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17.10.09

इंसान को हैवान बनाती है दहेज प्रथा

दहेज के कीड़े समाज में बढ़तें जा रहे हैं। दहेज इंसानियत के नाम पर कलंक हैं। कोई भी चीज इंसान को हैवान बना दे उसे कलंक की वस्तु ही कहा जाना चाहिए। दहेज लेने का नशा ही आज इंसान को हैवान बना रहा हैं। दहेज के खातिर मार-पीट करने की, तंग करने की घटनाएं आज आम सुनने को मिलती हैं। कई हैवान किस्म के लोग दहेज के खातिर लड़की को जान से मारने से भी नहीं चुकते। दहेज की बलि देवी पर जान कुर्बान करने वाली लड़कियां सही मायने में अपना प्रतिरोध नहीं कर पाती। दहेज के खातिर लड़कियों को तंग करना, उन्हे जान से मार देना सरासर कायरता हैं। हर मां-बाप अपनी बेटी को लाड़-प्यार से पालते हैं। उसे उच्च से उच्च शिक्षा दिलाते है। उसकी हर ख्वाहिश को पूरी करते है। उसकी शादी के सुनहरे सपने देखते हैं, लेकिन शादी उपरांत दहेज के दानव उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर देते हैं। लड़की के मां-बाप लड़के वालो की हर इच्छा पर बड़ी कुशलता से पालन करते हैं। पर इसके बावजूद दहेज के दानव इनकी भावनाओं को चकनाचूर कर देते हैं। दहेज के दानव लड़की से इतना दुव्र्यवहार करते है कि वह सूखकर कांटा हो जाती हैं। वे इतना भी नही सोचते कि बेटे की शादी में दहेज की मांग करने वालो को भी कभी अपनी बेटी की शादी करनी होगी। उन्हे सिर्फ इतना याद रहता है कि वे लडके वाले हैं और उन्हे ज्यादा से ज्यादा दहेज लेना हैं। आज की युवा पीढ़ी को दहेज प्रथा का कड़ा विरोध करना होगा। उन्हे दहेज के कीड़ों को खत्म करने कि लिए आगे आना होगा। इन दहेज के कीड़ों पर इस प्रकार की दवा छिड़कनी होगी कि वे समूल ही नष्ट हो जाए। युवाओं को दहेज न लेने का दृढ़ संकल्प करना होगा। ज्यादातर देखने को आता है कि लड़की के मां-बाप अपनी बेटी को अधिक से अधिक दहेज देकर खुश देखना चाहते हैं, परन्तु उन्हे नहीं मालूम की वह दहेज देकर उन्हे दहेज लोभी बना रहे हैं। जिसके कारण लड़के वालो की इच्छाएं बढ़ती जाती हैं। जिसके फ लस्वरूप लड़की के माता-पिता को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं। आजकल के लोग शादियों में लाखों का धन उड़ा देते है, जिसका कोई लाभ नहीं होता। वे जितने रूपये एक लड़की की शादी में खर्च करते हैं उतने रूपयों में कम से कम 25-30 लड़कियों का घर बस सकता हैं। आज समाज के सभी लोग कैंसर रूपी दहेज को भारत की सरजमीन से नेस्ताबूत या उखाड़ फें कने का दृढ़ संकल्प ले और प्रण करें कि न दहेज लेंगे और न दहेज देंगे। दहेज को लेकर मासूम लड़कियों की हत्या करने वाले दहेज लोभियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इसके प्रति रहम नाम की कोई चीज नहीं होनी चाहिए। जब हमारी सरकार और समाज दोनो मिलकर दहेज लोभियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेंगे तो निश्चित ही दहेज हत्याओं का दौर थमेगा। -मनोज अरोड़ा (न्यूजप्लॅस)

देलवाड़ा जैन मन्दिर (वास्तुशिल्प का नायाब नमुना)

माउंट आबू को राजस्थान का स्वर्ग कहा जाता है। आबू रोड से करीब 15 कि.मी. की दूरी पर पर्वत पर स्थित माउंट आबू नाम से विख्यात नगर का इतिहास बहुत पुराना है। यह पर्वत न केवल भव्य मंदिरों के लिए विख्यात है, बल्कि यह पर्वत ऋषियों की साधना की भूमि भी रही है। पहाड़ पर स्थित अनेक गुफाओं से इस बात की पुष्टि होती है कि यहां अनेक ऋषियों ने तपस्या की थी। इस जगह का विकास इस तरह हुआ कि आज यह जगह अध्यात्म और संस्कृति का एक बेमिसाल संगम है। एक ओर यहां के महनुमा होटल देशी व विदेशी ट्रस्टियों को आकर्षित करते हैं। वहीं दूसरी ओर विभिन्न संप्रदाय के मठ-मंदिर व ब्रह्माकुमारीज विश्वविद्यालय का साधना स्थल एक अलग ही छटा बिखेरते हैं। प्रकृति का खूबसूरत उपहार कहलाने वाली यह जगह वास्तु शिल्प का बेजोड़ उदाहण है। मुख्य रूप से माउंट आबू देलवाड़ा में स्थित जैन मंदिरों के कारण विश्व विख्यात है। पर्वत पर स्थित देववाड़ा गांव में धवल संगमरमर से बनाए गए देलवाड़ा जैन मंदिर अपनी शिल्पकला, वास्तुकला एवं स्थापत्य कला के कारण आकर्षण का केंद्र है। हिंदु संस्कृति के यह मंदिर जैन वैभव कला को अपने आप में समेटे हुए हैं। मंदिर में देवी-देवता, नृत्य करतीं पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां, पशु-पक्ष, फल-फूल आदि सभी सजीव दिखाई पड़ते हैं। संगमरमर पर ऐसी सूक्ष्म कला विश्व में शायद ही कहीं और देखने को मिले। 5 मंदिरों का देलवाड़ा मंदिर गुंबजों की छतों पर स्फटिक बिंदुओं की भांति झूमते मंदिरों में 22 तीर्थकरों की मूर्तियां हैं। बताया जाता है, कि इन मंदिरों का निर्माण राजा भीमदेव के मंत्री विमल वसाही ने किया था। इन मंदिरों का निर्माण 11 वीं सदी से प्रारंभ होकर 13 वीं सदी में पूर्ण हुआ था। विमल मंदिर: इस मदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है, कि विमल शाह ने अनेक युद्ध किए जिसमें अनेक लोगों की हत्या का कारण स्वयं को समझकर प्रयाश्चित हेतु आबू पर्वत पर जैन मंदिर के निर्माण की योजना बनाई। कुछ लोगों के द्वारा विरोध करने पर उनहं संतुष्ट करके विमल शाह ने 14 वर्षों में 1500 कारीगरों और 1200 मजदूरों के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया, जिसमें 8 करोड़ 35 लाख रुपयों की लागत लगी। इस मंदिर में प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव की मूलनायक की प्रतिमा से प्रतिष्ठा जैनाचार्य वर्धमान सूरीजी द्वारा संपन्न हुई। मंदिर में कुल 21 स्तंभों में से 30 अलंकृत हैं। विद्यादेवी-महारोहिणी की 14 हाथों वाली मूर्ति, गुंबज में गुजलक्ष्मी और दूसरे गुंबज में शंखेश्वरी देवी की सूक्ष्मकृति, कमल के फूल में 16 नर्तकियों युक्त गुंबज और बीस खंडों का एक शिल्पपट्ट भी देखने लायक है। लूण मंदिर: यह मंदिर विमल मंदिर के बाद बनवाया गया। यह मंदिर छोटा है, लेकिन शिल्पकला में उससे भी अधिक है, जिसमें संगमरमर पर हथौड़ी-छैनी की मदद से कारीगरों ने बेल-बूटे, फूल-पत्ती, हाथी, घोड़ा, ऊंट, बाघ, सिंह, मछली, पछी, देवी-देवता और मानव जाति की अनेक कलात्मक मूर्तियां उकेरी गयी हैं। गुजरात के राजा वीरध्वन के मंत्री वास्तुपाल और तेजपाल दोनों भाइयों ने अपने स्वर्गीय भाई के नाम पर लूण मंदिर बनवाया। -अमित जैन (न्यूजप्लॅस), सिरसाJustify Full

लो क सं घ र्ष !: शुभ लाभ हमारा दर्शन नही


शुभ लाभ हमारा दर्शन नही है, लेकिन ज्योति पर्व दीपावली पर शुभ लाभ का महत्त्व सबसे ज्यादा है इसी कारण हमारी समाज व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए है जिसके कारण मानव ही खतरे में पड़ गया है। इस त्यौहार को मनाने के लिए लाभ को ही शुभ मानने वाले लोगो ने नकली खोया, मिठाइयाँ, घी, खाद्य तेल सहित तमाम सारी उपभोक्ता वस्तु बाजार में लाभ के लिए बेच रहे है। बिजनौर जनपद में 95 कुंतल सिंटेथिक खोया उससे बनी मिठाइयाँ बरामद हुई है बस्ती जनपद में 4 कुंतल मिठाई, 5 कुंतल खोया रोडवेज की बस में लोग छोड़ कर भाग गए इस तरह से पूरे उत्तर प्रदेश में लाभ के चक्कर में लाखों कुंतल खोया, मीठा, नमकीन, खाद्य पदार्थ को बेचा जा रहा है जिसका दुष्परिणाम यह है कि लोगों को मधुमेह, दिल, गुर्दा, पथरी, कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियाँ हो रही है और लोग अकाल मृत्यु मर रहे है

भारतीय समाज का दर्शन मानव कल्याण का दर्शन था इसके साथ हमारी प्रकृति के साथ चलने की प्रवित्ति थी किंतु, पूँजीवाद के संकट ने हमारे सारे मूल्य बदल दिए है लाभ ही शुभ है और शुभ ही लाभ है समय रहते ही अगर हमने पूँजीवाद से निपटा तो मानवीय मूल्य समाप्त हो जायेंगे
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लोकसंघर्ष परिवार की ओर से सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

मंदिरों में क्यों लगाए जाते हैं- घंटे

वैसे तो मंदिरों में घंटा लगा होने के अनेक कारण हैं-तो सर्वप्रथम घंटे की ध्वनि सुनकर लोग जान जाते हैं, कि मंदिर में प्रतिष्ठित देवी या देवता की आरती आरंभ हो चुकी है, अत: जो भी आरती में सम्मिलित होने के इच्छुक हैं, वे शीघ्रता से पहुंचे और जो नहीं पहुंच सकते, वे जहां पर हैं, वहीं खड़े होकर ध्यान कर लें। घंटा लगाने का दूसरा कारण यह है कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित देवता भी जागृत हो जाएं, अन्यथा जब आप उनके दर्शन के लिए जाते हैं, तो हो सकता है कि वे उस समय समाधि में डूबे हों और आपकी पूजा-प्रार्थना व्यर्थ चली जायें। घंटे की ध्वनि, यदि लयबद्धता से की जाये, तो करण प्रिय लगती है। घंटे की ध्वनि से अनिस्टों का निवारण होता है। पुरानों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब प्रलय काल के बाद सृष्टि हुई, उस समय घंटे की ध्वनि के समान ही नाद (आवाज) हुआ था। इस तरह मंदिर में घंटा लगाए जाने के कई कारण हैं -वंश जैन(न्यूजप्लॅस)

लो क सं घ र्ष !: दीपावली के अवसर पर :

सांप्रदायिक शक्तियों का नाश करो

देश की एकता और अखंडता की हिफाजत के लिए दीपावली के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि सांप्रदायिक शक्तियों का नाश किया जाएइन शक्तियों ने अपने स्वार्थ के लिए जाति-धर्म, भाषा , प्रान्त का शोर मचा कर हिन्दुवत्व की आड लेकर साम्प्रदायिकता और प्रांतीयता जगा कर अपने स्वार्थ सिद्ध करते हैइन्ही स्वार्थी तत्वों के कारण देश का विकास रुकता है बाधित होता है, जबकी देश की समस्याओं का निराकरण मिल बाँट कर करने की बात नही होती है तबतक देश का विकास बाधित रहता हैसांप्रदायिक शक्तियों के कारण भाषा, जाति, प्रान्त जैसे मुद्दे बने रहते है और मुख्य मुद्दे गौड हो जाते हैजैसे बेरोजगारी महंगाई, शोषण, अत्याचार, उत्पीडन का खत्म तथा रोटी, आवास, स्वास्थ, शिक्षा जो हमारी मुख्य आवश्यकताएं है सब गौड हो गई है इसलिए आवश्यक हो गया है की एक बेहतर समाज बनाने के लिए हमको महासागर की भूमिका में को अपनाना होगा । महासागर में विभिन्न नदियों का पानी आकर उसका निर्माण करती है. उसी तरह भारत का निर्माण विभिन्न धर्मो, जातियों, भाषाओ रुपी नदियों से होता है हमारा देश भी एक महासागर है और विश्व का अद्भुद देश भी है क्षुद्र स्वार्थी तत्व इसके स्वरूप को नष्ट कर देना चाहते है । उन तत्वों से देश को बचाना होगा।
दीपावली इस देश के नायक मर्यादा पुरषोत्तम राम के रावण को मार कर वापस आने के अवसर पर देशवासियों द्वारा दीपक जलाकर मनाने से प्रारम्भ हुआ था। यह हमारी वैभव सम्पन्नता के प्रतीक का त्यौहार है किंतु सांप्रदायिक तत्वों ने समय-समय पर मर्यादा पुरषोत्तम राम के आचरण के विपरीत सांप्रदायिक झगडे खड़े कर इस देश को कमजोर किया है । राम को वनवास दिया है । कुछ वर्षो पूर्व बाबरी मस्जिद का ध्वंस करके देश की एकता और अखंडता को कमजोर किया है। सुप्रसिद्ध शायर कैफी आजमी ने लिखा है :-


राम बनवास से जब लौट के घर में आए
याद जंगल बहुत आया, जो नगर में आये
रक्से दीवानगी आँगन में जो देखा होगा
6 दिसम्बर को श्री राम ने सोचा होगा
इतने दीवाने कहाँ से मेरे घर में आए

जगमगाते थे जहाँ राम के कदमो के निशान
प्यार की कहकशां लेती थी अंगडाई जहाँ
मोड़ नफरत के उसी राहगुजर में आये

धर्म क्या उनका था, क्या जात थी, यह जानता कौन
घर जलता तो उन्हें रात में पहचानता कौन
घर जलाने को मेरा, लोग जो घर में आये

शाकाहारी है मेरे दोस्त तुम्हारे खंजर
तुमने बाबर की तरफ़ फेंके थे सारे पत्थर
है मेरे सर की खता, जख्म जो सर में आये


पाओ सरजू में अभी राम ने धोये भी थे
के नजर आए वहां खून के गहरे धब्बे
पाओ धोये बिना सरजू के किनारे से उठे
राम यह कहते हुए अपने द्वारे से उठे
राजधानी की फिजा आई नही रास मुझे
6 दिसम्बर को मिला दूसरा बनवास मुझे

आइये हम आप मिलकर सांप्रदायिक शक्तियों का नाश करने के युद्घ में आगे आयें और जिन लोगो ने हमारे नायक को फिर बनवास दिया है उनका नाश करें ।

दीपावली हमारा महापर्व है । हम आप सबकी सुख और सम्रद्धि की कामना करते है

सुमन
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महानायक का पेट कब भरेगा

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फ़िल्म जगत के महानायक अमिताभ बच्चन का नाम देश के महानायकों में से आता है और दुनिया में लाखों लोग उनके प्रशंसक है किंतु इस महानायक का नाम हमेशा आर्थिक घोटालो में भी आता रहता है । नई पीढी इस तरह के दो अर्थी चरित्र से क्या प्रेरणा ले और क्या विश्वाश करे मुख्य बात यह है कि महानायक के परम मित्र अमर सिंह के साथ उनके ख़िलाफ़ जनपद कानपुर के बाबूपुरवा थाने में अपराध संख्या 458/09 अर्न्तगत धारा 420, 467 , 468, 471, 120 बी, आई पी सी, 3/7 मनीलॉण्ड़िरिंग एक्ट व 7/8/9/10/13 भ्रष्टाचार निरोधक कानून कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई है । इस मामले में लगभग 300 करोड़ रुपये का घोटाला है । इसके पूर्व भी महानायक अमिताभ बच्चन ने बाराबंकी जनपद के दौलतपुर गाँव में अपने नाम रिकॉर्ड रूम के कर्मचारियों से मिलकर अपने नाम ग्राम समाज कि जमीन फर्जी तरीके से अंकित करा ली थी । महानायक को इस भूमि घोटाले में भी काफ़ी विवाद का सामना करना पड़ा था। यदि वह महानायक न होते साधारण व्यक्ति होते तो कई महीने उनको कई महीने कारागार में रहकर जमानत का इन्तजार करना पड़ता ।

इस तरह कि घटनाएँ देख कर लगता है कि महानायक जैसे लोग शुद्ध रूप से आर्थिक अपराधी है। आर्थिक अपराधियों को सजा देने के लिए सक्षम कानूनों का आभाव है जिसका लाभ उठा कर आर्थिक अपराधी तरह-तरह के अपराध कर देश कि अर्थ व्यवस्था को खोखला करते है । दुखद बात यह है कि इस देश के नवनिर्माण के लिए जो लोग प्रेरणा श्रोत्र हो सकते है । उनकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी में इस तरह का आचरण दुखदाई है । अमिताभ बच्चन हालावाद के पर्वतक डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन के पुत्र भी है और जब ऐसे लोग इस तरह के कृत्य करते है, तो समाज पर और विशेष कर नई पीढी पर इसका अच्छा प्रभाव नही पड़ता है । गंभीरता से सोचने पर यह सवाल आता है कि इस महानायक का पेट कब भरेगा ?

सुमन
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दीवाली हम सबको शुभ हो


आओ दीपावली मनायें, हर मुण्डेर पर दीप जलायें
द्वेष, दम्भ, पाखंड, सरिखे मन के दुर्गुण दूर भगायें
संयम का हो दीप,स्नेह वर्तिका धैर्य का तेल भरा हो
अंधकार को दूर भगाता, हर आंगन में दीप धरा हो
हर चेहरे पर चमक खुशी की,अंतर्मन में स्नेह खरा हो
खुशियां खील, मिठाई बांटे,सबको बढ़कर गले लगायें
सम्बोधन सम्मान युक्त हों, आ दीपावली मनायें
त्यौहारों की परम्परागत, अपनापन वाणी में छलके
नई नवल आशाओं के संग,प्रीति-रीति प्राणी में झलके
धरती लगे ज्योति का सागर, उगे चन्द्रमा दिनकर ढलके
आओ सा इसे सजायें। आओ दीपावली मनायें
सबसे मन के अंधकार का, दीवाली के दीप हरें तम
सबका मालिक एक भला फिर, आपस में क्यों बैठ करे हम
सबकी झोली भरे खुशी से, रहे कही भी जरा नही गम
हर मन की इच्छा पूरी हो, हर आंगन लक्ष्मी जी आयें
भरे रहें भण्डार सभी के। आओ दीपावली मनायें
लक्ष्मीमैया दूर भगा दें, आपद् और विपत सब ही के
हर घर आंगन जियारा हो, रहें नहीं चौबारे फीके
धरती का श्रृंगार देख कर, चांद, सितारे भी शरमायें
दीवाली से दीवाली तक, आओ दीपावली मनायें
तुम को शुभ हो मुझको शुभ हो, दीवाली हम सबको शुभ हो
आने वाला समय सुखद हो, कुछ भी कही मित्र अशुभ हो
मां लक्ष्मी इस दीवाली पर, हर घर आंगन सुख ही सुख हो
सबको दीवाली की शुभकामनायें। आओ दीपावली मनायें
-हितेश कुमार शर्मा, बिजनौर