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20.10.09

जामा मस्जिद मदरसा में जबरदस्त बलास्ट, कोई हताहत नहीं



जींद, २० अतूबर
हांसी ब्रांच नहर के निकट मीट मार्केट के पिछवाड़े जामा मस्जिद में सोमवार रात को हुए धमाके से हड़कंप मच गया। धमाके से मस्जिद में मौजूद मदरसे में पढ़ रहे चालीस छात्रों सहित लगभग साठ लोग बालबाल बच गए। धमाके से मदरसे की इमारत को काफी नुकसान हुआ है। धमाके की सूचना पाकर उपायुत मोहमद शाइन तथा पुलिस अधीक्षक सतीश बालन दलबल सहित मौके पर पहुंच गए और स्थिति का जायजा लिया। बाद में पुलिस अधीक्षक सतीश बालन ने प्रेस वार्ता कर आशंका जताई की मदरसे के स्टोर के नीचे पुराना सेटी टैंक बना हुआ था। जिसमें गैस बनने के कारण यह बलास्ट हुआ है। जांच टीमों ने घटनास्थल से सबूतों को जुटाया है। लेकिन घटनास्थल से प्रथम दृष्टि में ऐसा कोई विस्फोटक पदार्थ का सबूत नहीं मिला। फिर भी पुलिस गंभीरता से मामले की जांच कर रही है। जांच टीमों की रिपोर्ट पर ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। धमाक ा इतना जबरदस्त था कि उसकी आवाज छह किलोमीटर तक सुनाई दी और पूरी जमीन थर्रा उठी। बलास्ट से हड़बड़ाए लोग मकानों से बाहर निकल आए और लगभग मध्य रात्रि के बाद स्थिति सामान्य हो पाई। मस्जिद में बलास्ट की सूचना पाकर उपायुत मोहमद शाइन तथा पुलिस अधीक्षक सतीश बालन दलबल सहित मौके पर पहुंच गए और स्थिति का जायजा लिया। बाद में डॉग स्कवायड, एसएफएल टीम, पास्ट बलास्ट एग्जाम टीम ने मौके से साक्ष्यों को जुटाया।
हांसी ब्रांच नहर के निकट जामा मस्जिद स्थित मदरसे में रात्रि लगभग पौने दस बजे शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र सोने की तैयारी कर रहे थे। मस्जिद के इमाम दीन मोहमद कार्यालय में बैठे काम को निपटा रहे थे। उसी समय मदरसे और कार्यालय के बीच बने स्टोर में जबरदस्त बलास्ट हुआ। जिसमें स्टोर की दीवार तथा बाहरी दीवार के परखच्चे उड़ गए जबकि मदरसे के पांच कमरों की मुंडेरें तथा छज्जे उखड़ गए। मदरसे के कार्यालय सहित पांच कमरों की खिड़कियां पूरी तरह ध्वस्त हो गई और कमरों में रखे सामान को नुकसान पहुंचा। यहां तक की कार्यालय में कामकाज कर रहे इमाम चारपाई से जमीन पर गिर गए। बलास्ट के बाद क्षतिग्रस्त हुए स्टोर का मलबा लगभग स्त्र०त्त्० फुट दूर तक बिखर गया। बलास्ट से कोई हताहत नहीं हुआ।
बलास्ट की सूचना मिलते ही उपायुत तथा पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंच गए और मस्जिद तथा घटनास्थल का मुआयना कर पूरे क्षेत्र को सील कर दिया। बलास्ट की सूचना पाकर हिसार से पास्ट बलास्ट एग्जाम टीम, मधुबन से एसएफएल टीम, डॉग स्कवायड मौके पर पहुंच गई और घटनास्थल से साक्ष्यों को जुटाया।

22 साल के युवा ने 60 साल की विधवा से की शादी

सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक 22 साल के युवक ने 60 साल की बुजुर्ग महिला से शादी करके यह साबित कर दिया है कि प्यार में उम्र कोई बंधन नहीं होता। घटना जिले के सकरन गांव की है, जहां सोमवार शाम को महावीर कुमार ने गांव की ही 60 वर्षीय विधवा जानकी से ग्रामीणों के सामने शादी करके सबको चौंका दिया। ग्रामीण शिव बहादुर ने बताया कि महावीर ने जानकी को गांव के पास के मंदिर में ले जाकर सबके सामने शादी की। दोनों ने एक दूसरे के गले में जयमाल डाली और फिर महावीर ने अपनी हथेली काटकर खून से जानकी की मांग भरी।
बहादुर के मुताबिक जानकी के पति की तीन साल पहले मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद उसके 4 बेटे उससे जबरन मजदूरी करवाते थे। कुछ समय पहले महावीर उसके संपर्क में आया। धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे से अपनी परेशानियां बांटने लगे। महावीर आर्थिक रूप से उसकी मदद भी करने लगा। ग्रामीण चितरंजन ने बताया कि सोमवार शाम को जब जानकी के बेटे उसे घर से निकाल रहे थे तभी महावीर उसकी मदद के लिए वहां पहुंचा और सार्वजनिक रूप से जानकी से शादी करने का ऐलान कर दिया। विवाह के बाद दोनों के परिजन उन्हें धमका रहे हैं, जिसे देखते हुए उन्होंने पुलिस से मदद मांगी है। स्थानीय थाना-प्रभारी इश्तियाक अहमद ने मंगलवार को कहा कि उनके विवाह को कानूनी रूप से कोई चुनौती नहीं दे सकता। पुलिस की तरफ से उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। अहमद ने कहा कि फिलहाल महावीर जानकी को लेकर अपने एक मित्र के यहां रह रहा है।

मजदूर की मौत पर बवाल, कंपनी पर पथराव

गुड़गांव। गुड़गांव की ऑटोमोबाइल कंपनी रीको में एक श्रमिक की मौत पर बवाल बढ़ता ही जा रहा है। मुआवजे और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के आह्वान पर करीब 60 कंपनियों के 80 हजार कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। रीको मैनिजमंट के खिलाफ ऐक्शन को लेकर मजदूरों ने मंगलवार सुबह एनएच 8 को भी कुछ देर के लिए जाम किया। इसके बाद मजदूरों ने रिको फैक्ट्री पर पथराव भी किया। हालात बिगड़ते देख गुड़गांव में धारा 144 लागू कर दी गई है। उधर, मजदूरों के तेवरों को देख रेवाड़ी, बावल, उद्योग विहार, मानेसर खांडसा की कई फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। सभी कर्मचारी अपनी कंपनियों के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। गौरतलब है कि बहरामपुर-खांडसा रोड स्थित ऑटो रीको ऑटो पार्ट नामक इस ऑटोमोबाइल कंपनी के गेट पर रविवार रात को मजदूरों के झगड़े में श्रमिक की मौत हो गई थी। श्रमिकों का आरोप है कि बाउंसरों की पिटाई और फायरिंग से वर्कर अजीत यादव की जान गई। इसके खिलाफ कंपनी के कर्मचारियों ने पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर लाल झंडों और डंडों से लैस होकर प्रदर्शन किया था। लेबर यूनियन की मांग है कि कंपनी के मालिक अरविंद कपूर और वाइस प्रेजिडेंट के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए।

प्रथम पुरस्कार तथा अलंकरण

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रतिवर्ष फिलीपींस के भूतपूर्व राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की स्मृति में विभिन्न क्षेत्रों में प्रदान किया जाता है। परमवीर चक्र: पराक्रम के लिए यह भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है। यह जल, थल या नभ में दुश्मन के सामने उच्चकोटि का साहस, पराक्रम और आत्म बलिदान के कार्य के लिए प्रदान किया जाता है। महावीर चक्र, वीर चक्र आदि भी पराक्रम पुरस्कार है। भटनागर पुरस्कार: सुप्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक डा. शांति स्वरूप भटनागर की स्मृति में 1967 ई. से भारतीय औद्योगिक तथा वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद द्वारा दिया जाता है। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार: यह पुरस्कार भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए प्रदान किया जाता है। सर्वप्रथम 1965 ई. में इसे जी. शंकर कुरूप को प्रदान किया गया। आशापूर्ण देवी इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली प्रथम महिला है। हिंदी में इसे सर्वप्रथम सुमित्रानंदन पंत को उनकी कृति 'चिदम्बरा' के लिए सन् 1968 में प्रदान किया गया। मूर्तिदेवी पुरस्कार: यह पुरस्कार भी साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ण योगदान करने वालों को दिया जाता है। बोरलॉग पुरस्कार: यह पुरस्कार विश्वविख्यात कृषि वैज्ञानिक डा. नामन बोरलॉग के सम्मान में दिया जाता है। इसे कृषि की पैदावार में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रतिवर्ष भारतवर्ष वैज्ञानिकों को दिया जाता है। कालिंग पुरस्कार: यह विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। नेहरू पुरस्कार: भारत सरकार द्वारा संस्थापित यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है, जो विश्व के लोगों के बीच सद्भावना और मित्रता को बढ़ावा देने हेतु विशिष्ट भूमिका निभाता है। दादा साहब फाल्के पुरस्कार: यह फिल्म जगत का सर्वोच्च भारतीय पुरस्कार है। इस पुरस्कार को प्राप्त करने वालों में अभिनेता राजकपूर, दिलीप कुमार व पाश्र्व गायिका लता मंगेशकर तथा देवानंद प्रमुख हैं। -मनमोहित ग्रोवर, प्रैसवार्ता

17वें सम्मेलन का मुख्य विषय 'भाषा संस्कारों की जननी है'

गाजियाबाद(प्रैसवार्ता) प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले दो दिवसीय 'अ.भा. हिन्दी साहित्य समारोह' से गाजियाबाद महानगर की साहित्यिक-सांस्कृतिक पहचान राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुई है। जिसमें देश के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में विद्वान, लेखक, पत्रकार, शिक्षाविद् व समाजसेवी भाग लेते हैं। समरोह में जहां कई विचार गोष्ठियां होती हैं वहीं आ.भा. पत्र-पत्रिका व पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन, सांस्कृतिक संध्या व कवि सम्मेलन सहित अनेक विद्वानों को नामित सम्मानों से अलंकृत किया जाता है। इस वर्ष आगामी 24-25 अक्टूबर को स्थानीय हिन्दी भवन में 17वां अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य समारोह तथा 10वां अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन एक साथ आयोजित किये जा रहे हैं। समारोह के संयोजक तथ यू,एस.एम.पत्रिका के संपादक उमाशंकर मिश्र के अनुसार पहली बार दो आयोजन एक साथ ही किये जा रहे हैं जिसमें तीन सत्रों में 'भाषा संस्कारों की जननी हैÓ विषय पर विचार गोष्ठी में श्रेष्ठ विद्वान अपने विचार व आलेख प्रस्तुत करेंगे। आ.भा. पत्र पत्रिका व पुस्तक प्रदर्शनी में देशभर से प्रकाशित लघु पत्रों व साहित्यिक पत्रिकाओं के नवीनतम अंकों की प्रदर्शनी और वर्ष 2008-09 में प्रकाशित साहित्यिक पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई जायेगी। उद्योग नगर प्रकाशन व यू.एस.एम.पत्रिका द्वारा प्रकाशित साहित्य की बिक्री की व्यवस्था भी रहेगी। समारोह में रोचक सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्मेलन तथा प्रतिवर्ष दिये जाने वाले नामित सम्मानों से चुने हुए विद्वानों को अलंकृत किया जायेगा। राजभाषा सम्मेलन में सार्वजनिक उपक्रमों के राजभाषा अधिकारियों, प्रबंधकों आदि की भागीदारी प्रमुखता से रहेगी तथा राजभाषा गृह पत्रिकाओं की प्रदर्शनी भी लगायी जायेगी। हिन्दी के विकास में श्रेष्ठ योगदान करने वाले हिन्दी अधिकारियों व संस्थाओं और उनकी पत्रिकाओं को भी सम्मानित किया जायेगा। दो दिवसीय सम्मेलन का प्रांरभ 24 अक्टूबर को पूर्वाह 10 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 25 अक्टूबर को शाम 5 बजे संपन्न होगा। इसमें भाग लेने के लिए सभी हिन्दी सेवी चिंतक व साहित्यकार अपनी भागीदारी की सूचना मुख्य संयोजक उमांशकर मिश्र, संपादक-यू.एस.एम. पत्रिका 695, न्यू कोट गांव, जी.टी. रोड, गाजियाबाद को पत्र अथवा फोन: 2860110, 98182-49902 द्वारा सूचित कर सकते हैं।

दस हजार पत्र पत्रिकाओं का अनूठा संग्रह रखते हैं- डॉ. मानव

हिसार(प्रैसवार्ता) देश-प्रदेश तथा विदेशों में अपने-अपने शौक रखने वालों की कमी नहीं है। किसी को सिक्के एकत्रित करने में रूचि है, तो कुछ पुरानी वस्तुओं का संग्रह करने के शौकीन है। कुछ लोगां के पास, डाक-टिकटों, निमंत्रण पत्रों तथा ताश की गड्डियों के संग्रह उपलब्ध हैं। ऐसे ही शौकीन लोगों की सूची में शामिल है, वरिष्ठ साहित्यकार डा. राम निवास 'मानव' जिनके निजी पुस्तकालय में लाखो रुपये मूल्य की पुस्तकें तो उपलब्ध हैं-हीं, वहीं दस हजार पत्र-पत्रिकाओं का अनूठा संग्रह है। डा. मानव विगत 35 वर्षों से यह संग्रह करते चलते आ रहे हैं। ''प्रैसवार्ता'' को एक मुलाकात में डा. मानव ने बताया कि उनके पास प्रतिमास देश-विदेश की लगभग सौ पत्र-पत्रिकाएं आती हैं। पिछले 35-40 वर्षों में उनके पास, जितनी भी पत्र-पत्रिकाएं आई हैं, उनमें से लगभग सभी की एक-एक, दो-दो प्रतियां उनके पास सुरक्षित हैं। इन पत्र-पत्रिकाओं में अमेरिका की ''हिन्दी जगत'', नेपाल की ''हिमालिनी'' और मॉरीशस की ''इन्द्रधनुष'' तो है-ही, ''सरस्वती'' ''हंस'', नई धारा और ''वीणा'' जैसी ऐतिहासिक महत्व की साहित्यक पत्रिकाएं भी है। इनके अतिरिक्त हस्तलिखित, फोटो स्टेट की हुई, पोस्ट कार्ड पर निकलने वाली गुटका साईज और डिमाई साईज से लेकर समाचार पत्र साईज में निकलने वाली पत्रिकाओं के साथ-साथ अनेक पत्रिकाओं के भारी-भरकम विशेषांक भी सुरक्षित है। संग्रहित पत्र-पत्रिकाओं के महत्व को स्पष्ट करते हुए डा. मानव ने ''प्रैसवार्ता'' से कहा कि उनके पास उपलब्ध पत्र-पत्रिकाओं में से लगभग 90 प्रतिशत बंद हो चुकी हैं तथा अब उनके अंक ढूढना कठिन ही नहीं, असंभव है। ऐसे में पत्रकारिता पर शोध करने वाले शोध छात्रों के लिए उनका यह संग्रह अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। एक दशक पूर्व हिसार के एक महाविद्यालय में प्रदर्शनी लगा चुके डा. मानव अब इन पत्र-पत्रिकाओं को किसी विश्व विद्यालय के पत्रकारिता विभाग को भेंट करना चाहते है, ताकि वहां यह दुर्लभ निधी सुरक्षित रह सके तथा अधिकाधिक शोधार्थी इसका लाभ उठा सकें। जिक्र योग है कि विगत तीन दशकों से सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े तथा पत्रकारिता के लिए ''आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता-पुरस्कार'' से पुरस्कृत डा. मानव हरियाणा ही नहीं, सम्भवत संपूर्ण भारत के एक मात्र ऐसे पत्रकार है, जिनके प्रकाशन-सम्पादन में हिसार में प्रकाशित होने वाले सांध्य दैनिक ''नित्य हलचल'' पर हरियाणा की पत्रकारिता के विकास में ''नित्य हलचल ÓÓ की भूमिका शीर्षक से, वर्ष 2007 में, मदुरै कामराज विश्व विद्यालय, मदुरै (तामिल नाडू) से एम.फिल भी हो चुके हैं।

एक गांव, जहां नहीं पहुंची बस

फतेहाबाद(न्यूजप्लॅस) हरियाणा सरकार भले ही काई दावा करती रहे, मगर यह सत्य है कि 3500 की आबादी वाले फतेहाबाद जिला के ग्राम बन मंदौरी में आज तक बस नहीं पहुंची है। सरकार ने ग्राम में आंगनवाड़ी, पंचायत घर, पशु अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जैसी मूलभूत सुविधाएं दी हुई हैं। भट्टूकलां-नाथूसरी चौपटा पर स्थित पूर्व सांसद मनी राम बागड़ी के पैतृक गांव बन मंदौरी ग्राम में न तो कोई सरकारी या प्राईवेट बस की सुविधा ग्रामवासियों को उपलब्ध न होने के कारण निजी वाहनों से सफर करना पड़ता है या फिर मजबूर होकर ज्यादा किराया देकर प्राईवेट साधनों का सहारा लेना पड़ता है।