2:16 pm
manmohit grover
डबवाली(प्रैसवार्ता) राजा जनक ने सीता की शादी के लिए स्वयंवर रचाया था और श्रीराम के द्वारा धनुष तोड़े जाने पर सीता ने राम के गले में वरमाला डाली। ठीक ऐसा ही कुछ डबवाली में हुआ जहां आयोजित स्वयंवर में दिल्ली इंस्टीट्यृट ऑफ साइंस के मालिक विजय कुमार गोयल के बेटे सतीश गोयल ने धनुष तोड़कर बुलाड़ा निवासी राजकुमार की पुत्री शिल्पा रानी के साथ अनोखी शादी रचाई। प्राप्त जानकारी अनुसार दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के मालिक सतीश गोयल एमबीए निवासी डबवाली का शादी समारोह गत दिवस आयोजित किया गया। इस मौके पर बुलाड़ा के राजकुमार गर्ग अपनी पुत्री शिल्पा रानी के साथ आए हुए थे। इस मौके पर राजकुमार गर्ग ने अपनी पुत्री का स्वयंवर रचाते हुये यह शर्त रखी थी कि जो लड़का इस स्वयंवर में धनुष को तोड़ेगा उसकी बेटी उसी के गले में वरमाला डालकर उसे अपना पति मान लेगी। बताते हैं, कि इसके लिए हनुमानगढ़, मानसा और बठिंडा से विवाह योग्य लड़कों को इस स्वयंवर में आमंत्रित किया गया था। शर्त अनुसार कई लड़कों ने धनुष उठाने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हुए। सतीश गोयल ने केवल धनुष ही नहीं उठाया, बल्कि उसे तोड़ भी दिया। इस मौके पर शिल्पा रानी ने सतीश गोयल को वरमाला पहनाकर अपना पति स्वीकार कर लिया। वास्तव में यह एक प्रेरणादायक नाटक था, जोकि विजय कुमार गोयल और राजकुमार गर्ग के परिवारों द्वारा रचा गया था। इसमें यह प्रेरणा दी गई थी, कि वर्तमान युग में जब दहेज प्रथा हावी हो रही है और लड़कियों की संख्या कम हो रही है, तो भविष्य में इस प्रकार के स्वयंवर ही रचे जाएंगे और जो युवक योग्य होगा वह विवाह का अधिकारी होगा।
2:14 pm
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चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा विधानसभा चुनावों के इनैलो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है। इनैलो सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला ऐलनाबाद तथा उचाना कलां से विजयी घोषित किये गये हैं-जबकि उनके गृह संसदीय क्षेत्र सिरसा की 9 में से 8 सीटों पर कांग्रेस को पराजय मिली। सिरसा संसदीय क्षेत्र में इनैलो को 6, निर्दलीय 2 तथा एक पर कांग्रेस ने जीत दर्ज करवाई है। इनैलो के युवा कमांडर अजय चौटाला (डबवाली), कृष्ण कंबोज (रानियां), ज्ञान चंद ओड़ (रतिया), पृथ्वी सिंह (नरवाना), रघुबीर सिंह (बाढडा),रामेश्वर दयाल (बावल), नसीम अहमद (फिरोजपुर झिरका), नरेन्द्र सांगवान (घरौंडा), फूल सिंह (गुहला चीका), जगदीश नैय्यर (होडल), अशोक कश्पय (इन्द्री), कृष्णा पंवार (इसराना), डा. हरी चंद मिड्ढा (जींद), परमिन्द्र ढुल (जुलाना), रामपाल माजरा (कलायत), प्रदीप चौधरी (कालका), शेर सिंह (लाडवा), धर्मपाल (लोहारू), रणधीर सिंह (मुलाना), सरोज मोर (नारनौंद), मामू राम (नीलोखेड़ी), सुभाष चौधरी (पलवल), गंगा राम (पटौदी), मोहम्मद इलियास (पुन्हाना), अशोक अरोड़ा (थानेसर), दिलबाग सिंह (यमुनानगर), बिशन लाल (रादौर), कली राम (सफीदो) से विजयी घोषित हुए हैं-जबकि कालांवाली से इनैलो सहयोगी शिरोमणी अकाली दल के चरणजीत रोड़ी ने विजयी परचम लहराया है।
11:56 am
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चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) राजनीतिक विशेषज्ञ हरियाणवी राजनीति को लेकर उलझन में है तथा हर संभव प्रयास उपरांत भी कुछ नहीं समझ पा रहे। हरियाणवी राजनेताओं का कब हृदय परिर्वतन हो जाये, कोई नहीं जानता और यह जानना भी कठिन है कि प्रात: पानी पी-पी कर जिसे कोसा जा रहा है, सांय उसी की प्रशंसा के पुल बांधे जा रहे हैं। ''आया राम-गया राम'' के लिए अपनी एक पहचान बना चुका हरियाणा एक बार फिर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को गड़बड़ाने में सफल रहा है। 13 अक्तूबर 2009 को हुए विधानसभा चुनावों में हरियाणवी मतदाता ने कांग्रेस को 40, इनैलो को 32, हजकां को 6, बसपा को एक, भाजपा को चार, अकाली दल को एक तथा सात निर्दलीयों को विधायक बनाकर अपना निर्णय देकर राजनीतिक समीकरणों में उबाल ला दिया है। कांग्रेस भले ही सात दिर्नलीय विधायकों का समर्थन जुटाकर सरकार बनाने की कवायद शुरू कर चुकी है, मगर अपनी ही लुटिया डुबोने वाली कांग्रेस मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बार आपसी कलह से उलझ कर रह गई है। विधानसभा चुनावों से पूर्व गठबंधनों का बनना और टूटना भी किसी राजनीतिक रिकार्ड से कम नहीं आकां जा सकता।
11:54 am
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चंडीगढ़ (प्रैसवार्ता) 13 अक्तूबर को हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणामों ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री भूपेनद्र सिंह हुड्डा के भविष्य पर कई प्रश्र चिन्ह अंकित कर दिये हैं। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस को 40 स्थानों पर सफलता मिली है-जबकि सात निर्दलीयों का साथ जुटा कर कांग्रेसी शासन के गठन की कवायद शुरू हो गई है, मगर मुख्यमंत्री पद को लेकर बगावती स्वर गूंज रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा, किरण चौधरी, वीरेन्द्र सिंह समर्थक विधायकों को कांग्रेस विधायक दल नेता चुनाव में अनुपस्थिति श्री हुड्डा के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता। ''प्रैसवार्ता'' को मिली जानकारी अनुसार कांग्रेस टिकट के आबंटन के समय श्री हुड्डा करीब 70 क्षेत्रों में अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफल हो गये थे, जिनमें से करीब 40 कांग्रेस प्रत्याशी बागी उम्मीदवारों तथा कांग्रेसी भीतरघात के चलते विधानसभा में पहुंचने में वंचित रह गये। कांग्रेस की चंडीगढ़ बैठक से एक दर्जन विधायकों की अनुपस्थिति श्री हुड्डा का राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा सकती है, वहीं सात निर्दलीयों का समर्थन उन्हें लाभ भी पहुंचा सकते हैं। मुख्यमंत्री कुर्सी को लेकर कांग्रेसियों में छिड़ी जंग से कांग्रेस सरकार बनने पर ज्यादा टिका रहना संदेह के दायरे में है। मुख्यमंत्री पद की दावेदार किरण चौधरी की भिवानी जनपद में विधानसभा चुनावों के दौरान रही भूमिका उसके पक्ष में नजर नहीं आती, जबकि केन्द्रीय मंत्री शैलजा पिछले काफी समय से मुख्यमंत्री की कुर्सी प्राप्ति के लिए प्रयासरत् है, परन्तु इस बार उन्हें सफलता मिलती दिखाई देती है। कांग्रेस का जीन्द जिला से पूर्णतया सफाया और मुख्यमंत्री पद के दावेदार वीरेन्द्र सिंह की पराजय को कांग्रेस आलाकमान काफी गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि हरियाणा की राजनीति में जींद जिले की भूमिका को काफी महत्व दिया जाता है।
11:53 am
manmohit grover
चंडीगढ़ (प्रैसवार्ता) हरियाणा विधानसभा चुनावों में राज्य के मतदाताओं ने हुड्डा सरकार में मंत्री पद पर रहे वीरेन्द्र सिंह, मांगे राम गुप्ता, लछमण दास अरोड़ा, ऐ.सी. चौधरी, मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी डॉ. कर्मवीर सिंह, योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रणजीत सिंह, संसदीय सचिव दूडा राम व दिल्लू राम बाजीगर को विधानसभा तक नहीं पहुंचने दिया-जबकि विधायक रहे रमेशगुप्ता, बचन सिंह आर्य, भरत सिंह बैनीवाल, शिव शंकर, निर्मल सिंह, तेजिन्द्र मान, राम कुमार गौत्तम, राधेश्याम, उदयभान, करण दलाल, शकुन्तला भगवाडिया, छत्रपाल, फूलचंद मुलाना, दिनेश कौशिक, गीता मंडल, भीम सैन मेहता, अनिल ठक्कर, सोमवीर, शेर सिंह, रणवीर महेन्द्रा, धर्मवीर गाबा इत्यादि के भी विधानसभा भवन तक पहुंचने पर रोक लगा दी। ''प्रैसवार्ता'' द्वारा जुटाये गये तथ्यों तथा चुनावी समीकरणों के अनुसार ज्यादातर कांग्रेस प्रत्याशियों को कांग्रेसी विधायक बनने से रोकने में कांग्रेसी दिग्गजों ने अह्म भूमिका निभाई है। इनैलो छोड़कर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में उतरे प्रो. संपत सिंह, सुशील इंदौरा और कैलाशो सैनी में से प्रो. सम्पत सिंह को छोड़कर कोई भी सफल नहीं हो सका।
11:21 am
Pardeep Dhaniya
नई दिल्ली। सरकार सोमवार को पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी कर सकती है। इसकी वजह है सरकार की ओर से डीलरों को बढ़ाया जाने वाला कमिशन। प्रति किलोलीटर पेट्रोल पर कमिशन 1028 रुपये से बढ़ाकर 1098 रुपये और प्रति किलोलीटर डीजल पर 630 से बढ़ाकर 670 रुपये कर दिया गया है। इसकी वजह से पेट्रोल 7 पैसे और डीजल 4 पैसे महंगे हो जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक सरकार यह खर्चा उपभोक्ताओं पर डालने का मन बना चुकी है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। इससे देश की सार्वजनिक तेल मार्केटिंग कंपनियों पर बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती से सरकार के साथ-साथ कंपनियों को भी कुछ हद तक राहत जरूर मिली है, लेकिन अगर ग्लोबल बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी का रुख बना रहा तो सरकार के लिए पेट्रो मूल्यों को मौजूदा स्तर पर अधिक दिन तक स्थिर रखना संभव नहीं हो पाएगा। पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इतना तय है कि अगर पेट्रो उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी ज्यादा नहीं होगी। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक से डेढ़ रुपये से अधिक की बढ़ोतरी होने के आसार कम हैं। इसके साथ-साथ इस बार घरलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में भी बढ़ोतरी किए जाने की आशंका है, जिसे पिछली बार नहीं बढ़ाया गया था।
10:46 am
kishore ghildiyal
२००७ के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों में सर्वोच्च पुरस्कार "दादासाहब फाल्के" पुरस्कार हिन्दी फिल्मो के बेहतरीन व महान गायक "मन्नाडे" को दिया गया हैं जिसे देखकर व सुनकर बेहद खुशी की अनुभूति हुई ऐसा लगा की देर से ही सही आख़िर हमारे भारत वर्ष को मन्नाडे जैसे महान गायक की प्रतिभा का भान तो हुआ,उनके भारतीय सिनेमा को दिए गए योगदान के लिए उम्र के इस पडाव में उन्हें इस सम्मान से नवाज कर भारतीय सरकार ने यह तो जता ही दिया की उन्हें ऐसे महान लोगो की बहुत परवाह व ज़रूरत हैं|
मन्नाडे जैसी शख्सियत कई सालो में एक बार ही धरा पर जन्म लेती हैं| यह भी बड़े गर्व की बात हैं की उन्होंने हमारे भारत जैसे देश में जन्म लिया जहाँ उनकी बेहतरीन प्रतिभा का पूर्ण जलवा देखने को मिला तथा इस प्रतिभा के चलते उन्हें अब उचित सम्मान भी दिया गया हैं|बहुत कम लोग ही जानते हैं की मन्नाडे ने अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत बतौर संगीत निर्देशक की थी परन्तु बाद में उन्हें बतौर गायक प्रसिद्दी अधिक मिली,उन्होंने लगभग३५०० से अधिक गीत देश की विभिन्न भाषाओ में गाये हैं|मन्नाडे की गायकी विश्वस्तरीय कलाकारों के समान हैं,शुरू शुरू में इन्हे मुख्यतया:शास्त्रीय गायन से सम्बंधित ही गाने ज्यादा गाने को दिए गए जिन्हें इन्होने बखूबी से गाकर अपना लोहा उस ज़माने के बड़े बड़े गायक दिग्गजों से भी मनवाया|अपने ज़माने के मशहूर शोमेन राजकपूर जी के साथ इनकी जबरदस्त ट्यूनिंग जमी जिससे इस जोड़ी ने एक से बढकर एक सुपरहिट गीत दिए जो आज भी बेहद लोकप्रिय हैं|
मन्नाडे के गाए हुए गीतों में दिल का हाल सुने दिल वाला,ए भाई ज़रा देख के चलो,लागा चुनरी में दाग छुपाऊ कैसे,पूंछो न कैसे मैंने रैन बिताई,हर तरफ़ अब यही अफसाने हैं,ये दोस्ती हम नही छोडेंगे,यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी,कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब वादे हैं वादों का क्या,मेरी भैंस को डंडा क्यों मारा,तू प्यार का सागर हैं आदि गीत आज भी भुलाये नही भूलते|
बहुत कम लोग ही जानते हैं की श्री मन्नाडे ने श्री हरिवंश राय बच्चन के काव्य "मधुशाला" को भी अपनी आवाज़ दी हैं|इसी उम्मीद के साथ की मन्नाडे जैसी शख्शियत आगे भी बतौर धरोहर हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी| उन्हीके गाये गीत की कुछ पंक्तिया.......................... आयो कहाँ से घनश्याम से मैं यह लेख समाप्त कर रहा हूँ |