12:12 pm
Ravi Hasija
जींद : भारतीय संस्कृति में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है, लेकिन गाय माता की स्थिति शहर में काफी चिंताजनक नजर आ रही है। शहर में जहां आवारा पशुओं की भरमार होती जा रही है। मौजूदा समय में शहर में आवारा पशुओं की संチया लगभग दो हजार से अधिक हैं, जिनमें से अकेले गायों की संチया एक हजार के आसपास है। इनमें से अधिकतर गाय सड़कों पर आवारा घूमती देチाी जा सकती है। कई बार हादसे हो चुके हैं, लेकिन इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शहर में ऐसी सैकड़ों गाय हैं, जो विभिन्न मार्गों पर घूमती रहती हैं। इसके अलावा खाली प्लाटों में पडे़ गंद को खाती रहती हैं, लेकिन इस तरफ प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जींद शहर में चार गौशालाएं हैं। इनमें भिवानी रोड स्थित श्री गौशाला, हांसी रोड स्थित श्री गोपाल गऊ सदन, हनुमान नगर स्थित सोमनाथ गौशाला तथा बाला जी गौशाला प्रमुख हैं। इन गौशालाओं में करीबन ख्फ्०० गाय हैं, जिनके रहने, खाने तथा इलाज गौशाला संचालकों द्वारा किया जाता है। इन गौशाला में भी सिर्फ इन्हीं गायों को रखा जाता है, जो कोई व्यक्ति छोड़ जाता है या फिर नगरपालिका वाले छोड़ जाते हैं। इसके अलावा गौशाला संचालक शहर में बीमार या चोट ग्रस्त गायों का भी इलाज करते हैं। सूचना मिलने पर तुरंत ये लोग मौके पर पहुंचकर गायों का इलाज करते हैं। फिलहाल शहर में घूमती आवारा गायों को लेकर प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। सड़कों पर आवारा गायों के घूमने से कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया है। नगरपालिका भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। वहीं कई मालिक भी सड़कों पर गायों को सड़क पर आवारा छोड़ देते हैं।
6:47 pm
Randhir Singh Suman
उत्तर प्रदेश में सरकारी, सहकारी चीनी मिलें धीरे-धीरे बंद हो गई है । एन.डी.ए सरकार में उदारीकरण और निजीकरण का जो दौर चला जिसके चलते सार्वजानिक क्षेत्र को बीमार घोषित कर समाप्त करने का कार्यक्रम शुरू हुआ । एन.डी.ए सरकार के मंत्रिमंडल में सार्वजानिक क्षेत्र को समाप्त करने के लिए विनिवेश मंत्री भी नियुक्त किया गया था । उदारीकरण और निजीकरण की नीतियों के कारण प्रदेश की अधिकांश चीनी मिलें बंद कर दी गई ।
अधिकांश चीनी मिलें निजी क्षेत्र की है और कुछ चीनी मीलों के मालिकान प्रसिद्ध प्रिंट मीडिया के समूहों के मालिकान है । प्रिंट मीडिया समूहों के समाचारपत्र उपदेश देने की भूमिका में रहते है और सरकार की नीतियों को प्रभावित भी करते है । बड़े-बड़े घोटालो का पर्दाफाश भी करते रहते है । चुनाव के समय खुलकर किसी न किसी दल की तरफ़ से हिस्सा भी लेते है किंतु जब इन मीडिया समूहों के मालिकान चीनी मीलों के मालिकान की भूमिका में होते है तो गन्ना किसानो का रुपया कई-कई साल तक नही देते है और इनके कांटें घटतौली करते है । एक गाड़ी में अगर गन्ना 20 कुंतल है तो इनका कांता तौलकर 15 कुंतल ही बताता है। कोई अधिकारी इनका कुछ कर नही सकता है । पिछले वर्ष इन लोगो ने बड़े-बड़े वकीलों के तर्क के माध्यम से सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य को काफ़ी कम करा दिया था । जिससे निराश, बदहाल गन्ना किसानो ने गन्ने को बोना बंद कर दिया । अब निजी क्षेत्रो की चीनी मीलों का एकाधिकार है जिसके कारण दस रुपये किलो की चीनी को 40 रुपये किलो की दर से बेच कर अथाह मुनाफा कमाया जा रहा है ।
सरकार इस मामले में चाह कर भी कुछ नही कर सकती है क्योंकि चीनी मिल मालिकान अपने मीडिया के माध्यम से सरकार के ऊपर दबाव बनाये हुए है । समय रहते यदि गन्ना किसानो की बदहाली को दुरुस्त न किया गया और सरकारी, सहकारी चीनी मीलों को पुन: न चालू किया गया तो चीनी इससे भी ज्यादा कड़वी होगी ।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
4:16 pm
manmohit grover
दिल्ली(प्रैसवार्ता) मानवता को दहला देने वाला एक कटु सत्य है, जिस पर विश्वास करना कठिन है कि, इंसानों को उसके अंगों की बिक्री के लिए इसलिए कैद किया जाता है, कि ग्राहक आयें, जिंदा इंसानों के अंग देखकर पसंद करे और फिर उसे मारकर उसका अंग अपने शरीर में प्रत्यारोपित करवा कर चलते बने। यह सब करते समय पकड़े जाने या जेल जाने का कोई खतरा नहीं, क्योंकि यह सब सरकार और सेना की देखरेख में ही होगा। कनाडा के पूर्व विदेश मंत्री डेविड किलगार ने अपनी लम्बी जांच के बाद इसे सत्य पाया है। डेविड किलगार द्वारा पेश किये आकंड़ों पर इंकार नहीं किया जा सकता। चीनी मैडीकल कम्यूनिटी में प्रत्यारोपण केचीन से स्वस्थ अंग खरीदने में मात्र इतनी मशक्कत करनी पड़ती है, जितनी भारत में टिकट खरीदने में लगती है। इंटरनेट पर वहां के प्रमुख अस्पतालों के फोन नम्बर देखिये और दुनिया के किसी भी हिस्से से फोन मिलाकर सौदा पक्का कीजिये। यदि आपकी जेब में अच्छा माल है, तो आंखों के कोर्निया से लेकर दिल, किडऩी और लीवर तक, जो चाहेंगे, मिलेगा। विदेशों से बड़ी संख्यां में आकर लोग स्वस्थ अंग लगवा रहे है। २७ वर्ष तक कनाडा के चुने सांसद और लम्बे समय तक रहे विदेश मंत्री रहे डेविड किलगार ने रिकार्ड की गई बातचीत में १५ अस्पतालों के डाक्टरों और कर्मचारियों से सौदा किया और इन्होंने स्वीकार किया कि चीन में फालुन गोंग समुदाय के लोगों के अंग बिकते है। लंबी जांच उपरांत किलगार ने पाया कि चीन के एक धार्मिक संप्रदाय फालुन गोंग के लाखों लोगों को गुलाम बनाकर रखा जाता है। फालुन गोंग की जेनिस बताती है कि प्राचीन धर्मों तथा योग जैसी पद्धतियों पर आधारित इस संप्रदाय की लोकप्रियता इतनी बढ़ी की साढ़े सात करोड़ लोग इसके अनुयायी हो गये, जबकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य सिर्फ एक करोड़ ६० लाख ही है, जिससे घबरा कर दमनकारी चीनी सरकार ने लाखों फालुन गोंग के अनुयाईयों को पकड़ कर लेबर कैंप में रखा है, जबकि चीनी दूतावास इस आरोप को झुठला रहा है। इसके प्रवक्ता वंश शियाओं फं ग ने बातचीत में स्वीकार किया कि फालुन गोंग को अपनाने वाले लोग शैतानी प्रवृति के होते है। अंगदानी चीन में कितनी पंजीकृत है, प्रत्यारोपण का पूरा कारोबार कितना है, इसके बारे में पूछे गये सवालों का न तो प्रवक्ता ने कोई जबाव दिया है और न ही चीनी राजदूत से लिखित में पूछे गये सवालों का कोई जवाब मिला।
4:14 pm
manmohit grover
सिरसा( न्यूजप्लॅस) जिला भर में सीडी व डीवीडी विके्रता युवाओं में अश्लीलता परोसने में जुटे हुए हैं। जपपद में ब्लयू फिल्मों की सीडी व डीवीडी की सरेआम बिक्री के साथ-साथ मोबाइल में ब्लयू क्लिप डाऊनलोड करने का काम तेजी पकड़ रहा है,जिस कारण कैसेट रिकार्डिंग वगैरह की दुकान चलाने वालों के अतिरिक्त अनेक मोबाइल विके्रता ब्लयू फिल्म फोटोज प्राप्ति का केन्द्र बन गए हैं। पुलिस प्रशासन इससे बेखबर है,कहना ज्यादती होगी, मगर इस गौरखधंधे को रोकने में पुलिसिया तंत्र जरूर असफल है। 'न्यूजप्लॅस' को मिली जानकारी के अनुसार पहले बाजार में ब्लयू फिल्मों की सीडी ही बेची जाती थी,मगर नई तकनीक विकसित होने के कारण डीवीडी आ गई है। एक सीडी में अधिकांशत: एक ही फिल्म होती थी,जबकि डीवीडी कई-कई फिल्मों को अपने में समेट लेती है। एक सीडी में 80 मिनट तक की रिकार्डिंग होती है, जबकि डीवीडी में करीब 8 घंटे तक की फिल्म रिकार्ड हो जाती है, इसी वजह से ग्राहक सीडी के स्थान पर डीवीडी को प्राथमिकता देने लगे हैं। नकली रिकार्डेज डीवीडी केवल 25 रूपए से 40 रूपए तक मार्केट में उपलब्ध है और यदि कोई ग्राहक डीवीडी या सीडी खरीददारी के पैसे लगाए बिना अश्लीलता का भौंडा प्रदर्शन देखना चाहे, तो दुकानदार डीवीडी को एक दिन अथवा रात के लिए केवल 20 रूपए में किराये पर भी उपलब्ध करवाने की सुविधा देते हैं। ब्लयू फिल्मों के शौकिन लोग एक साथ कई फिल्में देखकर अपना शौक पूरा कर लेते हैं। इस गौरखधंधें में, जहां दुकानदार खूब चांदी कूट रहे हैं, वहीं युवा वर्ग व स्कूली छात्र-छात्राएं डीवीडी के चक्कर में फंसकर पथभ्रष्ट हो रहे हैं। समाज को गर्त में ले जा रहे इस धंधें के मुख्य केन्द्र हिसार व हनुमानगढ़ बताए जाते हैं, जहां से हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में फिल्में उपलब्ध हो जाती हैं। अश्लीलता परोसने के इस धंधें में चर्चित रहे अनेक सैक्स कांडों का काफी योगदान होता है और इन कांडों के फर्जी नामों पर खूब सीडी व डीवीडी बिकती हैं। कथित तौर पर अनेक मोबाइल दुकानों के संचालकों के कम्प्यूटर में ढेर सारी अश्लीलता सामग्री मिल जाती है, जो ग्राहकों को ब्लयू टूथ या अन्य तरीकों से मोबाइलों पर परोस्ते हैं। इस प्रकार जिला भर में डीवीडी व सीडी के अलावा अब मोबाइल में ब्लयू फिल्में व फोटो मिलना आम बात हो गई है।
4:13 pm
manmohit grover
बठिण्डा(प्रैसवार्ता) जिला बठिण्डा में ड्रग माफिया गिरोह का प्रभावी होने के कारण नकली मोबाईल, कास्टमैटिक की वस्तुएं, ग्रीस इत्यादि मिलावटी व घटिया स्तर के बेचे जा रहे है। कई वस्तुएं तो ऐसी हैं-जो कि सुप्रसिद्ध कम्पनियों की पैकिंग करके बेची जा रही है। पशुचारे, खल बिनौला, सीमेन्ट, देसी घी नकली होने के साथ हल्दी-मिर्च, मसालों की मिलावटी बिक्री में वृद्धि हो रही है। यही कारण है, कि बठिण्डा शहर नकली, नशीले और मिलावटी सामान की मंडी बनता जा रहा है। बताया जाता है, कि मोबाइल ऑयल पांच लीटर का मूल्य 320 रूपये के करीब है-परन्तु बठिण्डा में 125 रूपये का पांच लीटर मिल रहा है। बस स्टैण्ड पर बसों में नकली साबुन बेची जा रही है-जिसके प्रयोग से चर्म रोग हो सकते हैं। खाने पीने वाली वस्तुओं के अतिरिक्त आवश्यक वस्तुएं जैसे स्पेयर पार्टस, मोबिल ऑयल, सरसों का तेल, शर्बत इत्यादि नकली बेचकर दुकानदार उपभोक्ताओं से ज्यादती कर रहे हैं। बठिण्डा शहर में दूध से क्रीम निकालने वाली डेयरियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। दही, पनीर, मास, मछली, मक्खन की पहचान करनी भी कठिन हो गई। विश्वस्त सूत्रों से पला चला है कि मिलावट खोरों को खुली छूट देने की ऐवज में स्वास्थ्य विभाग का भ्रष्ट तंत्र दलालों के माध्यम से लाखों रूपये प्रति मास एकत्रित करते है-जबकि लोक दिखावा करने के लिए कभी-कभी सैंपल भर लेते हैं और वह भी उनके, जो निर्धारित समय तक सुविधा शुल्क देने में असमर्थ हो गये हैं। अपना नाम न छापने की शर्त पर एक दुकानदार ने प्रैसवार्ता को बताया कि कैप्टन सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम उन्हें मंहगी पड़ रही है, क्योंकि एक वर्ष में सुविधा शुल्क के दो बार रेट बढ़ गये हैं।
4:11 pm
manmohit grover
कालांवाली (प्रैसवार्ता) केन्द्रीय भारतीय चिकित्सा अधिनियम 1970, केन्द्रीय होम्योपैथी अधिनियम 1973 तथा ड्रग एवं कास्मैटिक एक्ट 1940 की धज्जियां उड़ाते हुए कालांवाली कस्बे तथा आसपास के ग्रामों में अनगिनत नीम-हकीम, झोला छाप चिकित्सक और स्वास्थ्य विभाग, आयुवैदिक बोर्ड इससे बेखबर है या है या फिर भ्रष्ट तंत्र की सांठ-गांठ है। फर्जी चिकित्सकों, वैद्यों के हौंसले इस कद्र बुलंद हैं, कि समाचार पत्रों में बड़े-बड़े विज्ञापन,शहर-कस्बों में बड़े-बड़े होडिंग्स लगाकर न सिर्फ लोगों को गुमराह करके न उनका आर्थिक शोषण कर रहे हैं, बल्कि नशीली वस्तुएं (अफीम, भुक्की, गांजा, चरस, हथकढ़ शरा) दवा के रूप में देकर नशे का आदी बना रहे हैं। ज्यादातर नीम-हकीम व झोलाछाप चिकित्सकों के पास किसी भी प्रकार की कोई मान्य डिग्री नहीं है-जबकि कुछ दूसरे चिकित्सकों के नाम पर या फिर बिहार आदि राज्यों से अमान्य प्रमाण पत्रों का सहारा लिये हुए हैं। ''प्रैसवार्ता'' को मिली जानकारी अनुसार बिहार सहित अन्य राज्यों से अमान्य डिग्री दिलवाने वालों का एक बकायदा गिरोह इस क्षेत्र में सक्रिय है। केवल इतना ही नहीं, कालांवाली तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बिना किसी मान्य डिग्री के लैबोट्रीज की संख्या में भी निरंतर इजाफा हो रहा है, जिनकी किसी गलत रिपोर्ट के चलते जानलेवा हादसा हो सकता है।
8:50 am
manmohit grover
आपने कभी सोचा हैं, कि आपकी उंगली और नाखून का कितना सम्बन्ध हैं? आपके नाखून आपके जीवन संबंधी बहुत कुछ बाते बताते हैं आपके नाखून सुंदर हैं, तो इनमे और भी विचार छुपे हुए हैं आपके नाखून आपकी सेहत, अमीरी-गरीबी के बारे में संकेत करते हैं एक बार आप अपने नाखुनो पर लिखे कुदरती लेख को पढ ले तो आपको बहुत कुछ पता चल जाएगा अगर किसी के नाखून बड़े हैं तो उससे पता चलता हैं कि वह सुस्त और कामचोर हैं किसी के नाखून में मैल हो तो वह किसी को धोखा नहीं दे सकता, ऐसा व्यक्ति ज्यादातर चुप रहता हैं अगर किसी व्यक्ति के नाखुनो पर लाली हो तो वह रोमांस व प्यार के मामले में किस्मत वाला होता हैं, और हर किसी से प्यार करता हैं अगर नाखून का रंग सफ़ेद हो तो पता चलता हैं कि वह बदकिस्मत और कभी कभी कंजूसी भी करता हैं गुलाबी रंग के नाखून वाले खुशदिल वाले होते हैं और इनके इरादे पक्के होते हैं अगर कोई व्यक्ति नाखून खता हैं तो वह अपनी जिंदगी को चबाता हैं और वह अपनी ज़िन्दगी के साथ-साथ नहीं चलता ऐसा व्यक्ति ज़िन्दगी में बहुत मुश्किलें पता हैं अगर व्यक्ति बात करते समय नाखून चबाता हैं तो उससे पता चलता हैं कि वह कुछ और बता रहा हैं और उसके दिल में कुछ और हैं नाखून के रंग और बनावट से कुछ बीमारियों का भी पता चलता हैं जब कभी नाखून के नीचे खून के धब्बे नज़र आने लगे तो उसे खून सम्बन्धी बीमारी होती हैं दिल के रोगी कि यह पहचान हैं कि उसके नाखून का रंग हल्का नीला होता हैं अगर नाखून का रंग सफ़ेद हो तो उसे खून की कमी होती हैं नाखून सम्बन्धी एक हैरानी वाली बात यह हैं कि वे गर्मी में ज्यादा बढ़ते हैं और सर्दी में कम अंगूठे छोटी उंगली के नाखून कम गति से बढ़ते हैं अगर किसी दुर्घटना में आपको नाखून पुरा उतर जाए तो उससे नया आने में कम से कम ६ महीने लगते हैं अगर आप ५० साल तक नाखून ना काटे तो आपकी नाखून की लम्बाई ६ फ़ुट हो जायेगी पुराने समय में चीनी औरतो में नाखून बढ़ाने का रिवाज था, वे अपने नाखून नहीं काटती थी, जिससे पता चलता था की वे काम नहीं करती थी नाखून बढ़ाने का रिवाज अब चीन में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में फ़ैल गया हैं हर गाव, शहर में लड़किया आमतोर पर नाखून बढाती हैं बहुत लोग अन्गुठे, छोटी उंगली का नाखून बढाते हैं नाखून का बढ़ाना कोई खतरा नहीं हैं, मगर नाखुनो की सफाई करना सेहत के लिए जरुरी हैं पांव के नाखुनो की सफाई भी जरुरी हैं -मनमोहित ग्रोवर(प्रैसवार्ता)