बलात्कार पीड़िता को टार्चर करने की बजाए हौंसला बढाए
पिछले काफी दिनों से आए दिन कोई न कोई घटना समाचार पत्रों के माध्यम से यह पढने को मिलती है कि 'नाबालिग लड़की से बलात्कार!' लोकलाज की धज्जियां उड़ाते हुए हर रिश्ते को तार तार कर हवस के भूखे भेड़िये बलात्कार की घटना को अंजाम देते हैं। पहले सुनने को मिलता था कि युवक ने नाबालिग लड़की से बलात्कार किया। लेकिन धीरव्धीरव् हर रिश्ते तार तार होते गए और धर्मभाई, सगे भाई, ज्येठ, ससुर द्वारा और यहां तक की अब सुनने को यह भी मिल रहा है कि チाुद लड़की के पिता ने अपनी क्ख् वर्ष् की बेटी के साथ ही इस बुरव् कार्य को अंजाम दे डाला। इन बदलती परिस्थितियों के लिए आखिर जिमेवार कौन है॥? इस तरह की घटनाएं आज आम बात होती जा रही है। इन तरह बलात्कार की शिकार पीड़िता को यदि समाज ताने देने लगे तो वह पीड़िता या कर सकती है। या वह पिछली बातों को भुलाकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करव्गी.....? वास्तविकता में देखा गया है कि जब कोई भी बलात्कारी पीड़ित महिला अपनी इस सच्चाई को जब अपने सगे सबंधियों या अपने पति के समक्ष बयान करती है तो यह सच्चाई उसके लिए एक अभिषप बन जाती है, योंकि समाज में जहां सच्चाई को आगे लाने की बात करने वाले समाज के लोग ही जब इस सच्चाई को जान लेते हैं तो वह उस पीड़ित महिला से घृणा करने लगते हैं एवं उसे ही दोष्ी मानने लगते हैं, जबकि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले हवस के भेड़िये खुले आम घुमते रहते हैं और न ही उन्हें समाज एवं कानून का डर होता है। या बलात्कार पीड़ित महिलाएं अपने पर बीती घटना को समाज एवं सगे सबंधियों के सामने रख पाएगी। अगर रख पाएगी तो समाज एवं सगे सबंधी उसे सांत्वना देंगे या अब तक की चली आ रही टार्चरप्रथा के अनुसार टार्चर करते रहेंगे। समाज के लोगों को समाज में बड़ी बड़ी बाते करने के साथ साथ उन्हें अमल में भी लाना जरुरी होता है योंकि समाज के ठेकेदार समारोह में बड़ी बड़ी बाते करने से पीछे नही हटते और जब सामना करने की बात आती है तो वे उतने ही पीछे हट जाते हैं।
समाज के इन ठेकेदारों की वजह से ही बलात्कार पीड़ित महिलाएं अपने साथ घटी घटना को समाज के समक्ष बयान कर पाती है जिससे दोष्ी खुले आम घुमते रहते हैं। काश! वह ऐसा कर पाए लेकिन कुछ पीड़िता ऐसा करने की बजाय अपने आप को मौत के हवाले कर देती है। यदि किसी लड़की के साथ बलात्कार होता है तो या वह लड़की チाुद इस घटना के लिए जिमेदार होती है? लेकिन आजकल के समाज में लोग पढेलिखे होने के बावजूद इस बात को भूलकर उल्टा पीड़िता पर ही कटाक्ष करते हैं व आत्महत्या के लिए मजबूर करते हैं। बीते दिनों एक बात सुनने को मिली थी कि एक लड़की के साथ उसके धर्मभाई ने रिश्ते की आड़ में बलात्कार किया। बलात्कार की घटना के बाद लोकलाज के भय से उसने किसी को बताना उचित नही समझा लेकिन इसी का फायदा उठाते हुए उक्त युवक ने दोबारा उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की लेकिन उसका प्रयास असफल हो गया।
कुछ दिनों के बाद उक्त युवती की शादी कर दी गई। शादी के बाद युवती ने अपने पति से बात को छुपाना उचित नही समझा और उसने सच्चे दिल से अपनी आपबीती की पूरी व्यथा अपने पति को कह सुनाई। पत्नी ने सोचा कि उसका पति उसे माफ कर देगा लेकिन मामला कुछ उलट ही हुआ। पति ने पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करना शुरु कर दिया और बात बात पर उसकी पिछली घटना के लिए कटाक्ष करने लगा। बातबात पर तानें देने लगा जिस पर विवाहिता काफी दुखी रहने लगी। युवती ने जिस बात को अपने लिए भूल जाना बेहतर समझा था उसी बात को बारबार उसे याद दिलाए जाने लगा तथा उसे टार्चर किए जाने लगा। आखिरकार युवती को कुछ कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। या वो समाज के तानों से लड़ पाएगी या फिर मजबूर होकर अपने आप को मौत के हवाले कर देगी। यदि वह समाज से लड़ने की ठान लेती है तो उसे सहारा देने के लिए आगे कौन आएगा, योंकि स्वयं उसका पति ही उसे ताने देने लगता है। और यदि वह आत्महत्या कर लेती है तो उसका जिमेदार कौन होगा? या वह आरोपी जिसने उसकी जिंदगी को तबाह किया.... या फिर उसका पति जिसने अपनी पत्नी का हौंसला बढाने की बजाय उसे टार्चर किया जिसलिए वह आत्महत्या को मजबूर है। इसी तरह न जाने ऐसी कितनी युवतियां है जिनकी जिंदगी तो तबाह हो जाती है लेकिन उसकी जिंदगी तबाह करने वाले भेड़िये खुलेआम घुमते हैं। या आखिर उन्हें ताने देने वाला कोई नही है या किसी की हिमत नही है। इस तरह की घटनाओं में समाज के लोगों को चाहिए कि पीड़िता की हिमत बढानी चाहिए न कि उसे ताने देने चाहिए जिससे वह किसी प्रकार का गलत कदम उठाने पर मजबूर हो।
इस तरह की यह घटना ही नही प्रदेश में अनेकों घटनाएं होती है। इसका सबंध किसी व्यक्ति विशेष् से नही है।
प्रस्तुति : प्रदीप धानियां
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