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14.11.09

बस एक एहसास की ज़रूरत है.

आदरणीया माता स्वरूपणी निर्मला जी से मुलाक़ात और उनके लेख पर ... क्या नाम दूँ उस पाकीजा रिश्ते को, जो हमारे बीच कायम हुआ है? मै और मेरी पत्नी जब आपसे मिले, उस दौरान का एक-एक क्षण हमारी स्मृतियों में हमेशा बसा रहेगा। मुझे उस पल का एहसास नही भूल सकता, जब आप दरवाज़े पर खड़ी होकर हमारे आने इंतज़ार कर रहीं थी। बचपन में जब मै स्कूल से पढ़कर आता था तो मेरी बड़ी बहन ऐसे ही मेरी राह देखा...

एक कतरा बचपन चाहिये

एक कतरा बचपन चाहिये मेरा बचपन बहुत सुखमय रहा किसी राज कुमारी कि तरह घर मे किसी चीज़ की कमी नहीं थी ।सब की लाडली थी। मगर बचपन कितनी जल्दी बीत जाता है ।जवानी मे तो इन्सन के पास फुर्सत ही नहीं होती कि अपने बारे मे कुछ सोच सके। ये सफर तो हर इन्सान के लिये कठिनाईयों से भरा रहता और जब होश आता है तो बारबार बचपन याद आता है बचपन से जुडी यादें फिर से अपनी ओर खींचने लगती हैं--- लगता है बहुत थक गयी हूँ । क्यों ना कुछ बचपना कर लिया जाये---- क्यों ना कुछ पल फिर से जी लिया जाये ----- जब इस तरह सोचती हूं तो----- उदास हो जाती हूँ------- बात बात पर परेशान होना ----...

13.11.09

लो क सं घ र्ष !: जेलों में सड़ने को अभिषप्त हैं मुस्लिम युवा-1

जेलों में सड़ने को अभिषप्त हैं मुस्लिम युवाआतंक के नाम पर व्यवस्था एक समुदाय विषेश्ज्ञ को प्रताड़ित करने के लिए कौन-कौन से तौर-तरीके अपना सकती है, वह हाल की कुछ घटनाओं से समझा जा सकता है। आतंकी घटनाओं के नाम पर पुलिस ने थोक के भाव मुस्लिम युवको की गिरफ्तारी की। पुलिस व सत्ता का यह उत्पीड़न यहीं नहीं रूका बल्कि एक सोची-समझी साजिष के तहत उन पर इतने केस लाद दिए गए ताकि वह जीवन भर जेल में सड़ने पर मजबूर हों। अगस्त 2009 में उर्दू मासिक पत्रिका अफकार-ए-मिल्ली में अबु जफर आदिल आजमी का एक महत्वपूर्ण लेख प्रकाषित हुआ। इसका अंग्रेजी अनुवाद मुमताज आलम फलाही ने...

12.11.09

लो क सं घ र्ष !: पत्नी पीड़ित चिट्ठाकार क्षमा करें

घरेलू हिंसा का मुख्य कारण पुरूषवादी सोच होना है और स्त्री को भोग की विषय वस्तु बनाना है। सामंती युग में राजा-महाराजाओं के हरण या रानीवाश होते थे जिसमें हजारो-हजारो स्त्रियाँ रखी जाती थी । पुरूषवादी मानसिकता में स्त्री को पैर की जूती समझा जाता है इसीलिए मौके बे मौके उनकी पिटाई और बात-बात पर प्रताड़ना होती रहती है . समाज में बातचीत में स्त्री को दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती की संज्ञा दी जाती है किंतु व्यव्हार में दोयम दर्जे का व्यव्हार किया जाता है कुछ देशों की राष्ट्रीय आय का श्रोत्र देह व्यापार ही है । मानसिकता बदलने की जरूरत है भारतीय कानून में...

11.11.09

लो क सं घ र्ष !: गरीबी पर्यटन अथवा ‘पुण्य’ प्राप्ति यात्रा ?

वैश्विक स्तर पर मंदी के काले बादलों के छँटने के शुरूआती जश्न के साथ-साथ भारत के आर्थिक प्रबन्धक भी दावा करने लगे हैं कि शेयर बाजार, औद्योगिक उत्पादन, कारों की बिक्री आदि संकेतक यह दिखा रहे हैं कि मंदी का जिन्न फिर अपनी बोतल में लौट गया है। इसी दौरान विश्व बैंक के अनुसार 10 अरब लोग गरीबी के गर्त में ढकेल दिये गए हैं। विश्व खाद्य और कृषि संगठन का आकलन है कि 1.2 खरब लोग इस मंदी के चलते भूख और कुपोषण के शिकार बन गए हैं। भारत के बारे में भी ऐसी चिन्तनीय सूचनाएँ आधिकारिक स्रोतों से आ रही हैं। किन्तु वित्तीय और कम्पनी क्षेत्र, खासकर शेयर और वायदा बाजार...

10.11.09

लो क सं घ र्ष !: हिन्दी के मुंह पर हिंदुत्व का तमाचा

महाराष्ट्र विधानसभा में सपथ ग्रहण के समय अबू आजमी ने हिन्दी में सपथ ली तो मनसे विधायक ने थप्पड़ मारा । भारतीय जनता पार्टी और उसके पिता तुल्य आर.एस.एस ने जो जहर बोया है उसका परिणाम भी आ रहा है । मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी धमकी दी कि मध्य प्रदेश में दूसरे प्रदेशों के लोग कार्य नही कर सकते हैं । महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी शिवसेना के साथ चुनाव लड़ती है और शिव सेना और उसके घटक मनसे हिन्दी का विरोध करती है । भारतीय जनता पार्टी , आर.एस.एस और उसके अनुसांगिक संगठन गला फाड़-फाड़ कर पूरे देश में नफरत का...

9.11.09

लो क सं घ र्ष !: वंदे मातरम् विवाद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

वंदे मातरम् के विवाद पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तरह-तरह के बयान पूरे देश में जारी किए है और अपने को राष्ट्र भक्त साबित करने का प्रयास किया है और शब्दों की बाजीगरी के अलावा कुछ नही है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का राष्ट्रीय झंडे में ही विश्वाश नही है। 4 जुलाई 1946 को आर एस एस प्रमुख म अस गोलवलकर ने कहा कि "हमारी महान संस्कृति का परिपूर्ण परिचय देने वाला प्रतीक स्वरूप हमारा भगवा ध्वज है जो हमारे लिए परमेश्वर स्वरूप है। इसीलिए परम वन्दनीय ध्वज को हमने अपने गुरु स्थान में रखना उचित समझा है यह हमारा द्रण विश्वाश है कि अंत में इसी ध्वज के समक्ष हमारा...