9:25 pm
manmohit grover
सिरसा(प्रैसवार्ता) देश की आंतरिक सुरक्षा को कायम रखने के लिए अपना बलिदान देने वाले शहीदों की याद में आज पुलिस लाइन में पुलिस शहीदी स्मारक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर एएसपी सज्जन सिंह, डीएसपी हैडक्वार्टर सतबीर सिंह श्योराण, एसएचओ सिटी हंसराज, एसएचओ सदर जगदीश चंद्र, सुरक्षा शाखा प्रभारी वीरेंद्र सिंह, लाइन अफसर रणबीर सिंह, जिला निरीक्षक पं. रामबिलास सहित विभिन्न पुलिस अधिकारियों ने शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित करके शहीदों के प्रति सम्मान व्यक्त किया वहीं पुलिस कर्मचारियों की एक टुकड़ी ने बिगुल पर मातमी धुन बजाई। इससे पूर्व शस्त्र उल्टे करके शहीदों को सलामी दी गई और दो मिनट का मौन रखा गया। सब इंस्पेक्टर अमित बेनीवाल ने कुर्बानी देने वाले शहीदों के नाम भी पढ़े। देश के लिए कुर्बानी देने वालों का इतिहास काफी पुराना है। वर्ष 1962 में 21 अक्टूबर को जब चीन ने भारत पर हमला करके लद्दाख चौकी पर 10 भारतीय जवानों को शहीद कर दिया था। इसके बाद से यह शहीदी स्मारक दिवस मनाया जा रहा है। इसके उपरांत हर वर्ष 21 अक्टूबर को देशभर में शहीदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन उन तमाम पुलिस व सेना अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है जो विभिन्न मोर्चों पर देश के लिए काम आए। आज जिन पुलिस कर्मचारियों व अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई उनमें असम के 18, बिहार के 15, छत्तीसगढ़ के 64, दिल्ली के 8, गुजरात के 7, जम्मू के 31, झारखंड के 52, कर्नाटक के 20, केरल के 1, मध्य प्रदेश के 12, महाराष्ट्र के 25, मणिपुर के 5, मेघालय के 2, मिजोरम के 5, पंजाब के 54, राजस्थान के 3, सिक्किम के 2, त्रिपुरा का 1, उत्तर प्रदेश के 99, उत्तराखंड के 15, प. बंगाल के 31, सीमा सुरक्षा बल के 74, सीआईएसएफ के 23, सीआरपीएफ के 81, आईटीबीपी के 33, एमएचए के 5, एनएसजी के 3, आरपीएफ के 36 व एसएसबी के 27 जवान शामिल हैं। ये सभी अधिकारी और कर्मचारी 1 सितंबर 2008 से 31 अगस्त 2009 के दौरान शहीद हुए थे। श्रद्धांजलि सभा में महाराष्ट्र के जांबाज पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे आईपीएस को भी विशेष रूप से याद किया गया। हेमंत करकरे ताज हमले में उग्रवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे।
6:21 pm
कनिष्क कश्यप
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5:44 pm
Randhir Singh Suman
यहाँ हर मुस्लिम को अपने भारतीय होने और उसके नाते सभी समान अधिकार पाने की उम्मीद रखनी चाहिए।
अगर हम उसके मन में यह भावना नही जगा पाते तो हम अपने
देश और विरासत दोनों के लिए अपात्र हैं।
-राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबन्ध लगाने
वाले भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल
सुमन
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5:26 pm
Randhir Singh Suman
जब कभी आप किसी सच्चाई की तलाश करना चाहते है तो यह जरूरी है कि आप उसके प्रचलित और लोकप्रिय अर्थ से हटकर सोचने की कोशिश करें । साम्प्रदायिकता की परिभाषा आज नए सिरे से करने की जरूरत है। समाज का एक वर्ग जब किसी चीज की परिभाषा एक तरह से करना शुरू कर देता है तब हम उसी दिशा में सोचने लगते है । अगर दस-पाँच पीढियों से हमारा परिवार हिन्दुस्तान में रह रहा है तो मैं उतना ही राष्ट्रीय हूँ जितने की आप। फिर क्या जरूरी है कि आप मुझे अपनाएंगे जब मैं आपके कानो में राष्ट्रीयता का झुनझुना बजाऊं । यदि मैं सांप्रदायिक हूँ तो आप मुझसे ज्यादा सांप्रदायिक हैं, जिन्होंने मुझे सांप्रदायिक बनाया ।
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गुलशेरखान शानी विनोद दास की 'बतरस' से साभार
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
1:36 pm
manmohit grover
सिरसा (प्रैसवार्ता) स्वास्थय तथा पुलिस विभाग की अनदेखी और कानून के ढीलापन के चलते प्रदेश भर में नशा छोडऩे वाले स्वयंभू डाक्टर/वैधों की बाढ़ आ गई है, जो नशा छुड़ाने के अतिरिक्त मोटा-पतला, यौवन शक्ति सहित अन्य रोगों के उपचार का दावा करते है। केवल इतना ही नहीं, ऐसे लोग शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों की दीवारों के साथ-साथ समाचार पत्रों में विज्ञापन आदि की सहायता लेकर लोगों को झांसे में रखकर अपना शिकार बनाते है और बाद में अपनी चंगुल में फंसा कर नशे का गुलाम बना देते है। ज्यादातर ऐसे लोग इन स्वयंभू डाक्टरों/वैधों के चक्कर में फंस न सिर्फ अपना आर्थिक शोषण करवाते है, बल्कि शारीरिक शोषण भी। स्वास्थ्य विभाग और पुलिसिया तंत्र इसलिए चुप्पी साधे बैठा है क्योंकि उन्हें मंथली मिल जाती है।
1:35 pm
manmohit grover
अमृतसर (प्रैसवार्ता) डी.ऐ.वी. कालेज अमृतसर के स्पोटर्स विभाग के प्रोफैसर डा० बी.वी.यादव तथा इतिहास के प्रोफैसर योगेश स्नेही द्वारा संयुक्त रूप से किये गये शोध से खुलासा हुआ है कि पंजाब राज्य की शहरी मुटियारों की लंबाई पर ग्रहण लग गया है, जिसका कारण खेलो में कम भागीदारी तथा जंक फूड का अधिक प्रयोग माना जा रहा है। पिछले तीन दशक में शहरी मुटियारों की लम्बाई ३ से ५ इंच तक कम हुई है। जबकि शहरी मुटियारों का रूझान मैदानों में खेलने की जगह कम्प्यूटर पर गेम खेलने, चैटिंग करने या इंटरनेट पर इलैक्ट्रिक गेम की तरफ बढ़ा है। लुधियाना, जालन्धर तथा अमृतसर शहरों में किये शोध से पता चलता है कि पिछले एक दशक में बालीवाल, बास्केटवाल, खो-खो, फुटवाल तथा एथलेटिक्स आदि की भागीदारी में 50 प्रतिशत मुटियारों की कमी आई है। पिछले तीन वर्षों में तो राज्य के दर्जनों कालेजों में विभिन्न-2 खेलों के लिए लड़कियों की टीम तैयार करना मुसीबत बन गई है। लड़कियों की लंबाई कम होने के कारण राज्यकी डेढ दर्जन बालीवाल की टीमें समाप्त हो गई है। शोध के दौरान यह भी सामने आया है कि पहले आऊटडोर खेलों में लड़कियों की भागीदारी 65 प्रतिशत से कम होकर 30 प्रतिशत रह गई है। राज्य के करीब एक दर्जन कालेजों में पहले महिला हॉकी टीमें थी, अब मात्र चार-पांच कालेज में ही है। बड़े शहरों में वालसिटी के अन्दर करीब 800 कालेज छात्राओं में से 80 ने ही मैदान में आकर खेलों में हिस्सा लेने की प्रतिक्रिया दिखाई, जबकि 95 का झुकाव इन्डोर खेलों में दिखा। मात्र साढ़े पांच प्रतिशत लड़कियों ने ही शिक्षा के साथ-साथ खेलों को अपनाने की तरफ रूझान दिखाये, जबकि 2 प्रतिशत ही खेलों को कैरियर बनाने के प्रति गंभीर थी। लड़कियों ने परंपरागत खेल कोटला ......., खो-खो, स्टापू, योगा, व जिमनास्टिक, छोटी रेस, रस्सी कूदना आदि खेलों को भूलाते हुए उपरोक्त खेलों से दूरी बना ली है। शहरी लड़कियां पौष्टिक भोजन से भी परहेज कर रही है। 74 प्रतिशत लड़किया़ फास्टफूड, न्यूडल, बर्गर, डोसा, इडली, सैंडविच ब्रैड आदि का प्रयोग कर रही है। 69 प्रतिशत दूध तथा 94 प्रतिशत देसी घी से परहेज करती है। परिणाम है कि लड़कियों की लंबाई औसतन 5 फुट से ज्यादा नहीं हो रही। शोध में सौ लड़कियों में से सिर्फ 22 ही ऐसी सामने आई, जिनकी लम्बाई 5 फु ट 4 इंच से ज्यादा थी।
1:34 pm
manmohit grover
सिरसा(सिटीकिंग) पब्लिक हैल्थ सिरसा की उपमंडल न:(5) में लाखों रूपये का एल.पी.ऐ घोटाला प्रकाश में आया है। मिली जानकारी अनुसार इस उपमंडल में सभी प्रकार बेगार, समस्त खर्चों की पूर्ति तथा विभागीय भ्रष्ट तंत्र की जेब भरने के लिए एल.पी.ऐ यानि लोकल परचेज के फर्जी व बोगस बिलो का सहारा लिया जाता है और यह ठॅगी-ठोरी पिछले काफी समय से चल रही है। नाम न छापने की शर्त पर एक विभागीय ठेकदार ने बताया कि कुछ दुकानदार सामान न देकर केवल बिल देते है और बिल ऐवज में दस प्रतिशत तक लेते हैं। यदि पिछले तीन वर्षों का इस उपमंडल की एल.पी.ऐ और संबंधित दुकानदारों के रिकार्ड का मिलान, तथा एल. पी. ऐ में दिखाये गये सामान व पुराने सामान इत्यादि की गंभीरता से जांच की जाये, तो लाखों रुपयों के घपलों से पर्दा उठ सकता है।