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24.10.09

मुख्यमंत्री को लेकर हरियाणा में बढ़ी सरगर्मियां

चंडीगढ़ (प्रैसवार्ता) 13 अक्तूबर को हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणामों ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री भूपेनद्र सिंह हुड्डा के भविष्य पर कई प्रश्र चिन्ह अंकित कर दिये हैं। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस को 40 स्थानों पर सफलता मिली है-जबकि सात निर्दलीयों का साथ जुटा कर कांग्रेसी शासन के गठन की कवायद शुरू हो गई है, मगर मुख्यमंत्री पद को लेकर बगावती स्वर गूंज रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा, किरण चौधरी, वीरेन्द्र सिंह समर्थक विधायकों को कांग्रेस विधायक दल नेता चुनाव में अनुपस्थिति श्री हुड्डा के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता। ''प्रैसवार्ता'' को मिली जानकारी अनुसार कांग्रेस टिकट के आबंटन के समय श्री हुड्डा करीब 70 क्षेत्रों में अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफल हो गये थे, जिनमें से करीब 40 कांग्रेस प्रत्याशी बागी उम्मीदवारों तथा कांग्रेसी भीतरघात के चलते विधानसभा में पहुंचने में वंचित रह गये। कांग्रेस की चंडीगढ़ बैठक से एक दर्जन विधायकों की अनुपस्थिति श्री हुड्डा का राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा सकती है, वहीं सात निर्दलीयों का समर्थन उन्हें लाभ भी पहुंचा सकते हैं। मुख्यमंत्री कुर्सी को लेकर कांग्रेसियों में छिड़ी जंग से कांग्रेस सरकार बनने पर ज्यादा टिका रहना संदेह के दायरे में है। मुख्यमंत्री पद की दावेदार किरण चौधरी की भिवानी जनपद में विधानसभा चुनावों के दौरान रही भूमिका उसके पक्ष में नजर नहीं आती, जबकि केन्द्रीय मंत्री शैलजा पिछले काफी समय से मुख्यमंत्री की कुर्सी प्राप्ति के लिए प्रयासरत् है, परन्तु इस बार उन्हें सफलता मिलती दिखाई देती है। कांग्रेस का जीन्द जिला से पूर्णतया सफाया और मुख्यमंत्री पद के दावेदार वीरेन्द्र सिंह की पराजय को कांग्रेस आलाकमान काफी गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि हरियाणा की राजनीति में जींद जिले की भूमिका को काफी महत्व दिया जाता है।

कांग्रेसियों को लगे राजनीतिक झटके

चंडीगढ़ (प्रैसवार्ता) हरियाणा विधानसभा चुनावों में राज्य के मतदाताओं ने हुड्डा सरकार में मंत्री पद पर रहे वीरेन्द्र सिंह, मांगे राम गुप्ता, लछमण दास अरोड़ा, ऐ.सी. चौधरी, मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी डॉ. कर्मवीर सिंह, योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रणजीत सिंह, संसदीय सचिव दूडा राम व दिल्लू राम बाजीगर को विधानसभा तक नहीं पहुंचने दिया-जबकि विधायक रहे रमेशगुप्ता, बचन सिंह आर्य, भरत सिंह बैनीवाल, शिव शंकर, निर्मल सिंह, तेजिन्द्र मान, राम कुमार गौत्तम, राधेश्याम, उदयभान, करण दलाल, शकुन्तला भगवाडिया, छत्रपाल, फूलचंद मुलाना, दिनेश कौशिक, गीता मंडल, भीम सैन मेहता, अनिल ठक्कर, सोमवीर, शेर सिंह, रणवीर महेन्द्रा, धर्मवीर गाबा इत्यादि के भी विधानसभा भवन तक पहुंचने पर रोक लगा दी। ''प्रैसवार्ता'' द्वारा जुटाये गये तथ्यों तथा चुनावी समीकरणों के अनुसार ज्यादातर कांग्रेस प्रत्याशियों को कांग्रेसी विधायक बनने से रोकने में कांग्रेसी दिग्गजों ने अह्म भूमिका निभाई है। इनैलो छोड़कर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में उतरे प्रो. संपत सिंह, सुशील इंदौरा और कैलाशो सैनी में से प्रो. सम्पत सिंह को छोड़कर कोई भी सफल नहीं हो सका।

फिर बढ़ेंगे पेट्रोल और डीजल के दाम

नई दिल्ली। सरकार सोमवार को पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी कर सकती है। इसकी वजह है सरकार की ओर से डीलरों को बढ़ाया जाने वाला कमिशन। प्रति किलोलीटर पेट्रोल पर कमिशन 1028 रुपये से बढ़ाकर 1098 रुपये और प्रति किलोलीटर डीजल पर 630 से बढ़ाकर 670 रुपये कर दिया गया है। इसकी वजह से पेट्रोल 7 पैसे और डीजल 4 पैसे महंगे हो जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक सरकार यह खर्चा उपभोक्ताओं पर डालने का मन बना चुकी है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। इससे देश की सार्वजनिक तेल मार्केटिंग कंपनियों पर बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती से सरकार के साथ-साथ कंपनियों को भी कुछ हद तक राहत जरूर मिली है, लेकिन अगर ग्लोबल बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी का रुख बना रहा तो सरकार के लिए पेट्रो मूल्यों को मौजूदा स्तर पर अधिक दिन तक स्थिर रखना संभव नहीं हो पाएगा। पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इतना तय है कि अगर पेट्रो उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी ज्यादा नहीं होगी। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक से डेढ़ रुपये से अधिक की बढ़ोतरी होने के आसार कम हैं। इसके साथ-साथ इस बार घरलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में भी बढ़ोतरी किए जाने की आशंका है, जिसे पिछली बार नहीं बढ़ाया गया था।

मन्नाडे को दादासाहब फाल्के

२००७ के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों में सर्वोच्च पुरस्कार "दादासाहब फाल्के" पुरस्कार हिन्दी फिल्मो के बेहतरीन महान गायक "मन्नाडे" को दिया गया हैं जिसे देखकर सुनकर बेहद खुशी की अनुभूति हुई ऐसा लगा की देर से ही सही आख़िर हमारे भारत वर्ष को मन्नाडे जैसे महान गायक की प्रतिभा का भान तो हुआ,उनके भारतीय सिनेमा को दिए गए योगदान के लिए उम्र के इस पडाव में उन्हें इस सम्मान से नवाज कर भारतीय सरकार ने यह तो जता ही दिया की उन्हें ऐसे महान लोगो की बहुत परवाह ज़रूरत हैं|

मन्नाडे जैसी शख्सियत कई सालो में एक बार ही धरा पर जन्म लेती हैं| यह भी बड़े गर्व की बात हैं की उन्होंने हमारे भारत जैसे देश में जन्म लिया जहाँ उनकी बेहतरीन प्रतिभा का पूर्ण जलवा देखने को मिला तथा इस प्रतिभा के चलते उन्हें अब उचित सम्मान भी दिया गया हैं|बहुत कम लोग ही जानते हैं की मन्नाडे ने अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत बतौर संगीत निर्देशक की थी परन्तु बाद में उन्हें बतौर गायक प्रसिद्दी अधिक मिली,उन्होंने लगभग३५०० से अधिक गीत देश की विभिन्न भाषाओ में गाये हैं|मन्नाडे की गायकी विश्वस्तरीय कलाकारों के समान हैं,शुरू शुरू में इन्हे मुख्यतया:शास्त्रीय गायन से सम्बंधित ही गाने ज्यादा गाने को दिए गए जिन्हें इन्होने बखूबी से गाकर अपना लोहा उस ज़माने के बड़े बड़े गायक दिग्गजों से भी मनवाया|अपने ज़माने के मशहूर शोमेन राजकपूर जी के साथ इनकी जबरदस्त ट्यूनिंग जमी जिससे इस जोड़ी ने एक से बढकर एक सुपरहिट गीत दिए जो आज भी बेहद लोकप्रिय हैं|

मन्नाडे के गाए हुए गीतों में दिल का हाल सुने दिल वाला, भाई ज़रा देख के चलो,लागा चुनरी में दाग छुपाऊ कैसे,पूंछो कैसे मैंने रैन बिताई,हर तरफ़ अब यही अफसाने हैं,ये दोस्ती हम नही छोडेंगे,यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी,कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब वादे हैं वादों का क्या,मेरी भैंस को डंडा क्यों मारा,तू प्यार का सागर हैं
आदि गीत आज भी भुलाये नही भूलते|
बहुत कम लोग ही जानते हैं की श्री मन्नाडे ने श्री हरिवंश राय बच्चन के काव्य "मधुशाला" को भी अपनी आवाज़ दी हैं|इसी उम्मीद के साथ की मन्नाडे जैसी शख्शियत आगे भी बतौर धरोहर हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी| उन्हीके गाये गीत की कुछ पंक्तिया.......................... आयो कहाँ से घनश्याम से मैं यह लेख समाप्त कर रहा हूँ |

23.10.09

नया साल नया कार्यक्रम का आयोजन

सिरसा(प्रैसवार्ता) हरियाणा स्टेट ब्लड ट्रांसफूजन कौंसिल और इण्डियन रैडक्रास सोसाइटी द्वारा 24 व 25 अक्टूबर को स्थानीय सी एम के नैशनल गल्र्ज कॉलेज में नया साल नया सवेरा कार्यक्रम आयोजित करवाया जाएगा जिसमें रक्तदान की प्ररेणा को लेकर प्रशिक्षण कैम्प एवं हेमकोन 09 विषय पर सेमिनार का आयोजन करवाया जाएगा। सेमिनार में पहुंचने वाले व्यक्तियों का रजिस्टै्रशन करके ब्लड ग्रुप की पहचान भी की जाएगी।
इण्डियन रैडक्रास सोसाइटी जिला सिरसा ब्रांच के पै्रजिडेंट एवं उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने यह जानकारी देते हुए बताया कि रक्तदान से बढ़ कर कोई दान नहीं है और सिरसा जिला रक्तदान में अपनी अलग ही पहचान रखता है। जिला में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम को एक पर्व की भांति मनाया जा रहा है और इस सेमीनार में प्रदेश भर से सैकड़ों रक्तदान प्ररेक शिरकत करेंगे। उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि कोई भी जरूरतमंद रक्त के बिना न रहे और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लोगों को खास कर युवाओं को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
श्री ख्यालिया ने आज की तैयारियों को जायजा लेने के लिए कार्यक्रम स्थल का दौरा किया और विभिन्न विभागों के अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए और जिम्मेदारियां सौंपी। उन्होंने कहा कि समारोह स्थल पर बिजली, पानी, सफाई, भोजन आदि की पूरी व्यवस्था होगी और शहर के विभिन्न प्रवेश मार्गों पर स्वागत व साईन बोर्ड लगाएं जाए ताकि कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने में किसी प्रकार की समस्या न आए। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को लेकर जिला के लोगों खास कर समाज सेवी संस्थाओं में काफी उत्साह है और वे कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हर संभव सहायता कर रहे हैं। रक्क्तदान हो लेकर आयोजित किए जाने वाले इस दो दिवसीय समारोह के दौरान मुख्य मार्गों व सी एम के कॉलेज में भी पुलिस द्वारा सुरक्षा के खास इंतजात किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग व कॉलेज प्रशासन को समारोह में आने वाले व्यक्तियों का रजिस्ट्रैशन किए जाने की जिम्मेवारी सौंपी गई हैं। रजिस्ट्रैशन करने के लिए कॉलेज परिसर में 20 कॉऊंटर स्थापित किए जाएंगे। रजिस्ट्रैशन करते समय ऐसे लोगों के ब्लड ग्रुपिंग की पहचान भी की जाएगी जिन्होंने अपने ब्लड ग्रुप की जांच अभी तक नहीं करवाई है। रजिस्टै्रशन के समय डिजीटल कैमरों की व्यवस्था होगी जिनके माध्यम से ब्लड ग्रुपिंग के सारे रिकॉर्ड को कम्प्यूटरीकृत किया जा जाएगा। उन्होंने बताया कि कॉलेज 24 व 25 अक्टूबर को कॉलेज में बने एस एन गंड़ा आडिटोरियम के अतिरिक्त 25 अक्टूबर को कॉलेज में बने अन्य कांफैं्रस हॉल में हेमकोन विषय पर विचार गोष्ठी होगी। उन्होंने बताया कि कॉलेज में 10 कमरों में अलग-अलग जोन बनाए गए है जहां रक्तदान विषय पर विचार-विमर्श कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि शनिवार को कार्यक्रम दो चरणों में बांटा गया है पहला चरण 10 से दोपहर 1 बजे तक चलेगा जबकि दूसरा चरण 2 से सांय 5 बजे तक चलेगा।
इस अवसर पर उपमण्डल अधिकारी नागरिक एस. के. सेतिया, सी एम ओ प्रताप सिंह धवन व विभिन्न विभागों के अधिकारियों सहित शहर के समाज सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।


कांग्रेस सरकार लोगों का विश्वास खो चुकी है: ओमप्रकाश चौटाला

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) इंडियन नेशनल लोकदल विधायक दल ने इनेलो प्रमुख व पूर्व मुख्यमन्त्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को इनेलो विधायक दल का नेता चुना है। पार्टी विधायक दल की चंडीगढ़ में हुई एक बैठक में इनेलो प्रमुख को सर्वसम्मति से पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया और पार्टी की आगामी रणनीति बनाने व इस सम्बन्ध में लिए जाने वाले आगामी जरूरी फैसलों के लिए श्री चौटाला को सर्वसम्मति से अधिकृत करते हुए सभी अधिकार प्रदान किए गए।
पूर्व मुख्यमन्त्री ने पार्टी विधायकों द्वारा उन्हें विधायक दल का नेता चुने जाने पर नवनिर्वाचित विधायकों द्वारा उनमें विश्वास व्यक्त किए जाने पर आभार जताते हुए इनेलो विधायकों को चुनाव जीतने पर बधाई दी और प्रदेश की जनता का आभार जताते हुए इनेलो कार्यकत्र्ताओं द्वारा विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान की गई जी-तोड़ मेहनत के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए आभार जताया। इनेलो प्रमुख ने कहा कि प्रदेश की जनता द्वारा कांग्रेस सरकार के खिलाफ फतवा दिया गया है और चुनाव नतीजे सीधे-सीधे इनेलो के पक्ष में राज्य की जनता का जनादेश है।
इनेलो प्रमुख ने पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों से अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जाकर लोगों का आभार जताने और पार्टी कार्यकत्र्ताओं को धन्यवाद देने के लिए व्यापक जनसम्पर्क अभियान व सभी गांवों और वार्डों का दौरा करने को कहा है। पूर्व मुख्यमन्त्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार प्रदेश के लोगों का विश्वास खो चुकी है और उसे सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक व लोकतान्त्रिक अधिकार नहीं है। बैठक में पार्टी के सभी नवनिर्वाचित विधायकों ने हिस्सा लिया।
श्री चौटाला ने इससे पहले राज्यपाल को लिखे एक पत्र में कहा कि 11वीं विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2010 में पूरा होना था लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की जनता से नया जनादेश प्राप्त करने के लिए छह महीने पहले चुनाव कराने का फैसला लिया था। इनेलो प्रमुख ने कहा कि 13 अक्तूबर को हुए चुनाव के घोषित नतीजों से यह बात साफ हो गई है कि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को बहुमत नहीं दिया है। कांग्रेस को मात्र 40 सीटें मिली हैं और कांग्रेस के खिलाफ 50 विधायक जीतकर आए हैं। इन नतीजों से यह भी स्पष्ट जाहिर होता है कि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस के विरुद्ध जनादेश दिया है।
इनेलो प्रमुख ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि प्रदेश के संविधानिक मुखिया होने के नाते आप सबसे पहले कांग्रेस के विकल्प के रूप में किसी अन्य राजनीतिक दल/दलों को गैर कांग्रेस सरकार गठित करने का अवसर प्रदान करें ताकि प्रदेश की जनता के जनादेश का सही मायने में पालन और सम्मान हो सके। इनेलो प्रमुख ने राज्यपाल को लिखे पत्र में यह भी कहा कि इस समय प्रदेश में एक बहुत ही दुखद घटनाक्रम चल रहा है जिसके तहत कांग्रेस पार्टी जनादेश खोने के बाद नवनिर्वाचित निर्दलीय व अन्य छोटे दलों के विधायकों की खरीद-फरोख्त (हॉर्स ट्रेडिंग) में जुटी हुई है। इस तरह के ओछे और अनैतिक हथकंडे अपनाकर कांग्रेस पार्टी लोकतन्त्र एवं जनादेश का गला घोंट रही है। पत्र में राज्यपाल से कहा गया है कि इस प्रकार की घटनाओं को रोक पाना केवल राज्यपाल के हस्तक्षेप से ही सम्भव है और राज्यपाल से यह भी आग्रह किया गया है कि वे अपने संविधानिक कर्तव्यों और पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध मिले जनादेश का सम्मान करते हुए गैर कांग्रेस दलों पर आधारित सरकार का अविलम्ब गठन करेंगे।

लो क सं घ र्ष !: पाकिस्तानी कहानी

भगवान दास दरखान -2
बलूच नवाज़ सरायकी रईसों की परम्परा के मुताबिक़ जब इस तरह वेठ मारकर बैठ गया तो एक मुलाज़िम ने हुक्क़ा ताज़ा करके रंगीन खाट के करीब स्टूल पर रख दिया। सरदार ने हुक्के की नै सँभाली और होंठों में दबाकर कश लगाने लगा। तम्बाकू की खुशबू कमरे में फैलने लगी। मालिशिया फ़ौरन सरदार मज़ारी की पीठ के पास पहुँचा और तेज़ी के साथ उसके कन्धे और कमर हौले-हौले दबाने लगा।
कचहरी की कार्रवाई शुरू हुई, तो चाकर ख़ाँ सरगानी ने, जो पेशकार का फ़र्ज़ अदा कर रहा था, पहला मुक़दमा सुनवाई के लिए पेश किया। मुलाज़िम गड़रिया था और सरदार के सामने गरदन झुकाये सहमा हुआ खड़ा था। उसके खिलाफ़ यह इल्ज़ाम था कि उसकी रेवड़ की दो भेड़ें सरदार मज़ारी के एक खेत में घुस गयी थीं और मक्की के कई पौधों को नुकसान पहुँचाया था। गड़रिया गिड़गिड़ाकर माफ़ी माँगता रहा, क़समें खाकर यक़ीन दिलाता रहा कि आइन्दा ऐसी ग़लती नहीं होगी, मगर उसकी एक न सुनी गयी। सरदार की नज़र में जुर्म की नौइयत संगीन थी। लिहाजा उसे जुर्माने में पाँच भेडें़ मालखा़ने में पहुँचाने के अलावा तीन महीने जेल में कै़द रखने की सजा़ दी गयी।
चाकर खा़ँ सरगा़नी ने दबी जुबान से सूचित किया, ‘‘सई सरकार, जेल में जगह नहीं है।’’
‘‘जेल में जगह नहीं, तो मुजरिम को सुक्के खोह में डाल दिया जाये।’’ सरदार मजा़री ने हुक्म सुनाया, ‘‘जब तक जेल में जगह नहीं है, सजा़ पानेवाले तमाम कै़दियों को सुक्के खोह में डाल दिया जाये।’’
सुक्के खोह अन्धे कुएँ थे। ये चैड़े मुँहवाले ऐसे कुएँ थे, जो कभी सिंचाई के काम आते थे। मगर सूख जाने की वजह से न उनमें अब पानी था, न उसके निकलने की कोई संभावना थी। सरदार की निजी जेल जब कै़दियों से भर जाती और उसमें कोई गुंजाइश न रहती, तो क़ैदियों को सुक्के खोह में बन्द कर दिया जाता। वे अन्धे कुएँ में उठते-बैठते, सोते, खाना खाते और वहीं पेशाब-पाखाने से फ़ारिग़ होते। न उन्हें किसी से मिलने की इजाज़त होती, न बात करने की। खाना-पानी निश्चित वक़्त पर सुबह शाम रस्सी में बाँधकर पहुँचा दिया जाता। जाड़ा हो, गर्मी हो या बरसात, वे सुक्के खोह से बाहर न आते। अलबत्ता सर्दी के मौसम में कै़दियों को एक कम्बल दे दिया जाता और वह भी उनके घरवाले मुहैया करते। क़ैदियों को जो खाना दिया जाता, चाहे वे सरदार की निजी जेल में बन्द हों या सुक्के खोह में, उसकी की़मत भी सगे-सम्बन्धी ही अदा करते। अगर की़मत अदा न होती, तो कै़दियों को फा़का करना पड़ता। अक्सर कै़दी लगातार भूखों रहने से सिसक-सिसककर मर भी जाते। सुक्के खोह में साँप, बिच्छू और ऐसे ही ज़हरीले कीडे़-मकोडे़ भी होते, जो कभी-कभी कै़दियों की मौत की वजह बनते।
सरदार के फै़सला सुनाये जाने के बाद उस पर फौ़री तौर पर अमलदरामद शुरू हो गया। जुर्माने की अदायगी और सुक्के खोह में कै़द करने की ग़रज से मुजरिम को खींचते हुए कचहरी से बाहर ले जाया गया। सरदार का फै़सला आखि़री और अटल फै़सला था। उसके खि़लाफ़ किसी भी अदालत में न उज्रदारी हो सकती थी न अपील।
चाकर ख़ान सरगानी ने दूसरा मुक़दमा पेश किया। मुक़दमा सरदार शहजो़र खाँ मजा़री के सामने पहली बार पेश नहीं किया गया था, उसकी सुनवाई लगभग चार महीने से जारी थी। अब तक कई पेशियाँ पड़ चुकी थीं। मुक़दमा ख़ासा पेचीदा ओर निहायत संगीन था। लिहाजा़ सरदार मजा़री मसलेहत से काम लेते हुए उसे जानबूझकर तूल दे रहा था, कि गुज़रते वक़्त के साथ-साथ फ़रीका़ें के दिलों में पाया जानेवाला शदीद ग़म व गुस्सा ठण्डा पड़ जाये और उसके फै़सले से हर फ़रीक़ इस तरह मुतमइन हो जाये कि दिलों से बैरभाव हट जाये।
यह पानी के बँटवारे का पुराना झगडा़ था। नौइयत यह थी कि फ़रीकै़न एक ही रूदकोही से अपनी फ़सलों कीे सिंचाई करते थे। रूदकोही के खड्ड में पानी का ज़खी़रा कम था और फ़सलों के लिए ज़रूरत ज़्यादा थी। अंजाम यह हुआ कि पानी के बँटवारे पर झगड़ा पैदा हुआ। ऐसे झगड़े उन बारानी इलाक़ों में अक्सर होते हैं, जहाँ खेतों को रूदकोहियों से पानी दिया जाता है। डेरा ग़ाजी ख़ाँ और उसके आसपास के पहाड़ी इलाक़े में सिंचाई की यह व्यवस्था बहुत पुरानी है। इतनी पुरानी कि सही-सही नहीं पता कि यह कैसे प्रचलित हुई और किसने प्रचलित की। सिंचाई की इस व्यवस्था के तहत बारिश का पानी एक तरफ़ तो बरबाद होने से बचाया जाता है और दूसरी तरफ़ उसे खेती के लिए ज़्यादा उपयोगी बनाने की कोशिश की जाती है। होता यह है कि जब पहाड़ों पर बारिश होती,है तो पानी ऊँची-नीची चोटियों और चट्टानों की बुलन्दियों से ढलान की तरफ़ निहायत तेज़ रफ्तार से बहता है। मशहूर है कि उसके तेज़ धारे में ऐसी काट होती है कि अगर ऊँट उसकी ज़द में आ जाये, तो पैरों और कूचों की हड्डियाँ भी आरी की तरह काट देता है।

-शौकत सिद्दीक़ी

सुमन
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