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26.10.09

किस प्रत्याशी को कहां से मिली बढ़त

निर्दलीय गोपाल कांडा विजयी- आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे गोपाल कांडा को ग्राम केलनियां (बूथ 1 व 2), सिरसा टाऊन के बूथ नं. 4, 7, 8, 12, 13, 16, 19, 19ऐ, 21, 22, 23, 25, 26, 28, 29, 30, 31, 33, 34, 35, 39, 40, 41, 44, 46, 49, 52, 53, 54, 54ऐ, 55, 56, 57, 37ऐ, 58, 59, 62, 63, 64, 65, 66, 67, 68, 69, 70, 70ऐ, 71, 71ऐ, 73, 73ऐ, कंगनपुर (75ऐ), खाजा खेड़ा (76), रामनगरिया (77), मोहम्मदपुर (78), नटार (79 तथा 80), शाहपुर बेगू (82-83), बाजेकां (85), कुसम्बी (90), जोधकां (92), डिंग (96), शेरपुरा (101-2), ताजिया खेड़ा (103)पर मतदाताओं ने बढ़त दी है- जबकि भाजपा प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा को किसी भी बूथ पर 60 का आंकड़ा मतदाताओं ने पार करने से रोक दिया।
इनैलो प्रत्याशी पदम जैन: को सिरसा टाऊन के बूथ नं. 9, 11, 12, 13ऐ, 14, 17, 17ऐ, 18, 18ऐ, 20ऐ, 24, 27, 32, 36, 37, 38, 50ऐ, 74, 74ऐ, शमशाबाद (3), बाजेकां (85-86), फूलकां (85-88), कंवरपुरा (89-89ऐ), शाहपुर बेगू (81, 81ऐ, 82ऐ), जोधकां (91), मोची वाली (94-95), डिंग (96, 97, 98, 99), नेजिया खेड़ा (105), मोडिया खेड़ा (108), धिंगतानियां (110), साहूवाला-2 (112), नारायण खेड़ा (114), कैरांवाली (115-115ऐ), नहराना (116-117) से बढ़त मिली-जबकि हजकां प्रत्याशी मेहता वीरभान सिरसा टाऊन के बूथ 47, 50, 61 पर दूसरे तथा 51 पर पहले स्थान पर रहे।
कांग्रेस प्रत्याशी लछमण दास अरोड़ा को सिरसा के बूथ नं. 5, 6, 10, 15, 16, 19ऐ, 20, 21, 24ऐ, 28, 28ऐ, 30, 39, 42, 43, 45, 46, 47, 48, 50, 60, 60ऐ, 61, 63, 69ऐ, शाहपुर बेगू (81, 81ऐ, 82, 82ऐ, 83), कुकड़थाना (100), अली मोहम्मद (104), रंगड़ी खेड़ा (106), शहीदावाली (107), चौबुर्जा (109) तथा चाडीवल (111) से बढ़त मिली। (कृप्या सरकारी नोटिफिकेशन से मिलान कर लें, क्योंकि हो सकता है, इसमें कोई त्रुटि रह गई हो- संपादक)

असुरक्षित नॉर्थ ईस्ट की लडकियां

आज राजधानी दिल्ली के मुनिरका इलाके में एक लड़की जिसका नाम" हैती" बताया जाता हैं उसकी जली हुई लाश मिली,लडकी नॉर्थ ईस्ट की रहने वाली थी और अपनी बहन से मिलने दिल्ली आई हुई थी|यह ख़बर महज एक ख़बर के रूप में देखी जा सकती हैं पर ज़रा इस हादसे के पीछे देखे तो क्या ऐसा नही लगता की इस तरह के हादसे (बलात्कार व हत्याए)ज्यादातर नॉर्थ ईस्ट की लड़कियों के साथ या फ़िर अल्प संख्यक लोगो के साथ ही क्यों होते हैं |

भारतवर्ष वैसे तो धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं परन्तु फ़िर भी इसमे कुछ जाति व धर्म को लेकर कुछ लोग अपने पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं जो की इस तरह की घटनाओ को न सिर्फ़ अंजाम देते हैं बल्कि इन्हे दबाने का प्रयास भी करते हैं |हैती के घर वालो को भी रिपोर्ट लिखवाने के लिए अपने समुदाय के लोगो को इकठ्ठा करना पड़ा क्यूंकि पुलिस रिपोर्ट नही लिख रही थी| जो कोई भी इस तरह की घटनाओ को अंजाम देता हैं वह अच्छी तरह जानता हैं की इस तरह की घटनाओ की रिपोर्ट पुलिस लिखेंगी नही क्यूंकि यहाँ पीड़ित या तो अल्पसंख्यक हैं या तो फ़िर नॉर्थ ईस्ट का ऐसे में ज्यादा से ज्यादा क्या होगा पहले तो केश ही नही बनेगा अगर किसी कारणवश बन भी गया तो क्या होगा जब तक केश चलेगा अपराधी को ज़मानत मिल ही जायेगी जिससे वह आजाद हो ही जाएगा और फ़िर कोई गुनाह करेगा |

पिछले एक महीने में इस तरह के कई वाकये हो चुके हैं (महिपालपुर,जामिया,मौडल टाऊन,जनपथ) जिनमे अधिकतर पीड़ित नॉर्थ ईस्ट की लड़किया ही थी कारण यह भी हैं की उन्हें आसानी से उपलब्ध यानी "ईसिली अवेलेबल"समझा जाता हैं इसका जीता जागता उदाहरण बहुचर्चित फ़िल्म "चक दे"में दिखाया गया हैं |सरकार को चाहिए की इस विषय में गंभीरता से सोचविचार कर कोई शख्त कानून बनाये जिससे यह अल्पसंख्यक व नॉर्थ ईस्ट के लोग भारत को अपना घर ही समझे अन्यथा यह लोग अपने देश में ही कही परायेपन को महसूस करने लगेगे जिसके गंभीर परिणाम हमें बाद में भुगतने पड़ेंगे|

25.10.09

लोकसंघर्ष :पाकिस्तानी कहानी

भगवान दास -4

रात आँखों में कटी। सूरज निकला। धूप पहाड़ों की चोटियों से फैलती हुई नीचे उतरने लगी। सुबह हो गयी। वे कमर कसकर बक्कल के स्थान पर पहुँच गये। वे निहायत जोशो-ख़रोश से नारे लगा रहे थे। ढोल बजा रहे थे। पगड़ियाँ उछाल रहे थे। हाथों में दबे हुए हथियारों को सरों से ऊपर उठाकर लहरा रहे थे। तरह-तरह से खून को गरमा रहे थे। अपने हौसले बुलन्द से बुलन्दतर कर रहे थे। बलूचों की युद्ध संहिता में यह मुगदर मारना था।
वे कुछ देर तक आमने-सामने खडे़ रहे। मुगदर खींचकर अपनी ताक़त और दुस्साहस का प्रदर्शन करते रहे; फिर तलवारें सूँतकर और कुल्हाड़ियाँ और दूसरे हथियार सँभालकर वे आगे बढे़ और दाढ़ियाँ दाँतों तले दबाकर भयानक गुस्से के आलम में एक-दूसरे पर टूट पडे़। तलवार तलवार से और कुल्हाडी़ कुल्हाडी़ से टकरायी। गर्द के बादल उठे। फ़िजा़ धुआँ-धुआँ हो गयी। नारे बुलन्द से बुलन्दतर होते गये। शोर बढता गया। हर तरफ़ ख़ून के छींटे उड़ने लगे।
ग़ज़ब का रन पडा़। मगर बहुत ज़्यादा ख़ून-ख़राबे की नौबत न आयी। हुआ यह कि लडा़ई शुरू होते ही एक हिन्दू चीख़ता-चिल्लाता, दुहाई देता एक ओर से प्रकट हुआ और तेजी़ से दौड़ता हुआ क़रीब पहुँच गया। उसका नाम भगवानदास था। अधेड़-उम्र था। सिर और दाढी़ के बाल खिचडी़ थे, मगर जिस्म मज़बूत था। क़द ऊँचा था। पेशे के एतबार से वह दरखान था, यानी बढ़ई होने के साथ-साथ राजगीर का काम भी करता था और पड़ोस की बस्ती कोटला शेख़ में रहता था। उसके इलावा कोटला शेख़ में हिन्दुओं के चन्द और खा़नदान भी आबाद थे जो खेती-बाडी़ करते थे, भेड़ चरवाही करते थे या भगवानदास दरखान की तरह मेहनत-मज़दूरी करते थे।
भगवानदास दरखान भाग-दौड़ करने के बाद बुरी तरह हाँफ रहा था। उसका चेहरा पसीने से सराबोर था। उसकी पगडी़ खुलकर गले में आ गयी थी। सिर के लम्बे-लम्बे बाल बिखरे हुए थे। हक्कल की इत्तिला सूरज निकलने से पहले ही उसे मिल गयी थी। इत्तिला मिलते ही वह तारों की छाँव में घर से निकल खड़ा हुआ। उसने हक्कल के मुकाम पर जल्द से जल्द पहुँचने की कोशिश की और गिरते-पड़ते समय से पहुँचने में कामयाब भी हो गया। उसने निहायत दुस्साहस और बेबाक़ी का प्रदर्शन किया। अपनी जान की बाज़ी लगाकर वह बेधड़क लड़नेवालों की पंक्तियों में घुस गया। मेढ़ करने के लिए चीख़-चीख़कर दुहाई देता रहा और उनके दरमियान चट्टान की तरह तनकर खड़ा हो गया। उसने दोनों हाथ बुलन्द किये। तलवारों और कुल्हाड़ियों के वार हाथों पर रोके। वह ज़ख़्मी हुआ और ज़ख़्मों से निढाल होकर गिर पड़ा।
उसने मार-धाड़ बन्द कराने के लिए यह हथियार आज़माया था, जिसे बलूची में मेढ़ कहा जाता है। भगवानदास दरखान हिन्दू था और चूँकि हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, लिहाज़ा मुसलमान बलूच अपनी श्रेष्ठ क़बाइली परम्परा के मुताबिक उनकी जानो-माल का इस हद तक ख़याल रखते हैं कि उनको ऐसा समझा जाता है कि किसी को म्यार बनाने के बाद उसका खून बहाना या किसी तरह की तकलीफ़ पहुँचाना बलूचों की क़बाइली आचार संहिता की दृष्टि से अत्यन्त घृणित और जवाबी कार्रवाई जैसा माना जाता है। इसलिए भगवानदास दरखान की कोशिश और दुस्साहस सनकियों-सा साबित हुआ। हंगामा करने वाले ठण्डे पड़ गये। उठे हुए हाथ रुक गये। जो जहाँ था, वहीं रुक गया। लड़ाई फ़ौरन बन्द हो गयी। वैसे ही मेढ़ के लिए उस हिन्दू दरखान के अलावा अगर कोई सैयदज़ादा क़ुरान शरीफ़ उठाये साक्षात् फ़रीकै़न के दरमियान आ जाता या क़बीलों की चन्द बूढ़ियाँ सिर खोले, बाल बिखराये, गले में चादर डाले ठीक लड़ाई के दौरान रणभूमि में पहुँच जातीं, तो उनके सम्मान में भी लड़ाई बन्द करने का ऐलान कर दिया जाता।
मेढ़ की दृष्टि से तात्कालिक ढंग पर जं़ग बन्द हो गयी। भगवानदास दरखान की फ़ौरी तौर पर मरहम पट्टी की गयी और उसे कोटला शेख़ पहुँचा दिया गया। रस्तमानी और मस्दानी शूरवीर भी अपने-अपने ज़ख़्म लिए चले गये। मगर उनके चेहरों पर अभी तक भयानक क्रोध छाया हुआ था। आँखें शिकार पर झपटनेवाले बाज़ की तरह चमक रही थीं। ख़ून खौल रहा था। शूरवीरों का जोश सवा नैजे़ पर था। दोनों तरफ़ खींचातानी और ग़मो-गुस्सा का वातावरण था। उस वक़्त सूरते हाल निहायत संगीन हो गयी, जब तीसरे रोज़ सूरज डूबने से कुछ देर पहले मस्दानी क़बीले का एक ज़ख़्मी चल बसा। मृतक के घर में कुहराम मच गया। उसके भाइयों और क़बीले के दूसरे लोगों के सीनों में बदले की आग शिद्दत से भड़क उठी और मस्सत करने यानी ख़ून के बदले ख़ून की तैयारियाँ जा़ोर-शोर से होने लगीं। बदले की ऐसी कार्रवाई को लस्टदबीर कहा जाता है।
रस्तमानियों को जब उस लस्टदबीर का पता चला, तो उधर भी लोहा गरम हुआ। मरने-मारने की तैयारियाँ शुरू कर दी गईं। फ़ौरन डाह का बन्दोबस्त किया गया। इसके लिए यह तरीक़ा अपनाया गया कि एक ऐसे शख़्स को डाहडोक मुकर्रर किया गया, जिसका ताल्लुक़ एक तटस्थ क़बीले से था। डाहडोक क़द्दावर जवान था और मँझा हुआ ढोलकिया था। दिन चढ़े वह गले में ढोल डालकर निकला और ढोल बजाकर हर तरफ़ मुनादी करने लगा। वह पहले तड़ातड़ कई बार ढोल पर तमची से चोट लगाता और फिर बायाँ हाथ झटककर ख़ास अन्दाज़ में इस तरह थाप देता, जिसका स्पष्ट भाव यह था कि लड़ाई का ख़तरा सरों पर मँडरा रहा है। रणभेरी बजने वाली है। वह दिन ढले तक इसी तरह फ़रीकै़न को ख़बरदार करता रहा।



-शौकत सिद्दीक़ी


सुमन
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जारी

कैंटर से सोलह भैंसों को मुक्त कराया, तीन गिरतार

जींद (हरियाणा)
गढ़ी थाना पुलिस ने गांव पीपलथा के निकट शनिवार रात को पंजाब से उार प्रदेश स्थित बूचड़खाने ले जाए जा रहे भैंसों से भरे एक कैंटर से १६ भैंसों को मुक्त कराया है। पुलिस ने कैंटर सवार तीन लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरतार किया है। उधर, गांव मुआना के निकट पशु तस्कर पशुओं से भरे ट्रक को छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने ट्रक से १८ पशुओं को मुक्त कराया है।
गढ़ी थाना पुलिस शनिवार रात को गांव पीपलथा के निकट नाका लगाए हुए थी। उसी समय पंजाब की तरफ से एक कैंटर आता दिखाई दिया। नाके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने इशारा कर कैंटर को रूकवा लिया। कैंटर की तलाशी लिए जाने पर उसमें १६ भैंसों को ठूंसठूंस कर भरा हुआ था। जिसके कारण अधिकांश भैंसों की दशा दयनीय हो चुकी थी। पुलिस पूछताछ में कैंटर सवार लोगों की पहचान गांव पिसोल (उार प्रदेश) निवासी दीपा, मुजफरनगर (उार प्रदेश) निवासी इजहार, अंताज के रूप में हुई। पुलिस ने कैंटर को कजे में ले तीनों लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। उधर, गांव मुआना के निकट शनिवार रात को ग्रामीणों ने पशुओं से भरे एक ट्रक को काबू कर पुलिस के हवाले कर दिया। ग्रामीणों द्वारा नाकेबंदी की सूचना पाकर ट्रक सवार पशु तस्कर ट्रक को छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने ट्रक से बारह भैंस, एक भैंसा, एक बछड़ी तथा दो कटड़ों को मुक्त कराया है।

जोनल यूथ फेस्टीवल में डीएन हिसार कालेज ऑवर आल विजेता





जींद (हरियाणा)
राजकीय खातकाोर महाविनालय में चल रहा तीन दिवसीय कुरूक्षेत्र विश्र्वविनालय के हिसार जोन का जोनल यूथ फेस्टीवल रविवार को संपन्न हुआ। प्रतियोगिता में आल अवर ट्राफी पर हिसार के डीएन महाविनालय ने कजा जमाया। पूरी प्रतियोगिता में हिसार जिले से संबंधित महाविनालयों के छात्र छाए रहे। विजेता प्रतिभागियों को हिसार के आयुक्त बिमल चंद्रा ने पुरस्कृत किया।
प्रतियोगिता के अंतिम दिन कार्यक्रमों का शुभारंभ हरियाणवी लोकगीत के साथ हुआ। जिसमें डीएन कालेज हिसार प्रथम तथा राजकीय महिला महाविनालय हिसार ने द्वितीय स्थान प्राप्प्त किया। वेस्टर्न इंस्टूमेंट सोलो में सीआएम जाट कालेज हिसार प्रथम, राजकीय महाविनालय हिसार द्वितीय, वेस्ट्रन सोलो वॉकल में डीएन कालेज हिसार प्रथम, सीआरएम जाट कालेज हिसार द्वितीय, ग्रुप सॉग वेस्ट्रन में सीआरएम जाट कालेज हिसार प्रथम, डीएन कालेज हिसार द्वितीय, पॉप सॉग हरियाणवी में राजकीय महाविनालय हिसार प्रथम, डीएन कालेज तथा सीआरएम जाट कालेज हिसार ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। सोलो डांस हरियाणवी में सीआरएम जाट कालेज हिसार प्रथम, राजकीय महाविनालय हिसार, राजीव गांधी कालेज उचाना द्वितीय, सोलो डांस हरियाणवी पुरूष में डीएन कालेज हिसार प्रथम, सीआरएमए जाट कालेज हिसार तथा राजकीय महाविनालय जींद द्वितीय रहा।
हरियाणवी आर्केस्टरा में राजकीय महाविनालय हिसार प्रथम, राजकीय महाविनालय जींद द्वितीय रहा। फॉक इंस्टूमैंट हरियाणवी में राजकीय महाविनालय हिसार प्रथम, राजकीय महाविनालय जींद द्वितीय, हरियाणवी गजल में डीएन कालेज हिसार प्रथम, सीआरएम जाट कालेज द्वितीय, माइम में सीआरएम जाट हिसार प्रथम, एफसी कालेज हिसार द्वितीय रहा।

बलात्कार : आखिर दोषी कौन....?

बलात्कार पीड़िता को टार्चर करने की बजाए हौंसला बढाए
पिछले काफी दिनों से आए दिन कोई न कोई घटना समाचार पत्रों के माध्यम से यह पढने को मिलती है कि 'नाबालिग लड़की से बलात्कार!' लोकलाज की धज्जियां उड़ाते हुए हर रिश्ते को तार तार कर हवस के भूखे भेड़िये बलात्कार की घटना को अंजाम देते हैं। पहले सुनने को मिलता था कि युवक ने नाबालिग लड़की से बलात्कार किया। लेकिन धीरव्धीरव् हर रिश्ते तार तार होते गए और धर्मभाई, सगे भाई, ज्येठ, ससुर द्वारा और यहां तक की अब सुनने को यह भी मिल रहा है कि チाुद लड़की के पिता ने अपनी क्ख् वर्ष् की बेटी के साथ ही इस बुरव् कार्य को अंजाम दे डाला। इन बदलती परिस्थितियों के लिए आखिर जिमेवार कौन है॥? इस तरह की घटनाएं आज आम बात होती जा रही है। इन तरह बलात्कार की शिकार पीड़िता को यदि समाज ताने देने लगे तो वह पीड़िता या कर सकती है। या वह पिछली बातों को भुलाकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करव्गी.....? वास्तविकता में देखा गया है कि जब कोई भी बलात्कारी पीड़ित महिला अपनी इस सच्चाई को जब अपने सगे सबंधियों या अपने पति के समक्ष बयान करती है तो यह सच्चाई उसके लिए एक अभिषप बन जाती है, योंकि समाज में जहां सच्चाई को आगे लाने की बात करने वाले समाज के लोग ही जब इस सच्चाई को जान लेते हैं तो वह उस पीड़ित महिला से घृणा करने लगते हैं एवं उसे ही दोष्ी मानने लगते हैं, जबकि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले हवस के भेड़िये खुले आम घुमते रहते हैं और न ही उन्हें समाज एवं कानून का डर होता है। या बलात्कार पीड़ित महिलाएं अपने पर बीती घटना को समाज एवं सगे सबंधियों के सामने रख पाएगी। अगर रख पाएगी तो समाज एवं सगे सबंधी उसे सांत्वना देंगे या अब तक की चली आ रही टार्चरप्रथा के अनुसार टार्चर करते रहेंगे। समाज के लोगों को समाज में बड़ी बड़ी बाते करने के साथ साथ उन्हें अमल में भी लाना जरुरी होता है योंकि समाज के ठेकेदार समारोह में बड़ी बड़ी बाते करने से पीछे नही हटते और जब सामना करने की बात आती है तो वे उतने ही पीछे हट जाते हैं।
समाज के इन ठेकेदारों की वजह से ही बलात्कार पीड़ित महिलाएं अपने साथ घटी घटना को समाज के समक्ष बयान कर पाती है जिससे दोष्ी खुले आम घुमते रहते हैं। काश! वह ऐसा कर पाए लेकिन कुछ पीड़िता ऐसा करने की बजाय अपने आप को मौत के हवाले कर देती है। यदि किसी लड़की के साथ बलात्कार होता है तो या वह लड़की チाुद इस घटना के लिए जिमेदार होती है? लेकिन आजकल के समाज में लोग पढेलिखे होने के बावजूद इस बात को भूलकर उल्टा पीड़िता पर ही कटाक्ष करते हैं व आत्महत्या के लिए मजबूर करते हैं। बीते दिनों एक बात सुनने को मिली थी कि एक लड़की के साथ उसके धर्मभाई ने रिश्ते की आड़ में बलात्कार किया। बलात्कार की घटना के बाद लोकलाज के भय से उसने किसी को बताना उचित नही समझा लेकिन इसी का फायदा उठाते हुए उक्त युवक ने दोबारा उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की लेकिन उसका प्रयास असफल हो गया।
कुछ दिनों के बाद उक्त युवती की शादी कर दी गई। शादी के बाद युवती ने अपने पति से बात को छुपाना उचित नही समझा और उसने सच्चे दिल से अपनी आपबीती की पूरी व्यथा अपने पति को कह सुनाई। पत्नी ने सोचा कि उसका पति उसे माफ कर देगा लेकिन मामला कुछ उलट ही हुआ। पति ने पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करना शुरु कर दिया और बात बात पर उसकी पिछली घटना के लिए कटाक्ष करने लगा। बातबात पर तानें देने लगा जिस पर विवाहिता काफी दुखी रहने लगी। युवती ने जिस बात को अपने लिए भूल जाना बेहतर समझा था उसी बात को बारबार उसे याद दिलाए जाने लगा तथा उसे टार्चर किए जाने लगा। आखिरकार युवती को कुछ कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। या वो समाज के तानों से लड़ पाएगी या फिर मजबूर होकर अपने आप को मौत के हवाले कर देगी। यदि वह समाज से लड़ने की ठान लेती है तो उसे सहारा देने के लिए आगे कौन आएगा, योंकि स्वयं उसका पति ही उसे ताने देने लगता है। और यदि वह आत्महत्या कर लेती है तो उसका जिमेदार कौन होगा? या वह आरोपी जिसने उसकी जिंदगी को तबाह किया.... या फिर उसका पति जिसने अपनी पत्नी का हौंसला बढाने की बजाय उसे टार्चर किया जिसलिए वह आत्महत्या को मजबूर है। इसी तरह न जाने ऐसी कितनी युवतियां है जिनकी जिंदगी तो तबाह हो जाती है लेकिन उसकी जिंदगी तबाह करने वाले भेड़िये खुलेआम घुमते हैं। या आखिर उन्हें ताने देने वाला कोई नही है या किसी की हिमत नही है। इस तरह की घटनाओं में समाज के लोगों को चाहिए कि पीड़िता की हिमत बढानी चाहिए न कि उसे ताने देने चाहिए जिससे वह किसी प्रकार का गलत कदम उठाने पर मजबूर हो।
इस तरह की यह घटना ही नही प्रदेश में अनेकों घटनाएं होती है। इसका सबंध किसी व्यक्ति विशेष् से नही है।
प्रस्तुति : प्रदीप धानियां
Mob. 92559-59074

हरियाणा के अबतक के मुख्यमंत्री

चंडीगढ(प्रैसवार्ता) हरियाणा गठन उपरांत अबतक बने राज्य के मुख्यमंत्रियों और उनका कार्यकाल विवरण निम्र प्रकार से है:-
(1) पं. भगवत दयाल 01-11-66 से 10-03-67
(2) पं. भगवत दयाल 10-03-67 से 23-03-67
(3) राव वीरेन्द्र सिंह 24-03-67 से 15-07-67
(4) राव वीरेन्द्र सिंह 15-07-67 से 24-11-67
(5) राष्ट्रपति शासन 21-11-67 से 21-05-68
(6) बंसी लाल 21-05-68 से 14-03-72
(7) बंसी लाल 14-03-72 से 01-12-75
(8) बनारसी दास गुप्ता 01-12-75 से 29-04-77
(9) राष्ट्रपति शासन 30-04-77 से 21-06-77,
(10) देवीलाल 21-06-77 से 28-06-79
(11) भजनलाल 28-06-79 से 23-05-82
(12) भजन लाल 23-05-82 से 04-06-86
(13) बंसी लाल 05-06-86 से 20-06-87
(14) देवीलाल 20-06-87 से 02-12-89
(15) ओम प्रकाश चौटाला 02-12-89 से 23-05-90
(16) बनारसी दास गुप्ता 23-05-90 से 11-07-90
(17) ओम प्रकाश चौटाला 11-07-90 से 17-07-90
(18) मा. हुक्म सिंह 17-07-90 से 22-03-91
(19) ओम प्रकाश चौटाला 22-03-91 से 05-04-91
(20) राष्ट्रपति शासन 06-04-91 से 22-06-91
(21) भजन लाल 23-06-91 से 10-05-96
(22) बंसीलाल 11-05-96 से 22-07-99
(23) ओम प्रकाश चौटाला 24-07-99 से 01-03-2000
(24) ओम प्रकाश चौटाला 02-03-2000 से 05-03-2005
(25) भुपेंद्र सिंह हुड्डा 05-03-2005 से 25-03-2009
(26) भुपेंद्र सिंह हुड्डा 25-03-2009 से .................