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26.10.09

लो क सं घ र्ष !: इलाहाबाद चिट्ठाकार सम्मलेन: आरोप-प्रत्यारोप का बहाना

इलाहाबाद में हिन्दी चिट्ठाकारों का जमावडा हुआजिसमें हिन्दी चिट्ठाकारी से सम्बंधित पुस्तक का विमोचन हुआइस कार्यक्रम का आयोजन महात्मा गाँधी अन्तराष्ट्रीय विश्विद्यालय वर्धा हिन्दुस्तान अकादमी इलाहाबाद ने किया थाहिन्दी चिट्ठाकारों ने इस आयोजन के बहाने सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ. नामवर सिंह से लेकर हर तरह की व्यवस्था-अव्यस्था के सम्बन्ध में चिट्ठाकारी की है जिसमें व्यक्तिगत भड़ास से लेकर आरोप-प्रत्यारोप विगत इतिहास शामिल हैइस तरह से लगता यह है की किसी भी हिन्दी चिट्ठाकारों के आयोजन में शामिल होने वाला नही हैइस में शामिल होने का मतलब चिट्ठा जगत में अपने सम्बन्ध में तमाम आवश्यक और अनावश्यक विवाद को शामिल कर लेना हैइलाहाबाद की हिन्दुस्तान अकादमी महात्मा गाँधी अन्तराष्ट्रीय विश्विद्यालय वर्धा ने यह आयोजन करके हिन्दी चिट्ठाजगत को सम्मान ही प्रदान किया है और इसमें प्रमुख चिट्ठाकार सर्वश्री रविरतलामी, मसिजिवी, अनूप, प्रियंकर, विनीत कुमार ने भी रचनात्मक समझ के साथ ही आयोजन में शिरकत की होगी। शायद उन्होंने भी इस आरोप प्रत्यारोप के बारे में सोचा न होगा. इस कार्य से हिन्दी चिट्ठाजगत को महत्व मिला है किंतु अंतरजाल पर अब रही अनावश्यक बहस हिन्दी चिट्ठाजगत की छुद्र मानसिकता को प्रर्दशित कर रही हैअच्छा यह होता कि अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप करने कि बजाये जैसा वह उचित समझते हैउसी तरीके का कार्यक्रम कर डालेंकिसी रेखा को छोटा करने से अच्छा है कि उससे बड़ी रेखा खींच दी जाए इस सम्बन्ध में यह पंक्तियाँ महत्वपूर्ण है :-

'कैसे उनके रिश्तें है कैसे ये पड़ोसी हैं ,
भीगती हैं जब आँखें होंठ मुस्कुरातें है
क्या अजीब फितरत है इस जहाँ में बौनों की,
बढ़ तो ख़ुद नही सकते, कद मेरा घटाते है

यौन रूझान जानने के लिए प्राईवेट जासूसों की मदद

नई दिल्ली(प्रैसवार्ता) माननीय न्यायालय द्वारा व्यस्कों के बीच सहमति से बनये जाने वाले समलैंगिक संबंधों को वैद्य घोषित किये जाने के निर्णय से समाज के विभिन्न-विभिन्न वर्ग प्रभावित होने लगे हैं और उन्होंने अपने विवाह योग्य बच्चों के यौन रूझान का पता लगाने के लिए प्राईवेट जासूसें की मदद लेनी शुरू कर दी है। न्यायालय निर्णय उपरांत ऐसे लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हो गई है, जो अपने जीवन साथी या भावी जीवनसाथी के समलैंगिक होने के शक के आधार पर उसकी जानकारी लेने के लिए जासूसों की मदद ले रहे हैं। दूसरी ओर बच्चों के शादी से इंकार करने पर माता-पिता के मन में यह आशंका उत्पन्न होने लगी है कि कहीं उनका बच्चा संमलिंगी तो नहीं, इसलिए उनका रूझान भी जासूसों की तरह होने लगा है। दिल्ली स्थित एस्कान डिटेक्टिव्स प्रा. लिमिटेड के निदेशक संजय कपूर ने ''प्रैसवार्ता'' को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय उपरांत अभिभावकों में जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने बताया कि पति-पत्नी के बीच कई तरह के जासूसी के कुछ मामले पहले भी सामने आये थे, परन्तु वर्तमान में ऐसे अभिभावकों की संख्या ज्यादा है, जिनके बच्चों ने शादी से इंकार कर दिया है। अभिभावक यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके बच्चे के किसी के साथ समलैंगिक संबंध तो नहीं हैं। मुंबई स्थित ऐ.इ.सी इवेस्टिगेशन की बिजनैस हैड भारती ने ''प्रैसवार्ता'' को दूरभाष पर बताया कि संमलैगिकता की जांच के लिए प्रीमैट्रिमोनियल मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है। लड़के तथा लड़कियां अपने भावी जीवन साथी के प्रति खासी सावधानी बरत रहे हैं। अपने साथी के प्रति ऐसी जानकारी लेना भविष्य में काफी लाभांवित हो सकता है, क्योंकि बाद में परिवारिक दिक्कतें नहीं आती। भारती के अनुसार उनकी टीम पार्टियों, डिस्कों और ऐसे स्थानों पर जाकर जासूसी करते हैं और वहां से जानकारी जुटाकर ग्राहकों को उपलब्ध करवाई जाती है। पहले ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों द्वारा मादक पदार्थों के सेवन की जांच के लिए संपर्क करत थे, परन्तु अब समलैगिंक संबंधों की आशंका के चलते जांच करवाते हैं। जासूसी का यह व्यवसाय महानगरों से शुरू होकर ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचने लगा है।

डॉ. 'पाठक' को 'सरस्वती साहित्य सम्मान' मिला

जींद(प्रैसवार्ता) न्यूजपेपर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष, स्थानीय लब्ध प्रतिष्ठ, साहित्यकार, पत्रकार एवं कवि कुलाचार्य, हिन्दी साहित्य प्रेरक संस्था के पूर्व प्रधान एवं 'रवीन्द्र ज्योति' मासिक पत्रिका के सम्पादक डॉ. केवल कृष्ण पाठक को उनके सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं कला के क्षेत्र में किए गए सृजनात्मक कार्यों तथा अपने व्यक्तित्व कृतित्व से देश व समाज को गौरवान्वित करने की भावना से प्रभावित होकर सरस्वती साहित्य वाटिका श्रीराम मार्ग (खजनी) गोरखपुर (उ.प्र.) द्वारा प्रेमचंद जयंती के अवसर पर 'सरस्वती साहित्य सम्मान-2008Ó से सम्मानित किया गया। श्री रामकृपाल गुप्त 'संस्था के अध्यक्ष ने डॉ. पाठक की दीर्घायु, सबलता तथा सदासयता की कामना करते हुए उनके जीवन पर्यन्त अपने व्यक्तित्व के माध्यम से देश व समाज में समता एवं सामजस्य स्थापित करने में समर्पित रहने की कामना की। इससे पहले हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा सम्मेलन के स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित अयोध्या नगरी में सम्पत्यस्यमान अनुष्ठान एवं अखिल भारतीय विद्धत सम्मेलन में अन्न्तश्री विभूषित शंकराचार्य, ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज के कर कमलों द्वारा 'सारस्वत सम्मान' प्रदान किया गया। इस आयोजन में जींद के त्रिलोक चपल संपादक त्रिवाहिनी के साथ भरत भर से आए अन्य विद्वान साहित्यकार कवियों को भी सम्मानित किया गया। आगामी 31 अक्तूबर 2009 को पंजाब कला साहित्य अकादमी (रजि.) जालन्धर (पंजाब) के वार्षिक अधिवेशन में डॉ. पाठक को 'प्रतिष्ठाजनक विशेष अकादमी सम्मान' देने का निर्णय लिया गया है। साहित्य के प्रति आपका असीम उत्साह एवं असीम श्रद्धा का ही यह प्रतिफल है कि आपको देश के राजस्थान, बंगलोदश, छत्तीसगढ़, दिल्ली आदि भिन्न-भिन्न स्थानों से 78 अलंकारों से सम्मानित किया जा चुका है। आपको साहित्य रत्न, साहित्य मनीषी, राजभाषा मनीषी, हरियाणा रत्न, साहित्य सौरभ आदि मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया है। आपके सम्मानित होने का रथ यहीं पर नहीं रूका, अपितु अभी तक अविरल गति से चलायमान है। साहित्य सेवी संस्था उचाना में आपको 'सजग प्रहरी', श्री अंगिरा शोध संस्थान जींद ने 'संवाद रत्न' एवं साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा (राज.) ने सम्पादक शिरोमणी तथ सिरमौर कला संगम (हिमाचल प्रदेश) ने आपको डॉ. परमार पुरस्कार तथा कर्मवीर नामक उपाधियों से विभूषित किया है। सम्मान प्राप्ति पर शहर के प्रबुद्ध गणमान्य व्यक्ति दैनिक जगत क्रान्ति के महाप्रबंधक अजेय भाटिया, गंगापुत्रा टाइम्स (सांध्य दैनिक) के संपादक राजेन्द्र गुप्त, मासिक पत्रिका अंगिरापुत्र के संपादक श्री रामशरण युयुत्सु, त्रिवाहिनी त्रैमासिक के संपादक त्रिलोक चपल, हरबंस रल्हन निर्मोही, पवन कुमार उप्पल, रमेश रल्हन, राजेन्द्र मानव, बाल मुकुन्द भोला, ओ.पी. चौहान, नरेन्द्र अन्नी, बी.एन. तिवारी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ. पाठक को बधाई दी।



पद पर रहते हुए भी पार्षद, सरपंच व पंच नहीं कहला रही महिलाएं

सिरसा(प्रैसवार्ता) राज्य के जिला सिरसा की अधिकांश निर्वाचित महिला पार्षद, सरपंच व पंच विजयी होने उपरांत भी स्वयं को पार्षद, सरपंच या पंच कहलाने का गौरव प्राप्त नहीं कर सकीं, क्योंकि इनके पति, ससुर, जेठ व देवर आदि ही सरपंच, पंच व पार्षद कहलाते हैं। एकत्रित किये गये विवरण अनुसार सरकारी तथा गैर-सरकारी, राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के समारोह इत्यादि में महिलाएं पंच, सरपंच व पार्षद होने पर भी भाग नहीं लेती, बल्कि उनके परिवारजन ही भागीदारी करते हैं। महिलाएं खेतों-खलिहानों, कारखानों, अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, सरकारी कार्यालयों में मजदूर, नर्स, शिक्षक, क्लर्क व अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है, परंतु ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को राजनीतिक रूप से ऊपर उठना स्वीकार नहीं किया गया है। वर्तमान में ग्रामीण समाज का परम्परावादी समाज तथा रूढि़वादी दृष्टिकोण यह मानकर चल रहा है कि नारी जीवन की सार्थकता ममतामयी मां, आज्ञाकारी बहू, गुणवती पुत्री तथा पतिनारायण पत्नी होने में है। नारी भोजन बनाने, घर को सजाने-संवारने से लेकर बच्चों के कपड़े सिलाई करने इत्यादि सहित हर काम में निपुण हों। महिलाओं और उनके कार्यों को पुरुषों की नजर से ही देखने का परिणाम है कि पार्षद, सरपंच या पंच निर्वाचित होने उपरांत भी महिलाओं की चेतना में कोई बदलाव नहीं आया है। जिला सिरसा के शहरों, कस्बों तथा ग्रामों में चुनावी पद्धति अनुसार अनुसूचित पिछड़ी तथा जनजाति की, जो महिलाएं चुनी गई हैं, उनमें दिहाड़ी मजदूर से लेकर संपन्न परिवारों से हैं, मगर बिड़म्बना देखिये कि न तो दिहाड़ी मजदूर को पार्षद, सरपंच व पंच कहलवाने का अवसर मिला है और न ही कोई चौधराइन, पार्षद सरपंच या पंच कहलाने का गौरव प्राप्त कर पाई है। अधिकांश पार्षद, सरपंच व पंच निर्वाचित महिलाएं पूर्ववत: घर, गृहस्थी, कृषि व रोजमर्रा के अन्य कार्य जारी रखे हुए हैं तथा ज्यादातर को अपने अधिकारों तथा पंचायतीराज के नियमों बारे कोई जानकारी नहीं है। कुछ महिलाएं तो जन-प्रतिनिधि चुने जाने उपरांत भी घूंघट में रहती हैं तथा अगूंठा टेक हैं, जबकि कुछ के हस्ताक्षर या अंगूठा उसके पति, ससुर, देवर-जेठ या अन्य परिवारजन लगा देते हैं। कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि जब कोई सरकारी गैर-सरकारी या सामान्य व्यक्ति किसी महिला पार्षद, सरपंच या पंच से मिलना चाहे तो परिवारजन मिलने नहीं देते। कुछ जन-प्रतिनिधि महिलाएं जरूर सक्रिय हैं। महिला प्रतिनिधियों की इस दशा का कारण समाज में व्याप्त पुरुष प्रधान मानसिकता तो हैं, परंतु उनका निरक्षर होना भी एक मुख्य कारण है। महिला प्रतिनिधियों के इस आरोप में भी सत्यता है कि उनके परिवारजन उन्हें आगे नहीं आने देते और न ही बैठकों में जाने देते हैं। यही कारण है कि वे निरंतर पिछड़ रही हैं। उनका मानना है, कि जब तक महिला जन-प्रतिनिधि स्वयं जागृत नहीं होंगी, उनके बूते दूसरी महिलाओं में भी चेतना की आशा नहीं की जा सकती। कुछ जन-प्रतिनिधि महिलाएं पुन: चुनाव के पक्ष में नहीं है, क्योंकि विजयी होकर भी उन्हें घर की चारदीवारी तक सीमित रहना पड़ता है। पुराने विचारों के लोग विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के आगे आने के पक्षधर नहीं है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि महिलाओं का राजनीति में दखल युगों से सत्ता में स्थापित पुरुष वर्ग को हजम नहीं होता। समाज महिलाओं को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में नहीं, बल्कि उस समाज के बीच रखकर देखता है, जो पुरुषों द्वारा निर्मित है। पुरुषप्रधान समाज में नारी की भूमिका घर-परिवार तक ही सीमित है और यह माना जाता है कि नारी घर की चारदीवारी में ही शोभा देती है। महिलाएं भले ही कुछ करना चाहती हों, मगर उनके भी विवशता होती है, क्योंकि पुरुष प्रधान समाज है। इसी प्रकार से निर्वाचित होकर भी महिलाएं उन प्रतिनिधि मात्र नाक की होकर रह गई हैं।

ब्यूटी पार्लर बनते जा रहे हैं देह व्यपार के अड्डे

चंडीगढ़/दिल्ली(प्रैसवार्ता) देश की राजधानी दिल्ली, हरियाणा-पंजाब तथा चंडीगढ़ की राजधानी चंडीगढ़ में देह व्यापार माफिया ने सिर्फ दस्तक दे दी है, बल्कि अपने ठिकाने बनाने में सफल हो रहे हैं। चंडीगढ़ से दिल्ली बजरिया करनाल, पानीपत तथा दिल्ली से चंडीगढ़ इसी मार्ग से देह व्यापारियों की सप्लाई हो रही है। ''प्रैसवार्ता'' को मिली जानकारी अनुसार देह व्यापार माफिया ने पानीपत को मुख्य केन्द्र चुना है और ज्यादातर ब्यूटी पार्लरों से संपर्क स्थापित कर लिया है। कुछ ब्यूटी पार्लरों ने इस धंधे में बढ़ौत्तरी के लिए इन्फार्मर भी रखे हैं, जो घूम फिर कर ऐसी महिलाओं, लड़कियों को बहला-फुसलाकर गिरोह के लिए काम करने को तैयार करते हैं। विधवाएं, तलाकशुदा महिलाएं, गरीब परिवारों से संबंधित महिलाएं व लड़कियां देह व्यापार की तरफ रूझान करने लगी हैं-जिनमें कुछ तो मजबूर हैं, जबकि कुछ अपनी देहित भूख मिटाने के लिए इस गिरोह में शामिल हो रही हैं और ब्यूटी पार्लर उनकी पहली पसंद है। ब्यूटी पार्लर की आड़ में सैक्स रैकेट के कई मामले उजागर भी हो चुके हैं, मगर फिर भी देह व्यापार का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा, क्योंकि ज्यादातर ब्यूटी पार्लरों को रंगीन मिजाज राजनेताओं तथा सरकारी तंत्र का संरक्षण प्राप्त है। आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि दिल्ली तथा चंडीगढ़ में संपन्न घराने की महिलाएं भी क्षणिक यौन संतुष्टि के लिए न सिर्फ अपने जीवन साथी के विश्वास का हनन हैं, बल्कि देह व्यापार माफिया को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो रही हैं। सीता, मदालसा, सावित्री, अनुसूईया जैसी चरित्रवान नारियों के देश में जन्म लेने वाली आज की नारी में चरित्र का निरंतर हास होता चला जा रहा है और वर्तमान की नारी सैक्स भूख को एक आवश्यक भूख मानते हुए तथा जायका बदलने के लिए किसी भी लछमण रेखा को लांघने के लिए तैयार दिखाई देती नजर आने लगी है।

हुड्डा सरकार के सामने कई चुनौतियां

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) भले ही प्रदेश की चौधर फिर से रोहतक में रहने का गर्व जाट लैंड को मिल गया है, लेकिन मुख्यमंत्री के सामने कई नई चुनौतियां होंगी। कांग्रेस के बाहर मौजूद विपक्ष ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के भीतर विरोधी भी उन पर विकास के लिहाज से केवल रोहतक पर ध्यान देने का आरोप लगाते रहे हैं। इस छवि को सुधारने और विपक्ष और विरोधियों को खामोश करने के लिए एक बड़ी चुनौती उनके सामने प्रदेश में समान और सर्वतत्र विकास की मिसाल पेश करना रहेगी। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और उनकी बीते साल की सरकार अपने बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल में निरंतर ये दावा करती रही है कि आने वाले डेढ़ साल में प्रदेश की जनता को न केवल 24 घंटे भरपूर बिजली मिलेगी, बल्कि हरियाणा इतनी बिजली पैदा करेगा, के सरप्लस हो जाएंगे। अब इम्तिहान की घड़ी आ पहुंची है। हुड्डा सरकार पर डेढ़ साल के भीतर भरपूर बिजली पैदा करने की क्षमता हासिल करने के साथ ही सरप्लस के दावे को हकीकत में बदले का दबाव रहेगा। ये बड़ी चुनौती हुड्डा सरकार के समक्ष मुह बाए खड़ी है। महंगाई को मुद्दा बनने के चलते ही कांग्रेस को 40 पर सिमटना पड़ा। ये फौरी चुनौती भी सरकार के लिए रहेगी। राज्य में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन का ऐलान हरियाणा दिवस पर करने का वायदा प्रदेश की जनता से किया था, इस पर भी उन्हें अग्रि परीक्षा से गुजरना होगा। हरियाणा के एडवोकेट जनरल की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट पक्ष में आने के बाद हुड्डा ने इसकी घोषणा की बात कही थी। लिहाजा एक नवंबर आने में चंद दिन शेष हैं। कमेटी के गठन की घोषणा एक नवंबर को हरियाणा दिवस पर हुड्डा करते हैं या नहीं ये देखने वाली बात रहेगी। इस निर्णय का उन पर लंबे अर्से से दबाव है। हांसी बुटाना नहर में पानी लाने की चुनौती भी है। इसके अलावा बेरोजगारों की फौज नौकरियों के लिए सरकार और प्राइवेट संस्थानों की तरफ आंखें लगाए बैठी है।

किस प्रत्याशी को कहां से मिली बढ़त

निर्दलीय गोपाल कांडा विजयी- आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे गोपाल कांडा को ग्राम केलनियां (बूथ 1 व 2), सिरसा टाऊन के बूथ नं. 4, 7, 8, 12, 13, 16, 19, 19ऐ, 21, 22, 23, 25, 26, 28, 29, 30, 31, 33, 34, 35, 39, 40, 41, 44, 46, 49, 52, 53, 54, 54ऐ, 55, 56, 57, 37ऐ, 58, 59, 62, 63, 64, 65, 66, 67, 68, 69, 70, 70ऐ, 71, 71ऐ, 73, 73ऐ, कंगनपुर (75ऐ), खाजा खेड़ा (76), रामनगरिया (77), मोहम्मदपुर (78), नटार (79 तथा 80), शाहपुर बेगू (82-83), बाजेकां (85), कुसम्बी (90), जोधकां (92), डिंग (96), शेरपुरा (101-2), ताजिया खेड़ा (103)पर मतदाताओं ने बढ़त दी है- जबकि भाजपा प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा को किसी भी बूथ पर 60 का आंकड़ा मतदाताओं ने पार करने से रोक दिया।
इनैलो प्रत्याशी पदम जैन: को सिरसा टाऊन के बूथ नं. 9, 11, 12, 13ऐ, 14, 17, 17ऐ, 18, 18ऐ, 20ऐ, 24, 27, 32, 36, 37, 38, 50ऐ, 74, 74ऐ, शमशाबाद (3), बाजेकां (85-86), फूलकां (85-88), कंवरपुरा (89-89ऐ), शाहपुर बेगू (81, 81ऐ, 82ऐ), जोधकां (91), मोची वाली (94-95), डिंग (96, 97, 98, 99), नेजिया खेड़ा (105), मोडिया खेड़ा (108), धिंगतानियां (110), साहूवाला-2 (112), नारायण खेड़ा (114), कैरांवाली (115-115ऐ), नहराना (116-117) से बढ़त मिली-जबकि हजकां प्रत्याशी मेहता वीरभान सिरसा टाऊन के बूथ 47, 50, 61 पर दूसरे तथा 51 पर पहले स्थान पर रहे।
कांग्रेस प्रत्याशी लछमण दास अरोड़ा को सिरसा के बूथ नं. 5, 6, 10, 15, 16, 19ऐ, 20, 21, 24ऐ, 28, 28ऐ, 30, 39, 42, 43, 45, 46, 47, 48, 50, 60, 60ऐ, 61, 63, 69ऐ, शाहपुर बेगू (81, 81ऐ, 82, 82ऐ, 83), कुकड़थाना (100), अली मोहम्मद (104), रंगड़ी खेड़ा (106), शहीदावाली (107), चौबुर्जा (109) तथा चाडीवल (111) से बढ़त मिली। (कृप्या सरकारी नोटिफिकेशन से मिलान कर लें, क्योंकि हो सकता है, इसमें कोई त्रुटि रह गई हो- संपादक)