय तायल व बलदेव तायल भी एक ही पारिवारिक परम्परा के है। इस संदर्भ में हरियाणा मं कई ऐसे परिवार है, जहां पति के बाद पत्नी ने पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाया इस प्रकरण में उल्लेखनीय नाम है, पूर्व विधायक कुंवर गुरदित सिंह की पत्नी शारदा रानी कंवर, मेजर अमीर सिंह की पत्नी लज्जा रानी, पूर्व विधायक जगदीश चन्द्र की पत्नी शन्नो देवी, पूर्व विधायक राम किशन आजाद की पत्नी शीला आजाद कर्नल सिंह की पत्नी शारदा रानी पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल की पत्नी जसमा देवी, पूर्व विधायक जगदीश बैनीवाल की पत्नी विद्या बैनीवाल, पूर्व मंत्री स्व. सुरेन्द्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी, पूर्व मंत्री स्व. ओपी. जिन्दल की पत्नी सावित्री जिंदल पूर्व मंत्री मेहता लीला कृष्ण की पुत्रवधू स्वतंत्र बाला इत्यादि एक ही परिवार के दो सदस्यों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लडऩे के उदाहरण हरियाणा में हैं। 1991 में स्व. गोवर्धन दास चौहान की पुत्री संतोष सारवान तथा उसके सगे भाई राजेन्द्र चौहान ने डबवाली विधानसभा से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ें। इसी चुनाव में बहादुरगढ़ क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सुरजमल के खिलाफ उनके सगे भतीजे महावीर सिंह ने बतौर आजाद उम्मदीवार चुनाव लड़ा। 1996 में हथीन क्षेत्र से पूर्व विधायक भगवान सहाय रावत के विरूद्ध उसकी सगी बहिन दया रावत ने चुनाव लड़ा। इसी चुनाव में किलोई से कृष्ण मूर्ति हुड्डा को उसके चचेरे भाई ने चुनावी चुनोती दी। वर्ष 2004 में ऐलनाबाद क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी मनी राम केहरवाला को उसके सगे भतीजे ओमप्रकाश केहरवाला की बगावत का सामना करना पड़ा। स्पष्ट है कि हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद भाई भतीजेवाद, पुत्र पुत्री व दामादवाद बहुत हावी रहा और कुछ गिने चुने परिवार ही सामंतवादी परम्परा अपनाकर यहां की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम करते रहे हैं। सत्य तो यह है कि हरियाणा की राजनीति कुद चुनिन्दा घरानों तक ही सीमित होकर रह गई। हरियाणा की राजनीति में स्व. चौ. देवीलाल के परिवार की महिलाएं अभी तक राजनीति के कोसो दूर हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल व बंसीलाल के परिवार की महिलाएं राजनीति में सक्रिय देखी जा सकती है।