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24.10.09

लो क सं घ र्ष !: पाकिस्तानी कहानी

भगवान दास दरखान - 3

यह बरसाती पानी आन की आन में उफान और सैलाब की सूरत इख़्तियार कर लेता है। तेज़ और तीखे रेले में मुसाफ़िरों से भरी हुई बसें बह जाती हैं। फ़सलें बरबाद हो जाती हैं। इन्सान और मवेशी बह जाते हैं। पत्थर, मिट्टी और घास-फूस के बने हुए मकान ढह जाते हैं। हर तरफ़ जल थल हो जाता है। तबाही और बरबादी का बाज़ार गर्म हो जाता है। यही पानी, जो पहाड़ों और उसके दामन में बसने वालों के लिए रहमत का पानी बन सकता है, ज़हमत और मुसीबत बन जाता है।
लेकिन वे जगहें जहाँ रूदकोहियाँ मौजूद हैं, इस तबाही से महफूज़ रहती हैं। उन जगहों पर पानी के तेज़ बहाव का रुख़ मोड़ने के लिए ढलवान पर जगह-जगह मिट्टी और पत्थरों के मजबूत और ऊँचे-ऊँचे पुश्ते बनाये गये हैं। इस तरह बारिश का पानी छोटी-बड़ी नालियों से बहकर उस ज़मीन को जलमग्न करता है, जिस पर खेती-बाड़ी होती है। मगर ऐसी बारानी ज़मीन पर आमतौर पर सिर्फ़ एक फ़सल होती है, जिसमें मक्की के इलावा ज्वार और बाज़रा पैदा होते हैं।
ऐसी रूदकोहियाँ (जल संग्रह का एक तरीक़ा) पहाड़ियों की तलहटी में जगह-जगह देखने में आती हैं। लेकिन झगड़ेवाली रूदकोही इस से भिन्न थी, ज्यादा उपयोगी और देर तक काम आने वाली। अपनी नौइयत और उपयोगिता के ऐतबार से वह एक छोटे से बाँध की तरह थी। उसका निर्माण इस तरह किया गया था कि बारिश के पानी की तेज़ धारा पुश्तों से टकराकर जब अपना रास्ता बदलती, तो नालियों से गुज़रती हुई ढलान के उस तरफ़ बहकर जाती, जहाँ ज़मीन खोदकर पानी का ज़ख़ीरा करने का निहायत मुनासिब इन्तज़ाम था। पानी का यह ज़ख़ीरा ज़मीन की सतह से कुछ बुलन्दी पर था और उसका हिस्सा एक विस्तृत गुफा के अन्दर दूर-दूर तक फैला हुआ था।
पानी का यह ज़ख़ीरा, जिसे स्थानीय बोली में खड्ड कहा जाता है, पहाड़ी चट्टानों के सख़्त और बड़े-बड़े पत्थर तोड़-फोड़कर निहायत जी तोड़ मेहनत से बनाया गया था, ताकि गर्मी के मौसम में पानी सुरक्षित रहे। खड्ड का पानी आम घरेलू इस्तेमाल के भी काम आता था। खड्ड से खेतों की सिंचाई करने के लिए जो नहरें और नालियाँ बनायी गयी थीं, वे ख़रीफ के इलावा कभी-कभी रबी की फ़सल की काश्त के वास्ते भी पानी मुहैया कराती थीं।
फ़रीकै़न (वादी-प्रतिवादी) का ताल्लुक़ तमन मज़ारी के रस्तमानी और मस्दानी क़बीलों से था। वे सुलेमान पहाड़ की दक्षिणी तलहटी में खेती-बाड़ी के साथ-साथ भेड़ चरवाही भी करते थे। साँझी रूदकोही से अपने खेतों को पानी देते थे। यह इलाका बलूचिस्तान के बुक्ती क़बीलों के निवास स्थान, डेरा बुक्ती से लगा हुआ है, जो शहज़ोर ख़ाँ मज़ारी की एक बलूच बीबी को बाप की तरफ़ से विरासत में मिला था। इसलिए अब वह उस जागीर में शामिल था।
पानी के बँटवारे का झगड़ा बढ़कर धीरे-धीरे रस्तमानियों और मस्दानियों के दरमियान पुरानी क़बाइली दुश्मनी की शक्ल अख्ति़यार करता गया। बदले की कार्रवाई के तौर पर मवेशी उठा लिये जाते, फ़सलों को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश की जाती, रात केे अँधेरे में चोरी-छिपे पानी के बहाव का रुख़ मोड़ दिया जाता, ज़ख़ीरा यानी खड्ड के मुँह से रुकावटें हटा दी जातीं और अपने खेतों को ज़्यादा से ज़्यादा जलमग्न करने की गऱज़ से पानी की चोरी की जाती।
कई बार लड़ाई-झगड़े हुए, मगर पिछले हफ़्ते ज़बरदस्त हथियारबन्द मुठभेड़़ हुए। मुठभेड़ से पहले बाकायदा विरोधी फ़रीक़ को ललकारकर ख़बरदार किया गया था कि वह पूरी तैयारी के साथ मुक़ाबले पर आयें। इसलिए फ़रीकैन ने अपने-अपने क़बीले से जं़ग-आज़माओं और सूरमाओं को इकट्ठा किया, रात भर जागते रहे। सलाह-मशवरा करते रहे। अपनी और दुश्मन की ताक़त और असलहों का अन्दाज़ लगाते रहे और उसकी रौशनी में प्रभावशाली जं़गी कार्रवाई करने के मंसूबे बनाते रहे।
-शौकत सिद्दीक़ी

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

लोकसंघर्ष पत्रिका में शीघ्र प्रकाशित

.....जारी ......*

अजब अनोखी वसीयते

वसीयत करना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। इसके द्वारा वह अपनी मृत्यु के पश्चात जिसे चाहे उसे अपनी संपति का वारिस घोषित कर सकता है अथवा अपनी संपति वितरण कर सकता है। आम तौर पर व्यक्ति संतान, सगे संबंधियों या अनाथालयों को अथवा धार्मिक संस्थाओं को अपनी संपति देता है। संसार में कुद ऐसे लोग भी हुए हैं, जिन्होंने अजब अनोखी वसीयतें कर सबको अचरज में डाल दिया है। ऐसी व्यक्ति उसकी मृत्यु के समय सबसे ज्यादा हंसे, उसे संपति का चेयरमैन नियुक्त किया जाये, और जो रोए उसे कुछ न दिया जाए। टेक्सास के विल्सन ने अपनी वसीयत के प्रति संदेह दूर करने के लिए उसे अपनी पीठ पर ही गुदवा लिया था। दाढी मूंछों से घृणा करने वाले लंदन के एक फर्नीचर व्यापारी ने अपनी वसीयत में सारी संपति उन कारीगरों के नाम लिख दी, जिनकी दाढी मूंछे सफाचट हो। अमरीका के एंडरसन को बिल्लियां बड़ी प्रिय थी। उनके पास 17 बिल्लियां एवं 3 बिल्ले थे। जब उनकी मृत्यु के बाद 12 दिसंबर 1990 को उनकी वसीयत पढ़ी गई तो तीनों बिल्लों को 11-11 लाख डालर तथा 17 बिल्लियों को 6-6 लाख डालर मिलें। कुल संपति थी, 135 लाख डालर। जब वसीयत पढ़ी गई तो एंडरसन के सभी रिश्तेदार मौजूद थे। पुत्र एलिस की तो इस सदमे से मौत हो गई कि उसके पिता ने उसके लिए फूटी कौड़ी तक नहीं छोड़ी थी। फ्रांस की मदाम क्लरा ने अपनी वसीयत में अपनी सारी जायदाद उस व्यक्ति के नाम कर दी, जो मंगल ग्रह से आने वाला पहला आदमी हो। देखना यह है कि क्या कोई दावेदार कभी मंगल ग्रह से पृथ्वी पर आएगा? फिनलेण्डके फैडरिक रिचर्ड ने अपनी सारी संपति शैतान यानि भूत के नाम कर दी। जब काफी अर्से तक किसी भूत ने दावा पेश नहीं किया, तो सरकार ने सारी जायदाद अपने कब्जे में ले ली। फ्रांस के एक सौंदर्य प्रेम ने अपनी सारी संपति उन महिलाओं के नाम लिख दी, जिनकी आंखों, नाक, होठ और बाल सुंदर हों। स्कॉटलैंड के एक उद्योगपति ने अपनी संपति अपनी संपति के वजन के मुताबिक संपति का बटवारा किया गया अधिक वजन, अधिक संपति। कम वजन, कम संपति। इससे मोटो की किस्मत खुल गई और दुबला का बेडा गर्ग हो गया। इटली के विख्यात पशु चिकित्सक बारोमोलिया को भेड़ों से बड़ा लगाव था। वे उन्हें अपने बंगले में बड़े ही ठाठ में रखते थे। उनके पास 135 भेड़ें थी। उन्होंने अपनी कुल संपति का आधा हिस्सा यानी 14 लाख लीरा इन भेड़ों को समर्पित कर दिया था, ताकि उनके बाद उनकी भेड़ों को किसी प्रकार का अभाव न हो। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में वल्डेकर नामक एक फोटाग्राफर थे, जिन्हें गायों से विशेष प्रेम था असहाय बीमार गायों को देख उनका मन बहुत दुखी होता था। वे ऐसी गायों की प्रभावी मुद्रा में फोटो खींचते और उनकी बिक्री से प्राप्त राशि को अलग रखते थे। 18 नवम्बर 1983 को जब उनकी मृत्यु हुई और उसके बाद उनकी वसीयत पढ़ी गई, तो उसमें लिखा था कि गायों के चित्रों से प्राप्त राशि, जो कोपनहेगन के एक बैंक में जमा है, ऐ एक गौ शाला बनाई जाए, जहां बीमार वृद्ध एवं बेसहारा गायों की परवरिश की जाए। उनकी यह राशि 19 लाख क्रोन (डेनमार्क की मुद्रा) थी। आस्ट्रेलिया के जैम्स मूर एक बड़ी दूध डेरी के मालिक थे। उनकी मृत्यु 23जुलाई 1988 को हुई। 24 जुलाई को उसकी वसीयत पढ़ी गई। उनकी कुल पूंजी कंगारूओं के कल्याण पर खर्च करने की वसीयत की थी। लंदन के एक कारीगर केवेन्टर की मोटर साइकिल से एक गिलहरी मर गई। उसे इसका बेहद अफसोस हुआ उसने अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी सारी संपति गिलहरियों के लिए है और उससे उनके दाना-पानी की व्यवस्था की जाए। अंधेरे से नफरत और उजाले से प्यार करने वाले जर्मनी के एक डॉक्टर ने मृत्यु के बाद उसके ताबूत में बारीक जालियां लगाई गई तथा कुछ जलती हुई मोमबत्तियां भी रखी गई। युगोस्लाविया के एक पियक्कड़ व्यापारी ने अपनी वसीयत में लिखा कि वह जो संपति छोड़े जा रहा है, उससे प्रतिदिन उसकी कब्र को शराब से धोया जाए और वर्ष में एक दिन (उसके मरने की तिथि) शहर भर में सभी शराबियों को कब्र के पास बैठकर मनचाही शराब पिलाई जाए। स्विट्जरलैंड के एक इंजीनियर जैकीस चिकार्ड ने काफी धन कमाया। उसकी वसीयत कुल संपति 17 लाख फ्रेंस थी। उसने अपनी वसीयत में कहा था कि इनसे पशु अस्पताल खोला जाए, जहां घायल पशुओं की नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था हो। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में एक कपड़ा व्यवसायी थे, रामनिवास चौधरी। फरवरी 1982 में उनकी मृत्यु हुई। उन्होंने अपनी सारी जायदाद बंदरों के नाम कर दी थी। उनकी संपति थी 3 लाख 17 हजार रुपए। हेनलिन, जर्मनी के विख्यात करोड़पति आर्थर एवमैन ने अपनी सारी धन दौलत उन लोगों के नाम कर दी, उसकी शवयात्रा (अंतिम संसकार) में शामिल होंगे। साहित्यकार की सनक के तो क्या कहने! वोरिया के विख्यात साहित्यकार कांग जुफूसोल ने काफी दौलत अर्जित की थी। उसने अपनी वसीयत में लिखा कि जो कोई उसकी याद में राजधानी में 1500 मीटर टावर बनाएगा, उसी को सारी संपति मिलेगी, लेकिन साहित्यकार की वसीयत धरी रह गई, क्योंकि कोई भी इतना ऊंचा टावन बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ। अंत में सरकार ने उसकी संपति अपने कब्जे में ले ली। भिखारी भी भला वसीयत करते है? क्यों नहीं, उनके पास अथाह धन हो, तो अवश्य कर सकते है। इग्लैंड के कैनन हैरी ने भीख मांग काफी धन इक_ा किया और सारी संपति भिखारियों के मनोरंजन के लिए कर दी। निक एकाडे के पास डोली नामक कुत्ता था, जो हर समय उसके साथ रहता था। जब 18 जून 1991 में उसकी मृत्यु हो गई उसकी वसीयत पढ़ी तो, घर वालों के पैरों तले से जमीन खिसक गई। 35 लाख डालर की सारी संपति वे अपने प्रिय कुत्ते के नाम कर गए थे। यही नही वे यह भी लिख गये थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी बीवी व बच्चों को उनके मान से बेदखल कर दिया जाए तथा उस भवन में कुत्तों के लिए अनाथालय बनाया जाए, जिसमें अवारा कुत्तों की परवरिश की जाए। वरमोट अमरीका की श्रीमती जीन कोर हजो एक डिपार्टमैंटल स्टोर की संचालिका थी। 8 दिसंबर 1987 को स्वर्ग सिधार गई। उसकी मृत्यु के बाद उसकी वसीयत पढ़ी गई, तो संपति का बंटवारा कुछ इस तरह था। 15 लाख डालर पूसी, रूबू और खोसी नामक तीन बिल्लियों के लिए, 7 लाख डालर कबूतरों के लिए तथा 3 लाख चिडिय़ों के लिए। -मनमोहित ग्रोवर, प्रैसवार्ता

ग्रामीण न्यायालय बनेगा रानियां में

रानियां(प्रैसवार्ता) पंजाब एवं उच्च न्यायालय ने सिरसा जिला की रानियां तथा करूक्षेत्र जिला के शाहबाद को ग्रामीण न्यायालय के लिए चुना है। प्रैसवार्ता को मिली जानकारी अनुसार पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (जनरल) चंडीगढ़ ने पत्र क्रमांक 33647 द्वारा जल्द ही ग्रामीण न्यायालय स्थापित करने के आदेश जारी किये हैं-जिस पर सिरसा के जिला एवं सैशन जज एच.पी. सिंह ने रानियां में ग्रामीण न्यायालय की स्थापना हेतु, जगह का चयन करने उपरांत तहसील परिसर में कार्यरत वकीलों से विचार विमर्श किया।

बारहवीं विधानसभा में जनता ने चुनकर भेजे 20 वकील

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा की विधानसभा इस बार एलएलबी पास प्रत्याशी अधिक हैं। कांग्रेस की ओर से विधानसभा में 15 ऐसे प्रत्याशी चुन कर गए हैं, जो एलएलबी पास हैं। पंचकूला से विधायक डीके बंसल, पिहोवा से हरमोहिंदर सिंह च_ा, कैथल से रणदीप सिंह सुरजेवाला, गन्नोर से कुलदीप शर्मा, राई से जयतीरथ दहिया, गोहाना से जगबीर मलिक, टोहाना से परमवीर सिंह, तोशाम से किरण चौधरी, गढ़ी सांपला किलोई से भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, रोहतक से बीबी बन्ना, महेन्द्रगढ़ से राव दान सिंह, रेवाड़ी से कैप्टन अजय यादव, नूंह से आफताब एहमद, बल्लभगढ़ से शारदा राठौर और झज्जर से गीता भुक्कल शामिल हैं। इसके अलावा नारायणगढ़ से विधायक रामकिशन और अबाला शहर से विनोद शर्मा स्नातक हैं। साढौरा से राजपाल भूखड़ी सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और शाहाबाद से अनिल कुमार ने बीई की डिग्री हासिल की है। करनाल से सुमिता सिंह बीए, पानीपत शहर से बलबीर पाल बीएससी, खरखैदा से जयवीर वाल्मीकि 12वीं, सोनीपत से अनिल ठक्कर बीए, बरोदा से श्रीकृष्ण हुडा अंडर मैट्रिक, उकलाना से नरेश शैलवाल एमए, हिसार से सावित्री जिंदगी ग्यारहवीं, नलवा से संपत सिंह एमए बीएड, बवानी खेड़ा से रामकिशन फौजी मैट्रिक, मेहम से आनंद सिंह दांगी और बहादुरगढ़ से राजेंद्र जून ग्रेजुएट, कलानौर से शंकुतला खटक 12वीं, बेरी से डा. रघुबीर कादियान एमएससी पीएचडी, अटेली से अनीता यादव बीए फार्मासिस्ट, कोसली से यादविंद्र मैट्रिक, बादशाहपुर से राव धर्मपाल और सोहना से धर्मबीर बीए, पिृथला से रघबीर सिह मैट्रिक, बडख़ल से महेंद्र प्रताप अंडर ग्रेजुएट और फरीदाबाद से आनंद कौशिक इंटरमीडिएट पास हैं। इंडियन नेशनल लोकदल से जो लोग चुनकर विधानसभा तक पहुंचे हैं। उनमें बीए और मैट्रिक पास अधिक हैं। कालका से प्रदीप चौधरी, यमुनानगर से दिलबाग सिंह, घरौंडा से नरेन्द्र सांगवान, रानियां से कृष्णलाल, बाढडा से रघबीस सिंह, फिरोजपुर झिरका से नसीम अहमद, पुनहाना से मो.इलियास बीए पास हैं और लाडवा से शेरसिंह बड़शामी और बावल से रामेश्वर दयाल एमए पास हैं। रादौर से डा. बिशनलाल जीएएमएस, कलायत से रामपाल माजरा, जुलाना से परमिंदर सिंह, डबवाली से अजय चौटाला एलएलबी और इंद्री से अशोक कश्यप एमबीबीएस तक शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं। इसके अलावा मुलाना से राजबीर सिंह, थानेसर से अशोक कुमार, गुहला से फूल सिंह, नीलोखेड़ी से मामूराम, इसराना से कृष्णलाल, सफीदों से कलीराम, जींद से डा. हरीचंद, उचाना कलां से ओमप्रकाश चौटाला, नरवाना से पृथ्वी सिंह, नारनौंद से सरोज, पटौदी से गंगाराम मैट्रिक पास हैं। रतिया से विधानसभा में चुन कर पहुंचे ज्ञान चंद अनपढ़ हैं, जबकि नांगल चौधरी से बहादुर सिंह पांचवीं पास हैं। हजकां से नारनौल सीट से चुने गए नरेन्द्र सिंह एलएलबी, आदमपुर से कुलदीप, हांसी से विनोद, दादरी से सतपाल स्नातक हैं। जबकि असंध से पंडित जिलेराम और समालखा से धर्म सिंह मैट्रिक पास हैं। भाजपा से तिगांव से कृष्णलाल बीए एलएलबी, अंबाला छावनी से अनिल तथा सोनीपत से कविता जैन एमकाम की डिग्री हासिल कर चुके हैं।

...धनुष तोड़कर रचाया एक और स्वयंवर

डबवाली(प्रैसवार्ता) राजा जनक ने सीता की शादी के लिए स्वयंवर रचाया था और श्रीराम के द्वारा धनुष तोड़े जाने पर सीता ने राम के गले में वरमाला डाली। ठीक ऐसा ही कुछ डबवाली में हुआ जहां आयोजित स्वयंवर में दिल्ली इंस्टीट्यृट ऑफ साइंस के मालिक विजय कुमार गोयल के बेटे सतीश गोयल ने धनुष तोड़कर बुलाड़ा निवासी राजकुमार की पुत्री शिल्पा रानी के साथ अनोखी शादी रचाई। प्राप्त जानकारी अनुसार दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के मालिक सतीश गोयल एमबीए निवासी डबवाली का शादी समारोह गत दिवस आयोजित किया गया। इस मौके पर बुलाड़ा के राजकुमार गर्ग अपनी पुत्री शिल्पा रानी के साथ आए हुए थे। इस मौके पर राजकुमार गर्ग ने अपनी पुत्री का स्वयंवर रचाते हुये यह शर्त रखी थी कि जो लड़का इस स्वयंवर में धनुष को तोड़ेगा उसकी बेटी उसी के गले में वरमाला डालकर उसे अपना पति मान लेगी। बताते हैं, कि इसके लिए हनुमानगढ़, मानसा और बठिंडा से विवाह योग्य लड़कों को इस स्वयंवर में आमंत्रित किया गया था। शर्त अनुसार कई लड़कों ने धनुष उठाने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हुए। सतीश गोयल ने केवल धनुष ही नहीं उठाया, बल्कि उसे तोड़ भी दिया। इस मौके पर शिल्पा रानी ने सतीश गोयल को वरमाला पहनाकर अपना पति स्वीकार कर लिया। वास्तव में यह एक प्रेरणादायक नाटक था, जोकि विजय कुमार गोयल और राजकुमार गर्ग के परिवारों द्वारा रचा गया था। इसमें यह प्रेरणा दी गई थी, कि वर्तमान युग में जब दहेज प्रथा हावी हो रही है और लड़कियों की संख्या कम हो रही है, तो भविष्य में इस प्रकार के स्वयंवर ही रचे जाएंगे और जो युवक योग्य होगा वह विवाह का अधिकारी होगा।

इनैलो बनी बड़ी विपक्षी पार्टी

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा विधानसभा चुनावों के इनैलो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है। इनैलो सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला ऐलनाबाद तथा उचाना कलां से विजयी घोषित किये गये हैं-जबकि उनके गृह संसदीय क्षेत्र सिरसा की 9 में से 8 सीटों पर कांग्रेस को पराजय मिली। सिरसा संसदीय क्षेत्र में इनैलो को 6, निर्दलीय 2 तथा एक पर कांग्रेस ने जीत दर्ज करवाई है। इनैलो के युवा कमांडर अजय चौटाला (डबवाली), कृष्ण कंबोज (रानियां), ज्ञान चंद ओड़ (रतिया), पृथ्वी सिंह (नरवाना), रघुबीर सिंह (बाढडा),रामेश्वर दयाल (बावल), नसीम अहमद (फिरोजपुर झिरका), नरेन्द्र सांगवान (घरौंडा), फूल सिंह (गुहला चीका), जगदीश नैय्यर (होडल), अशोक कश्पय (इन्द्री), कृष्णा पंवार (इसराना), डा. हरी चंद मिड्ढा (जींद), परमिन्द्र ढुल (जुलाना), रामपाल माजरा (कलायत), प्रदीप चौधरी (कालका), शेर सिंह (लाडवा), धर्मपाल (लोहारू), रणधीर सिंह (मुलाना), सरोज मोर (नारनौंद), मामू राम (नीलोखेड़ी), सुभाष चौधरी (पलवल), गंगा राम (पटौदी), मोहम्मद इलियास (पुन्हाना), अशोक अरोड़ा (थानेसर), दिलबाग सिंह (यमुनानगर), बिशन लाल (रादौर), कली राम (सफीदो) से विजयी घोषित हुए हैं-जबकि कालांवाली से इनैलो सहयोगी शिरोमणी अकाली दल के चरणजीत रोड़ी ने विजयी परचम लहराया है।

हरियाणा की राजनीति विशेषज्ञों की पकड़ से बाहर

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) राजनीतिक विशेषज्ञ हरियाणवी राजनीति को लेकर उलझन में है तथा हर संभव प्रयास उपरांत भी कुछ नहीं समझ पा रहे। हरियाणवी राजनेताओं का कब हृदय परिर्वतन हो जाये, कोई नहीं जानता और यह जानना भी कठिन है कि प्रात: पानी पी-पी कर जिसे कोसा जा रहा है, सांय उसी की प्रशंसा के पुल बांधे जा रहे हैं। ''आया राम-गया राम'' के लिए अपनी एक पहचान बना चुका हरियाणा एक बार फिर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को गड़बड़ाने में सफल रहा है। 13 अक्तूबर 2009 को हुए विधानसभा चुनावों में हरियाणवी मतदाता ने कांग्रेस को 40, इनैलो को 32, हजकां को 6, बसपा को एक, भाजपा को चार, अकाली दल को एक तथा सात निर्दलीयों को विधायक बनाकर अपना निर्णय देकर राजनीतिक समीकरणों में उबाल ला दिया है। कांग्रेस भले ही सात दिर्नलीय विधायकों का समर्थन जुटाकर सरकार बनाने की कवायद शुरू कर चुकी है, मगर अपनी ही लुटिया डुबोने वाली कांग्रेस मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बार आपसी कलह से उलझ कर रह गई है। विधानसभा चुनावों से पूर्व गठबंधनों का बनना और टूटना भी किसी राजनीतिक रिकार्ड से कम नहीं आकां जा सकता।