5:02 pm
Randhir Singh Suman
बाबरी मस्जिद के तोड़े जाने के बाद सरकार ने लिब्रहान आयोग की स्थापना की थी। जिसकी रिपोर्ट संसद में पेश नही हुई कि उससे पूर्व मीडिया ने उसको प्रसारित कर दिया जिसको लेकर संसद में जबरदस्त हो हल्ला हंगामा हुआ। सरकार जब महंगाई के मोर्चे पर जबरदस्त तरीके से असफल है तो लोगो का ध्यान हटाने के लिए लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट की लीकेज़ का ड्रामा शुरू कर दिया है । जिससे जनता का ध्यान मूल समस्याओं का ध्यान हटा रहे। लिब्रहान आयोग की आयोग भी स्पष्ट तरीके यह कहती है की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उनके अनुशांगिक संगठनों ने योजनाबद्ध तरीके से बाबरी मस्जिद को तोडा था । केन्द्र सरकार में यदि जरा सा भी नैतिक साहस है तो ऐसे संगठनों के ऊपर प्रतिबन्ध लगा दे जो देश की एकता और अखंडता को क्षति पहुंचाते है ।
कांग्रेस की धर्म निरपेक्ष सोच बदल चुकी है जिसके चलते फांसीवादी संगठन बढ़ते हैं और देश के अन्दर दंगे फसाद शुरू होते हैं । महाराष्ट्र के अन्दर भी शिव सेना की गतिविधियाँ जारी रखने में समय-समय पर कांग्रेस सरकार का भी संरक्षण रहता है अन्यथा राज ठाकरे बाल ठाकरे जैसे लोग पनप ही नही सकते हैं । लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट में कांग्रेसी प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हा राव की भूमिका को स्पष्ट नही किया है। श्री नरसिम्हा राव साहब ने अगर चाहा होता तो बाबरी मस्जिद को आराजक व फांसीवादी तत्व गिरा नही सकते थे । आज भी इन तत्वों का प्रचार अभियान जारी है समय रहते हुए यदि उचित कार्यवाही नही की गई तो यह देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा होंगे व एक नया आयोग बनेगा और उसकी भी रिपोर्ट लीक होगी ।
सुमन
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5:55 pm
Randhir Singh Suman
उत्तर प्रदेश पुलिस आये दिन आतंकवाद से लेकर भ्रष्टाचार
से लड़ने तक का दावा करती रहती है ।
विभाग में कार्यरत जालसाजों ने 1986 में एक शासनादेश
में परिवर्तन कर उसको पूरे विभाग के ऊपर लागू करा दिया।
पुलिस विभाग
में नियम यह है कोई पुलिस कर्मचारी पुलिस अफसर अपने गृह जनपद या गृह के नजदीक तैनात नही रह सकता है ,
किंतु जालसाजों ने 11 जुलाई 1986 में एक फर्जी शासनादेश
जारी कर उस नियम में परिवर्तन कर लिया और उनके अपने गृह जनपद में भी तैनाती होने लगी । अपराधियों
से साँठ-
गाँठ करना तथा अपराधों
में भी लिप्त होना लगा रहेगा ।
उत्तर प्रदेश गृह विभाग के भोले-
भाले अधिकारी व पुलिस के उच्च अधिकारी फर्जी शासनादेश को लागू करते रहे है ।
अब जाकर इस खुलासा हुआ है कि उक्त शासनादेश फर्जी है।
इससे पहले पुलिस विभाग की भर्तियाँ फर्जीवाड़ा का एक उत्कृष्ट नमूना है।
ऐसे भोले भाले अधिकारियों से कानून व्यवस्था बचाए और बनाये रखने की उम्मीद रखना बेईमानी है ।
आज जरूरत इस बात की है कि पूरे पुलिस विभाग की ईमानदारी से समीक्षा की जाए और अपराधी और भ्रष्टाचारी
तत्वों से उसको साफ़ किया जाए ।
वर्तमान में पुलिस के क्रियाकलापों को देखकर माननीय न्यायमूर्ति आनंद नारायण मुल्ला की टिपण्णी याद आ जाती है कि पुलिस अपराधियों का एक संगठित गिरोह है, इसके अतिरिक्त कुछ नही है। आये दिन पुलिस अपने जालसाजों से ठगी जायेगी और जनता तबाह होती रहेगी और सबसे बड़े आश्चर्य कि बात यह है कि जिस तरीके से अपराधियों का अपराधिक इतिहास होता है उसी तरीके से थाने से लेकर पुलिस प्रमुख तक का भी अपराधिक इतिहास होता है , सिर्फ़ उसको प्रकाशित करने कि जरूरत है ।
सुमन
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2:25 pm
Randhir Singh Suman
6:17 pm
Randhir Singh Suman
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन व(
मंत्री पद प्राप्त )
वरिष्ट अधिवक्ता पूर्व एडवोकेट ज़नरल श्री एस.
एम काजमी ने एस.
टी.
एफ द्वारा खालिद मुजाहिद को 16 दिसम्बर 2007 को मडियाहूँ,
जिला जौनपुर से पकड़ कर २२ दिसम्बर 2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर आर.
डी.
एक्स व ड़िकोनेटर की बरामदगी दिखाकर जेल भेज दिया था ,
के मामले में अपने पद की परवाह न करते हुए दिनांक 20 नवम्बर 2009 लो माननीय उच्च न्यायलय इलहाबाद खंडपीठ लखनऊ में खालिद मुजाहिद की तरफ़ से जमानत प्रार्थना पत्र पर बहस की।
आज की दौर में पद पाने के लिए लोग सब कुछ करने के लिए तैयार रहते हैं।
वहीं श्री काजमी उत्तर प्रदेश के न्यायिक इतिहास में (
जहाँ तक मुझे ज्ञात है )
पहली बार सरकार के ग़लत कार्यो के
विरोध करने के लिए किसी मंत्री पद प्राप्त व्यक्ति ने किसी
अभियुक्त की तरफ़ से वकालत की हो।
ज्ञातव्य है कि एस.
टी.
एफ पुलिस के अधिकारियो ने कचहरी सीरियल बम ब्लास्ट (
लखनऊ,
फैजाबाद,
वाराणसी )
में खालिद मुजाहिद व तारिक काजमी को घरो से पकड़ कर उक्त वाद में अभियुक्त बना दिया था । ऐसा कार्य एक सोची समझी रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश में हुआ था ।
माननीय उच्च न्यायालय के न्यायधीश
न्याय मूर्ति श्री अश्वनी कुमार सिंह ने एस.
टी.
एफ के वरिष्ट अधिकारी वाद के विवेचक तथा क्षेत्र अधिकारी पुलिस मडियाहूँ,
जिला जौनपुर को 26 नवम्बर 2009 को न्यायलय में समस्त अभिलेखों की साथ तलब किया है ।
खालिद मुजाहिद के चाचा मोहम्मद जहीर आलम फलाही द्वारा क्षेत्र अधिकारी मडियाहूँ से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगी थी कि एस.
टी.
एफ ने किस तारीख को खालिद मुजाहिद को गिरफ्तार किया था ।
जिस पर क्षेत्र अधिकारी मडियाहूँ ने लिखकर दिया था कि 16 दिसम्बर 2007 खालिद मुजाहिद को एस.
टी.
एफ पकड़ कर ले गई थी ।
श्री एस.
एम काजमी द्वारा माननीय उच्च न्यायलय में निर्दोष युवक खालिद मुजाहिद की तरफ़ से जमानत प्रार्थना पत्र की बहस करने से ये महसूस होने लगा है की इन्साफ दिलाने की लिए लोगो में जज्बा है।
काजमी साहब बधाई की पात्र हैं ।
सुमन
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5:20 pm
Randhir Singh Suman
आप कहते हैं तो कहा करें! मैं अपने दोस्तों और अपनी बात जरूर करूंगा, अभी हाल ही में मेरे दोस्त सत्येन्द्र राय सपत्नीक मेरे घर आये और हम दोनों दम्पत्तियों के बीच बात शुरू हुई। मेरी पत्नी की तरह सत्येन्द्र राय की पत्नी कामकाजी महिला हैं। दोनों प्राप्त होने वाला अपना वेतन अपने घर पर खर्च करती हैं। यह बात मेरे साथ मेरे मित्र भी स्वीकार करते हैं। घर का खर्च उठाना ही नहीं बल्कि घर के कामकाज की भी जिम्मेदारी दोनों बखूबी संभालती हैं। यह तारीफ मैं अपनी और अपने मित्र की पत्नी को खुश करने के लिए नहीं कर रहा हूं बल्कि उनके सशक्तीकरण पर कुछ सवाल उठा रहा हूं।
हम दोनों मित्र अपनी पत्नियों को शायद ही कभी कुछ कहते हों सिवाय उनकी तारीफ के, क्योंकि वह तारीफ के लायक हैं। जब बात शुरू हुई तो हम दोनों ने खुले मन स्वीकार किया कि हम खुले मन से निःसंकोच महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं लेकिन अपने घर की महिलाओं की समर्पण की भावना को सहज रूप मेे स्वीकार कर लेते हैं और उनको जी-तोड़ मेहनत से बचाने का प्रयास नहीं करते। इसके पीछे हमारी सोच यह भी हो सकती है कि परिवार रूपी गाड़ी के दोनों पहिये सुगमता से चलते रहें तो गाड़ी रूकेगी नहीं। पति और पत्नी परिवार रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं जिन्हें मिलकर गाड़ी को खींचना होता है।
सच यह है कि परिवार रूपी गाड़ी को चलाने के लिए पहियों को दुरूस्त रखना जरूरी है बिल्कुल उस तरह से जैसे गाड़ी के पहियों को समय-समय पर तेल और ग्रीस देकर चिकना किया जाता है। परिवार की इस गाड़ी के पहियों को पति-पत्नी का पारस्परिक व्यवहार, एक दूसरे के प्रति प्रेम और एक-दूसरे पर भरोसा ही इन पहियों की रफ्तार में तीव्रता लाने के लिए चिकनाई का काम करता है। महिला सशक्तीकरण से आशय यह कभी नहीं लेना चाहिए कि महिला या पुरूष प्राकृतिक नियम को बदल देंगे। प्रकृति ने नर और नारी दोनों को अलग-अलग बनाया ही है इसलिए कि दोनों प्राकृतिक नियमों के अनुसार अपना-अपना काम करेंगे, लेकिन यह आवश्यक है कि दोनों में पारस्परिक सहयोग बना रहे। दोनों में से कोई एक-दूसरे को हेय दृष्टि से न देखें और न ही वह एक-दूसरे को अपमानित करें। दोनों के लिए एक-दूसरे का सम्मान आवश्यक है लेकिन यह सम्मान प्रेमपूर्ण होना चाहिए।
अक्सर यह देखा गया है कि शादी से पूर्व नर और नारी में एक-दूसरे के प्रति प्रेम होता है और वह प्रेम कभी-कभी इतना परवान चढ़ता है कि दोनों एक दूसरे से शादी कर लेते हैं शादी से पहले लड़का लड़की के लिए आसमान से तारे तोड़कर लाने के लिए तैयार रहता है और लड़की भी लड़के पर अपनी जान न्योछावर करने को तत्पर दिखती है। शादी से पूर्व के इस प्रेम में एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भावना होती है लेकिन अक्सर ऐसी शादियों में कटुता आते हुये भी देखा है। ऐसा केवल इसलिए कि पुरूष प्रधान इस समाज में शादी के बाद पति मर्द बन जाता है और वह अपनी पत्नी पर अपनी प्रधानता कायम करने का प्रयास करता है, जिसे पत्नी बर्दाशत नहीं कर पाती और परिवार रूपी इस गाड़ी के पहियों की चिकनाई यानी पारस्परिक प्रेम, एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भावना और एक-दूसरे के प्रति विश्वास समाप्त हो जाता है। पत्नी की यह आकांक्षा कि शादी से पहले जैसा व्यवहार उसका पति करता था, शादी के बाद भी करता रहेगा, पूरी नहीं होती और इस प्रकार निराश होकर वह या तो दुखी होकर साथ निभाती है या फिर साथ छोड़ देती है और परिवार टूट जाता है। परिवार टूटने का एक कारण और भी हो सकता है कि पति धन का लोभी हो और दहेज न मिलने के कारण वह दामपत्य जीवन से अलग हो जाता है। दहेज भी हमारे समाज की एक बढ़ी बीमारी है और सिर्फ बीमारी नहीं बल्कि संक्रामक बीमारी है। जो भारतीय समाज के हर पंथ में जड़ें मजबूत करती जा रही है। इसका समूल नाश होना चाहिए लेकिन इसका नाश करने के लिए अब तक कोई एन्टीबायटिक दवा नहीं तैयार हो पायी है। इसकी एक ही एन्टीबायटिक दवा है, इसको समाप्त करने की हमारे मन में तीव्र इच्छा पैदा हो। मां-बाप दहेज के बिना अपने बच्चों की शादी करने का संकल्प लें, लड़के दहेज रूपी भीख लेने से बचें और लड़कियां ऐसे परिवार में शादी करने से मना कर दें जहां दहेज की मांग की जाती हो। दहेज की इसी लानत ने हमारे देश के समाज को 1400 वर्ष पूर्व अरब देश के समाज सक बद्तर बना दिया है। 1400 साल पहले अरब देशों में लड़कियों को पैदा होते ही जिन्दा गाड़ दिया जाता था ताकि उनके मां-बाप को किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े या सिर न झुकाना पड़े। आज हमारे देश के समाज ने गर्भ में ही लड़कियों को मार दिया जाता है और इस अपराध में नर-नारी बराबर के दोषी हैं। यह काम केवल इसलिए किया जाता है कि लड़की पैदा होने पर उनके सिर पर दहेज का भार पड़ेगा और लड़की के बाप को अपनी पगड़ी लड़के और उसके बात के चरणों में रखना होगा। कहां हैं वो महिला सशक्तीकरण की बात करने वाले लोग जो इस संक्रामक रोग को समूल नष्ट करने के लिए तैयार हों और सिर्फ तैयार न हों बल्कि इसके विरोध में लड़ाई का बिगुल फूंक दें। अन्यथा एक दिन वो आयेगा जब समाज में लड़कियों का संकट होगा और यह समाज पतन की और बढ़ेगा।
नारी सशक्तीकरण आन्दोलन चलाने वाले लोग यह बात भूल जायें कि नारी सशक्तीकरण का अर्थ पुरूष प्रधान समाज को समाप्त कर नारी प्रधान समाज स्थापित करना है। उन्हें हमेशा यह बात याद रखनी होगी कि समाज न पुरूष प्रधान हो और न नारी प्रधान बल्कि समाज ऐसा हो जिसमें नर-नारी सामंजस्य बना रहे और न तो नर नारी के सिर पर पैर रखकर चले और न ही नारी नर को कुचलने के लिए प्रयासरत हो, इसी में समाज की भलाई है और यही है नारी सशक्तीकरण का मूलमंत्र है।
मुहम्मद शुऐब एडवोकेटमोबाइल- 09415012666
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11:09 am
kishore ghildiyal
अगर आप ज़्यादा रचनात्मक बनना चाहते हैं तो किसी के प्यार में डूबने के बारे में सोचियेआप किसी के प्यार में पड़कर ज़्यादा रचनात्मक हो सकते हैं,आपके दिमाग में काम के नए नए विचार आ सकते हैंआप कोई भी काम ज़्यादा अच्छी तरह से कर सकते हैं यह बात एक नए अध्ययन में सामने आई हैं वाशिंगटन प्रेस के हवाले से बताया गया हैं की एम्सटरडन विश्वविधालय के शोधकर्ताओ ने पाया हैं की प्यार इंसान की सोच को बदल देता हैं उनका मानना हैं की प्यार में पड़कर इंसान भावुक और विनम्र बन जाता हैं उसे कलात्मक काम करने की प्रेरणा मिलती हैं जबकि यह बदलाव केवल सेक्स करने से नही होता ताजमहल जैसे वास्तुशिल्प कामो के पीछे अगर कुछ हैं तो सिर्फ़ प्यार हैं रोमियो जूलियट जैसा खूबसूरत नाटक प्रेम के कारण ही निर्मित हुआ शोधकर्ताओ ने यह भी पाया की प्यार इंसान की सोच को बदल देता हैं यह इंसान पर बन्दूक के ट्रिगर की तरह काम करता हैं यह इंसान को तार्किक बना देता हैं यह यह भी बताता हैं की किसी को किस तरह जीवन की मुश्किलों को हल करना चाहिए शोधकर्ताओ ने पाया की ऐसा क्या हैं प्यार में जो इंसान में इतने बदलाव पैदा कर देता हैं तो इसका जवाब यह हैं की प्यार का असर दिमाग पर लंबे समय तक रहता हैं जबकि सेक्स का असर कुछ समय के लिए ही होता हैं देखा आपने प्यार कितने काम की चीज़ हैं तो आप भी किसी से प्यार करना शुरू कर दीजिये पर ध्यान रखे केवल प्यार करे सेक्स नही
11:07 am
kishore ghildiyal
चुम्बन यानि "किस"आपके मूड को प्रभावित कर बदल सकता हैं, हाल ही में वाशिंगटन में हुए शोध से यह बात सामने आई की पुरे जोश व आवेग से लिया गया "चुम्बन" एक खास तरह के "काम्प्लेक्स कैमिकल" को दिमाग में भेजता हैं जिससे व्यक्ति ख़ुद को अधिक उत्तेजित,खुश,तनाव रहित व सहज महसूस करता हैं शोध में पाया गया की चुम्बन के दौरान हार्मोन मुहं के जरिये एक दुसरे के शरीर में स्थानांतरित होते हैं और तत्काल असर करते हैं इस शोध से यह भी पता चला की चुम्बन कही ज़्यादा जटिल शारीरिक प्रक्रिया हैं जो की हार्मोनल परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार भी हैं यह भी पता चला की चुम्बन से एक साथ बहुत कुछ घटित होता हैं जो की व्यक्ति विशेष में काफ़ी बदलाव ला सकता हैं इन सब बातो का पता १५ जोड़ो में "ओक्सिटोनिक" और "कोर्टिसोल" हार्मोन का स्तर चुम्बन से पहले व बाद में जांचकर लगाया गया,ओक्सिटोनिक जो की व्यक्ति को चुम्बन के बाद एक दुसरे के करीब आने की इच्छा उत्पन करता हैं उसका स्तर चुम्बन बाद बढ गया था जबकि कोर्टिसोल जो की तनाव पैदा करने वाला हार्मोन हैं उसका स्तर गिर गया था लिहाजा अब शोधकर्ता इस शोध को हारमोंस के स्तर पर परख रहे हैं देखते हैं आगे यह शोध व जांच क्या रंग दिखाती हैं